ऑप्टिकल फाइबर क्या होता है? | प्रकार, फायदे व नुकसान | Optical fiber kya hota hai

|| ऑप्टिकल फाइबर क्या होता है? | Optical fiber kya hota hai | Optical fiber in Hindi | Optical fiber kya hota hai in Hindi | ऑप्टिकल फाइबर के प्रकार (Optical fiber types in Hindi | ऑप्टिकल फाइबर के फायदे ||

Optical fiber kya hota hai :- जब से इस दुनिया में कंप्यूटर और इंटरनेट की क्रांति आयी है तब से हमारे जीवन में कई तरह के ऐसे परिवर्तन आये हैं जिनकी कल्पना भी करना संभव नहीं था। इसी क्रांति में एक क्रांति लेकर आयी थी ऑप्टिकल फाइबर जिसका आज हम आम जीवन में उपयोग करते हैं। इसके माध्यम से सूचना के आदान प्रदान करने के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति आ गयी थी। वह इसलिए क्योंकि ऑप्टिकल फाइबर के उपयोग से एक जगह से दूसरी जगह सूचना को पहुँचाने का कार्य कुछ ही सेकंड या पलों का काम हो गया (Optical fiber in Hindi) था।

अब तो हमें एक जगह से दूसरी जगह तक सूचना पहुँचाने का कार्य कोई बड़ा काम नहीं लगता है क्योंकि हमें ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल करते हुए दशकों बीत चुके हैं और हमारे घर में भी यह ऑप्टिकल फाइबर कई वर्षों से लगी हुई है। किन्तु एक समय पहले तक जब यह आयी ही थी तब बहुत बड़ा बदलाव हमने और इस पूरी दुनिया ने देखा था। साथ ही क्या आपको पता है कि ऑप्टिकल फाइबर के जनक या पिता एक भारतीय थे जिन्होंने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया (Optical fibre in Hindi) था।

आज के इस लेख में हम आपको ऑप्टिकल फाइबर के बारे में तो पूरी जानकारी देंगे ही लेकिन इसी के साथ ही आपको यह भी बताएँगे कि ऑप्टिकल फाइबर का आविष्कार किसने किया था। इस तरह से आप ऑप्टिकल फाइबर के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण जानकारी एकत्र करने में सक्षम हो पाएंगे। आइये जाने ऑप्टिकल फाइबर क्या होता है और किस तरह से यह सूचना को एक जगह से दूसरी जगह भेजने का एक सरल और प्रभावी माध्यम बन चुका (Optical fiber kya hai) है।

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ऑप्टिकल फाइबर क्या होता है? (Optical fiber kya hota hai)

सबसे पहले हम बात करते हैं ऑप्टिकल फाइबर के बारे में और यह जानने का प्रयास करते हैं कि ऑप्टिकल फाइबर होती क्या है। तो ऑप्टिकल फाइबर कांच व प्लास्टिक से बनी हुई एक ऐसी तार या वायर होती है जिसके माध्यम से डाटा को प्रकाश में बदल कर जिग ज़ैग करते हुए एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने का अभूतपूर्व कार्य किया जाता है। अब आप सोचिये कि जब आप अपने टेलीफ़ोन पर किसी से बात करते हैं तो दूसरे कोने में बैठे व्यक्ति को आपकी आवाज और सूचना तुरंत ही मिल जाती है और वह जो कुछ भी बोलता है, वह भी आपको तुरंत ही पता चल जाता (Explain optical fibre in Hindi) है।

ऑप्टिकल फाइबर क्या होता है प्रकार, फायदे व नुकसान Optical fiber kya hota hai

तो यह सब संभव कैसे हो पाया? आपके टेलीफोन को किस से जोड़ा गया है और उससे जो संदेश निकल रहा है वह दूसरे कोने में बैठे व्यक्ति के टेलीफोन तक कैसे पहुँच पा रहा है। तो आप दोनों के टेलीफोन इसी ऑप्टिकल फाइबर से ही जुड़े होते हैं जिस कारण संदेश को इतनी सरलता व तेज गति के साथ एक दूसरे तक पहुंचा दिया जाता है। इस ऑप्टिकल फाइबर का निर्माण ही इसी उद्देश्य के तहत किया जाता (Optical fiber information in Hindi) है।

यह ऑप्टिकल फाइबर कई तरह की सरंचनाओं में बनी हुई एक ऐसी तार होती है जिसमें संदेश को प्रकाश की गति में भेजा जाता है। अब यह तो आपको भलीभांति पता होगा कि इस सृष्टि में सबसे तेज गति प्रकाश की ही होती है और जब उस प्रकाश को vaccum से एक जगह से दूसरी जगह में भेजा जाता है तो उसकी गति की तुलना शायद ही किसी अन्य चीज़ से की जा सके। हालाँकि सनातन धर्म में सबसे तेज गति मनुष्य के मन की बताई गयी है लेकिन हमारे मन के बाद जिसकी भी सबसे तेज गति होती है वह प्रकाश ही होता (Optical fiber kya hota hai in Hindi) है।

ऐसे में इसी प्रकाश की गति का उपयोग करते हुए संदेश को प्रकाश के माध्यम में बदल कर उसे उसी गति में चलाना ही ऑप्टिकल फाइबर का कमाल है। यह अपने को मिले संदेश को प्रकाश में बदल कर उसे एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा देती है और इसी उद्देश्य के तहत ही ऑप्टिकल फाइबर का निर्माण किया जाता है। इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए आपको ऑप्टिकल फाइबर की कार्य प्रणाली और इसकी सरंचना को समझना होगा ताकि आपके मन की सभी शंकाओं पर पूर्ण विराम लग सके।

ऑप्टिकल फाइबर कैसे बनी होती है?

अब हम ऑप्टिकल फाइबर की संरचना या इसकी बनावट पर प्रकाश डालेंगे ताकि आपको यह पता चल जाए कि यह किस तरह से बनायी गयी होती है जिस कारण संदेश या डाटा को एक जगह से दूसरी जगह इतनी आसानी और सरलता से पहुँचाया जाना संभव हो पाता है। तो किसी भी ऑप्टिकल फाइबर को मुख्य रूप से चार भागों में विभाजित करके बनाया गया होता है, जो कि इस प्रकार है:

कोर

यह किसी भी ऑप्टिकल फाइबर में सबसे अंदर की और महत्वपूर्ण परत होती है क्योंकि किसी भी डाटा या संदेश को प्रकाश के माध्यम से इसी के अंदर से ही गुजरना होता है। तो यह कोर परत पूर्ण रूप से कांच या एकदम पतले प्लास्टिक से बनाई गई होती है जो पारदर्शी होती है। अब कांच तो पारदर्शी ही होता है लेकिन जब इसे प्लास्टिक से बनाया गया होता है तो वह भी पारदर्शी ही होता है ताकि संदेश को भेजने में किसी तरह की रूकावट ना हो।

यह कोर बहुत ही पतली, फ्लेक्सिबल व cylindrical शेप में बनी हुई होती है क्योंकि तभी इसमें से डाटा का प्रकश के रूप में यात्रा करना संभव हो पाता है। हर तरह की ऑप्टिकल फाइबर में कोर परत को यूँ ही बनाया गया होता है जिसके माध्यम से डाटा व संदेश को एक जगह से दूसरी जगह पर भेजा जाता है।

क्लैडिंग

यह कोर के ऊपर चढ़ाई गयी ऑप्टिकल फाइबर की दूसरी परत होती है जो कांच या प्लास्टिक की ही बनायी गयी होती है लेकिन इसमें कुछ अन्य पदार्थ भी मिलाये गए होते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि इसमें थोड़े मोटे प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन ज्यादा मोटा नहीं। इसका काम यह होता है कि जब डाटा को प्रकाश के माध्यम से कोर में भेजा जा रहा होता है तो यह उसे बाहर निकलने या उसको लीक होने से रोकता है।

बफर

कोर के ऊपर क्लैडिंग होती है और फिर उसके ऊपर बफर की परत चढ़ाई गयी होती है। हालाँकि यह हर तरह की ऑप्टिकल फाइबर में लगी हुई हो, यह आवश्यक नहीं होता है लेकिन जिस भी ऑप्टिकल फाइबर में इसे लगाया गया होता है, वह ऑप्टिकल फाइबर ज्यादा बेहतर तरीके से काम कर पाने में सक्षम होती है। इसे सिलिकॉन रबड़ से बनाया गया होता है जिसका मुख्य काम अंदर के कोर व क्लैडिंग के लचीलेपन को बनाये रखना होता है।

जैकेट

यह ऑप्टिकल फाइबर की सबसे ऊपरी और बाहरी परत होती है जिसका काम अंदर के भाग को सुरक्षा प्रदान करना और बाहर किसी व्यक्ति को करंट से बचाना होता है। आम तौर पर इसे भी प्लास्टिक से बनाया गया होता है या फिर इसमें पोलिमर का भी इस्तेमाल किया गया हो सकता है। यह सबसे ऊपर की परत के रूप में अंदर की तीन परतों को सुरक्षा प्रदान करने का कार्य करती है।

ऑप्टिकल फाइबर कैसे काम करती है? (Optical fiber kaise kam karta hai)

हर ऑप्टिकल फाइबर के पहले और अंतिम छोर पर दो चीज़ें लगी होती है जिसे हम रिसीवर व ट्रांसमीटर कह सकते हैं। अब हम जो भी संदेश कहते हैं या दूसरी ओर से जो भी संदेश मिलता है उसे ट्रांसमीटर की सहायता से प्रकाश में बदल दिया जाता है। हमारा संदेश इलेक्ट्रॉनिक तरंगों में होता है जिसे ट्रांसमीटर तुरंत ही प्रकाश में बदल देता है।

फिर यह प्रकाशीय तरंगों के रूप में जिग ज़ैग करता हुआ ऑप्टिकल फाइबर की कोर में यात्रा करता हुआ ऑप्टिकल फाइबर के दूसरे छोर तक पहुँचता है और वहां पर जो रिसीवर लगा होता है, वह इन प्रकाशीय तरंगों को तुरंत इलेक्ट्रॉनिक तरंगों में बदल देता है। फिर यह संदेश उस व्यक्ति को मिल जाता है, जिस तक हम उसे पहुँचाना चाहते हैं। कुछ ऐसा ही कार्य दूसरी तरफ़ से भी हो रहा होता है।

ऑप्टिकल फाइबर को हिंदी में क्या कहते हैं? (Optical fiber meaning in Hindi)

अब क्या आपको पता है कि ऑप्टिकल फाइबर एक अंग्रेजी नाम है जबकि इसका हिंदी नाम कुछ और है। हालाँकि हर जगह इसका अंग्रेजी नाम ही प्रचलन में है और हिंदी नाम बहुत ही कम लोग जानते हैं। फिर भी हमारा यह कर्तव्य है कि हम आप तक पूरी जानकारी पहुंचाएं। ऐसे में ऑप्टिकल फाइबर को हिंदी में प्रकाशीय तंतु कहा जाता है जिसमें से ऑप्टिकल को प्रकाशीय तथा फाइबर को हिंदी में तंतु कहते हैं। इस तरह से ऑप्टिकल फाइबर को हिंदी में प्रकाशीय तंतु कहा जाएगा।

ऑप्टिकल फाइबर के प्रकार (Optical fiber types in Hindi)

समय के साथ साथ ऑप्टिकल फाइबर की तार ने भी बहुत प्रगति कर ली है और अब इसमें कई तरह के प्रकार भी जुड़ गए हैं। बदलते ज़माने के साथ हम बहुत आगे बढ़ते जा रहे हैं और तकनीक का बेहतर उपयोग किया जाना संभव हो पाया (Optical fiber ke prakar) है। ऐसा ही कुछ ऑप्टिकल फाइबर के साथ भी देखने को मिला है। आइये जाने ऑप्टिकल फाइबर के प्रकारों के बारे में।

सिंगल मोड ऑप्टिकल फाइबर (Single mode optical fibre)

सबसे पहले इसी तरह की ऑप्टिकल फाइबर का ही उपयोग किया जाता था। अब जब भी आप कोई सेना वाली फिल्म देखते हैं जिसमें सेना के जवान एक दूसरे को दुर्गम इलाकों से संदेश भेजते हैं तो एक बार में एक ही सैनिक बोलता है और जब वह उसे बंद कर देता है तो दूसरी ओर से दूसरा सैनिक बोलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह ऑप्टिकल फाइबर के सिंगल मोड़ का उपयोग कर रहे होते हैं।

इसमें ऑप्टिकल फाइबर के अंदर एक ही तरफ से एक ही संदेश को भेजा जा सकता है और दोनों ओर से उसका एक साथ यात्रा कर पाना असंभव होता है। इस तरह की ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि इससे लंबी दूरी पर जल्दी और स्पष्ट संदेश भेजा जा सकता है।

मल्टी मोड ऑप्टिकल फाइबर (Multi mode optical fiber)

यह ऑप्टिकल फाइबर का आधुनिक और बदलता रूप है जिसमें ऑप्टिकल फाइबर का अंदर का व्यास मोटा होता है। इस कारण वहां कई तरह की कोर होती है जो दोनों ओर से कई तरह के संदेश को एक साथ प्रसारित करने में सक्षम होती है। तभी जब हम किसी से टेलीफोन पर बातचीत कर रहे होते हैं तो दोनों को बोलने में किसी तरह की समस्या नहीं होती है।

अब बदलते समय के साथ साथ मल्टी मोड ऑप्टिकल फाइबर में भी कई तरह के प्रकार आ चुके हैं जिन्हें हम स्टेप इंडेक्स फाइबर व ग्रेडेड इंडेक्स फाइबर कह सकते हैं। इन दोनों में ज्यादा अंतर नहीं है लेकिन जो अंतर है, वह हम आपको बता देते हैं।

स्टेप इंडेक्स फाइबर (Step index fiber)

यह मल्टी मोड ऑप्टिकल फाइबर का पहला रूप है जिसमे अंदर का रेफ्राक्टिव इंडेक्स एक जैसा ही रहता है और यह बदलता नहीं है।

ग्रेडेड इंडेक्स फाइबर (Grades index fiber)

यह मल्टी मोड ऑप्टिकल फाइबर का ऐसा रूप है जिसमें अंदर का रेफ्राक्टिव इंडेक्स बदलता रहता है और जिस कारण संदेश को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुँचाना और भी सरल हो जाता है।

ग्लास ऑप्टिकल फाइबर (Glass optical fiber)

इस तरह की ऑप्टिकल फाइबर में अंदर की कोर को पूर्ण रूप से कांच या ग्लास का बनाया गया होता है जिस कारण इसका नाम ग्लास ऑप्टिकल फाइबर पड़ गया है अर्थात कांच का प्रकाशीय तंतु।

प्लास्टिक ऑप्टिकल फाइबर (Plastic optical fiber)

अब ऊपर का नाम पढ़कर आप यह समझ ही गए होंगे कि इसमें ऑप्टिकल फाइबर की अंदर की कोर को प्लास्टिक का बनाया गया होता है जिस कारण इसे प्लास्टिक ऑप्टिकल फाइबर के नाम से जाना जाता है।

लूज ऑप्टिकल फाइबर (Loose optical fiber)

इस तरह की ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया गया होता है क्योंकि इसमें तार को लचीलापन देने के लिए बफर को जोड़ा जाता है। बफर एक जेली टाइप पदार्थ होता है जो ऑप्टिकल फाइबर को लचीलापन देता है जिस कारण हम इसे तोड़ या मरोड़ सकते हैं।

टाइट ऑप्टिकल फाइबर (Tight optical fiber)

इस तरह की ऑप्टिकल फाइबर ज्यादा प्रभावी होती है लेकिन यह महँगी व लगाने में कठिनाई भरी होती है। इस तरह की ऑप्टिकल फाइबर में बफर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है जिस कारण इस तरह की ऑप्टिकल फाइबर को तोड़ा या मरोड़ा नहीं जा सकता है।

ऑप्टिकल फाइबर का आविष्कार किसने किया? (Optical fibre ke avishkarak)

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि ऑप्टिकल फाइबर का आविष्कार करने वाले एक भारतीय थे और उन भारतीय का नाम था नरिंदर सिंह कपानी। हालाँकि ऑप्टिकल फाइबर पर काम बहुत पहले ही शुरू हो चुका था लेकिन पहली बार ऑप्टिकल फाइबर का आविष्कार नरिंदर सिंह जी के द्वारा ही किया गया था। इसी कारण नरिंदर सिंह जी को ही ऑप्टिकल फाइबर का पिता या जनक कहा जाता (Optical fibre ke avishkarak kaun hai) है।

ऐसे में यदि हम ऑप्टिकल फाइबर के इतिहास की बात करें तो सबसे पहले वर्ष 1840 में फ्रांस के वैज्ञानिकों डेनियल व जैक ने प्रकाश को अपवर्तन के माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह भेजने के मामले में आविष्कार किया। इसके ठीक बारह वर्ष बाद जॉन ने इसका प्रदर्शन करके दिखाया और यह सफल भी रहा। इसके बाद से ही समय के साथ साथ कई अन्य देशों के वैज्ञानिकों ने इस पर काम किया और प्रगति की लेकिन कोई भी ऑप्टिकल फाइबर का निर्माण कर पाने में सक्षम नहीं हो (Optical fibre ke janak) पाया।

फिर वर्ष 1952 में दुनिया में पहली बार भारतीय वैज्ञानिक नरिंदर सिंह कपानी ने ऑप्टिकल फाइबर का निर्माण करके दुनिया को दिखा दिया कि एक भारतीय क्या कुछ कर सकता है। इसी के साथ ही पूरी दुनिया में तहलका मच गया और सभी ने ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग करना और इस पर शोध करना शुरू कर दिया। उसी का ही परिणाम है कि देखते ही देखते हर देश, राज्य व शहर में ऑप्टिकल फाइबर को बिछा दिया गया और सूचना क्रांति की शुरुआत हो गयी।

ऑप्टिकल फाइबर के फायदे (Optical fiber benefits in Hindi)

अब हम बात करने जा रहे हैं कि देश व दुनिया को ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग करके क्या कुछ फायदे देखने को मिले हैं ताकि आपको ऑप्टिकल फाइबर का महत्व अच्छे से समझ में आ सके। आइये जाने ऑप्टिकल फाइबर के (Optical fiber ke fayde) लाभ।

  • इसका सबसे पहला और प्रमुख लाभ तो यही हुआ कि इसके द्वारा सूचना के आदान प्रदान करने के क्षेत्र में क्रांति आ गयी। ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह सूचना को पहुँचाने का कार्य बहुत ही तेजी के साथ होने लगा।
  • ऑप्टिकल फाइबर में सूचना के लीक होने की संभावना ना के बराबर होती है क्योंकि इसे चार तरह की परत से मजबूत रूप दिया गया होता है। इस कारण सूचना में किसी भी तरह की लीकेज होना बंद हो गयी और वह स्पष्ट व सरल रूप में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने लगी।
  • यह ऑप्टिकल फाइबर बहुत ही पतली व हल्की हुआ करती थी जिस कारण इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने और वहां लगाने में किसी तरह की कोई समस्या नहीं हुआ करती थी। इसी कारण इसे पहाड़ों, दुर्गम इलाकों इत्यादि तक पहुंचा दिया गया और उन क्षेत्रों को भी बाकि दुनिया से जोड़ दिया गया।
  • यह ऑप्टिकल फाइबर हल्की व पतली होने के साथ साथ बहुत सस्ती भी हुआ करती थी जिस कारण आम नागरिकों के लिए इसका उपयोग किया जाना संभव हो पाया।
  • ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से किसी तरह की डाटा की चोरी होने या सूचना के किसी और तक पहुँचने की संभावना भी समाप्त हो गयी। इस तरह से यह डाटा को एक जगह से दूरी जगह पहुँचाने का सुरक्षित माध्यम भी बन गया।

ऑप्टिकल फाइबर के नुकसान

अब किसी चीज़ के फायदे होते हैं तो उसी के साथ ही उसके कुछ नुकसान भी उभर कर सामने आते हैं और वैसा ही कुछ इस ऑप्टिकल फाइबर के साथ भी हुआ है। ऐसे में ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल करने पर हमें क्या कुछ नुकसान देखने को मिलते हैं, उसकी जानकारी इस प्रकार है:

  • यदि किसी ऑप्टिकल फाइबर में किसी तरह की कमी आ जाती है या इसमें कोई खराबी आ जाती है तो इसे फिर से ठीक किया जाना या रिपेयर किया जाना बहुत ही मुश्किल होता है जिस कारण इसे पूर्ण रूप से बदला जाना ही एकमात्र विकल्प होता है।
  • साथ ही यह ताम्बे से बनी तारों की तुलना में बहुत ही नाजुक व कमजोर होती है और इसी कारण यह जल्दी ख़राब भी हो जाती है।
  • इस तरह की तारों का उपयोग करने के लिए जिन यंत्रों का उपयोग किया जाता है, वह बहुत ही महंगे होते हैं। तो ऑप्टिकल फाइबर तो सस्ती हो गयी लेकिन इसके उपकरण महंगे सिद्ध हुए।

इस तरह से ऑप्टिकल फाइबर के अन्य भी कुछ नुकसान होते हैं लेकिन वह ज्यादा प्रभावी नहीं है और उन्हें दूसरे विकल्पों के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। हालाँकि आने वाले समय में यह संभावना है कि ऑप्टिकल फाइबर का मूल्य बढ़ाया जा सकता है।

ऑप्टिकल फाइबर क्या होता है – Related FAQs 

प्रश्न: ऑप्टिकल फाइबर का मतलब क्या होता है?

उत्तर: ऑप्टिकल फाइबर एक ऐसी तार होती है जिसके माध्यम से संदेश को प्रकाश में बदल कर भेजा जाता है।

प्रश्न: ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग कहाँ होता है?

उत्तर: ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग संदेश पहुंचाने, डाटा भेजने, बातचीत इत्यादि में होता है।

प्रश्न: ऑप्टिकल फाइबर का जनक कौन है?

उत्तर: ऑप्टिकल फाइबर के जनक डॉक्टर कपानी माने जाते हैं।

प्रश्न: ऑप्टिकल फाइबर कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: ऑप्टिकल फाइबर के कुछ प्रमुख प्रकारों के बारे में हमने इस लेख में बताया है।

प्रश्न: भारत में ऑप्टिकल फाइबर की शुरुआत कब हुई?

उत्तर: भारत में ऑप्टिकल फाइबर की शुरूआत अक्टूबर 2011 में हुई थी।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने ऑप्टिकल फाइबर के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि ऑप्टिकल फाइबर क्या होता है ऑप्टिकल फाइबर कैसे बनी होती है यह कैसे काम करती है इसके प्रकार क्या हैं इसके फायदे और नुकसान क्या हैं इत्यादि। आशा है कि जो जानने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह जानकारी आपको मिल गई होगी। यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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