रॉ एजेंट कैसे बनें? परीक्षा, भर्ती प्रक्रिया, योग्यता, सैलरी।

|| रॉ एजेंट कैसे बनें? रॉ एजेंट बनने के लिए क्या करें? How to be a RAW agent?, How To become a RAW agent? How to become RAW Agent, रॉ एजेंट कैसे बनें? RAW Agent कैसे बने, रॉ एजेंट बनने के लिए क्या करे ||

आपने अक्सर फिल्मों में देखा होगा कि एक देश की खुफिया एजेंसी के लोग दूसरे देश में नाम एवं भेष बदलकर रहते हैं। इनका काम वहां की सूचनाएं एकत्र कर अपने देश को भेजना होता है, ताकि देशहित में इनका उपयोग हो सके। बहुत से इंटेलीजेंस एजेंट्स को इस कार्य में अपनी जान भी गंवानी पड़ती है।

इसके बावजूद एजेंट के रूप में काम करने का रोमांच एवं क्रेज कम नहीं। हमारे देश में भी ऐसे बहुत से युवा हैं, जो रॉ एजेंट (RAW agent) बनकर देश के लिए काम करना चाहते हैं।

यदि आप भी ऐसी इच्छा रखते हैं तो आज हम आपको इस संबंध में पूरी जानकारी देंगे। आपको बताएंगे कि आप रॉ एजेंट कैसे बन सकते हैं। आइए, शुरू करते हैं-

Contents show

रॉ एजेंट की फुल फार्म क्या है? (What is the full form of RAW?)

दोस्तों, सबसे पहले जान लेते हैं कि रॉ की फुल फार्म क्या है? (What is the full form of RAW?) रॉ की फुल फार्म होती है रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (research and analysis wing)। इसका हिंदी में अर्थ होता है, अनुसंधान एवं विश्लेषण शाखा।

नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि यह विंग सूचनाओं के अनुसंधान एवं विश्लेषण से संबंधित है, ताकि उन्हें देश की सुरक्षा एवं देशहित में इस्तेमाल में लाया जा सके।

रॉ एजेंट कैसे बनें? रॉ एजेंट बनने के लिए क्या करें?

रॉ क्या है? (What is RAW?)

मित्रों, यह हमारे देश भारत की मुख्य इंटरनेशनल इंटेलीजेंस एजेंसी है। इसे आप हमारे देश में अंतरराष्ट्रीय अथवा विदेशी गुप्तचर संस्था भी पुकार सकते हैं। इसका कानूनी दर्जा (legal status) अभी तक स्पष्ट नहीं है।

खबरों आदि में इस संस्था के विषय में बहुत कम सुनने को मिलता है। आपको बता दें दोस्तों कि रॉ का ध्येय वाक्य धर्मो रक्षति रक्षितः है। इसका अर्थ है कि धर्म की रक्षा करने वाला ही सुरक्षित रहता है।

रॉ का गठन कब हुआ? (When was RAW formed?)

साथियों, यह तो आप जानते ही हैं कि चीन एवं पाकिस्तान हमेशा से भारत के पड़ोसी एवं दुश्मन देश रहे हैं। आपको बता दें कि 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को देश की सुरक्षा की चिंता सता रही थी।

ऐसे में पड़ोसी देशों की गतिविधियों पर नजर रखने, उनकी खुफिया सूचनाओं को एकत्र करने के मुख्य उद्देश्य के साथ और भारत की इंटेलीजेंस आवश्यकताओं को देखते हुए आज से करीब 54 वर्ष पूर्व 21 सितंबर, सन् 1968 में रामेश्वर नाथ काऊ के निर्देशन में रॉ का गठन किया गया था। इसका मुख्यालय (headquarter) नई दिल्ली (New Delhi) में बनाया गया।

रॉ एजेंट कौन होता है? (Who is a RAW agent?)

साथियों, सामान्य रूप से एजेंट (agent) का अर्थ प्रतिनिधि से लगाया जाता है। ऐसे में रॉ के लिए कार्य करने वाले व्यक्ति को रॉ एजेंट पुकारा जाता है। यही वह व्यक्ति होता है, जो विदेशों में जाकर रॉ के लिए गुप्तचरी यानी जासूसी करता है।

संबंधित देश की खुफिया सूचनाएं जुटाता है और उसे अपनी संस्था के प्रमुख से साझा करता है। यहां से सारी रिपोर्ट पीएम को जाती है। रॉ के एजेंट्स पड़ोसी देशों में हो रहे सैन्य बदलावों एवं विकास पर भी नजर रखते हैं, ताकि उस हिसाब से अपने देश को सुरक्षित किया जा सके।

रॉ एजेंट के क्या कार्य होते हैं? (What are the functions of a RAW agent?)

साथियों, रॉ एजेंट बनने की इच्छा अवश्य युवाओं में कुलबुलाती है, लेकिन अधिकांशतः रॉ एजेंट के कार्यों से वाकिफ नहीं होते। वे नहीं जानते कि एक रॉ एजेंट किस प्रकार के कार्य करता है।

इसलिए आवश्यक है कि एजेंट बनने की इच्छा पालने से पहले वे यह समझ लें कि यह कितने कितने खतरे, चुनौती एवं जिम्मेदारी भरा काम है। मुख्य रूप से एक रॉ एजेंट यह कार्य करता है-

  • भारत के पड़ोसी देशों में हो रहे राजनीतिक घटनाक्रम एवं सैन्य विकास पर नजर रखना।
  • विदेशी खुफिया जानकारी एकत्र करना।
  • आतंकवाद विरोधी अभियानों यानी एंटी टेरेरिस्ट कैंपेन (anti terrarist campaign) का संचालन।
  • देश में किसी भी प्रकार के भीतरी एवं बाहरी आक्रमण को विफल बनाना।
  • देश के परमाणु कार्यक्रम (atomic program) की सुरक्षा।
  • देश की आंतरिक एवं वाह्रय सुरक्षा (internal and external security) संबंधी मामलों पर नीति निर्माताओं (policy makers) को सलाह मशविरा देना आदि।

एक रॉ एजेंट की सैलरी कितनी होती है? (What is the salary of a RAW agent?)

मित्रों, अब आते हैं सैलरी संबंधी सबसे आवश्यक सवाल पर। आप भी सोच रहे होंगे कि एक रॉ एजेंट, जो अपनी जान मुश्किल में डालकर एजेंसी के लिए काम करता है, उसे कितनी सैलरी मिलती है।

आपको बता दें दोस्तों कि सामान्य रूप से एक रॉ एजेंट को 80 हजार रूपये से लेकर करीब सवा लाख रूपये तक मासिक सैलरी मिल जाती है। वैसे यह अनुभव एवं वरिष्ठता (experience and seniority) के आधार पर एवं विभिन्न देशों (different countries) के आधार पर अलग अलग हो सकती है।

रॉ एजेंट बनने के लिए क्या क्या आवश्यक योग्यताएं हैं? (What are the necessary qualifications to be a RAW agent?)

साथियों, अब आपको बताते हैं कि यदि आप रॉ एजेंट बनना चाहते हैं तो आपके पास क्या क्या योग्यताएं होनी आवश्यक हैं। ये इस प्रकार से हैं-

  • -उम्मीदवार भारत का नागरिक (citizen of India) हो।
  • -उम्मीदवार की आयु (age) न्यूनतम 19 वर्ष एवं अधिकतम 25 वर्ष हो।
  • -उम्मीदवार अविवाहित (unmarried) हो।
  • -उम्मीदवार ने किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय (recognised university) से स्नातक यानी ग्रेजुएशन (graduation) की डिग्री हासिल की हो।
  • -उम्मीदवार का पूर्व में किसी भी प्रकार का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड (criminal record) न रहा हो।
  • -उम्मीदवार फिजिकली एवं मेंटली (physically and mentally) फिट हो।
  • -उम्मीदवार की अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ हो। इसके साथ ही वह एक या इससे अधिक विदेशी भाषाएं (foreign languages) भी जानता हो तो बेहतर।
  • -उम्मीदवार को कंप्यूटर (computer) एवं कंप्यूटर प्रणाली का अच्छा ज्ञान हो।
  • -उम्मीदवार ड्रग्स (drugs) अथवा किसी अन्य प्रकार के नशे का आदी न हो।

रॉ एजेंट कैसे बना जा सकता है? (How to become a RAW agent?)

बहुत से युवा रॉ एजेंट अवश्य बनना चाहते हैं, लेकिन वे यह नहीं जानते कि इसके लिए उन्हें क्या करना होगा? रॉ एजेंट बनने की प्रक्रिया क्या है? इसके लिए कौन सी परीक्षा पास करनी होती है? आदि। आज हम आपको अवगत कराएंगे कि रॉ एजेंट कैसे बन सकते हैं। दोस्तों, इसके लिए कोई सीधी भर्ती अथवा परीक्षा नहीं होती।

रॉ आर्म्ड फोर्सेज/डिफेंस फोर्सेज (armed/forces), आईपीएस (IPS)/ भारतीय पुलिस सेवा (indian police service) अथवा आईएफएस (IFS) भारतीय विदेश सेवा (indian foreign service) के अधिकारियों में से ही कुछ खास अफसरों को चुनकर उन्हें सारी ट्रेनिंग देकर विदेशों में अपना एजेंट नियुक्त करती है।

इसके लिए सिविल सर्विसेज आफिसर्स (civil services officers) के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी (Lal Bahadur Shastri national administrative academy, mussoorie) में चलने वाले फाउंडेशन कोर्स (foundation course) के अंत में एक कैंपस इंटरव्यू (campus interview) आयोजित किया जाता है।

साइकोलाजिकल टेस्ट एवं इंटरव्यू (psychological test and interview) के आधार पर हुए चयन (selection) के बाद इन अधिकारियों को एक साल के लिए रॉ में इंडक्ट (induct) किया जाता है। यदि वे चाहें तो इस बीच अपनी पेरेंट सर्विस (parent service) ज्वाइन कर सकते हैं। अन्यथा उन्हें रॉ में स्थाई रूप से एब्जार्ब कर लिया जाता है। ग्रुप-ए सिविल सर्विसेज के अलावा डिफेंस सर्विसेज से भी डेप्युटेशन के आधार पर अधिकारियों को रॉ में भेजा जाता है।

वे स्थाई रूप से अपने कैडर से इस्तीफा देकर भी आरएएस (RAS) यानी रिसर्च एंड एनालिसिस सर्विसेज (research and analysis services), जिसकी स्थापना 1983 में हुई थी, को ज्वाइन कर सकते हैं। आपको बता दें कि आरएएस अफसरों पर रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रिक्रूटमेंट, कैडर एंड सर्विस) रूल्स-1975 यानी research and analysis wing (recruitment, cadre and service) rules-1975 लागू होते हैं।

इस प्रकार यदि आप भी रॉ एजेंट बनना चाहते हैं तो इसके लिए आपको पहले यूपीएससी (UPSC) यानी संघ लोक सेवा आयोग (union public service commission) की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। आईपीएस अथवा आईएफएस बनना होगा। अथवा आर्म्ड/डिफेंस फोर्स में अधिकारी बनना होगा।

यह आप जानते ही हैं कि ये सभी परीक्षाएं कठिन है एवं बहुत तैयारी मांगती है। यदि आपने दृढ़ संकल्प कर लिया है, तो ही इस दिशा में कदम आगे बढ़ाएं।

रॉ एजेंट को किस प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है? (What type of training a RAW agent is given?)

मित्रों, जैसा कि हमने आपको बताया कि एक रॉ एजेंट का कार्य बहुत मुश्किल होता है, ऐसे में उसकी ट्रेनिंग (training) बहुत अलग तरह की और मुश्किल होती है। रॉ एजेंट को सामान्य रूप से दो प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है-

1. बेसिक ट्रेनिंग (basic training):

मित्रों, पहले बात बेसिक ट्रेनिंग की करते हैं। यह ट्रेनिंग रॉ एजेंट के लिए खुफिया दुनिया से शुरूआती परिचय जैसी होती है। यह इस प्रकार से होती है-

  • -रॉ एजेंट को 10 दिन की मोराल ट्रेनिंग दी जाती है।
  • -रॉ एजेंट को विदेशी भाषाएं सिखाई जाती हैं।
  • -उसे आईटी (it), स्पेस टेक्नोलाजी (space technology), इनर्जी सिक्योरिटी (energy security), फाइनेंस (finance), इकोनामी (economy) आदि से जुड़ी सूचनाओं (informations) से अवगत कराया जाता है।
  • -अंजान धरती पर काम करने के लिए जियो स्ट्रेटेजिक एनालिसिस (gio strategic analysis) सिखाया जाता है।
  • -विदेशी खुफिया एजेंसियों (foreign intelligence agencies) जैसे मोसाद (MOSAD), सीआईए (CIA), आईएसआई (ISI), केजीबी (KGB), एमआई6 (MI6) आदि की केस स्टडीज (case studies) आदि प्रस्तुत की जाती हैं।
  • -इन खुफिया एजेंसियों द्वारा पूर्व में चलाए गए खुफिया अभियानों (intelligence operations) की जानकारी दी जाती है।
  • -उन्हें सिखाया जाता है कि गुप्तचर संस्थाएं दोस्त या दुश्मन की पहचान (indentify) नहीं करतीं, यह देश की विदेश नीति (foreign policy) करती है।

2. एडवांस ट्रेनिंग (advance training):

दोस्तों, बेसिक ट्रेनिंग खत्म होने के पश्चात रॉ एजेंट की एडवांस ट्रेनिंग शुरू होती है। इस ट्रेनिंग के दौरान रॉ एजेंट को फील्ड इंटेलीजेंस ब्यूरो फील्ड इंटेलीजेंस ब्यूरो यानी एफआईबी (FIB) से अटैच (attach) किया जाता है। यहां उन्हें एक-दो साल तक प्रशिक्षित किया जाता है।

यहां उन्हें आपरेशंस (operations) के दौरान पेश आने वाली तमाम तरह की परिस्थितियों/हकीकतों से रूबरू कराया जाता है। रात्रि एक्सरसाइज के दौरान वे real time condition में घुसपैठ (infiltration) एवं किसी स्थान से बाहर निकलने के गुर सीखते हैं। उन्हें पकड़े जाने से बचने के निर्देश दिए जाते हैं। साथ ही यह सिखाया जाता है कि यदि पकड़ लिए गए तो उन्हें पूछताछ (interrogation) का सामना कैसे करना है।

इस दौरान वे अपने संपर्क बनाने एवं इंटेलीजेंस मिशन को आपरेट करने के भी तरीके सीखते हैं। एडवांस ट्रेनिंग के बाद रॉ एजेंट को पुनः उनके बेसिक संस्थान भेजा जाता है, जहां वे सेल्फ डिफेंस (self defence) एवं तकनीकी डिवाइसों को चलाने की तकनीक समझते हैं।

उन्हें प्रशासकीय (administrative) बारीकियों का भी पुख्ता प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि वे विदेश नियुक्ति के दौरान बगैर किसी शक के दायरे में आए काम कर सकें। उन्हें आईएमए, देहरादून (IMA, dehradun) में फील्ड एंड आर्म ट्रेनिंग (field and arm training) भी दी जाती है। इस प्रकार वे विदेश में अंडर कवर एजेंट (under cover agent) के रूप में काम करने को तैयार हो जाते हैं।

रॉ एजेंट्स के विदेशों में इंटेलीजेंस आपरेशन का खर्च कौन उठाता है? (Who does bear the expenses of RAW agents foreign intelligence operations?)

मित्रों, आपको बता दें कि रा एजेंट विदेशों में जिन भी खुफिया अभियानों यानी इंटेलीजेंस आपरेशंस (intelligence operations) में शामिल होते हैं, उनका तमाम खर्च सरकार द्वारा उठाया जाता है। इन अभियानों के लिए फंड की कमी कभी नहीं होने दी जाती, क्योंकि मामला देश की सुरक्षा एवं संप्रभुता से जुड़ा होता है।

क्या रॉ की कोई आधिकारिक वेबसाइट भी है? (Is there any official website of RAW?)

जी नहीं दोस्तों, रॉ (RAW) की कोई (आधिकारिक वेबसाइट official website) नहीं है। इसकी आवश्यकता भी नहीं है, क्योंकि रॉ का सारा कार्य गुप्त (secret) होता है। इसके एजेंट कभी किसी को अपनी असलियत नहीं बताते। यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि वे अपना नाम एवं असल पहचान छिपाकर काम करते हैं।

रॉ के वर्तमान मुखिया कौन हैं? (Who is the present head of RAW?)

रॉ के वर्तमान मुखिया सामंत गोयल हैं। रा का मुखिया कैबिनेट सेक्रेटेरिएट (cabinet secretariat) में सेक्रेटरी (रिसर्च) यानी secratary (research) के रूप में प्राधिकृत (designated) होता है। वह सीधे प्रधानमंत्री (prime minister) को रिपोर्ट (report) करता है।

यदि प्रशासनिक आधार (administrative basis) पर बात करें तो रॉ का डायरेक्टर पहले कैबिनेट सेक्रेटरी को रिपोर्ट करता है, और कैबिनेट सेक्रेटरी प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।

रॉ से पूर्व इंटेलीजेंस का जिम्मा किसके पास था? (Who had the responsibility of intelligence before formation of RAW?)

मित्रों, यह प्रश्न आपके मस्तिष्क में अवश्य आ रहा होगा कि रॉ से पूर्व इंटेलीजेंस का जिम्मा किस एजेंसी के पास था? तो आपको बता दें साथियों कि रॉ से पूर्व यह जिम्मा आईबी (IB) के पास था। इसकी फुल फार्म इंटेलीजेंस ब्यूरो (intelligence bureau) है। आईबी की स्थापना ब्रिटिश राज (British rule) में हुई थी।

1933 में उसे भारतीय सीमाओं (indian borders) पर इंटेलीजेंस का जिम्मा सौंपा गया। 1947 में भारत की आजादी के बाद संजीव पिल्लै इसके पहले डायरेक्टर (director) बने। 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान इंटेलीजेंस फेल्योर की बातें सामने आने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने एक समर्पित विदेशी इंटेलीजेंस एजेंसी स्थापित किए जाने के संबंध में आदेशित किया।

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के पश्चात चीफ आफ आर्मी स्टाफ (chief of army staff) जनरल जयंतो नाथ चौधरी ने अधिक खुफिया सूचनाओं को एकत्र किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी स्वतंत्र स्कैंड सिक्योरिटी सर्विस (scanned security service) होने पर निर्णय लिया।

इसके फलस्वरूप 1968 में आईबी के तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर (deputy director) रामनाथ काउ (ramnath kao) ने एक नई एजेंसी का ब्लू प्रिंट (blue print) सबमिट किया। इस तरह रॉ आकार में आई और रामनाथ काउ को इसका पहला चीफ (chief) नियुक्त किया गया।

रॉ क्या है?

रॉ भारत की मुख्य इंटरनेशनल इंटेलीजेंस एजेंसी है। इसे भारत की विदेशी गुप्तचर संस्था भी कहा जा सकता है।

रॉ की फुल फार्म क्या है?

रॉ की फुल फार्म रिसर्च एंड एनालिसिस विंग है। इसे हिंदी में अनुसंधान एवं विश्लेषण विंग भी पुकारा जाता है।

रॉ की स्थापना कब हुई?

रॉ की स्थापना 21 सितंबर, 1968 को हुई।

रॉ की स्थापना का उद्देश्य क्या था?

1965 में पाकिस्तान युद्ध के पश्चात इंटेलीजेंस फेल्योर की बात सामने आने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश की सुरक्षा के मद्देनजर रा का गठन किया था।

रॉ का मुख्यालय कहां स्थित है?

रॉ का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

एक रॉ एजेंट क्या करता है?

एक रॉ एजेंट पड़ोसी देशों में होने वाले राजनीतिक एवं सैन्य विकास पर नजर रखता है। इसके साथ ही खुफिया विदेशी सूचनाएं एकत्र करना उसका मुख्य कार्य है।

रॉ एजेंट की सैलरी कितनी होती है?

रॉ एजेंट की सैलरी 80 हजार रुपए से लेकर सवा लाख रुपए मासिक तक होती है।

क्या रॉ एजेंट का अविवाहित होना आवश्यक है?

जी हां, रॉ एजेंट बनने के लिए यह एक आवश्यक शर्त है।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में रॉ एजेंट कैसे बनें? विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उम्मीद है कि आपके सामने रॉ एजेंट बनने की प्रक्रिया पूरी तरह से स्पष्ट हो गई होगी। यदि आपका इस पोस्ट के संबंध में कोई सवाल है तो उसे आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं का स्वागत है। ।।धन्यवाद।।

————————

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
[fluentform id="3"]

Comments (5)

  1. मैं यह सूचना पाकर मुझे बहुत अच्छा लगा मैं राॅ के बारे में पहले से थोड़ा कुछ जानता था परंतु मैं ज्वाइन नहीं कर सकता हूं मेरी एज अभी 18 से थोड़ा कम है। तो मैं देश के अन्दर आपकी सहायता कर सकता हूं
    जय हिन्द।

    प्रतिक्रिया
  2. देश विदेश की बहुत सारी घटनाओं में बहुत ज्यादा इंटरेस्ट लेता हूं बट मैं मेरे थॉट किसी को कह नहीं पाता ।बट मैं आपकी हेल्प कर सकता हूं देश के कुछ पाठ को मैनेजमेंट कैसे किया जा सकता है मैं सलाह मशवरा कर सकता हूं। मैं कुछ हिस्से पर आपकी बहुत ज्यादा हेल्प कर सकता हूं मुझे इस में बहुत ज्यादा इंटरेस्ट है मैं योजना बनाने में और सॉल्यूशन ढूंढने में मुझे काफी इंटरेस्ट हैं

    प्रतिक्रिया

Leave a Comment