सिकल सेल एनीमिया क्या है? इसके लक्षण क्या हैं? इस बीमारी का इलाज क्या है? यह बीमारी किस उम्र से शुरू होती है?

सिकल सेल एनीमिया क्या है?इसके लक्षण क्या हैं? इस बीमारी का इलाज क्या है? यह बीमारी किस उम्र से शुरू होती है? (What is sickle cell anaemia? what are its symptoms? what is the treatment of this disease? at what age this disease is occurred?)

एनीमिया के बारे में तो आप सभी ने सुना होगा। इस बीमारी में इंसान के शरीर खून की कमी हो जाती है। इस रोग से निजात पाने के लिए डॉक्टर रोगी को ऐसी चीजें खाने के लिए कहते हैं, जो खून बढ़ाती हैं, जैसे-चुकंदर, पालक आदि। लेकिन क्या आपने कभी सिकल सेल एनीमिया (sickle cell anaemia) का नाम सुना है? अब आप कहेंगे कि यह क्या बीमारी है?

तो आपको बता दें कि हमारी केंद्र सरकार ने वर्तमान आम बजट 2023-24 में इस बीमारी से मिशन बनाकर निपटने के लिए प्रावधान किया है। सिकल सेल एनीमिया क्या है? इसके लक्षण क्या हैं? इस बीमारी का इलाज क्या है? यह बीमारी किस उम्र से शुरू होती है? आदि जैसे आपके अनेक सवालों का जवाब आज हम आपको इस पोस्ट से देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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सिकल सेल एनीमिया क्या है? (What is sickle cell anaemia?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि सिकल सेल एनीमिया खून (blood) से जुड़ी बीमारी है। यह एक आनुवंशिक डिसआर्डर (genetic disorder) है। इसमें लाल रक्त कणिकाएं यानी रेड ब्लड सेल्स (red blood cells) सेल्‍स या तो टूट जाती हैं या उनका साइज और शेप बदलने लगता है। वे गोल से हंसिए जैसे आकार में आ जाती हैं, जिससे खून की नसों में ब्‍लॉकेज (blockage) आ जाता है। इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाएं मर भी जाती हैं और शरीर में खून की कमी हो जाती है।

आनुवंशिक बीमारी होने के चलते शरीर में खून भी बनना बंद हो जाता है। शरीर में खून की कमी हो जाने के कारण यह बीमारी मानव शरीर के कई जरूरी अंगों के डैमेज (damage) होने का भी कारण बनती है। इन अंगों में किडनी, लिवर, तिल्ली आदि शामिल हैं। इसके अलावा रोगी को छाती में दर्द (pain) और स्ट्रोक (stroke) का खतरा भी बढ़ जाता है और उसकी अचानक मौत हो जाती है।

सिकल सेल एनीमिया क्या है? इसके लक्षण क्या हैं? इस बीमारी का इलाज क्या है? यह बीमारी किस उम्र से शुरू होती है?

सिकल सेल एनीमिया के क्या लक्षण हैं? (What are the symptoms of sickle cell anaemia?)

मित्रों, यह आप भी जानते हैं कि प्रत्येक रोग के कुछ लक्षण होते हैं, जिनके आधार पर रोग की पहचान (identification) होती है। यदि बात सिकल सेल एनीमिया की करें तो इसके लक्षण इस प्रकार से हैं-

  • सांस फूलना। (Breathing problem)
  • लगातार थकावट (fatigue) रहना।
  • हाथ-पैरों में सूजन (swelling) आना।
  • बार-बार बैक्टीरियल इंफेक्शन (bacterial infection) होना।
  • प्यूबर्टी (Puberty) में देरी होना।
  • आंखों (eyes) एवं त्वचा (skin) का रंग पीला पड़ जाना।

दोस्तों, आपको बता कि बच्चे के बहुत शुरुआती सालों में इस बीमारी के लक्षण दृष्टिगोचर होने लगते हैं। अमूमन जन्म के पांच माह बाद ही। ऐसे में रोग की पहचान कर उसका इलाज संभव हो जाता है। एक और बात, प्रत्येक बच्चे में इस बीमारी के लक्षण भिन्न हो सकते हैं। किसी में ये हल्के अथवा किसी में गंभीर हो सकते हैं। आम तौर पर शून्य से 40 वर्ष की उम्र तक के लोग इस बीमारी से अधिक प्रभावित होते हैं।

सिकल सेल एनीमिया रोग की पहचान कैसे होती है? (How sickle cell anaemia is identified?)

इस रोग की पहचान के लिए डॉक्टर ब्लड सैंपल की जांच करते हैं वयस्क व्यक्ति के बाजू से उसके खून का सैंपल लिया जाता है। इस बीमारी से प्रभावित इंसान को बार-बार खून चढ़ाए जाने की आवश्यकता भी पड़ती है। यदि जीवन प्रत्याशा की बात करें तो इलाज मिलने पर व्यक्ति एक लंबा जीवन जी सकता है।

सिकल सेल एनीमिया का क्या इलाज है? (What is the treatment of sickle cell anaemia?)

दोस्तों, विज्ञान ने समय के साथ लगभग सभी रोगों का इलाज खोज लिया है। हालांकि अभी भी कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जिनका सटीक इलाज उनके वश से बाहर की बात है। यदि बात सिकल सेल एनीमिया की करें तो इसका वर्तमान में केवल एक ही इलाज है और वह है स्टेम सेल (stem cell) यानी बोन मैरो ट्रांसप्लांट (bone marrow transplant)।

यह अलग बात है कि बहुत अधिक जोखिम (risk) जुड़े होने की वजह से यह प्रत्यारोपण (transplant) संभव नहीं होता। फालिक एसिड (folic acid) की टेबलेट्स देकर मरीज की स्थिति को ठीक बनाए रखने की कोशिश भर की जाती है, यद्यपि खून की कमी के चलते उसकी जान को खतरा बना रहता है।

स्टेम सेल क्या होती हैं? (What a stem cells?)

अब यहां आप यह जरूर जाना चाहते होंगे कि आखिर यह स्टेम सेल (stem cell) क्या होते हैं? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्टेम सेल (stem cell) अस्थि मज्जा यानी बोन मैरो (bone marrow) द्वारा निर्मित विशेष कोशिकाएं (special cells) हैं, जो वे विभिन्न प्रकार की रक्त कोशिकाओं में बदल सकती हैं। इसके लिए बच्चे की बोन मैरो के खून को पहले ही संरक्षित कर लिया जाता है।

सिकल सेल एनीमिया के लिए आम बजट में क्या प्रावधान किया गया है? (What provision has been made for sickle cell anaemia in Central budget 2023-24?)

अब आम बजट पर आते हैं और है जान लेते हैं कि हमारे देश की सरकार ने सिकल सेल एनीमिया बीमारी के लिए आम बजट 202 3-24 के तहत क्या प्रावधान (provision) किया है। आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट के दौरान सिकल सेल एनीमिया बीमारी का जिक्र करते हुए इसे 2047 तक जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इससे निपटने के लिए सरकार द्वारा मिशन (mission) बनाकर कार्य करने का लक्ष्य (target) रखा गया है जिसके तहत केंद्र सरकार (Central government) द्वारा 7 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग (screening) करने की तैयारी की जा रही है।

आपको बता दें कि आदिवासी क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश लोग सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित हैं। इस बीमारी के रोगियों से संबंधित दस्तावेजीकरण यानी डॉक्यूमेंटेशन (documentation) के लिए सरकार यह सारे कदम उठा रही है, ताकि वर्तमान में इस बीमारी की ठीक ठीक स्थिति सामने आ सके। और उसके बाद सरकार द्वारा इसके खात्मे के लिए कदम उठाए जा सकें।

भारत में सिकल सेल एनीमिया की बीमारी कब से पनप रही है? (From when sickle cell anaemia is increasing in India?)

हम, आप जैसे आम लोगों ने एनीमिया का नाम तो जरूर सुना था, लेकिन सिकल सेल एनीमिया का नाम एकदम नया सा है। लेकिन दोस्तों, सच यह है कि मेडिकल के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए यह बीमारी कतई नई नहीं है। यदि भारत की बात करें तो यह बीमारी पिछले छह दशक से भारत में पनप रही है।

यदि हम आज से 7 वर्ष पूर्व हुए पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National family health survey) यानी एनएफएचएस (NFHS) की बात करें तो उसके अनुसार वर्ष 2015 से 2016 के बीच 53% महिलाएं एवं 58.4% बच्चे इस बीमारी के शिकार हुए हैं। आदिवासी एवं जनजातीय आबादी भी इस रोग से पीड़‍ित मिली। अन्य 23% इस बीमारी के वाहक भी पाए गए, यानी उनके जीन रोग फैला सकते थे। आपको बता दें दोस्तों कि सनू सन् 1970 से यह बीमारी बढ़ रही है। सन् 2018 से इसे लेकर सावधानी बढ़ती जा रही है।

सिकल सेल एनीमिया क्या है?

सिकल सेल एनीमिया में इंसान के शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं मर जाती हैं, जिससे उसके शरीर में खून की कमी हो जाती है और किडनी जैसे अंगों के डैमेज होने का खतरा पैदा हो जाता है। कई बार ऐसी स्थिति में उसकी मौत भी हो जाती है।

क्या सिकल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक डिसऑर्डर है?

जी हां सिकल सेल एनीमिया एक जेनेटिक डिसऑर्डर ही है।

सिकल सेल एनीमिया के लक्षण क्या-क्या हैं?

मूल रूप से सिकल सेल एनीमिया के लक्षण लगातार थकान, सांस फूलना, हाथ-पैरों में सूजन, त्वचा एवं आंखों का पीला पड़ जाना, जोड़ों में दर्द रहना आदि हैं।

सिकल सेल एनीमिया का इलाज क्या है?

सिकल सेल एनीमिया का एकमात्र इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट है।

किस उम्र के लोग इस बीमारी से प्रभावित होते हैं?

शून्य से 40 साल तक की उम्र तक के लोग इस बीमारी से प्रभावित होते हैं।

सरकार द्वारा आम बजट में सिकल सेल एनीमिया बीमारी के लिए क्या प्रावधान किया गया है?

सरकार द्वारा सिकल सेल एनीमिया को सन् 2047 तक जड़ खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।

सिकल सेल एनीमिया के दृष्टिगत सरकार कितने लोगों की स्क्रीनिंग की तैयारी कर रही है?

इस बीमारी के दृष्टिगत सरकार देश के 7 करोड़ों लोगों की स्क्रीनिंग की तैयारी कर रही है।

सरकार द्वारा इस बीमारी की स्क्रीनिंग का उद्देश्य क्या है?

सरकार द्वारा इस बीमारी की स्क्रीनिंग का उद्देश्य इसके रोगियों का दस्तावेजीकरण करना है।

भारत में सिकल सेल एनीमिया की बीमारी कब से पनप रही है?

हमारे देश भारत में पिछले छह दशक से सिकल सेल एनीमिया की बीमारी पनप रही है।

मित्रों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको सिकल सेल एनीमिया बीमारी के बारे में जानकारी दी। हमने कोशिश की है कि इस बीमारी से संबंधित कोई भी बिंदु आपके सामने आने से ना छूटे। इस पोस्ट के संबंध में यदि आपके दिमाग में कोई सवाल उठ रहा है अथवा कोई सुझाव आपके मन में है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमसे शेयर कर सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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