|| पाज़िटिव पे सिस्टम क्या है? पॉजिटिव पे प्रणाली कैसे कार्य करता है? पाज़िटिव पे सिस्टम कैसे काम करता है? Positive Pay for Cheque Payments in Hindi ||
डिजिटल लेन देन को पंख लगने के बावजूद हमारे देश में बड़ी संख्या से चेक के द्वारा भी भुगतान किया जाता है। खास तौर पर एक नियत तिथि पर बड़ी राशि के ट्रांजेक्शन के लिए अक्सर चेक का ही इस्तेमाल होता है। लेकिन चेक के जरिए लेन देन में कई बार गड़बड़ी और फ्रॉड भी होते हैं।
हमारे देश में प्रतिवर्ष चेक के फ्रॉड से संबंधित हजारों मामले सामने आते हैं। बैंकों ने चेक के जरिए होने वाले इस तरह के फ्रॉड को रोकने के लिए एक टूल पीपीएस का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। क्या आप जानते हैं कि ये पीपीएस क्या है? यदि नहीं तो भी कोई बात नहीं। आज हम आपको इस फ्राड डिटेक्शन टूल के बारे में विस्तार से बताएंगे। आपको बस इस पोस्ट को शुरू से अंत तक पढ़ते जाना है। आइए शुरू करते हैं-
पीपीएस क्या है? (What is PPS?)
दोस्तों, आपको बता दें कि पीपीएस (PPS) की फुल फॉर्म पाज़िटिव पे सिस्टम (positive pay system) है। इसे हिंदी में सकारात्मक भुगतान प्रणाली भी कहा जाता है। यह मूल रूप से एक आटोमेटेड फ्राड डिटेक्शन टूल (automated fraud detection tool) यानी स्वचालित फर्जीवाड़ा पकड़ने वाला एक उपकरण है।
पाज़िटिव पे सिस्टम कैसे काम करता है? (How does positive pay system work?)
अब आपके दिमाग में पहला सवाल यही आ रहा होगा दोस्तों कि आखिर ये पाज़िटिव पे सिस्टम कैसे काम करता है? फ्राड कैसे पकड़ता है? तो आपको बता दें कि इस सिस्टम के तहत बड़ी वैल्यू (value) के चेक में दी गई मुख्य मुख्य डिटेल्स (details) को रि-वेरिफाई (re-verify) किया जाता है। चेक की डिटेल्स मैच न करने पर चेक को रिजेक्ट कर दिया जाता है। इस प्रकार फर्जीवाड़े से बचना संभव हो जाता है।
चेक की डिटेल्स कैसे वेरिफाई की जाती हैं? (How the details of cheque are verified?)
अब आपको जानकारी देते हैं कि चेक की डिटेल्स कैसे वेरिफाई की जाती हैं? आपको बता दें कि इस प्रक्रिया के तहत चेक जारी करने वाला व्यक्ति एसएमएस (SMS), एटीएम (ATM) मोबाइल एप (mobile app), इंटरनेट बैंकिंग (Internet banking) आदि के जरिए अदाकर्ता बैंक को इलेक्ट्रॉनिक रूप से चेक से जुड़ा कुछ न्यूनतम ब्योरा देता है।
जैसे-चेक किसके नाम है? चेक कितनी राशि का है? चेक जारी करने की तिथि क्या है? आदि। इस जानकारी को सीटीएस CTS यानी चेक ट्रंकेशन सिस्टम (Cheque Truncation System) के जरिए चेक के साथ क्रॉसचेक cross-check किया जाता है। यदि जानकारी का मिलान हो जाता है तो चेक का पेमेंट कर दिया जाता है। अन्यथा चेक को बगैर भुगतान वापस कर दिया जाता है।
पाज़िटिव पे सिस्टम के क्या लाभ हैं? (What are the benefits of positive pay system?)
मित्रों, आइए अब जान लेते हैं कि पाज़िटिव पे सिस्टम के क्या क्या लाभ हैं? यदि रिजर्व बैंक आफ इंडिया (Reserve Bank of India) यानी आरबीआई (RBI) की ओर से बताए गए लाभों पर बात करें तो वे इस प्रकार से हैं-
- * इस सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस सिस्टम के शुरू होने से चेक से होने वाली धोखाधड़ी पर रोक लगेगी।
- * चेक का वेरिफिकेशन (verification) एवं ऑथेंटिकेशन (authentication) अलग-अलग लेवल पर होने से चेक से लेन देन में सुरक्षा बढ़ जाएगी।
- * इस सिस्टम से चेक के क्लियरेंस में कम समय लगेगा।
- * कोर्ट में चेक धोखाधड़ी से संबंधित मामलों में कमी आएगी।
बैंकों में पाज़िटिव पे सिस्टम कब से लागू किया गया है? (From when positive pay system has been implemented in banks?)
मित्रों, आपको जानकारी दें कि देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई (SBI) पहले से ही 50 हजार रुपए से अधिक की राशि के लिए पाज़िटिव पे सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा था, लेकिन अब आरबीआई (RBI) की ओर से 1अगस्त 2024 से देश के सभी बैंकों में पॉजिटिव पे सिस्टम को अनिवार्य रूप से लागू कर दिया गया है। अब सभी बैंकों ने अपने ग्राहकों को नोटिफिकेशन (notification) जारी कर उनसे पाज़िटिव पे सिस्टम (positive pay system) के तहत रजिस्ट्रेशन (registration) कराने के लिए कहा है।
आरबीआई ने कितनी राशि के चेक के लिए यह व्यवस्था लागू की है? (For how much amount’s cheque RBI has implemented this system?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने पांच लाख अथवा इससे अधिक के चेक के भुगतान (payment) के लिए यह व्यवस्था अनिवार्य कर दी है। यदि कोई इन नियमों का पालन नहीं करता तो ऐसा करने पर बैंक चेक को क्लियर (clear) करने से इन्कार कर सकते हैं। आपको बता दें कि आरबीआई ने बैंकिंग धोखाधड़ी को रोकने के लिए दो वर्ष पूर्व यानी सन् 2020 में पाज़िटिव पे सिस्टम शुरू करने का फैसला किया था, लेकिन इसे सभी बैंकों में अनिवार्य करने में उसे दो साल का समय लग गया।
पाज़िटिव पे सिस्टम किसके द्वारा विकसित किया गया है? (Who has developed positive pay system?)
यदि आप भी यही सोच रहे हैं कि चेक के फर्जीवाड़े से बचाने हेतु इस महत्वपूर्ण व्यवस्था को किसके द्वारा विकसित किया गया है तो आपको बता दें दोस्तों कि इस सिस्टम को एनपीसीआई (NPCI) यानी नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया (National Payments Corporation of India) द्वारा विकसित किया गया है।
एनपीसीए द्वारा बैंकिंग एवं भुगतान से जुड़े कई प्रकार के सिस्टम इससे पूर्व भी विकसित किए गए हैं। जो वित्तीय एवं बैंकिंग क्षेत्र में उपभोक्ताओं के लिए बहुत उपयोगी साबित हुए हैं।
पाज़िटिव पे सिस्टम में किस बात का ध्यान रखना आवश्यक है? (What things should be kept in mind in positive pay system?)
मित्रों, हमने आपको पहले ही बताया है कि चेक पर दिया गया ब्योरा खाताधारक द्वारा इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग अथवा रजिस्टर्ड ईमेल आईडी के माध्यम से बैंक में जमा करनी होगी। यदि लाभार्थी चेक का निर्बाध भुगतान चाहता है तो उसके लिए उसे ये ब्योरा चेक बैंक में देने से एक दिन पूर्व देना होगा। एक बार बैंक द्वारा डिटेल प्राप्त हो जाने के बाद इस जानकारी को क्रॉस-चेक किया जाएगा। यानी चेक को दिए गए टूल के साथ वेरिफाई किया जाता है।
इसके पश्चात भुगतान की प्रक्रिया आरंभ की जाती है। मित्रों, इस यहां यह बात ध्यान रखने लायक है कि पाज़िटिव पे के लिए दी गई सारी डिटेल (details) अंग्रेजी भाषा (English language) में होनी चाहिए। साथ ही आपको यह भी बता दें कि यदि आप अधिक राशि वाले फंड ट्रांसफर करना चाहते हैं तो उसके लिए पेमेंट के वैकल्पिक थर्ड पार्टी तरीकों जैसे- आरटीजीएस (RTGS) एनईएफटी (NEFT) का इस्तेमाल बेहतर है।
पाज़िटिव पे सिस्टम के खास खास बिंदु क्या हैं? (What are the main features of positive pay system?)
आइए, अब एक नजर में पाज़िटिव पे सिस्टम के खास खास बिंदु बताते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-
- * पाज़िटिव पे सिस्टम को हिंदी में सकारात्मक भुगतान प्रणाली भी कहा जाता है।
- * पॉजिटिव पे सिस्टम एक आटोमेटेड फ्रॉड डिटेक्शन टूल है।
- * इस सिस्टम को एनपीसीआई ने विकसित किया है।
- * आरबीआई ने 1 अगस्त 2024 को इस व्यवस्था को सभी बैंकों के लिए अनिवार्य कर दिया है।
- * पांच लाख रुपए की राशि से अधिक के चेक के क्लियरेंस के लिए यह व्यवस्था की गई है।
- * इसके तहत चेक भुगतान से पहले चेक के ब्योरे को वेरिफाई किया जाता है।
- * वेरिफिकेशन के लिए चेक के लाभार्थी का नाम, चेक तिथि, चेक की राशि आदि का मिलान किया जाता है।
- * आरबीआई का इस व्यवस्था को लागू करने का मकसद चेक का गलत इस्तेमाल रोकना है।
- * पाज़िटिव पे सिस्टम के जरिए फर्जी चेक के जरिए होने वाले फ्रॉड पर काबू पाया जा सकता है।
- * इस सिस्टम से चेक से पेमेंट के सुरक्षित होने के साथ ही चेक क्लियरेंस की प्रक्रिया में भी कम समय लगता है।
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पीपीएस की फुल फॉर्म क्या है?
पीपीएस की फुल फॉर्म पाज़िटिव पे सिस्टम है।
पाज़िटिव पे सिस्टम को हिंदी में क्या कहते हैं?
पाज़िटिव पे सिस्टम को हिंदी में सकारात्मक भुगतान प्रणाली कहते हैं।
यह सिस्टम कैसे काम करता है?
इस सिस्टम में चेक भुगतान से पूर्व उस पर दिए गए ब्योरे को रि-वेरिफाई किया जाता है।
चेक वेरिफिकेशन के लिए किस विवरण का इस्तेमाल किया जाता है?
चेक वेरिफिकेशन के लिए चेक लाभार्थी का नाम, चेक तिथि, चेक राशि आदि ब्योरे का इस्तेमाल किया जाता है।
चेक वेरिफिकेशन को यह ब्योरा किस भाषा में दिया जाना आवश्यक है?
चेक वेरिफिकेशन के लिए यह ब्योरा अंग्रेजी भाषा में देना आवश्यक है।
पाज़िटिव पे सिस्टम का सबसे बड़ा लाभ क्या है?
पाज़िटिव पे सिस्टम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे चेक से जुड़े फ्राड पर रोक लगेगी।
कितनी राशि के चेक के लिए यह सिस्टम लागू होगा?
पांच लाख रुपए से अधिक राशि के चेक के लिए यह व्यवस्था लागू होगी।
पाज़िटिव पे सिस्टम को किसने विकसित किया है?
इस सिस्टम को एनपीसीए ने विकसित किया है।
एनपीसीए की फुल फॉर्म क्या है?
एनपीसीए की फुल फॉर्म नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया है।
हमने आपको इस पोस्ट (post) में positive pay for cheque payment in hindi पर जानकारी दी। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई सवाल अथवा सुझाव है तो उसे आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।
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