हमारे देश में शादी को सबसे पवित्र बंधन माना जाता है और कहा जाता है कि यह सात जन्म का बंधन होता है। लेकिन कई बार ऐसी परिस्थितियां आती है कि यह बंधन एक जन्म भी पूरा नहीं कर पाता। उनमें कई प्रकार के मतभेद पनप जाते हैं। पति-पत्नी एक दूसरे का और साथ बर्दाश्त नहीं कर पाते तथा तलाक लेकर अलग हो जाते हैं। कई बार वे सहमति से अलग होते हैं तो कई बार एक पक्ष की असहमति तलाक की प्रक्रिया को जटिल बना देती है।
तलाक भी कोई मुफ्त में नहीं होता। इस पर अच्छा-खासा खर्च होता है। क्या आप भी यह जानना चाहते हैं कि तलाक में कितना खर्च होता है? तो आज की इस पोस्ट को आपको ध्यान से पढ़ना होगा। इस पोस्ट में हम आपको इसी संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
तलाक क्या होता है? (What is divorce?)
दोस्तों, तलाक एक उर्दू का शब्द है इसे हिंदी में विवाह विच्छेद कहा जाता है। आप विवाह विच्छेद कहिए या तलाक, इसका अर्थ शादी के उपरांत किसी ठोस वजह की वजह से जीवन साथी के साथ न रह पाने और कानूनी रूप से उससे संबंध तोड़ लेने से लगाया जाता है। तलाक की प्रक्रिया (divorce process) कई बार लंबी भी होती है और जटिल भी। इसके अलावा पति या पत्नी का गुजारा भत्ता, यदि बच्चे हैं तो उनकी कस्टडी से जुड़े कई मामलों पर भी सुनवाई होती है।
तलाक के क्या-क्या आधार होते हैं? (What are the basis of divorce?)
दोस्तों, आपको बता दें कि सामान्य रूप से हिंदू विवाह अधिनियम (hindu marriage act) में ऐसे कई आधार (basis) बताए गए हैं, जिनके आधार पर विवाह-विच्छेद हो सकता है। इसी प्रकार मुस्लिम धर्म (muslim religion) में भी निकाह करने वाले लोगों के बीच कई आधार पर तलाक हो सकता है। आपको बता दें दोस्तों कि सामान्यतः यदि कोई पति/पत्नी किसी बड़ी बीमारी जैसे एड्स (AIDS), सिफलिस (ciflis), कुष्ठ रोग आदि से ग्रसित हों तो संबंधित व्यक्ति का साथी तलाक ले सकता है। इसके अतिरिक्त तलाक के निम्न आधार हो सकते हैं-
- यदि पति अथवा पत्नी में से कोई भी शादी के एक साल के भीतर शादी से पूरी तरह इनकार कर दे।
- यदि किसी पति अथवा पत्नी को सात साल से अधिक की कैद हो और एक साल की कैद बीत चुकी हो तो ऐसे में पति/पत्नी तलाक के लिए आवेदन कर सकता है।
- यदि पति/पत्नी में से कोई भी 2 साल से अधिक समय से अलग रह रहा हो।
- यदि पति/पत्नी दोनों में से किसी ने अपना धर्म बदल (religion change) लिया।
- यदि विवाह के समय पति या पत्नी से यह रहस्य छिपाया गया हो कि दूसरा पक्ष मानसिक रुप से अस्वस्थ (mentally ill) है।
- यदि शादी के समय महिला गर्भवती हो।
- यदि पति या पत्नी में से किसी के साथ क्रूरता/मार-पीट का व्यवहार किया जा रहा हो। इसमें शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की क्रूरता शामिल है।
- यदि पत्नी अथवा पत्नी व्यभिचारी हो। यानी कि उसका किसी विवाहित अथवा अविवाहित पुरुष/महिला से संबंध हो।
- यदि दोनों मे से कोई भी यौन रोग/संक्रामक रोग से पीड़ित हो।
तलाक में कितना खर्च आता है? (How much does it costs to divorce?)
दोस्तों, अब हम आपको जानकारी देंगे कि तलाक में कितना खर्च आता है? यदि सामान्य रूप से कहे तो तलाक की प्रक्रिया पर आने वाले खर्च को ठीक-ठाक नहीं बताया जा सकता है। क्योंकि यह वकील के हिसाब से अलग-अलग होती है। कुछ वकील सारी फीस अग्रिम (advance) में ही ले लेते हैं, तो वहीं कई वकील सुनवाई (hearing) के हिसाब से अलग-अलग राशि (amount) निर्धारित करते हैं।
यदि तलाक सहमति से होता है और आसानी से होता है तो खर्च कम आता है, लेकिन यदि तलाक को लेकर एक पक्ष की असहमति होती है, यह प्रक्रिया लंबी चलती है और बच्चों की कस्टडी, संपत्ति आदि इश्यू निपटाने होते हैं तो तलाक की प्रक्रिया जटिल हो जाती है। ऐसे में उस पर होने वाले खर्च में भी बढ़ोत्तरी हो जाती है। सामान्यतः तलाक पर होने वाला खर्च 10 हजार रुपए से लेकर 50 हजार रुपए के बीच हो सकता है।
तलाक की लागत को कौन कौन से कारक प्रभावित करते हैं? (What are the factors that affect the cost of divorce?)
मित्रों, यह तो हमने आपको बता दिया है कि तलाक पर कितना खर्च आता है इसके बारे में कुछ भी सीधे तौर पर नहीं कहा जा सकता। इसके बारे में कुछ कारकों का आंकलन कर केवल अंदाजा लगाया जा सकता है। तलाक की लागत को कई कारक प्रभावित करते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-
तलाक की कानूनी लागत (legal cost of divorce) :
- यदि तलाक आपसी सहमति से है तो उसमें विवादास्पद तलाक की अपेक्षा कम खर्च होगा।
- जितना अधिक दंपत्ति मुख्य मुद्दों पर असहमत होता है, उतना ही अधिक महंगा तलाक होता है।
- यदि तलाक लेने वाले दंपति के नाबालिग बच्चे हैं तो उनका तलाक बिना बच्चों अथवा वयस्क बच्चों के साथ तलाक की तुलना में अधिक महंगा होगा। यदि संपत्ति (property) के विभाजन को लेकर असहमति हो तो इससे तलाक की लागत में बढ़ोतरी हो जाएगी।
- जिस तलाक में गुजारा-भत्ता भी शामिल होता है, वह अधिक महंगा पड़ता है।
वकील की फीस (lawyer’s fee) :
तलाक के केस में कोई वकील घंटे के हिसाब से फीस ले सकता है। वह चाहे तो अपने द्वारा किए गए कानून संबंधी कार्य के लिए वह एक निर्धारित अथवा फ्लैट फीस भी वसूल कर सकता है। लगभग हर वकील एक एडवांस मेंटेनेंस फीस चार्ज करता है। आमतौर पर यह राशि वापस अथवा रिफंड नहीं की जाती है।
फाइलिंग फीस व अन्य चार्ज (filing fee and other charges) :
दोस्तों, तलाक के केस में भी अन्य मामलों की तरह फाइलिंग फीस चार्ज (filing fee charge) की जाती है। इसमें कागजात की जेरॉक्स व अन्य सेट तैयार करने में हुए खर्च शामिल होते हैं। यदि आवश्यक हो तो मध्यस्थ यानी मिडिलमैन (middleman) पर होने वाला खर्च एवं एकाउंटेंट की लागत cost of (accountant) भी चुकानी पड़ सकती है। यदि तलाक के केस में किसी प्रकार की यात्रा (traveling) की आवश्यकता पड़ती है तो उसकी लागत चुकानी पड़ती है। इसके अतिरिक्त कई ऐसे खर्च होते हैं, जिनका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। इन खर्चों को अन्य विविध खर्चों (other miscellaneous expenses) की श्रेणी में रखा जाता है।
- तलाक के बाद बच्चे की कस्टडी कैसे मिलती है? बच्चे की कस्टडी कैसे प्राप्त करें? Child Custody In India
क्या कोई ऐसे उपाय भी हैं, जिनके माध्यम से तलाक में होने वाले खर्च में कमी लाई जा सकती है? (Are there any ways through which the expenses on divorce can be minimised?)
दोस्तों, यदि आप वित्तीय रूप से अच्छी स्थिति में नहीं है और आप चाहते हैं कि आप की तलाक की लागत में कुछ कमी आए तो इसके लिए कुछ तरीके आप अपना सकते हैं। सबसे पहले आप अपने वकील को बताएं कि आपकी वित्तीय स्थिति (financial condition) अच्छी नहीं है। वह आपको कुछ अच्छे व्यावहारिक विकल्प (practical option) सुझा सकता है। यदि आपका पति/पत्नी आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति में है, तो आप एक आवेदन कर जज (judge) से कानूनी शुल्क (legal fee) का भुगतान (payment) करने के लिए पति/पत्नी को आदेश देने की दरख्वास्त कर सकते हैं।
अपने तलाक से पहले गुजारा भत्ता कैसे प्राप्त करें? (How to get maintenance allowance before your divorce?)
दोस्तों, यह तो अभी जानते होंगे कि अधिकांश केसों में महिलाओं की ओर से गुजारा भत्ता यानी मेंटेनेंस अलाउंस (maintenance allowance) के लिए कोर्ट में अर्जी दी जाती है, क्योंकि वे पूरी तरह से आर्थिक रूप से अपने पति पर निर्भर होती हैं। उनके बच्चे भी होते हैं जिन्हें गुजारा व्यय और पोषण की आवश्यकता होती है। ऐसे में कोर्ट की ओर से तलाक से पहले ही गुजारा भत्ता दिए जाने की व्यवस्था की गई है, जिसे अंतरिम गुजारा भत्ता (interim maintenance allowance) भी पुकारा जाता है। इसके लिए तलाक की अर्जी के साथ ही कोर्ट में एक और अर्जी लगाई जाती है। जिसमें इस संबंध में कोर्ट की ओर से आदेश देने की गुजारिश की जाती है।
आपको यह भी बता दें दोस्तों कि वर्तमान में केवल आर्थिक रूप से पति पर आश्रित पत्नी ही नहीं, बल्कि ऐसे पति भी गुजारा भत्ता के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिनकी आय का कोई स्रोत नहीं है। जिनकी पत्नी किसी सरकारी नौकरी पर है या उसे अपने पेशे से बेहतर आय की प्राप्ति हो रही है। यदि आप सोच रहे हैं कि गुजारा भत्ता की यह राशि कितनी होती है? तो आपको बता दें दोस्तों कि यह राशि कोर्ट द्वारा दोनों पक्षों की स्थिति एवं उनकी आय (status and income) के आधार पर तय होती है। इस संबंध में कोर्ट संबंधित पक्षों के जीवन स्तर (standard of living) एवं उनकी आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखती है।
तलाक क्या होता है?
विवाह अथवा निकाह के उपरांत किसी व्यक्ति का किसी ठोस वजह की बिना पर कानूनी रूप से अपने जीवन साथी से संबंध तोड़ लेना तलाक कहलाता है।
तलाक को अन्य किस नाम से पुकारा जाता है?
तलाक को विवाह विच्छेद के नाम से भी पुकारा जाता है।
कोई व्यक्ति किस किस आधार पर तलाक ले सकता है?
तलाक किस आधार पर लिया जा सकता है? इसकी सारी वजहों की जानकारी हमने आपको पर पोस्ट में दी है। आप वहां से देख सकते हैं।
तलाश में कितना खर्च आता है?
इस संबंध में सीधा-सीधा कुछ भी नहीं कहा जा सकता। लेकिन एक अनुमान के अनुसार तलाक लेने में लगभग 10,000 रुपए से लेकर ₹50000 रुपए तक का खर्च आता है।
क्या तलाक की लागत कम कराने का कोई तरीका है?
इन तरीकों के बारे में हमने आपको ऊपर पोस्ट में जानकारी दी है। आप वहां से देख सकते हैं।
क्या तलाक से पहले भी गुजारा भत्ता लिया जा सकता है?
जी हां, इसके लिए संबंधित कोर्ट में अंतरिम गुजारा भत्ता प्राप्त करने के लिए साथ-साथ दरख्वास्त लगाई जा सकती है।
अंतरिम गुजारा भत्ता लेने के लिए आवेदन कब किया जा सकता है?
अदालत में तलाक की अर्जी लगाए जाने के साथ ही अंतरिम गुजारा भत्ता लेने के लिए भी कोर्ट में आवेदन किया जा सकता है।
दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको बताया कि तलाक में कितना खर्च आता है? उम्मीद करते हैं कि इस पोस्ट से आपकी जानकारी में बढ़ोतरी हुई होगी। यदि ऐसी ही जानकारी भरी पोस्ट आप हमसे चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमें बताएं। ।।धन्यवाद।।
———————–