आम तौर पर जब भी आप बैंक में अपना कोई एकाउंट खुलवाते हैं तो वह बचत खाते यानी सेविंग बैंक एकाउंट के रूप में खोला जाता है। जैसे आप प्रधानमंत्री जनधन खाते का ही उदाहरण ले लीजिए, वह भी सेविंग एकाउंट के रूप में ही खोला जाता है।
लेकिन आपको बता दें कि सेविंग बैंक एकाउंट में एक निश्चित धनराशि से अधिक लेन-देन पर वह इनकम टैक्स की जांच के दायरे में आ जाता है। यह लिमिट कितनी है? सेविंग एकाउंट पर टैक्स के नियम क्या क्या हैं? आज इस पोस्ट में हम आपको ऐसे ही बुनियादी सवालों की जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
सेविंग बैंक एकाउंट कितने प्रकार के होते हैं?
दोस्तों, इससे पूर्व कि हम सेविंग एकाउंट पर टैक्स के नियमों को जानें, आइए समझ लेते हैं कि सेविंग बैंक एकाउंट कितने प्रकार के होते हैं। मित्रों, आपको बता दें कि आम तौर पर सेविंग बैंक एकाउंट यानी बचत खाते दो प्रकार के होते हैं।
पहला-रेगुलर सेविंग एकाउंट (regular savings account) यानी सामान्य बचत खाता एवं दूसरा-बेसिक सेविंग बैंक डिपाॅजिट एकाउंट (basic savings bank deposit account)। इसे बुनियादी बचत खाता के नाम से भी पुकारा जाता है। अब समझ लेते हैं कि इन दोनों में क्या अंतर है।
दोस्तों, सेविंग बैंक एकाउंट में पैसा डिपाजिट करने अथवा निकालने से संबंधित कोई लिमिट नहीं होती। यद्यपि यदि कोई बैंक चाहे तो अपने यहां सेविंग एकाउंट की डिपाजिट लिमिट (deposit limit) तय कर सकता है। लेकिन बात बेसिक सेविंग बैंक एकाउंट डिपाजिट की करें तो इसमें अधिकतम जमा करने एवं निकालने की लिमिट होती है। इन खातों को जीरो बैलेंस एकाउंट (zero balance account) के नाम से भी जानते हैं।
प्रधानमंत्री जनधन खाता एक इसी प्रकार का खाता है। ऐसे खाते अधिकांशतः वित्तीय समावेशन (financial inclusion) की सुविधा के लिहाज से खोले जाते हैं। सेविंग बैंक एकाउंट का एक सामान्य वर्गीकरण इस प्रकार से किया जा सकता है-
1-रेगुलर सेविंग्स एकाउंट (regular savings account)- यह सामान्य बचत खाता है। कई बैंक इस खाते में मिनिमम बैलेंस (minimum balance) रखने की शर्त रखते हैं।
2-सैलरी सेविंग्स एकाउंट (salary savings account)- यह वेतन खाता है। कंपनियां अपने कर्मचारियों की सैलरी के लिए बैंकों में यह खाता खुलवाते हैं।
3-सीनियर सिटीजंस सेविंग्स एकाउंट (senior citizen savings account)- इन खातों में वरिष्ठ नागरिक अपनी बचत की कमाई रखते हैं, ताकि उस आने वाले ब्याज से उनकी आय हो सके।
4-माइनर्स सेविंग्स एकाउंट (minors savings account)- यह खाता अभिभावक अपने बच्चों के लिए खुलवाते हैं। उनके नाम से इसमें बचत का पैसा डालते हैं।
5-जीरो बैलेंस सेविंग एकाउंट (zero balance savings account)- इस बचत खाते में कोई मिनिमम बैलेंस रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती। प्रधानमंत्री जनधन खाता इसका विशेष उदाहरण है।
सेविंग एकाउंट के क्या क्या लाभ है?
दोस्तों, यह सवाल आपके मन में अवश्य उठ रहा होगा कि एक सेविंग एकाउंट के क्या क्या लाभ हैं। तो हम आपको बता देते हैं-
- सबसे पहला लाभ यह है, जो कि इसके नाम से भी स्पष्ट है कि इसमें आप अपनी बचत का पैसा रख सकते हैं।
- इसमें रखे पैसे पर चार से छह प्रतिशत तक ब्याज (interest) मिलता है। कुछ बैंकों में ब्याज की दर सात प्रतिशत तक भी होती है।
- इस एकाउंट का इस्तेमाल क्रेडिट कार्ड बिल (credit card bill) अथवा दूसरे अन्य प्रकार के यूटिलिटी बिलों के भुगतान के लिए भी किया जाता है।
- वित्तीय बाजार (financial market) में ट्रेड (trade) के लिए सेविंग एकाउंट होना आवश्यक होता है।
सेविंग एकाउंट पर टैक्स के नियम 2024-
अब हम आपको जानकारी देंगे कि सेविंग एकाउंट पर टैक्स के नियम क्या क्या हैं? सबसे पहले इन खातों के ब्याज पर टैक्स छूट (tax rebate) की बात कर लेते हैं-
सेविंग एकाउंट के ब्याज पर कितनी टैक्स छूट मिलती है
दोस्तों, सेविंग बैंक एकाउंट खोलने का अधिकांश लोगों का लक्ष्य अपनी बचत को सुरक्षित करना एवं उससे मिलने वाले खाते से अपनी आय में बढ़ोत्तरी करना होता है। आपको बता दें कि बचत खाते के ब्याज पर उम्र के हिसाब से अलग अलग टैक्स छूट प्रदान की जाती है, जो कि इस प्रकार से है-
1. 60 साल से कम उम्र के खाताधारकों को टैक्स छूट-
मित्रों, आपको बता दें कि 60 वर्ष से कम उम्र के बचत बैंक खाताधारकों के लिए 10 हजार रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री किया गया है। यह छूट सालाना (annual) मिलती है। इसका प्रावधान इनकम टैक्स एक्ट (income tax act) की धारा 80 टीटीए के अंतर्गत किया गया है।
इस धारा के तहत मिलने वाली टैक्स छूट केवल सेविंग बैंक एकाउंट तक ही सीमित है। बैंक (bank), को आपरेटिव सोसायटी (co operative society) अथवा पोस्ट आफिस (post office) के बचत खातों के मामले में भी 10 हजार रुपये सालाना तक की ब्याज आय टैक्स के दायरे में नहीं आती।
अन्य खातों अथवा बचत योजनाओं से मिलने वाले ब्याज को इस नियम के तहत मिलने वाली टैक्स छूट में शामिल नहीं किया जाता है। जैसे इसमें एफडी (FD), आरडी (RD) अथवा अन्य किसी तरह के डिपाॅजिट (deposit) का ब्याज शामिल नहीं किया जाता।
2. 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले खाताधारकों के लिए ब्याज पर टैक्स छूट-
दोस्तों, आपको बता दें कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के बचत बैंक खाताधारकों के लिए सालाना 50 हजार रुपये तक ब्याज टैक्स फ्री किया गया है। इसके लिए आयकर अधिनियम यानी इन्कम टैक्स एक्ट (income tax act) की धारा 80 टीटीबी के अंतर्गत प्रावधान किया गया है।
यह नियम एक अप्रैल, 2018 से लागू हुआ है। इसमें सभी प्रकार के सेविंग एकाउंट के साथ ही फिक्सड डिपाजिट (fixed deposit) से मिले ब्याज को भी शामिल किया जाता है।
इसे आप यूं भी समझ सकते हैं कि यदि कोई व्यक्ति बचत खाते पर सालाना 55 हजार रुपये का ब्याज पाता है तो उसकी 50 हजार से अधिक की पांच हजार रुपये के ब्याज की आय कर गणना (tax calculation) में शामिल होगी।
सेविंग एकाउंट के ब्याज पर टैक्स छूट कौन कौन ले सकता है?
मित्रों, अब हम आपको जानकारी देंगे कि सेविंग बैंक एकाउंट के ब्याज पर टैक्स छूट कौन कौन ले सकता है। इसका अधिकारी कौन कौन होता है।
इन्कम टैक्स यानी आयकर अधिनियम की धारा 80टीटीए एवं 80टीटीबी के तहत मिलने वाली टैक्स छूट केवल व्यक्तिगत (individual) एवं हिंदू अविभाजित परिवार (hindu undivided family) की श्रेणी के व्यक्तियों के लिए है। कंपनियों एवं फर्मों को ब्याज के रूप में होने वाली आय पर कोई टैक्स छूट का प्रावधान (tax rebate provision) नहीं किया गया है।
40 हजार से अधिक ब्याज पर बैंक टीडीएस काट सकता है
दोस्तों, आपको बता दें कि यदि किसी वर्ष के दौरान आपका ब्याज 40 हजार रूपये से अधिक है तो बैंक इस अतिरिक्त ब्याज (additional interest) पर टीडीएस (TDS) काटकर सरकार के समक्ष जमा कर देगा।
अलबत्ता, यहां यह सहूलियत दी गई है कि यदि टीडीएस कटने के बावजूद ब्याज को मिलाकर आपकी कुल सालाना आय इन्कम टैक्स चुकाने के लायक नहीं तो कटा हुआ टीडीएस वापस भी ले सकते हैं। लेकिन इसे लेने के लिए आपको इनकम टैक्स रिटर्न फार्म (income tax return form) को भरकर रिफंड क्लेम (refund claim) करना होगा।
बैंक को टीडीएस काटने से रोकने के लिए कौन सा फार्म भरना होगा
मित्रों, यदि आपकी सालाना आय इन्कम टैक्स चुकाने लायक नहीं एवं यदि आप चाहें तो बैंक को 40 हजार रुपये से अधिक आय होने पर भी टीडीएस काटने से रोक सकते हैं। इसके लिए आपको बस एक छोटा सा कदम उठाते हुए फार्म 15 जी भरकर बैंक में जमा करना होगा।
यदि आपकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है तो आपको फार्म 15 (जी) के स्थान पर फार्म 15 (एच) भरकर बैंक में जाकर जमा करना होगा। इसमें आपको इस बाबत डिक्लेयर (declare) करना होता है कि आपकी सालाना आय इतनी नहीं कि उस पर टैक्स देनदारी बने, इसलिए ब्याज से होने वाली आय पर टैक्स न काटा जाए। बहुत सारे लोगों को इस प्रावधान का पता नहीं है।
इन्कम टैक्स रिटर्न में ब्याज से होने वाली आय को किस प्रकार दर्शाते हैं
साथियों, आपको जानकारी दे दें कि ब्याज से होने वाली आय को इन्कम टैक्स रिटर्न भरने के दौरान अन्य स्रोतों से प्राप्त आय के रूप में दर्शाया जाता है। इसके पश्चात आपकी कुल आय पर इन्कम टैक्स स्लैब (income tax slab) के हिसाब से टैक्स की देनदारी तय होगी।
आप यह भी जान लीजिए कि सेविंग एकाउंट पर टैक्स छूट को डिडक्शन (deduction) यानी टैक्स कटौती के रूप में रखा गया है। इसका अर्थ यह है कि अपनी आय से आप इतनी रकम पहले ही निकाल लें।
शेष राशि को टैक्स कैलकुलेट करने के लिए टैक्स स्लैब में शामिल किया जाएगा। आपको बता दें कि आपकी यह टैक्स कटौती सेक्शन 80सी, 80डी, 80ई, 80जी एवं 80ई से मिलने वाली टैक्स कटौती से पृथक होती है।
साल भर में कितने के ट्रांजेक्शन पर इनकम टैक्स विभाग कार्रवाई करता है
यदि आप बचत बैंक खाताधारक हैं तो आपका कोई इकलौता ट्रांजेक्शन दो लाख रूपये से ज्यादा का नहीं होना चाहिए एवं साल भर में आपका कुल लेन-देन 10 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो इन्कम टैक्स विभाग को आपके पैन कार्ड (PAN card) के माध्यम से इसकी जानकारी मिल जाती है।
क्योंकि वर्तमान में नियमानुसार अधिकांश लोगाें के पैन कार्ड उनके बैंक खाते (bank account) से लिंक (link) किए गए हैं। इससे आपके हर बड़े लेन-देन पर इनकम टैक्स विभाग की नजर रहती है। वह खातेदार (account holder) पर कार्रवाई कर सकता हैं।
आप कितने सेविंग एकाउंट रख सकते हैं?
आप किसी बैंक में कितने सेविंग एकाउंट खोल सकते हैं, इस संबंध में कोई नियम कानून जारी नहीं किया गया है। आप अपनी मर्जी से कितने भी बचत खाते बैंकों में रख सकते हैं। कई लोग ऐसा करते भी हैं। वे अलग अलग बैंकों में अलग अलग खाते रखते हैं।
लेकिन जैसे कि हमने आपको बताया कि इन दिनों बैंक खाते आधार कार्ड एवं पैन कार्ड से लिंक हैं ऐसे में खातों की जानकारी इन्कम टैक्स विभाग को रहती ही है। वह प्रत्येक प्रकार के खातों पर निगाह रखता है।
इन्कम टैक्स नियमों के बारे में खाताधारक जागरूक नहीं होते
हमारे देश में लोग बैंक में बचत खाता खुलवाकर इतिश्री कर लेते हैं। लेकिन वे सेविंग एकाउंट पर टैक्स से जुड़े नियम-कायदों के प्रति जागरूक नहीं होते। यही वजह होती है कि लेन देन करते वक्त वे अक्सर यह नहीं जानते कि उन्हें कितनी राशि बैंक में रखनी है अथवा कितनी राशि से अधिक के लेन देन पर वे इन्कम टैक्स की कार्रवाई के दायरे में आ सकते हैं।
आपको बता दें कि एक नियत सीमा से अधिक के लेन देन पर बैंक अथवा वित्तीय संस्थाओं को संबंधित खाते के बारे में आयकर विभाग को जानकारी देना आवश्यक किया गया है। इन्कम टैक्स विभाग एक सूची तैयार कर ऐसे खातों पर कार्रवाई करता है।
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सेविंग बैंक एकाउंट क्या होता है?
सेविंग बैंक एकाउंट आपका वह खाता होता है, जिसमें आप अपने पैसे जमा करके रखते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह आपकी बचत का पैसा होता है।
सेविंग एकाउंट कितने प्रकार के होते हैं?
सेविंग बैंक एकाउंट आम तौर पर दो प्रकार के होते हैं – सामान्य बचत खाता एवं बेसिक सेविंग बैंक डिपाजिट एकाउंट।
बचत बैंक खातों से होने वाले ब्याज की आय पर कितनी टैक्स छूट दी जाती है?
यह छूट अलग अलग उम्र की श्रेणी के लिहाज से अलग अलग होती है।
60 वर्ष से कम उम्र के खाताधारकों को कितनी टैक्स छूट का प्रावधान किया गया है?
60 वर्ष से कम उम्र के खाताधारकों को 10 हजार रुपये तक की टैक्स छूट का प्रावधान किया गया है। आयकर अधिनियम की धारा 80टीटीए में इसका प्रावधान किया गया है।
धारा 80टीटीए के तहत किस तरह की आय को टैक्स छूट में शामिल नहीं किया गया है?
इस धारा के अंतर्गत एफडी, आरडी आदि से मिलने वाले ब्याज को टैक्स छूट में शामिल नहीं किया गया है।
60 वर्ष से अधिक उम्र के एकाउंट होल्डर्स को कितनी छूट का प्रावधान किया गया है?
60 वर्ष से अधिक उम्र के एकाउंट होल्डर्स को 50 हजार रूपये तक की टैक्स छूट का प्रावधान किया गया है।
दोस्तों, हमने आपको सेविंग एकाउंट पर टैक्स के नियमों से जुड़ी जानकारी दी। उम्मीद है कि इस पोस्ट से आपको सेविंग बैंक एकाउंट एवं कराधान के संबंध में उपयोगी जानकारी मिली होगी। यदि इस पोस्ट को लेकर आपका कोई सवाल है तो हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों का हमेशा की भांति स्वागत है। ।।धन्यवाद।।
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