सूर्य ग्रहण का क्या मतलब होता है? | सूर्य ग्रहण के प्रकार, प्रभाव व सावधानियां | Solar eclipse ka kya matlab hota hai

|| Surya grahan kya hota hai | सूर्य ग्रहण का क्या मतलब होता है? | Solar eclipse ka kya matlab hota hai | सूर्य ग्रहण के प्रकार | Surya grahan ke prakar | Surya grahan me kya nahi karna chahiye ||

Solar eclipse ka kya matlab hota hai :- आप सभी को एक शब्द बार बार सुनने को मिलता होगा और जब वह आता है तो हर जगह वही छाया रहता है और वह होता है सोलर एक्लिप्स जिसे हम हिंदी में सूर्य ग्रहण भी कह देते (Solar eclipse kya hota hai) हैं। यह एक बहुत ही बड़ी खगोलीय घटना होती है जिसका प्रभाव हम सभी पर पड़ता है। एक तरह से कहा जाए तो इस दिन हमें पूरी सावधानी बरतनी होती है और बहुत कुछ देखना होता है क्योंकि सूर्य से आने वाली हानिकारक तरंगे हमें नुकसान पहुंचा सकती है।

तो आखिरकार यह सूर्य ग्रहण होता क्या है और किस तरह से यह हमें नुकसान पहुंचाता है या हम पर अपना प्रभाव छोड़ता है, इसके बारे में आज आप इस लेख के माध्यम से जानने वाले (Surya grahan kya hota hai) हैं। आज के इस लेख में आपको सूर्य ग्रहण के बारे में समूची जानकारी मिलने वाली है जिसे पढ़ कर आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि आखिरकार यह सूर्य ग्रहण होता क्या है और यह किस तरह से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता (Solar eclipse kaise hota hai) है।

सूर्य ग्रहण का क्या मतलब होता है? (Solar eclipse ka kya matlab hota hai)

सबसे पहले बात करते हैं कि सूर्य ग्रहण का या फिर सोलर एक्लिप्स का मतलब आखिरकार होता क्या है और यह क्यों होता है इत्यादि। तो यह आसमान में होने वाली एक बहुत बड़ी खगोलीय घटना होती है और यह तब होती है जब चंद्रमा अर्थात चंदा मामा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है और सूर्य को ढक लेता (Solar eclipse kya hai) है। अब आप कहेंगे कि यह कैसे हो सकता है कि एक छोटा सा चंद्रमा इतने बड़े सूर्य को ढक ले जो कि पृथ्वी से भी बड़ा है।

सूर्य ग्रहण का क्या मतलब होता है

अब पृथ्वी की तुलना हम एक क्रिकेट खेलने वाली गेंद से करें तो उसके सामने सूर्य फुटबॉल की गेंद के सामान होता है और चंद्रमा एक कंचे की गोली जितना। तो अब यह कंचे की गोली फुटबॉल जैसे बड़े आकार वाली गेंद को कैसे ढक सकती है। अवश्य ही यह सोच कर आपका दिमाग चकरा गया होगा लेकिन इसके बारे में हम आपको नीचे (Solar eclipse ke bare mein jankari) बतायेंगे। अभी तो बस आप यह जान लें कि यह सूर्य ग्रहण क्या होता है या फिर इसका मतलब क्या है।

तो सूर्य ग्रहण का मतलब यह होता है कि जब चंद्रमा घूमते घूमते पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तो वह सूर्य के प्रकाश को छुपा देता है और इस कारण पृथ्वी पर दिन में भी अँधेरा हो जाता है। एक तरह से उस समय के लिए सूर्य छिप जाता है और उसका प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाता है। उसे ही हम सूर्य ग्रहण के नाम से जानते हैं।

सूर्य ग्रहण कैसे होता है? (Surya grahan kaise hota hai in Hindi)

अब आप जान लें कि यह सूर्य ग्रहण होता कैसे है। तो आप यह तो जानते ही होंगे कि ब्रह्मांड में सब कुछ गतिमान है और सब एक दूसरे के चक्कर लगा रहे होते हैं। चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है तो पृथ्वी सूर्य का और सूर्य मंदाकिनी का। तो ये सब चक्कर लगाते रहते हैं और हमेशा चलते रहते (Surya grahan kaise hota hai Hindi mein) हैं। अब चक्कर लगाते लगाते कभी कभार ऐसी स्थिति आती है कि चंद्रमा पृथ्वी तथा सूर्य के एकदम बीच में आ जाता है और तीनों एक सीधी लाइन में आ जाते हैं।

इस लाइन में सबसे पहले सूर्य देव होते हैं और फिर चंदा मामा और फिर पृथ्वी (Solar eclipse kya hota hai) माता। इस तरह से सूर्य देव और पृथ्वी माता के बीच में चंदा मामा के आ जाने से पृथ्वी के कुछ हिस्से पर या पूरे हिस्से पर सूर्य का प्रकाश पहुँच ही नहीं पाता है या हम पृथ्वी वासी उन्हें नहीं देख पाते हैं। ऐसे में पृथ्वी पर सूर्य ग्रहण लग जाता है और सब जगह अँधेरा हो जाता (Solar eclipse kya hai in Hindi) है।

सूर्य ग्रहण के प्रकार (Surya grahan ke prakar)

अब साथ के साथ आप यह भी जान लें कि इस सूर्य ग्रहण के कौन कौन से प्रकार होते हैं जिसके कारण हम इन्हें अलग अलग नामों से जानते हैं और यह प्रकार कैसे अलग अलग बनते (Surya grahan types in Hindi) हैं। तो यहाँ हम आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण के कुल तीन प्रकार होते हैं जो चंद्रमा की दोनों के बीच की स्थिति पर निर्भर करते हैं। इसी कारण हमें हर सूर्य ग्रहण पर अलग अलग तरह का सूर्य ग्रहण देखने को मिलता है जो आप न्यूज़ में भी पढ़ते (Solar eclipse types in Hindi) होंगे।

अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि यह कैसे हो सकता है और सूर्य ग्रहण के तीन प्रकार कैसे बनते होंगे। तो यहाँ हम आपको बता दें कि यह एक बहुत ही बड़ी घटना होती है और इस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता है। हम सभी पृथ्वी वासी भी इसके लिए जोर लगा दें तब भी इसे रोक नहीं सकते हैं और सूर्य ग्रहण होकर ही रहता है। तो आइए जाने इसके तीनों प्रकारों के बारे (Surya grahan ke kitne prakar hai) में।

पूर्ण सूर्य ग्रहण (Purn surya grahan)

इस तरह के सूर्य ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी के एकदम या बहुत पास होता है और वह अपने आकार से उस सूर्य को ढक लेता है और वो भी पूरा। अब आप सोचेंगे कि यह क्या मजाक है कि एक कंचे की गोली ने फुटबॉल को ढक लिया, तो इसका जवाब है दूरी। जी हां, सही सुना आपने, दूरी। एक दूरी ही ऐसी चीज़ है जो छोटी चीज़ को बड़ा बना देती है और बड़ी चीज़ को छोटा। अब आप इसके लिए एक दूरबीन का ही उदाहरण ले लीजिए। इस दूरबीन की सहायता से छोटी चीज या दूर वाली चीज़ को भी बड़ा करके देखा जा सकता है तो वही इसमें होता (Purn surya grahan kab hota hai) है।

यह चंद्रमा पृथ्वी के पास होता है तो वह हमें बड़ा दिखाई देता है जबकि सूर्य दूर होता है तो वह छोटा दिखाई देता है। तो जब चंद्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में आता है और पृथ्वी के ज्यादा नजदीक होता है तो वह सूर्य देव को पूरी तरह से ढक लेता है जिस कारण हम पूर्ण सूर्य ग्रहण को देख पाते (Purn surya grahan ke bare mein jankari) हैं। यह बहुत ही खतरनाक स्थिति होती है और इस समय घर से बिल्कुल भी बाहर नहीं निकलना होता है।

आंशिक सूर्य ग्रहण (Aanshik surya grahan meaning in hindi)

इस तरह का सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से बहुत दूर होता है और सूर्य के ज्यादा नजदीक होता है। अब वह जितना ज्यादा दूर होता है उतना ही वह सूर्य देव को कम ढक पाता है। तो जैसे ही वह घूमते घूमते सूर्य व पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो इसके कारण सूर्य देव ढक तो जाते हैं लेकिन पूरे (Aanshik surya grahan kise kahte hai) नही। आंशिक सूर्य ग्रहण में सूर्य देव का बस कुछ हिस्सा ही ढका रह पाता है और फिर वह सामने आ जाता है।

एक तरह से इस तरह के सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य देव को अपना रूप दे देता है और उन्हें गोल आकार में से चंद्रमा की शेप दे देता है। ऐसे में हमे लाल लाल या पीला सूर्य चंद्र के आकार में नजर आता है जो बहुत ही सुंदर दिखाई देता है। हालाँकि आपको इसे देखने के लिए बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि यह भी बहुत ही हानिकारक होता है।

वलयाकार सूर्य ग्रहण

इस तरह का सूर्य ग्रहण बहुत ही कम देखने को मिलता है क्योंकि यह होता ही कम है और इसके संयोग भी कम ही बन पाते हैं। अब इस तरह के सूर्य ग्रहण में चंद्रमा को पृथ्वी तथा सूर्य से एक निश्चित दूरी पर होना होता है कि सूर्य हमें एक छल्ले के आकार में दिखे। कहने का अर्थ यह हुआ कि चंद्रमा सूर्य देव को पूरा ढकने का तो प्रयास कर रहा होता है लेकिन वह उसके अंदर वाले भाग को ही ढक पाता है और उसके किनारे बचे रह जाते हैं।

इस तरह से हम यह कह सकते हैं कि इस स्थिति में सूर्य देव चंद्रमा को अपने अंदर समा लेते हैं और उनके बाहरी किनारे चमक रहे होते हैं। यह सूर्य ग्रहण की सबसे सुन्दर स्थिति होती है और इस स्थिति में हमें यह अवश्य देखना चाहिए किंतु किसी चश्मे के साथ या एक्सरे के साथ। यदि आप इसे नंगी आँखों से देखेंगे तो आँखों में खराबी आने की संभावना बढ़ जाती है।

सूर्य ग्रहण में रखी जाने वाली सावधानियां (Surya grahan me kya nahi karna chahiye)

अब साथ के साथ आप यह भी जान लें कि यदि आपके यहाँ सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है तो उस समय आपको क्या कुछ सावधानियां रखनी चाहिए ताकि आपके ऊपर कम से कम प्रभाव पड़े। तो यहाँ आप यह अवश्य जान लें कि सूर्य ग्रहण लगने की स्थिति में आपको अपने घर से बिल्कुल भी बाहर नहीं निकलना चाहिए और ना ही भगवान की पूजा करनी (Solar eclipse me kya nahi karna chahiye) चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके ऊपर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसी कारण यह करने की सख्त मनाही होती है और हर किसी को इसका पालन करना जरुरी होता है।

इसी के साथ साथ आपको उस समय खाना नहीं खाना चाहिए और सूर्य ग्रहण के शुरू होने से पहले ही घर का सारा खाना खाकर ख़त्म कर देना चाहिए अन्यथा वह दूषित हो जाता है। सूर्य ग्रहण के ख़त्म होने के बाद पूरे घर में गंगा जल छिडकना चाहिए और स्नान करना चाहिए। इसी के साथ नया खाना बनाना चाहिए और उसे ही खाना चाहिए क्योंकि पुराना खाना तो दूषित हो चुका होगा।

सूर्य ग्रहण क्या होता है – Related FAQs

प्रश्न: सूर्य ग्रहण का अर्थ क्या होता है?

उत्तर: सूर्य ग्रहण का अर्थ होता है जब चंद्रमा पृथ्वी व सूर्य के बीच में आ जाता है और अपने प्रकाश से सूर्य को ढक लेता है।

प्रश्न: सूर्य ग्रहण क्यों होता है?

उत्तर: सूर्य ग्रहण इसलिए होता है क्योंकि यह एक खगोलीय घटना होती है और इस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता है।

प्रश्न: एक्लिप्स को हिंदी में क्या कहते हैं?

उत्तर: एक्लिप्स को हिंदी में ग्रहण कहते हैं।

प्रश्न: सूर्य ग्रहण में गर्भवती महिलाओं को क्या क्या नहीं करना चाहिए?

उत्तर: सूर्य ग्रहण में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और राम नाम का जाप करना चाहिए।

तो इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने सूर्य ग्रहण या सोलर एक्लिप्स के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। यहाँ आपने जाना कि सूर्य ग्रहण क्या होता है और इसके तहत क्या कुछ किया जा सकता है और क्या नहीं, साथ ही इसमें किस किस तरह की सावधानी बरतने की जरुरत होती है इत्यादि।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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