सतत विकास क्या है? | सतत विकास का उद्धारण, बाधाएं व पहलू | Sustainable development in Hindi

Sustainable development in Hindi:- विकास हर कोई चाहता है लेकिन वह विकास ऐसा भी ना हो कि आगे जाकर वह सर्वनाश का रूप ले ले। कहने का अर्थ यह हुआ कि आज हम विकास के नाम पर बड़े बड़े भवन बना रहे हैं जो कि एक अच्छी बात है क्योंकि उससे हमें तरह तरह की सुविधाएँ मिलती है लेकिन इन्हीं बड़े भवनों को बनाने के नाम पर यदि हम सभी पेड़ ही काट डालेंगे तो यह कैसा विकास हुआ? यह तो बस कुछ दिनों में विकास का अंत और विनाश की ही शुरुआत होगी।

ऐसे में वर्तमान व भविष्य की पीढ़ियों और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ना केवल भारत देश बल्कि पूरे विश्व के द्वारा एक नए विकास पर काम किया जाता है जिसे हम सभी सतत विकास के नाम से जानते हैं। इस सतत विकास को अंग्रेजी भाषा में सस्टेनेबल डेवलपमेंट के नाम भी जाना जाता है। बहुत लोगों ने सतत विकास का नाम सुन नहीं रखा होगा और उन्हें सस्टेनेबल डेवलपमेंट का नाम सुनकर इसके बारे में थोड़ा बहुत आईडिया हो गया (Sustainable development meaning in Hindi) होगा।

ऐसे में यह सतत विकास क्या है और यह किस तरह से किया जाता है, इसके बारे में जानना बहुत ही जरुरी हो जाता है। आज के इस लेख में हम आपके साथ सतत विकास के बारे में शुरू से लेकर अंत तक हर पहलू पर विस्तार से चर्चा करेंगे। तो आइये जाने सतत विकास के बारे में और सतत विकास होता क्या है, इसके बारे (Sustainable development explain in Hindi) में।

सतत विकास क्या है? (Sustainable development in Hindi)

सबसे पहले तो हम सतत विकास की क्या परिभाषा होती है, उसके बारे में जानने का प्रयास कर लेते हैं। अब इसकी परिभाषा तो कई तरह की होती है और अलग अलग लोगों के द्वारा उसे अलग अलग रूपों में परिभाषित किया जाता है या समझाया जाता है लेकिन इसकी मूल भावना एक ही है। इसलिए आइये सतत विकास की मूल भावना जो इसकी परिभाषा के बारे में भी बता देती है, उसके बारे में बात कर लेते (Sustainable development kya hai) हैं।

Sustainable development in Hindi

सतत विकास वह विकास होता है जब हम भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान की पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करने का कार्य करते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि एक ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी की जरूरतों को तो पूरा करे लेकिन उससे भविष्य की पीढ़ी की जरूरतों पर नकारात्मक प्रभाव ना पड़े। एक तरह से यह पर्यावरण की रक्षा करने से संबंधित किया जाने वाला विकास होता (Sustainable development kya hai in Hindi) है।

जब भी किसी चीज़ का विकास होता है या कहीं पर निर्माण हो रहा होता है तो उसके लिए कहीं ना कहीं पर तो विध्वंश हो ही रहा होता है। अब उस विध्वंश को इस तरह से किया जाए जिससे बाकि चीज़ों का नुकसान ना हो या किसी पर प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े तो उसी के लिए ही हम सतत विकास का सहारा लेते हैं। यदि अभी भी आप नहीं समझे हैं तो हम आपको एक उदाहरण देकर नीचे समझा (Sustainable development kya hota hai) देंगे।

यहाँ तो आप मूल रूप में यह समझ लें कि सतत विकास उस विकास को कहा जाता है जहाँ मनुष्यों के द्वारा पर्यावरण का नुकसान करने से बचाया जाता है और यदि कहीं पर नुकसान हो रहा है तो किसी अन्य तरीके से उसकी भरपाई की जाती है। इसके लिए किसी ऐसे विकास को प्राथमिकता नहीं दी जाती है या करने से बचाया जाता है जो भविष्य के लिए हानिकारक सिद्ध (What is sustainable development in Hindi) हो।

सतत विकास का उदाहरण (Sustainable development example)

उदाहरण के रूप में किसी जगह पर पुल को बनाया जाना है और वह पुल एक जंगल से होकर गुजरता है। अब उस पुल को बनाने के लिए जंगल के पेड़ों को काटना पड़ता है। ऐसे में पुल भी जरूरी है क्योंकि यह विकास का एक अंग है और उससे वर्तमान पीढ़ी की कई तरह की जरूरतें पूरी होगी लेकिन पेड़ों की कटाई करने से पर्यावरण को नुकसान होगा और यह भविष्य की पीढ़ी की जरूरतों को कम करेगी। एक तरह से यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा कर किया जाने वाला विकास माना जायगा जो कि अनुचित होगा।

ऐसे में वहां की सरकार या पुल का निर्माण करने वाली कंपनी वहां की जा रही पेड़ों की कटाई को किसी अन्य तरीके से क्षतिपूर्ति कर सकती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि वहां तो पेड़ों की कटाई होगी ही होगी क्योंकि पुल का मार्ग वहीं से है लेकिन सतत विकास के अंतर्गत उसकी क्षतिपूर्ति करने के लिए कुछ उपाय करना होगा। वह उपाय किसी अन्य जगह पर उतने ही पेड़ों को फिर से लगाया जाना और उनकी देखरेख किया जाना या पर्यावरण के लिए कुछ अन्य उपाय किया जाना इत्यादि हो सकता है। इसे ही हम सतत विकास कह सकते हैं।

सतत विकास के तीन पहलू (Types of sustainable development in Hindi)

अब हम सतत विकास के तीन मुख्य पहलुओं के बारे में बात कर लेते हैं जो इससे जुड़े हुए हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि सतत विकास जिन तीन स्तंभों पर खड़ा हुआ है, या जिनके बीच आपसी तालमेल बिठाकर उस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है, उसे हम सतत विकास के तीन पहलू कह सकते हैं। इन्हें हम सतत विकास के तहत तीन भाग, स्तंभ, लक्ष्य या क्षेत्र भी कह सकते हैं जो सतत विकास को पाने में अहम भूमिका निभाते हैं। यह तीन पहलू हैं:

  • समाज या सोशल
  • अर्थव्यवस्था या इकॉनमी
  • पर्यावरण या एनवायरनमेंट

अब ऊपर सतत विकास की परिभाषा को पढ़कर आपको लगा होगा कि सतत विकास का तात्पर्य केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखने से है। यदि ऐसा होता तो फिर उसे केवल पर्यावरण की रक्षा करने वाला ही मान लिया जाता लेकिन ऐसा नहीं है। सतत विकास का अभिप्राय पर्यावरण की रक्षा करने से भी बढ़कर है जहाँ हम कई तरह के पहलुओं को ध्यान में रखकर चलते हैं। कहने का अभिप्राय यह हुआ कि इन तीनों के तालमेल के बाद ही सतत विकास को प्राप्त किया जा सकता है।

इसके तहत हमें समाज में जाग्रति लानी होती है और वर्तमान पीढ़ी को उनकी जरूरतों को समझाना होता है। यदि अभी की पीढ़ी उसकी अनदेखी करेगी या ध्यान नहीं देगी तो सतत विकास का एक स्तम्भ टूट जाएगा और उससे सही विकास किया जाना मुश्किल हो जाएगा। उदाहरण के रूप में यदि अभी की पीढ़ी जल का दुरुपयोग करेगी तो अवश्य ही भविष्य में शुद्ध जल की कमी हो जाएगी जो कि घातक परिणाम लेकर आएगी।

इसी के साथ ही अर्थव्यवस्था को देखना भी बहुत जरुरी हो जाता है। किसी देश के द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था या उपलब्ध पैसों और संसाधनों के बलबूते पर किस तरह का विकास किया जा रहा है और वह उस देश के नागरिकों और नई आने वाली पीढ़ी को किस तरह से प्रभावित कर रहा है, यह भी बहुत मायने रखता है। इसी के साथ ही विकसित देश के द्वारा दूसरे देशों की किस तरह से सहायता की जा रही है और लड़ाई कम की जा रही है, यह भी सतत विकास को बनाने और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाता है।

तीसरा क्षेत्र जो पर्यावरण से जुड़ा हुआ है, उसके बारे में तो हमने ऊपर बात कर ही ली है। इसके तहत सतत विकास करने में पर्यावरण को सुरक्षित रखने अर्थात प्रकृति का सम्मान करने की बात कही गयी है। यदि आप प्रकृति की अनदेखी करते हैं और उसके घटकों को नुकसान पहुंचा कर विकास करते हैं तो यह ना तो आपके लिए अच्छा रहेगा और ना ही आगे वाली पीढ़ी के लिए।

सतत विकास में बाधाएं (Sustainable development barriers in Hindi)

अब सतत विकास को प्राप्त करने में कई तरह की बाधाएं भी आड़े आ रही है जो भविष्य को संकट में डालने का काम कर रही है। ऐसे में यह बाधाएं हम मनुष्य ही प्रकट कर रहे हैं अर्थात हमारे कारण ही यह सब बाधाएं उत्पन्न हो रही (Sustainable development issues and challenges in Hindi) है। सतत विकास में रूकावट लाने या उसमें किसी तरह की समस्या उत्पन्न होने के पीछे कई तरह की बाधाओं में से हम मुख्य पांच बाधाओं को आपके सामने रखने जा रहे हैं।

जनसँख्या विस्फोट

सतत विकास में बाधा उत्पन्न होने का सबसे बड़ा और प्रमुख कारण है जनसँख्या का लगातार बढ़ते जाना। एक तरह से अन्य सभी कारणों का भी यही मूल कारण है और इसी कारण हर जगह विनाश देखने को मिल रहा है। अब जैसे जैसे लोग बढ़ते जाते हैं वैसे वैसे ही उन्हें जगह, खाना, पीना इत्यादि सब चाहिए होता है। वह सब चाहिए तो प्रकृति का दोहन बढ़ जाएगा और सतत विकास में समस्या आएगी।

असीमित इच्छाएं

सतत विकास में बाधा उत्पन्न होने का दूसरा प्रमुख कारण हमारी ही कभी ना अंत होने वाली इच्छाएं हैं। अब लोगों को गाँव में नहीं रहना है, शहर में जाना है, कई तरह के ऐसे उत्पाद लेने हैं ताकि उन्हें शारीरिक श्रम ना करना पड़े और उनका काम बिना किसी मेहनत के हो सके। तो इन सभी के लिए तेजी के साथ औद्योगीकरण हो रहा है और जगह जगह फैक्ट्री खोली जा रही है। यह भी सतत विकास में बहुत बड़ी रूकावट में सामने आया है।

देशों में प्रतिस्पर्धा

आज यदि आप समाचार देखेंगे तो पाएंगे कि हर देश दूसरे देश से आगे निकलना चाहता है। इसके लिए वह तमाम तरह के नियमों की अनदेखी कर और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर तरह तरह का अंधाधुंध विकास करता है ताकि उसका दबदबा कायम रह सके। इसके लिए अमेरिका और चीन सबसे बड़े उदाहरण हैं जिन्होंने संपूर्ण विश्व में ही त्रासदी लाकर रख दी है। अब यह प्रतिस्पर्धा भी सतत विकास में बहुत बड़ी बाधा बनकर सामने आयी है।

पैसों का लालच

मनुष्य का लालच भी हमें बर्बादी की ओर लेकर जा रहा है। अब वह चाहे राजनेता हो या शासन प्रशासन। जिन अधिकारियों और कर्मचारियों और पुलिस के बलबूते हम पर्यावरण रक्षा की बात करते हैं, वे पैसों के लालच में अपने उत्तरदायित्व से मुहं मोड़ रहे हैं। अवैध खनन हो रहा है, चीज़ों में मिलावट हो रही है और भी बहुत कुछ हो रहा है लेकिन नेता, अधिकारी इत्यादि सभी उत्तरदायी व्यक्ति अपने मुहं में पैसों के नोट ठूंस रहे हैं।

अमीर लोग

सतत विकास में एक बहुत बड़ी बाधा अमीर लोग भी हैं। आप यदि आज भी रिपोर्ट निकाल कर देखेंगे तो पाएंगे कि पर्यावरण सहित बाकि सभी चीज़ों का दोहन करने में अमीर ही सबसे आगे हैं। उदाहरण के तौर पर एक शहर में यदि 100 परिवार रहते हैं तो उसमें से 95 परिवार कुल 10 एसी इस्तेमाल में लेते होंगे लेकिन बाकि के 5 अमीर 90 एसी चलाते होंगे। अमीर लोगों के एशो आराम और शौक ने सभी का जीवन दुविधा में डाल दिया है।

सतत विकास कैसे हासिल होगा?

अब यदि हमें और विश्व को सतत विकास हासिल करना है और उसके लिए प्रयास करने हैं तो बहुत कुछ किये जाने की जरुरत है। इसके लिए किसी एक देश के स्तर पर नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में ही अथक प्रयास करने होंगे। तभी जाकर हम आगे आने वाली पीढ़ी को एक सुरक्षित धरती देकर जाएंगे अन्यथा हम उन्हें एक ऐसी धरती देकर जाएंगे जहाँ बर्बादी के सिवाए और कुछ नहीं होगा।

इसके लिए जो जो प्रयास किये जा सकते हैं ताकि जल्द से जल्द हम सतत विकास में तेजी ला सकें और उस दिशा में बढ़ सकें, वह इस प्रकार हैं।

  • सभी देशों की सरकारों को एक साँझा कार्यक्रम बनाना होगा और उसके तहत कुछ नियम व अधिनियम बनाने होंगे। इन नियमों का पालन करना हर किसी के लिए अनिवार्य करना होगा और पालन नहीं किये जाने पर उन पर दंडात्मक कार्यवाही या प्रतिबंध लागू करने होंगे।
  • जो भी देश सतत विकास में कार्य नहीं कर रहा है या उसमें बाधा डाल रहा है, उस पर बाकि देश तरह तरह के वैश्विक प्रतिबंध लगाएं, उसके नागरिकों का वीजा बंद कर दें, उन्हें इस विश्व से अलग थलग कर दें और हो सके तो वहां की सत्ता को परिवर्तित कर उसे अपने हाथों में ले लें।
  • समाज में जाग्रति लानी होगी और इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित करना होगा। लोगों को यह बताना होगा कि कौन सा विकास सही है और कौन सा गलत। इसके लिए उन्हें अपने बच्चों का भविष्य दिखाना होगा ताकि वे कम से कम अपने बच्चों के लिए ही सही लेकिन सही दिशा में तो आ सकें।
  • उद्योग तो सही है लेकिन उन उद्योग के जरिये जो दोहन हो रहा है, उसे सीमित करना होगा। दोहन इतना अधिक भी ना हो कि वह जल्दी ही समाप्त हो जाए या आगे जाकर उस क्षेत्र में कोई संकट आ खड़ा हो।
  • जनसँख्या पर अंकुश लगाने की बहुत ज्यादा जरुरत है। इसके लिए सभी को ही कठोर नियम बनाने होंगे और तीसरा बच्चा होते ही उसके माता पिता पर दंडात्मक कार्यवाही करनी होगी। साथ ही उस तीसरे बच्चे को सरकार को अपने नियंत्रण में ले लेना होगा और उन्हें सभी तरह की सरकारी व निजी सुविधाओं से वंचित कर देना होगा।

इसी तरह के कई नियम और कानून बनाये जा सकते हैं जो सतत विकास को जारी रखने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। हालाँकि आज भी इसके लिए कई देशों के सरकारें तरह तरह के नियम बना रही है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसके लिए बहुत काम हो चुके हैं। फिर भी आम तौर पर देखकर लगता नहीं है कि हम पूर्ण रूप से सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और अभी भी सतत विकास को हासिल करने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकि है।

सतत विकास क्या है – Related FAQs 

प्रश्न: सतत विकास से आप क्या समझते है?

उत्तर: सतत विकास वह विकास होता है जब हम भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान की पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करने का कार्य करते हैं।

प्रश्न: सतत विकास के तीन प्रमुख प्रकार कौन से हैं?

उत्तर: सतत विकास के तीन प्रमुख प्रकार या पहलू हैं: समाज या सोशल, अर्थव्यवस्था या इकॉनमी, पर्यावरण या एनवायरनमेंट।

प्रश्न: सतत विकास का महत्व क्या है?

उत्तर: यह एक ऐसा विकास है जो वर्तमान पीढ़ी की जरूरतों को तो पूरा करता है लेकिन उससे भविष्य की पीढ़ी की जरूरतों पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न: सतत आर्थिक विकास का अर्थ क्या है?

उत्तर: सतत विकास वह विकास होता है जब हम भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान की पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करने का कार्य करते हैं।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने सतत विकास के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि सतत विकास क्या है सतत विकास में बाधाएं क्या हैं और सतत विकास कैसे हासिल होगा इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष रह गया है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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