एनपीए खाता क्या है? | बैंक किसी लोन खाते को एनपीए क्यों करता है?

|| एनपीए खाता क्या है? | What is NPA account in Hindi | NPA account kya hai | NPA in banking in Hindi | नॉन परफॉर्मिंग एसेट खाते के प्रकार | NPA account types in Hindi | बैंक किसी लोन खाते को एनपीए क्यों करता है? | एनपीए कितने प्रकार के होते हैं? ||

What is NPA account in Hindi :- हम बैंकों को धन का स्रोत समझते हैं। एक तरह से जब भी बैंक का नाम आता है तो हमारे दिमाग में पैसा ही आता है। अब बैंक का काम ही होता है लोगों का पैसा अपने पास सुरक्षित रखना और उन्हें तरह तरह की वित्तीय सुविधाएँ देना। इसी के साथ ही बैंक किस तरह से लाभ कमाता है? तो उसका उत्तर है अपने पास पड़े इन पैसों को कई क्षेत्रों में निवेश करने से लेकर लोगों, कंपनियों, व्यापरियों तथा उद्यमियों को लोन (What is non performing asset in Hindi) देकर।

अब बैंक में हम जो पैसा जमा करवाते हैं या खाता खुलवाते हैं तो उसी बैंक से हम तरह तरह के लोन भी लेते हैं। ऐसे में हमारे द्वारा लिए गए लोन को एक समय अवधि तक किश्तों में बाँट कर बैंक को पुनः चुकाना होता है। अब यदि इस प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी होती है तो उसका नुकसान दोनों को ही उठाना होता है, मुख्यतया बैंक को। वह इसलिए क्योंकि इससे बैंक का दिया गया पैसा फंस जाता है जिसे हम एनपीए के नाम से जानते (NPA khata kya hota hai) हैं।

आप सभी ने कभी ना कभी न्यूज़ या अन्य किसी माध्यम से इस एनपीए शब्द का नाम सुन रखा होगा। दरअसल यह एनपीए हर बैंक के लिए एक बहुत बड़ी सिरदर्दी होता है जो उसके लिए घाटे का कारण बनता है। आज हम आपको इसी एनपीए के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं ताकि आपको इसके बारे में शुरू से लेकर अंत तक पूरी जानकारी हो (NPA account kya hai) जाए।

एनपीए खाता क्या है? (What is NPA account in Hindi)

यहाँ हम एनपीए के बारे में बात कर रहे हैं। तो यह एनपीए खाता कोई अलग से खुलवाया जाने वाला खाता नहीं होता है। यदि आप सोच रहे हैं कि जिस तरह से बैंक में आप अपना जनरल खाता, लोन खाता इत्यादि खुलवाते हैं तो उसी तरह से यह एनपीए खाता भी कोई चीज़ होगी। तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। बल्कि यह तो बैंक को ना चाह कर भी खोलना पड़ता है या फिर यूँ कहें कि किसी लोन खाते को एनपीए खाते में बदलना पड़ता (NPA kya hota hai) है।

एनपीए खाता क्या है बैंक किसी लोन खाते को एनपीए क्यों करता है

तो यहाँ एनपीए खाते का अर्थ हुआ बैंक के अंदर जिस व्यक्ति की लोन की किश्त लगातार नहीं आती है तो उसे एनपीए खाता बना देना। इसे हम सरल शब्दों में आपको समझा देते हैं। मान लीजिये कि आपने एक्सिस बैंक से 2 लाख रुपये का लोन लिया और उसे आपको 2 वर्ष अर्थात 24 महीने की अवधि में ब्याज सहित 10-10 हज़ार रुपये के रूप में चुकाना है। इस तरह से आपको 2 लाख के लोन को हर महीने 10 हज़ार रुपये किश्त के रूप में अगले 2 वर्षों तक चुकाना (NPA account means in Hindi) है।

अब यदि आप एक वर्ष तक अर्थात 12 महीने तक तो इस लोन की सभी किश्तें एकदम समय पर एक्सिस बैंक को चुका देते हैं किन्तु 13वें महीने आप यह 10 हज़ार रुपये नहीं चुकाते हैं। ऐसे में बैंक आपको लोन की किश्त चुकाने को कहेगा लेकिन आप तब भी नहीं चुकाते हैं। अब आप अगले महीने अर्थात 14वें महीने भी लोन की किश्त नहीं चुकाते हैं और फिर उसके अगले महीने अर्थात 15वें महीने भी इसे नहीं चुकाते हैं। ऐसे में आपको लोन की किश्त चुकाए हुए लगातार 3 महीने अर्थात 90 दिन का समय बीत जाता (NPA kya hai) है।

अब यदि कोई व्यक्ति अपने लोन की किश्त को बीच में ही चुकाना बंद कर दे और इस बात को 3 माह से ज्यादा का समय हो जाए अर्थात बैंक को लगातार तीन महीने तक उस व्यक्ति से लोन की एक भी किश्त ना मिले तो बैंक उस खाते को एनपीए खाते में बदल देता है। इस तरह से जो लोन खाता काम नहीं कर रहा है या वहां से लगातार 3 महीने तक लोन की किश्त नहीं आ रही है तो उसे ही ऑटोमेटिक रूप से एनपीए खाता कहा जाता (NPA in banking in Hindi) है।

एनपीए की फुल फॉर्म क्या है? (NPA full form in Hindi)

अब हम यहाँ पर एनपीए की फुल फॉर्म भी जान लेते हैं। दरअसल एनपीए अंग्रेजी भाषा का शब्द है जो कि एक शोर्ट फॉर्म है। इसकी फुल फॉर्म नॉन परफॉर्मिंग एसेट (Non Performing Asset) होती है। अब आप इसकी फुल फॉर्म से ही समझ गए होंगे कि इसका क्या कुछ अर्थ होता होगा। तो यहाँ पर नॉन का अर्थ होता है निष्क्रिय या नहीं, परफोर्मिंग का अर्थ हुआ काम करने वाला और एसेट का अर्थ होता है संपत्ति। इस तरह से निष्क्रिय हो चुकी कामकाजी संपत्ति को ही अंग्रेजी में नॉन परफॉर्मिंग एसेट या Non Performing Asset के नाम से जाना जाता (NPA account full form in Hindi) है।

अब जिस भी बैंक ने लोन दिया था, उसे उसके बदले में एक समय तक पैसा मिलता है और साथ ही ब्याज की रकम भी। तो इस तरह से यह यह बैंक के लिए कमाई का स्रोत था और उसने एक सही जगह पर निवेश किया हुआ था। किन्तु बैंक की ही कामकाजी संपत्ति जो उसका पैसा बना रही थी, अब फंस चुकी है या निष्क्रिय हो गयी है या काम करना बंद कर चुकी है तो उसकी पहचान के लिए ऐसे सभी खातों को एनपीए के तहत डाल दिया जाता है।

एनपीए खाता बनने में कितना समय लगता है?

अब आपने ऊपर जाना कि बैंकों के द्वारा सामान्य तौर पर उस लोन या ऋण खाते को एनपीए या नॉन परफॉर्मिंग एसेट में बदल दिया जाता है जो 90 दिनों तक या 3 माह तक निष्क्रिय बना रहता है। किन्तु ऐसा हर समय और हर बैंक के साथ नहीं है। कुछ कुछ बैंक किसी ऋण खाते को नॉन परफॉर्मिंग एसेट खाते में बदलने के लिए 3 माह की बजाये 4 माह का समय भी लेते हैं अर्थात उनके द्वारा कुल 120 दिन की प्रतीक्षा की जाती है।

अब यदि ग्राहक के द्वारा 120 दिन अर्थात 4 माह के बाद भी ऋण की राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो इस स्थिति में बैंक उस खाते को एनपीए खाते में बदल देते हैं। वहीं आप यह मत सोचिये कि कोई बैंक आपके ऋण खाते को 3 माह की अवधि से पहले ही एनपीए में बदल सकता है क्योंकि यह RBI के नियमों के विरुद्ध है।

कोई भी बैंक या अन्य वित्तीय संस्था कम से कम 90 दिनों की प्रतीक्षा करती है और फिर यदि उस लोन खाते पर कोई कार्यवाही नहीं होती है या किश्त का भुगतान नहीं किया जाता है तो वह उस खाते को एनपीए खाते में बदलने का अधिकार रखती है।

बैंक किसी लोन खाते को एनपीए क्यों करता है? (NPA account details in Hindi)

अब आप सोच रहे होंगे कि बैंक के द्वारा आखिरकार किसी लोन खाते को एनपीए खाते में क्यों ही बदला जाता है तो इसको लेकर भी एक सिंपल सा कारण है। बैंक के द्वारा इस 3 माह की अवधि के दौरान संबंधित व्यक्ति से कई तरह के माध्यमों से संपर्क किया जाता है और उसे लोन की राशि का भुगतान करने के लिए कहा जाता है। इसके लिए बैंक के कर्मचारी उसको फोन करते हैं, ईमेल भेजते हैं और मोबाइल पर मैसेज भी करते हैं। फिर भी यदि वह व्यक्ति लगातार तीन महीने तक अपने लोन की एक भी किश्त या सभी किश्तों का भुगतान नहीं करता है तो बैंक को उस पर कार्यवाही करने का अधिकार मिल जाता है।

3 माह के बाद बैंक उस लोन खाते को एनपीए खाते में बदल देता है। इसमें बैंक के दो तरह के उद्देश्य निहित होते हैं। पहले उद्देश्य के तहत बैंक उस खाते को एनपीए खाते में बदल कर RBI को यह बताता है कि अब इस खाते से उसे लाभ नहीं बल्कि नुकसान हो रहा है। कहने का अर्थ यह हुआ कि बैंक को हर महीने या तीन महीने में RBI व वित्त मंत्रालय को यह रिपोर्ट देनी होती है कि वह कितने नुकसान में है और कितने लाभ में। ऐसे में एनपीए खाते में पड़ी रकम को दिखाकर बैंक उनके सामने अपने को हुए नुकसान को रखता है।

दूसरा उद्देश्य यह होता है कि जैसे ही कोई खाता एनपीए में बदल जाता है तो अब बैंक को उस पर विधिक कार्यवाही करने का अधिकार होता है। इसके लिए जो व्यवस्था बनायी गयी है, उसके अनुसार बैंक उस व्यक्ति पर कार्यवाही करना शुरू कर देता है। इसके लिए बैंक विधिक प्रक्रिया व RBI के द्वारा बनाये गए नियमों का पालन कर अपने लोन की राशि को पुनः प्राप्त करने का प्रयास करता है।

नॉन परफॉर्मिंग एसेट खाते के प्रकार (NPA account types in Hindi)

अब आप सोच रहे होंगे कि इसे केवल एक ही श्रेणी में रखा जाता है और एनपीए के किसी तरह के प्रकार या टाइप नहीं होते हैं तो आप गलत हैं। दरअसल नॉन परफॉर्मिंग एसेट खाते की समय अवधि के अनुसार इसे तीन भागों में विभाजित किया जाता है जो इसके प्रकारों और बैंक की आर्थिक स्थिति के बारे में बताते हैं। आइये जाने एनपीए के तीनों प्रकारों के बारे में।

सब स्टैण्डर्ड एसेट

यह एनपीए खाते का सबसे पहला प्रकार होता है। जैसे ही कोई लोन खाता एनपीए में बदल जाता है तो वह इसी प्रकार के अंतर्गत ही गिना जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि 3 माह के पश्चात जब लोन खाते को एनपीए खाते में बदल दिया जाता है तो हम उसे सब स्टैण्डर्ड एसेट का नाम दे सकते हैं।

डाउटफुल एसेट

अब जब किसी एनपीए खाते को सब स्टैण्डर्ड एसेट बने हुए 12 महीने अर्थात 1 वर्ष से भी अधिक का समय हो जाता है तो उसे डाउटफुल एसेट में बदल दिया जाता है। डाउटफुल एसेट का सीधा सा अर्थ होता है कि अब बैंक को वह खाता संदिग्ध लगने लगता है और वहां से लोन की राशि वापस मिलने की संभाना कम ही बची होती है।

लॉस एसेट

यह बैंक के लिए सबसे दुखदायी व पीड़ादायक खाते होते हैं जो उनके हुए नुकसान को दर्शाते हैं। अब यदि किसी नॉन परफॉर्मिंग एसेट खाते को डाउटफुल एसेट बने हुए भी बहुत समय बीत चुका है या उसे भी एक वर्ष हो गया है और इतनी अवधि के दौरान बैंक उस व्यक्ति की संपत्ति बेचकर या अन्य किसी माध्यम से लोन की राशि को प्राप्त नहीं कर पाया है तो उसे बैंक का नुकसान मान लिया जाता है। ऐसे में अब उस एनपीए खाते को डाउटफुल एसेट से लॉस एसेट में बदल दिया जाता है जो उस बैंक को हुई हानि को दर्शाता है।

एनपीए खाते के साथ बैंक क्या करता है?

अब यदि किसी खाते को एनपीए में बदल दिया जाता है तो उस स्थिति में बैंक उस खाते के साथ क्या करता है? क्या बैंक उस एनपीए खाते को लेकर यूँ ही बैठा रहता है और पैसों के वापस आने की प्रतीक्षा करता है या फिर उसके द्वारा कुछ कठोर कार्यवाही की जाती है। तो यहाँ इसका उत्तर है, बैंक अपनी ओर से हर तरह की विधिक कार्यवाही करता है ताकि फंसी हुई राशि को ब्याज व जुर्माने की राशि सहित प्राप्त किया जा सके।

इसके लिए बैंक उस व्यक्ति के घर नोटिस भिजवाता है। रिकवरी एजेंट्स को उस व्यक्ति से बात करने के लिए भेजता है। इन सभी को करने के बाद बैंक उस व्यक्ति के घर लीगल नोटिस भी भिजवाता है और फिर न्यायालय में उसके विरुद्ध केस करवाता है। इसी के साथ ही वह उसकी संपत्ति व अन्य बहुमूल्य वस्तुओं को नीलाम कर सकता है लेकिन उससे पहले उसे एक निश्चित समय सीमा तक प्रतीक्षा करनी होती है और सार्वजनिक नोटिस भी जारी करना होता है।

इतना ही नहीं, जिस व्यक्ति का लोन खाता एनपीए खाते में बदल गया है, उसका क्रेडिट स्कोर और सिबिल स्कोर बहुत ख़राब हो जाता है। अब यदि वह व्यक्ति भविष्य में भारत में स्थित किसी भी अन्य बैंक या वित्तीय संस्था से लोन लेने जाता है तो वहां से उसे लोन मिलने की संभावना बहुत ही कम बचती है। वह इसलिए क्योंकि हर बैंक के द्वारा किसी को भी लोन देने से पहले उसका सिबिल स्कोर अवश्य चेक किया जाता है और उसके बाद ही उसका लोन स्वीकृत किया जाता है।

एनपीए खाता क्या है – Related FAQs 

प्रश्न: अगर कोई खाता एनपीए हो जाता है तो क्या होगा?

उत्तर: अगर कोई खाता एनपीए हो जाता है तो बैंक उसे फंसा हुआ धन मान लेता है और उसको पाने के लिए कानूनी कार्यवाही की जाती हैं

प्रश्न: एनपीए के बाद क्या होगा?

उत्तर: एनपीए करने के बाद बैंक उस पैसे को फंसा हुआ धन मान लेता है और आगे की कार्यवाही करता है।

प्रश्न: एनपीए अकाउंट क्या है?

उत्तर: इसकी फुल फॉर्म नॉन परफॉर्मिंग एसेट (Non Performing Asset) होती है। निष्क्रिय हो चुकी कामकाजी संपत्ति को ही अंग्रेजी में Non Performing Asset के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न: एनपीए कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: एनपीए के प्रकारों के बारे में जानकारी आपको ऊपर का लेख पढ़ कर मिल जायेगी जो आपको पढ़ना चाहिए।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने एनपीए खाता क्या है यह जान लिया है। साथ ही आपने जाना कि एनपीए की फुल फॉर्म क्या है एनपीए खाता बनने में कितना समय लगता है बैंक किसी खाते को एनपीए क्यों बनाता है एनपीए खाते के प्रकार और बैंक एनपीए खाते के साथ क्या करता है इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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