मार्जिन ट्रेडिंग क्या होता है? | सेबी के नए मार्जिन रूल्स | SEBI new margin rules in Hindi

|| सेबी के नए मार्जिन रूल्स | SEBI new margin rules in Hindi | SEBI new margin rules explained in Hindi | मार्जिन ट्रेडिंग क्या होता है? | बीटीएसटी में मार्जिन रूल्स | SEBI new margin rules in BTST in Hindi | Types of margin in share market in Hindi ||

SEBI new margin rules in Hindi :- अगर आप भी शेयर मार्केट से थोड़े बहुत परिचित हो या अगर आप भी शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते हो, तो आपने सुना होगा कि शेयर बाजार के लिए नियम बनाने वाली संस्था सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने हाल ही में मार्जिन से संबंधित नियमों में बदलाव किए है। आपने देखा होगा कि बाजार में इससे जुड़ी कितने बातें की जा रही है कि किस तरह से मार्जिन के नए रूल्स ट्रेडर्स और बाजार को प्रभावित करेंगे। मार्जिन संबंधित नियमों में हुए बदलाव (SEBI margin rules update in Hindi) ने सबको चौकाया है।

इसलिए अगर आप भी अब शेयर बाजार में इन्वेस्ट या इंट्राडे ट्रेड करना चाहते हैं, तो आपको इन नए रूल्स के बारे में जान लेना बहुत जरूरी है। इन रूल्स के चलते आपके शेयर खरीदने और आपके मुनाफे और नुकसान पर किस तरह का फर्क पड़ने वाला है, ये जान लेने के बाद ही आपको शेयर बाजार में ट्रेड करना चाहिए। आपकी इसी जानकारी को जुटाने में मदद करने के लिए हम आपको इस लेख के (SEBI new margin rules explained in Hindi) माध्यम से सेबी के द्वारा बनाए हुए मार्जिन रूल्स से संबंधित सभी जानकारी देने की कोशिश करेंगे।

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सेबी के नए मार्जिन रूल्स (SEBI new margin rules in Hindi)

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड शेयर बाजार में होने वाले लेन देन को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए समय समय पर नए नए नियम लाता रहता है। इसके साथ ही जरूरत के हिसाब से इन नियमों में बदलाव भी किया जाता है। ऐसा अक्सर पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए किया जाता है। इसी की ओर एक कदम और बढ़ाते हुए सेबी ने बाजार में ट्रेडिंग से संबंधी मार्जिन रूल्स (How margin is calculated in intraday in Hindi) में बदलाव किया है। जिसके चलते शेयर बाजार में होने वाले ट्रेड्स पर काफी असर पड़ने के आसार है।

मार्जिन ट्रेडिंग क्या होता है सेबी के नए मार्जिन रूल्स SEBI new margin rules in Hindi

नए नियम के अनुसार स्टॉक ब्रोकर के द्वारा अपने क्लाइंट्स को अधिकतम 5 गुणा का मार्जिन ही दिया जा सकता है। इसका मतलब है कि अब इन्वेस्टर अपने पास से पैसे देकर उनके 5 गुणा तक ही शेयर खरीद और बेच सकता है। उदाहरण के तौर पर अगर आपके पास 1,00,000 रुपए है तो नए नियम के अनुसार आप केवल 5,00,000 तक के शेयर खरीद और बेच सकते हो। इसके अलावा भी अलग अलग मार्जिन रूल्स में बदलाव किए गए हैं, जिनको हम एक एक करके जानेंगे।

मार्जिन ट्रेडिंग क्या होता है? (What is Margin Trading in Hindi)

मार्जिन के नियमों में हुए बदलाव को जानने से पहले ये जानना भी जरूरी है कि आखिर मार्जिन ट्रेडिंग होता क्या है। शेयर बाजार में होने वाले लेन देन का एक बहुत बड़ा हिस्सा मार्जिन ट्रेडिंग के माध्यम से ही होता है। इसके अंदर ट्रेडर अपने पास कम पैसे होने पर भी अधिक मूल्य के शेयर खरीद और बेच सकता है। इसके लिए उसे ब्रोकर के द्वारा उधार राशि मार्जिन (How margin trading works in Hindi) की तरह प्रदान कारवाई जाती है। इसकी मदद से ट्रेडर अपने मुनाफे की रकम को बढ़ा सकता है।

उदाहरण के तौर पर अगर आपके पास 2 लाख रुपए हैं और आप एक शेयर खरीदना चाहते हैं जिसका मूल्य 100 रुपए है। इस लेन देन में आप कंपनी के अधिक से अधिक 2 हजार शेयर खरीद सकोगे। अब मान लीजिए कि शेयर की कीमत 10 रुपए से ऊपर चली जाए, तो आपको हर शेयर पर 10 रुपए के हिसाब से कुल 20 हजार की रकम का मुनाफा हो गया। अब इस शेयर में पैसे कम होने के चलते आपको 20 हजार का ही मुनाफा हुआ। 

इसके विपरित अगर आपको शेयर ब्रोकर के द्वारा मार्जिन दिया जाता तो स्थिति कुछ अलग होती। मान लीजिए आपके स्टॉक ब्रोकर के द्वारा 5 गुणा का मार्जिन दिया जाता है। इसके चलते आप उसी 2 लाख की रकम में 10 लाख तक के 10 हजार शेयर खरीद सकते। अब हम ऊपर वाले उदाहरण के हिसाब से ही एक शेयर पर 10 रुपए का मुनाफा मान कर चलें, तो कुल 10 हजार शेयर पर 1 लाख का मुनाफा हो जायेगा। इस तरह से आप मार्जिन पर ट्रेडिंग करने से अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं।

डिलीवरी में नए मार्जिन रूल्स (SEBI new margin rules in delivery in Hindi)

शेयर बाजार में डिलीवरी की स्थिति वो होती है जिसमे ट्रेडर शेयर या अन्य सिक्योरिटी सच में खरीदता है। इसका मतलब वो सिर्फ उसमे ट्रेड करने की बजाए अपने पास पहले खरीद के रखना चाहता है। इसमें उसको आज के रेट पर खरीद को बुक करना होता है और उसके पास शेयर T+2 यानी की ट्रांजेक्शन के 2 दिन बाद आते हैं। इसके बाद ही वो अपने डिमैट अकाउंट में आए हुए शेयर को बेच सकता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के मामले में स्टॉक ब्रोकर के द्वारा पहले भी किसी तरह का मार्जिन नहीं दिया जाता था। अब भी किसी भी तरीके का मार्जिन डिलीवरी ट्रेडिंग पर उपलब्ध नहीं होगा। इसका मतलब है कि अगर आपको 2 लाख मूल्य के शेयर खरीदने है तो आपके डिमैट अकाउंट में 2 लाख रुपए होने ही चाहिए, तभी आप उसे डिलीवरी ट्रेडिंग में खरीद सकते हैं।

इंट्रा डे में नए मार्जिन रूल्स (SEBI new margin rules in intra day in Hindi)

आजकल शेयर बाजार में अधिकतम संख्या में खरीद बेच इंट्रा डे में ही होती है। इसका कारण इसके मामले में मिलने वाला बहुत अधिक मार्जिन भी है। सेबी के नए नियम के आने से पहले ब्रोकर्स के द्वारा इंट्रा डे के लिए बहुत अधिक मार्जिन उपलब्ध करवाए जाते थे। किसी किसी ब्रोकर के मामले में तो यह राशि 10 और 20 गुणा तक भी होती थी। जिसके चलते ट्रेडर इतनी बड़ी खरीद बेच कर लेते थे जिसके लिए उनकी जेब हां भी नहीं कर रही होती थी। जिसके चलते वो भारी नुकसान भी कर जाते थे।

परंतु सेबी ने इसके संबंधित मार्जिन में बहुत बदलाव (Intraday margin rules in Hindi) कर दिया है। सेबी ने इंट्रा डे ट्रेड के लिए कम से कम 20% मार्जिन का रूल्स बनाया है। आप अगर सोच रहे हो कि 20% कैसे होता है तो इसकी चर्चा हम आगे करेंगे। अभी के लिए समझ के चलिए कि अधिकतम मार्जिन 5 गुणा से अधिक नहीं हो सकता। इसका मतलब अगर आप 2 लाख के शेयर खरीदना चाहते हो तो आपको केवल 40 हजार की जरूरत होगी।

फ्यूचर एंड ऑप्शन में मार्जिन रूल्स (SEBI new margin rules in futures and options in Hindi)

अगर आपने भी किसी को शेयर बाजार में एक दिन में अपनी रकम को 10 या 100 गुणा करते सुना हो तो यह डेरिवेटिव यानी कि फ्यूचर एंड ऑप्शंस के मार्केट में होता है। शेयर बाजार के इस भाग में बहुत पेचीदगी है। इसी लिए यह क्षेत्र पूरी तरह से वित्तीय जोखिम से भरा हुआ है। इसी के चलते सेबी ने इस क्षेत्र के लिए ना ही तो पहले मार्जिन के लिए (Margin in future and options in Hindi) अनुमति दी थी और ना ही अब नए नियमों में इनकी अनुमति दी गई है।

इसलिए फ्यूचर एंड ऑप्शंस में तो ट्रेडर को पूरी राशि का ही भुगतान करना पड़ता है। फ्यूचर एंड ऑप्शंस में यह पूरी राशि SPAN और Exposure मार्जिन के हिसाब से निकाली जाती है। इसका मतलब क्या होता है ये हम आगे जानेंगे। इनके माध्यम से सेबी के द्वारा फ्यूचर एंड ऑप्शन की ट्रेड को हर तरफ से सुरक्षित रखने की कोशिश की जाती है। इसका मतलब खरीदने और बेचने वाला दोनों अपने वादे को पूरा करे इसे सुनिश्चित किया जाता है।

बीटीएसटी में मार्जिन रूल्स (SEBI new margin rules in BTST in Hindi)

BTST शेयर बाजार का वह क्षेत्र है, जिसका मतलब होता है buy now and sale tomorrow, यानी कि आज शेयर खरीद कर कल बेच सकते हैं। चूंकि शेयर बाजार T+2 days के हिसाब से चलता है, तो शेयर को आज खरीद कर कल बेच पाना तो मुमकिन नहीं हो सकता। इसके लिए ही मार्जिन रूल्स (How much margin is required for BTST in Hindi) बनाए गए हैं। इसके अंदर पहले तो आपको अगले दिन बेचने पर भी आपकी बेची हुई पूरी की पूरी यानी 100% रकम ट्रेडिंग के लिए मिल जाती थी।

परंतु नए मार्जिन रूल्स के अंदर आपको अगले दिन बेचने पर केवल 80% हिस्सा ही उस दिन ट्रेडिंग के लिए मिलेगा और बाकी 20% अगले दिन ही उपलब्ध होगा। उदाहरण के तौर पर अगर आपने 20 नवंबर को 1 लाख के शेयर खरीदे। अगले दिन शेयर की कीमत में बदलाव नहीं हुआ और आपने शेयर 1 लाख में ही बेच दिए। इस स्थिति में आपको अगले दिन यानी 21 नवंबर को केवल 80 हजार रूपए ही ट्रेडिंग के लिए मिलेंगे। बाकी के 20 हजार रूपए आपके डीमैट अकाउंट में 22 तारीख को आयेंगे।

शेयर बाजार में मार्जिन के प्रकार (Types of margin in share market in Hindi)

शेयर बाजार में लेन देन को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए और साथ ही पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सेबी के द्वारा अलग अलग तरह के मार्जिन के रूल्स बनाए हुए हैं। इनके अंदर आने वाले मार्जिन भी अलग अलग है। आइए इनके बारे में मूलभूत जानकारी लेते हैं।

VAR Margin

यह मार्जिन स्टेटिस्टिक्स के नियमों के हिसाब से निकाला जाता है। जिसमें बताया जाता है कि एक शेयर की कीमत में होने वाले बदलाव के चलते 99% आत्मविश्वास से अगले दिन यानी एक दिन में अधिकतम कितना नुकसान हो सकता है। इस नुकसान के बराबर ही ट्रेडर को खाते में मार्जिन रखना होता है।

Extreme Loss Margin

यह मार्जिन उस संभावना के लिए बनाया जाता है जो var मार्जिन के द्वारा नहीं देखी जा सकती। इसका मतलब है कि ये मार्जिन var मार्जिन के अतिरिक्त होता है। इसे पिछले 6 महीने के डाटा के हिसाब से हर महीने निकाला जाता है।

Mark to Market Margin

अगर आपने 1 लाख के शेयर खरीदे तो ये शेयर आपके पास 2 दिन में आयेंगे, अगर इनकी कीमत इसी दिन के आखिर में 75 हजार हो जाए तो आपका 25 हजार का नुकसान दिखाई देता है, इसको कवर करने के लिए ही MTM मार्जिन होता है।

SPAN Margin

यह मार्जिन शेयर के फ्यूचर एंड ऑप्शन के लिए निकाला जाता है। इसको शेयर के कीमत में आने वाले बदलाव की 16 अलग अलग अनुमानित स्थितियों के हिसाब से निकाला जाता है, जो फ्यूचर एंड ऑप्शंस के नुकसान को कवर करने के लिए होता है।

Exposure Margin

यह मार्जिन span मार्जिन की तरह ही फ्यूचर एंड ऑप्शंस के लिए निकाला जाता है। परंतु यह शेयर के इंडेक्स के लिए होता है, जिसे सांख्यिकी के माध्यम से निकाला जाता है।

Security Margin

जब किसी ट्रेडर के पास पैसे नहीं हो और शेयर हो जिसे वो बेचना ना चाहता हो, तो उन शेयर को ब्रोकर के पास सिक्योरिटी के रूप में रख कर ट्रेड किया जा सकता है। इसके लिए भी मार्जिन होता है जिसे सिक्योरिटी मार्जिन कहते हैं, जिसे ट्रेडर को कैश में रखना होता है।

मार्जिन किस तरह कैलकुलेट किया जाता है (How margin is calculated in trading in Hindi)

हमने जाना कि शेयर के इंट्रा डे ट्रेडिंग के लिए मार्जिन 5 गुणा से अधिक नहीं हो सकता। परंतु सेबी के नियमों में इसे इस तरह से नहीं लिखा जाता। सेबी ने अपने नियमों में कहा है कि किसी भी तरह के इंट्रा डे ट्रेडिंग के लिए ट्रेड के शुरू होने से पहले स्टॉक ब्रोकर को ट्रेडर से VAR+ELM के बराबर मार्जिन जमा करवाना जरूरी है। जो कि कम से कम 20% होना चाहिए। इसी तरह से फ्यूचर एंड ऑप्शन में भी Exposure और Span मार्जिन का कुल मार्जिन जितना होता है, किसी ट्रेड को शुरू करने से पहले उतना मार्जिन होना ज़रूरी है।

इसमें देखा जाए तो अलग अलग कंपनी का VAR और ELM अलग अलग हो सकता है। परंतु जिस कंपनी का ये मार्जिन 20% से कम होगा उनके लिए तो 20% और जिनमे ये टोटल 20% से अधिक होगा तो VAR और ELM का टोटल मार्जिन कलेक्ट करना जरूरी है। इसका मतलब है कि 1 लाख के ट्रेड करने के लिए कम से कम 20 हजार रुपए खाते में होने जरूरी है। इसी गणना के आधार पर 5 गुणा तक का मार्जिन बोला जाता है। परंतु असलियत में मार्जिन 20% होता है।

शेयर बाजार में नए मार्जिन नियम (New margin rules SEBI in Hindi)

सेबी अपने नियमों में बदलाव करने के साथ मार्जिन संबंधी नया नियम भी लाया है। पहले अगर आपको अपने शेयर के बदले में ब्रोकर से लोन लेना होता था तो आप पूरी राशि को मार्जिन (How margin pledge works in Hindi) की तरह इस्तेमाल करके ट्रेड कर सकते थे। परंतु अब आप शेयर को सिक्योरिटी के रूप में देकर मिलने वाले मार्जिन का केवल 50% हिस्सा ही इस्तेमाल कर सकते हो। बाकी का 50% आपको खाते में ब्रोकर के पास जमा करवाना होगा।

उदाहरण के तौर पर अगर आपके पास 10 लाख के शेयर हैं। जिन्हे आप बेचना नहीं चाहते, परंतु फिर भी ट्रेडिंग करना चाहते हैं। आप इन शेयर के खिलाफ मार्जिन ले सकते हैं जो शेयर कट के बाद लगभग 8 लाख का होगा। नए नियम के हिसाब से आप इसमें से केवल 4 लाख ही इस्तेमाल कर सकते हैं। बाकी के 4 लाख आपको ब्रोकर के पास जमा करवाने होंगे। यानी आपको अगर 8 लाख का ट्रेड करना है तो 4 लाख खाते में होने चाहिए।

मार्जिन संबंधित जुर्माने के नियम (How is the margin penalty calculated in Hindi)

मार्जिन संबंधित नियमों को सेबी ने अलग अलग फेस में लागू किया है। जिसमे अलग अलग फेस में पेनल्टी अलग तरह से थी। परंतु अब आखिर में पेनल्टी तब लगेगी जब मार्जिन पूरे 20% से एक भी रुपए कम होगा। इसके अंदर अगर मार्जिन मेंटेन नहीं किया जाता है तो पेनल्टी लगेगी। अगर मार्जिन में शॉर्टफाल की रकम 1 लाख या कुल मार्जिन के 10% से कम है तो पेनल्टी मार्जिन की 0.5 फीसदी है और अगर मार्जिन की रकम 1 लाख से अधिक है तो 1 फीसदी की पेनल्टी लगेगी।

इसके साथ ही अगर मार्जिन में शॉर्टफाल लगातार 3 दिन होता है तो अगले बार के शॉर्टफॉल से 5% की पेनल्टी लगेगी। इसी तरह से अगर महीने में 5 दिन शॉर्टफाल होता है तो पेनल्टी 5% लगेगी। पहले शॉर्टफाल (Margin shortfall penalty in Hindi) दिन के अंत में चेक करना होता था। परंतु नए नियमों के हिसाब से इसे दिन में 6 बार चेक किया जाना जरूरी है। एक बार ट्रेड शुरू करने से पहले एक बार दिन के आखिर में और 4 बार दिन के अलग अलग समय पर।

SEBI new margin rules in Hindi – Related FAQs

प्रश्न: सेबी न्यू मार्जिन नियम में इंट्रा-डे में कितना मार्जिन मिलेगा?

उत्तर: नए नियमों के हिसाब से अधिकतम 5 गुणा मार्जिन हो सकता है।

प्रश्न: नया सेबी मार्जिन नियम क्या है?

उत्तर: सेबी के नए नियम के अनुसार ग्राहक सिर्फ अपने मार्जिन का 50% ही इस्तेमाल कर सकता है।

प्रश्न: स्टॉक मार्जिन क्या होता है?

उत्तर: मार्जिन का मतलब अपने स्टॉक ब्रोकर से पैसे उधार पर लेना होता है।

प्रश्न: मार्जिन की कमी के लिए कितना जुर्माना है?

उत्तर: अलग अलग स्थिति में 0.5%, 1% और 5% का जुर्माना है।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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