कन्या भ्रूण हत्या: नियम कानून सजा | भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार

कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार – इस दुनिया में कई प्रकार के लोग होते हैं ,जो अपने हिसाब से अपना जीवन निर्वाह करते हैं। मनुष्य में सारे गुण होने के बावजूद भी उनमें कहीं ना कहीं स्वार्थ का व्यवहार होता है। स्वार्थ का होना मनुष्य की प्रकृति भी बन जाती है। आप देखेंगे कि हमारे चारों ओर के लोग अपने स्वार्थ सिद्धि में ही लगे रहते हैं। इन सब के बावजूद भी प्रकृति में ऐसी निर्मल रचना है, जो कि परस्पर सभी को भावविभोर कर देती है। वह मनोहर, सुंदर रचना एक बच्चे की होती है।

किसी भी बच्चे का मन सुंदर और निश्चल होता है। उसे नहीं पता कि इस विशाल दुनिया में आखिर क्या चल रहा है ?वे अपनी मनोहर मुस्कान से ही सभी का दिल जीत लेने में माहिर होते हैं। बच्चा चाहे लड़का हो या लड़की सभी ईश्वर की असीम अनुकंपा के अंतर्गत आते हैं। हमारे देश में छोटी कन्याओं को देवी का रूप भी कहा जाता है। यथावत उनकी पूजा-अर्चना भी की जाती है। भारत जितनी प्रगति कर ले पर कुछ कुरीतियां आज भी पैर पसारे खड़ी हुई है जिसकी वजह से समाज में सामाजिक क्षति होने लगती है।

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कन्या भ्रूण हत्या क्या है? What is female feticide?

समाज ने चाहे कितनी भी तरक्की प्राप्त कर ली हो पर समाज की ही कुरीति कन्या भ्रूण हत्या आज भी की जाती है। हमारा शिक्षित समाज में भी लड़कों को लड़कियों से ज्यादा मान-सम्मान मिलता है गांव हो या शहर ,गरीब हो या अमीर। लोगों को हमेशा बेटे होने की ही लालसा रहती है, ऐसे में लोग कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध से भी पीछे नहीं हटते।

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कन्या भ्रूण हत्या समाज में लड़कों को प्राथमिकता देने के लिए जानबूझकर ही जन्म के पहले से ही कन्या शिशु को गर्भ में मार दिया जाता है। यह एक जघन्य अपराध है। कई बार महिला के बिना जानकारी के ही प्रसव से पहले कन्या भ्रूण की हत्या की जाती है। यह प्रथाएं उन क्षेत्रों में ज्यादा प्रचलित हैं, जहां सांस्कृतिक रूप से लड़कों ओ ज्यादा महत्व दिया जाता है।

समाज की कुरीति – Evil of society

समाज में प्रगति होने के बाद कुछ कुरीति चली आ रही हैं जिसमें कन्याओं के साथ भेदभाव किया जाता है। उनके साथ सही तरीके से व्यवहार नहीं किया जाता है। हमेशा उनकी क्षमता को एक लड़के से कम ही आंका जाता है। उन्हें अपने हिसाब से जीवन जीने का अधिकार भी नहीं दिया जाता है। समाज में होने वाली कुरीति में कन्या भ्रूण हत्या भी बहुत अशोभनीय जान पड़ती है।

जहां ऐसे कुकर्म से हम खुद को पिछड़ा करते हैं। जिसे रोकने के लिए सरकार ने कुछ जरूरी कदम उठाए हैं, जो ऐसी कुरीति को रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं।

कन्या भ्रूण परीक्षण की शुरुआत – Start of female embryo testing

दोस्तों, कन्या भ्रूण का सिलसिला तब प्रारंभ हुआ, जब हमारे देश में गर्भ में पल रहे बच्चे की जांच करने वाली मशीन अल्ट्रासाउंड का प्रयोग प्रारंभ हुआ। पश्चिम देश के वैज्ञानिकों ने इसका अविष्कार इसलिए किया था ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे की किसी प्रकार के दोष को पहचाना जा सके। इस मशीन से बच्चे की विकृति का भी पता लगाया जा सकता था। धीरे-धीरे इस मशीन का भारत में दुरुपयोग शुरू हो गया। कन्या भ्रूण का परीक्षण करवा कर उसकी हत्या का जैसा मार्मिक दुष्ट कार्य फैशन बनता चला गया। ऐसे में उन डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए जो ऐसे कार्य को बढ़ावा देते हैं इसके अलावा कड़ी सजा का भी प्रावधान है।

कन्या भ्रूण हत्या की सजा – Female feticide punishment

परिवार में किसी ने बच्चे का होना खुशी और उल्लास का विषय होता है। समाज में इन कुरीतियों की वजह से सरकार ने भी नियमों को कड़ा कर दिया है। धारा 314 के अनुसार गर्भपात के दौरान यदि महिला की मौत हो जाए तो 10 साल का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों ही हो सकता है। धारा 315 के अंतर्गत अजन्मे बच्चे को जन्म से रोकना या मार डालना भी गुनाह की श्रेणी में आता है। ऐसा अपराध करने वालों को 10 साल की सजा या जुर्माना हो सकता है।

भारत में कन्या भ्रूण के खिलाफ कानून – Laws against female fetus in India

भ्रूण हत्या को एक अपराध मानते हुए कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ कुछ अधिकार दिए गए हैं ,जो किसी महिला और उसके बच्चे के लिए लाभप्रद होंगे

1) लिंग की जांच और उसकी हत्या के खिलाफ कानून – Laws against gender screening and murder

किसी भी महिला के गर्भ में बच्चे की जांच करवाना, शब्दों या इशारों से भ्रूण में पल रहे बच्चे के लिंग का पता लगाना, गर्भवती महिला को लिंग जांच के लिए उकसाना, बिना किसी रजिस्ट्रेशन के अल्ट्रासाउंड करवाना कानून के खिलाफ है। ऐसे प्रकरणों का अपराधिक भी कहा जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर को भी सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

2) कानून के उल्लंघन की सजा – Law violation penalty

इस गंभीर अपराध को करने पर कानून की तरफ से भी सजा का प्रावधान है। यदि पहली बार नियमों का उल्लंघन होता है ,ऐसे में 3 साल की कैद और ₹50000 जुर्माना हो सकता है। दूसरे बार पकड़े जाने की स्थिति में 5 साल की कैद और एक लाख तक का जुर्माना हो सकता है। लिंग की जांच किए जाने पर डॉक्टर या क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जा सकता है। प्रत्येक डॉक्टर को अपनी क्लीनिक के बाहर भ्रूण हत्या के खिलाफ बोर्ड लगाना आवश्यक है।

3) प्रसव पूर्व निदान तकनीक इस्तेमाल की शर्तें –

यदि महिला प्रसव पूर्व निदान चाहती है तो इसके लिए कुछ आवश्यक शर्तें दी गई हैं

  1.  जिसके अंतर्गत गर्भवती स्त्री की उम्र 35 साल से अधिक होना चाहिए।
  2. महिला की दो या दो से ज्यादा बार गर्भपात किया जा चुका हो।
  3. यदि गर्भवती स्त्री किसी नशीली दवाई , संक्रमण, रसायन के संपर्क में हो।
  4. गर्भवती स्त्री या उसके पति द्वारा किसी अनुवांशिक बीमारी के लक्षण देखे गए हो।

कानूनी तौर पर गर्भपात की शर्तें – Legally abortion terms in India

कुछ ऐसे कारण हुई हैं जिनकी वजह से गर्भपात करना आवश्यक होता है। गर्भ का चिकित्सीय समापन 1971 के अंतर्गत कानूनी तौर पर गर्भपात की कुछ शर्ते होती है।

  • जब गर्भ के वजह से महिला की जान पर खतरा बना हो।
  • महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को खतरा हो।
  • बच्चा गंभीर रूप से विकलांग पैदा होने की स्थिति में हो।
  • महिला या पुरुष द्वारा परिवार नियोजन का साधन असफल रहा हो।
  • गर्भ बलात्कार के कारण ठहरा हो।
  • डॉक्टर की सलाह पर 12 हफ्तों तक गर्भपात किया जा सकता है। ज्यादा दिनों के गर्भपात को डॉक्टर की सलाह से गिराया जा सकता है।

गर्भपात के व सरकारी अस्पताल या निजी चिकित्सा केंद्र जहां भी” फॉर्म बी” लगा हो और रजिस्टर्ड किया गया हो, वहां से करवाया जा सकता है।

भारत में कन्या भ्रूण हत्या के प्रमुख कारण – Major causes of female feticide in India

हमारे समाज में आज भी कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथा को जीवित रखा गया है। भारत में कई प्रकार के कारण दिए जाते हैं जिनकी वजह से कन्या भ्रूण हत्या को किया जाता है।

  1. बेटियां कभी भी पुश्तैनी क्षेत्रों या व्यवसाय में हाथ नहीं बटा सकती जबकि बेटे यह काम आसानी से कर जाते हैं।
  2.  वृद्धावस्था में माता-पिता को सहारा देने का कार्य बेटों द्वारा किया जाता है तथा बेटियां अपने ससुराल की जिम्मेदारी का निर्वहन करती हैं।
  3.  बेटों को विवाह में दहेज मिलता है जिससे आर्थिक लाभ होता है जबकि बेटियां अपने साथ सारा धन लेकर ससुराल जाती है।
  4. ऐसी कुप्रथा इसलिए भी देखी जाती है क्योंकि लोगों को ऐसा लगता है कि संतान की उत्पत्ति के लिए पुरुष का होना ही अनिवार्य है जबकि यह सरासर गलत है।

ऐसा भी समझा जाता है कि बेटे के होने पर परिवार का ओहदा बढ़ जाता है। यह सब कुरीतियां है, जो बिल्कुल सत्य नहीं है।

राज्यों में लिंगानुपात का हुआ बुरा हाल

गुजरात का हाल

भारतीय भ्रूण हत्या के मामलों से कई बड़े राज्यों में लिंगानुपात का हाल बुरा हो चुका है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार ऐसे मामलों में और भी सख्ती की गुंजाइश रहती है। पिछले वर्षों के आंकड़ों में गुजरात में जन्म के समय का लिंगानुपात सबसे ज्यादा 53 पॉइंट गिरा है। यह आंकड़ा गिरता ही जा रहा है। अब वहां प्रति हजार 907 लड़कियों से घटकर 854 रह गया है। ऐसे आंकड़ों को देखकर लगता है कि कठोर कदम उठाने की सख्त आवश्यकता है।

हरियाणा में लिंगानुपात का असर

लिंगानुपात के आंकड़े हर राज्य में बिगड़ते जा रहे हैं। गुजरात के बाद हरियाणा दूसरे नंबर पर रहा। यहां प्रति हजार लड़कियों की संख्या 866 से घटकर 831 हो गई। जो बेहद शर्मनाक कहा जा सकता है।

पंजाब में लिंगानुपात का असर

अगर कहीं लिंगानुपात में सुधार देखा गया है, तो पंजाब में। एक रिपोर्ट के अनुसार लिंगानुपात के मामले में जन्म के समय 19 पॉइंट बढ़ गए हैं। यह आंकड़ा प्रति हजार 870 लड़कियों में से बढ़कर 889 हो गया है। वही उत्तर प्रदेश में 10 और बिहार में 9 पॉइंट बढे हैं।

इसके अलावा राजस्थान में 32 ,उत्तराखंड में 27, महाराष्ट्र में 18 ,हिमाचल में 14, छत्तीसगढ़ में 12, कर्नाटक में 11 पॉइंट की गिरावट हुई है किसी भी राज्य में लिंगानुपात के आंकड़े स्थिर नहीं है।

भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को देखकर हुए “द प्री कनसेप्शन एंड पी नेटल डायग्नोस्टिक्स टेक्निकल एक्ट 1994” संसद से पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

कन्या भ्रूण हत्या एक अभिशाप – Female feticide is a curse

समाज में चाहे कितने भी प्रतिशत शिक्षित लोग हैं फिर भी खुद लोगों की मानसिकता से सारे समाज का नुकसान होता है। संकुचित व छोटी मानसिकता से इंसान किसी भी शिखर में पहुंचने पर नाकामयाब रहेगा। समाज में कन्या भ्रूण हत्या एक अभिशाप के रूप में देखा जाता है। यह एक चिंताजनक स्थिति है।

सोचने वाली बात यह है कि यदि इसी प्रकार भ्रूण हत्या की जाएगी तो समाज में महिला नहीं होंगी जिसमें सामाजिक संरचना क्षत-विक्षत हो जाएगी। बिगड़ते हालात को देखते हुए कानून को आगे आना चाहिए। आने वाले दिनों में इंसानों का सामाजिक स्तर गिरता नजर आ रहा है जहां लोगों को वंश चलाने के लिए बहु तो चाहिए परंतु बेटी नहीं।

कन्या भ्रूण हत्या में महिलाओं की जागरूकता – Awareness of women in female feticide

जब किसी कन्या भ्रूण की हत्या होती है उस समय सबसे ज्यादा दर्द महिला को ही होता है क्योंकि भ्रूण चाहे कन्या हो या ना हो लेकिन वह अंश महिला का ही होता है। ऐसे में महिलाओं को कमजोर नहीं पड़ना चाहिए |उन्हें जागरूक रहते हुए निरंतर सच का साथ देते हुए इस अपराध को रोकना चाहिए। कई बार औरतों की आवाज को दबाया जाता है ऐसे में महिलाओं को एकजुट होकर जागरूक रहना चाहिए। अगर महिला चाहे तो जोर जबरदस्ती होने पर पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवा सकती हैं। एक महिला का कर्तव्य है कि समाज के दबाव में न आकर अपने बच्चे के विकास में सहयोग करें और उसे प्यार दे।

कन्या भ्रूण हत्या का असली कारण हमारी सामाजिक परंपरा और मान्यता है। बेटे की चाह में न जाने कितने बेटियों की बलि दे दी जाती है? आज के बदलते परिवेश में यदि कोई लड़की अपनी मेहनत और प्रतिभा से मुकाम हासिल करें, तो समाज उसे स्वीकार करता है। हमारे समाज में ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने महिला वर्ग को गौरवान्वित किया है। कन्या भ्रूण रोकने के लिए लोगों में परस्पर एकता और जागरूकता की आवश्यकता है। जागरूक होने से ही समाज का सही विकास हो पाएगा और हम बेटियों का अधिकार दिलाने में कामयाब रह पाएंगे।

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