पॉलीग्राफ टेस्ट क्या होता है? | पॉलीग्राफ टेस्ट कैसे होता है? | Polygraph test in Hindi

Polygraph test in Hindi :- आज के समय में अपराध बहुत बढ़ गए हैं और अपराधी बहुत ही तेज दिमाग वाले हो गए हैं। बढ़ती तकनीक और आधुनिकता ने अपराध को भी नये स्तर तक पहुंचा दिया है। बहुत बार यह देखने में आता है कि पुलिस को केस सुलझाने में बहुत भागदौड़ करनी पड़ती है। वह अपराधी को पकड़ भी लेती है लेकिन न्यायालय में उसके अपराध को सिद्ध करने के लिए सुबूत व गवाह की आवश्यकता पड़ती (Polygraph test kya hota hai in Hindi) है।

यदि इनका अभाव हो जाता है तो अपराधी आसानी से छूट जाता है और सही से न्याय नहीं हो पाता है। पुलिस अपराधी या संदिग्ध से जानकारी निकलवाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाती है। इसके लिए उसे रिमांड पर भी लिया जाता है तो वहीं थर्ड डिग्री टॉर्चर भी किया जाता है लेकिन कुछ अपराधी ऐसे होते हैं जो इससे भी नहीं पिघलते हैं। ऐसे में पुलिस के द्वारा पॉलीग्राफ टेस्ट लिया जाता (Polygraph test details in Hindi) है।

ऐसे में यह पॉलीग्राफ टेस्ट क्या होता है और इसका इस्तेमाल कैसे अपराध पर अंकुश लगाने और अपराधी को दंड दिलवाने में किया जा सकता है, वह सब आप इस लेख में जानेंगे। आज के इस लेख में हम आपको पॉलीग्राफ टेस्ट के बारे में शुरू से लेकर अंत तक हरेक जानकारी विस्तृत रूप में (Polygraph test kya hai in Hindi) देंगे।

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पॉलीग्राफ टेस्ट क्या होता है? (Polygraph test in Hindi)

ईश्वर ने मनुष्य को शक्ति के साथ साथ दिमाग भी दिया है। इस धरती पर कई तरह के जीव जंतु रहते हैं लेकिन उन सभी में मनुष्य सबसे शक्तिशाली इसलिए है क्योंकि उसके पास शक्ति के साथ साथ ईश्वर के द्वारा दी गयी मेधा शक्ति, दिमाग, बुद्धि इत्यादि है जो उसे सोचने समझने व प्लानिंग करने का अवसर प्रदान करती है। यही कारण है कि सभी जीव जंतुओं में केवल मनुष्य ही इस धरती पर इतने वर्षों से राज करता आ रहा (Polygraph test kya hota hai) है।

पॉलीग्राफ टेस्ट क्या होता है Polygraph test in Hindi

अब इस शक्ति का उपयोग भी होता है तो दुरुपयोग भी जमकर होता है। जहाँ एक ओर हम इतनी उन्नति कर रहे हैं तो वहीं मनुष्य इस मेधा शक्ति का दुरुपयोग कर लोगों के साथ या किसी भी चीज़ के साथ अत्याचार करने और अपराध करने का काम करता है। जब कहीं पर अपराध होता है तो उसे पकड़ने का काम और उसे न्यायालय से दंड दिलवाने का काम पुलिस का होता है। अब होता क्या है कि पुलिस के हाथों कभी कभार ऐसे शातिर अपराधी लग जाते हैं जो अपने अपराध को मानते ही नहीं हैं और साथ ही ना उनके विरुद्ध इतने सुबूत या साक्ष्य होते हैं जो न्यायालय में उसके अपराध का दंड दिलवा (Polygraph test kya hai) सके।

तो इसके लिए पुलिस सभी तरह के हथकंडों को अपनाने के बाद पॉलीग्राफ टेस्ट का सहारा लेती है जिसके लिए उसे न्यायालय से अनुमति लेनी होती है। यह एक ऐसा टेस्ट होता है जो व्यक्ति के झूठ को पकड़ने का काम करता है। हालाँकि इसमें किसी तरह का सम्मोहन या मंत्र मुग्ध जैसा काम नहीं होता है जिसे हम हिप्नोटाइज भी कह देते हैं। इसके लिए केवल एक मशीन की सहायता ली जाती है जिसे हम पॉलीग्राफ मशीन ही कहते (What is polygraph test in Hindi) हैं।

इस मशीन में कई तरह के यंत्र लगे होते हैं जो मनुष्य के शरीर से जुड़कर उसके कई तरह के हावभाव के बारे में दिखाने का काम करते हैं। मुख्य रूप से यह मनुष्य के दिल की धड़कन, सांस लेने की गति, शरीर के हाव भाव इत्यादि का आंकलन कर स्क्रीन पर दिखाने का काम करते हैं। इसके लिए इस मशीन के कई बिन्दुओं को मनुष्य के शरीर से जोड़ दिया जाता है। फिर वह मनुष्य के द्वारा दिए जा रहे उत्तर के अनुसार स्क्रीन पर उसके हाव भाव को दिखाता है। आइये इसकी कार्य प्रणाली व अन्य चीज़ों के बारे में जान लेते हैं।

पॉलीग्राफ टेस्ट को और क्या कहते हैं? (Polygraph test other name in Hindi)

बहुत से लोग पॉलीग्राफ टेस्ट को इस नाम से नहीं बल्कि इसके दूसरे नाम से जानते हैं। आम जनता के बीच इसका दूसरा नाम ज्यादा प्रसिद्ध है क्योंकि यह इसके परिणाम या काम से ज्यादा मेल खाता है। दरअसल हम पॉलीग्राफ टेस्ट की सहायता से क्या कर रहे होते हैं? तो इसका उत्तर होगा अपराधी से सच निकलवाना या यूँ कहें कि उसके झूठ को पकड़ना। पॉलीग्राफ टेस्ट की सहायता से कोई अपराधी सच बोलने नहीं लग जाता है बल्कि इसमें उसके झूठ को पकड़ा जाता है।

ऐसे में पॉलीग्राफ टेस्ट को झूठ पकड़ने वाला टेस्ट या आधिकारिक रूप से Lie Detector Test कहा जाता है। वहीं पॉलीग्राफ मशीन को Lie Detector Machine के नाम से जाना जाता है। आपने भी इस टेस्ट का नाम सुन रखा होगा और समाचार इत्यादि में भी इसके बारे में कई बार पढ़ लिया होगा। तो यह पॉलीग्राफ टेस्ट आम जनता में Lie Detector Test के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध है।

पॉलीग्राफ टेस्ट में किसका इस्तेमाल होता है? (Polygraph test me kiska use hota hai)

अब आपने यह तो जान लिया कि पॉलीग्राफ टेस्ट को अपराधी का झूठ पकड़ने के लिए उपयोग में लिया जाता है और इसके लिए ही इसे Lie Detector Test कहा जाता है किन्तु उसके लिए किन किन यंत्रों या उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है जो अपराधी का झूठ पकड़ लेते हैं। तो इसके लिए कई तरह के यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है जो कि इस प्रकार हैं:

  • न्यूमोग्राफ ट्यूब (Pneumograph Tube): यह एक बेल्ट होती है जो व्यक्ति के सीने पर बांधी जाती है। इससे यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति के सांस लेने की दर क्या है। कि वह तेज गति से सांस ले रहा है या धीमे या फिर सामान्य तौर पर।
  • लोमब्रोसो ग्लव्स (Lombroso Gloves): यह व्यक्ति के हाथ पर पहनाये जाते हैं जो उसकी हार्ट बीट अर्थात दिल की धड़कन का पता लगाने का काम करते हैं। आम तौर पर जब व्यक्ति झूठ बोल रहा होता है तो उसके दिल की धड़कन असामान्य रूप से बढ़ जाती है और परिवर्तित हो जाती है।
  • पल्स कफ (Pulse Cuff): यह उसकी बाजु पर या अन्य किसी जगह पर लगाया जा सकता है। इससे व्यक्ति के रक्त प्रवाह या नाड़ी या पल्स रेट के बारे में जाना जाता है। झूठ बोलने पर शरीर में रक्त का प्रवाह भी ऊपर नीचे होता है।
  • गैल्वेनोमीटर (Galvanometer): यह व्यक्ति की त्वचा पर लगाया जाता है जो उसके शरीर से निकल रहे पसीने और उसके रोंगटे खड़े होने तथा त्वचा पर हो रही अन्य गतिविधि का पता लगाने में सहायता करता है।
  • रिकॉर्डिंग डिवाइस (Recording Device): यह रिकॉर्डिंग डिवाइस जो भी परिणाम आ रहे हैं, उन्हें रिकॉर्ड करने और हर एक चीज़ का डाटा या आंकड़ा रखने का काम करती है।

सामान्य तौर पर व्यक्ति का पॉलीग्राफ टेस्ट करते समय यही चीज़ें उसके शरीर के विभिन्न अंगों पर लगायी जाती है। हालाँकि समय के साथ साथ इनमें परिवर्तन देखने को मिलता है जो ज्यादा या कम या फिर और अधिक आधुनिक हो सकता है।

पॉलीग्राफ टेस्ट करने से पहले क्या करना होता है? (Polygraph test se pahle kya hota hai)

जिस भी व्यक्ति का पुलिस को पॉलीग्राफ टेस्ट करना होता है तो वह प्रक्रिया इतनी सरल नहीं होती है। इसके लिए पुलिस को पहले सभी तरह के हथकंडे अपनाने होते हैं और फिर भी अपराधी पर शक होता है या वह अपराध नहीं मान रहा होता है तो पुलिस न्यायालय का दरवाजा खटखटाती है। न्यायालय के समक्ष उसे हर तरह के प्रमाण रखने होते हैं ताकि उसे पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति मिल जाए। न्यायालय यदि उस व्यक्ति के पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति दे देता है तो उसके बाद ही पुलिस उस प्रक्रिया पर आगे बढ़ती है।

अब जब पॉलीग्राफ टेस्ट की तिथि आती है तो उससे पहले उस व्यक्ति के सभी तरह के टेस्ट लिए जाते हैं और उसके स्वास्थ्य की जांच की जाती है। इसमें मुख्य तौर पर उसके दिल की धड़कन, सांस लेने की गति, त्वचा की प्रतिक्रिया, रक्त प्रवाह, पल्स रेट इत्यादि के बारे में जानकारी ली जाती है। उसके बाद ही वह पॉलीग्राफ टेस्ट या Lie Detector Test के लिए तैयार माना जाता है।

पॉलीग्राफ टेस्ट कैसे होता है? (Polygraph test kaise hota hai)

अब हम बात करते हैं पॉलीग्राफ टेस्ट के होने के बारे में। तो जिस भी व्यक्ति का पॉलीग्राफ टेस्ट करना होता है, पहले उसे उस कक्ष में बुलाया जाता है जहाँ पर पॉलीग्राफ मशीन रखी गयी है। अब उसका Lie Detector Test करने के लिए उसे उस मशीन पर बिठाया जाता है। अब जो जो यंत्र हमने आपको ऊपर बताये थे, उन्हें उस व्यक्ति के शरीर पर लगा दिया जाता है। इसमें किसी तरह की डिवाइस को उसके पेट और सीने पर जोड़ दिया जाता है ताकि सटीक परिणाम आ (Polygraph test procedure in Hindi) सके।

उस कक्ष में पॉलीग्राफ टेस्ट को करने के लिए एक डॉक्टर, नर्स, पुलिस अधिकारी, मनोवैज्ञानिक या साइकोलोजिस्ट, अपराधी का वकील, पॉलीग्राफ मशीन का हैंडलर इत्यादि होते हैं। हालाँकि जिस कक्ष में व्यक्ति का पॉलीग्राफ टेस्ट हो रहा होता है वहां मुख्य रूप से मनोवैज्ञानिक व पॉलीग्राफ मशीन हैंडलर को ही रखा जाता है जबकि बाकि के लोग शीशे से उसे देख रहे होते (Polygraph test kaise kiya jata hai) हैं।

अब वह मनोवैज्ञानिक उस अपराधी से सामान्य प्रश्न पूछता है और मशीन पर आ रहे आंकड़ों को देखता है। इससे वह चेक करता है कि मशीन सही से काम कर रही है या नहीं और इसी के साथ ही वह अपराधी को भी संतुलित कर लेना चाहता है। फिर धीरे धीरे वह उस अपराधी से अपराध के बारे में तरह तरह के प्रश्न पूछने लगता है। अपराधी चाहे तो उसका उत्तर दे सकता है और नहीं भी लेकिन एक तरह से उस पर उत्तर देने का दबाव होता (How does the polygraph test process work in Hindi) है।

जैसे जैसे वह उत्तर देता जाता है, वैसे वैसे ही पॉलीग्राफ मशीन उसके दिल की धड़कन, साँसों की गति, शरीर से निकल रहा पसीना, रक्त चाप इत्यादि में हो रहे परिवर्तन को देखकर स्क्रीन पर दिखा रही होती है। यदि उनमें कुछ परिवर्तन होता है या उत्तर देते समय वह बढ़ जाते हैं तो अवश्य ही वह झूठ बोल रहा होता है। इसी के साथ ही मनोवैज्ञानिक उस अपराधी के द्वारा उत्तर देते समय उसके हाव भाव, बोलने की गति, हिचकिचाना, आँखों की मूवमेंट इत्यादि को भांपता है और अपना आंकलन लिखता रहता है।

जब उसके प्रश्न समाप्त हो जाते हैं तो पॉलीग्राफ टेस्ट को बंद कर दिया जाता है। हालाँकि इसमें किसी तरह का नुकसान नहीं होता है और यह कितनी भी देर के लिए जारी रखा जा सकता है। इसमें व्यक्ति बस सामान्य तौर पर एक मशीन से जुड़ा होता है और पूछे जा रहे प्रश्नों का उत्तर दे रहा होता है।

पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद क्या होता है? (Polygraph test ke baad kya hota hai)

जब उस अपराधी का पॉलीग्राफ टेस्ट हो जाता है तो उसके डाटा को रिकॉर्डर की सहायता से पुलिस को दे दिया जाता है। इसी के साथ ही उस मनोवैज्ञानिक ने अपना क्या विश्लेषण किया है, उसकी रिपोर्ट भी वह पुलिस को दे देता है। पुलिस को एक तरह से यह पता चल जाता है कि उस व्यक्ति के द्वारा अपराध किया गया है या नहीं या फिर वह अपराध में किसी तरह से जुड़ा हुआ था या नहीं।

इस तरह से पुलिस को अपराध के संगीन होने और उस व्यक्ति के अपराध से जुड़े होने के बारे में पता चलता है। एक तरह से यह पुलिस जांच का ही अंग होता है जिसके माध्यम से पुलिस आगे की जांच कर पाती है और उस केस को क्लोज करने में आगे बढ़ती है। यह पॉलीग्राफ टेस्ट कोर्ट में मान्य नहीं होता है क्योंकि इसके परिणाम को कोर्ट अंतिम परिणाम नहीं मानता है। आइये इसके बारे में भी जान लेते हैं।

क्या पॉलीग्राफ टेस्ट कोर्ट में मान्य होता है? (Polygraph test results used as evidence in Hindi)

आप यह भी जान लें कि पॉलीग्राफ टेस्ट के परिणाम को पुलिस न्यायालय में साक्ष्य के तौर पर पेश नहीं कर सकती है क्योंकि न्यायालय में यह मान्य नहीं है। इस टेस्ट को पुलिस केवल अपराध की गहराई में जाने और जांच को आगे बढ़ाने में इस्तेमाल में ले सकती है। यदि पॉलीग्राफ टेस्ट में यह दिखाया गया है कि अपराधी झूठ बोल रहा है और उसने वह अपराध किया है तो भी इसे अंतिम परिणाम के रूप में न्यायालय नहीं (Polygraph test as evidence in Hindi) मानेगी।

एक तरह से कहा जाए तो यह पॉलीग्राफ टेस्ट या Lie Detector Test न्यायालय के सहयोग के लिए नहीं बल्कि पुलिस के सहयोग के लिए ही होता है। पुलिस जब उस अपराध से जुड़ी जांच कर रही होती है और उसे कुछ प्रश्नों के उत्तर चाहिए जो उसके पास पहले से हैं और अपराधी उस पर सही जवाब नहीं दे रहा है तो पुलिस केवल उसके बारे में पता लगाने के लिए अपराधी से सवाल जवाब करती है।

पॉलीग्राफ टेस्ट के परिणाम के अनुसार पुलिस अपनी जांच को आगे बढ़ाती है ताकि वह अंतिम परिणाम तक पहुँच सके और कोर्ट में साक्ष्य पेश कर सके। इस तरह से आप पॉलीग्राफ टेस्ट को यह मानकर मत चलें कि यह कोर्ट में किसी के विरुद्ध इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि कोर्ट इसे मानेगी ही नहीं। हां, यह अवश्य पुलिस को जांच आगे बढ़ाने और हकीकत तक पहुँचने में बहुत मदद करता है।

पॉलीग्राफ टेस्ट कितना सटीक परिणाम देता है? (Polygraph test accuracy in Hindi)

ज्यादातर मामलों में पॉलीग्राफ टेस्ट का परिणाम बहुत सटीक होता है तभी पुलिस के द्वारा यह किया जाता है। अब ऐसे व्यक्ति या अपराधी बहुत कम ही होते हैं जो एक साथ सभी चीज़ों को नियंत्रित या प्रतिबंधित कर सकें। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि व्यक्ति झूठ बोल रहा है तो वह एक साथ अपने द्वारा सांस लेने की गति, रक्त प्रवाह, दिल की धड़कन इत्यादि को नियंत्रित नहीं कर पाता (Polygraph test results accuracy in Hindi)  है।

ऐसे में अक्सर वह पकड़ में आ जाता है और पुलिस को अहम सुराग मिल जाता है। जो बात पुलिस को थर्ड डिग्री टॉर्चर से नहीं पता चल पा रही थी, वह अक्सर इस Lie Detector Test से समझ में आ जाती है जिससे वह आगे बढ़ पाती है। इस तरह से बहुत बार यह सटीक परिणाम देकर जाता है जो उस अपराधी को दंड देने में बहुत सहायता करता (Are polygraph tests 100 accurate in Hindi) है।

क्या पॉलीग्राफ टेस्ट भी गलत हो सकता है? (Can polygraph test be wrong in Hindi)

अंत में आप यह भी जान लें कि क्या पॉलीग्राफ टेस्ट भी गलत हो सकता है या अपराधी इसे भी प्रभावित कर सकता है। तो इसका उत्तर है हां क्योंकि अपराधी कई तरह के तरीकों के माध्यम से इसे प्रभावित कर सकता है। यदि व्यक्ति का अपने शरीर और मन पर पूरा नियंत्रण है और वह बहुत ज्यादा सोच समझ कर और अपने दिमाग को ठंडा रखकर पॉलीग्राफ टेस्ट देता है तो अवश्य ही परिणाम को प्रभावित किया जा सकता (Reasons for failing a polygraph test in Hindi) है।

वहीं कोई कोई अपराधी ऐसा भी करते हैं कि वे पूरे पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान ही अपने दिल की धड़कन, सांस लेने की गति इत्यादि को बढ़ा देते हैं ताकि इसके अंतिम परिणामों में गड़बड़ आ सके। अब वह सच बोलते हुए भी घबरा रहा है और झूठ बोलते हुए भी तो पुलिस के लिए दोनों के बीच में अंतर समझना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में बहुत से अपरधियों पर यह पॉलीग्राफ टेस्ट या Lie Detector Test भी काम नहीं आता है।

पॉलीग्राफ टेस्ट क्या होता है – Related FAQs 

प्रश्न: पॉलीग्राफी टेस्ट क्या है हिंदी में?

उत्तर: यह एक ऐसा टेस्ट होता है जो व्यक्ति के झूठ को पकड़ने का काम करता है।

प्रश्न: पॉलीग्राफ टेस्ट क्यों किया जाता है?

उत्तर: पॉलीग्राफ टेस्ट की सहायता से पुलिस अपराधी से सवाल जवाब कर उसके झूठ को पकड़ती है और अपनी जांच आगे बढ़ा पाती है।

प्रश्न: पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद क्या होता है?

उत्तर: जब अपराधी का पॉलीग्राफ टेस्ट हो जाता है तो उसके डाटा को रिकॉर्डर की सहायता से पुलिस को दे दिया जाता है। इसी के साथ ही मनोवैज्ञानिक ने अपना क्या विश्लेषण किया है, उसकी रिपोर्ट भी वह पुलिस को दे देता है।

प्रश्न: पॉलीग्राफ रिजल्ट कैसा दिखता है?

उत्तर: पॉलीग्राफ टेस्ट में जैसे ही वह उत्तर देता है, वैसे ही पॉलीग्राफ मशीन उसके दिल की धड़कन, साँसों की गति, शरीर से निकल रहा पसीना, रक्त चाप इत्यादि में हो रहे परिवर्तन को देखकर स्क्रीन पर दिखा रही होती है। यदि उनमें कुछ परिवर्तन होता है या उत्तर देते समय वह बढ़ जाते हैं तो अवश्य ही वह झूठ बोल रहा होता है।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने पॉलीग्राफ टेस्ट के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल कर ली है। साथ ही आपने जाना कि पॉलीग्राफ टेस्ट कैसे होता है इसमें किसका इस्तेमाल होता है और पॉलीग्राफ टेस्ट कोर्ट में मान्य होता है या नहीं। आशा है कि पॉलीग्राफ से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष हो तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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