टीडीएस और टीसीएस क्या होता है? | TDS or TCS kya hota hai

|| टीडीएस और टीसीएस क्या होता है? | TDS or TCS kya hota hai | TDS in income tax in Hindi | टीडीएस के प्रकार | Type of TDS in Hindi | टीडीएस नहीं काटने से क्या होता है? | टीसीएस के नए नियम | TCS new rules in Hindi ||

TDS and TCS in Hindi :- टीडीएस और टीसीएस दोनों ही सरकार के द्वारा कर को वसूल करने के तरीके है। टीडीएस के तहत भुगतान के स्त्रोत स्थान पर ही कर की कटौती कर ली जाती है और वहीं टीसीएस में भुगतान की प्राप्ति वाले स्थान पर कर का संग्रहण किया जाता है। दोनों स्थितियों में कर की कटौती और संग्रह करने वाले व्यक्ति इस कर (TDS TCS new rule in Hindi) को सरकार के खाते में जमा कर देते हैं।

सरकार के पास जमा किए गए कर की राशि का श्रेय टीडीएस की स्थिति में भुगतान पाने वाले व्यक्ति को और वहीं टीसीएस की स्थिति में भुगतान करने वाले व्यक्ति को मिलता है। इस श्रेय का इस्तेमाल वो अपनी कर (TDS TCS kya hota hai) की कुल राशि को अदा करने में कर सकता है। अगर उसके ऊपर लगने वाला टैक्स टीडीएस और टीसीएस से कम होता है तो वो टीडीएस टीसीएस का रिफंड भी ले सकता है।

रिफंड कैसे लेना है और टीडीएस कब तक भरना है, इस तरह की जानकारी हो तभी टीडीएस टीसीएस का सही से फायदा लिया जा सकता (TDS kab kata jata hai in Hindi) है। इसीलिए इस लेख के माध्यम से हम इनकम टैक्स में टीडीएस और टीसीएस के नियम और साथ ही जीएसटी में भी टीडीएस और टीसीएस के नियम के बारे में आपके साथ जानकारी साझा करेंगे।

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टैक्स क्या होता है? (Tax kya hota hai)

सरकार के द्वारा समाज के हित के लिए बहुत से कार्य किए जाते हैं और साथ ही देश को चलाने के लिए भी काफी धनराशि की आवश्यकता होती है। इन सभी खर्चों को करने के लिए सरकार राजस्व का इस्तेमाल करती है। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए सरकार अलग अलग कार्यों के लिए नागरिकों से बहुत से प्रकार के शुल्क जमा करवाती है।

टीडीएस और टीसीएस क्या होता है TDS or TCS kya hota hai

इसके अलावा राजस्व में आने वाली सबसे अहम राशि के रूप में कर जमा करवाया जाता है। इसीलिए सरकार के द्वारा नागरिकों तथा संस्थानों पर कर लगाया जाता है। कर दो तरीके से लगाया जाता है, प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर। भारत में प्रत्यक्ष कर के रूप में आयकर लागू है और अप्रत्यक्ष कर के रूप में उत्पाद और सेवा कर लागू है। इसके अतिरिक्त भी बहुत से कर हुआ करते थे, जो जीएसटी के आ जाने से उसी में समाहित हो चुके हैं। कुछ कर अभी भी चालू है।

टीडीएस और टीसीएस क्या होता है? (TDS or TCS kya hota hai)

जैसा कि हमने देखा अपने खर्चों को पूरा करने के लिए भारत सरकार नागरिकों से टैक्स लेती है। परंतु आमतौर पर कोई टैक्स देने को राजी नहीं होता। इसलिए भारत सरकार के द्वारा कर की राशि को वसूल करने के लिए बहुत से तरीके बनाए गए हैं। जिस व्यक्ति के ऊपर कर लागू होता है, उसे निर्धारिती कहा जाता है। निर्धारिती से कर की वसूली निम्न तरीकों से की जाती है:

  • स्त्रोत पर कर की कटौती (Tax deducted at source)
  • स्त्रोत पर कर का संग्रहण (Tax collected at source)
  • निर्धारिती के द्वारा स्वयं कर की अदायेगी (Self assessment)

आयकर एवं उत्पाद और सेवा कर दोनों में ही उपरोक्त तीनों तरीकों का इस्तेमाल कर की वसूली के लिए किया जाता है। इसलिए हम इस लेख (What is TDS in Hindi) में टीडीसी और टीसीएस के बारे में सभी महत्त्वपूर्ण जानकारी आपके साथ साझा करने वाले हैं।

आयकर में स्त्रोत पर कर की कटौती (TDS in income tax in Hindi)

किसी भी व्यक्ति या संस्थान जिस पर कर की अदायेगी होती है, उसे आयकर अधिनियम में निर्धारिती (Assessee) कहा जाता है। किसी निर्धारिती के द्वारा एक वित्तीय वर्ष में कमाई गई आय पर निर्धारित दर से कर की भुगतान देय होती है। पिछले वर्ष में निर्धारिती के द्वारा कमाई गई आय प्रासंगिक वर्ष में आय के योग्य होती है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2022-23 में कमाई गई आय 2024-2024 प्रासंगिक वर्ष में आय के योग्य होती है। परंतु निर्धारिती के द्वारा इस आय पर कर पिछले वर्ष ही भुगतान कर दिया जाता है।

ऐसा उसकी आय पर कटने वाले टीडीएस के माध्यम से होता है। जो व्यक्ति निर्धारिती को उसकी आय के भुगतान के लिए बाध्य होता है, उस व्यक्ति के द्वारा भुगतान में से सरकार के द्वारा आयकर अधिनियम के अलग अलग अनुच्छेदों में दिए गए रेट के अनुसार कर की कटौती कर ली जाती है और शेष राशि ही निर्धारिती को दी जाती है। इस तरह जहां से आय का भुगतान होता है वहीं पर कर को काट लिया जाता है, इसलिए इस प्रकिया को ही स्त्रोत पर कर की कटौती कहा जाता है।

टीडीएस के प्रकार (Type of TDS in Hindi)

टीडीएस से संबंधित नियम आयकर अधिनियम, 1961 के अध्याय 17 में दिए गए हैं। इस अध्याय के अंर्तगत टीडीएस से संबंधित नियमों के विषय में धारा 192 से लेकर 206B तक कुल 63 धाराओं में बताया गया है।

आयकर अधिनियम के तहत मुख्य रूप से निम्न आय और भुगतानों पर कर की राशि की कटौती की जाती है:

  • कर्मचारी के वेतन पर
  • एक कर्मचारी के लिए PF इत्यादि के तौर पर संचित शेष राशि का भुगतान
  • प्रतिभूतियों पर ब्याज
  • लाभांश या डिविडेंड के रूप में आय
  • प्रतिभूतियों पर ब्याज के अलावा अन्य ब्याज
  • लॉटरी और वर्ग पहेली से जीत की आय
  • घोड़ों की दौड़ से जीती गई आय
  • ठेकेदारों को भुगतान
  • बीमा से संबंधित कमिशन की आय पर
  • जीवन बीमा की परिपक्व राशि पर
  • विदेशी खिलाड़ी और विदेशी खेल संस्थानों को भुगतान
  • राष्ट्रीय बचत योजना के तहत जमा राशि पर
  • किराए की आय पर
  • लॉटरी टिकट के कमिशन व अन्य तरह के कमिशन पर
  • ग्रामीण खेती की जमीन के अलावा अन्य अचल संपत्ति की बिक्री
  • पेशेवर और तकनीकी सेवाओं के लिए शुल्क
  • निवेश कोश, म्यूचुअल फंड, सिक्रटाइजेशन ट्रस्ट, बिजनेस ट्रस्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के यूनिट से संबंधित आय
  • पूंजीगत और अचल सम्पत्ति अधिग्रहण की क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान पर
  • कुछ नकद भुगतनों पर
  • भारतीय कंपनियों से और सरकारी बांड्स पर मिलने वाले ब्याज पर
  • कुछ निर्धारित किए गए उत्पादों की खरीद पर
  • अन्य निर्धारीत आय और भुगतानों पर

हर एक तरह की भुगतान और आय के लिए राशि की प्रारंभिक सीमा उससे संबंधित धारा में दी गई होती है। जिस सीमा से अधिक होने पर ही उन पर कर की कटौती की जा सकती है। इसके साथ ही प्रत्येक धारा में कर की कटौती की दर भी दी जाती है।

टीडीएस सर्टिफिकेट (What is TDS certificate in Hindi)

जिस व्यक्ति के द्वारा किसी का टीडीएस काटा जाता है, वह उस व्यक्ति जिसका टीडीएस काटा जाता है को टीडीएस का एक प्रमाण पत्र देता है। अलग अलग आय पर कटने वाले टीडीएस के लिए अलग टीडीएस सार्टिफिकेट होता है। टीडीएस के मुख्य प्रमाण पत्र निम्न है:

  • फॉर्म 16 – जब किसी कंपनी के द्वारा अपने कर्मचारी का वेतन पर टीडीएस काटा जाता है तो उसे फॉर्म 16 दिया जाता है। इसमें उसके वेतन की राशि का वर्गीकरण और उस पर कटने वाले टीडीएस की जानकारी होती है।
  • फॉर्म 16A – वेतन के अलावा और किसी आय पर कटने वाले टीडीएस के लिए फॉर्म 16ए दिया जाता है।
  • फॉर्म 16B – किसी तरह की संपत्ति की बिक्री पर कटने वाले टीडीएस की जानकारी के लिए फॉर्म 16बी दिया जाता है।
  • फॉर्म 16C – कुछ स्थितियों में किराए की राशि पर भी टीडीएस काटा जाता है। ऐसे में किराए पर कटने वाले टीडीएस के लिए फॉर्म 16सी के रूप में टीडीएस सर्टिफिकेट दिया जाता है।

इसके अलावा आय को अर्जित करने वाला निर्धारिती उसकी आय से कटे कर की जानकारी फॉर्म 26AS से ले सकता है। इसके साथ ही वो आयकर ऑफिसर के द्वारा सर्टिफिकेट के रूप में अपने भुगतान करने वाले को दे सकता है, जिससे उसके कर की कटौती की दर कम हो जाए।

टीडीएस नहीं काटने से क्या होता है? (What if TDS is not deducted in Hindi)

आयकर अधिनियम में कटौती किए हुए कर की अदायेगी की अंतिम तिथि अगले महीने की 7 तारीख होती है। उदाहरण के तौर पर अप्रैल महीने में काटे टीडीएस को भरने की अंतिम तिथि 7 मई होती है। परंतु साल के आखिरी महीने यानी मार्च में कटने वाले टीडीएस को जमा करने की अंतिम तारीख अगले महीने यानी अप्रैल की 30 तारीख होती है। इसके साथ ही तिमाही रिटर्न की अंतिम तिथि अगले महीने की अंतिम तारीख होती है। उदाहरण के तौर पर जनवरी से मार्च महीने की तिमाही रिटर्न 30 अप्रैल से पहले पहले भरी जाती है।

यदि किसी भुगतान पर कर की कटौती लागू होती है और भुगतान करने वाले के द्वारा उससे संबंधित धारा में दिए गए समय से पहले कर की कटौती नहीं की जाती, तो उसे इस राशि पर 1% ब्याज हर महीने के लिए दिया जाना होता है। पूरे महीने से 1 भी दिन अधिक होता है तो उसे भी एक महीना ही गिना जाता है। इसी तरह से अगर कर की कटौती कर ली जाए और सरकार के पास जमा न करवाई जाए तो उस राशि पर 1.5% हर महिने का ब्याज उपरोक्त तरीके से ही देय होता है। यह ब्याज उस दिन लगना बंद हो जाता है जब कर का भुगतान कर दिया जाता है।

यदि किसी व्यक्ति की आय से कर की कटौती की जाती है और उसकी आय 250000 से अधिक होती है तो उसे आयकर रिटर्न दाखिल करनी होती है। इस रिटर्न के समय अगर सरकार के द्वारा दी जाने वाली छूटों को घटा कर उसकी आय आयकर के योग्य नहीं होती, तो वो अपने कटे हुए कर का रिफंड भी ले सकता है। रिफंड को लेने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना अनिवार्य होता है। अगर सरकार के द्वारा रिफंड देरी से दिया जाता है, तो उस पर 6% की वार्षिक दर से ब्याज भी दिया जाता है।

इनकम टैक्स में टीसीएस क्या है? (TCS in income tax in Hindi)

टीडीएस की भांति ही टीसीएस भी सरकार के द्वारा कर को वसूल करने का एक तरीका है। इसके तहत बिक्री करने वाला विक्रेता अपने ग्राहक से उत्पाद की राशि के अतिरिक्त कर की राशि का भी संग्रहण करता है। फिर कर की इस राशि को सरकार के खाते में जमा करवा दिया जाता है। खरीदार के द्वारा कर की इस राशि का श्रेय अपनी कर की कुल राशि की अदाएगी में लिया जा सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 206 में बताया गया है कि कौन से सामानों पर कर का संग्रहण किया जाता है। इसके साथ ही कर के संग्रहण की दर भी दी गई है।

आयकर में निम्न वस्तुओं की बिक्री पर विक्रेता के द्वारा कर का स्त्रोत पर संग्रहण किया जाता है:

  • मनुष्य के द्वारा कंज्यूम किए जाने वाली शराब से बनी वस्तुओं पर 1% की दर से
  • तेंदू के पत्तों पर 5% की दर से
  • लीज पर लिए वन क्षेत्र से प्राप्त इमारती लकड़ी पर 2.5% की दर से कर का संग्रहण
  • लीज के अलावा किसी अन्य माध्यम से प्राप्त इमारती लकड़ी पर 2.5% की दर से
  • इमारती लकड़ी और तेंदू पत्ते के अलावा अन्य वन उत्पाद पर भी 2.5% की दर से
  • खनिज जैसे कि लौह अयस्क, लिग्नाइट या कोयला पर 1.00% की दर से कर का संग्रहण
  • 2 लाख रुपये से अधिक मूल्यांकन वाले बुलियन और 5 लाख से अधिक मूल्य वाले आभूषण पर 1% की दर से
  • 10 लाख से अधिक मूल्य की मोटर वाहन की खरीद पर 1% की दर से
  • पार्किंग एरिया की टिकट पर, खनन, टोल प्लाजा और उत्खनन पर 2% की दर से
  • कतरन (scrap) par 1% की दर से

टीसीएस के नए नियम (TCS new rules in Hindi)

हमने देखा कि कैसे अलग अलग तरह के टीसीएस काटे जाते हैं। इनके अलावा हाल ही में सरकार के द्वारा नया सेक्शन दाखिल किया गया है। सेक्शन 206C(1H) के तहत ऐसा कोई सामान जो देश से बाहर निर्यात नहीं किया गया है और जो उपरोक्त सूची में शामिल नहीं है, अगर ऐसे व्यक्ति या संस्थान के द्वारा खरीदा जाता है जो उसे अन्य उत्पादों के उत्पादन में इस्तेमाल नहीं करने वाला है तब भी टीसीएस का संग्रहण किया जाता है। इस सेक्शन के तहत कर का संग्रहण नहीं किया जाता, अगर किसी और धारा के तहत किरदार उस खरीद पर कर की कटौती करता है।

इस सेक्शन के तहत अगर विक्रेता की वार्षिक बिक्री 10 करोड़ से ऊपर है तब ही ये धारा लागू होती है और साथ ही कर का संग्रहण तब ही किया जाता है यदि एक ग्राहक के द्वारा एक वित्तीय वर्ष में उस विक्रेता से 50 लाख के मूल्य से अधिक के समान की खरीद की जाती है। इस सेक्शन में कर की दर 0.1% है अगर खरीदार ने अपना PAN नंबर प्रस्तुत किया हो, अगर पैन नंबर प्रस्तुत नहीं किया गया हो तो कर की दर 1% हो जाती है।

जीएसटी में टीडीएस क्या होता है? (TDS in GST in Hindi)

जैसा कि हमने जाना जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है। इस कर का सरकार को भुगतान करने वाला व्यक्ति और जीएसटी के भार को सहने वाला व्यक्ति अलग अलग होता हैं। जीएसटी उत्पाद और सेवा दोनों की बिक्री पर लगता है। मुख्य रूप से वो व्यापारी जिसकी कुल बिक्री 20 लाख/10 लाख/40 लाख से अधिक होती है उसी को अपने समान और सेवा के मूल्य पर जीएसटी देना होता है। जीएसटी अधिनियम के तहत पंजीकृत व्यक्ति की कुल बिक्री जीएसटी के योग्य होती है।

आयकर अधिनियम की तरह जीएसटी में स्त्रोत की कटौती के लंबे चौड़े नियम नहीं है। जिस प्रकार आयकर अधिनियम में बहुत सी भुगतान और आय कर कटौती के योग्य होती है, ऐसा जीएसटी में नहीं है। जीएसटी में किसी व्यक्ति के द्वारा एक सिंगल ठेके (कॉन्ट्रैक्ट) के अंतर्गत किए गए समान की बिक्री अगर 2,50,000 से अधिक है तो खरीददार के द्वारा जीएसटी के कर की कटौती (What is TDS in GST in Hindi) की जाती है।

जिस कॉन्ट्रैक्ट पर जीएसटी का टीडीएस लागू होता है, उसका खरीदार निर्धारित मूल्य में से 2% जीएसटी काट कर बाकी पेमेंट विक्रेता को कर देता है। इसमें 1% केंद्र जीएसटी होता है और 1% राज्य जीएसटी, अगर खरीदार और विक्रेता अलग अलग राज्य के होते हैं तो पूरा का पूरा 2% आईजीएसटी होता है। यह 2% की कर राशि सरकार के खाते में जमा करवा दी जाती है।

जीएसटी में टीडीएस कब कटता है? (When to deduct TDS in GST in Hindi)

जैसा कि हमने देखा जीएसटी में टीडीएस तभी काटा जाता है जब कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य 2,50,000 से अधिक होता है। अर्थात अगर किसी व्यापारी से एक कॉन्ट्रैक्ट में 2,50,000 की खरीद की जाती है तो टीडीएस लागू नहीं होता, चाहे 2 अलग अलग कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य कुल मिलाकर 2,50,000 से अधिक हो। साथ ही एक कॉन्ट्रैक्ट के अंदर अलग अलग तरह के काम या समान हो सकते हैं, साथ ही एक कॉन्ट्रैक्ट का भुगतान भी किश्तों में हो सकता है, जब तक कि कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू 2.5 लाख से अधिक हो।

उदाहरण के तौर पर अगर 3,00,000 का कोई समान 18% जीएसटी लगाने के बाद बेचा जाता है, तब खरीदार के द्वारा 3 लाख का 2% यानी कि 6,000 काट कर बाकी मूल्य 3,48,000 की पेमेंट कर दी जाती है और 6,000 के कर को सरकार के पास जमा करवा दिया जाता है।

जीएसटी में टीडीएस कौन काटता है? (Who is deductor in GST in Hindi)

जीएसटी के अंतर्गत अभी सिर्फ निम्न व्यक्तियों के द्वारा की गई खरीद पर ही टीडीएस की कटौती लागू होती है:

  • केंद्र सरकार या राज्य सरकार का विभाग (Govt department)
  • स्थानीय प्राधिकरण (Local authority)
  • सरकारी एजेंसियां (Governmental agencies)
  • सरकार द्वारा अधिसूचित व्यक्ति या अधिकारी
  • सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां (Public sector undertakings)
  • केंद्र या राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा स्थापित सोसायटी (Societies formed Under local constitution)
  • Societies registration act, 1860 के तहत स्थापित सोसायटी
  • संसद या विधान सभा द्वारा स्थापित किया गया प्राधिकरण या बोर्ड, जिसमें कम से कम 51% के शेयर या अधिकार सरकार के पास हों।

जीएसटी में टीसीएस क्या है? (GST me TCS kya hai)

स्त्रोत पर कर का संग्रहण मुख्य रूप से भुगतान प्राप्त करने वाले के द्वारा किया जाना चाहिए। परंतु जीएसटी के अंतर्गत ऐसा नहीं है। जीएसटी में टीसीएस का संग्रहण ना तो भुगतान करने वाले के द्वारा होता है और ना ही भुगतान प्राप्त करने वाले के द्वारा। जीएसटी के अंतर्गत कर की वसूली उस इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स ऑपरेटर के द्वारा की जाती है, जो विक्रेता की ओर से खरीदार से भुगतान की प्राप्ति करता है।

जीएसटी में किए जाने वाले इस प्रकार की लेन देन में विक्रेता अपने समान और सेवा की बिक्री इन ऑनलाइन ऑपरेटर के माध्यम से करता है और भुगतान की पेमेंट भी इन्हीं ऑपरेटर के माध्यम से प्राप्त की जाती है। उदाहरण के तौर पर अमेजन और फ्लिपकार्ट के माध्यम से होने वाली लेन देन (TCS in GST in Hindi) पर ऐसा होता है।

यहां ऑनलाइन ऑपरेटर खरीदार से प्राप्त कुल भुगतान में से जीएसटी के योग्य उत्पादों के मूल्य का 1% और अपने कमिशन और चार्जेस काट कर बाकी मूल्य का भुगतान विक्रेता को कर देता है। इस 1% में 0.5% केंद्र जीएसटी और 0.5% राज्य जीएसटी होता है। खरीदार और विक्रेता के अलग अलग राज्य के कारोबारी होने की स्थिति में पूरा 1% आईजीसीटी के रूप में होता है। महीने के दौरान संग्रहण किए गए टीसीएस की राशि को सरकार के खाते में अगले महीने की 10 तारीख से पहले जमा करवाना होता है।

जीएसटी में टीसीएस कब नहीं कटता? (When TCS is not deducted in GST in Hindi)

हमने जाना कि जीएसटी में ऑनलाइन ऑपरेटर के द्वारा टीसीएस काटा जाता है। कुछ स्थितियों में इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स ऑपरेटर के द्वारा टीसीएस की कटौती नहीं की जाती है। वो स्थितियां निम्न प्रकार से है:

  • वो होटल और क्लब जो पंजीकृत नहीं है, उनमें ठहरने की सुविधाओं पर।
  • रोड के द्वारा परिवहन की सेवाएं, जैसे रेडियो टैक्सी और मोटर कैब इत्यादि।
  • हाउसकीपिंग की सेवाएं।

ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इन स्थितियों में इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स ऑपरेटर के द्वारा ही जीएसटी की पूरी राशि का भुगतान किया जाता है। तो जब पूरी राशि के भुगतान के लिए वो ही बाध्य हैं तो टीसीएस का सवाल ही पैदा नहीं होता।

TDS TCS in Hindi – Related FAQs

प्रश्न: टीडीएस क्या है?

उत्तर: खरीदार के द्वारा पेमेंट में से काटी गई कर की राशि टीडीएस है।

प्रश्न: टीसीएस क्या है?

उत्तर: विक्रेता के द्वारा मूल्य से अतिरिक्त लिए गए कर की राशि को टीसीएस कहा जाता है।

प्रश्न: इनकम टैक्स में टीडीएस टीसीएस के जमा करने की अंतिम तिथि कौनसी है?

उत्तर: टीडीएस और टीसीएस दोनों अगले महीने की 7 तारीख से पहले जमा होने चाहिए।

प्रश्न: टीडीएस टीसीएस जमा ना करवाने पर क्या होता है?

उत्तर: इनकम टैक्स में ऐसा करने पर 1% हर महीने का ब्याज लगता है और जीएसटी में 18% की दर से ब्याज और प्रतिदिन 200 रुपए लगते हैं।

दोस्तों इस प्रकार हमने इस लेख के माध्यम से आयकर में टीडीएस और टीसीएस, उत्पाद और सेवा कर में टीडीएस और टीसीएस, टीडीएस और टीसीएस का अभिप्राय और इनसे जुड़े अहम शब्दों के बारे में जानकारी शेयर की है।

शेफाली बंसल
शेफाली बंसल
इनको लिखने में काफी रूचि है। इन्होने महिलाओं की सोशल मीडिया ऐप व वेबसाइट आधारित कंपनी शिरोस में कार्य किया। अभी वह स्वतंत्र रूप में लेखन कार्य कर रहीं हैं। इनके लेख कई दैनिक अख़बार और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
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