Saman nagrik sanhita kya hai :- भारत देश में अलग अलग धर्मों और मतों को मानने वाले लोग एक साथ रहते हैं। भारत दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जहाँ हर 50 किलोमीटर पर लोगों के रहने, खाने, पीने का ढंग, भाषा, संस्कृति इत्यादि में बहुत अंतर देखने को मिलता है। इतना ही नहीं, यहाँ अलग अलग संस्कृतियों और नीतियों को मानने वाले लोग एक ही मोहल्ले या सोसाइटी में रहते हैं। ऐसा आपको दुनिया में कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा लेकिन भारत इस संस्कृति के साथ चलता जा रहा है और आगे बढ़ता जा रहा है।
आज के समय में भारत देश में एक बिल या कानून की बहुत ज्यादा चर्चा हो रही (Saman nagrik sanhita ka arth) है और वह है समान नागरिक संहिता। आपने भी अक्सर समाचार चैनल, समाचार पत्र, सोशल मीडिया इत्यादि में इसके बारे में बहुत सुन लिया होगा। इतना ही नहीं, वर्तमान भारत सरकार व प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा भी समान नागरिक संहिता के ऊपर लगातार बात की जा रही है हर टीवी चैनल पर इसको लेकर चर्चाएँ देखने को मिल रही है। आपको समान नागरिक संहिता के बारे में मोटा मोटा तो पता होगा लेकिन पूरा नहीं।
ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ समान नागरिक संहिता के ऊपर ही चर्चा करने वाले हैं। आज के इस लेख को पढ़कर आपको समान नागरिक संहिता के बारे में (Saman nagrik sanhita kya hoti hai) शुरू से लेकर अंत तक हरेक जानकारी विस्तृत रूप में जानने को मिलेगी। इसे पढ़कर आपकी समान नागरिक संहिता को लेकर हर तरह की शंका समाप्त हो जाएगी। आइये जाने समान नागरिक संहिता क्या है।
समान नागरिक संहिता क्या है? (Saman nagrik sanhita kya hai)
जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि भारत एक ऐसा देश है जहाँ कई धर्मों को मानने वाले लोग एक साथ रहते हैं। भारत देश की अधिकांश जनसँख्या हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों की है जिनका कुल जनसँख्या में प्रतिशत 80 के आसपास है। इसके बाद क्रमशः मुसलमान 15 प्रतिशत के आसपास और ईसाई धर्म के लोग 2 प्रतिशत के आसपास की जनसँख्या में निवास करते (Saman nagrik sanhita kya hota hai) हैं। शेष 3 प्रतिशत में अन्य धर्म के लोगों का वास है।
भारत जब वर्ष 1947 में अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र हुआ था तब देश के मजहब के नाम पर टुकड़े कर दिए गए। इसमें भारत देश से इस्लाम के नाम पर दो टुकड़े काटकर अलग कर दिए गए जिन्हें आज हम पाकिस्तान व बांग्लादेश के नाम से जानते हैं। शेष भारत देश वैसा ही रहा और यहाँ पर धर्मनिरपेक्षता का चोला ओढ़ लिया गया। इसी के साथ ही भारत देश का संविधान, कानून, सरकार, सरकारी विभाग, संस्थाएं इत्यादि बनी और देश आगे बढ़ने लगा।
कानून में भारत देश के बहुसंख्यक धर्म के लोग आये लेकिन दो धर्म जिन्हें हम मुसलमान व ईसाई के नाम से जानते (Saman nagrik sanhita kya hoti hai) हैं, वे सिविल मामलों में नहीं आये। कहने का अर्थ यह हुआ कि भारतीय कानून में जो सिविल व अपराध के लिए कानून बने, उसमें अपराध में तो सभी नागरिक आये लेकिन सिविल के मामलों में सभी धर्मों के लोग थे लेकिन मुसमान व ईसाई के लिए उनका अलग कानून बना रहा। उन्हें इस कानून में इसलिए नहीं लिया गया क्योंकि तब राजनेता कहते रहे कि उनका धर्म अलग है तो वे अपने धर्म के अनुसार कानून पर चलेंगे।
ऐसे में आज के समय में समान नागरिक संहिता को लाने की बात चल रही है। समान नागरिक संहिता कुछ और नहीं बल्कि देश के सभी नागरिकों के लिए सिविल मामलों में एक जैसा कानून है। इसके आते ही देश के सभी नागरिक एक ही कानून के अंतर्गत आ जाएंगे और कोई इससे बचकर नहीं निकल पायेगा। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो लोग धर्म की आड़ लेकर अभी तक भारतीय कानून के अनुसार ना चलकर अपने शरिया या अन्य धार्मिक कानूनों के अनुसार चलते थे, उन्हें भी भारतीय कानून का ही पालन करना पड़ेगा।
समान नागरिक संहिता की परिभाषा (Saman nagrik sanhita ka arth)
अब हम आपको समान नागरिक संहिता की परिभाषा के बारे में ज्ञान दे देते हैं। तो समान नागरिक संहिता में तीन शब्द आते हैं, इसमें समान का अर्थ हुआ सब एक जैसे, नागरिक का अर्थ देश के लोगों से है तो वहीं संहिता का अर्थ अधिनियम, कानून, नियम, आचार विचार इत्यादि से है। इस तरह से देश के सभी नागरिकों के लिए एक जैसा कानून ही समान नागरिक संहिता कहा जाता है।
अभी तक देश के अलग अलग धर्मों के लोगों के लिए जो कानून बने हुए थे, उन्हें निष्प्रभावी कर दिया जाएगा। इसी के साथ ही उन सभी पर समान नागरिक संहिता का कानून जो कि एकलौता कानून होगा, वह लागू कर दिया जाएगा। उदाहरण के तौर पर अभी क्या हो रहा है, उससे समझिये। अभी हिन्दू या सिख धर्म के व्यक्ति को भारतीय कानून के अनुसार ही चलना पड़ता है जबकि जो मुसलमान धर्म का व्यक्ति है, वह भारतीय कानून के अनुसार नहीं बल्कि शरिया कानून के अनुसार चलता है जो उनके धर्म का कानून है।
अब यह कानूनन सही है क्योंकि संविधान ने ही मुसलमान को भारतीय कानून को ना मानकर शरिया कानून के अनुसार चलने की शक्ति दी है। इस कारण देश में समान नागरिक संहिता आने की बात हो रही है और केंद्र सरकार अर्थात भाजपा राजनीतिक पार्टी इसका भरपूर समर्थन कर रही है।
समान नागरिक संहिता कौन सा कानून है? (Saman nagrik sanhita kanoon kya hai)
अब आप सोच रहे होंगे कि एक ही देश में अलग अलग कानून कैसे हो सकते हैं। क्या कोई अपराध करेगा तो उसको मिलने वाले दंड का निर्धारण उसके धर्म को देखकर किया जाएगा? यदि आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं क्योंकि यह केवल सिविल मामलों के लिए है, ना कि अपराध के लिए। पहले हम आपको सिविल और क्रिमिनल मामलों में अंतर को समझा देते हैं।
सिविल मामलों में विवाह, बच्चा, तलाक, पारिवारिक चीजें जैसे कि संपत्ति का बंटवारा, बेटी का हिस्सा इत्यादि चीजें आ जाती है जबकि क्रिमिनल मामलों में किसी की हत्या, बलात्कार, लूट, डकैती, चोरी इत्यादि आती है। तो जो क्रिमिनल या आपराधिक कानून है, वह देश के हरेक व्यक्ति पर एक समान रूप से ही लागू है और उसके लिए भारतीय न्यायिक व्यवस्था ही निर्णय सुनाती है।
अब वहीं सिविल मामलों के लिए यह अलग अलग है। जहाँ देश में हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी, यहूदी इत्यादि धर्म के लोगों को सिविल मामलों में भी भारतीय कानून का ही पालन करना होता है तो वहीं मुसलमान, ईसाई और आदिवासी जनजातियों के लिए उनका अलग से कानून है और वे भारतीय कानून के अंतर्गत नहीं आते हैं। आइये इसे एक उदाहरण से समझ लेते हैं।
समान नागरिक संहिता का उदाहरण (Saman nagrik sanhita kya hota hai)
यदि आप अभी भी समान नागरिक संहिता को लेकर उलझन की स्थिति में हैं तो सिविल मामलों के एक उदाहरण से समझ लेते हैं। अब यदि आप हिन्दू हैं तो आपको अच्छे से पता होगा कि किसी लड़की को यदि विवाह करना है तो उसके लिए कानूनन वैवाहिक आयु को 18 वर्ष रखा गया है। यदि उसके माता पिता उसकी 18 वर्ष से पहले शादी करवाते हैं तो उस पर भारतीय कानून के अनुसार केस चलेगा और बाल विवाह के अनुसार निर्धारित दंड मिलेगा।
अब मुसलमान भारतीय कानून में नहीं आते हैं और उन पर शरिया कानून लागू होता है। इसके अनुसार मुसलमान अपनी लड़की की शादी 14 वर्ष के बाद वैध रूप से करवा सकता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि हमारे देश में मुसलमान लड़की की शादी 14 की आयु के बाद हो सकती है और इसके लिए कानून उसे कोई दंड नहीं देगा। वहीं यदि वह 14 वर्ष से पहले उसकी शादी करवाता है तो फिर उस पर बाल विवाह कानून के अनुसार केस चलेगा।
एक और उदाहरण के अनुसार, हिन्दू एक ही विवाह कर सकता है। यदि उसे दूसरा विवाह करना है तो पहले उसे अपनी प्रथम पत्नी से तलाक लेना होगा। यदि वह बिना तलाक लिए दूसरा विवाह करता है तो उस पर कानूनन केस चलेगा। अब इसी देश में ही मुसलमान कानूनन चार विवाह कर सकता है और इसके लिए उसे कोई दण्डित नहीं कर सकता है और ना ही उसकी पहली तीन पत्नियाँ उस पर न्यायालय में जाकर केस कर सकती है। अब यदि वह पांचवां विवाह करता है तो उस पर केस हो सकता है। ऐसे ही बहुत से कानून मुसलमानों व ईसाईयों के लिए अलग है जो बहुत ही हास्यास्पद है।
संविधान में समान नागरिक संहिता का उल्लेख (Saman nagrik sanhita kis article mein)
अब यदि आप सोच रहे हैं कि देश के संविधान में समान नागरिक संहिता का उल्लेख किया गया है या नहीं। तो यहाँ हम आपको बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 44 में स्पष्ट रूप से समान नागरिक संहिता का उल्लेख किया गया है। इसमें बताया गया है कि देश के सभी राज्य अपने यहाँ वास कर रहे हरेक नागरिक को समान अधिकार व दायित्व देंगे और उनके साथ धर्म या जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
ऐसे में भारत सरकार जिस पर आज के समय में भाजपा पार्टी है, वह पूरे जोरदार तरीके से समान नागरिक संहिता का समर्थन करती है। वह आज से ही नहीं बल्कि अपने शुरूआती दिनों से ही समान नागरिक संहिता का समर्थन करती आ रही है और अब तो इस पर काम भी बहुत जोरों से चल रहा है। भाजपा ने जल्द ही संसद के पटल पर समान नागरिक संहिता को रखने का आश्वासन दिया है। ऐसे में देश के सभी नागरिक भारतीय कानून के दायरे में आ जाएंगे और कोई भी बचकर नहीं निकल पायेगा।
समान नागरिक संहिता क्यों जरुरी है? (Saman nagrik sanhita importance in Hindi)
आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आखिरकार हमारे देश में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता क्यों है? अब भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहाँ पर सभी धर्म व मतों के लोगों को एक समान दृष्टि से देखा जाता है और उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है। जब कानून व संविधान के अनुसार और उनकी दृष्टि में देश के सभी नागरिक एक समान हैं तो एक ही देश में दो अलग अलग धर्म के लोगों के लिए अलग अलग कानून का क्या ही अर्थ हुआ।
अब एक ही देश में एक हिन्दू को दूसरा विवाह करने पर कारावास का दंड दे दिया जाता है तो मुसलमान को 4 विवाह करने तक कुछ नहीं कहा जाता है। आप उस महिला का सोचिये जिसने मुसलमान से पहली शादी की है और अब वह अपने पति के द्वारा दूसरी शादी करने पर कानूनन कुछ नहीं कर सकती है। वह बस अपने कमरे में बैठकर रो सकती है क्योंकि ना ही भारत सरकार, ना ही भारतीय न्यायिक व्यवस्था और ना ही उसका समाज उसकी सहायता कर सकता है।
इसी तरह के आपको एक नहीं बल्कि हजारों उदाहरण देखने को मिल जाएंगे। पहले तो तीन तलाक भी इसी शरिया कानून का अंग था लेकिन मोदी सरकार ने इसके लिए अलग से कानून बनाकर मुसलमान समाज की महिलाओं को थोड़ी शक्ति अवश्य दी है। अन्यथा शरिया कानून के अनुसार मुसलमान पति अपनी पत्नी को किसी भी तरीके से तीन तलाक बोल दे तो उसका कानूनन तलाक माना जाता है और यही अधिकार मुसलमान पत्नियों को नहीं था। ऐसे में आप स्वयं ही अनुमान लगा लीजिये कि देश में समान नागरिक संहिता की कितनी आवश्यकता है।
समान नागरिक संहिता के लाभ (Saman nagrik sanhita ke labh)
अब आपको समान नागरिक संहिता को लागू करने पर क्या कुछ लाभ मिल सकते हैं, उन पर भी एक नज़र डाल लेनी चाहिए। अभी तक आपने जाना कि किस तरह से हमारे देश में समान नागरिक संहिता को जल्द से जल्द लागू किये जाने की आवश्यकता है लेकिन अब इसको लागू करने पर क्या कुछ लाभ देखने को मिलेंगे या देश में किस किस तरह के परिवर्तन होंगे, उनके बारे में जानने का समय आ गया (Saman nagrik sanhita ke fayde) है।
- समान नागरिक संहिता के माध्यम से हमारे देश को सबसे बड़ा जो लाभ होगा, वह यह कि भारत देश के हरेक व्यक्ति को भारतीय कानून का भय होगा। अभी तक कुछ धर्म के लोग भारतीय कानून से इतना भयभीत नहीं थे क्योंकि उन्हें अपने धर्म के कानून के अनुसार देखा जाता था, ना कि भारतीय कानून के अनुसार।
- इसके माध्यम से देश में वास्तविक रूप में धर्मनिरपेक्षता व पंथनिरपेक्षता का वातावरण बनेगा। अभी तक जो बातें हो रही थी, वह बस एक तरफ़ा थी जबकि समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद ही यह समान रूप में लोगों को दिखाने का काम करेगा।
- समान नागरिक संहिता के आने से सबसे बड़ा जो बदलाव देखने को मिलेगा, वह मुसलमान समाज की महिलाओं में देखने को मिलेगा। अभी शरिया कानून के अनुसार उन पर बहुत ज्यादा अत्याचार हो रहा है जो भारत जैसे देश की छवि को ख़राब करने का काम करता है।
- इससे एक तरह से लैंगिक समानता आएगी और महिलाओं को भी आगे बढ़ने के भरपूर अवसर मिलेंगे। जहाँ एक ओर, हिन्दू धर्म की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं तो वहीं मुसलमान महिलाएं आज भी अपने घरों में बुर्के में पड़ी हुई हैं। ऐसे में उन्हें घर से बाहर निकलकर स्वतंत्रता का अहसास होगा।
- अलग अलग धर्म के अनुसार अलग अलग कानून होने से यह प्रक्रिया बहुत ही जटिल हो जाती थी और इससे पुलिस को भी बहुत परेशानी होती थी। ऐसे में कानून के एक ही हो जाने से पुलिस को भी ज्यादा समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- अभी तक देश में अलग अलग कानून के होने से लोगों के बीच आपसी भेदभाव देखने को मिलता था और यह बहुत बार आपसी विवाद की वजह भी बनता था। समान नागरिक संहिता के आने से जब एक ही कानून हो जाएगा तो यह राष्ट्रीय एकता के लिए भी अच्छा रहेगा।
- यह भारत देश की सुरक्षा की दृष्टि से भी बहुत अच्छा कदम रहेगा क्योंकि बहुत से लोग अपने अपने कानून का लाभ उठाकर देश की एकता और अखंडता को असुरक्षित करने का काम कर रहे थे।
इस तरह से भारत देश में समान नागरिक संहिता के आने से एक नहीं बल्कि सैकड़ों लाभ देखने को मिलेंगे और वो भी ऊपरी तौर पर ही नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर भी। यह भारत देश की दशा व दिशा को बदलने वाला एक महत्वपूर्ण व सराहनीय कदम के रूप में देखा जाएगा।
समान नागरिक संहिता को लागू करने की चुनौतियाँ (Saman nagrik sanhita ki chunautiyan)
अब समान नागरिक संहिता को लागू करने के जितने लाभ हैं, उतनी ही बड़ी बड़ी चुनौतियाँ इसके सामने भी है। हालाँकि यह चुनौतियाँ नैतिक रूप से नहीं बल्कि राजनीतिक व धर्मिक रूप से है। सबसे बड़ी चुनौतियाँ मजहबी व दूसरी मुस्लिम तुष्टिकरण की विचारधारा वाली राजनीति है। इसमें मजहबी चुनौती इसलिए है क्योंकि समान नागरिक संहिता के आने के बाद मुसलमान और ईसाई धर्म के लोग भी सिविल मामलों के लिए अपने अपने कानून में ना रहकर भारतीय कानून में आ जाएंगे।
इससे शरिया या अन्य मजहबी कानून के अनुसार अपनी दूकान चलाने वाले मजहबी लोगों और आतंकवादियों की दुकाने बंद हो जाएगी। इसी के साथ ही उन्हें जो सहूलियत मिल रही थी, वह भी बंद हो जाएगी और उसके बाद उस समाज के सभी लोगों को देश के अन्य लोगों के साथ ही भारतीय कानून का ही पालन करना होगा। दूसरी मज़बूरी मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाली राजनीतिक विचारधारा की है।
हमारे देश में अधिकतर राजनीतिक पार्टियाँ ऐसी है जो मुसलमानों के मत पाने के लिए किसी भी हद्द तक तैयार है, चाहे इसके लिए उन्हें अपना देश ही क्यों ना बेचना पड़ जाए। इसी कारण संसद में भी इसको लेकर गरमागरम बहस होने वाली है और कई राजनीतिक पार्टियाँ इसका विरोध करने वाली है। फिर भी वह समय दूर नहीं है जब भाजपा व नरेंद्र मोदी की सरकार तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करते हुए इस समान नागरिक संहिता के बिल को जल्द ही दोनों सदनों से पास करवाकर इसे कानून का रूप दे देगी।
समान नागरिक संहिता क्या है – Related FAQs
प्रश्न: समान नागरिक संहिता का मतलब क्या होता है?
उत्तर: देश के सभी नागरिकों के लिए एक जैसा कानून ही समान नागरिक संहिता कहा जाता है।
प्रश्न: समान नागरिक संहिता से क्या लाभ है?
उत्तर: समान नागरिक संहिता के लाभ हमने ऊपर के लेख में विस्तार से बताए हैं जो आपको पढ़ने चाहिए।
प्रश्न: भारत में समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य कौन सा है?
उत्तर: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता सबसे पहले लागू हुआ।
प्रश्न: भारत को समान नागरिक संहिता की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर: भारत को समान नागरिक संहिता की आवश्यकता क्यों है यह जानने के लिए आप ऊपर हमारे द्वारा लिखा हुआ लेख पढ़ सकते हो।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने समान नागरिक संहिता क्या है यह जान लिया है। साथ ही आपने जाना कि समान नागरिक संहिता क्यों जरूरी है समान नागरिक संहिता के लाभ और चुनौतियां क्या है इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।