|| शीत युद्ध किसे कहते हैं? | Sheet yudh kya hai | Cold war and its consequences in Hindi | Sheet yudh kya hai in Hindi | Sheet yudh ki paribhasha | शीत युद्ध का परिणाम | Sheet yudh ka parinam | शीत युद्ध किस तरह से लड़ा गया? ||
Sheet yudh kya hai :- जब भी युद्ध का नाम आता है तो हम किसी भूभाग में दो देशों की सेनाओं के बीच हो रहे युद्ध को देखते हैं। इसमें दोनों देशों को ही जान व माल की बहुत हानि होती है। एक तरह से युद्ध भूमि में दोनों देश के सैनिक तरह तरह के हथियारों का इस्तेमाल कर एक दूसरे के सैनिकों का रक्त बहाने के प्यासे होते हैं। तो इस दुनिया ने समय समय पर एक ही देश के अंदर विभिन्न प्रांतों में और दो देशों में या दो से अधिक देशों में होते हुए युद्ध को देखा (Cold war and its consequences in Hindi) है।
हालाँकि इस दुनिया ने दो सबसे भयानक मंजर प्रथम विश्व युद्ध व द्वितीय विश्व युद्ध को भी देखा था। प्रथम विश्व युद्ध में जहाँ दोनों पक्षों के कुल एक करोड़ से अधिक सैनिक व आम नागरिक मारे गए थे तो वहीं द्वितीय विश्व युद्ध में यह आंकड़ा 10 करोड़ तक पहुँच गया था। हालाँकि इसके बाद दुनिया ने इतना भयानक युद्ध नहीं देखा लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ही अप्रत्यक्ष रूप से एक अन्य युद्ध की शुरुआत हो गयी जिसे हम शीत युद्ध के नाम से जानते (Cold war in Hindi) हैं।
यह शीत युद्ध विश्व की दो महाशक्तियों अमेरिका और रूस के बीच कई दशकों तक लड़ा गया जिसमें एक तरह से उनके अन्य सहयोगी देश भी सम्मिलित (Cold war kya hai) थे। हालाँकि इसमें भारत देश ने अपने आप को किसी भी देश में शामिल नहीं किया और गुटनिरपेक्ष की नीति अपनाई। ऐसे में यह शीत युद्ध क्या था और यह कब तक चला और यह किस तरह से लड़ा गया और इसके पीछे क्या कुछ कारण थे, इसके बारे में आज हम बात करने वाले (Sheet yudh ka matlab) हैं।
शीत युद्ध किसे कहते हैं? (Sheet yudh kya hai)
यहाँ आपका सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि शीत युद्ध किसे कहा जाता है या शीत युद्ध का मतलब क्या होता है। तो पहले तो आप यह समझिये कि युद्ध क्या होता है। युद्ध उसे कहा जाता है जहाँ दो देशों या दो से अधिक देशों के बीच में प्रत्यक्ष रूप से सैनिक लड़ाई हो। अब यह लड़ाई किसी भी तरह से हो सकती है लेकिन इसमें प्रत्यक्ष युद्ध होता है जिसमें दोनों ही देशों के द्वारा दूसरे देश को जान मान की हानि पहुँचाने के लिए अपने सैनिकों व हथियारों का इस्तेमाल किया जाता (Sheet yudh kise kahate hain) है।
किन्तु एक ऐसा युद्ध जो दिख नहीं रहा हो या जिसे प्रत्यक्ष रूप से ना लड़ा जा रहा हो और ना ही उसमें सैनिकों का या हथियारों का प्रत्यक्ष रूप से इस्तेमाल हो रहा हो लेकिन फिर भी कई क्षेत्रों में युद्ध हो रहा हो तो उसे शीत युद्ध कहा जाता है अर्थात ठंडा युद्ध। अब इसे हम युद्ध की बजाये विभिन्न क्षेत्रों में साम, दाम, दंड व भेद की नीति अपनाकर प्रतिस्पर्धा करना कह सकते हैं। एक तरह से जब दो देश किसी भी तरह की नीति को अपना कर दूसरे का बुरा करे और खुद आगे निकलने का प्रयास करे तो उसे ही शीत युद्ध कहा जाता (Sheet yudh kise kahte hai) है।
इस तरह के शीत युद्ध में दो देश एक दूसरे से आगे निकलने और उसके मिशन को विफल करने, वहां राजनीतिक अस्थिरता लाने, लोगों को प्रभावित करने, वहां की कंपनियां बर्बाद करने और अपने यहाँ की आर्थिक तरक्की करने का प्रयास करते हैं। एक तो वह नीति होती है जहाँ हम सही नीति के तहत अपने देश का विकास कर रहे हो लेकिन जब हम दूसरे का बुरा करके या वहां गलत चीज़ें कर आगे बढ़ रहे हो तो उसे ही शीत युद्ध कहा जाता (Sheet yudh kya hai in Hindi) है।
अब हम सभी भारतवासी इसके बारे में अच्छे से समझना चाहते हैं तो हम आतंकी व भिखारी देश पाकिस्तान का उदाहरण ले सकते हैं। वर्ष 1947 में भारत माता के टुकड़े करके पाकिस्तान अलग देश बना दिया गया और अपने जन्म से ही पाकिस्तान भारत से शीत युद्ध ही कर रहा है। हालाँकि इसे शीत युद्ध का नाम नहीं दिया जा सकता क्योंकि इसमें दोनों देशों का ही शामिल होना जरुरी होता है जबकि भारत ने कभी भी पाकिस्तान से शत्रुता नहीं रखी और ना ही अपनी नीतियाँ उसको देखकर (Sheet yudh ki paribhasha) बनायी।
हालाँकि पाकिस्तान का पूरा ध्यान हम पर रहा, उसने हमसे लड़ने के लिए कई तरह की चाल चली, हथियार बनाये, भारत में आतंकवाद फैलाया और सीमा पर अस्थिरता पैदा की तो उसे एकतरफा शीत युद्ध कहा जा सकता है। तो कुछ वैसा ही शीत युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही अमेरिका व सोवियत संघ जिसे हम वर्तमान में रूस या रशिया के नाम से जानते हैं, उनके बीच लड़ा गया (Sheet yudh kya hota hai) था।
शीत युद्ध किनके बीच लड़ा गया? (Cold war between which country in Hindi)
अब यह तो आप जानते ही हैं कि शीत युद्ध किन किन देशों के बीच में हुआ था। तो उन दो देशों के नाम संयुक्त राज्य अमेरिका व सोवियत संघ है। हालाँकि सोवियत संघ रूस का ही पुराना नाम है लेकिन सोवियत संघ बहुत बड़ा क्षेत्रफल था जिसे अमेरिका ने अपनी कूटनीति से कई देशों में तोड़ दिया (Cold war happened between which countries in Hindi) था। ऐसे में जो देश सबसे बड़ा था और सोवियत संघ का प्रमुख अंग था, उसे ही रूस या रशिया नाम दिया गया था। तो इस तरह से वास्तविकता में शीत युद्ध अमेरिका व सोवियत संघ के बीच लड़ा गया युद्ध था।
हालाँकि इसमें अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका की चाटुकारिता करने वाले अन्य पश्चिमी देश भी सम्मिलित (Sheet yudh kinke bich hua tha) थे। तो एक तरह से हम इस शीत युद्ध में अमेरिका के साथी के रूप में लगभग यूरोप महाद्वीप के सभी देश, कनाडा इत्यादि ले सकते हैं जबकि सोवियत संघ के साथ जापान, उत्तर कोरिया इत्यादि एशिया के देशों को ले सकते हैं।
शीत युद्ध कब से कब तक लड़ा गया? (Sheet yudh kab se kab tak chala tha)
अब बारी आती है कि यह शीत युद्ध कब से कब तक लड़ा गया था। तो द्वितीय विश्व युद्ध का समापन धूर्त अमेरिका के द्वारा सबसे विनाशकारी व मानवता के लिए सबसे बड़ी त्रासदी वाले परमाणु बम को जापान के दो शहरों में गिराकर हो गया (Sheet yudh kab se kab tak hua tha) था। वहीं अमेरिका जो आज तक पूरी दुनिया में मानवता का रक्षक बना घूमता फिरता है, उसने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आम नागरिकों पर परमाणु बम से हमला किया था जिस कारण वहां रह रहे लाखों आम नागरिक एक पल में ही जलकर ख़ाक हो गए थे।
यह हमला 1945 में हुआ था और तब तक अमेरिका के अलावा कोई भी अन्य देश परमाणु बम नहीं बना पाया था। यह उस समय का तो क्या बल्कि आज का भी सबसे विनाशकारी हथियार है जो संपूर्ण पृथ्वी तक को समाप्त कर सकता (Sheet yudh kab hua) है। तो परमाणु बम के हमले के बाद ही द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया था लेकिन तभी से ही शीत युद्ध की शुरुआत हो गयी थी। तो इस तरह से यह शीत युद्ध वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के साथ ही शुरू हो गया (Cold war kab hua tha) था।
फिर यह शीत युद्ध कई दशकों तक चला लगभग पांच दशकों तक। अंत में जाकर यह वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ खत्म हुआ था। इतने लम्बे समय तक शीत युद्ध चलने के बाद अंत में अमेरिका की इस अप्रत्यक्ष युद्ध में भी जीत हुई थी और उसने सोवियत संघ से लगभग 15 नए देश बना डाले थे। जी हां, सही सुना (Sheet yudh kab shuru hua) आपने। आप आज के समय में विश्व के मानचित्र में जो इतना बड़ा रूस देखते हैं, वह पहले सोवियत संघ के रूप में बहुत ही ज्यादा बड़ा था। फिर शीत युद्ध के परिणाम के रूप में अमेरिका ने सोवियत संघ से 15 नए देश बना डाले जिसमें से एक यूक्रेन भी था। इस तरह से यह शीत युद्ध वर्ष 1945 से लेकर वर्ष 1991 तक चला था।
शीत युद्ध के कारण (Sheet yudh ke karan kya hai)
हालाँकि शीत युद्ध के कई तरह के कारण थे लेकिन जो दो कारण उभर कर सामने आते हैं, आज हम उन पर प्रकाश डालना चाहते हैं। इसमें से एक कारण अमेरिका का है जिस कारण वह शीत युद्ध में सोवियत संघ के विरुद्ध था तो दूसरा कारण सोवियत संघ का है जिस कारण वह इसमें अमेरिका के विरुद्ध था। तो आइये दोनों देशों के ही कारण को जान लेते (Sheet yudh ke kya karan hai) हैं।
अमेरिका का शीत युद्ध का कारण
अमेरिका के द्वारा सोवियत संघ के साथ शीत युद्ध इसलिए किया गया क्योंकि वह उसकी वामपंथी विचारधारा के विरुद्ध था। जहाँ एक ओर अमेरिका स्वतंत्र विचारधारा का समर्थक था जहाँ व्यक्तियों को उनके अनुसार रहने, खाने, पीने, पहनने इत्यादि की स्वतंत्रता हो तो वहीं सोवियत संघ में सैन्य शासन था। एक तरह से यह लोकतंत्र व राजतंत्र के बीच का भी युद्ध था। अमेरिका में लोग ही अपना नेता चुनते थे लेकिन राजतंत्र में राजा ही वहां का अधिपति होता (Cold war ke karan) था।
ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र अमेरिका को यह कतई बर्दाश्त नहीं था कि दुनिया का इतना बड़ा भूभाग जो कि सोवियत संघ था वहां राजतंत्र हो और मनमाने तरीके से निर्णय लिए जा सके। इसी के साथ ही वह सोवियत संघ की वामपंथी विचारधारा का भी विरोधी था। इसी के साथ ही अमेरिका उस समय परमाणु बम बनाकर वैश्विक महाशक्ति बन गया था लेकिन उसे डर था कि जल्द ही सोवियत संघ उसकी बराबरी कर लेगा। ऐसे में महाशक्ति बने रहने के लिए सोवियत संघ का पतन अमेरिका के लिए एक लक्ष्य बन गया था।
सोवियत संघ का शीत युद्ध का कारण
वहीं दूसरी ओर, सोवियत संघ अमेरिका के द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध में किये गए परमाणु हमले से बहुत ही ज्यादा क्रोधित व दुखी था। वह जान गया था कि अमेरिका दुनिया की महाशक्ति बन चुका था और यह उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। इसी के साथ ही उसे यह भी पता था कि अमेरिका ने अपनी पूरी ताकत सोवियत संघ को अप्रत्यक्ष रूप से बर्बाद करने में लगा दी है तो उसे भी उत्तर देना जरुरी था। एक तरह से सोवियत संघ को इस युद्ध में ना चाहकर भी कूदना पड़ रहा था।
इसी के साथ ही सोवियत संघ की सीमायें यूरोप के कई देशों से लगती थी। अब अमेरिका लगातार इन यूरोपीय देशों पर अपना प्रभाव जमा रहा था और इन्हें अपने पाले में कर रहा था। यूरोप के देश भी अमेरिका के चाटुकार बनते जा रहे थे और उसके हाथ में अपना भविष्य सौंप दे रहे थे। ऐसे में सोवियत संघ की सीमायें भी असुरक्षित हो चली थी क्योंकि यूरोप के देशों के बहाने अमेरिका की गतिविधियाँ सोवियत संघ की सीमाओं में बहुत बढ़ गयी थी। तो इस कारण भी सोवियत संघ ने अमेरिका के साथ शीत युद्ध किया था।
शीत युद्ध किस तरह से लड़ा गया? (Sheet yudh kaise hua tha)
अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि इस शीत युद्ध में क्या कुछ हुआ था अर्थात दोनों देशों के बीच किस तरह से यह युद्ध लड़ा गया था। अब इसमें कोई सीधे तौर पर तो हमला हुआ नहीं था तो फिर इसमें क्या कुछ ऐसा हुआ था, जिस कारण इसे एक युद्ध का नाम दिया जाता है। तो यहाँ हम अब आपके सामने उनके बारे में भी बताने जा रहे हैं जिस कारण दोनों देशों के बीच हुए इस युद्ध या प्रतिस्पर्धा को शीत युद्ध का नाम दिया जाता है।
राजनीतिक अस्थिरता
शीत युद्ध के दौरान दोनों ही देशों ने बहुत बार अप्रत्यक्ष रूप से दोनों देशों में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की। फिर चाहे इसके लिए दोनों देशों के द्वारा एक दूसरे के राजनेताओं को खरीदना हो, उनकी हत्या करनी हो, उन्हें डराना हो या किसी अन्य तरीके से उसे प्रभावित करना हो। इसके लिए सोवियत संघ ने अमेरिका के चुनावों को कई बार प्रभावित किया है ताकि वहां अपनी पसंद के प्रत्याशी जीताये जा सके। वहीं अमेरिका ने भी वहां के कई नेताओं को ख़रीदा है या उन्हें मार दिया है।
हथियारों में होड़
शीत युद्ध के दौरान जिस क्षेत्र में बहुत ज्यादा होड़ देखने को मिली वह हथियारों में ही थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिराकर जो उसे असहनीय दर्द दिया था, वह रूस के कानों में घर कर गया था। इसके बाद से ही रूस ने बहुत ही बड़े स्तर पर अपने वैज्ञानिकों को परमाणु बम बनाने का निर्देश जारी कर दिया था। इसी का परिणाम है कि आज के समय में रूस दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु संपन्न देश है और उसके बाद अमेरिका आता है। इसी के साथ ही अन्य हथियारों में भी बहुत ज्यादा होड़ देखने को मिली।
अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धा
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी प्रतिस्पर्धा चालू हो गयी क्योंकि तब तक दुनिया इतनी तरक्की कर चुकी थी कि वह अंतरिक्ष में अपने यान भेज सके। ऐसे में अंतरिक्ष से एक दूसरे पर नज़र रखना, एक दूसरे से पहले पहुँचना या किसी मिशन में सफल होना ही दोनों देशों का लक्ष्य बन गया। पूरी दुनिया इस खेल को देख रही थी और हंस रही थी। यह प्रतिस्पर्धा तो आज भी एक तरह से जारी ही है।
आतंकवाद का पनपना
दोनों देश के बीच शीत युद्ध का यह परिणाम हुआ कि विश्व के कई अन्य देश आतंकवाद की आग में झोंक दिए गए या उन्हें अस्थिर कर दिया गया। दुनिया के किसी भी देश में उथल पुथल मचती तो अमेरिका उस देश में एक धड़े का साथ देता तो रूस दूसरे धड़े का। इस तरह से वह देश पूरी तरह से बर्बाद होता चला गया जिसे हम आज भी इतिहास में पढ़ते हैं। इसमें कुछ प्रमुख उदाहरण ईराक, अफगानिस्तान, सीरिया इत्यादि है।
तकनीक में स्पर्धा
तकनीक के क्षेत्र में भी बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धा देखने को मिली क्योंकि दुनिया बहुत ही तेजी के साथ उन्नति कर रही थी। ऐसे में कौन किस तकनीक में आगे रहता है, कहाँ पर ज्यादा रोजगार मिलता है, विज्ञान कहाँ ज्यादा खोज कर पाता है, कंपनियां कहाँ ज्यादा खुलती है, आविष्कार कहाँ ज्यादा होते हैं इत्यादि देखने को मिला। इस तरह से तकनीक के माध्यम से भी एक दूसरे पर हमले करने के भरसक प्रयास किये गए।
शीत युद्ध के दौरान भारत की स्थिति (What was india’s role in the cold war in Hindi)
जब इस दुनिया में द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हो गया था तो उसके दो वर्ष के बाद भारत देश को भी स्वतंत्रता मिल गयी थी। इसके बाद भारत में खुद की सरकार का गठन हो गया था और अंग्रेज यहाँ से चले गए (During the cold war india’s decision to support neither in Hindi)थे। अब भारत को ही यह निर्णय लेना था कि वह किस ओर होता है या किसी ओर नहीं होता है। एक ओर जहाँ दुनिया के अधिकतर देश अमेरिका के साथ थे तो कुछ देश सोवियत संघ के साथ थे तो उस समय भारत ने बहुत ही समझदारी से काम लिया।
दोनों में से किसी भी एक देश को चुनने का अर्थ होता दूसरे देश को अपना शत्रु बना लेना। भारत लगभग एक हज़ार वर्ष की परतंत्रता के बाद अब स्वतंत्र हुआ (Sheet yudh mein bharat ki bhumika) था और देश से मुगलों सहित अंग्रेजों ने बहुत कुछ लूटा था और एक तहस नहस देश छोड़कर गए थे। ऐसे में दोनों में से किसी भी देश से शत्रुता मोल लेना भारत के हित में नहीं था। भारत को आगे बढ़ने के लिए दोनों ही देशों की आवश्यकता थी। ऐसे में भारत की सरकार ने गुटनिरपेक्ष की नीति को चुना।
इस नीति के तहत भारत ना तो अमेरिका का शत्रु बनेगा और ना ही रूस का। वह दोनों के साथ ही मैत्रीपूर्ण संबंध रखेगा और अपने हितों को देखकर काम करेगा। ऐसे में भारत के दोनों ही देशों के साथ संबंध मधुर रहे और हमारा देश आगे बढ़ता गया।
शीत युद्ध का परिणाम (Sheet yudh ka parinam)
शीत युद्ध का परिणाम लगभग हम सभी जानते हैं क्योंकि उसी के बाद ही इस युद्ध पर विराम लग गया था। तो शीत युद्ध का अंत वर्ष 1991 में सोवियत संघ के 15 देशों में विघटन के साथ हुआ था और अंत में जीत कुटील अमेरिका की ही हुई थी। अमेरिका ने इस दौरान बहुत ज्यादा उन्नति कर ली थी। वह सोवियत संघ से अंतरिक्ष, विज्ञान, हथियारों व तकनीक हर क्षेत्र में आगे निकल गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे लगभग हर विकसित देश जिसमे मुख्यतया यूरोप के देश आते हैं, उनका साथ शामिल (Cold war result in Hindi) था।
इसी के साथ ही अमेरिका ने बहुत ही समझदारी के साथ आगे बढ़ने का निर्णय किया और सफल कूटनीति को अंजाम दिया। हालाँकि उसने इसके लिए पूरी दुनिया में उथल पुथल मचा दी और विश्व के कई देशों को बर्बाद तक कर दिया लेकिन खुद सफल हो (Sheet yudh ka parinam) गया। अन्तंतः वर्ष 1991 में सोवियत संघ के 15 टुकड़े कर दिए गए और सोवियत संघ बस आज के रूस या रशिया के रूप में बच गया।
उस समय रूस के वर्तमान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सोवियत संघ के गुप्तचर विभाग में थे और वे अपने सामने अपने देश के टुकड़े होते हुए देख रहे थे। उनके मन में एक तरह की खीझ पैदा हो गयी थी क्योंकि किस व्यक्ति को अपने देश के टुकड़े देखना पसंद होगा। तो एक तरह से यह शीत युद्ध वर्ष 1991 में समाप्त तो हो गया था लेकिन जब से वह गुप्तचर व्लादिमीर पुतिन रूस का राष्ट्रपति बना है तब से यह दुनिया एक नया शीत युद्ध दोनों देशों के बीच में देख रही है। इसी का परिणाम है आज का रूस यूक्रेन युद्ध।
शीत युद्ध क्या है – Related FAQs
प्रश्न: शीतयुद्ध का क्या अर्थ है?
उत्तर: एक ऐसा युद्ध जो दिख नहीं रहा हो या जिसे प्रत्यक्ष रूप से ना लड़ा जा रहा हो और ना ही उसमें सैनिकों का या हथियारों का प्रत्यक्ष रूप से इस्तेमाल हो रहा हो लेकिन फिर भी कई क्षेत्रों में युद्ध हो रहा हो तो उसे शीत युद्ध कहा जाता है अर्थात ठंडा युद्ध।
प्रश्न: शीत युद्ध काल में भारत का क्या रुख था?
उत्तर: शीत युद्ध काल में भारत ने गुटनिरपेक्ष की नीति अपनाई थी।
प्रश्न: शीत युद्ध के परिणाम क्या है?
उत्तर: शीत युद्ध के परिणाम हमने ऊपर के लेख में बताए हैं जो आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: शीत युद्ध की शुरुआत कब हुई थी?
उत्तर: शीत युद्ध की शुरआत वर्ष 1945 में हुई थी।
तो इस तरह से आपने इस लेख के माध्यम से शीत युद्ध के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि शीत युद्ध किसे कहते हैं शीत युद्ध कब से कब तक किन किन के बीच और किस तरह से लड़ा गया, इसके कारण और परिणाम क्या थे इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। यदि कोई सवाल आपके मन में रह गया है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।