SSL Certificate क्या है? | SSL Certificate कैसे काम करता है? | SSL certificate kya hai

|| SSL Certificate क्या है? | SSL certificate kya hai | What is the full meaning of SSL in Hindi | SSL Certificate का उदाहरण | SSL की फुल फॉर्म क्या है? | SSL Certificate के प्रकार | SSL certificate types in Hindi ||

SSL certificate kya hai :- हम जब भी किसी वेबसाइट को खोलते हैं तो उसके यूआरएल की शुरुआत में एक लॉक का बना हुआ सिंबल देखते हैं। यह सिंबल उस वेबसाइट के सुरक्षित होने की पहचान होता है। यदि किसी वेबसाइट को खोलने पर उसमें शुरू में लॉक नहीं बना हुआ है तो उस वेबसाइट का इस्तेमाल करना असुरक्षित हो सकता है। तो इसी लॉक का संबंध ही SSL Certificate से होता है जिसके बारे में आज इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले हर व्यक्ति को जानना (What is the full meaning of SSL in Hindi) चाहिए।

आज के इस लेख में हम आपके साथ SSL Certificate के बारे में ही बात करने जा रहे हैं जो बढ़ते ज़माने के साथ जानना बहुत ही जरुरी हो जाता है। एक तरह से आज के समय में ऑनलाइन धोखाधड़ी व जालसाजी बहुत आम बात हो गयी है और इससे बचने के लिए यह बहुत ही जरुरी हो जाता है कि जिन चीज़ों का इस्तेमाल हम ऑनलाइन रूप से करते हैं, वे सभी पूर्ण रूप से सुरक्षित (What is the full form of SSL in Hindi) हो। अब इसके लिए हमें उसके बारे में पहले जानकारी तो हो तभी तो हम यह पक्का कर पाएंगे कि वह सुरक्षित है भी या नहीं।

यही कारण है कि आज का यह लेख आपको SSL Certificate के माध्यम से यह बतायेगा कि क्या आप अपने इंटरनेट का सुरक्षित उपयोग कर पा रहे हैं या नहीं। इसी के साथ ही आपको अपने वेब ब्राउज़र में कौन सी वेबसाइट का उपयोग करना चाहिए और किस वेबसाइट का नहीं। तो आइये जाने यह SSL Certificate क्या होता है और SSL की फुल फॉर्म क्या होती (SSL certificate means in Hindi) है।

SSL Certificate क्या है? (SSL certificate kya hai)

अब जिस किसी के भी द्वारा एक वेबसाइट बनायी जाती है तो उसके लिए उसे किसी अन्य वेबसाइट से उसका डोमेन नाम खरीदना होता है। इसी के साथ ही उसे वेब ब्राउज़र पर पब्लिक करने के लिए होस्टिंग लेनी होती है ताकि वह वेबसाइट केवल उसी के सिस्टम पर ही नहीं बल्कि कहीं भी खोली जा सके। कहने का अर्थ यह हुआ कि अब जिस तरह से आप हमारी वेबसाइट को अपने सिस्टम पर खोल कर देख पा रहे हैं तो यह हमारे द्वारा अपनी वेबसाइट की होस्टिंग खरीदने के कारण ही संभव हो पाया (SSL certificate kya hota hai) है।

SSL Certificate कैसे काम करता है

अब किसी भी वेबसाइट के लिए केवल डोमेन नाम और उसकी होस्टिंग ले लेना ही पर्याप्त नहीं होता है क्योंकि इसमें एक और चरण आता है और वह होता है उस वेबसाइट के लिए SSL Certificate का लिया जाना जो बहुत ही आवश्यक और यूजर की नज़र में सुरक्षित व विश्वनीय बनने के लिए होता है। तो एक तरह से यह SSL Certificate ही उस वेबसाइट का इस्तेमाल करने के लिए हमें आश्वस्त करता है। ठीक उसी तरह जिस प्रकार भारत सरकार हमें वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस देती (SSL certificate meaning in Hindi) है।

तो यह SSL Certificate वह सर्टिफिकेट होता है जो उस वेबसाइट को एन्क्रिप्टेड मोड में सुरक्षित बनाता है जिसकी वजह से हमारा डाटा कोड फॉर्म में उस वेबसाइट तक पहुँचता है और उस वेबसाइट का डाटा भी कोड फॉर्म में हमारे पास पहुँचता है।

कहने का अर्थ यह हुआ कि आप उस वेबसाइट में जो भी गतिविधि कर रहे हैं या जो भी जानकारी ले रहे हैं या दे रहे हैं, वह सभी की सभी एक कोड फॉर्म में अर्थात एन्क्रिप्टेड फॉर्म में उस वेबसाइट तक पहुँचती है। इसी के साथ ही वहां से भी पूरी जानकारी आपके पास एन्क्रिप्टेड फॉर्म में ही पहुँचती (SSL certificate kya hai in Hindi) है।

SSL Certificate का उदाहरण (SSL certificate example in Hindi)

बहुत से लोगों को अभी भी इसके बारे में सही से समझ नहीं आया होगा कि आखिरकार SSL Certificate लिए हुए कोई SSL वेबसाइट किस तरह से दिखती है। साथ ही यह लॉक सिस्टम क्या है और यह किस तरह का दिखता होगा और क्या किसी वेबसाइट के लिए SSL Certificate लिए हुए इस लॉक सिस्टम के अलावा भी किसी तरह की पहचान होती है या नहीं। तो यहाँ हम एक उदाहरण से आपको बहुत ही सटीक जानकारी देने वाले हैं जिसके माध्यम से आप यह जान पाएंगे कि फलाना वेबसाइट ने SSL Certificate लिया हुआ है या नहीं।

तो यहाँ हम आपके सामने अपनी ही वेबसाइट का उदाहरण पेश करने जा रहे हैं। अब यदि आप कोई भी वेबसाइट खोलते हैं तो उसके यूआरएल को टाइप करते हैं या फिर गूगल पर आ रहे लिंक को क्लिक करते हैं। तो जो भी लिंक होता है वह उस वेबसाइट या पेज का यूआरएल होता है। उदाहरण के लिए अब आप हमारी वेबसाइट ही ले लीजिये जिसका लिंक https://yojanavani.in/ है। अब यदि आप गौर करेंगे तो आपको हमारी वेबसाइट की तरह ही सभी तरह की वेबसाइट में शुरुआत में https या http लगा हुआ दिखाई देगा।

तो यहाँ http तो हर तरह की वेबसाइट में होता ही है और इसके बिना कोई भी वेबसाइट नहीं खुल सकती है लेकिन जिसकी हम बात कर रहे हैं वह है http के बाद में लगने वाला एक छोटा सा “s”। यही आपको बताएगा कि आप जो वेबसाइट खोलने जा रहे हैं वह सुरक्षित है या नहीं या फिर उसने SSL Certificate लिया हुआ है या नहीं। इसमें http के साथ लगे हुए s की फुल फॉर्म होती है सिक्योर्ड अर्थात सुरक्षित। तो जिस भी वेबसाइट के यूआरएल में http के साथ s लगा हुआ है तो वह सुरक्षित है और अकेला http है तो वह असुरक्षित है।

SSL Certificate कैसे काम करता है? (SSL certificate working principle in Hindi)

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार यह SSL Certificate कैसे काम करता है या फिर इससे आपकी और वेबसाइट वाले की सुरक्षा किस तरह से होती है। तो यहाँ हम आपको बता दें कि आप जब भी सार्वजनिक रूप से इंटरनेट पर कोई भी काम करते हैं तो वह सब जानकारी ऑनलाइन जा रही होती है और उस पर कोई भी हैक करके आपकी जानकारी चुरा सकता है। अब मान लीजिये कि आप बिना इंटरनेट के अपने मोबाइल में कोई नोट बना रहे हैं तो उसके बारे में तो आपको पता ही है कि वह आपके मोबाइल में ही सेव है और उसे कोई और नहीं देख सकता (How SSL works in Hindi) है।

लेकिन जब यही काम आप इंटरनेट पर करते हैं तो वह सार्वजनिक रूप से हो रहा होता है फिर चाहे आप उसे निजी रूप से ही क्यों ना कर रहे हो। कहने का अर्थ यह हुआ कि वह इंटरनेट के किसी सर्वर में तो सेव हो ही रहा है ना, तभी तो आप किसी अन्य सिस्टम से भी लॉग इन करके उसे देख सकते हैं और वो भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर। तो यही तो इंटरनेट की ताकत होती है लेकिन यह अपने साथ कई तरह की असुरक्षा भी लेकर आती है।

अब आप जिस भी वेबसाइट को खोल रहे हैं और उस पर कोई भी फॉर्म भर रहे हैं या अन्य जो भी गतिविधि कर रहे हैं, वह इंटरनेट में वेब सर्वर के माध्यम से उस वेबसाइट तक पहुँचती है। ऐसे में बीच में कोई भी आपकी जानकारी को देख सकता है और उसे पढ़ सकता है। इससे बचने के लिए ही उस वेबसाइट के द्वारा SSL Certificate लिया जाता है।

ऐसे में जिस वेबसाइट के द्वारा SSL Certificate लिया गया है वहां आपके द्वारा किया जाने वाला सभी तरह का काम एन्क्रिप्टेड फॉर्म में किया जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपकी सभी तरह की गतिविधियाँ कोड फॉर्म में कन्वर्ट हो जाती है और वेब सर्वर के माध्यम से उस वेबसाइट तक पहुँचती है। जब वो उस वेबसाइट तक पहुँचती है तब वह वापस से अपनी ओरिजिनल फॉर्म में आ जाती है। तो इस तरह से आपसे उस वेबसाइट तक की यात्रा को सुरक्षित बनाने का कार्य ही SSL Certificate का काम होता है।

SSL की फुल फॉर्म क्या है? (SSL full form in Hindi)

आप इस लेख में कई बार SSL Certificate या SSL का नाम सुन चुके हैं और अवश्य ही आपके मन में SSL की फुल फॉर्म जानने की इच्छा हो रही होगी। तो यहाँ हम आपके सामने SSL की फुल फॉर्म भी रख देते हैं। तो SSL की फुल फॉर्म सिक्योर सॉकेट्स लेयर (Secure Sockets Layer) होती है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह हमारी सुरक्षा के लिए ही दिया गया सर्टिफिकेट होता है। इसी कारण इसके नाम में सिक्योर रखा गया है जिसको हिंदी में सुरक्षित कहते (SSL certificate full form) हैं।

वहीं इसके नाम में आपने सॉकेट्स लेयर भी पढ़ा अर्थात डाटा को भेजने के लिए ऐसी लेयर्स जो सॉकेट्स के माध्यम से इधर उधर प्रवाहित होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि हम इंटरनेट पर जो कुछ भी करते हैं, किसी वेबसाइट पर किसी भी तरह की गतिविधि करते हैं तो वह सभी डाटा रूप में एकत्रित हो जाती है और लेयर्स के माध्यम से दूसरी जगह पहुँचती है। तो उन लेयर्स को सॉकेट्स के रूप में ही एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता (SSL full form) है।

ऐसे में यह लेयर्स जो डाटा को लेकर जा रही है, वह पूर्ण रूप से सुरक्षित है या नहीं, इसी के लिए ही SSL Certificate दिया जाता है। इसी कारण इसमें सिक्योर शब्द को जोड़ा गया है ताकि लेयर्स के द्वारा भेजा गया डाटा बीच में कोई भी नहीं पढ़ सके और उसका गलत इस्तेमाल ना हो सके।

SSL Certificate के प्रकार (SSL certificate types in Hindi)

अब हम बात करने जा रहे हैं SSL Certificate के प्रकारों के बारे में जो कई तरह के होते हैं और उनके आधार पर ही किसी वेबसाइट को SSL Certificate मिल पाता (SSL certificate types explained in Hindi) है। तो यह प्रकार कौन कौन से हैं, आइये इसके बारे में जान लेते हैं।

DV (Domain Validated) SSL

DV SSL प्रमाणपत्र वेबसाइट के डोमेन की पुष्टि करता है, जिससे वेबसाइट के पते के साथ एक लॉक प्रतीक (पैडलॉक) दिखाया जाता है। यह वेबसाइट के बारे में पीछे से कोई जानकारी नहीं देता है अर्थात उनके बारे में निजी जानकारी नहीं देता है और केवल उनके डोमेन नाम की ही पुष्टि करता है। यह वेबसाइट को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा प्रदान करने का काम करता है ताकि यूजर की सुरक्षा के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ ना हो सके।

अब इस तरह का DV SSL Certificate हमें सभी तरह की सुरक्षा देने की बात तो करता है लेकिन जब वहां यूजर की अत्यधिक गोपनीय जानकारी का लेनदेन हो रहा होता है तो हम आपको परामर्श देंगे कि इससे भी बड़े SSL Certificate का लेना उचित रहेगा।

OV (Organization Validated) SSL Certificate

DV SSL Certificate की तुलना में OV SSL Certificate इसलिए लिया जाता है ताकि वेबसाइट का मालिक अपने यूजर को यह विश्वास दिला सके कि वह पहले की तुलना में अत्यधिक सुरक्षित माध्यम से अपने डाटा का आदान प्रदान अर्थात संचयन कर रहा है और इसमें किसी भी तरह की जानकारी के लीक होने का खतरा नहीं है। वह इसलिए क्योंकि इस तरह के SSL Certificate के माध्यम से केवल वेबसाइट के यूआरएल अर्थात डोमेन नाम की ही नहीं बल्कि उसके अंदर निहित जानकारी की भी पुष्टि की जाती है जो आज के समय के अनुसार बहुत ही आवश्यक है।

इस तरह का SSL Certificate देने से पहले उस वेबसाइट की पूरी तरह से जांच पड़ताल की जाती है और आंतरिक स्तर पर यह सुनिश्चित किया जाता है कि उस पर कोई भरमाक या गलत जानकारी ना हो। तब जाकर इस तरह का SSL Certificate प्रदान किया जाता है। एक तरह से यह उस वेबसाइट के हर पेज की जांच करता है, उसके मालिक की जानकारी को बटोरता है और उसके बाद ही अपना SSL Certificate जारी करता है।

EV (Extended Validation) SSL Certificate

इस तरह का SSL Certificate प्राप्त करने के लिए बहुत ही गहरी जांच से गुजरना पड़ता है क्योंकि विभागीय स्तर पर उस वेबसाइट और उसके मालिक की पूरी तरह से जांच की जाती है। इसके तहत उस वेबसाइट को बनाने वाले व्यक्ति, उसका वेबसाइट से किस तरह का संबंध है, क्या उसके पास वेबसाइट का कानूनी लाइसेंस है या नहीं, उस वेबसाइट पर किस तरह की जानकारी डाली जा रही है, वहां पर किस किस तरह का काम हो रहा है,  इत्यादि हरेक तरह की जानकारी निकाली जाती है।

जब इस तरह का SSL Certificate मिल जाता है तो ग्राहक या यूजर को किसी भी तरह की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि यदि उसका डाटा चोरी होता है या ऐसा कोई भी गलत काम होता है, तो उस पर भारतीय न्यायिक प्रक्रिया के तहत कार्यवाही तक हो सकती है। इसलिए यह EV SSL Certificate सबसे सुरक्षित माना जाता है जिसे प्राप्त करना भी बहुत कठिन होता है।

Wildcard SSL Certificate

यह एक तरह से ऊपर के तीन SSL Certificate में ही आता है लेकिन यह अलग तरह की श्रेणी है। इसमें यह एक ही तरह के डोमेन नाम के लिए नहीं होता है बल्कि उसके अंतर्गत आने वाले सभी तरह के सब डोमेन नाम के लिए होता है। इस तरह से जो डोमेन नाम पहले वाले SSL Certificate के डोमेन नाम के अंतर्गत वाइल्डकार्ड के तहत आ रहे हैं, उस पर भी यह SSL Certificate लागू हो जाता है।

ठीक उसी तरह जिस प्रकार किसी रियलिटी शो में कोई प्रतिभागी वाइल्डकार्ड से एंटर होता है और भाग लेता है तो वही इस SSL Certificate में देखने को मिलता है। इस तरह के SSL Certificate से आप सभी तरह के डोमेन नाम को एक ही SSL Certificate से प्रतिबंधित कर सकते हैं और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।

Multi-Domain SSL Certificate (SAN Certificate)

अब यह ऊपर वाले वाइल्डकार्ड SSL Certificate की तरह ही है लेकिन थोड़ा सा भिन्न है। अब ऊपर वाला जो SSL Certificate था उसमे एक ही डोमेन के अंतर्गत आने वाले अलग अलग सब डोमेन को SSL Certificate मिलता है लेकिन इसमें अलग अलग तरह के यूआरएल अर्थात डोमेन नाम को SSL Certificate दिया जाता है।

अब मान लीजिये कि आपकी दो से तीन तरह की वेबसाइट हैं जिन्हें आप संभालते हैं तो आप उनके लिए अलग से SSL Certificate लेने की बजाये SAN सर्टिफिकेट के लिए अपना आवेदन दे सकते हैं। यह SSL Certificate आपकी सभी तरह की वेबसाइट पर समान रूप से लागू होता है।

Code Signing Certificate

यह उस तरह का SSL Certificate होता है जो आप किसी अन्य व्यक्ति को अपनी वेबसाइट हस्तांतरित करते समय देते हैं। अब ऊपर आपने पढ़ा कि जब आप अपनी वेबसाइट के लिए SSL Certificate लेते हैं तो उसके तहत मालिक का नाम भी उसमे लिखा जाता है और साथ ही मालिक की अन्य जानकारी भी उसमे निहित होती है।

किन्तु अब एक समय के बाद आप अपनी वेबसाइट को बेचने जा रहे हैं और उसे किसी अन्य व्यक्ति को दे रहे हैं तो उस स्थिति में उस वेबसाइट के लिए मालिक भी बदल जाता है। अब उस नए व्यक्ति पर ही उस वेबसाइट की पूर्ण जिम्मेदारी आ जाती है। तो उस स्थिति में कोड साइनिंग सर्टिफिकेट बनाया जाता है जिसमें नए मालिक की जानकारी प्रविष्ट की जाती है।

SSL Certificate कहाँ से मिलेगा? (SSL certificate kaha se banta hai)

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार किस जगह से आपको यह SSL Certificate मिल सकता है और क्या आपको इसके लिए भारत सरकार के कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ेंगे। तो इस बात की चिंता मत कीजिये क्योंकि इसमें भारत सरकार का कोई लेना देना नहीं होता है और यह काम पूर्ण रूप से ऑनलाइन माध्यम से किया जाता है। अब आप जहाँ से भी अपनी वेबसाइट बनवाते हैं या खरीदते हैं, उन्हीं वेबसाइट पर ही यह SSL Certificate दिया जाता है।

कुछ प्रमुख SSL Certificate देने वाली वेबसाइट के नाम godaddy, hostgator, namesake इत्यादि हैं जहाँ से आप इसे खरीद सकते हैं। तो यहाँ पर जब आप अपनी वेबसाइट का डोमेन नाम व होस्टिंग ले रहे होंगे तब साथ में ही आपको SSL Certificate लेने के लिए भी दिख जाएगा।

SSL Certificate के फायदे (SSL certificate benefits in Hindi) 

अब SSL Certificate लेने के फायदे शायद ही आपको बताने की जरुरत पड़े क्योंकि यह खुद ही एक बहुत बड़ा फायदा है। यह ना केवल वेबसाइट बनाने वाले को सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि उसकी वेबसाइट यूज करने वाले यूजर का विश्वास भी उसके प्रति मजबूत बनाता (SSL certificate ke fayde) है। आज के समय में लोग बहुत ही जागरूक हो गए हैं और वे किसी ऐसी वेबसाइट पर कोई भी गतिविधि नहीं करते हैं या उसे नहीं खोलते हैं, जिसके आगे लॉक सिस्टम ना लगा हुआ हो या जिसके यूआरएल में https ना लगा हुआ हो।

तो यदि आपको अपने यूजर या ग्राहकों पर विश्वास बनाना है तो उसके लिए निश्चित तौर पर SSL Certificate लेना ही होगा। यह एक तरह से वेबसाइट के मालिक और यूजर के बीच में विश्वास की एक डोर होती है। साथ ही इसके माध्यम से आप दोनों के डाटा का सुरक्षित माध्यम से आदान प्रदान हो पाता है और उसमे किसी तरह की दिक्कत नहीं आती है।

SSL Certificate क्या है – Related FAQs 

उत्तर: SSL की फुल फॉर्म Secure Sockets Layer है।

प्रश्न: SSL का फुलफॉर्म क्या है

प्रश्न: SSL कैसे काम करता है?

उत्तर: जिस वेबसाइट के द्वारा SSL Certificate लिया गया है वहां आपके द्वारा किया जाने वाला सभी तरह का काम एन्क्रिप्टेड फॉर्म में किया जाता है।

प्रश्न: सिक्योर सॉकेट सिस्टम से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: सिक्योर सॉकेट सिस्टम यानी SSL certificate। यह वह सर्टिफिकेट होता है जो उस वेबसाइट को एन्क्रिप्टेड मोड में सुरक्षित बनाता है जिसकी वजह से हमारा डाटा कोड फॉर्म में उस वेबसाइट तक पहुँचता है और उस वेबसाइट का डाटा भी कोड फॉर्म में हमारे पास पहुँचता है।

प्रश्न: SSL का पूरा नाम क्या है?

उत्तर: SSL का पूरा नाम Secure Sockets Layer है।

प्रश्न: एसएसएल कैसे काम करता है?

उत्तर: जिस वेबसाइट के द्वारा SSL Certificate लिया गया है वहां आपके द्वारा किया जाने वाला सभी तरह का काम एन्क्रिप्टेड फॉर्म में किया जाता है।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने SSL certificate के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि SSL certificate क्या है यह काम कैसे करता है इसके प्रकार क्या हैं यह कहां से मिलेगा और इसके फायदे क्या हैं इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई शंका आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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