|| ऑफिस में समान वेतन का अधिकार क्या है? | Office me saman vetan ka adhikar | समान वेतन का अधिकार कानून का उदाहरण | Equal pay act example in Hindi | समान वेतन का अधिकार कानून का उद्देश्य | समान वेतन अधिनियम कब लागू हुआ? | समान कार्य के लिए समान वेतन कौन से आर्टिकल में है? ||
Office me saman vetan ka adhikar :- भारत सरकार के द्वारा नागरिकों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से समय समय पर कई तरह के कानून व नियम बनाये जाते हैं लेकिन नागरिकों को उसके बारे में उचित जानकारी नहीं होने के कारण अक्सर ऐसे नियमों या कानूनों की अनदेखी की जाती रहती है। उसी में एक कानून है समान वेतन का अधिकार जिसे बहुत पहले ही लागू कर दिया गया था लेकिन दुःख की बात तो यह है कि आज भी बहुत से लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं (Right to equal pay for equal work in Hindi) है।
भारत सरकार ने आज से लगभग 50 वर्ष पहले ही सन 1976 में भारत देश में समान वेतन का अधिकार लागू कर दिया था जिसके तहत एक ही काम करने वाले व्यक्तियों को एक ही योग्यता के आधार पर समान वेतन का अधिकार दिया गया है। यह कानून मुख्य तौर पर महिलाओं के विकास व उन्हें भी पुरुषों के बराबर अधिकार व वेतन दिलवाने के उद्देश्य से लागू किया गया (Employees right to equal pay for equal work in Hindi) था।
ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ समान वेतन का अधिकार क्या है और इसके तहत किन किन नियमों को बनाया गया है, उसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। आइये जाने समान वेतन का अधिकार कानून के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण (Office mein saman vetan ka adhikar) जानकारी।
ऑफिस में समान वेतन का अधिकार क्या है? (Office me saman vetan ka adhikar)
सबसे पहले तो आपको यह समझने की जरुरत है कि आखिरकार यह समान वेतन का अधिकार क्यों लाया गया था और इसमें किस तरह के नियम जोड़े गए हैं। यदि आपको लगता है कि समान वेतन का अधिकार कानून में केवल समान वेतन को ही नियम बनाया गया है तो आप गलत हैं। इसमें कई तरह के नियम और भी जोड़े गए हैं और उन सभी के बारे में ही आपको इस लेख के माध्यम से जानने को (Equal pay act in India in Hindi) मिलेगा।
तो समान वेतन का अधिकार वह कानून है जो एक जैसी योग्यता लिए हुए दो व्यक्तियों को किसी भी ऑफिस में एक जैसा ही काम करने पर उनका वेतन अर्थात सैलरी को समान रखने का अधिकार देता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि किसी भी ऑफिस में चाहे जो भी काम होता हो लेकिन उस ऑफिस में वहां के मालिक ने दो लोगों को अपने यहाँ काम पर रखा है जिन्होंने एक जैसी ही पढ़ाई की है और उन्हें ऑफिस में भी एक जैसा ही काम दिया जाता है तो इस स्थिति में दोनों का वेतन भिन्न भिन्न नहीं हो सकता (Equal pay act 1976 in Hindi) है।
इस तरह से इस कानून के द्वारा भारत के अंतर्गत काम कर रही हरेक कंपनी और उनके मालिकों को यह बताया गया है कि यदि वे इस कानून का उल्लंघन करते हैं या एक जैसी योग्यता व काम लिए लोगों का वेतन अलग अलग रखते हैं तो उन पर दंडात्मक कार्यवाही की जा सकती है। साथ ही यदि किसी कर्मचारी के द्वारा इसके विरुद्ध शिकायत दर्ज करवायी जाती है और वह सही पायी जाती है तो भारतीय कानून की धाराएँ उस ऑफिस के मालिक पर लगायी (What is an equal pay act in Hindi) जाएगी।
समान वेतन का अधिकार कानून का उदाहरण (Equal pay act example in Hindi)
बहुत से लोगों को अभी भी समान वेतन का अधिकार कानून क्या है या यह किस तरह से कार्य करता है, इसके बारे में अच्छे से समझ नहीं आया होगा। तो यहाँ हम आपको एक उदाहरण देकर समझा देते हैं ताकि आपको इसके बारे में अच्छे से जानकारी हो जाए। तो मान लीजिये कि एक सॉफ्टवेयर कंपनी है और वह सॉफ्टवेयर कंपनी अपने यहाँ वेब डिजाइनिंग के लिए लोगों की भर्ती कर रही (Equal pay act law 1976 in Hindi) है।
अब इसके लिए वह एक इंजीनियरिंग कॉलेज में जाती है और वहां से 10 लोगों को वेब डिजाइनिंग का काम करने के लिए अपने यहाँ भर्ती कर लेती है। अब इस स्थिति में उस सॉफ्टवेयर कंपनी ने एक ही कॉलेज से एक ही शिक्षा लिए हुए 10 लोगों को एक ही तरह का काम करने के लिए अपने यहाँ लिया है। इस स्थिति में वह कंपनी समान वेतन का अधिकार कानून के तहत उन सभी 10 लोगों की सैलरी को एक जैसा ही रखने के लिए बाध्य होगी फिर चाहे वह सैलरी 10 हज़ार प्रति महिना हो या 50 हज़ार प्रति (What does equal pay act mean in Hindi) महिना।
समान वेतन का अधिकार नियम कहाँ लागू नहीं होता है?
अब आपने यह तो जान लिया है कि समान वेतन का अधिकार कानून किस परिस्थिति में लागू होता है किन्तु इसी के साथ ही आपको यह भी जान लेना चाहिए कि किस तरह की स्थिति में कंपनी इस कानून को मानने को बाध्य नहीं है। यहाँ इस बात का प्रमुखता के साथ उल्लेख किया गया है कि यदि दो व्यक्ति समान योग्यता लिए हुए हैं व समान कार्य कर रहे हैं तभी समान वेतन का अधिकार नियम वहां पर लागू होगा।
वहीं यदि इन दोनों में से कोई भी एक चीज़ दोनों के बीच में भिन्न होती है तो उस स्थिति में समान वेतन का अधिकार नियम लागू नहीं होगा। उदाहरण के तौर पर उसी सॉफ्टवेयर कंपनी ने वेब डिजाइनिंग का काम करने के लिए उसी कॉलेज से ही 10 छात्रों को भर्ती किया है लेकिन उनमे से 6 छात्रों ने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की हुई है जबकि 4 छात्रों ने बीएससी की हुई है तो ऐसे में उन 6 छात्रों का एक समान वेतन होगा और बाकि के 4 छात्रों का एक समान वेतन होगा।
वहीं यदि एक जैसा ही कोर्स किये हुए या डिग्री लिए हुए छात्र हैं लेकिन उनका कॉलेज अलग है तो भी यह नियम लागू नहीं होगा। तो इस तरह से यह कानून बहुत पेचीदा हो जाता है और इसका सही से पालन नहीं हो पाता है। वह इसलिए क्योंकि भारत देश में हजारों कॉलेज हैं जहाँ लाखों छात्र पढ़ाई कर रहे हैं और उसी के साथ ही हर कंपनी में काम करने के कई तरह के क्षेत्र हो चुके हैं।
समान वेतन का अधिकार कानून का उद्देश्य
अब हम आपको बता देते हैं कि भारत सरकार के द्वारा आखिरकार किन कारणों से समान वेतन का अधिकार नियम लागू किया गया था। दरअसल यह कानून वर्ष 1976 में लाया गया था जब देश की महिलाएं भी नौकरी करने लगी थी। उस समय तक कई तरह की कंपनियों में महिलाओं को पुरुषों से कम वेतन दिया जाता था जबकि उनसे वही काम लिया जाता था और उनकी योग्यता भी वही होती थी।
महिलाओं की ऐसी स्थिति को देखते हुए भारत सरकार यह समान वेतन का अधिकार कानून लेकर आयी थी। इसके तहत कोई भी कंपनी अपने यहाँ काम कर रहे कर्मचारियों में उनके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती है और उसे सभी को एक जैसा ही वेतन देना होगा। किन्तु इसकी शर्त केवल यही है कि उनकी योग्यता समान होनी चाहिए और इसी के साथ ही उनसे काम भी एक जैसा ही लिया जा रहा हो।
समान वेतन का अधिकार कानून के नियम (Equal pay act rules in Hindi)
अब आप सोच रहे होंगे कि आपने समान वेतन का अधिकार कानून के बारे में पूरी जानकारी ले ली है किन्तु अभी तक आपने इसके बारे में समूची जानकारी नहीं ली है। वह इसलिए क्योंकि आपने इस कानून का मुख्य नियम तो जान लिया है लेकिन इसी के साथ ही भारत सरकार के द्वारा महिला सुरक्षा व उनके अधिकारों की रक्षा करने के उद्देश्य से कई तरह के अन्य नियम भी बनाये गए थे, जिनके बारे में आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं।
- समान वेतन का अधिकार कानून के तहत कोई भी कंपनी किसी भी महिला से सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक ही काम करवा सकती है और इसके बाद वह उससे काम नहीं ले सकती है।
- यदि किसी कारणवश किसी महिला से शाम के 7 बजे के बाद या रात में काम करवाया जा रहा है तो उसे घर से लेने, उसे घर पर वापस छोड़ने, ऑफिस और उसके आसपास उसकी सुरक्षा करने इत्यादि सभी का उत्तरदायित्व उसी कंपनी का होगा।
- किसी भी महिला कर्मचारी को अपने समकक्ष पुरुष कर्मचारी के समान ही सभी तरह के भत्ते, छुट्टियाँ, बोनस इत्यादि मिलेगा और इसमें किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
- इस कानून में कुछ क्षेत्रों को निकाल दिया गया है जो जोखिम भरे होते हैं या फिर जहाँ पर रात का ही काम होता है जैसे की मीडिया या समाचार इत्यादि।
- यदि किसी दिन अवकाश है तो उस दिन महिला को काम पर नहीं बुलाया जा सकता है। यदि ऐसा किया जाता है तो उस महिला की संपूर्ण सुरक्षा उस कंपनी की ही जिम्मेदारी होगी।
- किसी भी अकेली महिला को कोई भी कंपनी अपने यहाँ काम पर नहीं रख सकती है। उसके साथ अन्य महिला कर्मचारी व पुरुष सदस्यों का होना अति आवश्यक है।
- यदि महिला का बच्चा छोटा है और उसे माँ के दूध की आवश्यकता है तो ऑफिस उसे ऑफिस के घंटों के बीच में घर जाने और बच्चे को फीड करवाने से नहीं रोक सकती है।
इसी के साथ ही कुछ अन्य नियम बनाये गए हैं जो महिलाओं को पुरुषों से अधिक अधिकार देते हैं। साथ ही इसमें महिलाओं की समस्याओं को भी ध्यान में रखते हुए गाइडलाइन्स जारी की गयी है ताकि किसी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके।
समान वेतन का अधिकार का उल्लंघन होने पर क्या करें?
यदि आप किसी ऑफिस में काम करते हैं या करती हैं और आपको लगता है कि आपके बराबर का कर्मचारी आपसे ज्यादा वेतन ले रहा है और आपके साथ किसी तरह का पक्षपात किया जा रहा है तो आपको समान वेतन का अधिकार नियम के तहत अपने ऑफिस के मालिक या HR की शिकायत करने का पूरा अधिकार है। इसके लिए आप श्रम आयुक्त या मंत्रालय के ऑफिस में शिकायत कर सकते हैं।
वहां पर आपकी शिकायत का तुरंत संज्ञान लिया जाएगा और इस पर आगे की कार्यवाही की जाएगी। यदि आपकी शिकायत सही पायी जाती है और सरकार को लगता है कि समान वेतन का अधिकार का उल्लंघन आपके ऑफिस के द्वारा किया गया है तो आपके ऑफिस के मालिक या संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध भारतीय न्यायिक व्यवस्था के तहत कार्यवाही की जाएगी।
ऑफिस में समान वेतन का अधिकार क्या है – Related FAQs
प्रश्न: समान काम के लिए समान वेतन का अधिकार क्या है?
उत्तर: यह श्रमिकों के लिए एक अधिकार है जिसके अंतर्गत समान काम करने वाले सभी लोगों को समान वेतन मिलता है।
प्रश्न: समान कार्य के लिए समान वेतन कौन से आर्टिकल में है?
उत्तर: समान कार्य के लिए समान वेतन अनुच्छेद-39D में है।
प्रश्न: समान वेतन अधिनियम कब लागू हुआ?
उत्तर: समान वेतन अधिनियम 1976 में लागू हुआ था।
प्रश्न: समान वेतन कैसे काम करता है?
उत्तर: समान वेतन अधिनियम के तहत एक ही कार्यस्थल पर समान काम करने वाले पुरुषोंतौर महिलाओं को समान वेतन दिया जाता हैं।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने समान वेतन अधिकार के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि समान वेतन अधिकार क्या है यह नियम कहां लागू होता है और कहां लागू नहीं होता है इस अधिकार को लागू करने का क्या कुछ उद्देश्य था और इसके नियम क्या कुछ हैं। साथ ही हमने आपको बताया कि समान वेतन अधिकार का उल्लंघन करने पर क्या होता है।