|| भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? राष्ट्रपति का चुनाव कब है, भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है, राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है इसके अधिकार एवं शक्तियां बताइए, राष्ट्रपति का निर्वाचन किस देश से लिया गया है ||
हमारे देश में सबसे बड़ा संवैधानिक पद राष्ट्रपति का होता है। इस समय हमारे देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं। उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है एवं जल्द ही नए राष्ट्रपति का चुनाव होना है। देश के सभी राजनीतिक दलों में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हलचल, गहमागहमी है।
भारत के सभी आम नागरिकों की नजर भी राष्ट्रपति चुनाव पर लगी हैं। क्या आप जानते हैं कि भारत राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? यदि आपको इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है तो भी चिंता न करें।
आज इस पोस्ट में हम आपको भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? विषय पर संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे। आपको बस इस पोस्ट को शुरू से अंत तक पढ़ते जाना है। आइए, शुरू करते हैं –
भारत में राष्ट्रपति कौन होता है? (Who is the president in India)
दोस्तों, राष्ट्रपति चुनाव की बात करने से पूर्व आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि राष्ट्रपति कौन होता है। मित्रों, आपको बता दें कि राष्ट्रपति को अंग्रेजी में प्रेसीडेंट (president) भी पुकारा जाता है। विदेशों में उनके लिए His excellency का संबोधन दिया जाता है।
यदि भारत की दृष्टि से बात करें तो राष्ट्रपति देश एवं सरकार (country and government) दोनों का प्रमुख होता है। उसे सरकार के संवैधानिक प्रमुख (constitutional head) का दर्जा हासिल है। इसके साथ ही वह देश का प्रथम नागरिक (first citizen) भी होता है।
आपको बता दें कि राष्ट्रपति ही तीनों सशस्त्र सेनाओं जल, थल एवं वायुसेना के प्रमुख भी होते हैं। राष्ट्रपति का पद हमारे देश में सर्वाधिक प्रतिष्ठित पद है। हमारे देश में राष्ट्रपति का चयन परोक्ष यानी अप्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से किया जाता है।
भारत में राष्ट्रपति की शक्तियां क्या क्या होती हैं? (What are the powers of president of india?)
मित्रों, यह तो आप जानते ही होंगे कि राष्ट्रपति यानी हमारे देश के संवैधानिक प्रमुख को संविधान (constitution) में अनेक शक्तियां प्रदान की गई हैं। उन्हें प्रदत्त शक्तियां इस प्रकार से है-
1. राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां-
- संसद का गठन राष्ट्रपति, लोकसभा एवं राज्यसभा के साथ मिलकर होता है।
- संसद द्वारा पारित कोई भी विधेयक राष्ट्रपति की इजाजत के बाद ही कानून का रूप ले सकता है।
- राष्ट्रपति के पास संसद (parliament) का अधिवेशन बुलाने एवं उसे समाप्त करने की घोषणा की शक्ति है।
- राष्ट्रपति निम्न सदन यानी लोकसभा को उसकी नियम अवधि से पूर्व यानी पांच वर्ष से पूर्व भी भंग (dissolve) कर सकता है। यद्यपि इसके लिए उसे प्रधानमंत्री (prime minister) की सलाह आवश्यक है।
- राष्ट्रपति को कभी भी संसद के किसी भी सदन अथवा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक (joint meeting) में अभिभाषण की शक्ति है।
- किसी साधारण विधेयक पर लोकसभा एवं राज्यसभा में मतभेद की स्थिति में राष्ट्रपति दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुला सकता है। ऐसा केवल संविधान संशोधन (constitutional amendment) एवं धन विधेयक की स्थिति में नहीं हो सकता।
- यदि एंग्लो-इंडियन कम्युनिटी (Anglo Indian community) का लोकसभा में र्प्याप्त प्रतिनिधित्व (representation) नहीं है तो इस कम्युनिटी (community) के दो प्रतिनिधि (representative) राष्ट्रपति लोकसभा सदस्य के रूप में मनोनीत कर सकता है।
- राष्ट्रपति राज्य सभा में साहित्य (literature), विज्ञान (science), कला (arts) एवं समाजसेवा (social service) के क्षेत्र में विशेष अनुभव (special experience) रखने वाले 12 लोगों को राज्यभा सदस्य के रूप में मनोनीत कर सकता है।
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2. राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां-
- राष्ट्रपति के पास क्षमादान की शक्ति है। वह किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति को दंड क्षमा कर सकता है। उस पर रोक लगा सकता है अथवा उसे कम कर सकता है।
- राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट (supreme court and high court) के न्यायाधीशों (judges) की नियुक्ति (appointment) का अधिकार है। इसके साथ ही वह सुप्रीम कोर्ट के जजों का स्थानांतरण (transfer) भी कर सकता है।
- राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोर्ट की प्रक्रिया से संबंधित बनाए गए नियमों को अनुमोदित करता है।
- राष्ट्रपति को विधि अथवा तथ्य संबंधी (legal or fact related) सार्वजनिक महत्व (public importance) के किसी विषय पर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) से परामर्श लेने (consultation) का अधिकार है। यद्यपि वह इसे मानने को बाध्य नहीं।
3. राष्ट्रपति की सैन्य शक्तियां-
- राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का प्रधान होता है। ऐसे में उसे युद्ध एवं विराम (war and cease fire) घोषित करने का अधिकार है।
- थल, जल एवं वायु सेना (army, navy and air force) तीनों सेनाओं के अध्यक्षों की नियुक्ति राष्ट्रपति ही करता है।
4. राष्ट्रपति की राजनयिक शक्तियां-
- देश का संवैधानिक प्रमुख होने के चलते राष्ट्रपति विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व करता है।
- राष्ट्रपति के नाम से ही विदेशों से तमाम संधि (treaty) एवं समझौते किए जाते हैं। यद्यपि संसद से इनकी पुष्टि आवश्यक है।
- राष्ट्रपति ही विदेशों में स्थिति भारतीय दूतावासों Indian ambassies के राजदूतों (ambassadors) एवं कूटनीतिक प्रतिनिधियों की नियुक्ति करता है।
5. राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियां-
- राष्ट्रपति की इजाजत बगैर धन विधेयक एवं अनुदान मांगों को लोकसभा में पेश नहीं किया जा सकता।
- राष्ट्रपति को ही वित्त आयोग (finance commission) गठित करने का हक है।
- राष्ट्रपति ही आकस्मिक निधि से आकस्मिक खर्चों के लिए राशि जारी कर सकता है। यद्यपि संसद (parliament) से इसकी मंजूरी आवश्यक है।
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6. राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां-
- राष्ट्रपति को ही युद्ध, बाहरी आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह के कारण नेशनल इमरजेंसी की घोषणा का अधिकार है।
- संविधान के उपबंधों के अनुसार किसी राज्य का शासन न चलाए जाने की स्थिति में राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार।
- देश में वित्तीय संकट (financial crisis) पैदा होने पर वित्तीय इमरजेंसी (financial emergency) की घोषणा का अधिकार।
इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति की कुछ अन्य प्रमुख शक्तियां इस प्रकार से हैं-
- केवल राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को ही अध्यादेश (ordinance) जारी करने की शक्ति है।
- राष्ट्रपति को संघ के संबंध में सूचना (information) प्राप्त करने का अधिकार है। प्रधानमंत्री (prime minister) का यह कर्त्तव्य है कि वह राष्ट्रपति की ओर से मांगे जाने पर, मंत्रि परिषद के सभी फैसलों (decision) एवं प्रशासन संबंधी (administration related) मामलों की जानकारी दे।
- राष्ट्रपति को संघ के कुछ अधिकारियों को पद से हटाने की भी शक्ति प्रदान की गई है। यथा-संघ के मंत्री (minister), राज्यों के राज्यपाल (governer) आदि।
- राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की सलाह (advise) से अन्य मंत्रियों, राज्यपालों, सीएजी, मुख्य निर्वाचन आयुक्त, अन्य आयुक्तों आदि की नियुक्ति करता है।
- राष्ट्रपति ही विभिन्न आयोगों (commissios) जैसे-यूपीएससी, राश्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, वित्तीय आयोग आदि की नियुक्ति करता है।
- शासन संबंधी एवं मंत्रियों को कार्य वितरण (work distribution) के लिए नियम बनाने का अधिकार।
- असाधारण अथवा आकस्मिक परिस्थितियों में राज्यपाल के कृत्यों से संबंधित उपबंध कराने का अधिकार।
भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल कितना होता है? (What is the working period of the president of india?)
दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। इसके पश्चात नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव (election of new president) कराया जाता है। भारत का कोई नागरिक (citizen) कितनी भी बार राष्ट्रपति चुनाव (president election) लड़ सकता है। इसकी कोई संख्या निर्धारित नहीं की गई है।
आपको यह भी बता दें कि यदि राष्ट्रपति का पद किसी कारणवश खाली हो जाता है तो उसे छह माह के भीतर भरा जाना चाहिए। दोस्तों, यदि इस पद को लेकर कोई विवाद उत्पन्न होता है तो उसका समाधान सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के जिम्मे होता है।
राष्ट्रपति की सैलरी कितनी होती है? (What is the salary of the president?)
मित्रों, आपमें से बहुत से लोग यह जानना चाहते होंगे कि भारत में राष्ट्रपति की सैलरी (salary of the president) यानी वेतन कितना होता है। अब हम आपको इसी संबंध में जानकारी देंगे।
आपको बता दें कि राष्ट्रपति की सैलरी पांच लाख रुपए प्रतिमाह (monthly) है। इस प्रकार उसे 60 लाख रुपए सालाना वेतन (annual salary) की प्राप्ति होती है।
यदि डालर (dollars) में बात करें तो राष्ट्रपति का वेतन 7,300 यूएस डालर (us dollar) प्रतिमाह यानी 87,600 यूएस डालर प्रति वर्ष होता है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति को कई प्रकार के भत्ते (allowances) भी मिलते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-
चिकित्सा (medical): भारत के राष्ट्रपति को उनके जीवन र्प्यंत मुफ्त चिकित्सा सुविधा (free medical facility) उपलब्ध होती है।
आवास (residence): भारत के राष्ट्रपति का निवास स्थान राष्ट्रपति भवन (rashtrapati bhavan) है। यह उसका आधिकारिक निवास (official residence) है। राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली (new delhi) में स्थित है। इसका फ्लोर एरिया (floor area) 2,00,000 स्क्वायर फीट है। राष्ट्रपति भवन में 340 कमरे बने हैं।
सुरक्षा (security): भारत के राष्ट्रपति ब्लैक मर्सिडीज बेंज गाड़ी में चलते हैं। उनके साथ पुलमैन-गार्ड होते हैं। उनके पास आधिकारिक यात्रा (official travel) के लिए हथियारों से लैस लंबी गाड़ी लिमोजिन भी होती है।
पेंशन (pension): भारत के राष्ट्रपति को रिटायरमेंट के बाद (after retirement) किसी भी सरकारी उच्चाधिकारी की तरह पेंशन मिलती है। पेंशन के रूप में वे हर माह डेढ़ लाख रुपए पाते हैं।
रिटायरमेंट पश्चात लाभ (after retirement benefit): राष्ट्रपति को रिटायरमेंट के पश्चात (after retirement) भी अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। जैसे-
- टाइप-3 सुसज्जित किराया मुक्त बंगला।
- दो मुफ्त लैंडलाइन एवं मोबाइल फोन।
- राष्ट्रपति के जीवनसाथी को 30 हजार रूपये प्रतिमाह सचिवीय सहायता।
- ट्रेन अथवा हवाई मार्ग से एक साथी के साथ मुफ्त यात्रा।
- पांच निजी कर्मचारी-स्टाफ के खर्च के तौर पर 60 हजार रुपए।
राष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक योग्यता क्या है? (What is the necessary eligibility to become the president?)
हर कोई व्यक्ति राष्ट्रपति नहीं बन सकता। इसके लिए कुछ आवश्यक योग्यताएं निर्धारित की गई हैं, जो राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को पूरी करनी होती हैं। ये योग्यताएं इस प्रकार से हैं-
- उम्मीदवार भारत का नागरिक हो।
- वह पागल अथवा दिवालिया न हो।
- उसकी उम्र न्यूनतम 35 वर्ष हो।
- वह किसी सरकारी अथवा लाभ के पद पर न हो।
- उम्मीदवार के पास न्यूनतम 50 प्रस्तावक एवं 50 समर्थक विधायक हों।
- उम्मीदवार लोकसभा सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
- यद्यपि आपको बता दें दोस्तों कि वर्तमान राष्ट्रपति, वर्तमान उप राष्ट्रपति, किसी राज्य के राज्यपाल अथवा संघ या किसी राज्य के मंत्री को उम्मीदवार के रूप में खड़ा होने की इजाजत दी गई है।
मित्रों, आपको बता दें कि पहले राष्ट्रपति चुनाव (president election) लड़ने वाले उम्मीदवार के लिए केवल दो प्रस्तावक एवं दो ही समर्थकों का होना अनिवार्य था। लेकिन इस नियम का दुरूपयोग होता देख 1974 में संविधान संशोधन के माध्यम से इस अनिवार्यता को समाप्त किया गया।
राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के प्रस्तावकों एवं समर्थकों की संख्या 10-10 तय की गई। इसके पश्चात 1997 में एक और संविधान संशोधन के माध्यम से इस संख्या को 50-50 कर दिया गया।
दोस्तों, जिस प्रकार देश में होने वाले चुनावों में जनता भागीदार होती है एवं मतदान करती है, राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया (president election process) इसके ठीक विपरीत है।
इसमें जनता सहभागी नहीं होती। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली (indirect system) से किया जाता है। चुनाव की प्रक्रिया (election process) इस प्रकार से होती है-
- उम्मीदवार के पास राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने संबंधी सारी योग्यता होनी चाहिए।
- इसके पश्चात उम्मीदवार को सबसे पहले नामांकन फार्म भरना होगा।
- इसके लिए उसके पास 50 प्रस्ताव एवं 50 समर्थक होने आवश्यक हैं। याद रखिए कि ये प्रस्तावक एवं समर्थक वोटिंग करने की योग्यता रखते हों। इनके नामों एवं हस्ताक्षर की सूची उसे रिटर्निग अफसर के पास जमा करनी होगी। एक और बात एक प्रस्तावक केवल एक ही उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव कर सकता है।
- इसके पश्चात राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जमानत राशि के बतौर 15 हजार रूपये की धनराशि जमा करनी होगी।
- राष्ट्रपति चुनाव की मतदान की तिथि (date of voting) पर सभी निर्वाचित विधायक अपने अपने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में, जबकि सांसद राज्यसभा एवं लोकसभा में वोट करेंगे।
- इसके लिए उन्हें बैलेट पेपर (ballet paper) दिए जाएंगे। सांसदों को हरे रंग (green colour) का, जबकि विधायकों को गुलाबी रंग (pink colour) का बैलेट पेपर दिया जाता है।
- यहां वे स्पेशल इंक (special ink) वाले पेन के जरिए अपना वोट रिकार्ड करेंगे।
- इसके लिए उन्हें बैलेट पेपर पर जिन उम्मीदवारों के वे सर्वाधिक पसंद करते हैं, उनके वरीयता क्रम के अनुसार चिन्हित करना होगा। जैसे- जिसे वे सर्वाधिक पसंद करते हैं, उसके लिए 1, दूसरी वरीयता वाले के लिए 2 का चयन करते हैं। वोटर यदि चाहे तो वह केवल प्रथम वरीयता का ही चुनाव कर सकता है।
- वोटिंग के पश्चात विधायकों के बैलेट पेपर्स को राज्यवार एकत्र कर प्रत्येक उम्मीदवार की ट्रे में डाला जाता है। इसी प्रकार सांसदों के बैलेट पेपर भी एकत्र किए जाते हैं।
- वोट डालने वाले सांसदों एवं विधायकों के वोट का वेटेज (weightage of vote) अलग अलग होता है। इसी प्रकार दो प्रदेशों के विधायकों का वोट वेटेज भी अलग होता है।
- मतगणना (counting) के दौरान कोटे (quota) से अधिक वोट प्राप्त करने वाला उम्मीदवार विजेता घोषित किया जाता है। इसके लिए प्रत्येक उम्मीदवार के लिए डाले गए वोट को जोड़कर योग को 2 से विभाजित किया जाता है। भागफल में एक जोड़कर कोटा तय किया जाता है।
क्या होता है यदि किसी को कोटे से अधिक वोट नहीं मिलते हैं? (What if a contestant doesn’t get vote more than quota?)
यदि ऐसा हो जाए कि किसी को निर्धारित कोटे से अधिक वोट न मिलें तो राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होगा? दोस्तों, आपको बता दें कि ऐसी स्थिति में सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को दौड़ से हटा दिया जाता है। अब हटाए गए उम्मीदवार को बैलेट पेपर दूसरी वरीयता पसंद के आधार पर अन्य उम्मीदवारों में वितरित कराए जाते हैं।
प्रत्येक उम्मीदवार के लिए कुल वोट दोबारा काउंट किए जाते हैं। यह इसलिए ताकि यह देखा जा सके कि किसी उम्मीदवार को तय कोटे से ऊपर वोट मिले हैं या नहीं।
यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक कि किसी का वोट कोटे से अधिक नहीं पहुंच जाता अथवा जब तक लगातार हटाए जाने के बाद केवल एक उम्मीदवार नहीं बच जाता। उस एक व्यक्ति को भारत का राष्ट्रपति पद का विजेता घोषित कर दिया जाता है।
मित्रों, अब हम आपको राश्ट्रपति चुनाव से संबंधित खास खास बिंदु बताएंगे, जो कि इस प्रकार से हैं-
- राष्ट्रपति का चुनाव ईवीएम (evm) से नहीं बल्कि बैलेट पेपर से होता है।
- राष्ट्रपति चुनाव में केवल संसद के दोनों सदन, राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। यानी निर्वाचित राज्यसभा सांसद, लोकसभा सांसद एवं विधायक ही वोट कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति चुनाव में मतदान (voting) पूरी तरह गोपनीय (secret) होता है।
- राष्ट्रपति चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत यानी सिंगल ट्रांसफरेबल वोट (single transferable vote) प्रणाली पर होता है। इसका अर्थ यह है कि राज्यसभा, लोकसभा एवं विधानसभा का एक सदस्य एक ही वोट कर सकता है।
- राष्ट्रपति चुनाव में हार-जीत वोट की संख्या से नहीं, बल्कि उसकी वैल्यू से तय होती है।
- राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार को सांसदों एवं विधायकों के मतों के कुल मूल्य का आधे से अधिक हिस्सा हासिल करना होता है।
- यदि मौजूदा राश्ट्रपति चुनाव की बात करें तो इसमें उम्मीदवार को जीत दर्ज करने के लिए कम से कम 5,46,320 वोट वैल्यू की आवश्यकता होगी।
वर्तमान समय में वोट वेटेज कितना है? (What is vote weightage at present?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि मौजूदा समय में राष्ट्रपति चुनाव (president election) के लिए निर्वाचक मंडल (electrol college) के सदस्यों का वोट वेटेज 10,98,903 है। आपको बता दें कि वहीं, जम्मू कश्मीर विधानसभा (jammu kashmir legislative assembly) के वोट की वैल्यू 6,254 है।
लेकिन यह फिलहाल निलंबित है। ऐसे में इसे घटाए जाने के पश्चात राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए आवश्यक न्यूनतम वोट वैल्यू (minimum vote value) का कैलकुलेशन (calculation) किया गया है।
वोट वैल्यू का पता कैसे चलता है? (How does we know about vote value?)
दोस्तों, अब यह सवाल आपके दिमाग में अवश्य उठ रहा होगा कि आखिर इस वोट वैल्यू (how one can know about vote value?) का पता कैसे चलता है। मित्रों, भारतीय संविधान (indian constitution) के अनुच्छेद (article) 55 में इस संबंध में विस्तार से in (detail) बताया गया है। इसका तरीका इस प्रकार से है-
विधायकों के वोट की वैल्यू (vote value of MLAs)-
किसी राज्य के विधायक (MLA) के पास कितने वोट हैं, इसकी जानकारी के लिए उस राज्य की जनसंख्या (population) को राज्य (State) के विधानसभा सदस्यों की संख्या से भाग दिया जाता है।
इसके पश्चात जो संख्या आती है, उसे फिर से 1000 से भाग दिया जाता है। इस प्रकार जो संख्या अथवा अंक प्राप्त होता है। उसी से राज्य के एक विधायक के वोट का अनुपात (ratio of vote) निकलता है।
सांसद के वोट की वैल्यू (vote value of MP)-
दोस्तों, आपको बता दें कि सांसदों के वोट की वैल्यू की जानकारी प्राप्त करना थोड़ा आसान है। देश के सभी विधायकों के वोटों का जो मूल्य आता है, उसे लोकसभा एवं राज्यसभा सांसदों की कुल संख्या (total number) से भाग (divide) दिया जाता है।
इस प्रकार जो अंक हासिल होता है, वही एक सांसद के वोट की वैल्यू होती है। यदि वर्तमान की बात करें तो कुल 776 सांसदों, इनमें 543 लोकसभा एवं 233 राज्यसभा सदस्य शामिल हैं। के वोटों की संख्या 549408 है। एक सांसद के वोट की वैल्यू 708 है।
मित्रों, यदि आप राष्ट्रपति चुनाव (president election) के संबंध में अत्यधिक विस्तार से जानकारी चाहते हैं तो भारतीय संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में इस चुनाव के संबंध में विस्तार से प्रावधान (provision) किए गए हैं। ये अनुच्छेद एवं इनमें दी गई जानकारी इस प्रकार से हैं-
- अनुच्छेद 54- इस अनुच्छेद में इस बात की जानकारी दी गई है कि राष्ट्रपति चुनाव में वोट कौन कौन डाल सकता है।
- अनुच्छेद 55- इस अनुच्छेद में इस बात की जानकारी दी गई है कि राष्ट्रपति चुनाव किस प्रकार से होगा।
- अनुच्छेद 56- इस अनुच्छेद में बताया गया है कि राष्ट्रपति अपने पद पर कितने वर्ष तक रह सकता है।
- अनुच्छेद 57- इस अनुच्छेद में इस संबंध में जानकारी दी गई है कि कोई व्यक्ति राष्ट्रपति का चुनाव कितनी बार लड़ सकता है।
- अनुच्छेद 58- इस अनुच्छेद में यह बताया गया है कि राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने के लिए एक व्यक्ति में क्या क्या अर्हता होनी चाहिए।
- अनुच्छेद 62- इस अनुच्छेद में इस बात की जानकारी दी गई है कि यदि राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है तो उसे कितने समय के भीतर भरा जाना चाहिए।
- अनुच्छेद 71- इस अनुच्छेद में बताया गया है कि राष्ट्रपति चुनाव में यदि कोई विवाद होता है तो उसका समाधान कौन करेगा।
यह एक बेहद अहम सवाल है, जो बहुत से लोगों के जहन में उठता है। आपको जानकारी दे दें दोस्तों कि इस संबंध में भारत के संविधान के अनुच्छेद 71 (4) में व्यवस्था दी गई है।
इसमें स्पष्ट किया गया है कि राष्ट्रपति पद का चुनाव किसी भी स्थिति में नहीं रुकेगा। यदि किसी राज्य की विधानसभा भंग है अथवा कई राज्यों में विधानसभा सीटें रिक्त हैं तो भी राष्ट्रपति पद के चुनाव तय समय पर ही होंगे।
यदि किसी पार्टी का सदस्य पार्टी के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव में वोट करे तो क्या होगा? इस सवाल का जवाब आपको चौंका देगा। दोस्तों, आपको लग रहा होगा कि ऐसा करने पर पार्टी संबंधित सदस्य के खिलाफ कार्रवाई (action) करेगी। लेकिन दरअसल, ऐसा नहीं होता।
यदि किसी राजनीतिक पार्टी (political party) को यह पता चल जाता है कि उसका कोई सदस्य (member) पार्टी के खिलाफ जाकर वोट कर रहा है तो भी पार्टी उस सदस्य के खिलाफ व्हिप (Whip) यानी व्हाइट पेपर (white paper) जारी नहीं कर सकती।
मित्रों, हम आपको यह जानकारी दे चुके हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में कौन कौन वोट कर सकता है। अब हम आपको जानकारी देंगे कि राष्ट्रपति चुनाव में कौन कौन वोट नहीं कर सकता-
- राष्ट्रपति चुनाव में देश की जनता वोट नहीं कर सकती।
- मनोनीत सदस्य एवं विधान परिषद सदस्य (legislative council members) भी राष्ट्रपति चुनाव में भी वोट नहीं कर सकते।
- यदि किसी राज्य का मुख्यमंत्री (minister of state) विधान परिषद का सदस्य है तो वह भी राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं कर सकता।
हमारे देश के वर्तमान राष्ट्रपति का कार्यकाल कब समाप्त हो रहा है? (When the time period of our country’s present president is going to cease?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि वर्तमान में हमारे देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (president ramnath kovind) हैं। उनका कार्यकाल 25 जुलाई, 2024 को समाप्त होगा। इससे पूर्व देश का अगला राष्ट्रपति चुना जाना आवश्यक होगा। आपको बता दें कि यह देश का 15वां राष्ट्रपति होगा।
इस बीच एक और रोचक जानकारी आपसे साझा कर लें कि भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई, 1977 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।
उसके बाद से राष्ट्रपति के शपथ की तिथि करीब करीब तय हो गई है। पिछले करीब 45 वर्ष से इसी तारीख यानी 25 जुलाई को चुने गए राष्ट्रपति कार्यभार संभालते रहे हैं।
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि हमारे देश में राष्ट्रपति का चुनाव पिछली बार 17 जुलाई, 2017 के दिन हुआ था। मतगणना के पश्चात रामनाथ कोविंद को विजयी घोषित किया गया था।
उन्होंने चुनाव के ठीक सप्ताह भर बाद 25 जुलाई, 2024 को शपथ लेकर पदभार ग्रहण किया था। आपको बता दें दोस्तों कि राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं।
साथियों, यह तो आप भी जानते हैं कि देश में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर प्रक्रिया शुरू हो गई है। चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करने की तिथि 15 जून घोषित करते हुए राष्ट्रपति चुनाव की तिथि की घोषणा भी कर दी है।
भारत के अगले राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई, 2024 को होगा। इसके पश्चात 21 जुलाई, 2024 को नया राष्ट्रपति मिल जाएगा। आपको बता दें कि इस चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तिथि (last date of nomination) 29 जून, 2024 रखी गई है।
दोस्तों, आपको बता दें कि भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (chief election commissioner) राजीव कुमार (Rajeev Kumar) ने कुछ समय पहले ही बताया है कि राज्यसभा के महासचिव (general secretary of rajya sabha) को चुनाव प्रभारी (election in-charge) की जिम्मेदारी दी गई है।
चुनाव में वोटिंग के लिए एक स्पेशल इंक यानी विशेष स्याही वाला पेन मुहैया कराया जाएगा। वोटर को वोट देने के लिए अपनी पसंद 1,2,3 लिखकर बतानी होगी। पहली पसंद न बताने पर वोट रद्द हो जाएगा। राष्ट्रपति चुनाव की काउंटिंग यानी मतगणना नई दिल्ली स्थित संसद भवन परिसर (parliament House campus) में होगी।
आपको बता दें दोस्तों कि इसके लिए मतपेटियां (ballet boxes) कड़ी सुरक्षा (tight security) के बीच विधानसभाओं से संसद भवन यानी पार्लियामेंट हाउस के स्ट्रांग रूम (strong room) तक लाई जाएगी।
यह तो आप और हम सभी जानते हैं कि देश पिछले करीब दो वर्ष से कोरोना (corona) के दंश को झेल रहा है। कोरोना प्रभावित असंख्य लोग काल के गाल में समा चुके हैं। अर्थव्यवस्था (economy) को पटरी से उतारने में कोरोना एक बहुत बड़ी वजह बना हुआ है। यद्यपि कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है।
इसके नए वैरिएंट (variant) बीते दिनों सामने आए हैं, जिस वजह से अभी भी कोरोना को लेकर पर्याप्त सतर्कता एवं सावधानी बरती जा रही है। राष्ट्रपति चुनाव भी इससे अछूता नहीं है। बेशक, चुनाव आयोग फिलहाल देश में कोरोना की स्थिति बहुत गंभीर नहीं मानता, लेकिन बीमारी से संबंधित हालात देखते हुए चुनाव आयोग ने कहा है कि राष्ट्रपति चुनाव के मतदान एवं मतगणना के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल (corona protocol) का सख्ती से पालन कराया जाएगा।
इसके साथ ही पर्यावरण के अनुकूल यानी इको फ्रेंडली (eco friendly) एवं बायो डिग्रेडेबल सामग्री (biodegradable material) का ही इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाएगा। इसके साथ ही प्रतिबंधित प्लास्टिक सामग्री (restricted plastic material) का भी इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
साथियों, आपको जानकारी दे दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए राज्यों की जनसंख्या का आधार 1971 की जनगणना को लिया जाता है। 2026 में जनसंख्या के ताजा आंकड़ों के प्रकाशन के बाद इस आधार में बदलाव लाने की बात कही जा रही है।
देश में अब तक कौन कौन राष्ट्रपति हुए हैं? (Who have been the president so far in india?)
दोस्तों, आप यह अवश्य जानना चाहते होंगे कि हमारे देश में अब तक कौन कौन से राष्ट्रपति रहे हैं। इसका ब्योरा (details) इस प्रकार से है-
क्रम राष्ट्रपति कार्यकाल
- 1. डॉ राजेंद्र प्रसाद (26 जनवरी, 1950-13 मई, 1962)।
- 2. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (13 मई, 1962-13 मई, 1967)।
- 3. डॉ जाकिर हुसैन (13 मई, 1967-3 मई, 1969)।
- 4. वीवी गिरि 24 अगस्त, (1969-24 अगस्त, 1974)।
- 5. फखरूद्दीन अली अहमद (24 अगस्त, 1974-11 फरवरी, 1977)।
- 6. नीलम संजीव रेड्डी (25 जुलाई, 1977-25 जुलाई, 1982)।
- 7. ज्ञानी जैल सिंह (25 जुलाई, 1982-25 जुलाई, 1987)।
- 8. आर वेंकटरमण (25 जुलाई, 1987-25 जुलाई, 1992)।
- 9. डॉ शंकर दयाल शर्मा (25 जुलाई, 1992-25 जुलाई, 1997)।
- 10. केआर नारायणन (25 जुलाई, 1997-25 जुलाई, 2002)।
- 11. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (25 जुलाई, 2002-25 जुलाई, 2007)।
- 12. प्रतिभा पाटिल (25 जुलाई, 2007-25 जुलाई, 2012)।
- 13. प्रणब मुखर्जी (25 जुलाई, 2012-25 जुलाई, 2017)।
- 14. रामनाथ कोविंद (25 जुलाई, 2017-अब तक)।
देश में कार्यवाहक राष्ट्रपति कब कब, कौन कौन रहे?
मित्रों, आपको बता दें कि देश में कार्यवाहक राष्ट्रपति (acting president) भी रहे हैं। देश के तीसरे राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन (Dr Zakir Hussain) के पद पर रहते हुए मृत्यु की स्थिति में वीवी गिरि (vv giri) को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया। उन्होंने 3 मई, 1969 से लेकर 20 जुलाई, 1969 तक पद संभाला।
इसके पश्चात मोहम्मद हिदायुतल्लाह (Mohammad hidayatullah) को 20 जुलाई, 1969 से लेकर 24 अगस्त, 1969 तक इस पद का निर्वाह करना पड़ा।
इसी प्रकार देश के पांचवे राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद (faqarudin Ali Ahmed) के पद पर रहते हुए निधन की वजह से बासप्पा दनप्पा जत्ती (BD Jatti) ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में 11 फरवरी, 1977 से लेकर 25 जुलाई, 1977 तक कार्य किया।
भारत में किस किस राष्ट्रपति को भारत रत्न दिया गया? (Name the presidents who received Bharat Ratna?)
देश में भारत रत्न (bharat ratna) सर्वोच्च पुरस्कार है। अनेक राष्ट्रपतियों को पद संभालने के पश्चात अथवा इसके पूर्व इस पुरस्कार से नवाजा गया। इनके नाम एवं सम्मान का वर्ष इस प्रकार से हैं-
- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr sarvapalli radhakrishnan), 1954
- डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr Rajendra Prasad), 1962
- वीवी गिरि (VV Giri), 1975
- डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (Dr APJ Abdul Kalam), 1997
देश के विभिन्न राष्ट्रपतियों के साथ कैसी कैसी अनोखी उपलब्ध्यिां जुडीं? (What type of achiememts attached with different presidents of india?)
अब हम आपको एक रोचक जानकारी से रूबरू कराएंगे। यह आधारित होगी भारत देश के विभिन्न राष्ट्रपतियों के साथ जुड़ने वाली अनोखी उपलब्धियों के साथ। सबसे पहले बात देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की। आपको बता दें दोस्तों कि डॉ राजेंद्र प्रसाद देश के अकेले राष्ट्रपति हुए हैं, जिन्होंने दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति पद पर कार्य किया।
डॉ जाकिर हुसैन के मरणोपरांत कार्यकारी राष्ट्रपति का पद संभालने वाले मोहम्मद हिदायतुल्लाह भारत के मशहूर तबला वादक थे। उन्हें पद्रम भूषण से भी नवाजा गया। इसी प्रकार वीवी गिरि देश के पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति थे। यद्यपि ज्ञानी जैल सिंह सर्वाधिक विवादित राष्ट्रपति रहे।
उन्होंने भारतीय डाकघर (indian post office) से संबंधित एक विधेयक पर पॉकेट वीटो (pocket Vito) इस्तेमाल किया था। उनके कार्यकाल में ऑपरेशन ब्लू स्टार (operation blue star), भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (ex PM Indira Gandhi) की हत्या हुई। सिख विरोधी दंगे (Anti Sikh riots) भी उन्हीं के कार्यकाल में भड़के।
आर वेंकटरमण ऐसे राष्ट्रपति रहे, जिन्होंने अपने कार्यकाल में सबसे अधिक प्रधानमंत्रियों को शपथ (oath) दिलाई। केआर नारायणन भारत के प्रथम दलित राष्ट्रपति थे। वे पहले ऐसे मलयाली व्यक्ति थे, जो देश के सर्वाेच्च पद पर पहुंचे। वे लोकसभा चुनाव में वोटिंग करने वाले एवं राज्य की विधानसभा को संबोधित करने वाले भी पहले राष्ट्रपति थे।
मिसाइल मैन से मशहूर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पहले ऐसे वैज्ञानिक थे, जिन्होंने राष्ट्रपति पद संभाला। इसके अतिरिक्त वे भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जो सर्वाधिक वोट से जीते। परमाणु परीक्षण (atom testing) में उनका योगदान अतुलनीय रहा।
अब बात प्रतिभा देवी सिंह पाटिल की। वे सुखोई विमान उड़ाने वाली पहली महिला राष्ट्रपति रहीं। इसके साथ ही भारत की पहली महिला राष्ट्रपति होने का रिकार्ड भी उन्हीं के नाम दर्ज है।
क्या भारत में राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जा सकता है?
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 61 राष्ट्रपति के महाभियोग से संबंधित है। दरअसल, महाभियोग एक विधायिका संबंधित कार्रवाई है, वहीं, पद से हटाना एक कार्यपालिका संबंधित कार्रवाई है। यह मूल रूप से संविधान का उल्लंघन है। महाभियोग चलाने से 14 दिन पूर्व नोटिस दिया जाता है।
इसके पश्चात संसद में इस संबंध में प्रस्ताव लाया जाता है। यह प्रस्ताव सदन की कुल संख्या के दो तिहाई से अधिक बहुमत से पारित होना चाहिए। इसके पश्चात एक समिति इस प्रस्ताव की जांच करेगी। इस समय राष्ट्रपति को अपना पक्ष स्वयं अथवा अपने वकील के माध्यम से रखने का समय दिया जाएगा।
द्वितीय सदन द्वारा प्रस्तावित पारित करने के दिन से राष्ट्रपति पद से हट जाएगा। अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि क्या भारत के किसी राष्ट्रपति के खिलाफ कभी महाभियोग चलाया गया है? तो इसका जवाब न में है। यानी आज तक भारत के किसी भी राष्ट्रपति को महाभियोग का कभी भी सामना नहीं करना पड़ा है।
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राष्ट्रपति कौन होता है?
राष्ट्रपति देश एवं सरकार का संवैधानिक प्रमुख होता है। वह देश का प्रथम नागरिक एवं तीनों सशस्त्र सेनाओं का प्रधान भी होता है।
राष्ट्रपति का कार्यकाल कितना होता है?
राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है।
यदि राष्ट्रपति का पद रिक्त होता है तो उसे कितने समय के भीतर भरा जाना आवश्यक है?
यदि राष्ट्रपति का पद रिक्त होता है तो उसे छह माह के भीतर भरा जाना आवश्यक है।
यदि राष्ट्रपति के पद को लेकर कोई विवाद उत्पन्न होता है तो उसका समाधान कौन करता है?
यदि राष्ट्रपति के पद को लेकर कोई विवाद उत्पन्न होता है तो उसका समाधान सुप्रीम कोर्ट करती है।
जी हां, राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए भारत देश का नागरिक होना आवश्यक है।
राश्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 35 वर्ष निर्धारित की गई है।
जी नहीं, वह ऐसा नहीं कर सकता।
राष्ट्रपति चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से किया जाता है। यानी इसमें अन्य चुनावों की तरह जनता सीधे वोट नहीं करती।
राष्ट्रपति चुनाव में हार जीत वोट की संख्या नहीं, अपितु वोट वैल्यू के आधार पर होती है।
राष्ट्रपति चुनाव में केवल निर्वाचित राज्यसभा सांसद, लोकसभा सांसद एवं विधायक ही वोट कर सकते हैं।
भारत में राष्ट्रपति के पास क्या क्या शक्तियां होती हैं?
इस संबंध में पूरी जानकारी हमने आपको ऊपर पोस्ट में दी है। आप वहां से पढ़ सकते हैं।
जी नहीं, इस चुनाव में ईवीएम नहीं, बल्कि बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता है।
भारत के संविधान में अनुच्छेद 55 से लेकर अनुच्छेद 71 तक राष्ट्रपति चुनाव के प्रावधान दिए गए हैं।
दोस्तों, हमने इस पोस्ट (post) में आपको बताया कि राष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है? उम्मीद है कि आपको इसकी प्रक्रिया पूरी तरह स्पष्ट हो गई होगी। यदि इस पोस्ट को लेकर आपका कोई सवाल है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हम तक पहुंचा सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें इंतजार है। ।।धन्यवाद।।
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