सिर फोड़ने पर कौन सी धारा लगती है? मारपीट करने पर कौन सी धारा लगती है?

जब भी कोई दो लोग आपस में लड़ते हैं तो कई बार बात सिर फोड़ देने तक पर पहुंच जाती है। यह आप और हम सभी जानते हैं कि सिर मानव शरीर का एक बेहद संवेदनशील अंग है। इस पर यदि गंभीर चोट की जाए तो आदमी की जान तक जा सकती है। इसी को देखते हुए भारतीय संविधान (indian constitution) में सिर फोड़ने को लेकर गंभीरता दिखाई गई है। इसके लिए सजा का प्रावधान भी किया गया है। आज इस पोस्ट में हम यही जानेंगे कि किसी का सिर फोड़ने पर कौन सी धारा लगती है। आइए शुरू करते हैं-

क्या सिर फोड़ना एक गंभीर अपराध है? (Is beheading a serious crime?)

साथियों, आपको जानकारी दें कि भारतीय दंड संहिता (Indian penal code) यानी आईपीसी (IPC) की धारा (section)- 320 में जिन आठ गंभीर अपराधों का जिक्र किया गया है, उनमें सिर फोड़ना भी शामिल है। इसकी वजह यह है कि यदि सिर की चोट बेहद गंभीर हो तो ऐसे में व्यक्ति की जान भी जा सकती है। भारतीय दंड संहिता (Indian penal code) यानी आईपीसी (IPC) में इस अपराध के लिए सजा (punishment) का प्रावधान (provision) किया गया है।

सिर फोड़ने समेत किन चोटों को धारा 320 में गंभीर करार दिया गया है? (Which injuries are assumed serious under section 320 except beheading?)

सिर फोड़ने पर कौन सी धारा लगती है? मारपीट करने पर कौन सी धारा लगती है?

धारा 320 में गंभीर चोटों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। इसमें बताया गया कि किन चोटों को किस स्थिति में गंभीर माना जाएगा। गंभीर (serious) की श्रेणी (category) में आने वाली ये चोटें इस प्रकार से हैं-

1. नपुंसकता अथवा यौन अंगों को क्षतिग्रस्त करना : किसी पुरुष को ऐसी चोट पहुंचाना कि वह पुरुष शक्ति से वंचित हो जाए, उसके यौन अंगों को नुकसान पहुंचे अथवा वह नपुंसक हो जाए। गंभीर चोट की श्रेणी में आता है।

2. आंखों की रोशनी चले जाना या दिखना बंद हो जाना: यदि किसी व्यक्ति की आंख फोड़ दी जाए अथवा उसकी आंखों को ऐसी चोट पहुंचाई जाए, जिससे एक आंख की रोशनी खत्म हो जाए तो यह गंभीर चोट के अंतर्गत आता है।

3. सुनने की शक्ति समाप्त होना अथवा बहरा कर देना : यदि किसी व्यक्ति को ऐसी चोट मारी जाए कि उसकी सुनने की शक्ति खत्म हो जाए अथवा वह बहरा हो जाए तो धारा 320 के अंतर्गत यह गंभीर चोट के अंतर्गत आता है। जैसे कि किसी व्यक्ति के कान पर जबरदस्त मुक्का अथवा ऐसा हथियार मार देना, जिससे उसके कान के पर्दे फट जाएं या वह सुनने से महरूम हो जाए।

4. शरीर का कोई अंग काट देना या अंग विच्छेद : मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि किसी मनुष्य के शरीर से उसके किसी अंग को काट देना अथवा अंग विच्छेद भी गंभीर चोट की कैटेगरी में आता है। यहां आपको यह भी बता दें दोस्तों कि अंग विच्छेद किए जाने को लेकर दिए जाने वाले दंड की प्रकृति एक समान नहीं होती। मसलन, हाथ या पैर विच्छेद की तुलना में किसी छोटी उंगली का विच्छेद कम गंभीर हो सकता है। इसी प्रकार इस अपराध के लिए दिए जाने वाले दंड की प्रकृति भी साधारण हो सकती है।

5. जोड़ों का टूटना अथवा इनकी शक्ति का ह्रास : मित्रों, यदि किसी व्यक्ति को ऐसी चोट मारी जाए कि उसके शरीर के किसी अंग के जोड़ को तोड़ दिया जाए अथवा जोड़ की शक्ति का ह्रास हो जाए अथवा उसकी कार्य करने की क्षमता समाप्त जाए तो इसे भी गंभीर चोट में दर्ज किया जाएगा। जैसे कि किसी व्यक्ति के घुटनों को तोड़ दिया जाना। या घुटने का काम करना बंद कर देना।

6. सिर अथवा चेहरे की चोट : किसी व्यक्ति के सिर पर यदि कोई ऐसी चोट करता है, जिससे उसका जीवन खतरे में पड़ सकता है अथवा उसके सिर या चेहरे का आकार बदल जाता है या चेहरा स्थाई रूप से विद्रूप हो जाता है तो इसे भी धारा 320 के अंतर्गत गंभीर चोट की कैटेगरी में रखा जाता है।

7. हड्डियों अथवा दांत आदि का तोड़ना : दोस्तों, यदि किसी को ऐसी चोट मारी जाए, जिससे उसके दांत हड्डियां टूट जाएं तो इसे भी गंभीर चोट में शामिल किया जाएगा। यह तो हम सभी जानते हैं कि हड्डियों एवं व दांतों का तोड़ा जाना व्यक्ति को भयंकर कष्ट व पीड़ा प्रदान करता है।

8. संवेदनशील अंगों पर लगने वाली भयंकर चोट : मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 320 के अंतर्गत संवेदनशील अंगों पर जीवन के लिए संकट बनने वाली सभी भयंकर चोटों को भी शामिल किया गया है। जैसे- आंख, छाती, सिर, दिमाग आदि में कोई भी चोट जीवन के लिए संकटकारी हो सकती है।

सिर फोड़ने पर कौन सी धारा लगती है? (Which section is applicable if the head is severed?)

मित्रों, यदि किसी व्यक्ति के सिर पर किसी ऐसे हथियार से वार किया जाए, जिससे कि उस व्यक्ति की मृत्यु की आशंका हो और वार करने वाला इस बात से भलीभांति परिचित हो कि उस प्रहार से उस व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है तो ऐसे में मामला मामला भारतीय दंड संहिता यानी (Indian penal code) आईपीसी (IPC) की धारा 307 यानी हत्या के प्रयास का बनता है।

दोस्तों, यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति पर हमला करता है और इससे उसके सिर पर इतनी गंभीर चोट आए कि व्यक्ति की जान जाने का खतरा पैदा हो जाए ऐसे में आईपीसी की धारा 308 यानी गैर इरादतन हत्या के प्रयास का भी मामला बनाया जा सकता है।

धारा 307 व 308 के अंतर्गत कितनी सजा का प्रावधान किया गया है? (How much punishment is given under section 307 and 308?)

मित्रों, अभी हमने आपको यह बताया है कि सिर फोड़ने पर कौन सी धारा लगती है। और अब हम आपको बताएंगे कि उन दोनों धाराओं धारा 307 एवं 308 में कितनी सजा का प्रावधान किया गया है। सबसे पहले बाद धारा 307 की करते हैं। आपको बता दें कि हत्या का प्रयास एक संज्ञेय अपराध है। इसके साथ ही धारा 307 गैर-जमानती भी है। धारा 307 समझौता योग्य नहीं है। यानी इस धारा में याचिकाकर्ता अपनी मर्जी से आपसी समझौते के आधार पर केस को वापस नहीं ले सकता।

इस धारा के तहत दर्ज मुकदमों का ट्रायल (trial) सत्र न्यायालय यानी सेशन कोर्ट (session court) द्वारा किया जाता है। यदि इस धारा के तहत दोष सिद्ध होता है तो अपराधी को 10 वर्ष तक की सजा एवं जुर्माना दोनों सजाएं एक साथ तजवीज की जा सकती हैं।

मित्रों, यदि जिस व्यक्ति की हत्या की कोशिश की गई है, उसे गंभीर चोट लगती है, तो आरोपी को आजीवन कारावास तक मिल सकता है। उस पर सजा के साथ ही आर्थिक दंड से भी लगाया जा सकता है। अब बात धारा 308 की कर लेते हैं। यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि भारतीय दंड संहिता (Indian penal code) की गैर इरादतन हत्या के प्रयास (जो हत्या की कैटेगरी में नहीं आता) के मामले में धारा 308 लगती है। इस धारा के अंतर्गत उसे तीन वर्ष तक की सजा अथवा आर्थिक दंड अथवा दोनों ही सजाएं साथ मिल सकती हैं।

यदि गैर इरादतन हत्या के प्रयास में किसी व्यक्ति को गंभीर चोट लग जाती है, तो ऐसे में दोषी पाए जाने पर अपराधी को सात वर्ष तक की सजा अथवा आर्थिक दंड या दोनों सजाएं साथ मिल सकती हैं। आपको बता दोस्तों कि यह धारा भी गैर-जमानती व संज्ञेय अपराध की धारा है। संबंधित मामले सेशन कोर्ट के जज द्वारा सुने जाते हैं। धारा 308 के तहत दर्ज मामले समझौता योग्य नहीं होते।

क्या लोग सिर फोड़ने पर लगने वाली धाराओं को लेकर जागरूक हैं? (Are the people aware of sections applicable in the case of be heading?)

हमारे देश में मार-पीट, लड़ाई -झगड़ा, एक दूसरे को चोट पहुंचाना जैसी चीजें बेहद आम हैं। लोग छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे से लड़ते-झगड़ते हैं। अधिकांश झगड़ों में ये मामले जमीन से जुड़े हुए होते हैं। जिसमें एक -दूसरे का सिर फोड़ देना, एक दूसरे को लहूलुहान कर देना बेहद आम बात है। अधिकांश लोग सिर फोड़ने पर लगने वाली धाराओं के प्रति जागरूक नहीं होते। वे इसके के परिणामों से भी अवगत नहीं होते। ऐसे में जब मामला कोर्ट पहुंचता है तो उन्हें जेल की हवा खानी पड़ती है।

गंभीर चोट की परिभाषा किस धारा में दी गई है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 320 में गंभीर चोटों की परिभाषा दी गई है।

क्या किसी का सिर फोड़ना अपराध है?

जी हां, सिर फोड़ना कई बार जानलेवा भी होता है। ऐसे में इसे भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध की संज्ञा दी गई है।

सिर फोड़ने में कौन सी धारा लगती है?

यदि सिर फोड़ने में जीवन को संकट पैदा होता है तो ऐसे में परिस्थितियों के अनुसार धारा 307 एवं धारा 308 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है।

क्या धारा 307 एवं 308 जमानती धाराएं हैं?

जी नहीं, यह दोनों धाराएं गैर जमानती धाराएं हैं।

इन धाराओं के मुकदमे किस न्यायालय में सुने जाते हैं?

इन धाराओं के मुकदमे सत्र न्यायालय में सुने जाते हैं।

मित्रों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको बताया कि सिर फोड़ने पर कौन सी धारा लगती है। उम्मीद करते हैं कि इस पोस्ट का हर बिंदु आपको स्पष्ट हो गया होगा। यदि इस पोस्ट पर आपका कोई सवाल है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमें बताएं। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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