प्रोटेम स्पीकर कौन होता है? कार्य, शक्तियाँ, सैलरी व नियुक्ति कैसे होती है? |

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Speaker kon hota hai :– यदि आप लोकसभा या राज्यसभा या फिर अपने राज्य की विधान सभा की कार्यवाही को देखते हैं तो अवश्य ही आपने वहां एक शब्द बहुत बार सुना होगा और वह शब्द है स्पीकर का। जो लोग नहीं भी देखते हैं, उन्हें भी इस शब्द के बारे में थोड़ा बहुत आईडिया होगा ही। किन्तु अब यदि आप सोच रहे हैं कि यहाँ स्पीकर से हमारा आशय केवल लोकसभा या अन्य समकालीन सभाओं में बैठने वाले लोग ही होते हैं तो आप गलत हैं। दरअसल स्पीकर को कई तरह से परिभाषित किया जा सकता है और इसको लेकर अलग अलग पद होते (Speaker kon hota h) हैं।

तो आज के इस लेख में हम आपके साथ स्पीकर कौन होता है, उसके क्या कुछ कार्य होते हैं, वह क्या क्या कर सकता है इत्यादि के बारे में ही बात करने वाले (Speaker kaun hai) हैं। आज के इस लेख को पढ़कर आप यह भलीभांति जान पाने में सक्षम होंगे कि एक स्पीकर की क्या शक्तियां होती है और वह चुना कैसे जाता है, तो आइये जाने कि स्पीकर कौन होता है।

प्रोटेम स्पीकर कौन होता है? (Speaker kon hota hai)

सबसे पहले हम बात करते हैं कि आखिरकार यह स्पीकर होता कौन है। तो आपने अवश्य ही कभी ना कभी टीवी पर लोकसभा की कार्यवाही देखी होगी। ऐसे में लोकसभा के सभी सदस्य लोकसभा के आसन पर बैठे व्यक्ति की ओर मुख करके बोलते हैं या उन्हें ही संबोधित करते हैं। उसे हम लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में जानते हैं जो वर्तमान समय में श्रीमान ओम बिड़ला जी (Speaker kon h) है।

प्रोटेम स्पीकर कौन होता है कार्य, शक्तियाँ, सैलरी व नियुक्ति कैसे होती है

तो ओम बिड़ला जी के द्वारा ही सदन की कार्यवाही चलायी जाती है, सदस्यों को बोलने का अवसर दिया जाता है, उनका समाधान किया जाता है, सदन स्थगित की जाती है इत्यादि। तो हम उस लोकसभा अध्यक्ष को ही लोकसभा स्पीकर या केवल स्पीकर कह सकते हैं। अब यह स्पीकर केवल लोकसभा का ही नहीं होता है बल्कि इसमें भी कई तरह के पद होते हैं जो अलग अलग सभाओं का प्रतिनिधित्व करते (Speaker kaun hota hai) हैं।

इसी के साथ ही इन स्पीकर में भी इनके कार्य या इन्हें चुने जाने की स्थिति के अनुसार अलग अलग पद होते हैं। ऐसे में आपको स्पीकर के बारे में बेहतर तरीके से जानने के लिए स्पीकर के प्रकारों को पढ़ना होगा, तभी आप उसके बारे में अच्छे से जान सकते हैं। आइये जाने स्पीकर के बारे में हरेक जानकारी विस्तृत रूप में।

स्पीकर के प्रकार (Speaker types in Hindi)

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि केवल लोकसभा में ही स्पीकर नहीं होते हैं, बल्कि उन्हें अन्य जगह भी आसीन किया जाता है अर्थात अलग सभाओं को सँभालने के लिए भी स्पीकर को नियुक्त किया जाता है। ऐसे में लोकसभा अध्यक्ष को केवल स्पीकर का स्पीकर कहा जाता है। तो अब यह स्पीकर किस किस तरह के हो सकते हैं और उनके क्या कुछ प्रकार होते हैं, आइये इसके बारे में जानकारी ले लेते हैं।

लोकसभा स्पीकर (Lok sabha speaker in Hindi)

सबसे पहले जिस स्पीकर के बारे में बात की जाती है वह लोकसभा का अध्यक्ष होता है जिसके बारे में हमने आपको ऊपर ही बता दिया है। तो देश में हर पांच वर्ष में लोकसभा के चुनाव होते हैं और उसके जरिये हम अपने सांसदों को चुनते हैं। तो उन चुने गए सांसदों में से ही सर्व सम्मति के साथ एक सांसद को स्पीकर के पद के लिए चुना जाता (Speaker of lok sabha in Hindi) है।

वर्तमान समय में यह स्पीकर का पद ओम बिड़ला जी के नाम है और वही लोकसभा की संपूर्ण कार्यवाही को देखने का काम करते हैं। आपने भी लोकसभा के आसन पर ओम बिड़ला जी को बैठे हुए और लोकसभा की कार्यवाही संचालित करते हुए देखा (Lok sabha ke speaker kaun hai) होगा। लोकसभा में एक स्पीकर के अलावा डिप्टी स्पीकर भी होता है जो स्पीकर की अनुपस्थिति में लोकसभा की कार्यवाही को संचालित करने का काम करता है।

राज्य सभा स्पीकर (Rajya sabha speaker in Hindi)

अब जब लोकसभा की बात हो गयी तो देश के ऊपरी सदन जिसे हम राज्यसभा कहते हैं, उसके स्पीकर की भी तो बात करेंगे। जिस तरह से लोकसभा के स्पीकर को लोकसभा का अध्यक्ष भी कहा जाता है ठीक उसी तरह से राज्यसभा के स्पीकर को राज्यसभा का अध्यक्ष नहीं कहा जाता है। वह इसलिए क्योंकि राज्यसभा में स्पीकर का काम सँभालने का कार्य देश के उपराष्ट्रपति को मिला हुआ होता है।

तो इस तरह से देश के उप राष्ट्रपति राज्यसभा के स्पीकर भी कहे जा सकते हैं। लोकसभा की तरह ही यहाँ भी एक डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति की जाती है जो राज्य सभा स्पीकर की अनुपस्थिति में वहां की कार्यवाही को संचालित कर सके। राज्यसभा स्पीकर के पास भी लोकसभा स्पीकर की तरह ही राज्यसभा को चलाने की पूरी शक्ति होती है।

विधानसभा स्पीकर (Vidhan sabha speaker in Hindi)

अब जिस प्रकार देशभर में एक लोकसभा व राज्यसभा होती है, ठीक उसी तरह हर राज्य में वहां के विधायकों व मुख्यमंत्री के बैठने और वहां के राज्य की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाये रखने के लिए एक विधानसभा होती है। उस विधानसभा में वहां से चुने गए सभी तरह के विधायक, मंत्री इत्यादि बैठते हैं। ऐसे में लोकसभा व राज्यसभा की तरह ही विधानसभा में भी कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाये रखने के लिए स्पीकर की नियुक्ति की जाती है।

विधानसभा का स्पीकर हर राज्य के लिए अलग अलग होता है और उसे अपने अंतर्गत आने वाली विधानसभा का सब कामकाज देखना होता है और उसी के अनुसार ही आगे की कार्यवाही करनी होती है। उसे भी लोकसभा स्पीकर व राज्यसभा स्पीकर की तरह ही अपनी विधान सभा में सभी तरह की शक्तियां मिली होती है।

प्रोटेम स्पीकर (Protem speaker in Hindi)

बहुत से लोग इस प्रोटेम स्पीकर के बारे में भी जानना चाहते हैं क्योंकि बहुत बार हमें यह नाम सुनने को भी मिलता है। तो यहाँ हम आपको बता दें कि यह प्रोटेम शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है अस्थायी या फिर कुछ समय के लिए। अब लोकसभा व विधानसभा में ऐसी स्थिति आती है जब वहां प्रोटेम स्पीकर को चुना जाना जरुरी हो जाता है। अब यह प्रोटेम स्पीकर इसलिए चुना जाता है क्योंकि उस समय देश में या राज्य में चुनाव संपन्न हुए होते (Protem speaker meaning in hindi) हैं।

ऐसे में लोकसभा या विधानसभा में चुनकर आये सभी लोगों को उस कार्यवाही को शुरू करवाने तथा शपथ लेने के लिए एक स्पीकर की जरुरत पड़ती है। इस स्थिति में लोकसभा व विधानसभा में अस्थायी तौर पर राष्ट्रपति या राज्यपाल के द्वारा सभी चुने गए सांसदों या विधायकों में से किसी एक वरिष्ठ व्यक्ति को प्रोटेम स्पीकर चुना जाता है। अब उस प्रोटेम स्पीकर को ही सभी चुने गए सांसदों व विधायकों को शपथ दिलवानी होती है और स्थायी स्पीकर का चुनाव संपन्न करवाना होता है।

अन्य स्पीकर

अभी तक आपने स्पीकर के जितने भी प्रकार पढ़े, वह पूर्ण रूप से सरकारी पद थे किन्तु इनके अलावा भी कई तरह के स्पीकर होते हैं जिनका जानना आपके लिए जरुरी है। तो यहाँ पर आप स्पीकर शब्द से क्या आशय समझते हैं? तो स्पीकर शब्द अंग्रेजी भाषा का एक शब्द है जिसे हम हिंदी में वक्ता कह सकते हैं अर्थात जो व्यक्ति बोल रहा है या भाषण दे रहा है या किसी तरह की सभा को सँभालने का कार्य कर रहा है।

ऐसे में यदि आप किसी भी मीटिंग में जाते हैं या फिर कोई भाषण अटेंड करते हैं तो वहां जिस व्यक्ति के द्वारा सभा को संबोधित किया जा रहा है और वह वहां पर भाषण, स्पीच इत्यादि दे रहा है तो उस सभा या मीटिंग के लिए वह व्यक्ति ही स्पीकर कहा जाता है। अब वह व्यक्ति एक ही हो यह जरुरी नहीं है। किसी सभा या मीटिंग में एक से अधिक व्यक्ति भी स्पीकर हो सकते हैं।

स्पीकर का चुनाव कैसे होता है? (Speaker ka chunav kaise hota hai)

अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि किसी भी स्पीकर का चुनाव किस प्रक्रिया के तहत संपन्न करवाया जाता है। तो यहाँ हर किसी के लिए अलग अलग विधि होती है और उसी विधि के अनुसार ही स्पीकर का चुनाव संपन्न करवाया जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि स्थायी स्पीकर को चुनने का नियम अलग होता है जबकि अस्थायी स्पीकर को चुनने का नियम अल, आइये एक एक करके इनके बारे में जान लेते हैं।

  • लोकसभा स्पीकर का चुनाव उस लोकसभा की कार्यवाही के लिए चुने गए सांसदों में से किसी एक सांसद को चुन कर किया जाता है। इसके लिए जिस भी व्यक्ति को स्पीकर पद के लिए सांसदों के ज्यादा वोट मिल जाते हैं, वह लोकसभा का स्पीकर बन जाता है।
  • राज्यसभा के स्पीकर का चुनाव देश की सरकार व अन्य सांसदों के द्वारा किया जाता है जिसमें दोनों सदनों के सदस्य भाग लेते हैं। यह देश के उप राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद होता है और फिर देश के नए उप राष्ट्रपति या राज्यसभा स्पीकर का चुनाव किया जाता है।
  • राज्यों की विधानसभा के स्पीकर का चुनाव उसी प्रक्रिया के तहत किया जाता है, जिस प्रक्रिया के तहत लोकसभा के सांसद अपने स्पीकर का चुनाव करते हैं। बस अंतर इतना है कि इसमें उस विधानसभा के लिए चुने गए विधायक अपने में से किसी एक विधायक को स्पीकर के पद के लिए चुनते हैं।
  • स्पीकर का चुनाव लोकसभा के लिए देश के राष्ट्रपति तथा विधान सभा के लिए उस राज्य के राज्यपाल के द्वारा किया जाता है। यह कुछ समय के लिए ही चुना जाता है जब तक की स्थायी तौर पर स्पीकर ना चुन लिया जाए।
  • अन्य तरह के स्पीकर का चुनाव उस मीटिंग या सभा को आयोजित करने वाले व्यक्ति के ऊपर ही होता है। वह किसे और कितने व्यक्तियों को वहां स्पीच या भाषण देने की अनुमति देता है, यह संपूर्ण रूप से उसी पर ही निर्भर करता है।

स्पीकर के कार्य (Speaker ke karya)

अब यदि हम किसी भी सभा के स्पीकर के कार्यों की बात करें तो वह भी कई तरह के होते हैं। इसे सीधे शब्दों में कहा जाए तो उस सभा को चलाने का पूरा जिम्मा स्पीकर के हिस्से में ही आता है। अब सभा को कब बुलाना है, कब कौन सा सदस्य बोलेगा, किस सदस्य को बोलने का कितना समय मिलेगा, उसका उत्तर दूसरा सदस्य कब और कैसे देगा, कब किस पर वोटिंग होगी, उसका क्या निर्णय रहेगा, इत्यादि सब काम स्पीकर के अंतर्गत ही आते (Speaker ke karya bataiye) हैं।

एक तरह से कहा जाए तो स्पीकर चाहे लोकसभा का हो या राज्य सभा का या फिर विधान सभा का या फिर प्रोटेम स्पीकर ही क्यों ना हो, उन सभी के कार्य लगभग एक जैसे ही होते हैं। वह कार्य होते हैं, उस सभा की कार्यवाही को संचालित करना, अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देना तथा सभा को समाप्त करना। अब कौन सा स्पीकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन किस तरह करता है, यह व्यक्ति व्यक्ति पर निर्भर करता है।

स्पीकर की शक्तियां (Speaker ki shaktiyan) 

अब यदि हम स्पीकर की शक्तियों के बारे में बात करें तो उसे उस सभा के अंतर्गत किसी के ऊपर भी कार्यवाही करने या नियमों के तहत किसी अन्य तरह की कार्यवाही करने की पूरी स्वतंत्रता होती है। एक तरह से कहा जाए तो इसके लिए एक नियम पुस्तक बनायी गयी होती है और उसमे सदन की कार्यवाही कैसे चलायी जाए और उसके लिए स्पीकर के पास किस किस तरह के अधिकार व शक्तियां होती है, वह सब कुछ लिखा गया होता (Lok sabha speaker ki shaktiyan) है।

एक स्पीकर को उन्हीं नियमों के अनुसार ही उस सदन को चलाना होता है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति उसका उल्लंघन करता है या वह काम सही से नहीं हो पाता है, तो स्पीकर को उस पर कार्यवाही करने का पूर्ण अधिकार होता है। यहाँ तक कि एक स्पीकर अपनी इच्छा के अनुसार सदन को स्थगित कर सकता है या किसी नियम में भी संशोधन करने का अधिकार रखता है।

स्पीकर का वेतन (Speaker salary in India in Hindi)

अब यदि आप स्पीकर को कितना वेतन मिलता है इसके बारे में जानना चाहते हैं तो वह भी हम आपको बता देते हैं। तो इसमें स्पीकर को एक जैसी सैलरी नहीं मिलती बल्कि राज्यसभा के स्पीकर को अलग सैलरी मिलती है तो लोकसभा के स्पीकर को अलग। क्योंकि उनका कार्यभार अलग अलग होता है। अब हम जान लेते हैं कि कौन से स्पीकर को कितनी सैलरी मिलती है।

तो यहां लोकसभा के स्पीकर को प्रति माह 4.5 लाख के आस पास सैलरी मिलती है। राज्यसभा के स्पीकर को 4 लाख के आस पास मिलती है और वहीं विधान सभा के स्पीकर को 70 हज़ार के आस पास सैलरी मिलती (Speaker ki salary kitni hoti hai) है।

स्पीकर कौन होता है – Related FAQs 

प्रश्न: स्पीकर किसे कहते हैं?

उत्तर: स्पीकर के बारे में संपूर्ण जानकारी आपको ऊपर के लेख को पढ़ कर मिलेगी जिसे आपको पढ़ना चाहिए।

प्रश्न: स्पीकर की नियुक्ति कौन करता है?

उत्तर: स्पीकर की नियुक्ति राष्ट्रपति और राज्यपाल द्वारा की जाती है।

प्रश्न: लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर को शपथ कौन दिलाता है?

उत्तर: लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर को शपथ राष्ट्रपति दिलवाते हैं।

प्रश्न: स्पीकर का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर: स्पीकर को वक्ता, व्याख्याता, मुखपत्र, उद्घोषक इत्यादि कहा जाता है।

प्रश्न: लोकसभा में स्पीकर कौन होता है?

उत्तर: लोकसभा में स्पीकर सांसदों में से एक सांसद चुन कर बनाया जाता है जो कि अभी ओम बिरला जी हैं

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने स्पीकर के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि स्पीकर कौन होता है स्पीकर के अलग अलग प्रकार के बारे में जाना और एक स्पीकर का चुनाव कैसे होता है। साथ ही हमने आपको स्पीकर की शक्तियां और कार्य क्या कुछ हैं उसके बारे में भी बताया। आशा है कि जो जानकारी लेने आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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