पार्षद कौन होता है? योग्यता, सैलरी, कार्य व चुनाव प्रक्रिया

|| पार्षद कौन होता है? | Parshad ke adhikar | Parshad kaun hota hai in Hindi | पार्षद कैसे बनते हैं? | Parshad kaise bante hai | पार्षद का कार्यकाल कितने समय का होता है? | पार्षद के कार्य क्या होते हैं? | पार्षद की सैलरी कितनी होती है? |

Prashad kaun hota hai :- आप हमेशा ही समाचार में सांसद, विधायक, मुख्यमंत्री, मंत्री, प्रधानमंत्री इत्यादि के बारे में सुनते व पढ़ते रहते होंगे किन्तु समाचार में कभी भी या बहुत ही कम छोटे पद के राजनीतिक लोगों का नाम लिया जाता है। इन पद के लोगों के बारे में आप ज्यादातर लोकल समाचार चैनल में सुनते होंगे और उनके काम दिखाई देते (Parshad ke adhikar) होंगे। या फिर आपके यहाँ जो लोकल समाचार पत्र आता है, वहां पर आपको यह सब जानकारी मिलती होगी।

अब भारत देश में समय समय पर कई तरह के चुनाव होते हैं और उन्हीं चुनावों के जरिये ही हम अपने जनप्रतिनिधि चुनते हैं। इनमे से सांसद व विधायक तो प्रमुख है ही लेकिन एक और व्यक्ति होता है जो हमारा प्रतिनिधित्व कर रहा होता (Parshad kya hota hai) है। वह व्यक्ति होता है हमारा पार्षद। वह एक ऐसा व्यक्ति होता है जिस तक हमारी पहुँच आसान होती है और हम उसे अपनी परेशानियाँ आसानी से बता सकते हैं।

ऐसे में यह पार्षद होता क्या है, उसका चुनाव किस तरह से किया जाता है, उसके लिए क्या कुछ योग्यता होती है तथा उसके क्या क्या कार्य होते हैं, यह सब जानकारी लेना अति आवश्यक हो जाता है। चूँकि वह स्थानीय स्तर का नेता होता है और अपने वार्ड का नेतृत्व कर रहा होता है, ऐसे में लोगों को उसके बारे में पूरी जानकारी होनी जरुरी हो जाती है। आइये जाने पार्षद के बारे में शुरू से लकर अंत तक पूरी (Parshad kaun hota hai in Hindi) जानकारी।

पार्षद कौन होता है? योग्यता, सैलरी व चुनाव प्रक्रिया

आज के इस लेख में आपको पार्षद के बारे में हरेक जानकारी तो मिलने ही वाली है और उसी के साथ ही अन्य कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां भी जो पार्षद व उसके चुनाव से संबंधित होती है, उसके बारे में भी जानने को मिलेगा। कहने का अर्थ यह हुआ कि किस तरह के चुनाव में पार्षद खड़ा हो सकता है, उसका कद कितना बड़ा होता है और जीतने के बाद उसे क्या कहा जाता है तथा वह अपने में से किस व्यक्ति को अध्यक्ष बनाता है तथा वह अध्यक्ष क्या कहलाता है, इत्यादि के बारे में पढ़ने को मिलेगा।

पार्षद कौन होता है योग्यता, सैलरी, कार्य व चुनाव प्रक्रिया

इसलिए यदि आप पार्षद के बारे में हरेक बारीक जानकारी लेना चाहते हैं तो आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख बहुत ही ध्यान से और अंत तक पढ़ना होगा ताकि कोई भी एक महत्वपूर्ण जानकारी रहने ना पाए। आज के इस लेख को पढ़ कर आपके मन से पार्षद के प्रति जो भी शंका थी, वह दूर हो जाएगी। तो आइये जाने पार्षद के बारे में संपूर्ण जानकारी इस लेख के माध्यम से।

पार्षद कौन होते हैं? (Parshad kaun hota hai)

सबसे पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि यह पार्षद होते कौन हैं और उनके क्या कुछ कार्य होते हैं। तो यह तो हम आपको एक उदाहरण सहित समझा देते हैं ताकि आपको पार्षद के बारे में अच्छे से समझ में आ सके। भारत देश के संघीय ढांचे को राजनीतिक स्तर पर तीन भागो में बांटा गया है जिसका पहला भाग सबसे बड़ा होता है जो एक जिला या एक से अधिक जिले को मिला कर बनाया गया है।

अब उसका प्रतिनिधित्व सांसद करता है जो देश की लोकसभा में बैठता (Parshad kaun hai) है। फिर वहां सभी सांसद मिल कर एक प्रधान सांसद चुनते हैं जो उस लोकसभा का प्रधानमंत्री कहलाता है। हमारे देश की बागडौर उसी व्यक्ति के हाथों में ही होती है।

इसके बाद आते हैं शहर और तहसील। इन्हें भी अलग अलग भागो में बांटा गया होता है और इनका प्रतिनिधित्व वहां के विधायक करते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो भी जनप्रतिनिधि वहां से विजयी होता है वह वहां का विधायक कहा जाता है और उसे उस राज्य की विधानसभा में बैठने का अधिकार होता है। अब उस राज्य के सभी विधायक मिल कर एक प्रधान विधायक को चुनते हैं जिसे उस राज्य का मुख्यमंत्री कहा जाता जाता है। उसी के पास ही उस राज्य की बागडौर होती है लेकिन वह भारत के प्रधानमंत्री के अधीन होता है।

अब तीसरे नंबर पर आते हैं पार्षद जो अपने यहाँ के वार्ड का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह चुनावों के हिसाब से सबसे छोटे होते हैं और इनका एरिया भी छोटा होता है। इसमें एक शहर को स्थानीय निकाय में बदल दिया जाता है और उस निकाय में कई तरह के वार्ड होते हैं जिन्हें हम मोहल्ला भी कह सकते हैं। अब हर वार्ड से व्यक्ति लड़ते हैं और जीतने वाला व्यक्ति ही पार्षद कहलाता है। अब वह पार्षद अपने यहाँ की स्थानीय सभा में बैठता है और अपना एक अध्यक्ष चुनता है जिसे वहां की स्थानीय निकाय के प्रकार के अनुसार अलग अलग नाम से बुलाया जाता है।

पार्षद कैसे बनते हैं? (Parshad kaise bante hai)

अब आपने यह तो जान लिया कि पार्षद कौन होता है लेकिन उसी के साथ ही आपको यह भी जान लेना चाहिए कि पार्षद बनने की प्रक्रिया कैसी होती है या फिर उसके लिए चुनाव को किस तरह से लड़ा जाता है। तो इसकी घोषणा वहां की राज्य सरकार व चुनाव आयोग करता है। यह हर पांच वर्ष में एक बार आयोजित होने वाले चुनाव होते हैं जिसके तहत वहां के स्थानीय नागरिकों को चुनाव में खड़े होने का अवसर प्रदान किया जाता है।

हालाँकि इसके लिए कुछ विशिष्ट योग्यताओं का पालन किया जाना जरुरी होता है और बिना उसके चुनावी प्रक्रिया में खड़ा होना असंभव होता है। तो यदि आप उन सभी योग्यताओं का पालन करते हैं तो चुनाव आयोग के द्वारा बनायी गयी प्रक्रिया का पालन करते हुए आपको पार्षद का फॉर्म भर कर देना होता है। अब यदि आपको किसी राजनीतिक पार्टी से टिकट मिल जाता है तो बहुत बढ़िया बात है अन्यथा आपको निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ना होता है।

अब जब आप चुनाव में खड़े हो जाते हैं और चुनाव आयोग के द्वारा आपके आवेदन को स्वीकार कर लिया जाता है और आप उसके लिए सभी जरूरतों को पूरा कर लेते हैं तथा आवश्यक शुल्क को भी चुका देते हैं तो निर्धारित दिन पर चुनाव प्रक्रिया संपन्न करवाई जाती है। उस दिन आपके वार्ड के सभी लोग वोटिंग प्रक्रिया में भाग लेते हैं और प्रत्याशियों को वोट देते हैं। इसके कुछ दिन बाद उस वोटिंग की गिनती की जाती है और जिस भी प्रत्याशी को सबसे अधिक वोट मिलते हैं वह उस वार्ड के लिए पार्षद के रूप में चुन लिया जाता है।

पार्षद बनने के लिए योग्यता (Parshad ke liye yogyata)

अब यदि आप अपने यहाँ पार्षद बनने के लिए चुनाव लड़ने का सोच रहे हैं या यूँ ही एक पार्षद की योग्यता के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए कुछ नियम व दिशा निर्देश बनाये गए हैं। हालाँकि इसका निर्धारण वहां की राज्य सरकार ही करती है क्योंकि उन्हीं के पास ही इसका अधिकार होता (Parshad eligibility in Hindi) है। ऐसे में पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए जो योग्यता है वह भारत के राज्य अनुसार भिन्न भिन्न हो सकती है।

  • सबसे जरुरी योग्यता तो यह है कि जो भी व्यक्ति भारत के किसी भी राज्य में पार्षद का चुनाव लड़ रहा है वह भारत का स्थायी निवासी होना चाहिए। यदि वह विदेशी नागरिक है या भारत की नागरिकता लिए हुए नहीं है तो वह पार्षद का चुनाव तो क्या भारत का कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकता है।
  • इसी के साथ ही वह जिस भी राज्य में या जिस भी वार्ड से पार्षद के चुनाव में खड़ा हो रहा है, वह वहां का भी स्थानीय नागरिक होना जरुरी है। कहने का अर्थ यह हुआ कि मिजोरम का एक स्थानीय नागरिक गुजरात में पार्षद का चुनाव नहीं लड़ सकता है।
  • इसी के साथ ही उस व्यक्ति का कम से कम दसवीं कक्षा तक पढ़ा हुआ होना ज़रूरी होता है किन्तु हर राज्य में यह नियम नहीं है। किसी किसी राज्य में इसे लेकर बारहवीं कक्षा तक का नियम है तो किसी किसी में यह पांचवीं कक्षा तक ही अनिवार्य किया गया है।
  • पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए किसी भी व्यक्ति की आयु न्यूनतम 21 वर्ष रखी गयी है और भारत के किसी भी राज्य में इससे पहले स्थानीय निकाय के चुनाव में भाग नहीं लिया जा सकता है। हालाँकि अधिकतम आयु की कोई सीमा नहीं है।
  • पार्षद का चुनाव लड़ रहे व्यक्ति पर किसी तरह के आपराधिक मुकदमे के तहत सजा नहीं होनी चाहिए। साथ ही वह चुनाव के समय कारावास में नहीं होना चाहिए किन्तु इसे लेकर भी अलग अलग राज्यों में अलग अलग नियम बनाये गए हैं।

इसके अलावा भी पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए कानूनन व नैतिक रूप से कई नियम बनाये गए हैं। अब जो भी व्यक्ति अपने राज्य के अनुसार सभी तरह के नियमों का पालन करता है तो वह चुनावी प्रक्रिया में भाग ले सकता है और पार्षद का चुनाव लड़ सकता है।

पार्षद का कार्यकाल कितने समय का होता है? (Parshad ka karyalay kitna hota hai)

अब जब आपने पार्षद के बारे में इतनी सब जानकारी प्राप्त कर ली है तो साथ के साथ आपको यह भी जान लेना चाहिए की पार्षद का कार्यकाल कितने समय का होता है अर्थात वह कितने समय तक पार्षद बनने के बाद अपने पद पर बना रह सकता है। तो यहां हम आपको बता दें कि एक पार्षद अगर खुद से त्याग पत्र नही देता है तो वह अगले चुनाव होने तक पार्षद के पद पर बना रह सकता है और पार्षद के लिए चुनावी प्रक्रिया को हर 5 वर्षों में दोहराया जाता है अर्थात वह पांच वर्षों तक पार्षद बना रह सकता है।

परंतु अगर भारत सरकार राष्ट्रपति शासन लागू कर देती है या फिर न्यायिक प्रक्रिया के तहत कोई अवरोध उत्पन्न होता है तो उसे समय से पहले पार्षद के पद से हटाया जा सकता है। जैसे कि उस पर किसी आपराधिक मुकदमे के तहत सजा हो जाती है या फिर उस पर अपराध सिद्ध हो जाते हैं या फिर भारतीय न्याय व्यवस्था के द्वारा उसे कारावास का दंड सुनाया जाता है तो उसे तुरंत पार्षद के पद से हटाया जा सकता है।

पार्षद के कार्य क्या होते हैं? (Parshad ka karya kya hota hai)

अब आपको साथ के साथ यह भी जान लेना चाहिए कि यदि किसी व्यक्ति को पार्षद चुन लिया जाता है तो उसके क्या कुछ कार्य होते हैं या उसे पार्षद बनने के बाद क्या क्या काम अपने यहाँ करवाना होता है। एक तरह से यह बात जानने के बाद आप यह जान पाने में सक्षम होंगे कि एक पार्षद से किन किन स्थितियों में प्रश्न उत्तर किये जा सकते हैं और उन्हें किन किन चीज़ों के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। ऐसे में पार्षद के कामो में यह सब चीज़े आती हैं:

  • अपने वार्ड के विकास के लिए कार्य करवाने।
  • अपने वार्ड की सड़कों का निर्माण कार्य करवाना।
  • अपने वार्ड में स्वच्छता का ध्यान रखना और साफ सफाई करवाना।
  • अपने वार्ड में हो रहे अतिक्रमण को रोकना और और उन्हें हटाना।
  • वार्ड में हर तरह के अपराध पर नियंत्रण रखना।
  • वार्ड की स्ट्रीट लाइट, उद्यान, सार्वजनिक शौचालय इत्यादि स्थलों का रख रखाव करना।
  • अपने वार्ड के विकास के लिए नई चीजों का निर्माण करवाना।
  • जब भी कोई सभा आयोजित हो तो वहां पर अपने वार्ड से संबंधित मुद्दों को उठाना और विकास कार्यों की योजना के बारे में बताना।

इनके अलावा भी अपने वार्ड से संबंधित हर तरह के कार्य को करने की जिम्मेदारी एक पार्षद की ही होती है। जो उसे पूरी निष्ठा के साथ निभानी चाहिए।

पार्षद की सैलरी कितनी होती है? (Parshad ki salary kitni hoti hai)

अंत में आपको यह भी जान लेना चाहिए कि एक पार्षद को भारतीय संविधान के अनुसार कितना तक का वेतन मिलता है। तो हम आपको बता दें कि यह तो राज्य के अनुसार भिन्न भिन्न होती है राज्य की स्थिति के अनुसार ही पार्षद की सैलरी भी ऊपर नीचे मिल सकत्ती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि गोवा के पार्षद का वेतन आपको अलग मिलेगा तो हरियाणा के पार्षद का (Parshad salary in India in Hindi) अलग।

सामान्यतया एक पार्षद की सैलरी 30 से 60 हजार रुपए के बीच में होती है। इसके अलावा उसे भारत सरकार व राज्य सरकार के द्वारा कई तरह की सुविधाएं भी मिलती है। जिसमें उसे आवास, बिजली का खर्चा, पानी का खर्चा अन्य कई तरह के खर्चे मिल जाते हैं तो कुल मिलाकर एक पार्षद महीने का 80 हजार से ऊपर कमा ही लेता (Parshad ki monthly salary) है।

पार्षद कौन होता है – Related FAQs 

प्रश्न: पार्षद का क्या काम होता है?

उतर: पार्षद के कार्यों के बारे में हरेक जानकारी को हमने इस लेख के माध्यम से देने का प्रयास किया है जिसे आपको पढ़ना चाहिए।

प्रश्न: पार्षद का कार्यकाल कितने समय का होता है?

उतर: पार्षद का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है।

प्रश्न: पार्षद कैसे बनते हैं?

उतर: पार्षद बनने के बारे में आपको हमारा लेख पढ़ कर पता चलेगा जिसे आपको पढ़ना चाहिए।

प्रश्न: पार्षद की सैलरी कितनी होती है?

उतर: पार्षद की सैलरी 30 से 60 हजार के बीच में होती है।

तो इस तरह से आपने इस लेख के माध्यम से पार्षद के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल कर ली है कि एक पार्षद कौन होता है पार्षद बनने के लिए क्या कुछ करना होता है क्या कुछ योग्यताएं चाहिए होती है। एक पार्षद के कार्य क्या होते हैं और इसका कार्यकाल कितने समय का होता है साथ ही आपने पार्षद की सैलरी कितनी होती है यह भी जान लिया है।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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