अस्पताल में मरीज के क्या-क्या अधिकार होते हैं? | Patient rights in hospital in Hindi

Patient rights in hospital in Hindi: हम में से हर किसी को कभी ना कभी अस्पताल जाना ही पड़ता है। आजकल के समय में तो जिस प्रकार लोगों की जीवन शैली हो गई है उसके अनुसार तो उन्हें साल भर में तीन से चार बार अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ ही जाते हैं। वहीं यदि आपके बच्चे छोटे हैं या घर में बुजुर्ग हैं तो उनके समय पर टीकाकरण या स्वास्थ्य जांच परीक्षण के लिए भी अस्पताल में जाना पड़ता (Patient rights and responsibilities in Hindi) है।

इसी के साथ ही हमें समय-समय पर छोटी-मोटी बीमारियां होती रहती है या फिर किसी बड़ी बीमारी के होने पर अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। भारत में छोटे से लेकर बड़े लाखों अस्पताल हैं और वहां पर रोजाना करोड़ों लोग अपना उपचार करवाने के लिए आते हैं। ऐसे में यह लेख उन लोगों के लिए लिखा जा रहा है जो अस्पताल में जाते हैं लेकिन उन्हें अपने अधिकारों के बारे में पता नहीं होता (Rights of patient in Hindi) है।

विदेश में तो लोगों को अस्पताल में अपने अधिकारों के बारे में अच्छे से जानकारी होती है और उनका वह समुचित सदुपयोग भी करते हैं। किंतु भारत देश में मरीजों को अस्पताल में अपने अधिकारों के बारे में इतना पता नहीं होता है। इस कारण कभी कभार उन्हें उपेक्षा या अवेहलना का शिकार होना पड़ता है। आज के इस लेख में हम आपके साथ अस्पताल में मरीज के कौन-कौन से अधिकार होते हैं उसके बारे में ही जानकारी सांझा करने वाले (Hospital me patient ke rights in Hindi) हैं।

अस्पताल में मरीज के क्या-क्या अधिकार होते हैं? (Patient rights in hospital in Hindi)

क्या आप जानते हैं कि अस्पताल में मरीज के एक तरह के नहीं बल्कि सैकड़ो तरह के अधिकार होते हैं जिन्हें अलग-अलग क्षेत्र और स्थितियों के अनुसार विभाजित किया गया होता है। उदाहरण के तौर पर अस्पताल में मरीज को अपना उपचार चुनने तक का अधिकार होता है और यहां तक कि वह किस डॉक्टर और नर्स से उपचार करवाना चाहते हैं यह भी चुनने का अधिकार एक मरीज को होता (Patient rights in Hindi) है।

Patient rights in hospital in Hindi

हम यह कहना चाह रहे हैं कि यदि किसी मरीज को किसी नर्स या कंपाउंड का व्यवहार उचित नहीं लगता है या वह उसके साथ सुरक्षित महसूस नहीं करता है तो उसे बदलने का आग्रह वह कर सकता है। अस्पताल प्रशासन को अपने मरीज का आग्रह स्वीकार करना ही पड़ेगा अन्यथा यह मरीज के अधिकारों का हनन कहा जाएगा। इसी के साथ ही अस्पताल में मरीज को गोपनीयता जानकारी, सम्मान सुरक्षा, दूसरी राय, उचित देखभाल इत्यादि कई तरह के अधिकार होते (Rogi ke adhikar) हैं जिनके बारे में एक-एक करके इस लेख में पढ़ने को मिलेगा। आइए जाने अस्पताल में मरीज के अधिकारों के बारे में विस्तार से।

सूचना का अधिकार

आपको शायद यह पता ना हो लेकिन एक मरीज के अस्पताल में कई तरह के अधिकार होते हैं जिसमें से सबसे मुख्य अधिकार सूचना प्राप्त करने का अधिकार होता है। यहां सूचना का तात्पर्य है आपको अपने रोग से संबंधित सभी तरह की जानकारी का पता लगाना और उससे संबंधित किस-किस तरह के उपचार हो सकते हैं इसके बारे में जानना होता (Patient ke adhikar) है।

एक डॉक्टर अपनी इच्छा से आपके रोग का उपचार नहीं कर सकता है, उसे आपका उपचार करने के लिए आपको सभी तरह की जानकारी उपलब्ध करानी होगी। वह आपका क्या टेस्ट लेने जा रहा है और आपको किस तरह का रोग है और उससे संबंधित किस तरह का उपचार वह करना चाहता है, यह सूचना प्राप्त करने का अधिकार आपको अस्पताल में होता है।

सुरक्षा का अधिकार

यदि कोई व्यक्ति अस्पताल में भर्ती होता है तो उसे अपनी सुरक्षा करने का भी अधिकार है। यहां पर सुरक्षा से तात्पर्य होगा मरीज के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार या उसका शोषण नहीं हो सकता है। यदि अस्पताल का कोई भी स्टाफ या कर्मचारी मरीज के साथ दुर्व्यवहार करता है तो वह इसके खिलाफ शिकायत कर सकता (Patient ke rights) है।

यदि उसे किसी नर्स या कंपाउंडर या किसी अन्य स्टाफ से असुरक्षा की भावना आती है या उसकी उपेक्षा की जाती है तो वह इसके बारे में भी अस्पताल को जानकारी दे सकता है। एक तरह से मरीज को अस्पताल में अपनी पूर्ण सुरक्षा करने का अधिकार प्राप्त होता है, बहुत से मरीज इसके बारे में जानते नहीं हैं। इसलिए यदि आगे से आपके साथ अस्पताल में किसी भी तरह का दुर्व्यवहार या शोषण होता है तो आप उसकी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

सम्मान का अधिकार

अस्पताल में मरीज को सम्मान पाने का भी अधिकार होता है। बहुत बार यह देखने में आता है कि मरीज या उसके घर वालों के साथ अस्पताल का स्टाफ सही से व्यवहार नहीं करता है उनकी बात का जवाब नहीं देता है या अपना मन जहां काम करता रहता है। कई बार मरीज को चीजों की आवश्यकता होती है तो उसके लिए भी आना-कानी की जाती है या उसके साथ गलत व्यवहार किया जाता (Marij ke adhikar) है।

ऐसे में मरीज को सम्मान पाने का पूर्ण अधिकार होता है फिर चाहे वह डॉक्टर के साथ हो, नर्स के साथ हो या अस्पताल के किसी अन्य कर्मचारी या स्टाफ के साथ। मरीज के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है। डॉक्टर या अस्पताल का कोई कर्मचारी दो मरीजों के बीच लिंग, जाति या धर्म के अनुसार किसी भी तरह का भेदभाव नहीं कर सकते हैं।

सहमति का अधिकार

मरीज का किसी भी तरह का उपचार करने के लिए उसकी सहमति ली जानी बहुत जरूरी होती है। मरीज या मरीज के परिवार की सहमति के बिना उसका किसी भी तरह का उपचार नहीं किया जा सकता है। अस्पताल में मरीज के अधिकार में यह अधिकार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है जिसके बारे में अधिकांश भारतीयों को जानकारी भी होती है। हालांकि कुछ लोगों को इसके बारे में अभी भी जानकारी नहीं है और वह सोचते हैं कि डॉक्टर और अस्पताल का स्टाफ जो भी कह रहे हैं वह पत्थर की लकीर है जबकि सच्चाई इससे अलग होती (Marij ke rights) है।

अस्पताल में डॉक्टर और नर्स मरीज की सहमति के बिना उसको किसी भी तरह का उपचार या दवाई नहीं दे सकते हैं, इसके लिए मरीज व उसके घर वालों की पूर्ण सहमति ली जानी आवश्यक होती है। यही कारण है कि उसकी गंभीर बीमारी का इलाज करने से पहले डॉक्टर एक अनुबंध पर उसके घर वालों से या मरीज से हस्ताक्षर करवा लेते हैं।

गोपनीयता का अधिकार

अस्पताल में मरीज के पास अपनी गोपनीयता बनाए रखने का भी अधिकार होता है। अब जब कोई मरीज अस्पताल जा रहा है तो उसे किसी भी तरह की बीमारी हो सकती है या टेस्ट में किसी भी तरह की गंभीर बीमारी के बारे में पता चल सकता है। ऐसे में मरीज की बीमारी और उसके हो रहे उपचार के बारे में डॉक्टर और अस्पताल का अन्य स्टाफ किसी तीसरे पक्ष को जानकारी नहीं दे सकता है।

यदि उसे किसी तीसरी पक्ष के साथ मरीज या उसकी बीमारी से संबंधित जानकारी सांझा करनी है तो उसके लिए उसे मरीज से सहमति लेना अनिवार्य होता है। इसके साथ ही मरीज अपनी बीमारी और अपने हो रहे उपचार के बारे में किसको बताना चाहता है और किसको नहीं, इसकी गोपनीयता बनाए रखने का अधिकार भी मरीज के पास ही होता है।

दूसरी राय का अधिकार

भारत में रह रहे बहुत से लोग यह सोचते हैं कि यदि वह किसी अस्पताल में इलाज करवाने जा रहे हैं या उनका पहले से किसी अस्पताल में इलाज चल रहा है तो वह किसी दूसरे डॉक्टर या दूसरे अस्पताल की राय नहीं ले सकते हैं। ऐसा करने से उनका अभी का अस्पताल और वहां काम कर रहे डॉक्टर उनसे नाराज हो सकते हैं या उनका उपचार करना बंद कर सकते हैं।

ऐसे में यहां हम आपको बता दें कि मरीज को किसी दूसरे डॉक्टर या अन्य किसी जानकार अस्पताल से राय लेने का संपूर्ण अधिकार होता है। आप दूसरे से तो क्या तीसरे चौथे व्यक्ति से भी राय ले सकते हैं और उसी के अनुसार ही अपनी राय बन सकते हैं। आपको कोई भी चाहे वह किसी भी पद पर हो दूसरी राय लेने से नहीं रोक सकता है। ऐसे में मरीज स्वतंत्र होकर दूसरी राय लेने का अधिकार रखते हैं।

स्वच्छता का अधिकार

अक्सर हम समाचार चैनल और अखबार में देखते हैं कि सरकारी अस्पतालों में स्वच्छता का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा जाता है। वहां पर जगह-जगह गंदगी होती है और मरीजों को भी कहीं पर भी भर्ती कर दिया जाता है। यदि आप भी अस्पताल में अपना इलाज करवाने गए हैं और आपके पास गंदगी है और बदबू आ रही है तो आपको इसकी शिकायत करने का संपूर्ण अधिकार होता है।

यदि अस्पताल में ही गंदगी होती है तो मरीज कैसे ठीक होने की कामना कर सकता है बल्कि इससे तो मरीज का स्वास्थ्य और ज्यादा गिरता चला जाता है जो उसके जीवन पर भी संकट ला सकता है। ऐसे में मरीज को स्वच्छता का संपूर्ण अधिकार होता है। यदि अस्पताल में स्वच्छता नहीं है तो वह इसके खिलाफ अपनी शिकायत व आपत्ति दर्ज करवा सकता है। वह चाहे तो अपना अस्पताल भी बदल सकता है या भारत या राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग में इसकी शिकायत भी कर सकता है।

रिपोर्ट्स पाने का अधिकार

अस्पताल में भर्ती होने के बाद मरीज के कई तरह के टेस्ट लिए जाते हैं। यह टेस्ट अस्पताल में भी होते हैं तो अस्पताल के बाहर भी भेजे जाते हैं। ऐसे में उस मरीज के जो भी टेस्ट लिए गए हैं, उसकी जो भी रिपोर्ट्स आ रही है उन रिपोर्ट को देखना, उसका आंकलन करना और उन रिपोर्ट्स के आधार पर अपनी राय बनाने का अधिकार मरीज का होता है। वह इन रिपोर्ट्स को दूसरे अस्पताल या डॉक्टर के साथ भी सांझा कर सकता है।

आप जिस अस्पताल में भर्ती हैं उस अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ आपके साथ उस रिपोर्ट को सांझा करने में आनाकानी नहीं कर सकते हैं और ना ही आपको यह कह सकते हैं कि आप इस रिपोर्ट को दूसरे डॉक्टर को नहीं दिखा सकते हैं। वह रिपोर्ट आपकी होती है और आप उसे लेने का संपूर्ण अधिकार रखते हैं। हालांकि डॉक्टर अपने पास उसकी एक फोटो कॉपी अवश्य रख सकता है।

अस्पताल बदलने का अधिकार

यदि आप सोचते हैं कि जिस अस्पताल में आप भर्ती हैं वहां पर आपका सही से उपचार या देखभाल नहीं हो रही है या वहां पर आपका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा है तो आपको अपना अस्पताल किसी भी समय बदलने का अधिकार है। आप चाहे अपना उपचार बीच में भी छोड़ सकते हैं, यह संपूर्ण रूप से आप पर निर्भर करता है। अस्पताल या अस्पताल का मैनेजमेंट और स्टाफ आपको किसी भी रूप में बाध्य नहीं कर सकता है। वह आपको अस्पताल में बंधक बनाकर भी नहीं रख सकता है ना ही आपके ऊपर इलाज या किसी स्पेशल ट्रीटमेंट को लेने का दबाव बना सकता है।

आपको कब, कैसे और कहां पर इलाज करवाना है यह संपूर्ण रूप से आप पर निर्भर करता है। यदि आप अपना उपचार जारी रखना चाहते हैं या फिर उपचार बीच में बंद करके कहीं और जाना चाहते हैं तो यह संपूर्ण रूप से आप पर निर्भर करता है। इस पर कोई और किसी भी तरह की आपत्ति नहीं जता सकता है। वह इसलिए क्योंकि आपके शरीर पर आपका ही संपूर्ण अधिकार होता है।

शिकायत का अधिकार

ऊपर बताए गए सभी अधिकार एक मरीज के अस्पताल में मूलभूत अधिकार होते हैं जो भारत के संविधान और कानून में बताए गए हैं। यदि आपको लगता है आपके अधिकारों में से किसी भी अधिकार का हनन हो रहा है या आपकी बात नहीं सुनी जा रही है तो आप इसकी शिकायत भी दर्ज करवा सकते हैं। इसकी शिकायत आप अस्पताल के डॉक्टर या फिर अस्पताल के मैनेजमेंट को कर सकते हैं।

यदि वहां पर आपकी शिकायत की सुनवाई नहीं होती है तो आप अस्पताल की सेंट्रल वेबसाइट पर जाकर उसकी शिकायत कर सकते हैं। वहां पर भी यदि इसकी सुनवाई नहीं होती है तो आप राज्य सरकार या केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग पर भी इसकी शिकायत कर सकते हैं। आज के समय में तो अस्पताल या मरीज के अधिकार हनन होने पर उसकी ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज करवाई जा सकती है। ऐसे में आप बेफिक्र होकर अपने अधिकारों का उपयोग करें और उनका हनन होने पर अपनी आपत्ति व शिकायत दर्ज करवाएं।

अस्पताल में मरीज के क्या-क्या अधिकार होते हैं – Related FAQs

प्रश्न: रोगी के क्या अधिकार है?

उत्तर: एक रोगी के अस्पताल में जितने भी अशिकर होते हैं उनके बारे में संपूर्ण जानकारी हमने आपको इस लेख में विस्तार से दी है। आपको यह लेख पूरा और बहुत ही ध्यान से पढ़ना चाहिए।

प्रश्न: अस्पताल में मरीज के 10 अधिकार क्या हैं?

उत्तर: अस्पताल में मरीज के कुल 10 अधिकार होते हैं जिनमें से प्रत्येक अधिकार के बारे में विस्तृत जानकारी हमने इस लेख में दी है। इसके बारे में अधिक जानने के लिए आप यह लेख खोलें और उसे पढ़ें।

प्रश्न: उपचारों का अधिकार क्या है?

उत्तर: अस्पताल में उपचार के दौरान मरीज के पास सूचना, गोपनीयता, आत्म रक्षा, शिकायत इत्यादि से संबंधित कुल 10 अधिकार होते हैं जिनके बारे में हमने आपको इस लेख में बताया है।

प्रश्न: अस्पताल का मुख्य कार्य क्या है?

उत्तर: अस्पताल का मुख्य कार्य अपने यहाँ आ रहे रोगी का सही रूप में उपचार करना और उन्हें उत्तम से उत्तम स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाना होता है।

आज का यह लेख उन लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है जिन्हें बार-बार अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं या अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। साथ ही यदि आपके साथ यह समस्या नहीं आई है तो आप अपने जानने वालों के साथ या जिन्हें बार-बार अस्पताल में जाना पड़ता है उनके साथ यह जानकारी अवश्य साझा करें। यह जानकारी अस्पताल में मरीजों का अनुभव बेहतर बनाने और उन्हें उत्तम से उत्तम चिकित्सा को उपलब्ध करवाने में बहुत सहायक होगी। आशा है कि अस्पताल में मरीजों को मिले अधिकार के बारे में जानकर आपको संतुष्टि हो गई होगी।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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