एसओपी क्या है? SOP की फुल फॉर्म क्या है? एसओपी का फॉर्मेट हिंदी में

|| एसओपी क्या है? (What is SOP?) SOP की फुल फॉर्म क्या है? एसओपी का हिंदी में अर्थ। (What is SOP? What is the full form of SOP, SOP’s hindi meaning) स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर इन हिंदी, स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर इन हिंदी पीडीएफ, standard operating procedure ||

जब भी कोई व्यक्ति किसी कंपनी को ज्वाइन करता है तो उसे कंपनी के नियम कायदे बताए जाते हैं। जिस पद पर उसे कार्य करना है, उससे जुड़ी प्रक्रिया व अन्य डिटेल्स बताई जाती हैं। उसे इस संबंध में ट्रेनिंग दी जाती है। यह कार्य जिस प्रक्रिया के तहत होता है, उसे एसओपी पुकारा जाता है। दोस्तों, अब आप कहेंगे कि एसओपी की फुल फॉर्म क्या है? इसका पूरा मतलब क्या है? इसके किसी कंपनी को क्या जरूरत है? इससे क्या लाभ हैं? इसे कौन लिखता है? तो आज आपके इन सभी सवालों का जवाब हम आपको इस पोस्ट के जरिए देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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एसओपी क्या है? (What is SOP?)

दोस्तों, आपको बता दें कि एसओपी (SOP) की फुल फॉर्म स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर है। इसे हिंदी में मानक संचालन प्रक्रिया भी पुकारा जाता है। साथियों, SOP एक ऐसा दस्तावेज अथवा डॉक्यूमेंट (document) होता है जिसमें किसी काम को करने के लिए सारी जानकारी स्टेप बाई स्टेप दी होती है। किसी भी प्रोजेक्ट से पहले उसकी एसओपी ही तैयार की जाती है, ताकि प्रोजेक्ट समय से एवं बगैर अधिक त्रुटि के पूरा हो जाए। कई बार वर्तमान एसओपी में बदलाव की आवश्यकता होती है तो उसे modify किया जाता है।

कई बार इसे नए सिरे से भी लिखा जाता है। आपको बता दें दोस्तों कि किसी कंपनी में एसओपी सेल्स, मार्केटिंग, एकाउंट एवं क्लाइंट सर्विसिंग जैसे कामर्शियल कार्यों में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए भी बनाई जाती है। सामान्य शब्दों में कहें तो इसमें कदम दर कदम यह लिखा होता है कि किसी कार्य को किस तरह से? कब? एवं कैसे? करना है।

एसओपी कैसे लिखते हैं? (How to write SOP?)

दोस्तों, हमने आपको समझाया कि एसओपी क्या है। अब हम आपको बताएंगे कि एक एसओपी कैसे लिखते हैं। दोस्तों, बेशक सुनने में एसओपी लिखना आपको कोई बड़ा अथवा कठिन कार्य लगे, लेकिन वास्तव में यह एक चेकलिस्ट की ही तरह है। एसओपी लिखने की स्टेप बाई स्टेप प्रक्रिया इस प्रकार से है-

1. एसओपी का फॉर्मेट चुनें (select sop’s format)

दोस्तों, सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि एसओपी लिखने का कोई भी तरीका सही या ग़लत नहीं होता। दोस्तों, यदि आपकी कंपनी का पसंदीदा एसओपी फार्मेट हो तो सबसे पहले आंख बंद करके इसी फार्मेट को टेम्पलेट की भांति इस्तेमाल कीजिए, लेकिन यदि ऐसा नहीं है तो भी आपको चिंता करने की कतई आवश्यकता नहीं। यहां हम आपको कुछ एसओपी फार्मेट की जानकारी देंगे, जो कि इस प्रकार से हैं-

एसओपी क्या है? SOP की फुल फॉर्म क्या है? एसओपी का फॉर्मेट हिंदी में
* सरल फार्मेट (easy format) –

दोस्तों, यह फार्मेट छोटे-छोटे प्रोसीजर के लिए उपयोगी है। यह फार्मेट मूल रूप से आवश्यक डॉक्यूमेंटेशन एवं सेफ्टी गाइडलाइन के अतिरिक्त सरल, सीधे वाक्यों की एक बुलेट लिस्ट होती है, जिसमें पाठक को ‘क्या करना चाहिए’ के संबंध में जानकारी दी जाती है।

* हायरार्किकल फार्मेट (hierarchical format)-

साथियों, यह फार्मेट आम तौर पर लंबे प्रोसीजर्स के लिए होता है। इसमें सरल फार्मेट से एकदम उलट 10 से अधिक मेन यानी मुख्य स्टेप्स होते हैं, जिनकी जानकारी पाठकों को विभिन्न सब स्टेप्स (sub steps) के जरिए एक निश्चित आर्डर में दी जाती है। इनके जरिए कुछ फैसले लिए जाते हैं, जिनके लिए explanation एवं terminology का इस्तेमाल किया जाता है।

* फ्लोचार्ट फार्मेट (flowchart format)-

दोस्तों, यदि किसी प्रोजेक्ट का प्रोसीजर किसी नक्शे की भांति हैं, जिसमें कई संभावित नतीजे हो सकते हैं तो ऐसे में फ्लोचार्ट ही सबसे बेहतर फार्मेट होगा।

2. आवश्यक सामग्री कवर करें (cover all the necessary things)

मित्रों, एसओपी में आम तौर पर, प्रोसीजर के अलावा ये एलिमेंट्स (elements) आवश्यक रूप से कवर करें

  • * टाइटल पेज (title page)।
  • * प्रोसीजर का टाइटल (title of procedure)।
  • * एसओपी आइडेंटिफिकेशन नंबर (SOP identification number)।
  • * इशू/ रिवीज़न की तिथि (date of issue/revision)।
  • * जहां एसओपी लागू होगी, उस एजेंसी/डिवीजन/ब्रांच का नाम (name of the agency/devision/branch in which SOP will be implemented)।
  • * जिन्होंने एसओपी बनाया और एप्रूव किया उनका हस्ताक्षर (sign of the person who made and approved the SOP)।

3. सामग्री की सूची (Table of contents)

दोस्तों, इसे पाठकों को संदर्भ की सुविधा के लिए दिया जाना आवश्यक है। लेकिन उसी स्थिति में, जबकि एसओपी काफ़ी बड़ा हो। ऐसे में पाठकों को एसओपी पढ़ने में सहायता मिलेगी। इससे वे देख पाएंगे कि किस पेज पर कौन सा नियम लिखा है।

4. एसओपी का स्कोप एवं उपयोग (Scope and use of SOP)

यहां आप एसओपी का स्कोप तथा उपयोगिता समझाएंगे। अन्य शब्दों में कहें तो प्रोसेस का उद्देश्य, उसकी सीमाएं, तथा उसका इस्तेमाल कैसे किया जाना है, यह बताना। इसमें रेगुलेशन, कंपनी की ज़रूरतें, कर्मियों के रोल एवं जिम्मेदारियां, इनपुट-आउटपुट शामिल किया जाएगा।

5. एसओपी का तरीका एवं प्रक्रिया (Methodology and procedure of SOP)

दोस्तों, इसमें आपको सभी स्टेप्स को आवश्यक डिटेल्स के साथ लिस्टेड करना होगा। इसमें आवश्यक इक्विपमेंट्स भी शामिल करें। सीक्वेंस के प्रोसीजर और निर्णय लेने के कारण भी शामिल करिए।

6. टर्मिनोलॉजी का स्पष्टीकरण (explanation of terminology)

मित्रों, आप एसओपी में जो भी टर्मिनोलॉजी इस्तेमाल कर रहे हैं, आपको उसे स्पष्ट करना होगा। इसके साथ ही सभी ऐसे एक्रोनिम (acronym), एब्रिविएशन्स (abbreviations) एवं इस्तेमाल किए गए सभी phrases के बारे में भी बताएं।

7. स्वास्थ्य एवं सुरक्षा चेतावनी (health and safety warnings)

दोस्तों, कार्य के संबंध में जो भी स्वास्थ्य या सुरक्षा संबंधी खतरे हों, उनकी चेतावनी भी इसमें शामिल करें। आवश्यक स्टेप्स के साथ भी जहां इनकी संभावना हो, इन्हें जगह दें। नजरअंदाज न करें।

8. इक्विपमेंट एवं सप्लाई (equipment and supplies)

मित्रों, कार्य के लिए जब भी, जो भी आवश्यक उपकरण चाहिए उनकी पूरी सूची दें। साथ ही, ये उपकरण कहां मिलेंगे, इनका मानक क्या होगा? इनसे जुड़ी डिटेल्स दें। साथ ही, क्या गड़बड़ हो सकता है, किस चीज का ध्यान रखना है, और क्या है जो अंतिम, आदर्श प्रोडक्ट में बाधा बन सकता है जैसे बिंदु भी इसमें शामिल करें।

9. गुणवत्ता सुनिश्चितता/गुणवत्ता नियंत्रण (Quality assurance/Quality control)

दोस्तों, प्रोसीजर लिखने के बाद उसका गुणवत्ता नियंत्रण आवश्यक है। यानी इसकी क्वालिटी को चेक किया जाना आवश्यक है। जैसे कि क्या यह उन उद्देश्य को पूरा करता है, जिसके लिए इसे लिखा गया है? आदि। आपको बता दें मित्रों कि वह प्रोसीजर अच्छा नहीं कहा जाता, जिसे चेक नहीं किया जा सकता। इसमें आप वह सभी आवश्यक सामग्री एवं डिटेल्स दीजिए, जिससे पाठक सुनिश्चित कर सकें कि उन्हें वांछित नतीजे मिले हैं। इसमें performance evaluation sample जैसे डाक्यूमेंट्स भी हो सकते हैं।

10. देखे गए संदर्भ (Sighted reference)

दोस्तों, एसओपी में आपके द्वारा देखे गए महत्वपूर्ण संदर्भ लिस्ट करना भी सुनिश्चित करें। यदि आप स्वयं द्वारा लिखित एसओपी में किसी अन्य एसओपी का संदर्भ दे रहे हों, ऐसे में appendix में सारी जानकारी अवश्य संलग्न करें।

11. एसओपी एप्रूवल (approval)

यह एसओपी लेखन का आखिरी चरण है। ऑडिट ट्रेल सुनिश्चित करने के लिए एसओपी को एप्रूवल के लिए डाक्यूमेंट मैनेजमेंट सिस्टम (document management system) का इस्तेमाल करके भेजें। दोस्तों, यह प्रत्येक कंपनी में अलग तरह से होता। आपकी अपेक्षा यही होगी कि सब कुछ गाइडलाइंस एवं रेगुलेशंस (guidelines and regulations) के मुताबिक हो।

12. हस्ताक्षर (Signature)

एसओपी अप्रूवल के पश्चात आपको हस्ताक्षरों की आवश्यकता होगी। इन दिनों अधिकांश कंपनियों/संगठनों में electronic signature का प्रावधान है, जिन्हें स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

1. एसओपी अप्रूव होने के पश्चात इसे लागू कैसे करते हैं? (How to implement SOP after approval of it?)

मित्रों, एक बार एसओपी एप्रूव हो जाने के बाद, अपने एसओपी को लागू करना होगा। इसके लिए आप संबंधित कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम (training program) चलाएं। इसके लिए क्लास रूम ट्रेनिंग (class room training) के साथ ही कंप्यूटर आधारित ट्रेनिंग (computer based training) पर भी ध्यान दें। विभिन्न स्थानों पर एसओपी संबंधित पर्चे टांगें। यह भी सुनिश्चित करिए कि आपकी एसओपी अपडेटेड (updated) रहे।

अगर वह कभी आउटडेटेड (outdated) हो जाए तो उसे अपडेट करें। इसके पश्चात उसे फिर से एप्रूव कराइए और उसका दस्तावेजीकरण कराइए। आवश्यक हो तो इसे फिर से वितरित (distribute) कराइए। आपकी टीम की सुरक्षा (safety), उत्पादकता (productivity) एवं सफलता (success) उसी पर आधारित है।

2. एसओपी लिखते वक्त किन बातों का ध्यान रखें? (What should be kept in mind while writing an SOP?)

दोस्तों, अब हम आपको उन बिंदुओं की जानकारी देंगे, जिनका ध्यान आपको एसओपी लिखते वक्त रखना होगा। ये इस प्रकार से हैं-
एसओपी के पाठकों को ध्यान में रखें (keep the readers of SOP in mind)

मित्रों, एसओपी लिखते समय अपने पाठकों को अवश्य ध्यान में रखें। देखें कि एसओपी किसके लिए लिखी जा रही है। इनसे संबंधित तीन बिंदुओं की जानकारी आपको अवश्य होनी चाहिए, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • * आपको पता होना चाहिए कि पाठकों का ज्ञान कितना है। क्या वे आपके संगठन/कंपनी एवं उसके प्रोसीजर्स के बारे में पहले से जानते हैं? क्या उन्हें कंपनी की टर्मिनोलॉजी की जानकारी है? आप जिस भी भाषा में एसओपी लिखें वह पाठक के ज्ञान एवं और उसकी समझ से मेल खाती हो।
  • * आपको लिखने से पहले अपने पाठक की भाषा क्षमता पर विचार करना चाहिए। यदि कोई ऐसी आशंका है कि वे आपकी भाषा नहीं जानते तो आपको एसओपी लिखते समय कमेंट्स के साथ ही चित्रों एवं सहायक डायग्राम का भी इस्तेमाल करना होगा।
  • * मित्रों, तीसरा बिंदु है, पाठक समूह अथवा रीडर ग्रुप (readers group) का आकार। यदि आपकी द्वारा लिखी एसओपी एक ही समय में बहुत से लोग पढ़ेंगे, तो ऐसे में संबंधित दस्तावेज को किसी नाटक में होने वाली संवाद की तरह रखना बेहतर होगा। जैसे कि राम वर्क 1 पूरा करेगा, इसके पश्चात कृष्ण वर्क 2 करेगा आदि। इस प्रकार हर कोई जान सकेगा कि किसी प्रोजेक्ट/ऑपरेशन में उसका हिस्सा क्या है। उसे क्या करना है।

3. एसओपी को लेकर आपका ज्ञान कितना है (what is your knowledge regarding SOP)

दोस्तों, एसओपी को लेकर आपका ज्ञान कितना है, इसका अर्थ स्वयं से यह जानना है कि क्या आप ही वह व्यक्ति हैं, जिसको इसे लिखना चाहिए? क्या आपको इस प्रोसेस से मिलने वाले नतीजे की जानकारी है? इसमें क्या दिक्कत आ सकती है एवं इसे सुरक्षित कैसे बनाया जाए? यदि आपके खुद से पूछे गए इन सवालों का जवाब न में है तो संभल जाएं। खराब अथवा गलत एसओपी लिखने से बेहतर है कि आप एसओपी किसी और को लिखने दें। इस मामले में किसी प्रकार का रिस्क (risk) न लें।

दोस्तों, यदि यह कोई आपको असाइन किया गया प्रोजेक्ट है एवं आप इसे पूरा करने के लिए बाध्य हैं तो इस प्रोसेस को रोज पूरा करने वालों से मदद मांगने में कतई पीछे न हटिए।

4. एसओपी का आकार तय कीजिए (decide the shape of SOP)

दोस्तों, यदि आप एसओपी लिखने जा रहे हैं तो यह तय भी आपकी जिम्मेदारी है कि एसओपी का आकार क्या होगा? मसलन यह लंबी होगी अथवा संक्षिप्त। यदि आपको इसमें मूल उद्देश्य एवं प्रासंगिक जानकारी आदि के अतिरिक्त कोई डिटेल अथवा एक्स्प्लेनेशन देने की जरूरत न हो, तो आप इसे संक्षिप्त रख सकते हैं।

5. एसओपी के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित रखिए (focus your mind on the objectives of SOP) –

दोस्तों, आपको उस उद्देश्य पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा, जिसके लिए एसओपी लिखा जा रहा है। वह क्या वजह है, जिसके चलते यह एसओपी विशेष उपयोगी साबित होगा? क्या इसमें सेफ्टी पर ध्यान देने की आवश्यकता है? इसके कंप्लायन्स (compliance) यानी पालन के क्या उपाय हैं? क्या इसे नियमित यानी दिन प्रति दिन की ट्रेनिंग (training) के लिए इस्तेमाल किया जाएगा? आदि। आपका एसओपी कितना कारगर है, ये इन सवालों के जवाब पर भी निर्भर है।

इनके अतिरिक्त एसओपी लिखते समय में बिंदु भी ध्यान में रखें-

  • * एसओपी को संक्षिप्त और पढ़ने में आसान बनाएं। वाक्यों में उलझाव न हो। लंबे दस्तावेज पढ़ने व समझने में मुश्किल लगते हैं। अपने वाक्यों को जितना हो सके, छोटा रखें।
  • * एसओपी में आप शब्द का इस्तेमाल न करें। हमेशा एक्टिव वॉइस में बात करें।
  • * यदि एसओपी कई स्टेप्स में हो तो इसके बड़े हिस्सों को डायग्राम एवं फ़्लोचार्ट्स में बांट दें।
  • * हर पेज के ऊपरी दाएं कोने में एक शॉर्ट टाइटल अथवा आईडी, रिवीज़न नंबर, तिथि एवं पेज नंबर हो।
  • * प्रत्येक पेज पर कंट्रोल डाक्यूमेंट नोटेशन हो।
  • * आवश्यक लगे तो इसमें फुटनोट भी रख सकते हैं।
  • * स्टेप्स को समझाने के लिए सरल इंगलिश का इस्तेमाल करें।
  • * जब भी संभव हो तब स्टेकहोल्डर्स को शामिल रखें।
  • यदि कंपनी पहले से कोई फार्मेट यूज कर रही हो तो वही टेंपलेट इस्तेमाल करें।
  • * एसओपी की स्पष्टता की जांच करें। सुनिश्चित करें कि इसके अनेक interpretation न हो सकें।
  • * किसी ऐसे व्यक्ति को प्रोसीजर दिखाइए, जिसे प्रोसेस की जानकारी न हो, उनका रिव्यू बताएगा कि आपका लिखा कितना समझ में आने वाला है।
  • * एसओपी को अपने उच्चाधिकारियों को देने से पहले उन लोगों को दिखाएं, जो उस काम को कर रहे हैं अथवा करेंगे। इससे उन्हें लगेगा कि वे उस प्रोसेस के हिस्से हैं।
  • * अब अपने एसओपी को क्वालिटी एश्योरेंस टीम द्वारा रिव्यू कराएं। वे बताएंगे कि रह फ़ारमेटिंग आवश्यकताओं को पूरा करता है या नहीं। क्या आपसे कुछ छूट गया है? अथवा उसे आधिकारिक सिस्टम में इनपुट करने का प्रोटोकॉल क्या है।

एसओपी क्यों आवश्यक है? (Why SOP is necessary?)

मित्रों, यह एक ऐसा सवाल है,जो हर व्यक्ति के दिमाग में उठता है। एसओपी जिन कारणों की वजह से आवश्यक है, वे इस प्रकार से हैं-

  • ट्रेनिंग डॉक्यूमेंट के रूप में।
  • उत्पादन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए।
  • कंपनी/संगठन की उत्पादकता में वृद्धि के लिए।
  • सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए।
  • कंप्लायंस स्टैंडर्ड का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए।
  • प्रोसीजर का कंपनी के वातावरण पर कोई बुरा असर न हो, ये सुनिश्चित करने के लिए।
  • सब कुछ तय शेड्यूल के अनुसार हो, यह सुनिश्चित करने के लिए।
  • निर्माण में नाकामी से बचने के लिए।

एसओपी के क्या क्या लाभ हैं? (What are the advantages of SOP?)

मित्रों, अब बात करते हैं एसओपी के लाभों की। यदि किसी कंपनी के कर्मचारी एक ही कार्य को अलग अलग तरह से करेंगे तो जाहिर है कि उस कर्य को पूरा करने में अधिक समय लगेगा। वहीं, यदि किसी कार्य को एक निर्धारित प्रक्रिया द्वारा किया जाएगा तो उसमें समय एवं धन कम लगेगा। यही एसओपी का मुख्य लाभ है। इसके अतिरिक्त इसके अन्य लाभ इस प्रकार से हैं-

  • संगठन को कर्मचारी के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में मददगार।
  • समय एवं धन बचाने में सहायक।
  • कार्य का सुरक्षित वातावरण बनाने में मददगार।
  • संगठन के भीतर संचार यानी कम्युनिकेशन में सुधार।

किसी कंपनी में एसओपी बनाने की जिम्मेदारी किसकी होती है? (Who has the responsibility to make SOP in an company?)

मित्रों, आइए अब आपको जानकारी दे दें कि किसी कंपनी में एसओपी बनाने की जिम्मेदारी किसकी होती है। मित्रों, यह एक ऐसा व्यक्ति होता है, जो कर्मचारियों का नेतृत्व करता है। यानी उनका लीडर (leader/head) होता है। अथवा वह कोई ऐसा व्यक्ति होता है, जो उन्हें ट्रेनिंग (training) देने का काम करता है यानी कि उनका ट्रेनर। इसे लिखने का काम वही एक ही व्यक्ति करता है। अन्य लोग केवल एसओपी की समीक्षा करते हैं, एवं उसके लिए योगदान देते हैं।

एसओपी को अन्य किन नामों से पुकारा जाता है? (SOP is called by what other names?)

मित्रों, एसओपी की फुल फॉर्म एवं उसका अर्थ हम आपको ऊपर बता चुके हैं। लेकिन आपको यह भी बता दें कि इसे कुछ अन्य नामों से भी जाना जाता है, जो कि इस प्रकार से हैं-

डब्ल्यूआई (WI)- एसओपी को डब्ल्यूआई (WI) के नाम से भी जानते हैं। इसकी फुल फॉर्म वर्क इंस्ट्रक्शन (Work Instruction) होती है। दोस्तों, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट, है यह कार्य संबंधी निर्देश होते हैं।

एसएसओपी (SSOP)- दोस्तों, इसकी फुल फॉर्म सेफ स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसीजर (safe standard operating procedure) है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इसमें एसओपी को सुरक्षा साथ जोड़ दिया गया है।

पीसीएस (PCS)- यदि किसी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट (manufacturing unit) में एसओपी लागू होती है तो उसे पीसीएस (PCS) यानी फार्म प्रोसेस कंट्रोल स्टैंडर्ड (pharm process control standard) के नाम से जाना जाता है।

एसडब्ल्यूएस (SWS)- दोस्तों, यदि बात असेंबलिंग यूनिट (assembling unit) की करें तो वहां एसओपी को एसडब्ल्यूएस (SWS) के नाम से पुकारा जाता है। इसकी फुल होती है-स्टैंडर्ड वर्क शीट (standard work sheet)।

एसओपी (SOP) की फुल फॉर्म क्या है?

एसओपी SOP की फुल फॉर्म स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (standard operating procedure) है।

एसपी को हिंदी में क्या कहते हैं?

एसओपी को हिंदी में मानक संचालन प्रक्रिया कहा जाता है।

एसओपी का क्या अर्थ है?

एसओपी (SOP) एक ऐसा दस्तावेज अथवा डॉक्यूमेंट (document) होता है जिसमें किसी काम को करने के लिए सारी जानकारी स्टेप बाई स्टेप दी होती है।

किसी कंपनी के लिए एसओपी क्यों आवश्यक है?

किसी भी कार्य को नियम कायदों के अनुसार निर्धारित समय में पूरा करने के लिए एसओपी आवश्यक है।

क्या कार्य वातावरण बेहतर करने में एसओपी मददगार है?

जी हां, एसओपी कार्य वातावरण को बेहतर बनाए रखने में सहायक है।

एसओपी कैसे लिखें?

इसकी जानकारी हमने आपको ऊपर पोस्ट में दी है। आप वहां से देख सकते हैं।

एसओपी के कितने फार्मेट होते हैं?

एसओपी के मुख्यत: 3 फार्मेट होते हैं-सरल, हायरार्किकल एवं फ्लोचार्ट फार्मेट।

यदि कोई कंपनी पहले से ही कोई फार्मेट यूज कर रही हो तो क्या फार्मेट बदलना चाहिए?

जी नहीं, ऐसे में कंपनी का वर्तमान टेंपलेट यूज कर लेना चाहिए।

कंपनी में एसओपी कौन लिखता है?

कंपनी में एसओपी लिखने का जिम्मा लीडर अथवा ट्रेनर के पास होता है।

एसओपी को अप्रूवल के पश्चात अगला चरण क्या है?

एसओपी को अप्रूवल के पश्चात इसे कंपनी में लागू किया जाता है।

एसओपी को लागू करने की क्या प्रक्रिया है?

एसओपी को लागू करने के लिए संबंधित कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाती है। यह क्लास रूम अथवा कंप्यूटर आधारित ट्रेनिंग हो सकती है।

एसओपी को लिखने में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

इन बातों की जानकारी हमने आपको ऊपर पोस्ट में दी है, आप वहां से देख सकते हैं।

यदि एसओपी लंबी हो तो कौन सा फार्मेट यूज करना चाहिए?

ऐसे में हायरार्किकल फार्मेट यूज करना चाहिए।

यदि प्रोसीजर छोटा व स्पष्ट हो तो कौन सा फार्मेट बेहतर होता है?

यदि प्रोसीजर छोटा हो तो सरल फार्मेट यूज करना चाहिए।

यदि प्रोसीजर के नतीजे असंभावित हों तो एसओपी का क्या फार्मेट हो?

ऐसे में फ्लोचार्ट फार्मेट सही रहता है।

प्रोसीजर लंबा हो तो बात समझाने के लिए क्या करना चाहिए?

ऐसे में शब्दों के साथ ही डायग्राम वह चित्रों का सहारा लेना चाहिए।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको SOP के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। यदि इस पोस्ट को पढ़कर कोई सवाल अथवा सुझाव आपके मस्तिष्क में आ रहा है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमसे शेयर करें। हम आपके सवालों का जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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