स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या होता है? | स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कैसे बनाये? | Smart contract kya hota hai

|| स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या होता है? | Smart contract kya hota hai | (What is smart contract in Hindi | Smart contract explanation in Hindi | स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट किस तकनीक पर काम करता है? | स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कैसे बनाये? | स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के नुकसान ||

Smart contract kya hota hai :- हमें अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाये रखने के लिए दूसरों की मदद की जरुरत होती है और उनके साथ कई तरह के समझौते करने पड़ते हैं जिन्हें हम अंग्रेजी में कॉन्ट्रैक्ट कहते हैं। अब यदि परिवार के सदस्यों के बीच कुछ काम हो रहा है तो उसमे केवल विश्वास ही पर्याप्त होता है लेकिन अगर परिवार के बाहर किसी चीज़ को लेकर कार्य हो रहा है, तो इसके लिए आपसी भरोसा व सुरक्षा बनाये रखने के लिए कॉन्ट्रैक्ट की जरुरत पड़ती (What is smart contract in Hindi) है।

उदाहरण के तौर पर यदि आपको किसी को पैसे उधार पर या फाइनेंस पर देने है या लेने है तो इसके लिए भी कॉन्ट्रैक्ट किया जाता है, किसी से घर खरीदना है या जमीन लेनी है या कुछ ऐसा ही अन्य काम करवाना है तो इसके लिए भी कॉन्ट्रैक्ट की जरुरत होती है। तो कुल मिला कर हर तरह के कार्य को करने के लिए और उसे अंतिम रूप देने के लिए कॉन्ट्रैक्ट की जरुरत होती ही है। अब इसके लिए आपको किसी थर्ड पार्टी का सहारा लेना होता है या पेपर पर कॉन्ट्रैक्ट बनवा कर उस पर हस्ताक्षर करने होते हैं। किन्तु आज के समय में यह स्थिति बदलती जा रही (Smart contract kya hai) है।

अब सामान्य कॉन्ट्रैक्ट की बजाय स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट आ चुके हैं जिसमे किसी तरह की थर्ड पार्टी या पेपर पर कॉन्ट्रैक्ट करने की जरुरत नहीं पड़ती है। अब आज के बदलते समय में सब कुछ ऑनलाइन हो चला है तो वहीं कॉन्ट्रैक्ट भी स्मार्ट हो चुके हैं और इसी कारण इसे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कहा जाता है। इसमें हमें अपना कॉन्ट्रैक्ट किसी पेपर पर नहीं बल्कि ऑनलाइन तरीके से बनाना होता है और सब कार्य उसी पर ही होता है। आइये जाने यह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट आख़िरकार होता क्या है और यह कैसे काम करता (Smart contract in blockchain in Hindi) है।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या होता है? (Smart contract kya hota hai)

सबसे पहले हम बात करते हैं कि यह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट होता क्या है और इससे हमारा क्या मतलब है। तो आपने यह तो जान लिया है कि कॉन्ट्रैक्ट क्या होता है और आपने यह अपने जीवन में होते हुए बहुत बार देखा भी होगा और किया भी होगा। अब आप कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए किसी थर्ड पार्टी का सहारा लेते होंगे जैसे कि यदि आपको अपना मकान बेचना है या कोई मकान खरीदना है तो आप इसके लिए दलाल या प्रॉपर्टी डीलर का सहारा लेते हैं और उसके जरिये पेपर पर दोनों पार्टी के हस्ताक्षर होते हैं व कॉन्ट्रैक्ट फाइनल हो जाता (Smart contract kya hai in Hindi) है।

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तो ठीक इसी तरह का कार्य स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में होता है लेकिन यह किसी पेपर पर ना होकर ऑनलाइन होता है। साथ ही इसमें किसी थर्ड पार्टी की भी आवश्यकता नहीं होती है और आप यह कार्य केवल ऑनलाइन सिस्टम के जरिये कर सकते हैं। इसके लिए आपको सामने वाली पार्टी पर भरोसा करने या उससे मिलने की भी जरुरत नहीं होती है और सब कार्य ऑनलाइन सिस्टम की सहायता से ऑनलाइन ही संभव हो जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यह एक तरह से सामान्य कॉन्ट्रैक्ट ही है लेकिन इसमें कुछ भी ऑफलाइन ना होकर ऑनलाइन होता (Smart contract explanation in Hindi) है।

अब चूँकि इस तरह के कॉन्ट्रैक्ट में सब कार्य स्मार्ट तरीके से ऑनलाइन किए जा रहे हैं तो ही इसे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का नाम दिया गया है। इसमें हर तरह के नियम, शर्ते, सावधानियां, गतिविधियाँ, इत्यादि ऑनलाइन ही निर्धारित की जाती है और दोनों पक्षों की सहमति के पश्चात उस पर हस्ताक्षर कर दिए जाते हैं। इस तरह से यह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट काम करता है या फाइनल किया जाता (Smart contract kya hota hai in Hindi) है।

फिर भी आप इसकी कार्य प्रणाली को बेहतर तरीके से समझना चाहते होंगे और यह जानना चाहते होंगे कि आख़िरकार यह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट काम कैसे करता है ताकि आप भी प्रभावी रूप से इस पर आगे बढ़ सके। ऐसे में अब हम आपके साथ इसी बात पर ही चर्चा करने वाले हैं कि आख़िरकार यह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट किस तरह से कार्य करता है।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कैसे काम करता है? (Smart contract kaise kaam karta hai in Hindi)

ऊपर आपने स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के बारे में जाना और उसकी परिभाषा को समझा, फिर भी आपके मन में कई तरह के प्रश्न उठ रहे होंगे और आप इसके बारे में और इसकी कार्यप्रणाली के बारे में बेहतर तरीके से जानना और समझना चाहते होंगे। यदि आपके मन में भी इसी बात को लेकर झंझट है या कोई प्रश्न है तो अब आपके सभी तरह के प्रश्नों के उत्तर मिलने जा रहे हैं। अब हम स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट की कार्यप्रणाली को समझाने जा रहे हैं जिससे आपको यह समझने में सहायता मिलेगी कि आख़िरकार यह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट काम कैसे करता (Smart contract working in Hindi) है।

तो यदि आपने पहले कभी सामान्य तरीके से कॉन्ट्रैक्ट किया है तो आपको यह भलीभांति पता होगा कि इसमें आप एक कॉन्ट्रैक्ट को कागज के पेपर पर बनवाते हैं जिसमे जो डील की जा रही है, उसके बारे में संपूर्ण जानकारी लिखी हुई होती है। इसी के साथ साथ उस डील के अनुसार सभी तरह के नियम व शर्ते भी उसी कागज के पेपर पर लिखी हुई होती है। इसमें जो भी डील, शर्ते इत्यादि लिखी जा रही है, वह दोनों ओर के पक्षों की सहमति के पश्चात ही लिखी जाती है।

अब इसके बाद उस कागज के टुकड़े को दोनों पक्षों को पढ़ने के लिए दिया जाता है और दोनों पक्ष उसे पढ़ कर उस पर अपनी सहमति देने के लिए अपने अपने हस्ताक्षर कर देते हैं। उस पर हस्ताक्षर होते ही वह सामान्य कॉन्ट्रैक्ट फाइनल मान लिया जाता है। अब यही कार्य ऑनलाइन किया जाता है जिसमे एक सॉफ्टवेयर की सहायता से कॉन्ट्रैक्ट ऑनलाइन बनाया जाता है। इसमें भी सामान्य कॉन्ट्रैक्ट की तरह ही कॉन्ट्रैक्ट को की जाने वाली डील, नियम व शर्ते इत्यादि लिखी हुई होती है।

फिर जब दोनों पक्ष उस स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को पढ़ लेते हैं और उसे एक्सेप्ट कर लेते हैं तो यह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट भी फाइनल हो जाता है। अब यह कॉन्ट्रैक्ट दोनों ही पक्षों के पास रहता है और इसे कोई भी झुठला नहीं सकता है। फिर चाहे आपने अपना मकान बेचा हो या कोई जगह या फ्लैट किराये पर ली हो या लीज पर ली हो या किसी को पैसे उधार दिए हो या कुछ अन्य गतिविधि की हो।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट किस तकनीक पर काम करता है? (Smart contract technology in Hindi)

अब जब आपने स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के बारे में इतना सब जान लिया है तो अवश्य ही आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आख़िरकार यह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट किस तरह की तकनीक या टेक्नोलॉजी पर कार्य करता है जो इसको प्रभावी बनाता है। तो उस तकनीक का नाम है ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी। यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसके तहत स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को आसानी से बनाया जा सकता है।

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पहले के समय में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को केवल ऑनलाइन यूँ ही बनाया जाता था लेकिन जब से इसके साथ ब्लॉकचैन जुड़ा है तब से इसकी विश्वनीयता व प्रभावशीलता बढ़ी है। आज के समय में यदि आपको स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाना है या बनवाना है तो इसके लिए आपको ब्लॉकचैन तकनीक का ही सहारा लेना होगा।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कैसे बनाये? (Smart contract kaise banaye)

अब आपने यह तो जान लिया है कि स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी की सहायता से बनाया जा सकता है लेकिन उसे बनाने की क्या कुछ प्रक्रिया होती है, इसके बारे में जानकारी लेना अभी बाकी है। तो वैसे तो ब्लॉकचैन तकनीक पर कई तरह के सॉफ्टवेयर कार्य कर रहे होते हैं लेकिन उसमे सबसे ज्यादा प्रसिद्ध एथेरियम सॉफ्टवेयर है। यह ब्लॉकचैन पर सबसे ज्यादा काम करता है और लोगों के द्वारा इसी के माध्यम से ही स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को रूप व दिशा दी जाती है।

अब यह एथेरियम का मंच सोलिडिटी नामक कोडिंग भाषा में काम करता है और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में लिखे जाने वाले सभी तरह के नियम व शर्तें इसी कोडिंग भाषा में ही लिखे जाते हैं। ऐसे में यदि आपको भी किसी कार्य के लिए स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनवाना है तो उसके लिए आपको इसी तकनीक, सॉफ्टवेयर व कोडिंग भाषा की सहायता से कार्य करना होगा। इसके लिए आप किसी पेशेवर की सहायता ले सकते हैं या पहले से ही उपलब्ध स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का सहारा लिया जा सकता है।

सबसे पहले तो आपको एथेरियम पर जाकर अपना खाता बनाना होगा और उसके बाद ही सब कार्य होगा। तो सबसे पहले तो आप एथेरियम पर जाकर अपना खाता बनाये और उसके बाद उसमे लॉग इन करें। इसके पश्चात आपको वहां स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनवाने के लिए किसी से संपर्क करना होगा और यदि आपको इसके बारे में सामान्य जानकारी है तो आप स्वयं ही वह कॉन्ट्रैक्ट बना सकते हैं।

एक बार जब वह स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बन जाता है तो उसके बाद आपको उसे सिस्टम पर डेप्लोय करना होगा और उसके बाद वह हर जगह अपने आप ही सेव हो जायेगा। अब वह अपने आप ही सब कार्य कर लेगा और आपको चिंता करने की कोई जरुरत नहीं होगी।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के फायदे (Smart contract benefits in Hindi)

अब जब आप स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को बनवाने का सोच रहे हैं या इस दिशा में आगे बढ़ने जा रहे हैं तो आपके लिए यह बहुत ही जरुरी हो जाता है कि आपको इसके अंतर्गत मिलने वाले तरह तरह के फायदों के बारे में पूरी जानकारी हो। इन्हें जानकर ही तो आप आगे बढ़ पाएंगे और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का सही तरीके से इस्तेमाल कर पाएंगे। तो आइये जाने स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के द्वारा आपको किस किस तरह के फायदे मिल सकते (Benefits of smart contract in Hindi) हैं।

  • इसका सबसे पहले और प्रमुख फायदा तो यही है कि इसमें आपको किसी थर्ड पार्टी की जरुरत नहीं होती है और बिना उनके ही सब कार्य हो जाता है। सामान्य तरह के कॉन्ट्रैक्ट में आप बिना थर्ड पार्टी के कोई कार्य नहीं कर सकते हैं जबकि स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में सब काम सिस्टम की सहायता से ही होता है।
  • अब यदि हम थर्ड पार्टी की सहायता से सामान्य कॉन्ट्रैक्ट बनवाने जा रहे हैं तो उसमे समय भी बहुत ज्यादा लगता है और कई तरह की प्रक्रिया का पालन करते हुए ही आगे बढ़ना होता है जबकि स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में ऐसा कुछ नहीं होता है। इसमें बस कुछ क्लिक में ही काम हो जाता है और समय की बचत होती है।
  • सामान्य तरह के कॉन्ट्रैक्ट को करने के लिए आपको दूसरे पक्ष के बारे में जानने या उस पर भरोसा किये जाने की जरुरत होती है जबकि स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में ऐसा कुछ नहीं है। यहाँ पर यदि आप दूसरे पक्ष को नहीं भी जानते हैं तो भी कोई बात नहीं है क्योंकि सब कुछ ऑनलाइन हो रहा होता है।
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में कोई भी जानकारी जैसे कि नियम या शर्तें डाल दी जाती है तो वह उसके अनुसार ही सब कार्य करता है। उन्हें किसी व्यक्ति के द्वारा बदला नहीं जा सकता है और ना ही उसमें किसी तरह की छेड़छाड़ की जा सकती है।
  • इसमें सब कार्य ऑनलाइन हो रहा होता है तो आपके पैसों की भी बचत हो जाती है। सामान्य तरह के कॉन्ट्रैक्ट में आपको कई लोगों को अपना काम करने के लिए पैसे देने होते हैं जबकि स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में ऐसा कुछ भी नहीं होता है।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के नुकसान

अब जब आपने स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट से होने वाले तरह तरह के फायदों के बारे में जानकारी ले ली है तो उसी के साथ साथ इसके द्वारा क्या कुछ नुकसान हो सकते हैं या स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट की क्या कुछ कमियां होती है, इसके बारे में भी जानकारी ले लेनी चाहिए। तो यदि आप स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट करने जा रहे हैं तो आपको सामान्य कॉन्ट्रैक्ट की तुलना में यह सब नुकसान या कमियां देखने को मिल सकती है।

  • अब हमने ऊपर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के फायदों में यह जाना कि इसमें आपको थर्ड पार्टी अर्थात डीलर की कोई जरुरत नहीं पड़ती है लेकिन डीलर का भी अपना अलग महत्व होता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में किसी तरह का डीलर नहीं होता है तो ऐसे में आप डीलर के जरिये मिलने वाले सभी तरह के फायदों से वंचित रह जाते हैं।
  • अब यदि आप एक बार स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को अपनी सहमति दे देते हैं या उस पर अपना हस्ताक्षर कर देते हैं तो उसके बाद किसी भी सूरत में इसे बदला नहीं जा सकता है और ना ही इसमें किसी तरह का बदलाव किया जा सकता है।
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट को बनाते समय यदि उसमे किसी तरह की कोई त्रुटी रह जाती है तो फिर उसे सुधारा नहीं जा सकता है और यही उसका नियम बन जाता है।
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के द्वारा पैसों के लेनदेन में यदि किसी तरह की कोई कमी रह जाती है तो उसे भी बाद में सुधारा नहीं जा सकता है और दोनो पक्षों को ही उसे मानना जरुरी होता है।
  • इसमें कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों को बनाने के लिए आपको किसी कोडर या प्रोग्रामर की जरुरत होती है और वही सब कार्य करके देता है। अब उसके द्वारा कितना पैसा माँगा जा रहा है, यह उसके ऊपर ही निर्भर करता है।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या होता है – Related FAQs

प्रश्न: स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का अर्थ क्या है?

उतर: स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट एक तरह से ऑफलाइन कॉन्ट्रैक्ट की तरह ही होता है जिसमें सब ऑनलाइन हो रहा होता है और इसमें कोई थर्ड पार्टी नहीं होती है।

प्रश्न: स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कैसे काम करता है?

उतर: स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट ब्लॉकचैन तकनीक पर काम करता है।

प्रश्न: स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कौन लिखता है?

उतर: स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कोई भी लिख सकता है।

प्रश्न: स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के फायदे और नुकसान क्या हैं?

उतर: स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के फायदे और नुकसान हमने आपको इस लेख के माध्यम से बताए है जिन्हें आपको पढ़ना चाहिए।

तो इस तरह से आपने इस लेख के माध्यम से स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के बारे में जानकारी हासिल कर ली है कि स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या होता है, यह कैसे और किस तकनीक पर काम करता है और आप स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कैसे बना सकते हैं। साथ ही आपने स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट से मिलने वाले फायदे और नुकसान भी जान लिए हैं। आशा है कि आप जो जानकारी लेने इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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