|| पोजीशनल ट्रेडिंग कैसे करे? | Positional trading kaise kare | Positional trading kya hota hai | पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है? | पोजीशन ट्रेड कब तक है? | पोजीशनल ट्रेडिंग के फायदे | Positional trading period in Hindi | Positional trading tips in hindi | Positional trading kya hota hai ||
Positonal trading kya hai :- शेयर बाजार में पैसा लगाना और निवेश करना अलग अलग बात होती है। इसे दो शब्दों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। एक होता है ट्रेडिंग और दूसरा निवेश करना। अब ट्रेडिंग में आप पैसा शेयर बाजार में एक निश्चित समय अवधि के लिए ही लगाते हैं जबकि निवेश में आप किसी कंपनी का एक तरह से हिस्सा खरीदते हैं और वो भी लंबी अवधि के लिए।
अब ट्रेडिंग में भी शेयर को खरीदने और बेचने की अवधि के अनुसार कई तरह के प्रकार देखने को मिलते हैं। यह समय अवधि कुछ सेकंड, कुछ मिनट, कुछ दिन या महीनो या वर्ष की हो सकती (Positional trading kya hota hai) है। तो इन अवधि के अनुसार ही ट्रेडिंग को अलग अलग नाम दिए गए हैं जिनमे से एक पोजीशनल ट्रेडिंग भी है। तो यहाँ हम आज पोजीशनल ट्रेडिंग के बारे में ही बात करने वाले हैं और आपको इसके बारे में विस्तार से समझाने वाले हैं।
आज के इस लेख में आपको पोजीशनल ट्रेडिंग के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण जानकारी मिलने वाली है ताकि यदि आप पोजीशनल ट्रेडिंग में पैसा लगाना चाह रहे हैं तो आप पूरी जानकारी के साथ उसमे अपना धन निवेश (Positional trading tips in hindi) कर सके। यदि आप पोजीशनल ट्रेडिंग के बारे में जानकर शेयर बाजार में पैसा लगाएंगे तो यकीनन आपकी आय बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी और आप दिन प्रतिदिन खूब पैसा कमाने लगेंगे।
पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है? (Positional trading kya hai)
सबसे पहले बात की जाए पोजीशनल ट्रेडिंग की परिभाषा के बारे में। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके बारे में जानने से पहले या इसको करने से पहले इसकी परिभाषा का ज्ञान ले लिया जाए तो यह आपके लिए भी सही रहेगा और आपकी आर्थिक स्थिति के लिए भी। तो पोजीशनल ट्रेडिंग की परिभाषा के अनुसार यदि किसी शेयर को ना तो छोटी अवधि के लिए होल्ड किया जाए और ना ही एक इतनी लंबी अवधि के लिए होल्ड किया जाए तो उसे पोजीशनल ट्रेडिंग के अंतर्गत माना जाता है।
अब कुछ शेयर धारक अपने शेयर उसी दिन लेकर बेच देते हैं तो उसे इंट्रा डे ट्रेडिंग कह देते है जबकि उसी शेयर को एक दिन या उससे अधिक दिनों में बेचा जाए तो उसे स्विंग ट्रेडिंग कहा (What is meant by positional trading in Hindi) जाता है। अब यदि शेयर को कुछ सप्ताह के लिए भी अपने पास रखा जाए तो भी वह स्विंग ट्रेडिंग के अंतर्गत ही आता है। वही यदि उस शेयर की समय अवधि कुछ सप्ताह से बढ़कर महीने में परिवर्तित हो जाए तो इसका अर्थ हुआ कि वह पोजीशनल ट्रेडिंग के निहित आ चुका है।
तो इस तरह से यदि किसी शेयर को खरीद कर उसे कम से कम एक माह के लिए अपने पास रख कर बेचा जा रहा है तो इसका अर्थ हुआ उस शेयर के ऊपर पोजीशनल ट्रेडिंग की जा (Positional trading tips in hindi) रही है। अब इसकी भी एक निश्चित अवधि होती है क्योंकि एक समय के बाद शेयर को अपने पास रखने पर वह पोजीशनल ट्रेडिंग से हटकर निवेश में गिना जाता है। तो यह समय सीमा 1 वर्ष तक की होती है। आइए इसके बारे में भी जान लेते हैं।
पोजीशनल ट्रेडिंग की समय सीमा क्या है? (Positional trading period in Hindi)
अब यदि आप सोच रहे हैं कि आप किसी शेयर को एक महीने से ज्यादा समय तक तो रख लेंगे लेकिन उसे पोजीशनल ट्रेडिंग में रखने के लिए अधिकतम समय सीमा (Positional trading time frame in Hindi) क्या होगी। क्या इसे आप चिरकाल तक या कई वर्षों तक अपने पास रख सकते हैं और फिर भी यह पोजीशनल ट्रेडिंग के अंतर्गत ही माना जाएगा? तो यहाँ हम आपको पहले ही बता दे की किसी भी ट्रेडिंग की एक समय सीमा होती है और इसी कारण उसे ट्रेडिंग की संज्ञा दी गयी है।
अब पोजीशनल ट्रेडिंग भी तो ट्रेडिंग का ही एक भाग है तो इसकी भी एक निश्चित समय सीमा होगी। तो पोजीशनल ट्रेडिंग में आप किसी भी शेयर को न्यूनतम 1 माह के लिए रख सकते हैं और अधिकतम इसकी समय सीमा 1 वर्ष की होगी। तो यदि आप किसी शेयर को एक माह से लेकर एक वर्ष के भीतर खरीद कर बेच दे रहे हैं तो उसे पोजीशनल ट्रेडिंग के अंतर्गत माना जाएगा।
पोजीशनल ट्रेडिंग व निवेश में अंतर (Positional trading vs investing in Hindi)
अब जब आप पोजीशनल ट्रेडिंग के बारे में जान ही रहे हैं तो आपको इसके और निवेश के बीच के अंतर को भी समझना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि बहुत से लोग पोजीशनल ट्रेडिंग को निवेश से जोड़कर देख लेते है जो कि गलत है। अब आपके और हमारे लिए निवेश क्या होता है? निवेश वह होता है जो धन किसी चीज़ पर लंबी अवधि के लिए लगाया जाए। तो पोजीशनल ट्रेडिंग में भी तो धन को किसी शेयर पर एक लंबी अवधि के लिए लगाया जा रहा है तो क्या यह भी निवेश ही नही होगा?
यदि आपके मन में यही शंका है तो उसका समाधान करते हुए आज हम आपको यह बता दे कि पोजीशनल ट्रेडिंग और निवेश में एक छोटा सा अंतर होता है। निवेश वह होता है जिसमे आप किसी चीज़ पर धन को एक वर्ष से अधिक समय के लिए लगाते हैं। फिर चाहे वह चीज़ कोई भी क्यों ना हो लेकिन यदि आप उस पर कई वर्षों के लिए धन लगा रहे हैं तो इसका अर्थ हुआ आप उस पर निवेश कर रहे हैं। किंतु पोजीशनल ट्रेडिंग में आपने उस पर एक वर्ष से कम समय के लिए धन को लगाया है तो वह पोजीशनल ट्रेडिंग में आता है, ना कि निवेश में।
पोजीशनल ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में अंतर (Positional trading vs Swing trading in Hindi)
चूँकि ट्रेडिंग के दो मुख्य प्रकार होते है तो इसमें भी अंतर समझना आपके लिए आवश्यक है। यह अंतर भी उनकी समय सीमा को लेकर ही है। अब चूँकि दोनों ही ट्रेडिंग का एक रूप है तो दोनों में एक न्यूनतम व एक अधिकतम समय सीमा तो होगी ही किंतु वह किसके लिए कितनी है, यह जानना भी तो उतना ही आवश्यक है। ताकि आप दोनों के बीच झंझट वाली स्थिति में ना पड़ जाए।
तो पोजीशनल ट्रेडिंग की समय सीमा तो आपने जान ली जो एक माह से लेकर एक वर्ष तक की अवधि के बीच की होती है। वही यदि आप स्विंग ट्रेडिंग की समय सीमा की बात करे तो वह एक दिन से लेकर 3 सप्ताह के बीच तक की (Difference between positional trading and swing trading in Hindi) होती है। ऐसे में जिस शेयर को बेचने की समय सीमा तीन सप्ताह से ऊपर जाकर एक माह तक पहुँच जाए तो वह शेयर स्विंग ट्रेडिंग से निकल कर पोजीशनल ट्रेडिंग में आ जाता है।
पोजीशनल ट्रेडिंग कैसे करे? (Positional trading kaise kare)
पोजीशनल ट्रेडिंग को करने के लिए आपको सबसे पहले शेयर मार्किट को बारीकी से समझना होगा क्योंकि इसमें एक भी चूक आपके ऊपर बहुत भारी पड़ सकती है। हालाँकि ज्यादातर निवेशक शेयर बाजार में पोजीशनल ट्रेडिंग ही करते हैं क्योंकि इसमें खतरे की संभावना बहुत ही कम होती है और ना ही इस पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है। आप किसी कंपनी की वैल्यू और उसकी बाजार में स्थिति और ब्रांड नाम के अनुसार उस पर पोजीशनल ट्रेडिंग करना शुरू कर सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर रिलायंस या टाटा ऐसी कंपनियां है जिन पर पोजीशनल ट्रेडिंग करना बहुत ही सही माना जाता है। अब यह कंपनियां समय के साथ साथ बढ़ती ही चली जाती है और उनका शेयर प्राइज भी बढ़ता है। ऐसे में यदि आप अपना पैसा इन कंपनियों पर पोजीशनल ट्रेडिंग के रूप में लगाते हैं और कुछ माह बाद उनके शेयर को बेचते हैं तो आप अवश्य ही लाभ में रहेंगे।
तो वैसे तो इसके लिए कुछ ज्यादा रिसर्च करने की जरुरत महसूस नही होती लेकिन फिर भी यदि आप एक रणनीति के तहत पोजीशनल ट्रेडिंग करेंगे तो बहुत लाभ में रहेंगे। इसके लिए आपको कंपनी के कई पहलुओं पर ध्यान रखना होगा और यह भी देखना होगा कि किस कंपनी के शेयर प्राइज किस महीने में बढ़ते हैं और किस महीने में घटते हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
पोजीशनल ट्रेडिंग करने के लिए स्ट्रेटेजी बनाना (Positional trading strategies in Hindi)
अब यदि आप पोजीशनल ट्रेडिंग में पैसे लगाना चाह रहे हैं और कई कंपनियों के शेयर खरीदने को इच्छुक हैं तो उसके लिए आपको एक सही रणनीति को बनाना होगा तभी आप सही से पोजीशनल ट्रेडिंग कर पाएंगे। तो यहाँ हम यह कहना चाह रहे हैं कि यदि आप एक सही रणनीति के तहत पोजीशनल ट्रेडिंग करेंगे तो अवश्य ही लाभ में (Positional trading strategy in Hindi) रहेंगे। लाभ तो क्या बल्कि आप अभी जितना लाभ कमाते हैं, उसका दुगुना या तीन गुणा लाभ कमाने लग जाएंगे। तो इसके लिए आपको नीचे दी गयी रणनीति के तहत काम करना होगा।
- पोजीशनल ट्रेडिंग करने के लिए आपको शेयर बाजार में उपलब्ध सभी तरह के शेयर पर ध्यान देने की जरुरत नही है बल्कि आप कुछ चुनिंदा शेयर को केन्द्रित कर सकते हैं और उन पर नजर बनाए रख सकते हैं।
- अब जब आपने कुछ शेयर को चुन लिया है तो आप उनका संपूर्ण इतिहास देखे और पता लगाए कि वह पहले कैसे काम करता था और अब कैसे काम करता है।
- यदि आप इंट्रा डे या स्विंग ट्रेडिंग करते हैं तो आपको उस शेयर के प्रतिदिन का मूल्य बढ़ते या घटते हुए देखना होगा जबकि पोजीशनल ट्रेडिंग में आपको उसका महीने का चार्ट देखना चाहिए ताकि आपको यह समझ में आ सके कि महीने दर महीने उसके शेयर प्राइज में कितना उतार चढाव आ रहा है।
- अब इस चार्ट को देखकर आपको यह समझ में आ जाएगा कि किस कंपनी के शेयर में किस महीने में उतराव आता है और किस महीने में चढाव देखने को मिलता है।
- उदाहरण के रूप में मान लीजिए कि कोई कंपनी ऐसी है जो शादी के लिए दूल्हा दुल्हन के महंगे कपड़े बनाती है तो आपको उनके शेयर में चढाव सावो के महीने में या उसके एक दो महीने पहले देखने को मिल जाएगा जबकि अन्य महीनो में उसमे सामान्य बढ़ोत्तरी या गिराव देखने को मिल सकता है।
- इस तरह आप यह देखे कि उस शेयर कंपनी के द्वारा किस तरह का काम किया जाता है और उसके काम की कीमत किस महीने में ज्यादा रहती है और किस महीने में कम। इसी के अनुसार ही आप अपनी रणनीति को अंजाम दे।
- अब जब आपको यह पता चल जाएगा कि किस कंपनी का शेयर किस महीने में ख़रीदा जाना चाहिए और फिर उसके बाद कितने दिन अपने पास रख कर उसे बेचा जाना चाहिए तो समझ जाइये कि आप पोजीशनल ट्रेडिंग करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं।
पोजीशनल ट्रेडिंग के फायदे (Positional trading benefits in Hindi)
आपको पोजीशनल ट्रेडिंग करने से होने वाले फायदों के बारे में भी जान लेना चाहिए ताकि आप चिंतामुक्त होकर इसे शुरू कर सके और इसके द्वारा बहुत सारा धन अर्जित कर सके। तो यदि आप पोजीशनल ट्रेडिंग करना ही चाहते हैं तो पहले यह जान ले कि इसमें आपका लाभ एकदम से नही होगा और ना ही इसका परिणाम आपको चंद दिनों में दिखने लग जाएगा। इसके जरिये पैसे कमाने के लिए आपको संयम रखने की आवश्यकता होगी और एक सही रणनीति के तहत काम करके दिखाना होगा।
एक तरह से आपको पोजीशनल ट्रेडिंग में पैसे लगाकर भूल तो जाना होगा लेकिन उसे दिमाग से नही हटाना होगा। इसमें आपका पैसा चाहे तो कुछ महीनो में ही लाभ कमाकर दे सकता है या फिर इसे लाभ देने में एक वर्ष के आसपास का समय भी लग सकता है। हालाँकि पोजीशनल ट्रेडिंग में होने वाला लाभ 10 से 25 प्रतिशत के पास होने की संभावना बनी रहती है।
कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आपने कोई शेयर 100 रुपए में ख़रीदा था तो आप कुछ महीने में उसे 110 से 125 रुपए में बेच पाएंगे। तो इस तरह से यह आपके द्वारा ख़रीदे गए शेयर के मूल्य और संख्या पर ही निर्भर करेगा कि आप उस पर कितना तक लाभ कमा सकते हैं। हालाँकि जो शेयर लंबी अवधि के लिए खरीदे जाते हैं वे अक्सर लाभ कमाकर ही देते हैं।
पोजीशनल ट्रेडिंग कैसे करे – Related FAQs
प्रश्न: पोजीशन ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है?
उत्तर: पोजीशन ट्रेडिंग का मतलब होता है किसी शेयर को एक माह से लेकर एक वर्ष के भीतर बेच देना।
प्रश्न: पोजिशनल ट्रेडिंग क्या है उदाहरण सहित?
उत्तर: पोजिशनल ट्रेडिंग के अंतर्गत आप किसी शेयर को एक लंबी अवधि के लिए खरीदते हैं। उदाहरण के लिए आपने रिलायंस का शेयर ख़रीदा और फिर उसे एक माह से ज्यादा समय के लिए अपने पास रखकर बेच दिया तो उसे पोजीशनल ट्रेडिंग कहा जाएगा।
प्रश्न: पोजीशन ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है?
उत्तर: पोजीशनल ट्रेडिंग में समय सीमा एक माह से लेकर एक वर्ष की होती है जबकि स्विंग ट्रेडिंग में यह समय सीमा 24 घंटे से लेकर 3 सप्ताह तक की होती है।
प्रश्न: पोजीशन ट्रेड कब तक है?
उत्तर: पोजीशन ट्रेड एक माह से एक वर्ष तक होती है।
तो इस तरह से इस लेख के द्वारा आपने पोजीशनल ट्रेडिंग के बारे में बहुत कुछ जान लिया है और अब शायद आप इसमें पैसा लगाने को तैयार भी हो चुके होंगे। फिर भी हम आपको यही परामर्श देंगे कि यदि आप शेयर बाजार में पोजीशनल ट्रेडिंग के तहत पैसा लगाने जा रहे हैं तो उससे पहले आप ऊपर दी गयी स्ट्रेटेजी पर काम करना शुरू कर दे और उसके बाद ही इसमें पैसा लगाए।