|| स्विचिंग नेटवर्क क्या होता है? | Switching in computer network in Hindi | Switching network in Hindi | Circuit switching in computer network in Hindi | स्विचिंग नेटवर्क कैसे काम करता है? | स्विचिंग नेटवर्क के प्रकार | Switching network types in Hindi ||
Switching in computer network in Hindi :- हम कई तरह के नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं जिसके माध्यम से हम एक दूसरे को संदेश भेजने में सक्षम हो पाते हैं। अब यह संदेश आवाज में भी हो सकता है, टेक्स्ट मैसेज के रूप में भी हो सकता है तो वहीं इसमें छवियाँ या वीडियो भी हो सकती है। तो यह सभी संदेश या कनेक्शन एक जगह से दूसरी जगह नेटवर्क के माध्यम से ही पहुँचते हैं। तो इन सभी के बीच जो technique काम करती है उसे ही हम स्विचिंग नेटवर्क के नाम से जानते (Switching techniques explained in Hindi) हैं।
कहने का अर्थ यह हुआ कि हमारे द्वारा भेजे जा रहे संदेशों को दूसरी जगह तक सही और सुरक्षित रूप में पहुंचाने के लिए जिस तकनीक का उपयोग किया जाता है, उसे ही स्विचिंग नेटवर्क के नाम से जाना जाता है। बहुत से लोगों को इस स्विचिंग नेटवर्क के बारे में पता नहीं होगा और वे इसके बारे में जानना चाहते होंगे। तभी तो हम उन्हें स्विचिंग नेटवर्क के बारे में विस्तार से समझाने के लिए यह लेख लिख रहे (What is switching in networking in Hindi) हैं।
इस लेख के माध्यम से आपको स्विचिंग नेटवर्क के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा। यहाँ आप यह जानेंगे कि स्विचिंग नेटवर्क क्या होता है और इसके क्या कुछ प्रकार होते हैं। साथ ही यह तकनीक किस तरह से हमारे संदेशों को एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित और उसी रूप में पहुंचाने में सक्षम हो पाती है। आइये जाने स्विचिंग नेटवर्क क्या है और यह कैसे काम करता (Switching network meaning in Hindi) है।
स्विचिंग नेटवर्क क्या होता है? (Switching in computer network in Hindi)
इस लेख में हम स्विचिंग नेटवर्क के बारे में बात करने जा रहे हैं। क्या आपने कभी विचार किया है कि जब आप किसी को ईमेल करते हैं तो वह वैसा का वैसा दूर बैठे व्यक्ति की ईमेल आईडी पर कैसे पहुँच जाता है या किस प्रक्रिया के तहत पहुँचता है। या फिर जब आप किसी से फोन पर या टेलीफ़ोन पर बात कर रहे होते हैं तो वह आवाज कहीं दूर बैठे व्यक्ति को वैसी की वैसी कैसे सुनायी दे जाती है। तो यह सभी स्विचिंग नेटवर्क के कारण ही संभव हो पाता (What is switching in Hindi) है।
दरअसल जब एक जगह से दूसरी जगह या एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क में कनेक्शन स्थापित किया जाता है तो उनके बीच संदेशों के आदान प्रदान के लिए इसी स्विचिंग नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है। अब आप अपने घर बैठे अपने घर पर लगे वाई फाई कनेक्शन से या मोबाइल नेटवर्क के माध्यम से किसी को संदेश भेजते हैं। तो पहले वह संदेश आपके नेटवर्क तक पहुँचता है और उसके बाद वह स्विचिंग नेटवर्क के माध्यम से उसे दूसरे नेटवर्क तक पहुंचा देता (Network switch kya hota hai) है।
तो इसी तरह वह विभिन्न नेटवर्क पर स्विच या ट्रांसमिट होता हुआ आगे बढ़ता है और एक लंबी दूरी की यात्रा कर वहां पहुँच जाता है। उदाहरण के लिए आप अपने घर बैठे अपने वाई फाई से अपने दोस्त को एक ईमेल भेजते हैं। आपका दोस्त किसी दूसरे शहर में किसी अन्य वाई फाई पर काम कर रहा है और उसका सिस्टम उसी वाई फाई से जुड़ा हुआ है। तो जब आप उसे संदेश भेजते हैं तो पहले वह आपके वाई फाई नेटवर्क को मिलता (Switching network in Hindi) है।
उसके बाद आपका वाई फाई स्विचिंग नेटवर्क के माध्यम से उसे किसी अन्य नेटवर्क को ट्रांसमिट कर देता है। इस तरह से वह संदेश आपके और आपके दोस्त के बीच में विभिन्न तरह के नेटवर्क से होता हुआ या स्विच होता हुआ आगे बढ़ता चला जाता है। अंतिम रूप में वह आपके दोस्त के वाई फाई पर स्विच होता है और आपके दोस्त को वह संदेश प्राप्त हो जाता है। तो इसे ही स्विचिंग नेटवर्क कहा जाता है जो एक नोड को दूसरी से जोड़ने का काम करता (Network switch kya hai) है।
स्विचिंग नेटवर्क कैसे काम करता है? (Switching network kaise kaam karta hai)
अब हम जानेंगे कि यह स्विचिंग नेटवर्क किस तरह से काम कर पाता है या इसमें ऐसा क्या होता है जिससे यह एक संदेश को वैसा का वैसा दूसरी जगह भेज पाने में सक्षम होता है। तो जो भी संदेश आपके माध्यम से भेजा जाता है, वह एन्क्रिप्टेड मोड में आ जाता है अर्थात उसे सिस्टम की भाषा में बदल दिया जाता है जो कोई भी नहीं पढ़ सकता है। यह पूरा का पूरा संदेश एक कोड फॉर्म में होता है जिसे इतनी लंबी दूरी की यात्रा करनी होती है।
फिर इन नेटवर्क पर उस संदेश को स्विच किया जाता है अर्थात जो नेटवर्क उसके सबसे पास होता है, उस पर उसे भेज दिया जाता है या ट्रांसफर कर दिया जाता है। ट्रांसफर होते ही वह संदेश आगे की यात्रा करता है और दूसरे नेटवर्क तक पहुँच जाता है। फिर जब उसके पास दूसरा नेटवर्क आता है तो उसे उस पर स्विच कर दिया जाता है। इस तरह से वह संदेश एक से दूसरे नेटवर्क पर स्विच होता चला जाता है जब तक कि वह अपनी मंजिल तक ना पहुँच जाए।
यह संदेश किसी भी फॉर्म में या किसी भी तरीके से एक जगह से दूसरी जगह पर भेजा जाता है जो स्विचिंग नेटवर्क के प्रकारों के बारे में बताता है। ऐसे में इसे तीन तरह के प्रकारों में भेजा जा सकता है जिसके बारे में आप नीचे पढ़ने वाले हैं। यह उस संदेश की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए ही बनाये गए हैं।
स्विचिंग नेटवर्क के प्रकार (Switching network types in Hindi)
अब हमने आपको ऊपर ही बताया कि आपके द्वारा जो भी संदेश भेजा जा रहा है, उसे दूसरी जगह तक पहुँचाने में तीन तरह के प्रकारों का उपयोग किया जा सकता है जो स्विचिंग नेटवर्क के तीन प्रकारों को दर्शाते हैं। ऐसे में यदि आपको एक जगह से दूसरी जगह कोई भी संदेश भेजना है तो उसके लिए तीन तरह की तकनीक का उपयोग किया जाता है जो कि इस प्रकार है।
सर्किट स्विचिंग (Circuit switching in computer network in Hindi)
यह एक ऐसा मार्ग होता है जो केवल दो व्यक्तियों के बीच में ही स्थापित किया जाता है और यह उनके लिए उस समयकाल के लिए रिज़र्व अर्थात आरक्षित हो जाता है। इसमें एक व्यक्ति सेंडर की भूमिका निभाता है तो दूसरा व्यक्ति रिसीवर की भूमिका में होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि दोनों और से ही संदेशों का आदान प्रदान किया जाता है लेकिन यह रुक रुक कर नहीं बल्कि लगातार चलने वाला मार्ग होता है।
इसमें आप दोनों भौतिक रूप से एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं जो तारों के माध्यम से संभव हो पाता है। इसमें जब आप दोनों एक दूसरे के साथ संपर्क साधते हैं तो आप दोनों के बीच एक मार्ग निर्मित हो जाता है जिस पर कोई और नहीं आ सकता है। एक तरह से जब तक आप उस व्यक्ति के संपर्क में रहते हैं तब तक यह मार्ग आप दोनों के बीच में आरक्षित हो जाता (Circuit switching network in Hindi) है।
इसमें आपके द्वारा भेजा गया वह संदेश सामने वाले व्यक्ति तक बिना किसी बाधा के पहुँचता है और ठीक उसी तरह उसका संदेश आप तक पहुँच पाता है। यदि आप बेहतर तरीके से इसे समझना चाहते हैं तो आप टेलीफ़ोन का उदाहरण ले सकते हैं। जब आप किसी से फोन पर बातचीत कर रहे होते हैं तो आप दोनों के बीच एक नेटवर्क स्थापित हो जाता है और जब तक आप कॉल को काटते नहीं हैं, तब तक वह नेटवर्क बना रहता है।
सर्किट स्विचिंग कैसे काम करता है?
अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आखिरकार यह सर्किट स्विचिंग काम कैसे करता है या इसकी प्रक्रिया कैसी होती है, ताकि आप इसको लेकर झंझट की स्थिति में ना बने (Circuit switching in Hindi) रहें। तो इसमें तीन तरह के चरण होते हैं जिस पर यह प्रक्रिया काम करती है। यह तीनो चरण हैं:
- सर्किट का बनना: सबसे पहले तो आप किसी को टेलीफ़ोन के माध्यम से फोन मिलाते हैं और जैसे ही सामने वाला व्यक्ति आपका फोन चकता है तो उसी समय ही आप दोनों के बीच एक सर्किट बन जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि इसके माध्यम से आप दोनों के बीच एक मार्ग बन जाता है जो आप दोनों के बीच के संदेशों को प्रवाहित करने के लिए जरुरी होता है।
- डाटा का ट्रांसफर होना: सर्किट मार्ग स्थापित होते ही अब संदशों के स्विच होने का काम भी चालू हो जाता है। आप एक एंड से जो कुछ भी बोलते हैं, वह निर्बाध रूप से स्विच होता हुआ दूसरे व्यक्ति को सुनायी देता है और दूसरे एंड से वह व्यक्ति जो कुछ बोल रहा होता है, वह आपको सुनायी देता है। इस तरह से दोनों के बीच डाटा का ट्रांसफर हो रहा होता है।
- सर्किट का बंद हो जाना: फिर जब आप उसके साथ बातचीत पूरी कर लेते हैं तो दोनों में किसी के द्वारा भी वह फोन रखते ही वह मार्ग आप दोनों के लिए हमेशा के लिए बंद हो जाता है। अब ना तो वह व्यक्ति आपको कोई संदेश भेज सकता है और ना ही आप उसे किसी तरह का संदेश भेज पाने में सक्षम होते हैं। आप जब उसे फिर से कॉल करेंगे तो वह एक नया मार्ग स्थापित होगा।
पैकेट स्विचिंग (Packet switching in computer network in Hindi)
आज के समय में इस तरह की स्विचिंग का इस्तेमाल बहुतायत में किया जा रहा है क्योंकि इसमें संदेश को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि आप जो कुछ भी कहना चाह रहे हैं उसे अलग अलग टुकड़ों में बाँट कर आगे पहुंचाया जाता है। अब सर्किट स्विचिंग में तो आप केवल एक ही व्यक्ति तक एक ही बारी में अपना संदेश पहुंचा रहे थे लेकिन पैकेट स्विचिंग में इससे बहुत कुछ ज्यादा किया जा सकता (Packet switching in Hindi) है।
इसमें आप अपनी और से एक संदेश भेजते हैं और पैकेट स्विचिंग के माध्यम से वह संदेश अलग अलग पैकेट में बंट जाता है। फिर उस पैकेट को एक लंबी यात्रा करनी होती है और वह अलग अलग व्यक्तियों तक पहुँच जाता है। हर पैकेट के साथ उसका सोर्स एड्रेस, डेस्टिनेशन एड्रेस और किस किस मार्ग से उसे यात्रा करनी है, यह जानकारी निहित होती है। फिर वह उसी मार्ग से आगे बढ़ता हुआ अपने गंतव्य स्थल तक पहुँच जाता है।
इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें किसी भी तरह का एरर नहीं होता है और यह बहुत ही तेज गति से होने वाली प्रक्रिया है। इसमें आपका संदेश इतनी तेज गति के साथ दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाया जाता है कि बहुत ज्यादा समय में होने वाला काम कुछ ही समय में संभव हो जाता है। यदि आप पैकेट स्विचिंग को बेहतर तरीके से समझना चाहते हैं तो आप इंटरनेट का उदाहरण ले सकते हैं जो संदेशों को एक साथ कई जगह मोड़ सकता है।
पैकेट स्विचिंग कैसे काम करता है?
अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि यदि आप पैकेट स्विचिंग के माध्यम से अपने संदेश को भेज रहे हैं तो यह तकनीक किस तरह से काम करती है या इसमें किस तरह के माध्यम इस्तेमाल में लाये जाते (Packet switching network in Hindi) हैं। तो पैकेट स्विचिंग में दो तरह के माध्यम काम में लिए जाते हैं जिसमें से पहला माध्यम डाटाग्राम का होता है तो वहीं दूसरा माध्यम वर्चुअल नेटवर्क का होता है। अब आपको इन दोनों के बारे में ही जान लेना चाहिए ताकि आपके मन में किसी तरह की शंका शेष ना रहने पाए।
डाटाग्राम पैकेट स्विचिंग (Datagram switching in Hindi)
पैकेट स्विचिंग में जिस तकनीक का सबसे पहले इस्तेमाल किया जाता है उसे हम सभी डाटाग्राम पैकेट स्विचिंग के नाम से जानते हैं। यह स्विचिंग नेटवर्क का एक ऐसा प्रकार है जिसमें एक संदेश को छोटे छोटे पैकेट में तो बदला जाता ही है बल्कि इसी के साथ ही उसे स्वतंत्र रूप से एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यह सभी पैकेट बिना किसी रोकटोक के स्वतंत्र रूप से अपनी अंतिम जगह तक पहुँचते हैं।
यहाँ पर एक पैकेट का दूसरे पैकेट से किसी तरह का संबंध नहीं होता है और वे निर्बाध रूप से आगे बढ़ते चले जाते हैं। हर पैकेट का अपना एक डेस्टिनेशन एड्रेस होता है। ऐसे में एक ही जगह पर यदि तीन पैकेट भेजे गए हैं तो वे अलग अलग रूप में यात्रा करते हुए वहां पहुँचते हैं। ऐसे में कोई भी पैकेट दूसरे वाले से पहले पहुँच सकता है जो इसका एक नुकसान भी कहा जा सकता है।
वर्चुअल पैकेट स्विचिंग (Virtual packet switching in Hindi)
यह पैकेट स्विचिंग का एक व्यवस्थित रूप कहा जा सकता है क्योंकि डाटाग्राम पैकेट स्विचिंग में तो सभी पैकेट्स को खुला छोड़ दिया जाता है और हर कोई अपने अपने मार्ग से यात्रा करते हुए आगे पहुँचता है। इससे बहुत बार यह देखने में आता है कि जो संदेश डेस्टिनेशन तक पहुँचता है वो बहुत ही ख़राब या ना पढ़ी जा सकने वाली स्थिति में हो सकता है।
ऐसे में वर्चुअल पैकेट स्विचिंग के माध्यम से भेजने वाले और संदेश पाने वाले के बीच में एक वर्चुअल नेटवर्क स्थापित कर दिया जाता है। फिर भेजने वाले के संदेश को छोटे छोटे पैकेट में बदल कर उसी मार्ग से ही आगे बढ़ाया जाता है। इस तरह से संदेश जिसको मिलना होता है, उसे वह एक व्यवस्थित ढंग में मिलता है।
मैसेज स्विचिंग (Message switching in Hindi)
यह स्विचिंग नेटवर्क का एक ऐसा रूप है जिसमें सेंडर और रिसीवर के बीच में किसी नेटवर्क मार्ग को स्थापित करने की जरुरत नहीं होती है और संदेश को स्टोर और फॉरवर्ड के माध्यम से आगे बढ़ाया जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि इसमें जो भी संदेश भेजा जाता है, वह बिना किसी नेटवर्क मार्ग के ही आगे बढ़ता है और उसके लिए मैसेज स्विचिंग का माध्यम अपनाया जाता है।
तो यह इस तरह से कार्य करता है कि जब आप किसी दूसरे व्यक्ति को कोई संदेश भेजते हैं तो वह टेक्स्ट या इमेज या वीडियो फॉर्मेट में होता है। आप उसके साथ उसी समय लाइव बात नहीं कर रहे होते हैं। हालाँकि आप इस संदेश में उसे आवाज वाली रिकॉर्डिंग भेज सकते हैं लेकिन एक सीमा तक ही। इसके बाद आपका संदेश एक नेटवर्क से होता हुआ दूसरे नेटवर्क में प्रवेश करता है। यहाँ पर निश्चित मार्ग नहीं होता है तो इसी कारण दूसरा नेटवर्क उसे स्टोर कर लेता है।
जब वह उसे स्टोर कर लेता है तो वह उस संदेश को वैसा का वैसा ही आगे के नेटवर्क को फॉरवर्ड कर देता है। इस तरह से वह संदेश यात्रा करते हुए अपने गंतव्य स्थल तक पहुँच जाता है और संदेश मिल जाता है। मैसेज स्विचिंग को बेहतर तरीके से समझने के लिए आप ईमेल का उदाहरण ले सकते हैं जिस पर पहले से ही कोई निश्चित मार्ग स्थापित नहीं किया जाता है।
मैसेज स्विचिंग कैसे काम करता है?
अब जब आपने सर्किट स्विचिंग और पैकेट स्विचिंग को अच्छे से समझ लिया है तो आपके लिए मैसेज स्विचिंग की कार्य प्रणाली को समझना भी उतना ही जरुरी हो जाता है। तो यह संदेश भेजने, स्टोर करने, फॉरवर्ड करने और फिर उस संदेश को प्राप्त करने की प्रणाली से जुड़ा हुआ है। आइये इसके बारे में बेहतर तरीके से समझ लेते हैं ताकि आपको स्विचिंग नेटवर्क का यह अंतिम प्रकार भी समझ में आ जाए।
- मैसेज को भेजना: सबसे पहले तो किसी व्यक्ति के द्वारा दूसरे के गंतव्य तक किसी संदेश को भेजने के लिए उसे ट्रिगर किया जाता है। जैसे ही वह मैसेज ट्रिगर होता है तो वह आगे चला जाता है और अपनी यात्रा पर निकल पड़ता है।
- स्टोर करना: अब जब वह किसी नेटवर्क को मिलता है तो वह पहले तो उस मैसेज को अपने यहाँ स्टोर करता है ताकि वह लॉस्ट ना हो जाए। ऐसा इसलिए भी किया जाता है क्योंकि उसका कोई मार्ग नहीं होता है और ऐसे में उसके लॉस्ट होने का ख़तरा बना रहता है। तो पहले नेटवर्क के द्वारा उसे स्टोर कर लिया जाता है।
- फॉरवर्ड करना: अब जब नेटवर्क के द्वारा पूरे के पूरे मैसेज को अपने अंदर स्टोर कर लिया जाता है तो फिर वह उस मैसेज को दूसरी जगह भेजने के लिए उसे फॉरवर्ड करता है जिसे हम स्विचिंग कह सकते हैं। इसके द्वारा उस मैसेज को वैसे के वैसे फॉर्मेट में ही आगे धकेल दिया जाता है या फॉरवर्ड कर दिया जाता है।
- मैसेज प्राप्त करना: इस तरह से वह मैसेज कई तरह के नेटवर्क पर स्टोर व फॉरवर्ड होता हुआ आगे बढ़ता चला जाता है और अंत में अपने गंतव्य स्थल तक पहुँच जाता है। वहां पर इस मैसेज को उसके पाने वाले व्यक्ति तक भेज दिया जाता है जिसे वह पढ़ सकता है।
इस तरह से स्विचिंग नेटवर्क के माध्यम से कई तरह के संदेशों को एक जगह से दूसरी जगह भेज पाना संभव हो पाता है और वो भी एक तरह के तरीके से नहीं बल्कि अलग अलग तरीकों के माध्यम से। इसमें किसी तकनीक का कहीं पर इस्तेमाल किया जाता है तो किसी तकनीक का किसी अन्य जगह में इस्तेमाल किया जाता है।
स्विचिंग नेटवर्क के लाभ (Switching network benefits in Hindi)
अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आखिरकार नेटवर्क के स्विचिंग करने से हमें क्या कुछ लाभ मिलते हैं। तो पहले के समय में एक संदेश को दूसरी जगह तक पहुंचाने के लिए बहुत समय लगता था और उनके बीच जब तक एंड टू एंड कनेक्शन ना हो तब तक उन्हें भेजा जाना लगभग असंभव सा था।
अब जब से यह स्विचिंग नेटवर्क का कॉन्सेप्ट आया है तब से ही एक नेटवर्क के संदेश को दूसरे नेटवर्क में भेजकर इस प्रक्रिया को बहुत ही सरल और प्रभावी बना दिया गया है। इसके माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति को स्विचिंग नेटवर्क के माध्यम से एकदम सही और सटीक संदेश पहुँचाया जाना संभव हो पाया है।
स्विचिंग नेटवर्क के नुकसान
इसी के साथ ही आपको स्विचिंग नेटवर्क से होने वाले कुछ नुकसानों के बारे में भी जान लेना चाहिए। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि हैकर आपके द्वारा भेजे गए संदेश को बीच में ही रोक सकते हैं, उसकी जानकारी को चुरा सकते हैं, संदेश में किसी तरह का बदलाव कर सकते हैं या अन्य कोई छेड़खानी कर सकते हैं।
ऐसे में आपको बहुत ही संभल कर और सुरक्षित माध्यम से ही दूसरे व्यक्ति को संदेश पहुँचाना चाहिए क्योंकि इसमें कभी भी किसी भी तरह की छेड़खानी संभव है। यह आपके लिए और दूसरे व्यक्ति के लिए दोनों के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती है।
स्विचिंग नेटवर्क क्या होता है – Related FAQs
प्रश्न: स्विचिंग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: हमारे द्वारा भेजे जा रहे संदेशों को दूसरी जगह तक सही और सुरक्षित रूप में पहुंचाने के लिए जिस तकनीक का उपयोग किया जाता है, उसे ही स्विचिंग नेटवर्क के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न: नेटवर्किंग में स्विचिंग कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: स्विचिंग नेटवर्क के 3 प्रकार हैं जिनके बारे में संपूर्ण जानकारी को हमने ऊपर के लेख के माध्यम से देने क्या प्रयास किया है।
प्रश्न: स्विचिंग क्या है और स्विचिंग के प्रकार
उत्तर: हमारे द्वारा भेजे जा रहे संदेशों को दूसरी जगह तक सही और सुरक्षित रूप में पहुंचाने के लिए जिस तकनीक का उपयोग किया जाता है, उसे ही स्विचिंग नेटवर्क के नाम से जाना जाता है और स्विचिंग नेटवर्क के 3 प्रकार हैं।
प्रश्न: पैकेट स्विचिंग के दो दृष्टिकोण क्या हैं?
उत्तर: पैकेट स्विचिंग के 2 दृष्टिकोण डाटाग्राम पैकेट स्विचिंग और वर्चुअल पैकेट स्विचिंग हैं।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने स्विचिंग नेटवर्क के बारे में जान लिया है। आपने जाना कि स्विचिंग नेटवर्क क्या होता है स्विचिंग नेटवर्क कैसे काम करता है स्विचिंग नेटवर्क के प्रकार क्या हैं इत्यादि। आशा है कि जो जानने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह जानकारी आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।