सहकारी समिति क्या होती है? यह कैसे कार्य करती हैं? | Sahkari samiti kya hoti hai

Sahkari samiti kya hoti hai: आप लोगों ने अवश्य ही सहकारी समिति का नाम सुन रखा होगा क्योंकि यह देश के हर हिस्से में हर क्षेत्र में बनायी गयी समितियां होती है। इनका संबंध कृषि, दूध, व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य, वाणिज्य इत्यादि किसी से भी हो सकता है। जो लोग सहकारी समिति के बारे में इतना नहीं जानते हैं और इसके बारे में जानने को इच्छुक हैं उन्हें आज हम इसी के बारे में ही बताने वाले हैं। वैसे तो सहकारी समिति का नाम सभी ने सुना होता है लेकिन फिर भी यह किस तरह से काम करती है, इसके बारे में सही से जानकारी नहीं होने के कारण लोग इसका लाभ नहीं उठा पाते (Sahkari samiti ka kya arth hai) हैं।

अब दुनिया के हर देश और समाज में कुछ प्रभावशाली लोग होते हैं और उनका लगभग हर चीज़ में दबदबा होता है। ऐसे में जो निर्धन या कमजोर वर्ग के लोग हैं, वे अपने हितों की रक्षा किस प्रकार करे, यह एक बड़ा प्रश्न उभर कर सामने आता है। तो उसके लिए सही उत्तर होता है सहकारी समिति का गठन किया जाना। मुख्य तौर पर यह कमजोर या समाज में दबे हुए लोगों के द्वारा बनायी गयी एक समिति होती है जिन्हें सरकार का भी सरंक्षण प्राप्त होता (Sahkari samiti kise kahate hain) है।

ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको इस सहकारी समिति के बारे में शुरू से लेकर अंत तक हरेक महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाने वाले हैं। इसे पढ़कर आपको यह जानने में सहायता मिलेगी कि आखिरकार यह सहकारी समिति होती क्या है और इनके क्या कुछ कार्य होते हैं। इसी के साथ ही सहकारी समिति के कौन कौन से प्रकार होते हैं, उनके बारे में भी हम आपको इसी लेख के माध्यम से ही जानकारी (Sahkari samiti kya hai) देंगे।

सहकारी समिति क्या होती है? (Sahkari samiti kya hoti hai)

अब हम बात करते हैं कि यह सहकारी समिति होती क्या है और इसका निर्माण आखिरकार क्यों ही किया जाता है। तो अपने नाम के हिसाब से आप यह मत सोचिये कि यह सरकार के द्वारा बनायी गयी कोई समिति होती है या सरकार का नियंत्रण इस पर होता है। हालाँकि सरकार के द्वारा अपनी इच्छा के अनुसार इन सहकारी समितियों का प्रबंधन या सहायता करने का कार्य किया जा सकता है लेकिन वे इस सहकारी समिति की मालिक नहीं होती (Sahkari samiti ki paribhasha) है।

Sahkari samiti kya hoti hai

ऐसे में यह सहकारी समिति एक ऐसा संगठन या संस्था या कंपनी होती है जो कमजोर या दबे हुए वर्ग के द्वारा अपने समूह के लोगों का उत्थान करने के लिए बनायी गयी समिति होती है। अब इसे हम एक उदाहरण देकर समझाना चाहें तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में डॉक्टर सबसे प्रभावशाली होते हैं। ऐसे में यदि नर्स के द्वारा एक समिति का गठन किया जाता है तो उसे हम सहकारी समिति का ही नाम देते हैं। डॉक्टर की तुलना में नर्स कम प्रभावशाली समूह होता है। ऐसे में कोई एक नर्स डॉक्टर के सामने आवाज नहीं उठा सकती (Sahkari samiti kya hai in Hindi) है।

इस कारण नर्स के द्वारा एक सहकारी समिति बना दी जाती है जो उस डॉक्टर के सामने आवाज उठा सकती है। ऐसे ही आप किसी कंपनी में काम कर रहे मजदूरों के संगठन या समूह को लेकर भी जान सकते हैं। पुराने समय में श्रीदेवी की एक फिल्म भी आयी थी जिसमें वह एक कंपनी की मालिक होती है और उसके विरुद्ध अनिल कपूर सहकारी समिति का नेतृत्व करते हुए उसके विरुद्ध आवाज उठाता है। तो उसे भी हम एक सहकारी समिति कह सकते हैं जो मजदूरों से जुड़ी हुई होती (Sahkari samiti kya hoti hai in Hindi) है।

हालाँकि यदि हम सहकारी समिति की व्यापक परिभाषा के रूप में देखें तो इसका काम आवाज उठाना या आंदोलन करना नहीं होता है क्योंकि वह काम तो दबाव समूह का होता है। सहकारी समिति वह समिति होती है जो अपने लोगों की पारस्परिक सहायता करने के उद्देश्य से बनायी गयी एक समिति होती है। यह हर क्षेत्र में बनी होती है जहाँ कुछ लोग जुड़कर एक दूसरे का सहयोग करते हैं, उन्हें आगे बढ़ने में सहायता करते हैं और काम करते चले जाते (Sahkari samiti ke bare mein bataiye) हैं।

सहकारी समिति के प्रकार (Sahkari samiti ke prakar)

अब हम बात करते हैं सहकारी समिति के प्रकारों के बारे में। आपने ऊपर सहकारी समिति की परिभाषा पढ़ी लेकिन आपको अभी भी सहकारी समिति के बारे में ठीक से समझ नहीं आया होगा। वह इसलिए क्योंकि यह एक बहुत ही विस्तृत रूप होता है जो सभी क्षेत्रों में फैला हुआ होता है। इसका उद्देश्य केवल अपने जैसे कमजोर लोगों की सहायता करने का होता है और उसी के लिए ही एक समिति का गठन किया जाता है जिसे हम सहकारी समिति के नाम से जानते (What is sahkari samiti in Hindi) हैं।

अब इसी सहकारी समिति के बारे में व्यापक रूप से जानने के लिए आपको इसके प्रकारों के बारे में जानकारी लेनी होगी। इसे जानकर ही आपको पता चल पायेगा कि आखिरकार सहकारी समिति का रूप क्या होता है या फिर उससे हमारा क्या तात्पर्य है।

उपभोक्ता सहकारी समिति (Upbhokta sahkari samiti kya hai)

उपभोक्ता अर्थात वह व्यक्ति जो सामान की खरीदारी करता है और उसके लिए दाम चुकाता है। अब उपभोक्ता सहकारी समिति वह समिति होती है जहाँ पर उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर कोई वस्तु उपलब्ध करवाने का काम किया जाता है। इस तरह की सहकारी समिति में उपभोक्ता को किसी चीज़ के लिए ज्यादा मूल्य नहीं चुकाना होता है और उसका काम चल जाता है। इस तरह की सहकारी समितियों को मुख्य रूप से सरकार के द्वारा सब्सिडी देने का काम किया जाता है।

उत्पादक सहकारी समिति

जिस प्रकार उपभोक्ता को लाभ पहुंचाने की बात होती है तो ठीक उसी तरह छोटे उत्पादों या निर्माताओं का भी तो सहयोग करना आवश्यक हो जाता है। अब हमारे देश में कई तरह की बड़ी कंपनियां है लेकिन उसी के साथ ही कई छोटी कंपनियां भी है जो उत्पादों का निर्माण करने का काम करती है। ऐसे में उनके उत्पादों को बेचने में सहायता करना और उन्हें माल बनाने में सहायता करना ही इस उत्पादक सहकारी समिति का काम होता है।

आवास सहकारी समिति

इस तरह की सहकारी समिति तो आपने सरकारी स्तर पर भी बहुत देखी होगी। इसमें सरकार या नगर परिषद आपके शहर या क्षेत्र में किसी भूभाग का अधिग्रहण कर लेती है और फिर उसे निम्न आय वर्ग के लोगों को उचित दाम पर बेच देती है। इसके लिए लोटरी सिस्टम भी निकाला जा सकता है या फिर सरकार के द्वारा चुनिंदा लोगों को इसका लाभ दिया जाता है। तो यह आवास सहकारी समिति केवल सरकार के स्तर पर ही नहीं बल्कि निजी तौर पर भी बनायी जाती है।

वित्तीय सहकारी समिति

इस तरह की सहकारी समिति भी बहुत ज्यादा होती है और खासतौर पर सहकारी समिति में इसी तरह की सहकारी समिति का चलन ही सबसे ज्यादा है। आपने कई तरह के सहकारी समिति बैंक भी देखे होंगे जिन्हें आपने कॉपरेटिव बैंक के नाम से सुना होगा। तो सहकारी समिति को अंग्रेजी में कॉपरेटिव ही कहते हैं। इस तरह की सहकारी समितियों के माध्यम से निम्न या कम आयु वर्ग के लोगों को सस्ती ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध करवाया जाता है या उनकी अन्य तरीकों से आर्थिक सहायता की जाती है। 

विपणन सहकारी समिति

इस तरह की सहकारी समिति को हम मार्केटिंग कॉपरेटिव एजेंसी भी कह सकते हैं जो लोगों के बनाये उत्पादों को प्रमोट करने और उनका जगह जगह प्रचार प्रसार करने में सहायता करती है। यह कुछ हद्द तक उत्पादक सहकारी समिति के जैसी ही है लेकिन वह तो उन्हें बनाने में सहयोग करती है और उसके लिए सहायता उपलब्ध करवाती है जबकि यह विज्ञापन करने और उन्हें बाजार में जाकर बेचने में सहायता उपलब्ध करवाती है।

सहकारी समिति की विशेषताएं (Sahkari samiti ki visheshta)

अब आपको सहकारी समिति की क्या कुछ विशेषताएं होती है या इन्हें क्यों बनाया जाता है या फिर इनके क्या कुछ उद्देश्य होते हैं, इसके बारे में भी जान लेना चाहिए। सहकारी समिति के एक नहीं बल्कि कई उद्देश्य होते हैं जो उनकी विशेषताओं को प्रदर्शित करने का काम करते हैं। इसी कारण ही इन सहकारी समितियों को बनाया जाता है या सरकार के द्वारा इन्हें सब्सिडी दी जाती है ताकि यह कम आय वर्ग के लोगों की सहायता कर सके और उन्हें आगे बढ़ने में सहायता कर सके।

  • जो अन्य समूह होते हैं वह किसी एक चीज़ को ध्यान में रखकर बनाये गए होते हैं। ऐसे में उस समूह में केवल किसी विशिष्ट जाति, धर्म या समुदाय के लोग ही सदस्य बन सकते हैं जबकि सहकारी समिति के साथ ऐसा कुछ नहीं होता है।
  • कोई भी व्यक्ति जो सहकारी समिति के नियमों का पालन करता है और कमजोर वर्ग का है तो वह उसका सदस्य बन सकता है। इसके माध्यम से वह सहकारी समिति के तरह तरह के लाभ उठा सकता है और स्वयं का उत्थान कर सकता है।
  • यह एक अपनी इच्छा से बनाया गया संगठन या संघ होता है जो कोई भी बना सकता है। इसके लिए कोई ज्यादा लंबे चौड़े नियम नहीं होते हैं और ना ही इसके लिए कुछ ज्यादा पैसा लगता है।
  • इसके लिए बस सरकार के पास पंजीकरण करवाने की आवश्यकता होती है, जिस प्रकार हम अपने व्यापार या उत्पाद का पंजीकरण करवाते हैं, कुछ उसी तरह ही।
  • सहकारी समिति के लोगों का दायित्व भी एक सीमित राशि तक ही होता है और वे इससे ज्यादा हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि इसमें किसी एक व्यक्ति को ही सर्वेसर्वा नहीं बनाया जाता है।
  • सहकारी समिति में सभी सदस्यों के हितों की रक्षा की जाती है ताकि सभी का ही उत्थान हो सके। इसके लिए समय समय पर कई तरह की योजनाओं का निर्माण किया जाता रहता है।
  • वैसे तो सहकारी समिति निजी संस्था होती है लेकिन फिर भी यह लोगों के उत्थान के लिए सही रूप में काम करती रहे, इसलिए इसे एक राज्य के नियंत्रण में भी रखा जाता है। इसके आधार पर उस सहकारी समिति के सदस्यों को सभी तरह के काम और वित्तीय लेनदेन का लेखा जोगा रखना होता है और सरकार को दिखाना होता है।
  • यदि वह सहकारी समिति एक से अधिक राज्यों में काम करती है तो फिर उसका नियंत्रण दोनों राज्यों की सरकारों के पास होता है या किन्हीं विशिष्ट परिस्थितियों में वह केंद्र सरकार के हाथ में भी जा सकता है।

इस तरह से सहकारी समिति की कई तरह की विशेषताएँ होती है जो उन्हें अन्य संगठन व समूह से अलग करने का काम करती है। यहाँ एक बात ध्यान रखिये कि हर सहकारी समिति को राज्य सरकार को रिपोर्ट करना ही होता है और यह आज के समय में अनिवार्य हो गया है। ऐसे में वह निष्पक्ष या स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकती है।

सहकारी समिति के लाभ (Sahkari samiti ke labh)

अब आपको सहकारी समिति से जुड़ने के या उसे बनाने के क्या कुछ लाभ होते हैं या देखने को मिलते हैं, उसके बारे में भी जान लेना चाहिए। तो एक सहकारी समिति को बनाने के एक नही बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं जिन्हें हम एक एक करके नीचे रखने जा रहे (Sahkari samiti ke labh bataiye) हैं।

  • सहकारी समिति से जुड़ने का या उसे बनाने का सबसे बड़ा और प्रमुख लाभ तो यही देखने को मिलता है कि इसके द्वारा समाज के दबे कुचले वर्ग या आर्थिक रूप से पिछड़े हुए वर्ग को आगे बढ़ाने का काम किया जाता है।
  • इसके माध्यम से कमजोर व निर्धन लोगों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने और उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान कर उनके जीवन को सरल बनाने का काम किया जाता है।
  • इसके माध्यम से जो भी उत्पाद बेचे जा रहे हैं वह बाजार में उपलब्ध अन्य उत्पादों की तुलना में बहुत सस्ती दरों पर खरीदे जाते हैं। इस कारण इनकी प्रसिद्धि लगातार बढ़ती जा रही है।
  • इसमें बिचौलियों को दूर कर दिया जाता है जिन्हें हम दलाल या एजेंट के रूप में जानते हैं। इससे उपभोक्ता का सीधा उत्पादक के साथ संपर्क होता है और दोनों को ही लाभ देखने को मिलता है।
  • इसमें किसी तरह की कालाबाजारी नहीं की जाती है और यह सहकारी समिति का सबसे बड़ा लाभ होता है। इसके माध्यम से सरकार को भी अपनी योजनाएं सही से चलाने में मदद मिलती है।
  • इससे सरकार को लोगों में विश्वास उत्पन्न करने और सरकार को ठीक ढंग से काम करने में सहायता मिलती है। लोगों का लोकतंत्र में विश्वास पहले की तुलना में ज्यादा दृढ होता है।

इस तरह से सहकारी समिति के अन्य भी कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं जो इसकी प्रसिद्धि का कारण है। हालाँकि इसके लाभ इसकी कार्यशैली पर भी निर्भर करते हैं। साथ ही यह किस राज्य सरकार के नियंत्रण में रहकर किस तरह से कार्य कर रही है, उस पर भी निर्भर करता है।

सहकारी समिति के नुकसान (Sahkari samiti ke nuksan)

अब सहकारी समिति के इतने सब लाभ हैं तो इसके कुछ नुकसान भी देखने को मिलते हैं। जिस चीज़ के लाभ होते हैं तो अवश्य ही उसके नुकसान भी होते हैं। ऐसे में किसी सहकारी समिति के क्या कुछ नुकसान हो सकते हैं और वह क्यों इतना ऊपर नहीं है, आइये इसके बारे में जान लेते हैं।

  • जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कि इसके सदस्य कमजोर व निर्धन वर्ग के लोग होते हैं तो अवश्य ही सहकारी समितियों में पैसों की कमी देखने को मिलती है। हालाँकि कमजोर वर्ग के लोग एक दूसरे की सहायता करते हैं लेकिन सभी कमजोर होने के कारण सहकारी समितियों में बहुत बार वित्तीय संकट देखने को मिलता है।
  • यहाँ पर प्रबंधन की क्षमता भी कमजोर होती है क्योंकि किसी एक को ज्यादा शक्तियां नहीं दी गयी होती है। ऐसे में प्रबंधन की शिकायतें भी सहकारी समितियों में देखने को मिलती रहती है।
  • यहाँ पर निवेश की गयी रकम पर बहुत कम पैसा वापस मिलता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यह अवश्य ही लोगों की सहायता करने के उद्देश्य से बनायी गयी समिति होती है लेकिन इसमें रिटर्न कम मिलने के कारण लोग इसमें बहुत कम निवेश करते हैं।
  • सहकारी समितियों में अक्सर उत्साह की कमी भी देखने को मिलती है। लोगों के द्वारा इसे ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है जिस कारण यह सामान्य रूप से काम करती चली जाती है।
  • अब हर तरह की सहकारी समितियों में सरकारी भूमिका भी होती है और आपको तो पता ही है कि सरकार किस तरह से काम करती है। आज के समय में सभी तरह की सहकारी समितियों में सरकारी हस्तक्षेप बहुत ज्यादा बढ़ गया है जो इनके प्रबंधन को बिगाड़ देता है।
  • इसके अंतर्गत जो भी लोग काम करते हैं, वे आपसी संघर्ष ही करते रह जाते हैं। ऐसे में बहुत सी सहकारी समितियों में यह देखने को मिलता है कि इनमें आपसी मन मुटाव चलता जाता है जो लोगों की भलाई करने की बजाये उनका नुकसान कर देता है।

इनके अलावा भी अलग अलग सहकारी समितियों के अपने अलग अलग नुकसान देखने को मिलते हैं जो उन्हें समाज की नज़रों से गिराने का काम करते हैं। हालाँकि अब यह उस सहकारी समिति पर निर्भर करता है कि उसकी कार्यप्रणाली किस तरह की है और वह लोगों की किस रूप में सहायता कर रही है।

सहकारी समिति क्या होती है – Related FAQs 

प्रश्न: सहकारी समिति का अर्थ क्या होता है?

उत्तर: सहकारी समिति का अर्थ होता है एक ऐसी संस्था य संगठन जो अपने समूह विशेष के लिए काम करती है। यह कमजोर वर्ग के लोगों की एक संस्था होती है जो लगातार उनके हित के लिए काम करती चली जाती है।

प्रश्न: सहकारी समिति क्या काम करती है?

उत्तर: सहकारी समिति का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्यों के हित के लिए काम करना होता है। यह जिस भी श्रेणी में बनायी गयी है और इसके जो भी सदस्य है, वह लगतार उनके लाभ के लिए काम करती चली जाती है।

प्रश्न: सहकारी का मतलब क्या होता है?

उत्तर: सहकारी का अर्थ होता है एक ऐसी संस्था जो कमजोर लोगों के लिए तो बनायी गयी है लेकिन उसमें भारत सरकार या राज्य सरकार का भी सहयोग शामिल होता है।

प्रश्न: सहकारी समिति के सदस्य कौन होते हैं?

उत्तर: सहकारी समिति के सदस्य मुख्य तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों में से ही होते हैं। हालाँकि भारत सरकार इनमें अपने सदस्य भी नियुक्त करती है ताकि सही रूप में कार्य हो सके।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि सहकारी समिति क्या होती है। साथ ही आपने सहकारी समिति से संबंधित अन्य जानकारी भी इस लेख के माध्यम से ली है जैसे कि सहकारी समिति के प्रकार क्या हैं इसकी विशेषताएं, लाभ और नुकसान क्या है इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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