नोटिस पीरियड क्या होता है? | नोटिस पीरियड की अवधि कितनी होती है? | Notice period kya hota hai

|| नोटिस पीरियड क्या होता है? | Notice period kya hota hai | Notice period rules in Hindi | नोटिस पीरियड की अवधि कितनी होती है? | बिना नोटिस के पीएफ का पैसा कैसे निकालें? | कंपनी बिना नोटिस पीरियड के निकाल दे तो क्या होता है? ||

Notice period kya hota hai :- भारत देश सहित दुनिया में जो कोई भी किसी कंपनी या कहीं अन्य जगह पर नौकरी करता है, तो उसे वहां के नियमों के तहत एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने होते हैं। इस एग्रीमेंट या अनुबंध में कई तरह के करार किये जाते हैं जो कंपनी और कर्मचारी दोनों की सुविधा को ध्यान में रखकर बनाये गए होते हैं। इसमें एक करार नोटिस पीरियड का भी होता है जो आज के समय में हर छोटी से लेकर बड़ी कंपनी करवाती (Notice period rules in Hindi) है।

ऐसे में आपके मन में नोटिस पीरियड को लेकर कई तरह के प्रश्न होंगे। आज हम आपको नोटिस पीरियड क्या होता है और इसका क्या उद्देश्य होता है, सहित कई बातों के बारे में जानकारी देंगे। इसी के साथ ही आप जहाँ भी नौकरी कर रहे होते हैं वहां आपको हर महीने की एक निश्चित सैलरी मिलती होगी। अब यदि आप उसका अपने वार्षिक CTA से मिलान करेंगे या उसे 12 भागों में विभाजित करेंगे तो हर महीने मिलने वाली सैलरी उससे थोड़ी कम होती (What is a notice period in Hindi) है।

ऐसे में आपके मासिक वेतन का एक हिस्सा काट कर आपको वेतन दिया जाता है। तो यही कटा हुआ हिस्सा ही पीएफ होता है जो आपकी कंपनी आपके पीएफ खाते में जमा करवा देती है। यह भारत सरकार का नियम होता है और इसका पालन करना हर कंपनी के लिए जरुरी होता है। हालाँकि जिस कंपनी के 20 से कम कर्मचारी होते हैं, वहां यह नियम लागू नहीं होता है। तो बहुत लोग यह भी जानना चाहते हैं कि वे बिना नोटिस के पीएफ का पैसा निकाल सकते हैं या नहीं। तो आइये एक एक करके इन सभी के बारे में जानकारी ले लेते (Notice period meaning in Hindi) हैं।

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नोटिस पीरियड क्या होता है? (Notice period kya hota hai)

यह लेख मुख्य तौर पर नोटिस पीरियड के विषय के ऊपर लिखा गया है। इसके तहत आज हम आपको यह समझाने का प्रयास करेंगे कि यह नोटिस पीरियड क्या होता है और इस पर कैसे काम किया जा सकता है। तो भारत देश में हजारों या यूँ कहें कि लाखों छोटी से लेकर बड़ी कंपनियां जगह जगह काम कर रही होती है। यह जरुरी नहीं है कि वह कोई कंपनी ही हो, बल्कि वह कोई मॉल, संस्था, सिनेमा हॉल, मार्ट, रेस्टोरेंट, होटल इत्यादि कुछ भी हो सकता (Notice period kya hai) है।

नोटिस पीरियड की अवधि कितनी होती है

एक तरह से वह हर क्षेत्र जहाँ पर लोगों को काम पर रखा जाता है लेकिन वह सरकारी ना होकर निजी होता है तो वहां इस नोटिस पीरियड का चलन होता है। तो ऐसी कोई भी जगह जहाँ पर लोगों को नौकरी दी जाती है और उन्हें काम करने के बदले में मासिक तौर पर या कंपनी के अनुबंध के तहत पैसा दिया जाता है तो वहां नोटिस पीरियड का नियम हो सकता है। हालाँकि यह कानूनन कोई नियम नहीं है और ना ही भारत सरकार ने इसको लेकर किसी तरह की अधिसूचना जारी की हुई होती है और ना ही इसे लेकर कोई अलग से नियम या कानून बनाया गया होता (Notice period in Hindi) है।

तो यह नोटिस पीरियड का करार पूर्ण रूप से कंपनी और उसके कर्मचारी के बीच में किया गया एक अनुबंध या करार या एग्रीमेंट होता है। तो नोटिस पीरियड एक ऐसा टाइम पीरियड या समय काल होता है जब कंपनी में काम कर रहा कर्मचारी नौकरी से त्याग पत्र देने से कुछ समय पहले अपनी कंपनी को उसके बारे में बता देता है। उसके बाद वह उस कंपनी के नोटिस पीरियड के नियमों के तहत उतने और समय के लिए उस कंपनी में काम करता (Notice period kya hota hai in Hindi) है।

उदाहरण के तौर पर यदि उस कंपनी में अपने कर्मचारियों के लिए 2 माह का नोटिस पीरियड रखा गया है। ऐसे में यदि उस कंपनी का कोई भी कर्मचारी वहां से त्याग पत्र देना चाहता है तो जिस दिन वह अपनी कंपनी को त्याग पत्र देगा या वहां की HR को इसके बारे में लिखित में सूचित करेगा, उसी समय से ही उसके नोटिस पीरियड का समयकाल शुरू हो जाता है। अब उसे उस कंपनी में उस तिथि के बाद से 2 माह तक और कार्य करना होगा और फिर वह उस कंपनी से पूर्णतया मुक्त कर दिया (What is notice period for freshers in Hindi) जाएगा।

नोटिस पीरियड की अवधि कितनी होती है? (Notice period time limit in Hindi)

अब आपको यह जानना होगा कि नोटिस पीरियड की अवधि कितने समय की होती है। तो जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि यह भारत सरकार के द्वारा बनाया गया कोई कानून या नियम नहीं होता है। इसके लिए सरकार ने कंपनियों को अपनी कार्य प्रणाली और कर्मचारी के काम के आधार पर इसकी अवधि तय करने की स्वतंत्रता दी हुई है। तो किसी किसी कंपनी में नोटिस पीरियड होता नहीं है और आप किसी भी समय वहां की नौकरी को छोड़ सकते हैं।

हालाँकि ऐसा देखने को नहीं मिलता है। कुछ कुछ ऐसी नौकरियां होती है जहाँ काम छोड़ने के बाद ना ही कर्मचारी को और ना ही उस कंपनी के काम पर कोई प्रभाव पड़ता है। ऐसे में बिना नोटिस पीरियड सर्व किये त्याग पत्र दिया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर सेल्समैन की नौकरी या ऐसी ही कोई नौकरी जहाँ पर आपका काम पूरी तरह से आपके ऊपर निर्भर नहीं होता है, वहां सामान्य तौर पर नोटिस पीरियड को नहीं रखा जाता (How long can a notice period be in Hindi) है।

फिर भी आज के समय में कंपनी अपने और कर्मचारी के हितों को देखते हुए कुछ समय के लिए नोटिस पीरियड की अवधि को तो रखती है। तो यह अवधि 2 सप्ताह या 15 दिन से लेकर 3 माह की हो सकती है। सामान्य तौर पर यह एक माह, दो माह या तीन माह की होती है। पहले के समय में यह अवधि बड़ी कंपनियों में 3 माह की हुआ करती थी लेकिन आज के  समय में इसे घटाकर 2 माह किया जा रहा है। फिर भी यह कंपनी के नियमों के तहत कितनी भी छोटी या लंबी अवधि हो सकती (Notice period time duration in Hindi) है।

नोटिस पीरियड के बारे में कहाँ लिखा होता है?

अब आप किसी कंपनी में काम कर रहे हैं और आपको अपने नोटिस पीरियड के बारे में पता नहीं है और आपको इसके बारे में जानना है तो इसके बारे में जानकारी और कहीं नहीं बल्कि कंपनी के द्वारा आपको दिए गए ऑफर लेटर में ही लिखी होगी। हर कर्मचारी जो किसी कंपनी को ज्वाइन करता है, तो उसके लिए उसे कंपनी ऑफर लेटर देती है। उस ऑफर लेटर में कंपनी से जुड़ने, वहां काम करने और वहां से त्याग पत्र देने के बारे में पूरी जानकारी लिखी हुई होती है।

ऐसे में त्याग पत्र कब दिया जाना चाहिए और उसके बाद आपको कितने समय के लिए नोटिस पीरियड को सर्व करना होगा, उसके बारे में भी जानकारी दी गयी होगी। तो आपको अपनी कंपनी से मिला ऑफर लेटर अच्छे से जांच लेना चाहिए और वहां आपको नोटिस पीरियड के बारे में जानकारी मिल जाएगी। वहीं यदि आप किसी नयी कंपनी में ज्वाइन करने जा रहे हैं तो आप उनसे नोटिस पीरियड के बारे में अवश्य पूछ लें और साथ ही अभी की कंपनी का नोटिस पीरियड भी बता दें ताकि वे आपको नोटिस पीरियड के बाद के लिए ऑफर लेटर दे सके।

नोटिस पीरियड के दौरान क्या करना होता है? (Notice period me kya karna chahiye)

अब आप सोच रहे हैं कि जब आप कंपनी से त्याग पत्र दे चुके हैं तो उसके बाद की नोटिस पीरियड की अवधि के दौरान आपको क्या कुछ करना होता है। तो यहाँ आपको वही सब काम करना होता है जो आप पहले कर रहे होते थे। बस इसमें अंतर इतना होता है कि अब आपको अपना काम दूसरों को सिखाने की जरुरत होती है और उन्हें बताना होता है कि आप अभी तक क्या क्या कर रहे थे और अब आपकी जगह जो काम करेगा, वह उसे किस तरह से कर सकता (What to do in notice period in Hindi) है।

सीधे शब्दों में कहें तो इस नोटिस पीरियड की अवधि के दौरान आपको अपना सारा काम किसी अन्य व्यक्ति को हैंडओवर करना होता है ताकि जब आप वह कंपनी छोड़ कर चले जाएंगे तो आपके बाद उस कंपनी का काम सुचारू रूप से चलता रहे। इसी के साथ ही कंपनी को छोड़ने से पहले जो भी फॉर्मेलिटी करनी होती है, जैसे कि आपका कुछ बकाया कंपनी के पास पड़ा है या कंपनी का कुछ बकाया आपके पास पड़ा है, इत्यादि सब मैनेज करना होता है।

कुल मिलाकर नोटिस पीरियड की अवधि इसलिए रखी जाती है ताकि आपका काम किसी अन्य व्यक्ति को दिया जा सके और उसे अच्छे से ट्रेन भी किया जा सके। इसी के साथ ही आप जब उस कंपनी को छोड़ कर चले जाएंगे तो उससे पहले जो जो काम किये जाने जरुरी हैं ताकि आपके जाने के बाद कोई समस्या ना आड़े आये, वह सब करना होता (What happens in notice period in Hindi) है।

नोटिस पीरियड क्यों जरुरी होता है? (Notice period kyu hota hai)

अब आप सोच रहे होंगे कि जब आपको कंपनी छोडनी ही है तो फिर त्याग पत्र देने के बाद भी 1 महीने या 3 महीने के लिए वहां काम क्यों ही किया जाए। साथ ही इससे आपको क्या लाभ होगा और आपको वहां क्यों ही काम करना है। तो यहाँ कंपनी का लाभ ज्यादा होता है लेकिन इसी के साथ ही आपको भी एक गारंटी मिलती है। आइये दोनों के बारे में ही जान लेते हैं।

अब आप कंपनी में काम कर रहे हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि आप अपने 7 से 8 घंटे की नौकरी में कंपनी का कुछ ना कुछ काम करके तो दे ही रहे हैं और इस तरह से कंपनी आप पर उस काम के लिए निर्भर होती है। तो जैसे ही आप त्याग पत्र दे देते हैं तो कंपनी को पता चल जाता है कि अब आप इस कंपनी में इतने नोटिस पीरियड के लिए ही और काम करेंगे। तो कंपनी तुरंत ही आपका एक रिप्लेसमेंट देखना शुरू कर देती है ताकि आपकी जगह नए कर्मचारी को ले लिया जाए और उसको आपके जाने से पहले ही सब काम दिखा दिया जाये ताकि कंपनी के काम पर कोई नकारात्मक प्रभाव ना पड़े।

इसी के साथ ही आपको यह लाभ होता है कि आपको भी कंपनी यूँ ही एक झटके में निकाल नहीं सकती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यह केवल आपकी ओर से किया गया करार नहीं होता है बल्कि इससे कंपनी स्वयं भी बंधी हुई होती है। तो कंपनी भी आपको निकालती है तो पहले उसे आपको सूचित करना होगा और फिर आपको नोटिस पीरियड तक काम करवाना होगा। तो इस तरह से यह दोनों के लिए ही जरुरी होता है।

क्या नोटिस पीरियड सर्व करना जरुरी होता है?

यह तो हमने आपको पहले ही बता दिया था कि कानूनन रूप से आप किसी भी कंपनी का नोटिस पीरियड सर्व करने के लिए बाध्य नहीं होते हैं। ऐसे में चाहे आपने कंपनी की ओर से दिए गये एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किये हो और कंपनी ने आपको चाहे जितने भी समय के लिए नोटिस पीरियड सर्व करने को कहा हो। किन्तु यदि आप त्याग पत्र दे देते हैं और उसके बाद उस कंपनी में एक दिन के लिए भी और काम नहीं करना चाहते हैं तो आप उसी समय उसी पल काम करना बंद कर सकते हैं।

इसके लिए वह कंपनी आपके ऊपर किसी भी तरह की कानूनी कार्यवाही नहीं कर सकती है और ना ही आपके ऊपर किसी तरह का केस कर सकती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि भारतीय कानून के अनुसार वह आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। हालांकि वह निजी तौर पर या प्रोफेशनल तौर पर आपका बहुत कुछ बिगाड़ सकती है जो हम आपको नीचे बताएँगे।

नोटिस पीरियड सर्व नहीं करने पर क्या होता है?

अब आपने ऊपर पढ़ा कि यदि आप बिना नोटिस पीरियड सर्व किये या फिर कंपनी को बिना नोटिस दिए ही निकल जाते हैं तो आपके ऊपर कानूनी कार्यवाही तो नहीं होगी लेकिन आपके विरुद्ध अन्य एक्शन लिए जा सकते हैं। इसके तहत वह कंपनी आपको कंपनी से जाने का रिलीविंग लेटर (कार्य मुक्ति प्रमाण पत्र) और एक्सपीरियंस लेटर (अनुभव प्रमाण पत्र) नहीं देती है। अब यदि आपने वहां 2 वर्ष काम किया है तो उसका कोई फायदा नहीं क्योंकि आप अपना एक्सपीरियंस लेटर ही किसी को नहीं दिखा सकते हैं।

वहीं यदि आप किसी नयी कंपनी में नौकरी लेने जा रहे हैं तो वह आपकी पुरानी कंपनी का रिलीविंग लेटर मांगती है। ऐसे में वहां भी समस्या आ सकती है। फिर भी यदि आपको उसी समय कंपनी छोड़ भी देनी है और नोटिस पीरियड सर्व नहीं करना है लेकिन आपको यह दोनों लेटर भी चाहिए तो आपको नोटिस पीरियड के वेतन को अपनी ओर से उस कंपनी में जमा करवाना होता है।

उदाहरण के लिए आपका एक महीने का वेतन 20 हज़ार रुपये है और आपको उस कंपनी में 2 माह का नोटिस पीरियड सर्व करना था। तो नोटिस पीरियड सर्व नहीं करने की दिशा में आप कंपनी को 40 हज़ार रुपयों का भुगतान करेंगे और उसके बाद आप कंपनी से रिलीविंग लेटर और एक्सपीरियंस लेटर लेकर निकल सकते हैं। हालाँकि यदि कंपनी आपको प्रताड़ित कर रही है या समय से अधिक काम ले रही है या ऐसा कुछ तो आप श्रम मंत्रालय या न्यायालय में कंपनी के ऊपर केस कर सकते हैं।

कंपनी बिना नोटिस पीरियड के निकाल दे तो क्या होता है?

अब जो ऊपर हुआ, उसका उल्टा हो जाए तो क्या होगा। कहने का अर्थ यह हुआ कि क्या कंपनी भी आपकी नोटिस पीरियड की अवधि को अनदेखा कर एकदम से आपको कंपनी से निकाल सकती है। तो इसका उत्तर है हां लेकिन इसके लिए अब कंपनी को आपको उस नोटिस पीरियड की अवधि के वेतन को आपको देना होगा। कहने का अर्थ यह हुआ कि ऊपर की तरह ही आपका वेतन 20 हज़ार मासिक और नोटिस पीरियड 2 माह का है तो कंपनी आपको एडवांस में 40 हज़ार, रिलीविंग लेटर और एक्सपीरियंस लेटर देकर निकाल सकती है।

हालाँकि यदि आपने कंपनी के नियमों के विरुद्ध कोई काम किया है जिससे उसका नुकसान हुआ है या किसी कर्मचारी के साथ अभद्रता की है या आपके ऊपर कानूनन कोई कार्यवाही हुई है या ऐसा ही कुछ तो कंपनी आपको सीधा बिना कोई पैसे दिए भी निकाल सकती है। हालाँकि वह आपको रिलीविंग लेटर और एक्सपीरियंस लेटर तो देगी लेकिन वह इसमें अलग से मेंशन कर देगी कि आपको क्यों निकाला गया।

बिना नोटिस के पीएफ का पैसा कैसे निकालें?

आप जिस भी कंपनी में काम करते हैं, वहां के वेतन में से 12 प्रतिशत का हिस्सा आपके पीएफ खाते में लगातार जमा होता रहता है। यह पीएफ खाता भारत सरकार का वित मंत्रालय देखता है और इस पर आपकी कंपनी का कोई अधिकार नहीं होता है। यह एक तरह से आपके बैंक खाते के जैसा है, जिसमें हर महीने आपकी कंपनी आपके वेतन में से कुछ हिस्सा काट कर जमा करवाती रहती है। हर तरह की कंपनी में यह पीएफ खाता एक जैसा ही रहता है और जब आप नयी कंपनी में लगते हैं तो वह कंपनी भी आपके उसी पीएफ खाते में राशि को जमा करवाती है।

ऐसे में जब आप किसी कंपनी से त्याग पत्र देते हैं या किसी कंपनी को ज्वाइन करते हैं तो उस कंपनी के HR आपके पीएफ खाते में अपनी कंपनी को छोड़ने या ज्वाइन करने की तिथि डाल देते हैं ताकि वे उसमें पीएफ को जमा करवा सकें। अब यदि आप बिना नोटिस दिए या बिना नोटिस पीरियड सर्व किये कंपनी को छोड़ देते हैं तो इससे आपके पीएफ खाते पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

हालाँकि उस कंपनी का HR आपके पीएफ खाते में कंपनी को छोड़ने की तिथि ना डाले तो ऐसी स्थिति में आप UAN आईडी या पीएफ खाता संख्या के माध्यम से उनकी वेबसाइट पर लॉग इन कर कंपनी को छोड़ने की तिथि डाल सकते हैं। इसमें आपके पीएफ खाते में जमा हुई राशि और उसको निकालने पर कोई असर नहीं पड़ता है और यह आप पहले वाले नियमों के तहत ही संचालित और प्रबंधित कर सकते हैं।

नोटिस पीरियड क्या होता है – Related FAQs

प्रश्न: नोटिस पीरियड से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: नोटिस पीरियड एक ऐसा टाइम पीरियड होता है जब कंपनी में काम कर रहा कर्मचारी नौकरी से त्याग पत्र देने से कुछ समय पहले अपनी कंपनी को उसके बारे में बता देता है। उसके बाद वह उस कंपनी के नोटिस पीरियड के नियमों के तहत उतने और समय के लिए उस कंपनी में काम करता है।

प्रश्न: क्या मुझे नोटिस पीरियड में काम करना चाहिए?

उत्तर: आपको कंपनी में नोटिस पीरियड के नियमों के तहत काम करना पड़ेगा।

प्रश्न: क्या हमें नोटिस पीरियड के लिए सैलरी मिलती है?

उत्तर: हां नोटिस पीरियड में आप कंपनी में काम करते हैं तो उसकी सैलरी आपको पूरी मिलती हैं

प्रश्न: अगर मैं नोटिस नहीं देता तो क्या होता है?

उत्तर: इसके बारे में संपूर्ण जानकारी आप ऊपर का लेख पढ़ कर प्राप्त कर सकते हो।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने नोटिस पीरियड क्या होता है यह जान लिया है। साथ ही आपने जाना कि नोटिस पीरियड की अवधि कितनी होती है नोटिस पीरियड के दौरान क्या होता है नोटिस पीरियड सर्व नहीं करने पर क्या होता है इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह जानकारी आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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