संसद में विधेयक पारित होने की प्रक्रिया क्या हैं? | Sansad me vidheyak parit hone ki prakriya

|| संसद में विधेयक पारित होने की प्रक्रिया | Sansad me vidheyak parit hone ki prakriya |
Legislative process in parliament in Hindi | Sarkari vidheyak kya hota hai | Lok sabha kya hai Hindi mein batao | वित्त विधेयक कहाँ प्रस्तुत किया जाता है? ||

Sansad me vidheyak parit hone ki prakriya :- हम कई मुद्दों पर संसद में बहस होते हुए देखते हैं और पक्ष विपक्ष को उस मुद्दे पर चर्चा करते हुए पाते हैं। हमारे देश में हर पांच वर्ष में लोकसभा के चुनाव होते हैं और उसके जरिये हम अपने अपने क्षेत्रों के सांसदों को चुनने का कार्य करते हैं। अब यह सभी सांसद मिलकर ही देश की संसद में बैठते हैं और सरकार का गठन करते हैं। इसमें जिस भी राजनीतिक पार्टी को ज्यादा बहुमत मिलता है या जिस भी दल को ज्यादा राजनीतिक पार्टियों के सांसदों का समर्थन हासिल होता है, उसी की ही सरकार बनती (Legislative process in parliament in Hindi) है।

अब इसका अर्थ यह नहीं है कि जो सरकार में शामिल नहीं है, वे संसद में नहीं बैठ सकते हैं। संसद में वह हरेक व्यक्ति बैठता है जो अपने लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनकर आया है। अब वह व्यक्ति सरकार में है तो उसे पक्ष माना जाता है जबकि जो उसके साथ नहीं है तो उसे विपक्ष माना जाता है। इस तरह से संसद में हर सांसद बैठकर अधिनियम अर्थात कानून बनाने का कार्य करता है और यही संसद की कार्यप्रणाली होती (The legislative process in parliament in Hindi) है।

अब इस संसद में किसी भी अधिनियम को बनाने के लिए एक प्रक्रिया होती है और उसी प्रक्रिया को आज हम इस लेख के माध्यम से जानने का प्रयास करेंगे। इस लेख में हम आपको यही बताएँगे कि संसद में विधेयक पारित होने की क्या प्रक्रिया होती है और इसे किस तरह से अधिनियम का रूप दिया जाता है, आइये जाने इस पूरी प्रक्रिया के बारे (Legislative process in Hindi) में।

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संसद में विधेयक पारित होने की प्रक्रिया (Sansad me vidheyak parit hone ki prakriya)

संसद किसी भी देश का केंद्र होती है और यह उस देश की राजधानी में स्थित होती है। भारत देश की संसद भी देश की राजधानी दिल्ली में स्थित है किन्तु हमारे यहाँ संसद एक नहीं बल्कि दो है या फिर यूँ कहें कि हमारे यहाँ संसद एक ही है लेकिन उसे दो भागों में विभाजित किया गया है। उसे हम लोकसभा व राज्यसभा के नाम से जानते हैं। अब यदि हमारे देश में किसी विधेयक को अधिनियम बनाया जाना है तो उसके लिए एक प्रक्रिया का पालन किया जाना जरुरी होता (Legislative procedure in parliament in Hindi) है।

Sansad me vidheyak parit hone ki prakriya

अब किसी विधेयक को संसद के किस भाग से पारित किया जाता है, उसके बाद क्या होता है, वह अधिनियम का रूप कैसे लेता है इत्यादि बातों के बारे में जानना अति आवशयक हो जाता है। किन्तु इससे पहले कुछ बातें हैं, जो आपको जान लेनी चाहिए। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपको पहले यह तो पता हो कि यह विधेयक क्या होता है और साथ ही उससे अधिनियम बनाने में जो जो चीज़ें काम में आती है, उनका क्या मतलब होता (Vidheyak kanoon kaise banta hai) है। तो आइये पहले संक्षिप्त में उनका परिचय जान लेते हैं।

विधेयक क्या होता है? (Vidheyak kya hota hai)

सबसे पहले बात करते हैं विधेयक के बारे में। तो यह विधेयक होते क्या हैं? यहाँ विधेयक से हमारा तात्पर्य यह है कि दश की संसद के पटल पर किसी भी सांसद के द्वारा यदि कोई प्रस्ताव रखा जाता है तो उसे विधेयक कहा जाता (Sarkari vidheyak kya hota hai) है। यह केवल एक विधेयक होता है जो उस सांसद के द्वारा संसद के पटल पर रखा जाता है ताकि उसे अधिनियम का रूप दिया जा सके।

यदि यह विधेयक किसी ऐसे सांसद के द्वारा दिया जा रहा है जो सरकार का हिस्सा है तो इसे सरकारी विधेयक कहा जाता है जबकि इसे विपक्ष या अन्य किसी सांसद के द्वारा रखा जा रहा है जो सरकार का अंग नहीं है तो उसे गैर सरकारी विधेयक कहा जाता है जिसके पारित होने की संभावना ना के बराबर होती (Gair sarkari vidheyak kya hota hai) है।

अधिनियम क्या होता है? (Adhiniyam kya hota hai)

अब संसद के पटल पर जो विधेयक रखा गया है और यदि वह पूरी प्रक्रिया के तहत पारित हो जाता है तो वह विधेयक अब विधेयक ना रहकर देश का अधिनियम बन जाता (Adhiniyam ka arth kya hota hai) है। इसे हम आज की सामान्य भाषा में कानून कह सकते हैं जिसका पालन हम सभी को करना होता है।

लोकसभा क्या है? (Loksabha kya hai)

लोकसभा देश की संसद का एक भाग है जिसे निचला सदन भी कहा जाता है। लोकसभा में देश की प्रजा के द्वारा चुने गए सांसद बैठते (Lok sabha kya hai Hindi mein batao) हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि देश की लोकसभा में वे लोग बैठते हैं जिन्हें हम पांच वर्ष में एक बार अपने संसदीय क्षेत्र से सांसद के रूप में चुनते हैं।

राज्यसभा क्या है? (Rajya sabha kya hai)

राज्यसभा में भी सांसद ही बैठते हैं लेकिन उन्हें हम नहीं बल्कि हमारे द्वारा चुने गए विधायकों के द्वारा चुना जाता है। अब देश में संसद के दो भाग इसलिए बनाये गए, ताकि उसमे अलग अलग राज्यों में चुनी गयी सरकारों का भी प्रतिनिधित्व हो सके। ऐसे में राज्यों में जो भी विधायक चुने गए (Rajya sabha kya hai hindi mein) हैं, उन्हें एक निश्चित अनुपात में अपने यहाँ से कुछ सांसद राज्यसभा में अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजने होते हैं।

प्रवर समिति क्या है? (Pravar samiti kya hoti hai)

संसद में सांसदों की सहायता के लिए समितियों का भी गठन किया जाता है जिन्हें संसद की स्थायी समिति कहा जाता है। आपने कई बार पढ़ा होगा कि फलाना विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया। तो स्थायी समिति वह प्रवर समिति होती है जो हमेशा के लिए गठित रहेगी और विधेयकों पर खंडवार विचार करेगी। यह किसी ऐसे विधेयकों पर विचार करती है जिस पर संसद में सहमति नहीं बन पाती है।

वहीं अस्थायी समिति वह होती है जिसे किसी मुख्य विधेयक के लिए ही बनाया गया है और उस विधेयक के पारित हो जाने के बाद उसे भंग कर दिया जाएगा। इस प्रवर समिति के सदस्य पक्ष व विपक्ष दोनों के सदस्य होते हैं और अन्य सदस्य भी इसमें हो सकते हैं।

संयुक्त सत्र क्या है?

कई बार हमने समाचार में यह भी पढ़ा है कि माननीय राष्ट्रपति जी के द्वारा संसद का संयुक्त सत्र बुलाया गया है ताकि किसी विधेयक पर चर्चा की जा सके। तो यहाँ संसद के संयुक्त सत्र का आशय यह है कि लोकसभा व राज्यसभा के सदस्यों को एक साथ बैठकर किसी विधेयक पर चर्चा करनी है और उसे पारित करना है। यह केवल विशेष परिस्थितियों में ही होता है और इसे केवल माननीय राष्ट्रपति ही बुला सकते हैं।

अध्यादेश क्या है? (Adhyadesh kya hota hai)

देश के संविधान ने चुनी हुई सरकार को कई प्रकार की शक्तियां प्रदान की है जो उसे न्यायालय से भी बड़ा बनाती है। ऐसे में यदि किसी विधेयक को अधिनियम बनाया जाना बहुत जरुरी हो जाता है लेकिन संसद का सत्र अभी नहीं चल रहा है तो उस स्थिति में देश की सरकार को यह अधिकार है कि वह अध्यादेश के जरिये किसी विधेयक को सीधे अधिनियम का रूप दे (Adhyadesh kya hota hai Hindi mein) दे।

किन्तु यह अध्यादेश केवल 6 माह के लिए ही मान्य रहता है और उसके बाद वह अधिनियम समाप्त हो जाता है। हालाँकि इसी बीच यदि संसद का सत्र चालू हो जाता है और सरकार उस विधेयक को संसद पटल पर रखकर उसे पारित करवा लेती है तो वह हमेशा के लिए अधिनियम का रूप ले लेता है।

संसद में विधेयक अधिनियम कैसे बनता है? (Vidheyak adhiniyam kaise banta hai in Hindi)

अब आपने विधेयक व अधिनियम से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण शब्दावली का अर्थ जान लिया है तो अब बात करते हैं विधेयक से अधिनियम बनने की प्रक्रिया की। तो इसे हम क्रमानुसार समझने का प्रयास करेंगे जिसे संसदीय भाषा में वाचन कहा जाता (Vidheyak adhiniyam kaise banta hai samjhaie) है। मुख्य तौर पर इस वाचन प्रक्रिया को तीन भागों में बांटा गया है जिसके कई अन्य उपवाचन होते हैं, आइये जाने इन्हें।

प्रथम वाचन

यह विधेयक को अधिनियम में बदलने की प्रथम प्रक्रिया होती है जिसे वाचन कहा जाता है। इसमें ऊपर बताई गयी विधेयक की परिभाषा के अनुसार संसद के पटल पर उस विधेयक को प्रस्तुत करना होता है लेकिन इसके भी कुछ नियम हैं। यदि वह विधेयक सरकार के किसी सांसद के द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है तो उसे लोकसभा अध्यक्ष को एक सप्ताह पहले सूचित करना होता है कि वह संसद के पटल पर इस विधेयक को प्रस्तुत करने जा रहा है।

यदि लोकसभा अध्यक्ष उसे अनुमति देते हैं तभी वह विधेयक प्रस्तुत कर सकता है। हालाँकि न्यूनतम दो दिन पहले तक लोकसभा अध्यक्ष को विधेयक के बारे में बताया जा सकता है यदि लोकसभा अध्यक्ष इसके लिए मान जाए तो, अन्यथा वह इसके लिए मना भी कर सकता है। यदि विधेयक को गैर सरकारी सांसद के द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है तो वह लोकसभा अध्यक्ष को कम से कम एक माह पहले सूचित करेगा अन्यथा उसका विधेयक निरस्त कर दिया जाएगा।

अब यह जरुरी नहीं है कि किसी भी विधेयक को प्रथम वाचन के तौर पर लोकसभा के पटल पर ही रखा जाए, उसे सरकार या विपक्ष के द्वारा राज्यसभा के पटल पर भी रखा जा सकता है। उस स्थिति में वह राज्यसभा के सभापति के समक्ष इन्हीं नियमों के तहत विधेयक को रखता है और अनुमति मिलने के पश्चात उसे संसद पटल पर रखता है। हालाँकि सरकार के द्वारा किसी भी विधेयक को पहले लोकसभा के पटल पर ही रखा जाता है और फिर उसे आगे की प्रक्रिया के लिए भेजा जाता है।

अब इस विधेयक को संसद पटल पर रखे जाने के बाद लोकसभा के अध्यक्ष की अनुमति मिलने के बाद इस पर गहन चर्चा व विचार विमर्श होता है। इस पर सभी राजनीतिक पार्टियों को लोकसभा में उनके प्रतिनिधित्व के अनुसार एक निश्चित अंतराल के लिए बोलने का समय दिया जाता है। उस चर्चा के आधार पर सरकार को लगता है कि विधेयक में कुछ बदलाव किये जा सकते हैं तो वह करती है लेकिन वह बाध्य नहीं है।

अंत में लोकसभा अध्यक्ष उस विधेयक के ऊपर वोटिंग करवाता है और यदि उस विधेयक को सदन में उपस्थित कुल सदस्यों में से 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिल जाते हैं तो वह लोकसभा से पारित मान लिया जाता है।

द्वितीय वाचन

विधेयक को अधिनियम बनाने की दूसरी प्रक्रिया में उसे राज्यसभा के पटल पर रखा जाता है। अब यह तभी किया जा सकता है जब वह लोकसभा से पारित हो चुका हो। यदि उसे लोकसभा में ही पारित नहीं करवाया जा सका है तो उसे राज्यसभा में नहीं रखा जा सकता है। वहीं यदि उस विधेयक को पहले राज्यसभा के पटल पर रखा गया है तो उसके बाद उसे लोकसभा के पटल पर रखा जाता है।

अब उस विधेयक को लेकर जिस तरह की प्रक्रिया लोकसभा में देखने को मिली थी, ठीक उसी तरह की प्रक्रिया को राज्यसभा में दोहराया जाता है। इसमें भी राज्यसभा के सांसद उस विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श करते हैं, अपनी राय रखते हैं और विधेयक में बदलाव करने को कहते हैं। एक तरह से पक्ष व विपक्ष दोनों ही उस विधेयक पर अपना अपना पक्ष रखते हैं। जब विधेयक पर विस्तृत चर्चा हो जाती है तो अंत में राज्यसभा के सभापति उस विधेयक पर वोटिंग करवाते हैं।

उस विधेयक को राज्यसभा से पारित होने के लिए भी उस समय वहां उपस्थित कुल सदस्यों के 50 प्रतिशत से अधिक वोट चाहिए होते हैं और उसके बाद ही उसे राज्यसभा से पारित माना जाता है। हालाँकि प्रथम वाचन व द्वितीय वाचन के बीच में किसी किसी विधेयक को लेकर एक अन्य स्थिति भी देखने को मिलती है जिसके बारे में हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं।

विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाना

कई बार यह देखने में आता है कि किसी विधेयक के ऊपर बहुत जोरदार बहस हो रही है और उस पर एक राय नहीं बन पा रही है या वह किसी एक संसद से पारित नहीं हो पा रहा है या सरकार के पास विधेयक को समर्थन देने के लिए पर्याप्त सांसदों का समर्थन नहीं है या कोई अन्य कारण है। ऐसी स्थिति में विधेयक को संसद की प्रवर समिति के पास भेजा जाता है।

अब इसका निर्णय सरकार को लेना होता है कि उस विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा या उसके लिए एक अलग से अस्थायी समिति का गठन किया जाएगा जो उस पर विचार करेगी। अब उस समिति को एक निश्चित समय दिया जाता है और वह समिति उस विधेयक के हर खंड पर बारीकी से विचार विमर्श करती है और उसके प्रभाव का आंकलन करती है। इसके बाद वह समिति संसद को अपनी रिपोर्ट दे देती है और फिर से उस विधेयक पर चर्चा होती है।

एक तरह से यदि उस विधेयक में कुछ बदलाव किये जाने हैं या कुछ और करने से उस विधेयक को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है, तो वह सुझाव समिति के द्वारा सरकार को दिया जाता है। अब यह सरकार की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है कि वह उक्त बदलावों को विधेयक में डालती है या नहीं। उसके बाद वही प्रक्रिया का पालन किया जाता है और इसे संसद के दोनों पटल पर रख कर पारित करवाना होता है।

तृतीय वाचन

अब जब किसी विधेयक को संसद के दोनों भागों के द्वारा पारित कर दिया जाता है तो वह तृतीय वाचन में प्रवेश कर जाता है। एक तरह से अब बस वह अधिनियम का रूप लेने ही वाला होता है लेकिन एक प्रक्रिया शेष रह जाती है। तो किसी विधेयक को लोकसभा व राज्यसभा दोनों के द्वारा पारित हो जाने की स्थिति में उसे देश के माननीय महामहिम राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है।

देश के राष्ट्रपति के द्वारा उस विधेयक पर हस्ताक्षर करते ही वह विधेयक तुरंत प्रभाव से अधिनियम का रूप ले लेता है। अब वह विधेयक विधेयक ना रहकर देश का कानून बन जाता है जिसका पालन करना हम सभी का उत्तरदायित्व होता है। यदि कोई भी व्यक्ति उक्त पारित विधेयक अर्थात अधिनियम का उल्लंघन करता है तो भारतीय न्यायिक व्यवस्था उस पर कार्यवाही कर उसे दंड देने की अधिकारी हो जाती है।

हालाँकि राष्ट्रपति इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने से मना भी कर सकता है लेकिन संविधान ने राष्ट्रपति को एक सीमा तक ही शक्तियां प्रदान की हुई है। यदि वह विधेयक धन संबंधित विधेयक नहीं है तो राष्ट्रपति उसे पुनः संसद को भेज सकता है और उसमे कुछ संशोधन करने को कह सकता है। इस तरह से वह उस संसद को उस विधेयक पर पुनर्विचार करने को कह सकता है लेकिन यदि संसद उस पर बिना कोई परिवर्तन किय उसे पुनः लौटा देती है तो राष्ट्रपति को उसे पारित करना ही होगा।

वहीं यदि वह विधेयक धन संबंधित है तो राष्ट्रपति उस पर अपनी अनुमति दे सकता है या उस पर हस्ताक्षर करने को मना कर सकता है लेकिन वह उसे पुनः संसद को नहीं भेज सकता है। इस स्थिति में राष्ट्रपति के पास किसी भी विधेयक चाहे वह धन संबंधित हो या अन्य, उस पर कुछ समय के लिए रोक लगाने या उसे कुछ समय के लिए टालने की ही शक्ति है, इससे ज्यादा नहीं।

संविधान संशोधन विधेयक का अधिनियम बनाना (Samvidhan sanshodhan vidheyak kya hai)

वैसे तो भारत सरकार के द्वारा संसद के हर सत्र में विधेयक लाये जाते हैं और उन्हें अधिनियम का रूप दिया जाता है लेकिन कभी कभार ऐसे विधेयक लाये जाते हैं जो संविधान में संशोधन अर्थात बदलाव के लिए होते हैं। एक तरह से जिस संविधान से हमारे देश के लोकतंत्र के सभी स्तंभ चलते हैं, उसी संविधान को बदलने या उसमे संशोधन करने की शक्ति संविधान देश की संसद को देता है किन्तु इसके लिए बहुत कठोर नियम हैं।

यदि सरकार के द्वारा संसद के पटल पर संविधान संशोधन संबंधित विधेयक को रखा जाता है तो उसे दोनों सदनों अर्थात लोकसभा व राज्यसभा के 75 प्रतिशत से अधिक सांसदों का समर्थन चाहिए होता है। एक तरह से संविधान संशोधन विधेयक को कानून बनाने के लिए दोनों सदनों के उपस्थित सदस्यों का 75 प्रतिशत से अधिक समर्थन चाहिए होता है।

संयुक्त सत्र से विधेयक पारित करवाना

कभी कभार ऐसी स्थिति आ जाती है कि किसी सरकार के पास लोकसभा में तो पूर्ण बहुमत होता है लेकिन राज्यसभा में वह अल्पमत में होती है। ऐसे में वह लोकसभा से तो विधेयक को पारित करवा लेती है लेकिन राज्यसभा में वह निरस्त हो जाता है। उस स्थिति में सरकार राष्ट्रपति की अनुशंसा से संसद का संयुक्त सत्र बुलवाती है जिसमें लोकसभा व राज्यसभा के सभी सदस्य एक साथ बैठते हैं।

फिर उस संयुक्त सत्र में विधेयक को रखा जाता है और उस पर विचार विमर्श किया जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि इस प्रक्रिया में प्रथम वाचन तथा द्वितीय वाचन की प्रक्रिया को एक साथ किया जाता है। फिर यदि वह विधेयक संयुक्त सत्र से पारित हो जाता है तो उसे सीधे राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है।

संसद में विधेयक पारित होने की प्रक्रिया – Related FAQs 

प्रश्न: संसद में विधेयक को पारित करने की क्या प्रक्रिया है?

उत्तर: संसद में विधेयक को पारित करने की पूरी प्रक्रिया को हमने इस लेख में बताया है जो आपको पढ़ना चाहिए।

प्रश्न: विधेयक किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: देश की संसद के पटल पर किसी भी सांसद के द्वारा यदि कोई प्रस्ताव रखा जाता है तो उसे विधेयक कहा जाता है यह दो प्रकार के होता हैं सरकारी और गैर सरकारी विधेयक।

प्रश्न: संसद में विधेयक क्या है?

उत्तर: किसी भी सासंद के द्वारा रखा गया कोई प्रस्ताव विधेयक कहलाता है।

प्रश्न: वित्त विधेयक कहाँ प्रस्तुत किया जाता है?

उत्तर: वित्त विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने संसद में विधेयक कैसे पारित होता है और वह कैसे कानून का रूप लेता है अर्थात् अधिनियम बनता है इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर ली है। हमने आपको विस्तार से इसकी प्रक्रिया को चरण दर चरण तरीके से समझाया है। आशा है कि जो जानकारी लेने आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। यदि आपके मन में कोई शंका शेष है तो आप हमें नीचे कॉमेंट कर सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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