|| SCO क्या है? | in Hindi | SCO kya Hai | SCO kya hota hai | SCO full form in Hindi | SCO history in hindi | SCO ke dialogue partner | SCO ka head office keha hai | SCO ki sthapna kab hui thi ||
SCO in Hindi :- इस वर्ष SCO की अध्यक्षता भारत को मिली है और यह भारत के लिए बहुत ही गौरव का क्षण है किंतु आपको SCO क्या है, इसके बारे में बहुत ही कम जानकारी होगी। वह इसलिए क्योंकि आपने इसके बारे में सुना बहुत कम होगा या फिर जानकारी लेने में रुचि ही नहीं रखी (SCO kya hai) होगी। एक ओर हम वैश्विक पाताल पर कई बड़ी बड़ी संस्थाओं के नाम सुनते हैं जैसे कि जी 20 या संयुक्त राष्ट्र इत्यादि। तो इसी क्रम में ही यह SCO होती है।
अब यह SCO है क्या चीज़ और यह किन देशों का समूह है, इसकी स्थापना क्यों की गयी थी तथा इसका इतिहास क्या है? ऐसे ही कई प्रश्न आपके दिमाग में आ रहे होंगे जिनका उत्तर देने के लिए ही यह लेख लिखा गया (SCO ke bare mein jankari) है। तो आज के इस लेख की सहायता से हम आपके साथ SCO के बारे में शुरू से लेकर अंत तक पूरी जानकारी साँझा करने वाले हैं। इसलिए इसे पूरे ध्यान के साथ पढ़ें और उसके बाद ही कोई निर्णय लें।
SCO क्या है? (SCO in Hindi)
सबसे पहले बात करते हैं इस SCO के बारे में कि यह है क्या चीज़। तो हमारे देश के अलावा विश्व में कई अन्य देश भी हैं और हर देश अपनी भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या, भाषा, संस्कृति तथा धर्म के अनुसार एक दूसरे से भिन्नता रखता (SCO kya hota hai) है। अब चाहे सभी देश आपस में कितने भी अलग हो लेकिन उन्हें आगे बढ़ने के लिए कई मामलों में एक साथ आना ही पड़ता है और बिना आपसी सहयोग के आगे बढ़ पाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में एक दूसरे का समय समय पर सहयोग किया जाना बहुत आवश्यक हो जाता है जो हर देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत सहायक रहता है।
इसी क्रम में एक दूसरे का निरंतर सहयोग करने या कुछ मामलों में आपसी सहयोग चलता रहे इस के लिए तथा उसमे दो से अधिक देशों का गठबंधन बनाने के लिए एक समूह बनाया जाता है जिसे एक नाम दिया जाता है। विश्व में इसी तरह के कई संगठन या संस्थाएं बनी हुई है जिसमें दो से अधिक देशों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है। इसी क्रम में एक गठबंधन है SCO का जिसे एशिया महाद्वीप का गठबंधन कहा जा सकता है।
इसमें एशिया के कुल 8 देश मुख्य भूमिका में हैं जिनकी संख्या पहले 5 थी लेकिन समय के साथ साथ यह बढ़ती चली गयी। वर्तमान समय में यह SCO दुनिया में अपनी एक अलग छाप छोड़ता है क्योंकि दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था तथा जनसंख्या के हिसाब से यह बहुत बड़ा है और इसमें शक्तिशाली देश भी सम्मिलित है। वर्तमान समय में इसमें भारत, रूस व चीन सहित एशिया महाद्वीप के कुल 8 देश सम्मिलित है जो विभिन्न मुद्दों पर एक दूसरे का सहयोग करते हैं।
आज हम इस SCO के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण जानकारी आपको देने वाले हैं जिसमे इसके इतिहास से लेकर उद्देश्यों तक के बारे में आपको सूचित करने का काम किया जाएगा। आइए जाने यह SCO है क्या चीज़ और इसका प्रतिनिधित्व किसके द्वारा किया जाता है।
SCO की फुल फॉर्म (SCO full form in Hindi)
सबसे पहले हम SCO की फुल फॉर्म के बारे में बात कर लेते हैं क्योंकि आपके लिए इसका जानना अत्यधिक आवश्यक (SCO ki full form kya hai) है। अब यह तो सभी जानते हैं कि SCO अंग्रेजी भाषा का एक शब्द है जिसकी फुल फॉर्म शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाइजेशन (Shanghai Cooperation Organization) होती है। अब यह शंघाई चीन देश का मुख्य शहर है और इसी से आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि इसमें चीन की कितनी बड़ी भूमिका होगी। हालाँकि इसके बारे में आपको SCO का इतिहास जानकर पता लगने वाला है।
SCO का हिंदी नाम (SCO Hindi name)
अभी तक आपने SCO की अंग्रेजी में ही फुल फॉर्म जानी है लेकिन आपको इसके साथ ही इसका हिंदी नाम भी पता होना चाहिए। तो SCO का हिंदी नाम शंघाई सहयोग संगठन होता है जो इसके अंग्रेजी नाम को ही हिंदी में अनुवाद करके बनाया गया (SCO ko Hindi me kya kehte hai) है। आपने अक्सर न्यूज़ चैनल या अन्य माध्यमों से इसका शोर्ट फॉर्म SCO या फिर इसका हिंदी नाम शंघाई सहयोग संगठन ही सुना होगा।
SCO का इतिहास (SCO history in hindi)
तो अब बात करते हैं SCO के इतिहास की ताकि आपको इसके बारे में अच्छे से पता चल सके। तो SCO जिसका पहले का नाम शंघाई फाइव (Shanghai Five) हुआ करता था, उसी का ही नया रूप है। वर्ष 1996 में रूस, चीन, कजाकिस्तान, ताजीकिस्तान तथा किर्गिस्तान नामक पांच देशों को मिलाकर शंघाई फाइव की स्थापना की गयी थी। लेकिन बाद में इसे और विस्तार दिया गया और वर्ष 2001 में इसमें तीन अन्य एशिया महाद्वीप के देशों को मिला लिया गया जिनके नाम भारत, पाकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान थे।
जब इन तीनों देशों का भी शंघाई फाइव में विलय हो गया तब इसका नाम आधिकारिक रूप से शंघाई सहयोग संगठन रख दिया गया और इसे शोर्ट फॉर्म में SCO बुलाया जाने लगा। उसके बाद इसमें कई तरह के बदलाव देखने को मिले और अन्य देशों को भी निगरानी तंत्र, मेहमान देश इत्यादि के तौर पर सम्मिलित किया गया। आइए एक एक करके जानते हैं कि शंघाई सहयोग संगठन में किन किन देशों की क्या क्या भूमिकाएं तय की गयी है।
SCO के सदस्य देश (SCO ke sadasya desh)
अब यदि हम शंघाई सहयोग संगठन में शामिल सदस्य देशों के बारे में जानने की दिशा में आगे बढ़ेंगे तो उसमे केवल आठ देश आते हैं जो इसके स्थायी सदस्य (SCO ke sadasya desh kitne hai) है। पहले इसमें पांच सदस्य देश थे लेकिन बदलती परिस्थितयों में इसमें सदस्य देशों की संख्या पांच से बढ़ कर आठ हो गयी। तो शंघाई सहयोग संगठन के आठ सदस्य देशों की सूची इस प्रकार हैं:
- भारत
- रूस
- चीन
- किर्गिस्तान
- उज्बेकिस्तान
- ताजीकिस्तान
- कजाकिस्तान
- पाकिस्तान
SCO के आब्जर्वर देश (SCO ke observer desh)
अभी तक आपने शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के नाम जान लिए हैं लेकिन उसकी निगरानी करने या उसके आब्जर्वर की भूमिका के तौर पर 4 अन्य देशों को भी शामिल किया गया (SCO ke observer desh kitne hai) है। यह 4 देश हैं:
- अफगानिस्तान
- ईरान
- बेलारूस
- मंगोलिया
SCO के डायलॉग पार्टनर (SCO ke dialogue partner)
SCO में डायलॉग पार्टनर के रूप में भी कुछ देशों को सम्मिलित किया गया है जो इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें कुल 9 देश आते हैं जो शंघाई सहयोग संगठन में डायलॉग पार्टनर के रूप में पंजीकृत हैं। इनके नाम है:
- नेपाल
- श्री लंका
- सऊदी अरब
- मिस्र
- कतर
- तुर्की
- कंबोडिया
- अर्मेनिआ
- अज़रबैजान
SCO की आधिकारिक भाषा (SCO official language in Hindi)
अब यदि हम शंघाई सहयोग संगठन की आधिकारिक भाषा अर्थात ऑफिसियल लैंग्वेज की बात करें तो वह आप अनुमान ही लगा लीजिए कि क्या होगी। अब यदि आप अंग्रेजी सोच रहे हैं तो आप गलत हैं क्योंकि यह SCO की आधिकारिक भाषा हो ही नहीं सकती है क्योंकि इसके सदस्य देशों में से किसी की भी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी नहीं है। ऐसे में शंघाई सहयोग संगठन की आधिकारिक भाषा रशियन व चाइनीज है।
SCO का मुख्यालय (SCO ka head office keha hai)
अब यदि हम शंघाई सहयोग संगठन के मुख्यालय अर्थात हेड ऑफिस की बात करें तो वह चीन देश में स्थित है। चीन की राजधानी का नाम बीजिंग है और शंघाई सहयोग संगठन का मुख्यालय बीजिंग में ही स्थित (SCO ka mukhyalay keha hai) है। वहीं SCO की एक महत्वपूर्ण शाखा है जिसका नाम RATS है। इसकी फुल फॉर्म Regional Anti-Terrorism Structure है जिसका उद्देश्य आंतकवाद पर लगाम लगाना है और उसे जड़सहित समाप्त करना है। तो इसी RATS का मुख्यालय उज्बेकिस्तान देश के ताशकंद में स्थित है।
SCO की स्थापना कब हुई थी? (SCO ki sthapna kab hui thi)
वैसे तो इसकी स्थापना वर्ष 1996 में ही हो गयी थी लेकिन तब इसका नाम शंघाई फाइव था और इसमें केवल पांच सदस्य देश थे। ऐसे में जिस SCO का नाम हम आज सुनते हैं उसकी आधिकारिक रूप से स्थापना 15 जून 2001 को हुई थी। तब इसमें आठ सदस्य देश शामिल हो गए थे और इसका नाम बदल कर शंघाई फाइव से शंघाई सहयोग संगठन रख दिया गया था। तो यदि आपसे कोई SCO की स्थापना का वर्ष पूछे तो आपको उसे 1996 नहीं बल्कि 2001 बताना होगा।
SCO का उद्देश्य (SCO purpose in Hindi)
अब हम बात करेंगे कि आखिरकार क्यों इस शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना की गयी थी या फिर इसका क्या उद्देश्य था। तो इसकी स्थापना के पीछे कई उद्देश्य निहित थे जिन पर हर वर्ष काम (SCO ke uddeshya kya hai) चलता है। तो यह उद्देश्य मुख्य तौर पर पांच भागों में विभाजित किये गए हैं, जो इस प्रकार हैं:
राजनीतिक सहयोग
जो जो भी इसके सदस्य देश हैं और वहां पर जिस भी पार्टी की सरकार सत्ता में है या वहां पर लोकतंत्र नहीं भी है तो भी वहां पर जिस भी व्यक्ति के पास सत्ता है, वह राजनीतिक स्तर पर एक दूसरे के साथ सामंजस्य बिठाने और मिल कर आगे बढ़ने की दिशा में कार्य करते हैं। इससे इसके सदस्य देशों के बीच कोई मतभेद नहीं रह पाता है और उनके विकास को गति मिलती है।
आपसी सुरक्षा
इस शंघाई सहयोग संगठन का एक मुख्य उद्देश्य एक दूसरे के बीच आपसी सुरक्षा की भावना का निर्माण भी करना है। हालाँकि चीन को देख कर यह उद्देश्य समय समय पर विफल हो जाता है क्योंकि वह हमेशा ही अपने पड़ोसी देशों की सीमा की सुरक्षा की अवहेलना करता है और उनका उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है। फिर भी इसका उद्देश्य आपसी सहयोग के द्वारा सुरक्षा को सुनिश्चित करना होता है।
अर्थव्यवस्था को गति देना
अब इसमें जो अधिकतर सदस्य देश हैं उनकी सीमायें एक दूसरे को छूती है। इसलिए SCO का एक उद्देश्य एक दूसरे की अर्थव्यवस्था को गति देना और व्यापारिक समझौते बढ़ाना है। अब एक देश से दूसरे देश में माल का आयत निर्यात करना व विकास को गति देना भी इसी शंघाई सहयोग संगठन का एक उद्देश्य माना गया है।
सांस्कृतिक मेलजोल
इसमें जो जो भी देश है उनकी संस्कृति एक दूसरे से भिन्न है और इस कारण लोगों में भी आपसी सामंजस्य कम बैठ पाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए और लोगों के बीच में मेलजोल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से SCO का यह एक उद्देश्य भी बनाया गया है जिसमे सभी सदस्य देश एक दूसरे की संस्कृति का अपने देश में प्रचार प्रसार करते हैं।
आंतकवाद की समाप्ति
अब यह हास्यास्पद लगता है क्योंकि आंतकवाद का जनक पाकिस्तान भी इसी शंघाई सहयोग संगठन का एक सदस्य देश है तो इसके जरिये किस तरह से आंतकवाद खत्म होगा, इस पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। फिर भी शंघाई सहयोग संगठन का एक उद्देश्य आंतकवाद का खात्मा करना है और इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही RATS की स्थापना की गयी है।
SCO क्या है – Related FAQs
प्रश्न: SCO में कौन कौन से देश शामिल है?
उत्तर: SCO में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, कजाकिस्तान व उज्बेकिस्तान देश शामिल हैं।
प्रश्न: भारत SCO का सदस्य कब बना?
उत्तर: भारत SCO का सदस्य वर्ष 2002 में बना था।
उत्तर: भारत SCO का सदस्य वर्ष 2002 में बना था।
उत्तर: SCO का मतलब शंघाई सहयोग संगठन होता है।
प्रश्न: शंघाई सहयोग संगठन का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: शंघाई सहयोग संगठन का उद्देश्य इसके सदस्य देशों के बीच राजनीतिक समझ व सहयोग विकसित करना, आंतकवाद को खत्म तथा एक दूसरे की अर्थव्यवस्था को गति देना है।
तो इस तरह से आज का यह लेख आपको यह बता पाने में सक्षम हुआ कि SCO क्या होता है और इसकी स्थापना कब व क्यों की गयी थी। साथ ही शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देश के अलावा अन्य देश कौन कौन से हैं और उनकी इसमें क्या भागीदारी है तथा SCO का उद्देश्य क्या है इत्यादि।