POS क्या होता है? | POS की फुल फॉर्म व यह कैसे काम करती है? | POS kya hota hai

POS kya hota hai: यदि आप कहीं पर खरीदारी करने जाते हैं तो वहां आपके सामने भुगतान करने के तीन विकल्प होते हैं। पहले विकल्प के तहत आप उन्हें कैश में पेमेंट कर सकते हैं। दूसरे तरीके के तहत आप उन्हें ऑनलाइन UPI के माध्यम से पेमेंट कर सकते हैं। अब जो तीसरा माध्यम है वह है अपने क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड के माध्यम से उन्हें पेमेंट करना। जब ऑनलाइन पेमेंट करने की शुरुआत हुई थी तब कार्ड के माध्यम से पेमेंट करने की सुविधा बहुत चलन में थी और आज भी बहुत जगह इसी के माध्यम से भुगतान होता (POS kya hota h in Hindi) है।

हालाँकि अब लोग अपने स्मार्ट फोन व इंटरनेट की सहायता से क्युआर कोड को स्कैन करके ही पेमेंट कर देते हैं और कार्ड का इसमें कोई रोल नहीं रह जाता है। किन्तु जो लोग कार्ड के माध्यम से पेमेंट करते हैं तो उसके लिए एक मशीन की जरुरत होती है। आप भी जब कहीं खरीदारी करने जाते हैं फिर चाहे वह होटल हो या मॉल या कहीं और, तो वहां आपने ऐसी ही मशीन रखे हुए देखी होगी जो ऑनलाइन भुगतान करने के काम आती (Point of sale kya hai) है।

इन मशीन को POS कहा जाता है। ऐसे में यह POS का क्या मतलब होता है और किस तरह से इसका इस्तेमाल किया जाता है, आज हम आपको इसी के बारे में ही बताने वाले हैं। आज के इस लेख को पढ़कर आपको इस POS के बारे में समूची जानकारी मिलने वाली है। तो आइये जाने किस तरह से यह POS मशीन सभी के लिए एक बहुत ही कामगार उपकरण बन गयी (POS ke bare mein jankari) है।

POS क्या होता है? (POS kya hota h)

सबसे पहले तो आप POS की फुल फॉर्म जान लीजिये। तो POS की फुल फॉर्म पॉइंट ऑफ सेल (Point Of Sale) होती है। अब इसे हम हिंदी में समझाना चाहें तो इसे हम बिक्री का केंद्र कह सकते हैं। अब इसे यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि जहाँ पर भी यह मशीन रखी गयी होती है, वहां पर पैसों का लेनदेन इसी के माध्यम से ही किया जा रहा होता है। ऐसे में यह उस दुकान या जगह के लिए बिक्री का केंद्र हो जाती है जिसके माध्यम से पैसों का लेनदेन संभव बनाया जा रहा (What is POS in Hindi) है।

POS kya hota hai

इस मशीन को उस जगह पर रखा जाता है जहाँ पर व्यापार का काम चल रहा हो। अब वह चाहे किसी उत्पाद की बिक्री करने से संबंधित हो या फिर कोई सेवा देने के ऊपर। उत्पाद या सेवा के लिए जो भी मूल्य निर्धारित किया गया है, उसी के आधार पर ही इस POS के माध्यम से पैसों का लेनदेन किया जाता है। हालाँकि यह ग्राहक पर निर्भर करता है कि वह किस तरीके से भुगतान करना चाहता है। वह चाहे तो इस POS के माध्यम से भी भुगतान कर सकता है या फिर कैश या UPI के माध्यम से भी पेमेंट कर सकता (POS system in Hindi) है।

यह POS मशीन उस मर्चेंट या दुकानदार के बैंक खाते से जुड़ी हुई होती है। इसमें एक कार्ड रीडर लगा हुआ होता है जो ग्राहकों के कार्ड को रीड करने का काम करता है। आज के समय में तो वाई फाई से ही कार्ड को रीड करने वाली मशीन भी आ गयी है जिसमें कार्ड को अंदर ही नहीं डालना होता है। अब इस कार्ड रीडर के माध्यम से ही यह POS मशीन उसकी सब जानकारी ले लेती है और भुगतान करवा देती (POS kya hai) है।

इसके लिए आपको POS मशीन की प्रक्रिया के बारे में भी जान लेना चाहिए ताकि आप इसकी कार्य प्रणाली को बेहतर रूप में समझ सकें। आइये जाने POS के द्वारा किस तरह से भुगतान किया जाता है और यह किस रूप में संभव हो पाता (POS kya hota hai) है।

POS की फुल फॉर्म क्या है? (POS full form in Hindi)

यहाँ हम आपको POS की फुल फॉर्म भी बता देते हैं। यह अंग्रेजी भाषा का एक शब्द है जिसमें हरेक शब्द का अपना अलग अर्थ है। ऐसे में POS की फुल फॉर्म पॉइंट ऑफ सेल होती है जिसे इंग्लिश में Point Of Sale के रूप में लिखा जाता है। वहीं यदि आप इसका हिंदी अर्थ जानना चाहते हैं तो इसे हिंदी में बिक्री का केंद्र कहा जाएगा। आइये शब्द दर शब्द इसका अर्थ जान लेते हैं।

  • P – Point / केंद्र
  • O – Of / का
  • S – Sale / बिक्री

अब हिंदी में तो यह अंत से शुरू होता है जबकि अंग्रेजी में तो यह अपने अनुसार ही शुरू (Full form of POS in Hindi) होगा। अब इसे बिक्री का केंद्र या पॉइंट ऑफ सेल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर ही लेनदेन से जुड़े सभी कार्य किये जा रहे हैं। जिस प्रकार पहले दुकानों में पैसों का एक गल्ला रखा होता था और उसमें से ही कैश का लेनदेन किया जाता था, ठीक उसी तरह इस POS मशीन की सहायता से पैसों का कार्ड के माध्यम से लेनदेन किया जा रहा है।

POS कैसे काम करती है? (POS kaise kaam karti hai)

अब आपको POS की कार्य प्रणाली के बारे में भी जान लेना चाहिए। कहने का अर्थ यह हुआ कि इस छोटी सी मशीन की सहायता से किस प्रकार पैसों का लेनदेन ऑनलाइन ही संभव हो पाता है, यह जानना भी बहुत रोचक है। तो आइये जाने किस प्रकार यह POS मशीन काम करती है।

  • POS को काम करने के लिए इंटरनेट कनेक्शन की जरुरत होती है। अब वह इस POS मशीन के प्रकार पर निर्भर करता है कि उसे सीधे इंटरनेट की तार से जोड़ा जाना जरुरी है या वह वाई फाई पर काम कर सकती है।
  • इंटरनेट कनेक्शन के साथ ही इसके अंदर कार्ड रीडर लगा हुआ होना चाहिए जहाँ पर ग्राहकों के क्रेडिट या डेबिट कार्ड को रीड किया जाएगा। अब यदि इसमें कार्ड रीडर ही नहीं है तो ऑनलाइन भुगतान संभव ही नहीं होगा।
  • इसके अंदर स्लिप का रोल भी होना चाहिए। यदि आपने कभी कार्ड से पेमेंट की है तो अवश्य ही आपने यह देखा होगा कि उसमें पेमेंट होने के बाद एक पर्ची प्रिंट होकर निकलती है। यह कुल दो पर्ची होती है जिसमें से एक पर्ची ग्राहक को दी जाती है तो एक पर्ची विक्रेता अपने पास रखता है।
  • POS से भुगतान करने के लिए सबसे पहले तो विक्रेता आपसे आपका क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड मांगता है। अब उस कार्ड को POS के कार्ड रीडर में डाला जाता है। POS मशीन उस कार्ड को रीड करती है और उसके बाद आगे बढ़ती है।
  • अब वह विक्रेता से पूछती है कि ग्राहक से कितने रुपये की राशि का भुगतान लिया जाना है। विक्रेता उस मशीन में राशि को दर्ज कर देता है और आगे बढ़ता है।
  • अब मशीन के द्वारा उस ग्राहक से पिन नंबर माँगा जाता है जो उस कार्ड का एटीएम पिन होता है। इसके लिए विक्रेता उस मशीन को ग्राहक को दे देता है और ग्राहक छुपके से उसके अंदर अपना पिन डाल देता है।
  • पिन के डालने के बाद ओके प्रेस करना होता है और उसके बाद पैसे ग्राहक के बैंक से कटकर विक्रेता के बैंक खाते में आ जाते हैं।
  • जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो POS मशीन से एक स्लिप बाहर आ जाती है जो उस पूरी प्रक्रिया का प्रमाण होती है। अब इस स्लिप को विक्रेता ग्राहक को दे देता है और अपने लिए भी एक और स्लिप निकाल लेता है।

तो इस तरह से POS मशीन की सहायता से ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया संभव हो पाती है। यदि किसी कारणवश भुगतान असफल हो जाता है तो यह POS मशीन की स्क्रीन पर लिखा हुआ दिख जाता है और साथ ही स्लिप भी बाहर नहीं आती है। भुगतान असफल होने के कई कारण हो सकते हैं जो उस समय की स्थिति और कार्ड के बैलेंस पर निर्भर करते हैं।

POS सिस्टम के प्रकार (POS system types in Hindi)

अभी तक आपने भी कई तरह की POS मशीन को देख लिया होगा क्योंकि इनमें समय के साथ साथ परिवर्तन देखने को मिल रहा है। ऐसे में आज के समय में कई तरह की POS मशीन आ चुकी है और उसके यहाँ मिलने वाली सुविधाएँ भी अलग अलग होती है। ऐसे में हम एक एक करके आपको हर तरह के POS सिस्टम के बारे में जानकारी देने वाले हैं।

पारंपरिक POS

यह POS मशीन सबसे पुरानी वाली और पारंपरिक POS होती है जो बहुत पहले सभी के द्वारा उपयोग में लायी जाती थी। कहने का अर्थ यह हुआ कि जब दुनिया में POS आयी ही थी तब से ही इसका उपयोग होना शुरू हो गया था। आज भी अधिकांश छोटी दुकानों या मध्यम दर्जे के व्यापार में इसी तरह की POS मशीन का ही उपयोग किया जाता है। इन्हें चार्ज करने की जरुरत होती है और यह बैटरी बैकअप पर चलती है।

वाई फाई आधारित POS मशीन

इस तरह की मशीन वाई फाई पर काम करती है। ऐसे में इसे कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है और अपने साथ लेकर भी जाया जा सकता है। चूँकि इसका कनेक्शन सीधे इंटरनेट से होता है तो ग्राहक को भी इसमें कोई दिक्कत नहीं होती है।

स्कैन वाली POS मशीन

अब यदि आप किसी बड़े रेस्टोरेंट या फ्रैंचाइज़ी वाले किसी रेस्टोरेंट या होटल में जाते हैं तो वहां बिलिंग करते समय आपके सामने रखी POS पर एक कोड दिखाई देता है। आप अपने स्मार्ट फोन से सीधे उस कार्ड को स्कैन कर भुगतान कर देते हैं या उसमें अपना कार्ड डालकर भी भुगतान कर सकते हैं। तो यह POS मशीन में एक आधुनिक मशीन है जिसमें पैसों को अलग से डालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

मोबाइल POS मशीन

आज के समय में छोटी छोटी POS मशीन भी आ चुकी है जो मोबाइल जैसे आकार की होती है। आपने देखा होगा कि पहले की तुलना में भारी भरकम POS सिस्टम की बजाये लोग अब छोटी व सुविधाजनक POS सिस्टम को अपने यहाँ रखने लगे हैं। हालाँकि इनका ज्यादा ध्यान रखे जाने की जरुरत होती है और इसी कारण यह अभी भी इतनी प्रचलन में नहीं है।

क्लाउड POS मशीन

यह भी इंटरनेट व वाई फाई से जुड़ी हुई होती है लेकिन इसमें आप क्लाउड के कारण कार्ड को बिना मशीन में डाले ही पेमेंट कर सकते हैं। इन्हें टैप एंड पे मशीन भी कहा जाता है क्योंकि आपको अपने कार्ड को इस मशीन पर बस टैप करना होता है और भुगतान हो जाता है। यह मशीन भी आजकल बहुत चलन में है।

ऐसे ही और भी कई तरह की POS मशीन बाजार में चलन में है और रह रहकर इनमें नया नया अपडेट आता जा रहा है। हालाँकि लोगों के द्वारा अपने स्मार्ट फोन से सीधे QR कोड को स्कैन करके ही भुगतान करना पसंद किया जाता है। ऐसे में यह भविष्य में गायब भी हो सकती है क्योंकि तब इसकी कोई जरुरत ही नहीं रहेगी।

POS के फायदे (POS benefits in Hindi)

अब इस POS मशीन के क्या कुछ फायदे देखने को मिलते हैं और क्यों हर दुकानदार के द्वारा इसका इस्तेमाल किया जा रहा है, इसके बारे में जान लेना चाहिए। हालाँकि इस मशीन का उपयोग इतने वर्षों से हो रहा है और आपने भी इसके माध्यम से ऑनलाइन भुगतान किया होगा, ऐसे में आपको तो इसके फायदे अच्छे से पता ही होंगे। फिर भी हम इन्हें एक एक करके आपके सामने रख देते (POS system ke fayde) हैं।

  • POS से भुगतान करना एक सीधा और सरल माध्यम है। इसके जरिये ऑनलाइन भुगतान को बढ़ावा मिल रहा है और लोगों को अपनी जेब में ज्यादा कैश लेकर भी नहीं चलना पड़ता है।
  • कैश में लोगों को खुल्ले पैसों का बहुत चक्कर पड़ता था जो सभी के लिए ही चिंताजनक था। यह ना ही ग्राहक और ना ही उपभोक्ता के लिए अच्छा होता था। ऐसे में POS मशीन की सहायता से इस चिंता से मुक्ति मिली है।
  • इसमें पैसों की चोरी हो जाने का भी डर नहीं रहता है। अब जब पैसा कार्ड में है तो वह तो आप जब पेमेंट करेंगे तभी होगी। कार्ड के गुम होने पर भी कोई उससे पैसे नहीं निकाल (POS benefits in Hindi) पायेगा।
  • अब जब भुगतान ऑनलाइन हो रहे हैं तो इससे पैसों के लेनदेन में भी पारदर्शिता आती है। सरकार के पास सभी तरह का आंकड़ा रहता है और वह गलत लेनदेन पर नज़र बनाये रखती है।
  • यह ग्राहकों को भी अधिक सुविधा प्रदान करता है और उसे जल्दी खरीदारी करने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्हें बार बार एटीएम नहीं जाना पड़ता है और वे ऑनलाइन ही भुगतान करने में सक्षम होते हैं।

इस तरह से POS मशीन के अपने कई तरह के फायदे देखने को मिलते हैं जो व्यक्ति विशेष के अनुसार भिन्न भिन्न भी हो सकते हैं। एक तरह से इसने विक्रेता और ग्राहक दोनों के लिए ही खरीदारी करने और भुगतान करने की प्रणाली को सरल व सुविधाजनक बनाने का काम किया है।

POS के नुकसान (POS ke nuksan)

अब आपको POS प्रणाली से होने वाले कुछ नुकसान के बारे में भी जान लेना चाहिए। हालाँकि आप इन्हें बचाव या सावधानी के तौर पर भी ले सकते हैं क्योंकि जितने ज्यादा आप सतर्क रहेंगे उतना ही नुकसान होने की संभावना घट जाती है। ऐसे में POS मशीन में धोखाधड़ी से बचाव के कुछ तरीके या इसके नुकसान इस प्रकार (POS disadvantages in Hindi) हैं।

  • जब भी आप POS मशीन की सहायता से भुगतान करने जा रहे हो तो इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि कार्ड रीडर में कुछ अलग से चीज़ ना लगी हो। कई जालसाज इस POS मशीन में कार्ड रीडर में एक अलग सी मशीन लगा देते हैं जो आपके कार्ड का क्लोन तैयार कर आपके बैंक खाते से पैसे उड़ा सकते हैं।
  • आप जब भी POS की सहायता से ऑनलाइन पेमेंट कर रहे होंगे तो आपको अपना पिन वहां पर डालना होगा। पिन डालते समय इस बात का ध्यान रखें कि ना ही विक्रेता और ना ही किसी अन्य ग्राहक या व्यक्ति की नज़र उस मशीन पर होनी चाहिए। कहने का अर्थ यह हुआ कि उन्हें आपके कार्ड का पिन नहीं पता चलना चाहिए।
  • अब बहुत से दुकानदार और भी ज्यादा शातिर हो गए हैं और वे एकदम वहीं कैमरा या cctv लगाकर रखते हैं जहाँ पर ग्राहकों को POS से भुगतान करने के लिए अपना पिन डालना होता है। ऐसे में आप पिन डालते समय यह भी देखें कि ऊपर लगे CCTV की नज़र सीधे उसके ऊपर ही ना हो।
  • कई बार यह भी देखने में आता है कि किसी तकनीकी कमी के कारण भुगतान करते समय पैसा अटक जाता है या पेमेंट नहीं हो पाती है। ऐसे में आपको भी वेट करना पड़ता है या बैंक से संपर्क करना होता है।
  • बहुत बार इसमें इंटरनेट की समस्या भी देखी जाती है और इस कारण POS सिस्टम ठीक से काम नहीं करता है। या फिर वह चार्ज की हुई नहीं होती है या उसमें स्लिप ही खत्म हो जाती है।

अब POS आखिरकार है तो एक मशीन ही और इसमें किसी भी समय किसी भी तरह की कमी आ सकती है। इन्हीं कमियों के कारण ही POS मशीन में तरह तरह के अपडेट आ रहे हैं और इसे अधिक आधुनिक बनाने पर काम चल रहा है। इसी के साथ ही लोग अब सीधे अपनी ऑनलाइन पेमेंट ऐप के माध्यम से ही भुगतान करना पसंद कर रहे हैं।

POS क्या होता है – Related FAQs

प्रश्न: POS का मतलब क्या होता है?

उत्तर: POS की फुल फॉर्म प्वाइंट ऑफ सेल है जिसे हिंदी में बिक्री का केंद्र कहा जाता है।

प्रश्न: पीओएस का उपयोग कैसे करें?

उत्तर: इसके बारे में जानकारी आप ऊपर का लेख पढ़ कर प्राप्त कर सकते हो।

प्रश्न: पोस का पूरा नाम क्या है?

उत्तर: पोस का पूरा नाम प्वाइंट ऑफ सेल होता है।

प्रश्न: पीओएस कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: पीओएस के प्रकारों के बारे में जानकारी आप ऊपर का लेख पढ़ कर प्राप्त कर सकते हो।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि POS क्या होता है। साथ ही आपने POS से संबंधित अन्य जानकारी भी इस लेख के माध्यम से ली है जैसे कि POS कैसे काम करती है इसके प्रकार क्या हैं और इसके लाभ और नुकसान क्या हैं इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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