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कोई भी देश तभी आगे बढ़ता है, जब वह विनिर्माण यानी मैन्युफैक्चरिंग (manufacturing) के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो। उसके आयात निर्यात में संतुलन हो। इसी के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का जोर स्वदेशी पर है। अभी तक विदेश से आयात हो रहीं वस्तुओं को स्वदेश में ही निर्मित किए जाने पर जोर दिया जा रहा है।
जैसे मोबाइल फोन एवं उसके कंपोनेंट्स को ही ले लीजिए। चीन (china) एवं साउथ कोरिया (south korea) मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग के हब हैं। अधिकांश मोबाइल फोन एवं कंपोनेंट्स वहां से हमारे देश में आयात होते हैं, लेकिन अब सरकार का जोर इनके स्वदेशी निर्माण पर है। अब उसका लक्ष्य आत्मनिर्भर बनने का है।
अन्य क्षेत्रों में भी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार पीएलआई योजना लेकर हाजिर हुई है। आज इस पोस्ट में हम आपको इसी योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
पीएलआई योजना क्या है?
दोस्तों, इससे पहले कि हम योजना के बारे में जानें, सबसे पहले आपको पीएलआई का अर्थ समझाते हैं। इसका अर्थ है प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (production linked incentive)। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, PLI Scheme का उत्पादन (production) को बढ़ाने पर जोर रहेगा। प्रोडक्शन का औसतन पांच फीसदी इन्सेंटिव के रूप में दिया जाएगा।
PLI Scheme के अंतर्गत केंद्र सरकार देश में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को अलग अलग मद में 1.97 लाख करोड़ का प्रोत्साहन देगी। इसके तहत न केवल विदेशी कंपनियों (foreign companies) को देश में आमंत्रित किया जाएगा, बल्कि मौजूदा कंपनियों को भी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की स्थापना अथवा विस्तार के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
केंद्र सरकार देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने एवं रोजगार (employment) को बढ़ावा देने के लिए इस योजना को लेकर आई है। इसके तहत भारत में आने वाले पांच साल में लगभग 520 बिलियन डाॅलर का प्रोडक्शन होने का अनुमान है।
केंद्रीय कैबिनेट ने 15 दिसंबर, 2021 को योजना को मंजूरी दी है –
आपको बता दें कि मोबाइल फोन एवं इलेक्ट्रानिक कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने मार्च, 2020 में पीएलआई स्कीम को लांच किया था। लेकिन अन्य क्षेत्रों के लिए इस स्कीम को केंद्रीय कैबिनेट ने 15 दिसंबर, 2021 को मंजूर किया है।
पिछले वर्ष की बात करें तो कोरोना काल (corona time) के दौरान भी मोबाइल फोन एवं इलेक्ट्रानिक कंपोनेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग के सेक्टर में 35 हजार करोड़ रुपए का उत्पादन हुआ। इस वर्ष भी इस सेक्टर में लगभग 1300 करोड़ रुपए का नया निवेश (investment) हुआ है।
मित्रों, आपको बता दे कि PLI Scheme पांच साल की अवधि (five years term) के लिए मंजूर की गई है, जो कि नकद प्रोत्साहन देगी। सभी सनराइज एवं महत्वपूर्ण क्षेत्रों को इस योजना में शामिल किए जाने का प्रस्ताव है।
पीएलआई योजना के लिए किन सेक्टरों का चयन
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि इस योजना को सेक्टरवाइज (sector wise) लागू किया जाएगा। योजना को फिलहाल 10 प्रमुख विशिष्ट क्षेत्रों के लिए लागू किया गया है।
इन सेक्टरों में फार्मा (pharma), टेलीकम्युनिकेशन (telecommunication), फूड प्रोसेसिंग (food processing), इलेक्ट्रानिक्स (electronics), टेक्सटाइल (textile), आटोमोबाइल (automobile) एवं आटो कंपोनेंट्स (auto components), सोलर फोटो वोल्टाइक माॅड्यूल (solar photovoltaic module), एयर कंडीशनर एवं एलईडी (LED) जैसे व्हाइट गुड्स।
किस सेक्टर में कितने निवेश की तैयारी
अब आपको जानकारी देते हैं कि पीएलआई योजना के अंतर्गत किस सेक्टर में कितना निवेश यानी investment किया जाएगा। इसका ब्योरा इस प्रकार से है –
- आटोमोबाइल एवं आटो कंपोनेंट-57,000 करोड़
- मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग एवं इलेक्ट्रानिक कंपोनेंट-40,951 करोड़
- चिकित्सा उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग एवं फार्मास्युटिकल्स-3,420 करोड़
- फार्मा एवं ड्रग सेक्टर-15,000 करोड़
- टेक्सटाइल सेक्टर-10,683 करोड़
- टेलीकाॅम नेटवर्क एवं इंफ्रास्ट्रक्चर-12,000 करोड़
- फूड प्रोडक्ट्स सेक्टर-10,900 करोड़
- सोलर फोटो वाॅल्टिक सेक्टर-4,500 करोड़
- एडवांस केमिकल सेल बैटरी-18,100 करोड़
- इलेक्ट्रानिक टेक्नोलाजी प्रोडक्शन- 5,000 करोड़
- स्पेशल स्टील-6,322 करोड़
- व्हाइट गुड्स (एसी एवं एलईडी)-6,238 करोड़
पीएलआई योजना से लाभ
दोस्तों, पीएलआई योजना के प्रथम दृष्ट्या अनेक लाभ दृष्टिगोचर हो रहे हैं। इनमें से कुछ लाभ इस प्रकार गिनाए जा सकते हैं.
- रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
- स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा मिलेगा, आयात बिलों में कटौती।
- उद्यमियों के लिए नया अवसर।
- ग्रामीण क्षेत्रों एवं छोटे शहरों का विकास होगा।
- स्वदेशी उत्पादों के दाम भी आयातित के मुकाबले कम होंगे।
- गांवों, शहरों से रोजगार के लिए होने वाला पलायन रुकेगा।
पीएलआई योजना आत्मनिर्भर बनने की ओर बड़ा कदम
दोस्तों, हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरे करने में यह योजना कारगर साबित होगी। पीएलआई योजना आत्मनिर्भर बनने की ओर बड़ा कदम है। हमारी दवाएं, वैक्सीन, व्हीकल, मोबाइल फोन आदि हमारे देश में ही बनेंगे। इससे आयात के रूप में बाहर जाने वाली विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को देश में न्योता जाएगा। जाहिर सी बात है कि इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही स्किल्ड वर्क फोर्स (skilled work force) को भी उसकी स्किल के मुताबिक कार्य मिलेगा।
आपको बता दें कि सरकार हाल ही में तकनीकी एवं मानव निर्मित फाइबर (fibre) के आयात (import) को कम करने के लिए अपने देश में ही फाइबर निर्माण को टेक्सटाइल सेक्टर में पीएलआई स्कीम लेकर आई है।
पीएलआई योजना के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों एवं छोटे शहरों पर फोकस
मित्रों, पीएलआई योजना के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों एवं छोटे शहरों पर फोकस रहेगा। यहां विभिन्न उ़द्योगों की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की जाएंगी, ताकि यहां रोजगार का दायरा बढ़े। गांवों एवं छोटे शहरों के रहने वालों को रोजगार की तलाश में अपने क्षेत्र से पलायन न करना पड़े।
उन्हें आजीविका या कह लीजिए कि दो वक्त की रोजी रोटी की तलाश में अपना गांव. घर न छोड़ना पड़े। रोजगार के अतिरिक्त ग्रामीण इलाकों एवं छोटे शहरों को यातायात, आईटी एवं अन्य संसाधनों की दृष्टि से विकसित करने में भी PLI Scheme की महती भूमिका रहेगी। स्वदेशी होने की वजह से इन वस्तुओं के दाम भी सामान्य लोगों की पहुंच में रहेंगे।
देश के एमएसएमई सेक्टर पर होगा सबसे बड़ा असर
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि पीएलआई योजना से देश को उत्पादन एवं निर्यात में तो लाभ होगा ही, इससे देश के एमएसएमई सेक्टर को तगड़ा बूस्ट मिलेगा। दरअसल, प्रत्येक सेक्टर में जो सब्सिडियरी यानी सहायक यूनिट्स बनेंगी, उनको वैल्यू चेन में नए सप्लायर बेस की आवयकता होगी। ये सहायक यूनिट्स अधिकांशतः एमएसएमई सेक्टर में ही बनेंगी।
लिहाजा, अधिकांश रोजगार ही इसी सेक्टर में सृजित होगा। इसके अतिरिक्त देश को भी वैश्विक स्तर पर निर्यात प्रतिस्पर्धा में खड़ा करने का लक्ष्य केंद्र सरकार निर्धारित करके चल रही है। इसके लिए यहां निर्मित सामान एवं उपकरणों का गुणवत्तापूर्ण होना आवश्यक होगा।
योजना को कौन लागू/ संचालित करेगा
साथियों, जैसा कि हमने आपको बताया कि यह योजना सेक्टरवाइज लागू की जाएगी। ऐसे में यह योजना संबंधित विभागों एवं मंत्रालयों द्वारा लागू की जाएगी। मसलन टेलीकम्युनिकेशन से संबंधित योजना इससे जुड़े मंत्रालय की ओर से लागू की जाएगी एवं टेक्सटाइल से संबंधित योजना इससे जुड़े विभाग अथवा मंत्रालय की ओर से लागू की जाएगी।
आपको बता दें कि पीएलआई के अंतिम प्रस्तावों यानी फाइनल प्रपोजल्स का अप्रेजल (appraisal) यानी मूल्यांकन विभिन्न क्षेत्रों के लिए बनाई गई व्यय वित्त समिति (expenditure finance committee) यानी (EFC) करेगी। इसके पश्चात इसे मंत्रिमंडल यानी कैबिनेट अनुमोदित करेगा। आपको बता दें कि किसी भी नए क्षेत्र को पीएलआई के लिए नए सिरे से कैबिनेट की मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी।
इंसेंटिव के लिए क्लेम की गणना में क्या शामिल नहीं होगा
यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि यह योजना उत्पादन पर इंसेटिव से लिंक्ड है। इस इंसेंटिव को हासिल करने के लिए जब क्लेम (claim) की गणना की जाएगी तो इसमें ट्रेडिंग (trading) और आउटसोर्स जॉब वर्क (outsource job work) के जरिए हुए टर्नओवर (turnover) को शामिल नहीं किया जाएगा।
आपको साफ कर दें कि केवल उन्हीं वस्तुओं के निर्माण के लिए कंपनी को पीएलआई योजना का फायदा मिलेगा, जिन्हें इस स्कीम के अंतर्गत शामिल किया गया है। इसके साथ ही केवल देश में रजिस्टर्ड कंपनियों को ही पीएलआई स्कीम का फायदा मिलेगा।
पीएलआई योजना के अंतर्गत किसी ग्रुप की एक ही कंपनी को शामिल किया जाएगा
साथियों, आपको बता दें कि पीएलआई योजना के अंतर्गत आने वाली कंपनियों को अपने कारखानों में प्रोसेसिंग (processing) व ऑपरेशन एक्टिविटीज करनी होगी। यदि किसी ग्रुप की कोई कंपनी पीएलआई योजना के तहत शामिल है एवं उसके किसी सामान को योजना के तहत शामिल किया गया है।
साथ ही, वही सामान ग्रुप की कोई और कंपनी भी बना रही है तो ऐसी स्थिति में ग्रुप की अन्य कंपनी द्वारा बनाए गए सामान को इस योजना के तहत शामिल नहीं माना जाएगा। यानी किसी ग्रुप की केवल एक ही कंपनी PLI Scheme के तहत लाभ ले सकेगी।
दोस्तों, हालांकि आपको बता दें कि कंपनी ग्रुप योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन के समय एक से अधिक कंपनियों के लिए आवेदन कर सकते हैं, किंतु बात जब चयन की आएगी तो उन्हें एक कंपनी को चुनना होगा।
पीएलआई की फुल फाॅर्म क्या है?
पीएलआई की फुल फाॅर्म प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (production linked incentive) है।
केंद्र सरकार यह योजना क्यों लेकर आई है?
भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने एवं रोजगार सृजित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार यह योजना लेकर आई है।
इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार विभिन्न कंपनियों को कितने करोड़ का प्रोत्साहन देगी?
इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार विभिन्न कंपनियों को करीब दो लाख करोड़ रूपये का प्रोत्साहन देगी। यह प्रोत्साहन अलग अलग मदों में होगा।
क्या यह प्रोत्साहन केवल मौजूदा इकाईयों को दिया जाएगा?
यह प्रोत्साहन मौजूदा इकाईयों के साथ ही अन्य इकाईयों की स्थापना एवं विस्तार के लिए दिया जाएगा।
पीएलआई योजना को कौन लागू करेगा?
पीएलआई योजना को संबंधित मंत्रालय/ विभाग लागू करेंगे। इस योजना के तहत लाए गए अंतिम प्रस्तावों का मूल्यांकन व्यय वित्त समिति करेगी। इसके पश्चात इसे कैबिनेट की मंजूरी आवश्यक होगी।
क्या केवल देशी कंपनियों को पीएलआई का लाभ मिलेगा?
जी नहीं, विदेशी कंपनियों को भी पीएलआई के तहत देश में यूनिट्स स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
पीएलआई से किस सेक्टर को सबसे तगड़ा बूस्ट मिलेगा?
पीएलआई योजना से भारत के एमएसएमई सेक्टर को सबसे तगड़ा बूस्ट मिलने की संभावना जताई जा रही है।
पीएलआई योजना के तहत किन क्षेत्रों पर फोकस रहेगा?
पीएलआई योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों एवं छोटे शहरों पर फोकस रहेगा।
दोस्तों, हमने आपको पीएलआई योजना की जानकारी दी। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आप छात्र अथवा उद्यमी हैं तो अपने जैसे तमाम लोगों के लिए इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें, ताकि वह भी इस योजना से लाभ उठा सकें। पोस्ट आपको कैसी लगी, आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।
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उदाहरण के लिए अगर वार्षिक सेल एक करोड़ है तों क्या 6 % के हिसाब से 6 लाख रु का इंसेंटव मिलेगा क्या ?