|| श्वेत पत्र क्या है? | White paper in Hindi | White paper ke bare mein jankari | Shwet patra kya hota hai | Shwet patra kab diya jata hai | Shwet patra kab diya jata hai | White paper explained in Hindi ||
White paper in Hindi :- आपने बहुत बार सरकार की ओर से एक पत्र को जारी होते हुए देखा होगा जिसे सरकार सफाई देने या किसी चीज़ पर स्थिति को स्पष्ट करने के लिए जारी करती (White paper explained in Hindi) है। यह पत्र होता है श्वेत पत्र या जिसे हम वाइट पेपर के नाम से भी जानते हैं। यह श्वेत पत्र कई स्थितियों में और कई संस्थाओं के द्वारा जारी किया जा सकता है। यह आवश्यक नही है कि यह श्वेत पत्र केवल सरकार के द्वारा ही जारी किया जाए, बल्कि इसे कंपनी, उद्योग या संस्था के द्वारा भी जारी किया जाता (Shwet patra kya hota hai) है।
आपने भी कई बार इस श्वेत पत्र का इस्तेमाल होते हुए देखा होगा। हालाँकि आज तक आपको इसके बारे में अच्छे से जानकारी नही होगी क्योंकि इसके बारे में बहुत कम लोग ही सही से जानते (White paper ke bare mein jankari) हैं। तो आज के इस लेख में हम आपके साथ इसी वाइट पेपर या श्वेत पत्र के ऊपर चर्चा करने वाले हैं। आज के इस लेख को पढ़ कर श्वेत पत्र के बारे में आपकी सभी शंकाएं दूर हो जाएगी। आइए जाने वाइट पेपर क्या होता है और इसका क्या इस्तेमाल है।
श्वेत पत्र क्या है? (White paper in Hindi)
श्वेत पत्र एक तरह की रिपोर्ट या दिशा निर्देश की एक गाइड होती है जिसमे किसी घटना, उत्पाद, सेवा, नियम, कानून, आपदा इत्यादि के विषय में जारी किया जाता (White paper kya hota hai) है। यह श्वेत पत्र मुख्यतया सरकार या बड़ी कंपनियों के द्वारा जारी किया जाता है। यह सामान्य और असामान्य परिस्थितियों दोनों में ही जारी किया जाता है और इसके जरिये एक तरह से दूसरों को सूचना देने का काम किया जाता है। कहने का मतलब यह हुआ की यह श्वेत पत्र पूर्ण रूप से सूचना देने का ही काम करता है।
तो यदि किसी घटना या स्थिति पर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही हो या बहुत सारे विचार आ रहे हो तो उस स्थिति में भ्रम की स्थिति को दूर करने या लोगों की राय जानने के लिए वाइट पेपर को जारी किया जाता (White paper ko Hindi mein kya kahate hain) है। अब इसमें उस चीज़ के बारे में संबंधित सरकार या विभाग की क्या राय है और वहां पर क्या कुछ हुआ है, इसके बारे में बताया जाता है।
इसी के साथ यदि कोई कम्पनी या उद्योग किसी नयी सेवा या उत्पाद को लॉन्च करने जा रहा है तो उसके बारे में लोगों की राय जानने, या उनके विचार लेने या इसी उद्देश्य के तहत श्वेत पत्र को जारी करता है। यह किसी कंपनी के द्वारा दूसरी कंपनी या सरकार को भी जारी किया जाता है ताकि वह संबंधित चीज़ के बारे में अपनी और से स्पष्टता दे सके।
श्वेत पत्र कब जारी किया जाता है? (Shwet patra kab prakashit kiya gaya)
वाइट पेपर को मुख्य तौर पर तब जारी किया जाता है जब सरकार को भ्रम की स्थिति दूर करनी हो। बहुत बार ऐसा होता है जब किसी योजना या नियम या कानून के प्रति लोगों में भ्रम की स्थिति जरी हो जाती है या किसी आपदा या महामरी में अफवाह फैलने लगती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जब किसी घटना या स्थिति पर अलग अलग जगह से विचार आ रहे हो, भ्रम की स्थिति फैल रही हो या फिर अफवाहों ने जोर पकड़ रखा हो तो उस समय सरकार श्वेत पत्र को जारी कर देती है और झंझट की स्थिति को दूर करती है।
अब इसे एक उदाहरण से समझिये। मान लीजिए कोरोना नामक महामारी जब आई थी तब देश में एक भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी थी। उस समय कोई कुछ कह रहा था तो कोई कुछ। यहाँ तक कि न्यूज़ चैनल को भी स्थिति स्पष्ट नहीं थी जिस कारण अफवाहों का दौर कायम था। ऐसे में भारत सरकार कोरोना के ऊपर वाइट पेपर जारी करती है और पूरी स्थिति को स्पष्ट तौर पर जनता के सामने रख देती है। इससे सभी को उसके बारे में पूरी और संपूर्ण जानकारी तथ्यों के साथ मिल जाती है।
इसी के साथ साथ यह बहुत बार बड़ी कंपनियों और उद्योगों या संस्थाओं के द्वारा भी जारी किया जाता है। अब यदि उनके द्वारा शुरू किये गए या किसी पुराने उत्पाद में कोई गड़बड़ी आती है या वह कोई नया प्रोडक्ट लॉन्च कर रही होती है तो ऐसी स्थिति में अपनी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए वह कंपनी या उद्योग एक श्वेत पत्र को जारी कर उसके बारे में अपनी सफाई पेश करती है या ग्राहकों से उनकी राय मांगती है।
श्वेत पत्र क्यों जारी किया जाता है? (Shwet patra kab diya jata hai)
अब जब आपने श्वेत पत्र क्या होता है और यह कब जारी किया जाता है इसके बारे में जानकारी ले ली है तो अब बारी है इसे जारी करने के कारण के बारे में जानने की। तो इसे जारी करने के दो ही कारण होते हैं जो इसको जारी करने का महत्व भी बताते हैं। तो किन परिस्थितियों में वाइट पेपर को जारी किया जाता है और यह क्यों आवश्यक होता है, आइए इसके बारे में पता लगाए।
तो सबसे पहली बात तो वाइट पेपर को इसलिए जारी किया जाता है ताकि सरकार अपनी स्थिति को स्पष्ट कर सके, या किसी मुद्दे पर अपनी सफाई दे सके या फिर किसी घटना पर भ्रम की स्थिति को बनने से रोक (White paper kab use kiya jata hai) सके। अब हमारे देश में किसानो को लेकर तीन कानून लाये गए थे जिस पर बहुत हंगामा बरपा था। ऐसे में भारत सरकार के द्वारा कई बार श्वेत पत्र जाई कर उस पर स्थिति स्पष्ट की गयी लेकिन विपक्ष ने उस पर इतनी अधिक भरमाक स्थिति उत्पन्न कर रखी थी कि इस श्वेत पत्र को भी उस समय दरकिनार कर दिया गया।
इसी तरह यह उन स्थितियों में भी जारी किया जाता है जब किसी बिज़नेस या कंपनी को अपने द्वारा लॉन्च किये गए या लॉन्च किये जाने वाले या शुरूआती दौर में उस पर लोगों की राय जाननी हो। उदाहरण के तौर पर यदि किसी मोबाइल कंपनी को एक अलग से फीचर वाला फोन लॉन्च करना है तो वह उसके बारे में वाइट पेपर जारी करके लोगों को यह सूचित करने का काम करेगी कि उस फोन में क्या कुछ फीचर होंगे और हम उनका किस तरह से उपयोग कर पाएंगे।
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श्वेत पत्र कौन जारी करता है? (Shwet patra kon deta hai)
अब आपका यह प्रश्न होगा कि इस श्वेत पत्र को आखिरकार कौन जारी करता है या फिर कौन कौन इसे जारी करने का अधिकार रखता है। तो इसे केवल वही व्यक्ति जारी कर सकता है जो सरकार का पक्ष रखता हो या सरकारी संस्था हो या सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त प्रसिद्ध संस्था हो। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि वैसे तो इस श्वेत पत्र को किसी भी कंपनी या उद्योग के द्वारा जारी किया जा सकता है लेकिन अपने अधिकार क्षेत्र में रह कर।
इसे भी हम एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए, एक कंपनी है एचसीएल और वहां लाखों कर्मचारी भी काम करते हैं। अब किसी वित्तीय वर्ष में वहां के कर्मचारियों में यह भ्रम की स्थिति फैल जाती है कि एचसीएल कंपनी बहुत से लोगों को हटाने वाली है। इससे कंपनी में डर का माहौल बन जाता है और सभी कर्मचारी अपनी अपनी नौकरी बचाने के लिए जद्दोजहद करने लगते हैं। सभी को लगता है कि उनकी नौकरी जा सकती है तो इससे कम्पनी की कार्य प्रणाली भी प्रभावित होती है।
तो ऐसी स्थिति में एचसीएल कंपनी वाइट पेपर जारी करती है और उसके तहत यह बताने का काम करती है कि कंपनी में आने वाले समय में छंटनी की जाएगी या नहीं। यदि वह की भी जाएगी तो उसका पैमाना क्या होगा और वह किस आधार पर कितने बड़े स्तर पर की जाएगी। इससे कंपनी के कर्मचारियों में उसको लेकर स्थिति स्पष्ट हो जाती है। तो इस तरह से यह वाइट पेपर कोई भी जारी कर सकता है जिसके तहत वह अपने लोगों को सूचित करने का काम करता है।
वाइट पेपर की शुरुआत कब हुई थी? (White paper ka shuru hua)
आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन इसकी शुरुआत आज से लगभग एक सदी पहले ही हो गयी थी। सबसे पहले वाइट पेपर शब्द का नाम वर्ष 1920 में सुनने को आया था लेकिन इसे सबसे पहले जारी किया गया था सन 1922 में। तब ब्रिटेन में दंगे हो गए थे और लोगों में भ्रम की स्थिति बहुत ज्यादा फैल रही थी। तब लोगों के बीच में सफाई देने और भ्रम की स्थिति को रोकने के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल ने वाइट पेपर को जारी किया था।
उसके बाद इसे चर्चिल वाइट पेपर या चर्चिल श्वेत पत्र भी कहा जाने लगा। हालाँकि बाद में फिर से इसका सामान्य नाम ही इस्तेमाल होने लगा। इसके बाद यह समय समय पर कई देशों की सरकारों में भी अपनाया जाने लगा। फिर इसे कंपनी और उद्योगों के द्वारा भी अपनी सफाई देने और चीज़ों पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए जारी किया जाने लगा।
श्वेत पत्र को श्वेत पत्र क्यों कहा जाता है? (Shwet patra meaning in Hindi)
आपके मन में यह प्रश्न भी उठ रहा होगा कि आखिरकार इस श्वेत पत्र को श्वेत पत्र ही क्यों कहा जाता है। कहने का मतलब यह हुआ कि इसे किसी और रंग से क्यों नहीं जोड़ा गया जैसे कि काला, नीला, भूरा, संतरी इत्यादि। तो यह रहस्य भी आपको जान लेना चाहिए ताकि आपको यह पता चल जाए कि श्वेत पत्र को श्वेत पत्र नाम ही क्यों दिया गया है। अब आप यह तो जान ही चुके हैं कि श्वेत पत्र को जारी करने का क्या कारण होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि इस श्वेत पत्र के जरिये किसी स्थिति को स्पष्ट करने का काम किया जाता है।
तो सामान्य तौर पर किसी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए श्वेत रंग का इस्तेमाल ही किया जाता है। वह इसलिए क्योंकि श्वेत रंग पर कोई भी अन्य चीज़ बिल्कुल ही साफ नज़र आती है और वह लोगों को अच्छे से पता भी चल जाती है। तो ऐसे में इस श्वेत पत्र को भी श्वेत रंग से ही जोड़ दिया गया। इसका विचार पहली बार सन 1920 में रखा गया था और उसके बाद से इसका यही नाम प्रसिद्ध होता चला गया। अंग्रेजी में इसे वाइट पेपर कहा गया था और फिर इसी तर्ज पर हिंदी में इसे श्वेत पत्र नाम दे दिया गया।
श्वेत पत्र का महत्व (Shwet patra benefits in Hindi)
अंत में आपको श्वेत पत्र का महत्व भी जान लेना चाहिए जिसके तहत आपको इसकी महत्ता के बारे में अनुमान हो सके। यह वाइट पेपर किसी भी स्थिति पर भ्रम को रोकने के लिए बहुत ही जरुरी होता है। अब बहुत बार ऐसा होता है कि किसी देश पर कोई संकट आ जाता है या फिर सरकार कोई कानून बनाती है या कोई नया नियम या योजना देश के सामने रखती है। अब उस चीज़ पर जनता मे भ्रम पैदा हो जाता है और कई तरह की चर्चाएँ होने लगती है। ऐसी स्थिति में वाइट पेपर को जारी किया जाना बहुत ही जरुरी हो जाता है ताकि इसके द्वारा बन रही भ्रम की स्थिति को रोका जा सके और लोगों के बीच एक राय बनाई जा सके।
इसी के साथ यह व्यापार में भी अत्यधिक महत्ता रखता है। अब मान लीजिए किसी कंपनी को अपने उत्पाद के बारे में लोगों को जानकारी देनी हो या वह कोई सर्विस देने वाली हो और लोगों को उसके बारे में विस्तार से बताना हो तो वह इसे कैसे करेगी? तो इसके तहत वह एक वाइट पेपर जार करेगी जिसमे उस उत्पाद या सेवा के बारे में संपूर्ण विवरण शामिल होगा। लोग भी इस पर जल्दी विश्वास करेंगे क्योंकि यह किसी और के द्वारा नहीं बल्कि उसी कंपनी के द्वारा जाई किया गया है जो यह उत्पाद बना रही है या सेवा दे रही है।
तो इन दोनों ही स्थितियों में वाइट पेपर का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। इसलिए किसी भी ऐसी स्थिति में जब सरकार या कंपनी को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी हो या किसी चीज़ के बारे में जानकारी देनी हो तो श्वेत पत्र को जारी किया जाना अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
श्वेत पत्र क्या है – Related FAQs
प्रश्न: वाइट पेपर को हिंदी में क्या कहते हैं?
उत्तर: वाइट पेपर को हिंदी में श्वेत पत्र कहते हैं।
प्रश्न: श्वेत पत्र कौन लिखता है?
उत्तर: श्वेत पत्र सरकार, कंपनी, उद्योग, संस्था कोई भी लिख सकता है।
प्रश्न: श्वेत पत्र में कौन सा समास है?
उत्तर: श्वेत पत्र में बहुब्रीहि समास है।
प्रश्न: इसे श्वेत पत्र क्यों कहा जाता है?
उत्तर: श्वेत पत्र को श्वेत पत्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें सफेद रंग की तरह सब स्थिति एकदम स्पष्ट होती है जो भ्रम की स्थिति को दूर करती है।