एसआईपी क्या है? एसआईपी में निवेश की प्रक्रिया क्या है? SIP के नुकसान, फायदे

एसआईपी क्या है? (What is SIP) इसमें निवेश की प्रक्रिया क्या है? एसआईपी को आनलाइन कैसे खरीदा जा सकता है? इसके क्या-क्या लाभ हैं? एसआईपी के जरिये निवेश में क्या सावधानी बरतें

नौकरीपेशा हो अथवा व्यवसायी, हर कोई अपने सुरक्षित भविष्य के लिए बचत करता है। कई लोग इसके लिए बैंक में एफडी (FD) कराते हैं तो कुछ पोस्ट आफिस की बचत योजनाओं (saving schemes) में। अच्छे रिटर्न की आस में कई लोग म्युचुअल फंड्स में भी पैसा इन्वेस्ट करते हैं।

ज्यादातर लोगों में शुरूआत में म्युचुअल फंड्स (mutual funds) के एसआईपी (SIP) में इन्वेस्टमेंट का क्रेज देखने को मिल रहा है। यदि आप भी एसआईपी में निवेश के इच्छुक हैं तो आप एकदम सही जगह आए हैं। आज इस पोस्ट के जरिये हम आपको एसआईपी से जुड़ी सारी आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराएंगे। इसके लिए बस आपको यह पोस्ट अंत तक पढ़ते जाना है। आइए, शुरू करते हैं-

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म्युचुअल फंड क्या होता है? [What is Mutual Fund?]

दोस्तों, सिप के बारे में जानने से पहले आपको अनिवार्य रूप से यह जानना होगा कि म्युचुअल फंड क्या होता है। क्योंकि एसआईपी (SIP) म्युचुअल फंड में निवेश (investment) का ही एक तरीका है। आपको बता दें कि इसे हिंदी में पारस्परिक निधि के नाम से भी पुकारते हैं। यह दरअसल, एक सामूहिक निवेश है। निवेशकों के समूह मिलकर स्टाक (stock), छोटी अवधि के निवेश एवं सिक्योरिटीज (securities) में निवेश (investment) करते हैं।

आपको बता दें कि म्युचुअल फंड में एक फंड मैनेजर (fund manager) होता है। यह फंड के सभी निवेशों को मैनेज करता है। यही फायदे व नुकसान (profit and loss) का भी हिसाब रखता है। यही फायदा या नुकसान निवेशकों (investors) में वितरित किया जाता है।

एसआईपी क्या है एसआईपी में निवेश की प्रक्रिया क्या है SIP के नुकसान, फायदे

आपको बता दें कि म्युचुअल फंड के शेयर की कीमत एनएवी (NAV) यानी नेट एसेट वैल्यू (net asset value) पुकारी जाती है। इसे कैलकुलेट करने के लिए फंड के कुल मूल्य को निवेशकों की ओर से खरीदे गए कुल शेयरों की संख्या से भाग दिया जाता है।

एसआईपी क्या है?

एसआईपी को सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (systematic investment plan) यानी व्यवस्थित निवेश योजना पुकारा जाता है, क्योंकि यह एक ऐसी योजना है, जिसमें एक निवेशक म्युचुअल फंड में अनुशासित तरीके से एक निर्धारित अंतराल में निवेश करते हैं। निवेश का यह अंतराल मासिक अथवा त्रैमासिक होता है।

खास बात यह है कि इसमें निवेशक छोटी मात्रा में निवेश करते हैं, जो उन्हें कुछ निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति में सहायता करता है। मसलन घर खरीदना, वाहन की खरीदारी, हायर एजुकेशन, विदेश यात्रा आदि। इसे आप इस बात से भी समझ लीजिए कि एक एसआईपी निवेश 500 रूपये जैसी छोटी राशि से भी शुरू किया जा सकता है।

एसआईपी में निवेश कैसे करें –

यदि आप भी एसआईपी में निवेश करना चाहते हैं तो आपको निम्न कदम उठाने होंगे-

1. सबसे पहले अपने उद्देश्यों को निर्धारित करें –

एसआईपी में निवेश से पहले अपने उद्देश्य निर्धारित करें। यानी कि आप निवेश क्यों करना चाहते हैं। मसलन, शिक्षा के लिए, वाहन की खरीदारी के लिए आदि। इससे आपको अपने लिए बेहतर योजना चुनने में मदद मिलेगी।

2. निवेश की अवधि तय करें –

यदि आपके सामने निवेश का मकसद साफ है तो इसके पश्चात निवेश की अवधि (term of investment) तय करें। यानी कि आप अपना उद्देश्य कितनी अवधि के निवेश के बाद हासिल कर सकते हैं। मसलन यदि आप छोटी अवधि के निवेश से आप अधिक धनराशि चाहते हैं तो इसके लिए आपका निवेश भी अधिक होगा।

3. केवाईसी (KYC) औपचारिकताओं को पूरा करें –

यदि आपने निवेश का उद्देश्य एवं अवधि तय कर ली है तो आप म्युचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट के लिए केवाईसी (KYC) की औपचारिकताओं को पूरा करें। आपको बता दें कि यह एक ही बार किए जाने वाली प्रक्रिया (process) है।

इसके बाद निवेशक विभिन्न म्युचुअल फंड कंपनियों की किसी भी योजना में निवेश कर सकते हैं। केवाईसी आफलाइन (offline) के साथ ही ईकेवाईसी के साथ आनलाइन (online) मोड में की जा सकती है।

4. अपने लिए बेहतरीन योजना का चुनाव करें –

केवाईसी की प्रक्रिया पूरी हो जाने पर अपने लिए बेहतरीन योजना का चुनाव करें। किसी भी म्युचुअल फंड में निवेश से पहले उनके पिछले ट्रैक रिकाॅर्ड को देखें। कंपनी की गुडविल के साथ ही फंड मैनेजर की साख की भी जांच करें। सबसे बड़ी बात, योजना से जुड़े रिस्क फैक्टर (risk factors) को भी ध्यान में रखें।

5. निवेश राशि एवं तिथि निर्धारित करें –

योजना का चुनाव करने के पश्चात निवेश राशि (investment amount) एवं तिथि (date) निर्धारित करें। यह राशि इतनी ही तय करें कि आपको अपने मौजूदा खर्चों को वहन करने के लिए किसी तरह के वित्तीय संकट (financial crisis) का सामना न करना पड़े। इसके लिए आप एसआईपी कैलकुलेटर (SIP calculator) की भी सहायता ले सकते हैं।

किसी फंड में निवेश से पहले उसकी सालाना ग्रोथ (annual growth) एवं परफार्मेंस (performance) का अंदाजा लगा सकते हैं। मसलन किसी इन्वेस्टर ने किसी म्युचुअल फंड में पांच साल पहले एसआईपी किया था, तो आज उसकी वैल्यू क्या है? उसकी सालाना ग्रोथ कैसी है? आदि जानने में मदद मिलेगी।

इसके अतिरिक्त तिथि निर्धारित करने से आपको यह सहूलियत रहेगी कि राशि एक नियत तिथि पर काटी जाएगी।

निवेश पर लगातार नजर रखें, पोर्टफोलियो री बैलेंस करते रहें

निवेश करने के पश्चात यह सोचकर चैन से नहीं बैठ जाना चाहिए कि एक निश्चित अवधि के बाद रकम ले लेंगे। आपको अपने निवेश पर लगातार नजर रखने की आवश्यकता है। लगातार जांचते रहें कि उनका फंड उन्हें आवश्यक रिजल्ट दे रहा है या नहीं।

आवश्यकता पड़ने पर समय समय पर अपने पोर्टफोलियो को री बैलेंस (portfolio re-balance) भी करते रहें। इससे अधिक कमाई संभव होगी।

एसआईपी कैसे खरीदें?

दोस्तों, पहले आपको एसआईपी खरीदने का आफलाइन तरीका बताते हैं। एसआईपी खरीदने के लिए आपको संबंधित म्युचुअल फंड कंपनी के अपने शहर में स्थित कार्यालय में जाना होगा।

वहां वितरक से आपको योजनाओं की जानकारी के साथ ही एक फाॅर्म मिलेगा। उसे भरकर निर्धारित दस्तावेजों में निर्धारित राशि के चेक अथवा ड्राफ्ट के साथ इसी कार्यालय में जमा करना होगा। इसके पश्चात आप एसआईपी में निवेश कर सकेंगे।

एसआईपी खरीदने के लिए केवाईसी का अनुपालन आवश्यक

दोस्तों, जिस प्रकार तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए केवाईसी यानी अपनी बेसिक जानकारी देना आवश्यक है, ठीक उसी प्रकार एसआईपी खरीदने के लिए भी आपको सबसे पहले अपना केवाईसी कराना होगा। इसके बगैर आप एसआईपी में निवेश नहीं कर सकेंगे।

केवाईसी के लिए कौन कौन से दस्तावेज चाहिए

मित्रों, आपको केवाईसी के लिए निम्न दस्तावेजों (documents) की आवश्यकता होगी-

  • -आवेदक का पैन कार्ड (PAN card)।
  • -आवेदक का आधार कार्ड (aadhar card)।
  • -आवेदक का पहचान पत्र (ID) एवं पते का प्रमाण (address proof)।
  • -आवेदक की जन्म तिथि (date of birth)।
  • -आवेदक का मोबाइल नंबर (mobile number)।
  • -आवेदक के बैंक एकाउंट की डिटेल (bank account details)।
  • -आवेदक का पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ (passport size photo)।

एसआईपी खरीदने की आनलाइन प्रक्रिया क्या है?

इस प्रक्रिया को हम आपको एक उदाहरण से समझाते हैं। मसलन आपको एसबीआई सिप आनलाइन (online) लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको यह कदम उठाने होंगे-

  • सबसे पहले एसबीआई म्युचुअल फंड की आफिशियल वेबसाइट (official website) https://sbimf.com पर जाएं।
  • -यहां (invest now) के सेक्शन पर क्लिक करें।
  • -यदि आप वर्तमान यूजर (existing user) हैं तो लाॅगिन (login) करें अथवा न्यू यूजर (new user) के विकल्प पर क्लिक करें।
  • -यहां से केवाईसी फाॅर्म डाउनलोड (download) करें एवं इसमें सारी डिटेल (details) भरें।
  • -इसके पश्चात संबंधित फाॅर्म को एसबीआई म्युचुअल फंड ब्रांच में जाकर इसे जमा कर दें।

घर बैठे आनलाइन एसआईपी कैसे खरीदें?

दोस्तों, आपको बता दें कि इसकी प्रक्रिया भी बेहद आसान है। आपको बस अपने पास केवाईसी के दस्तावेज तैयार रखने होंगे। यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि केवाईसी की प्रक्रिया का पालन करने के लिए आपके पास आपका पैन कार्ड, आधार कार्ड, एड्रेस प्रूफ, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ आदि होना आवश्यक है।

इसके साथ ही चेकबुक (cheque book) भी, क्योंकि इसमें आपका बैंक खाता संख्या आदि होता है। यह तो आप जानते ही हैं कि केवाईसी के लिए आपको अपने नाम, जन्मतिथि, मोबाइल नंबर आदि की भी जानकारी देनी होती है। इसके पश्चात आपको निम्न कदम उठाने होंगे-

  • सबसे पहले किसी भी म्युचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट मसलन बिरला सन लाइफ म्युचुअल फंड अथवा क्वांटम म्युुचुअल फंड अथवा कैम्स आदि की वेबसाइट पर जाकर केवाईसी पूरा कर लें।
  • -इसके पश्चात आपकी एक वीडियो काॅल (video call) शेड्यूल (schedule) की जाएगी। इसके माध्यम से आपकी फिजिकल प्रेजेंस (physical presence) को जांचा जाएगा।
  • -इसके पश्चात आप उस फंड हाउस की वेबसाइट पर जाएं, जिसकी योजना में निवेश के आप इच्छुक हैं।
  • -यहां register now सर्च करें अथवा new investor के लिंक पर जाएं।
  • -इसके पश्चात आपके सामने एक सिंगल फाॅर्म आएगा। इसमें आपको अपनी बेसिक जानकारी भरनी होगी।
  • -इसके बाद अपना यूजर नेम एवं पासवर्ड सेट करने के बाद आप आनलाइन निवेश शुरू कर सकते हैं। आपको बता दें कि इसमें आपसे आपकी बैंक डिटेल के साथ ही हर महीने निवेश की राशि एवं तिथि पूछी जाएगी। यह सब आप अपनी सुविधानुसार चुन सकते हैं।

एसआईपी में निवेश के लाभ –

दोस्तों, एसआईपी के निवेश के कई लाभ हैं। यह निवेशक को एक अनुशासित बचतकर्ता बनाते हैं। प्रमुख रूप से इसके लाभ इस प्रकार से हैं-

  • -एसआईपी के जरिये निवेश आसान है। इसमें आपका बैंक खाता आपके निवेश से लिंक्ड हो जाता है। पहले से तय राशि एक निर्धारित तिथि को आपके एकाउंट से स्वयं कट जाती है।
  • -एसआईपी में निवेश का सबसे बड़ा लाभ यह है कि आप छोटी रकम से निवेश की शुरूआत कर सकते हैं।
  • -आपको अनुशासित तरीके से बचत की आदत पड़ जाती है।
  • -निवेशक को सीधा बाजार के रिस्क (direct market risk) का सामना नहीं करना होता।
  • -रिटर्न (return) भी परंपरागत मार्केट (traditional market) से अधिक मिलता है।

एसआईपी में निवेश करते वक्त यह सावधानी रखें

एसआईपी में निवेश का यदि आपने मन बना लिया है तो उसके लिए कुछ आवश्यक सावधानियां भी बरतनी आवश्यक हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • -कंपनी का पिछला ट्रैक रिकाॅर्ड (back track record) जांच लें।
  • -कंपनी की गुडविल (company’s goodwill) के साथ ही फंड मैनेजर (fund manager) की साख भी जांचें।
  • -योजना से जुड़े रिस्क फैक्टर को अच्छी तरह समझ लें।
  • -अपनी आवश्यकतानुसार योजना की अवधि को भी ध्यान में रखें।
  • रातों रात कोई बड़ा रिटर्न देने जैसे किसी प्लान के धोखे में न आएं।
  • अपनी आय, टारगेट एवं रिस्क प्रोफाइल देखकर ही इन्वेस्टमेंट का फेसला लें।

म्युचुअल फंड में निवेश पर क्या जोखिम है?

दोस्तों, आपको बता दें कि म्युचुअल फंड्स में निवेश पर भी मार्केट के उतार-चढ़ाव का जोखिम रहता है। जाहिर सी बात है कि इसका असर फंड्स की परफाॅर्मेंस पर पड़ता है। हालांकि आपको यह भी बता दें कि डायरेक्ट इक्विटी मार्केट में इन्वेस्टमेंट के स्थान पर म्युचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट पर रिस्क अपेक्षाकृत कम रहता है।

एसआईपी निवेश में नुकसान से कैसे बचें?

दोस्तों, अब हम आपको बताएंगे कि यदि आप एसआईपी में निवेश पर नुकसान से बचना चाहते हैं तो क्या करें-

1. बाजार के उछाल को देखकर निवेश न करें –

मित्रों, हर कोई लाभ की उम्मीद में निवेश करता है। शेयर मार्केट में उछाल आता है तो कई निवेशक लाभ उठाने के चक्कर में म्युचुअल फंड में निवेश शुरू कर देते हैं। लेकिन यह हर कोई जानता है कि बाजार हिचकोले खाता रहता है।

वह जितनी तेजी से ऊपर चढ़ता है, उतनी ही तेजी से नीचे भी आता है। लिहाजा, बाजार के उछाल को देखकर निवेश न करें। अनुशासन एवं धैर्य बनाए रखें। यही आपको बाजार के जोखिम से बचाएगा।

2. बाजार नीचे आने पर एसआईपी को न रोकें –

बहुत से ऐसे एसआईपी निवेशक हैं, जो बाजार गिरने पर एसआईपी रोक देते हैं। यह निवेश के बुनियादी सिद्धांत ‘bye low and sale high’ का ठीक उल्टा है। इससे आप घाटे (loss) में आ सकते हैं। नीचे आते बाजार में निवेश जारी रख कर आप इससे बच सकते हैं।

आपको बता दें कि बाजार की गति का आंकलन करने के बजाए आप निवेश अवधि से मेल खाते फंड्स की कैटेगरी (category) में इन्वेस्टमेंट करें। इससे आप पूंजी खोने के नुकसान से बचें रह सकेंगे।

3. कम एनएवी का अर्थ सस्ता फंड नहीं

आपको बता दें कि कई रिटेल (retail) इन्वेस्टर मानते हैं कि कम एनएवी (NAV) अर्थात सस्ता फंड। ऐसे में वे उनमें सिप के माध्यम से निवेश करके अधिक रिटर्न की उम्मीद पाल लेते हैं, जबकि ऐसा कतई नहीं होता। आप जान लीजिए कि कम नेट एसेट वैल्यू का अर्थ सस्ता फंड कतई नहीं होता।

यदि यह कम है तो ऐसा होने के कई कारण होते हैं-मसलन अच्छे मैनेजरों वाले फंड की एनएवी दूसरों के मुकाबले तेजी से बढ़ती है। इसी प्रकार नए फंड की एनएवी पुराने से अपेक्षाकृत कम होती है, क्योंकि उसे बढ़त के लिए कम समय मिलता है।

ऐसे में निवेशक को एनएवी के स्थान पर फंड के पिछले प्रदर्शन एवं भविष्य के प्लांस (future plans) पर अधिक फोकस (focus) करना चाहिए।

4. धैर्य एवं संयम ही अच्छा नतीजा देंगे –

दोस्तों, एसआईपी में अच्छे रिटर्न के लिए धैर्य एवं संयम ही कुंजी हैं। आपको बता दें कि बहुत सारे लोग म्युचुअल फंड्स की बैक हिस्ट्री (back history) देखते हुए फंड से कम समय में अच्छे रिटर्न की उम्मीद पाल लेते हैं।

लेकिन आपको बता दें कि अच्छे रिटर्न के लिए पांच से सात वर्ष की आवश्यकता होती है। कई बार कोई एसआईपी सालों अच्छा निवेश देता है, ऐसे में यदि किसी साल खराब निवेश हो तो धैर्य बनाए रखें। उससे तुरंत पैसा बाहर न निकालें।

5. टारगेट निर्धारित करके निवेश करना ही फायदेमंद

दोस्तों, किसी भी एसआईपी में निवेश से पहले अपना मकसद साफ कर लें। विशेषज्ञ भी इसी की सलाह देते हैं। बगैर उद्देश्य निवेश करने से कई बार आप गलत फंड में पैसा इन्वेस्ट कर देते हैं।

एक और बात यह कि किसी की देखा देखी बार बार खरीद बिक्री न करें। हर किसी के फाइनेंशियल टारगेट (financial target) एवं जेब की हालत अलग अलग होती है।

एसआईपी में न्यूनतम कितना निवेश किया जा सकता है?

दोस्तों, आपको बता दें कि कंपनी एवं प्लान के अनुसार एसआईपी में निवेश की न्यूनतम राशि अलग अलग हो सकती है। यूटीआई (UTI) में महज सौ रूपये से निवेश शुरू किया जा सकता है। वहीं, कुछ हेल्थ एवं फार्मा केयर कंपनियां पांच हजार रूपये के निवेश की न्यूनतम शर्त रखती हैं।

एक बात और आपको बता दें, जो कई लोगों के दिमाग में आती है और वो ये कि क्या सिप (SIP) को बीच में खत्म किया जा सकता है? तो आपको बता दें कि इसे लाॅक इन पीरियड (lock-in period) तक चलाना ही होगा। लेकिन यदि आप जमा करने में सक्षम नहीं एवं आपकी तीन किस्त टूट जाती है तो सिप को कैंसिल मान लिया जाएगा।

यदि आप एसआईपी की किस्त देना भूल जाएं तो क्या होगा –

दोस्तों, यह सवाल आपके दिमाग में जरूर उठ रहा होगा कि यदि आप एसआईपी की किस्त देना भूल जाएं तो क्या होगा? क्योंकि कई बार न चाहते हुए भी महीने का खर्च इतना बढ़ जाता है कि किस्त निकालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कई बार एसआईपी की किस्त रूक जाती है।

तो दोस्तों, आपको बता दें कि इस किस्त के रूकने से कोई समस्या नहीं है। आप पर किसी तरह की कोई पेनल्टी (penalty) नहीं पड़ेगी। किंतु यदि आप लगातार तीन किस्त नहीं पे करते तो आपका सिप कैंसिल हो जाएगा।

एसआईपी की अवधि कैसे बढ़ाई जा सकती है –

आपको जानकारी दे दें कि एक बार तय की गई सिप की अवधि को बढ़ाया नहीं जा सकता। निवेशक यदि चाहे तो फ्रेश स्टार्ट कर सकता है। इसके लिए उसे नए सिरे से एक सिप एनरोलमेंट फाॅर्म (SIP enrollment form) भरना होगा।

इसमें उसे वह अवधि भरनी होगी, जिसके लिए वह निवेश करना चाहता है। यदि कोई निवेशक अपने प्लान को रिन्यू करना चाहता है तो इसके लिए भी उसे नए सिरे से फाॅर्म भरकर नया एसआईपी लेना होगा।

भारत का सबसे पुराना म्युचुअल फंड कौन सा है –

साथियों, अब आपको देश के सबसे पुराने म्युचुअल फंड के बारे में बताते हैं। यूटीआई मास्टर शेयर फंड (UTI master share fund) देश का सबसे पुराना म्युचुअल फंड प्लान है। इसे 18 अक्टूबर, 1986 को लांच किया गया था। लांच के बाद से इसने औसत 17.50 प्रतिशत रिटर्न दिया गया है।

यानी लांच के वक्त यदि किसी ने 25 हजार का निवेश किया था, तो अब उसकी वैल्यू एक करोड़ रुपये है। इसमें न्यूनतम एसआईपी 100 रूपये है। यदि आज की तारीख में सबसे बड़ी म्युचुअल फंड संस्थाओं की बात करें तो एसबीआई म्युचुअल फंड, यूटीआई, रिलायंस म्युचुअल फंड, इंडिया बुल्स आदि भारत की बड़ी म्युचुअल फंड संस्थाएं हैं।

एजेंट के माध्यम से एसआईपी बेहतर होता है-

दोस्तों, आपके सामने एसआईपी के कई विकल्प होते हैं। आप सीधे कंपनी के फंड में निवेश कर सकते हैं, अथवा किसी एजेंट के माध्यम से भी।

आपको बता दें कि एजेंट के माध्यम से एसआईपी बेहतर होता है, क्योंकि उसके पास कई कंपनियों के फंड में निवेश का अवसर होता है। किसी कंपनी में सीधे निवेश में यह सुविधा नहीं होती।

म्युचुअल फंड कितने प्रकार के होते हैं-

दोस्तों, हमने आपको यह तो बताया कि म्युचुअल फंड क्या होता है। आइए, अब आपको जानकारी देते हैं कि ये म्युचुअल फंड कितने प्रकार के होते हैं। इनका ब्योरा इस प्रकार से है-

1. इक्विटी म्युचुअल फंड (equity mutual fund)

  • -ये अधिकांश रूप से इक्विटी यानी कंपनियों के शेयरों (company shares) में निवेश करते हैं।
  • -इन फंड्स का मूल उद्देश्य संपदा निर्माण अथवा पूंजी (capital) में इजाफा होता है।
  • -इन फंड्स में हाई रिटर्न (high return) की संभावना होती है।
  • -लंबी अवधि (long term) के निवेश के लिए इन्हें बेहतर माना जाता है।

उदाहरण के तौर पर-

  • a) लार्ज कैप फंड (large cap fund)-ये वे फंड हैं, जो बड़े व्यवसाय वाली कंपनियों में निवेश करते हैं।
  • b) मिड कैप फंड (mid cap fund)-ये वे फंड हैं, जो मध्यम आकार वाली कंपनियों में इन्वेस्टमेंट को प्रमुखता देते हैं।
  • c) स्माल कैप फंड (small cap fund) में फंड छोटे आकार वाली कंपनियों में निवेश को प्रमुखता देते हैं।
  • d) मल्टी कैप फंड (multi cap fund)-ये फंड मध्यम, बड़ी एवं छोटी कंपनियों के मिश्रण में निवेश में यकीन रखते हैं।
  • e) सेक्टर फंड (sector fund)- ये एक ही व्यवसाय वाली कंपनियों में निवेश करते हैं। मसलन, टेक्नोलाजी फंड (tecnology fund) केवल टेक्नोलाजी बेस्ड कंपनियों में ही निवेश करते हैं।
  • f) थीमेटिक फंड (thematic fund)-ये फंड साझा थीम में निवेश करते हैं। उदाहरण के तौर पर इंफास्ट्रक्चर फंड (infrastructure fund) उन कंपनियों में इन्वेस्टमेंट करते हैं, जो इस सेगमेंट (segment) की बढ़ोत्तरी से मुनाफा कमाती हैं।
  • कर बचत फंड

2. फिक्स्ड इन्कम फंड (fixed income fund)

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, में फंड नियत आय यानी fixed income securities में निवेश करते हैं। मसलन गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, बैंक सर्टिफिकेट, ट्रेजरी बिल, कामर्शियल पेपर जैसी Money market instruments में निवेश करते हैं।

  • -ये अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित निवेश होते हैं।
  • -इन्हें आय निर्माण के उद्देश्य से बेहतर माना जाता है।
  • -लिक्विड फंड (liquid fund), शार्ट टर्म, कारपोरेट लोन, डायनामिक बांड, गिफ्ट फंड आदि इसमें शामिल हैं।

3. हाईब्रिड फंड (hybrid fund)

ये इक्विटी एवं फिक्स्ड इनकम बांड दोनों में निवेश करते हैं। इस तरह से जहां इनमें पूंजी वृद्धि की संभावना होती है, वहीं ये आय निर्माण का भी जरिया होते हैं। आपको बता दें कि एग्रेसिव बैलेंस्ड फंड, पेंशन फंड, चाइल्ड प्लान, मासिक आय योजना आदि इसके श्रेष्ठ उदाहरण हैं।

पिछले कुछ सालों में प्रदर्शन के आधार पर कुछ कंपनियों के सिप-

कुछ म्युचुअल फंड्स के एसआईपी प्लांस ने निवेशकों को पिछले कुछ सालों में अच्छा रिटर्न मुहैया कराया है। पिछले सालों के प्रदर्शन के आधार पर कुछ अच्छे सिप फंड्स इस प्रकार से हैं-

  • -एसबीआई स्माल कैप फंड
  • -एसबीआई टेक्नोलाजी अपारचुनिटी फंड
  • -टाटा डिजिटल इंडिया फंड
  • -एचडीएफसी स्माॅल कैप
  • -आदित्य बिरला सन लाइफ डिजिटल इंडिया फंड
  • -बोई एक्सा टैक्स एडवांटेज
  • -मिरे एसेट इमर्जिंग ब्लूचिप
  • -एक्सिस मिडकैप फंड
  • -कोटक स्माल कैप फंड
  • -आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल टेक्नोलाजी फंड
  • -फ्रैंकलिन इंडिया टेक्नोलाजी फंड
  • -निप्पोन इंडिया स्माल कैप फंड

आपको यह भी साफ कर दें कि हम आपको इन प्लांस में निवेश करने की सलाह नहीं दे रहे। जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि सिप में निवेश आप अपनी आवश्यकताओं एवं अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए करते हैं।

ऐसे में आप अपने निवेश का प्लान एवं तरीका अपनी जरूरतों, उसके लिए उचित समयावधि एवं अपने पास उपलब्ध धनराशि के आधार पर ही करें।

सिप में निवेश करने वालों में महिला निवेशकों की भी बड़ी संख्या

साथियों, आपने आम तौर पर देखा होगा कि महिलाएं अपने पैसे को लेकर वित्तीय रूप से बहुत जागरूक नहीं रहतीं। अक्सर उनके पति अथवा उनके भाई ही उनके पैसे का निवेश करते हैं, प्लानिंग करते हैं अथवा हिसाब किताब रखते हैं।

लेकिन इन दिनों विशेष तौर पर बड़े शहरों में रहने वाली महिलाओं में सिप में निवेश का चलन बढ़ा है। उनमें अपने पैसे को लेकर जागरूकता भी बढ़ी है। वे अपने पैसे को लेकर बात करने लगी हैं। इस क्षेत्र में कई ऐसी महिला प्लानर भी काम कर रही हैं, जो कामकाजी महिलाओं को उनके पैसे सुरक्षित रखने, भविष्य में बचत योजनाओं (saving schemes) में निवेश करने संबंधी जानकारियां मुहैया कराती हैं।

हालांकि, यह बात दीगर है कि निचले स्तर पर यह बुनियादी जागरूकता आनी अभी बाकी है। अभी तक घर लेने, कार खरीदने आदि जरूरतों के लिए निवेश अवश्य हो रहा है, लेकिन एक नियमित बचत की आदत विकसित होना बाकी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सिप ऐसी आदत को विकसित करने में अवश्य सहायक हैं।

युवा महिला निवेशक अधिक जोखिम-अधिक रिटर्न वाले assets में निवेश को तरजीह दे रहीं

युवा महिला निवेशक यानी 18 से लेकर 25 वर्ष तक की महिलाएं अधिक जोखिम-अधिक रिटर्न (maximum risk-maximum return) वाले एसेट्स में निवेश को तरजीह देती हैं। वे सुरक्षित निवेश जैसे एफडी जैसे टर्म डिपाॅजिट (term deposit) के स्थान पर अधिक जोखिम वाले विकल्पों का चुनाव करती हैं।

एक फाइनेंस कंपनी की ओर से किए गए सर्वे में कुल 28 हजार लोगों ने अपना फीडबैक (feedback) दर्ज कराया था। इसमें महिलाओं के निवेश टारगेट पर भी बात की गई। इसमें सामने आया कि उम्र एवं इन्कम के अनुसार उनके निवेश के लक्ष्य बदल जाते हैं।

निजी लक्ष्य के लिए निवेश की बात 57 फीसदी महिलाओं ने कही, वहीं यात्रा (travelling) लक्ष्य के लिए 28 प्रतिशत महिलाओं ने निवेश की बात दोहराई। करीब इतनी ही महिलाओं ने उच्च शिक्षा (higher education) के लक्ष्य को पाने के लिए निवेश की हामी भरी। सर्वे में 35 साल से अधिक आयु वाली 64 फीसदी महिलाओं ने शादी एवं बच्चों की शिक्षा के लिए निवेश करने की बात कही।

एक बात गौर करने वाली थी कि सभी ने म्युचुअल फंड्स में निवेश को एक बेहतरीन विकल्प बताया। अलबत्ता, सर्वे में शामिल 25 प्रतिशत महिलाओं ने सोने में निवेश (gold investment) को भी एक बेहतर विकल्प करार दिया।

इसमें एक आश्चर्यजनक बात यह सामने आई कि सालाना 30 लाख से अधिक कमाने वाली छह प्रतिशत महिलाओं ने क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) तक में इन्वेस्ट किया है। वहीं, 10 लाख रूपये सालाना से कम कमाने वाली केवल चार ही फीसदी महिलाओं ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश की बात स्वीकारी।

वित्तीय समझ की कमी एवं डर निवेश न करने वालों के लिए हौवा

अभी तक हमने आपको म्युचुअल फंड्स में निवेश करने वालों की बाबत जानकारी दी। लेकिन दोस्तों, समाज में ऐसे भी लोग हैं, जो पैसा होने के बावजूद वित्तीय मार्केट (financial market) में निवेश करने में दिलचस्पी नहीं दिखाते अथवा वे पैसे खोने से डरते हैं। वे रियल एस्टेट (real estate) में इन्वेस्ट को करने को प्राथमिकता देते हैं।

इसके अलावा महिलाएं सोने में निवेश को परंपरागत तरीके से प्राथमिकता पर लेकर चलती हैं। शेयर मार्केट में निवेश के नाम से ही उनका दिल बैठ जाता है। उन्हें लगता है कि यहां पैसा लगाने का मतलब पैसे हाथ धोना है।

जबकि विशेशज्ञों के अनुसार ऐसा कतई नहीं है। उनका मानना है कि लोगों के निवेश करने से हाथ खींचने के पीछे कई वजहें हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार से हैं-

  • -पैसे गंवाने का डर सताना।
  • -वित्तीय समझ एवं विवेक की कमी।
  • -बचत का निवेश योग्य नहीं होना।
  • -निवेश बाजार का जोखिम भरा स्वभाव।

एसआईपी की फुल फाॅर्म क्या है?

एसआईपी की फुल फाॅर्म है-सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (systematic investment plan)।

एसआईपी क्या होता है?

यह म्युचुअल फंड में निवेश का एक सिस्टमैटिक यानी अनुशासित तरीका है, जिसमें निवेशक एक निश्चित अंतराल पर कुछ राशि फंड में निवेश करता है।

एसआईपी में निवेश से पहले किस बात का ध्यान रखना चाहिए?

एसआईपी में निवेश से पहले निवेशक को सबसे पहले अपना उद्देश्य निर्धारित करना चाहिए। यानी कि वह निवेश किस उद्देश्य से कर रहा है। इसी के आधार पर उसे अपना प्लान चुनना होगा। अवधि एवं तिथि निर्धारित करनी होगी।

एसआईपी में निवेश से पूर्व क्या सावधानी आवश्यक है?

एसआईपी में निवेश से पूर्व निवेशक को कंपनी की बैक हिस्ट्री खंगालनी चाहिए। उसे कंपनी की गुडविल एवं फंड मैनेजर की साख को भी जांचना चाहिए।

एसआईपी किस प्रकार खरीदा जा सकता है?

इसे आफलाइन अथवा आनलाइन दोनों तरीके से खरीदा जा सकता है। इसके लिए केवाईसी का अनुपालन आवश्यक है।

एसआईपी लेने के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है?

एसआईपी लेने के लिए केवाईसी कराना होता है। जिसके लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, जन्म तिथि, आईडेंटिटी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ आदि दस्तावेजों की आवश्यकता होती है।

क्या सिप की अवधि बढ़ाई जा सकती है?

जी नहीं, इसके लिए निवेशक को नए सिरे से फाॅर्म भरना होगा। मनचाही अवधि का फ्रेश एसआईपी लेना होगा।

यदि निवेशक अपनी एक एसआईपी किस्त नहीं दे पाता है तो क्या होगा?

यदि निवेशक अपनी एक एसआईपी किस्त देने से चूकता है तो उस पर कोई पेनल्टी नहीं पड़ेगी, लेकिन यदि वह लगातार तीन एसआईपी किस्त का भुगतान नहीं करता तो उसका प्लान कैंसिल कर दिया जाएगा।

मित्रों, हमने आपको इस पोस्ट में एसआईपी के बारे में जानकारी दी। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आप भी systematic तरीके से निवेश कर एक निश्चित अवधि में बेहतर रिटर्न पाना चाहते हैं तो एसआईपी का सहारा ले सकते हैं। इस पोस्ट को लेकर आपके सभी सवालों, प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों का स्वागत है। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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