|| स्क्रूटनी का मतलब क्या है? | स्क्रूटनी कैसे होती है? | Scrutiny in Hindi | स्क्रूटनी के क्या नुकसान है? | Scrutiny ke kya nuksan hai | स्क्रूटनी कैसे होती है? | Scrutiny kaise hoti hai | Scrutiny kya hoti hai ||
Scrutiny in Hindi :- यदि आप एक छात्र है या किसी प्रतियोगी परीक्षा में नियमित रूप से भाग लेते हैं या अध्यापक है तो आपने कई बार स्क्रूटनी शब्द को सुना होगा। यह शब्द पढ़ाई लिखाई के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण भी माना जाता है और इस्तेमाल (Scrutiny meaning in Hindi) भी बहुत होता है। पहले के समय में इस शब्द का चलन नहीं था लेकिन वर्तमान में हो रही त्रुटियों को देखते हुए इस स्क्रूटनी शब्द का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है।
तो ऐसे में यदि आप स्क्रूटनी शब्द को लेकर शंका में हैं और इसके (Scrutiny kya hoti hai)) बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आज के इस लेख में हम आपको स्क्रूटनी का ही मतलब समझाने वाले हैं। आज के इस लेख को पढ़ कर आपको स्क्रूटनी का ना केवल (Scrutiny ka matlab) अर्थ पता चलेगा बल्कि आप इसके माध्यम से कैसे अपनी परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त कर सकते हैं, इसके बारे में भी जान पाएंगे। तो आइए जाने स्क्रूटनी शब्द का क्या अर्थ होता है।
स्क्रूटनी का हिंदी में मतलब (Scrutiny meaning in Hindi)
सबसे पहले बात करते हैं शब्द स्क्रूटनी के बारे में और इसके हिंदी अर्थ के बारे में। तो इस स्क्रूटनी शब्द से आपका क्या तात्पर्य हो सकता है और आप इसे किस तरह से लेते हैं। यह अंग्रेजी भाषा का एक शब्द है और यह सामान्य तौर पर इस्तेमाल में भी नहीं लाया (Scrutiny kya hota hai) जाता है। इसी कारण आपने आम बोलचाल की भाषा में इस स्क्रूटनी शब्द का इस्तेमाल होते हुए नहीं देखा होगा लेकिन जब बात छात्रों की आती है तो वे कई बार इस शब्द का इस्तेमाल करते हुए देखे जा सकते हैं।
तो इस स्क्रूटनी शब्द का हिंदी में मतलब संवीक्षा, जांच, खोज इत्यादि से हो सकता है। इसे मुख्य तौर पर परीक्षा में मिले अंकों को फिर से जांचने में या उन्हें बढ़ाने में इस्तेमाल किया जाता है तो इसका मुख्य अर्थ जांच करने या अंकों को फिर से जोड़ने या उनकी गणना करने में इस्तेमाल किया जाता है। तो ऐसे में स्क्रूटनी शब्द का हिंदी में मतलब जांच करने से लिया जा सकता है।
स्क्रूटनी का मतलब क्या है? (Scrutiny in Hindi)
तो अब जब आपने स्क्रूटनी शब्द का हिंदी अर्थ जान लिया है तो आपको इसके साथ साथ यह भी जान लेना चाहिए की आखिरकार इस शब्द से आपका या हमारा क्या तात्पर्य होता है और इसे किस लिये इस्तेमाल में लाया जाता है। तो इसे मुख्य तौर पर परीक्षा में मिले (Scrutiny kya hai in Hindi) अंकों या फिर उत्तर पुस्तिका जांचने के लिए उपयोग में लाया जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि मान लीजिए आपने अपनी 11 वीं कक्षा की परीक्षा दी और उसके बाद निर्धारित तिथि पर आपको उस परीक्षा में मिले अंकों को दिखाया गया।
अब यदि आपको लगता है कि आपके उस परीक्षा में अधिक अंक आने चाहिए थे लेकिन उसकी तुलना में बहुत कम अंक आये है। अब थोड़े बहुत अंकों का हेरफेर तो चलता है लेकिन यदि यह आपके अनुमान से बहुत कम अंक आये हैं तो अवश्य ही जांचकर्ता से आपकी कॉपी को जांचने में कोई त्रुटी हुई है। तो पहले की तरह अब कॉपी सीधे छात्रों को दिखाई तो नही जाती लेकिन उन्हें स्क्रूटनी की अनुमति अवश्य दी जाती है।
कहने का अर्थ यह हुआ कि पहले तो उत्तर वाली कॉपी को जांचने के बाद उसे छात्रों को दिखा दिया जाता था लेकिन छात्रों के द्वारा इस उत्तर तालिका में कई तरह की छेड़खानी कर दी जाती थी जिस कारण शिक्षक को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। तो आज के समय में इस समस्या से बचने के लिए उत्तर पुस्तिका को छात्रों को देने की बजाए उन्हें केवल परीक्षा में मिले अंकों को बताया जाता है।
तो यदि किसी छात्र को लगता है की उसके अनुमान के अनुसार परीक्षा में मिले उसके अंक बहुत कम है तो वह उस उत्तर पुस्तिका की पुनः जांच करने के लिए आग्रह कर सकता है जिसे स्क्रूटनी कहा जाता है। यदि किसी छात्र के द्वारा किसी परीक्षा पत्र के उत्तर पुस्तिका की स्क्रूटनी करने का आग्रह किया जाता है तो किसी अन्य शिक्षक के द्वारा उस उत्तर पुस्तिका को फिर से जांचा जाता है। यदि उसमे कुछ सुधार की आवश्यकता होती है या उसमे कोई त्रुटी पायी जाती है तो उसे सही कर दिया जाता है और एक बार फिर से उस छात्र को परीक्षा में मिले अंकों के बारे में अवगत करवाया जाता है।
स्क्रूटनी कैसे होती है? (Scrutiny kaise hoti hai)
अब आपको यह भी जानना चाहिए कि यह स्क्रूटनी होती कैसे है। तो आप बिना मतलब के ही स्क्रूटनी करने के लिए आवेदन ना करे क्योंकि इससे आपके अंक बढ़ने की बजाए कम भी हो सकते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आप सोच रहे हैं कि स्क्रूटनी में अंक बढ़ कर ही आएंगे तो आप गलत है। इसमें अंक वही भी रह सकते हैं, बढ़ भी सकते हैं या कम भी हो सकते हैं। इसके लिए आपको यह समझना होगा कि आखिरकार यह स्क्रूटनी होती कैसे है और इसकी प्रक्रिया क्या है।
तो स्क्रूटनी के लिए तो सबसे पहले छात्र को अपनी उत्तर पुस्तिका की जांच करवाने के लिए स्कूल प्रशासन या परीक्षा प्रशासन से आग्रह करना होता है और उसके लिए निर्धारित फॉर्म भरना होता है व साथ ही स्क्रूटनी का शुल्क भी चुकाना होता है। यह सब प्रिक्रिया करने के बाद आपकी उत्तर पुस्तिका की स्क्रूटनी के लिए प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया जाता है। अब जिस भी शिक्षक ने आपकी उत्तर पुस्तिका को चेक किया था वही शिक्षक फिर से आपकी उत्तर पुस्तिका को नहीं जांच सकता है अर्थात आपकी उत्तर पुस्तिका की स्क्रूटनी वही शिक्षक नही कर पाएगा।
तो स्क्रूटनी करवाने के लिए यह उत्तर पुस्तिका किसी अन्य शिक्षक के पास जाएगी। अब आप यह मत सोचिये कि जो प्रश्न पहले से ही चेक कर लिया गया है, वह शिक्षक उस प्रश्न को फिर से चेक करेगा और उसके नंबर में बदलाव करेगा क्योंकि स्क्रूटनी में यह शामिल नहीं होता है। तो जिस प्रश्न के उत्तर के जो नंबर दिए गए है, वह वैसे ही रहते हैं और उसमे कोई भी बदलाव नही किया जाता है। तो उस शिक्षक के द्वारा स्क्रूटनी में केवल 3 चीज़ों को ही चेक किया जाएगा, जो हैं:
- यदि उत्तर पुस्तिका में कोई उत्तर जांचने में बाकि रह गया है या उसे जांचा नहीं गया है तो उसे चेक करके उसके नंबर दिए जाएंगे।
- यदि किसी उत्तर को चेक तो कर लिया गया है लेकिन उसके अंक नहीं दिए गए हैं या उसको अंक देना छूट गया है तो फिर उस उत्तर के सही अंक दिए जाएंगे।
- यह सभी प्रिक्रिया को करने के बाद सभी उत्तरों के मिले अंकों की पुनः गणना की जाएगी क्योंकि कई बार अंकों के योग में भी गलती हो जाती है। उसके बाद जो भी अंतिम परिणाम आएगा वह परीक्षार्थी को बता दिया जाएगा।
तो इस तरह से स्क्रूटनी में केवल ना जांचे गए उत्तरों या उनके नंबर ना दिए जाने वाले उत्तरों को जांच कर, फिर कुल अंकों का पुनः योग कर आपको नंबर दे दिए जाते हैं।
स्क्रूटनी के क्या फायदे होते हैं? (Scrutiny benefits in Hindi)
जब भी हम कोई परीक्षा देकर बाहर आते हैं तो अपने दोस्तों से इस बारे में चर्चा करते हैं और उसके बाद घर जाकर सभी पुस्तक के माध्यम से अपने उत्तरों का आंकलन करते हैं। इन सभी के आधार पर हम यह पक्का कर लेते हैं कि उस परीक्षा में हमारे कितने (Scrutiny ke fayde) तक अंक बन सकते हैं। जैसे कि आपकी परीक्षा 100 अंकों की थी और आपने सब जांचने के बाद यह पक्का कर लिया कि आपके 70 के आसपास अंक बनेंगे।
अब जब परीक्षा का परिणाम आता है तो आपके उस परीक्षा में 40 अंक आते हैं जो आपके अनुमान के अनुसार बहुत ही कम है। तो ऐसी स्थिति में आपको यह लगता है की अवश्य ही जांचकर्ता से आपकी कॉपी चेक करने में कोई त्रुटि हुई होगी या अंकों का योग करने में गड़बड़ी होगी। तो आप इस आशंका को वास्तविकता में बदलने और अपने अंक बढ़ाने के लिए स्कूल प्रशासन से उस कॉपी की स्क्रूटनी करने का आग्रह करते हैं।
आपके आग्रह पर प्रशासन उस उत्तर पुस्तिका की पुनः जांच करता है और ऊपर बताई गयी प्रक्रिया के अनुसार ही आगे बढ़ता है। इसके बाद यदि आपका अनुमान सही रहता है तो अंतिम परिणाम अर्थात स्क्रूटनी के बाद आपके बढ़े हुए अंक आते हैं जो 70 के आसपास ही रहते हैं। तो इस तरह स्क्रूटनी के माध्यम से योग्य छात्रों को अपनी कॉपी की पुनः जांच करवाने की सुविधा दी जाती है।
स्क्रूटनी के क्या नुकसान है? (Scrutiny ke kya nuksan hai)
स्क्रूटनी से केवल फायदे ही नही बल्कि कई तरह के नुकसान भी देखने को मिल जाते हैं। अब ऐसे भी बहुत से छात्र होते हैं जो बिना अपने नंबर का आंकलन किये या मन से ही स्क्रूटनी करने के लिए कह देते हैं। तो इस स्थिति में उनके नंबर बढ़ने की बजाए कम होकर आ जाते हैं। इससे उनके पहले मिले नंबर मान्य नहीं रहते हैं जो परिणाम स्क्रूटनी के बाद आया है, वही मान्य माना जाता है। इस तरह से उन्हें परीक्षा परिणामो में बहुत नुकसान झेलना पड़ सकता है और कई बार तो कुछ छात्र इसके माध्यम से फेल तक हो जाते हैं।
इसी के साथ कई बार यह भी देखने को मिला है की स्कूल प्रशासन ज्यादा पैसे कमाने के लालच में जान बूझकर योग्य परीक्षार्थियों को कुछ विषय में कम नंबर देता है ताकि वे स्क्रूटनी के माध्यम से पैसे कमा सके। आजकल ज्यादातर स्कूल केवल कमाई का अड्डा बन कर रह गए हैं और उनके द्वारा छात्रों की पढ़ाई पर कम और पैसों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इसी कारण वे स्क्रूटनी का गलत इस्तेमाल कर पैसे कमा रहे हैं।
तो इस तरह से आज के इस लेख में आपने जाना कि स्क्रूटनी क्या होती है और इसकी प्रक्रिया का पालन कैसे किया जा सकता है। तो यदि आपको लगता है कि आपके अनुमान के अनुसार किसी परीक्षा में बहुत कम अंक आये है तभी आप स्क्रूटनी के लिए आवेदन करे अन्यथा बेवजह में अपना और ओरो का समय और पैसे जाया ना करे।
स्क्रूटनी का मतलब क्या है – Related FAQs
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प्रश्न: स्क्रूटनी क्या होती है?
उत्तर: स्क्रूटनी का मतलब किसी उत्तर पुस्तिका की पुनः जांच करने से होता है।
प्रश्न: क्या हर पेपर में स्क्रूटनी हो सकती है?
उत्तर: नहीं, जिस पेपर में स्क्रूटनी की अनुमति दी गयी है, केवल उसी में ही आप स्क्रूटनी के लिए आवेदन दे सकते हैं।
प्रश्न: क्या स्क्रूटनी करवाने के लिए पैसे लगते हैं?
उत्तर: यह पूर्ण रूप से प्रशासन व परीक्षा के आयोजको पर निर्भर करता है। ज्यादातर मामलो में स्क्रूटनी के लिए पैसे लिए जाते हैं।
प्रश्न: क्या स्क्रूटनी करवाना सही रहता है?
उत्तर: यदि आपको लगता है कि आपके अनुमान के अनुसार परीक्षा में बहुत ही कम अंक आये हैं तो फिर आप स्क्रूटनी करवा सकते हैं। इससे आपको फायदा ही देखने को मिलेगा।