|| बैंकों में एनपीए वसूली हेतु विधिक प्रावधान क्या है? | NPA recovery process in banks in Hindi | एनपीए के लिए प्रावधान मानदंड क्या हैं? | NPA recovery procedure in Hindi | How to recover NPA account in Hindi ||
NPA recovery process in banks in Hindi :- किसी भी बैंक के लिए एनपीए का बढ़ना बहुत बड़ी समस्या होती है। बैंक में हम लोग अपना पैसा सुरक्षित रखते हैं लेकिन बैंक हमसे पैसा लेने के साथ साथ उन पैसों को जरूरतमंद लोगों को लोन या ऋण के रूप में भी देता है। यही बैंक के द्वारा कमाई करने का प्रमुख साधन होता है जिसमें वह अपने यहाँ पड़े पैसों को अलग अलग लोगों को लोन के रूप में देता है। किन्तु जब लोन ले रहे व्यक्ति उन पैसों का भुगतान नहीं करते हैं या लोन की किश्तों को चुकाना रोक देते हैं तो बैंक उस खाते को एनपीए खाते में बदल देता (NPA recovery procedure in Hindi) है।
एनपीए का अर्थ होता है नॉन परफोर्मिंग एसेट अर्थात एक ऐसा खाता जो अब निष्क्रिय हो चुका है और वहां से लोन की किश्तें मिलने में दिक्कत हो रही है। अब बैंक का यह पैसा फंसा हुआ मान लिया जाता है और उसे पुनः प्राप्त करने के लिए बैंक के द्वारा हर संभव कोशिश की जाती है। इसके लिए बैंक RBI के द्वारा बनाये गए नियमों व शर्तों का पालन करते हुए आगे बढ़ता है और एनपीए की वसूली की कार्यवाही करता (NPA recovery methods in Hindi) है।
एनपीए वसूली हेतु की जाने वाली कार्यवाही में बैंक अपनी ओर से सामान्य कार्यवाही सहित विधिक व न्यायिक कार्यवाही भी करता है ताकि लोन की राशि को पुनः प्राप्त किया जा सके। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके साथ इसी विषय पर ही बात करने वाले हैं जहाँ आपको यह पता चलेगा कि बैंक के द्वारा एनपीए वसूली हेतु क्या कुछ विधिक कार्यवाही की जाती (NPA recovery process in Hindi) है।
बैंकों में एनपीए वसूली हेतु विधिक प्रावधान क्या है? (NPA recovery process in banks in Hindi)
बैंक के लिए एनपीए की वसूली करना बहुत ही जरुरी होता है। इसके लिए बैंक अपनी ओर से वह हर तरह की कोशिश करता है जिसके तहत उसका फंसा हुआ पैसा वापस आ जाए। इसके लिए बैंक के अधिकारी संबंधित व्यक्ति से बातचीत करते हैं और यह जानने का प्रयास करते हैं कि वह लोन की किश्तों को क्यों नहीं चुका रहा है या इसमें किस तरह की दिक्कत आ रही है। यदि उस व्यक्ति के साथ बातचीत कर और लोन की शर्तों में थोड़ा बदलाव कर यह समस्या सुलझ जाती है तो बहुत बढ़िया बात (How NPA can be recovered in Hindi) है।
ऐसे में बैंक का यही प्रयास रहता है कि उस लोन खाते को एनपीए में बदलने से पहले ही उसका समाधान किया जा सके। वहीं यदि वह खाता एनपीए में बदल भी गया है तो उसके बाद भी सामान्य तरीके से उसका समाधान हो जाये तो बढ़िया (How to recover NPA in Hindi) है। हालाँकि बैंक के पास उस व्यक्ति के विरुद्ध विधिक कार्यवाही करने का भी प्रावधान होता है। आज हम उसके बारे में ही आपको बताने वाले हैं। तो आइये जाने बैंक के द्वारा संबंधित व्यक्ति पर लोन की राशि नहीं चुकाने पर क्या विधिक कार्यवाही की जाती है।
RBI को इसकी सूचना देना
बैंकों के द्वारा विधिक प्रावधान के तहत जो चीज़ सबसे पहले की जाती है, वह होती है देश के सर्वोच्च और केंद्रीय बैंक रिज़र्व बैंक ऑफ भारत को इसकी सूचना दिया जाना। दरअसल देश में हर बैंक चाहे वह सरकारी हो या निजी या अन्य कोई बैंक, वह RBI की बनायी गयी नीतियों के तहत ही काम करता है। ऐसे में यदि किसी खाते को एनपीए खाता घोषित किया गया है तो बैंक के द्वारा सबसे पहले इसके बारे में उसे ही इन्फॉर्म करना होता (How to recover NPA in banks in Hindi) है।
इसके बाद आरबीआई के रिकॉर्ड में यह दर्ज हो जाता है कि किस खाते को एनपीए खाता घोषित किया गया है और उस व्यक्ति ने अभी तक इस पर क्या कुछ कार्यवाही की है। एक तरह से अब उस व्यक्ति पर उस बैंक के साथ साथ आरबीआई की भी बराबर नज़र होती है जिसने लोन की राशि का भुगतान नहीं किया है।
ग्राहक का सिबिल स्कोर कम करना
किसी भी व्यक्ति को लोन देने से पहले हर बैंक या अन्य संस्थाओं के द्वारा उसका सिबिल स्कोर अवश्य चेक किया जाता है। यह सिबिल स्कोर यह बताता है कि उस व्यक्ति का पहले का लोन रिकॉर्ड या फिर क्रेडिट कार्ड का रिकॉर्ड कैसा रहा है। यह सिबिल स्कोर 300 से 900 अंकों के बीच का होता है। इसमें जितने ज्यादा अधिक अंक होते हैं, उसका अर्थ होता है कि वह व्यक्ति लोन की किश्तों का समय पर भुगतान करता था और उसे लोन दिया जा सकता (How to recover NPA account in Hindi) है।
वहीं यदि यह सिबिल स्कोर 500 से कम होता है तो उस व्यक्ति को कोई भी लोन नहीं देता है या बहुत ही मुश्किल से लोन देता है। ऐसे में उस बैंक के द्वारा आरबीआई को यह सूचित किये जाने के बाद कि इस व्यक्ति के लोन खाते को एनपीए खाते में बदल दिया गया है तो आरबीआई उस व्यक्ति के सिबिल स्कोर को कम कर देता है। अब यह हर बीतते दिन के साथ और कम होता चला जाता है जिस कारण भविष्य में उस व्यक्ति को ऋण मिलने की संभावना भी नहीं बचती है।
सामान्य नोटिस का भिजवाया जाना
लगातार तीन माह तक लोन की राशि नहीं आने पर उस खाते के एनपीए घोषित हो जाने पर बैंक के द्वारा आरबीआई को सूचित किये जाने के पश्चात उस व्यक्ति के घर या आवास पर एक नोटिस भिजवाया जाता है। इस नोटिस में बैंक के द्वारा लोन देते समय दी गयी सभी शर्तों और अन्य प्रावधानों के बारे में उसे सूचित किया जाता है। इसी के साथ ही वह उस व्यक्ति को यह भी बताता है कि उसने अभी तक कितनी राशि का भुगतान नहीं किया है और वह इसे कब तक और कैसे भुगतान कर सकता (NPA account recovery procedure in Hindi) है।
इसी के साथ ही अब उसे लोन की तीन किश्तों के साथ साथ जो जुर्माने व अतिरिक्त राशि का भुगतान करना है, उसके बारे में भी बताया जाता है। एक तरह से बैंक इस नोटिस के माध्यम से व्यक्ति को चेतावनी जारी करता है ताकि वह एनपीए खाते के तहत लोन की राशि का जल्द से जल्द भुगतान कर सके।
विधिक नोटिस को भेजना
अब यदि वह व्यक्ति लोन की राशि को 5 माह का समय बीत जाने के बाद भी नहीं चुकाता है या फिर जब उसे सामान्य नोटिस मिलता है और उसके बाद 2 माह का समय और बीत जाता है लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं आता है और ना ही लोन की राशि को चुकाया जाता है तो वह खाता एनपीए का एनपीए ही बना रहता है। ऐसे में अब बैंक को उस एनपीए खाते पर कानूनी कार्यवाही अर्थात विधिक कार्यवाही करने का विकल्प होता है।
इसके तहत वह अपने वकीलों की सहायता से संबंधित व्यक्ति के घर पर एक विधिक नोटिस भिजवाता है। इस नोटिस में उस व्यक्ति पर आगे जाकर क्या कुछ कार्यवाही की जा सकती है और उसका उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसके बारे में जानकारी दी जाती है। ऐसे में बैंक के द्वारा सबसे पहले उचित विधिक कार्यवाही 5 माह के बाद की जाती है।
रिकवरी एजेंट्स से एनपीए पर कार्यवाही
अब बैंक के द्वारा रिकवरी एजेंट्स को भी काम पर लगाया जाता है जो इसी काम के लिए ही बैंक में भर्ती किये जाते हैं। अब यह वे व्यक्ति होते हैं जो बैंक का फंसा हुआ पैसा वापस लाने में उसकी सहायता करते हैं। उन्हें हर तरीके की जानकारी होती है और बैंक के नियम, शर्तों, लोन की राशि, एनपीए खाता की जानकारी तथा विधिक प्रक्रिया आदि उन्हें पता होते (What is NPA recovery in Hindi) हैं।
ऐसे में वे संबंधित व्यक्ति से संपर्क साधते हैं, उनके घर जाते हैं या जहाँ वे रहते हैं, वहां जाकर उनसे मिलते हैं। वे उनसे विस्तार से बात करते हैं, लोन नहीं चुकाने और एनपीए खाता बनने के बारे में बात करते हैं, उनकी समस्या जायज है तो बैंक को सूचित करते हैं और उस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास करते हैं। एक तरह से रिकवरी एजेंट्स बैंक तथा एनपीए खाताधारक के बीच एक कड़ी का काम करते हैं ताकि मामले का निपटारा जल्द से जल्द किया जा सके।
ग्राहक की संपत्ति जब्त करना
जब बैंक के द्वारा किसी व्यक्ति को लोन दिया जाता है या ऋण पर राशि दी जाती है तो बैंक उस व्यक्ति से कुछ चीजें अपने पास गिरवी रख लेता है। इसमें मुख्य चीज़ उस बैंक के द्वारा व्यक्ति की संपत्ति के कागजात शामिल होते हैं। हालाँकि यह जरूरी नहीं है कि बैंक के पास उस व्यक्ति की संपत्ति के कागजात हो तभी वह उस पर कार्यवाही कर पायेगा क्योंकि उसके लिए वह न्यायालय का सहारा ले सकता है।
हालाँकि यदि उसे बिना कानून का सहारा लिए ही उस व्यक्ति पर कार्यवाही करनी है तो उसके पास पहले से ही उस व्यक्ति की संपत्ति के कागजात होने चाहिए। इसी के साथ ही बैंक अपने बनाये नियम व शर्तों के अनुसार उस व्यक्ति से पहले ही उन डाक्यूमेंट्स पर हस्ताक्षर करवा लेता है। अब यदि वह व्यक्ति लोन की राशि नहीं चुकाता है या उसके लोन खाते को एनपीए खाता बने हुए ज्यादा समय बीत चुका है तो बैंक उसकी संपत्ति को नीलाम करके लोन की राशि की वसूली करता है।
न्यायालय में केस करना
यह किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान के द्वारा लोन की राशि की वसूली के लिए की जाने वाली अंतिम कार्यवाही होती है। अब यदि किसी खाते को एनपीए खाता बने हुए बहुत समय हो गया है और उसके बाद भी ग्राहक के द्वारा लोन की राशि को नहीं चुकाया जाता है और न ही इसकी इच्छा प्रकट की जाती है, साथ ही बैंक भी सभी तरह के प्रयास करने के बाद एनपीए की राशि को वसूलने में सफल नहीं होता है तो फिर बैंक को न्यायालय का दरवाजा खटकाने की जरुरत होती है।
ऐसे में बैंक के द्वारा सभी कागजातों और एनपीए बनने के बाद से सभी तरह के किये गए प्रयासों सहित कोर्ट में जाना होता है और वहां संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध केस करवाना होता है। अब इसके बाद का काम कोर्ट कचहरी में ही चलता है जहाँ उस व्यति की पेशी होती है और आगे की कार्यवाही की जाती है। इसमें कोर्ट बैंक को उस व्यक्ति की संपत्ति जब्त करने, आर्थिक दंड लगाने या अन्य कुछ भी कार्यवाही करने का अधिकार दे सकती है।
बैंकों में एनपीए वसूली हेतु विधिक प्रावधान क्या है – Related FAQs
प्रश्न: एनपीए के लिए प्रावधान मानदंड क्या हैं?
उत्तर: एनपीए के लिए जो भी विधिक प्रावधान है उसके बारे में हमने शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण जानकारी इस लेख के माध्यम से देने का प्रयास किया है जो आप पढ़ सकते हो।
प्रश्न: एनपीए वसूली क्या है?
उत्तर: एनपीए वसूली के तहत बैंक एनपीए खाते में फंसे हुए पैसे को वापिस पाने के लिए जो भी हथकंडे अपनाता है उसे एनपीए वसूली कहते हैं।
प्रश्न: क्या बैंक रिकवरी एजेंट घर आ सकते हैं?
उत्तर: अगर आपने समय पर अपना लोन नहीं चुकाया है तो कुछ समय के बाद बैंक के रिकवरी एजेंट घर आ सकते हैं।
प्रश्न: एनपीए का कर्जदार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: कर्जदार के खाते को अगर एनपीए घोषित कर दिया जाता है तो उसको आगे चल कर कर्ज लेने में दिक्कत होती है।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने बैंकों में एनपीए खाते की वसूली के लिए विधिक प्रावधान क्या है इसके बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल कर ली है। आशा है कि आपको इस लेख के माध्यम से दी गई संपूर्ण जानकारी समझ आ गई होगी। फिर भी यदि कोई शंका आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।