टोकनाइजेशन क्या है? | टोकनाइजेशन कैसे काम करता है? | Tokenization kya hai

|| टोकनाइजेशन क्या है? | Tokenization kya hai | टोकन नंबर कैसे बनाएं? | टोकनाइजेशन के लाभ | Tokenization ke labh | टोकनाइजेशन कैसे काम करता है? | टोकनाइजेशन सिस्टम क्या है? | okenization explained in Hindi ||

Tokenization kya hai :- पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमारे द्वारा पैसों का ऑनलाइन लेनदेन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। मुख्य तौर पर जब से भारत देश की सरकार ने देश में विमुद्रीकरण किया है और फिर उसके बाद कोरोना नामक महामारी आयी है, तब से ही ऑनलाइन पेमेंट करने का चलन बहुत तेजी के साथ बढ़ा है। इससे पहले सभी तरह का लेनदेन कैश में होता था या फिर बैंक में जाकर किया जाता था। किन्तु वर्तमान समय में छोटी से लेकर बड़ी पेमेंट को ऑनलाइन तरह तरह के माध्यमों से किया जा रहा (Tokenization meaning in Hindi) है।

ऐसे में जब हम किसी दुकान पर जाकर खरीदारी करते हैं और उसके यहाँ अपने डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड के जरिये भुगतान करना चाहते हैं तो दुकानदार के पास हमारे कार्ड की ज्यादातर जानकारी सेव हो जाती है। यह एक संवेदनशील जानकारी होती है जो हम उस दुकानदार को दे रहे होते हैं। भारत सरकार व रिज़र्व बैंक ऑफ भारत ने लोगों की इसी दुविधा को समझा और टोकनाइजेशन की प्रक्रिया को शुरू (Tokenization kya hota hai) किया।

आज के समय में टोकनाइजेशन की प्रक्रिया बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हो चुकी है और लगभग हर व्यक्ति के द्वारा इसका पालन किया जा रहा है। इस तरह की प्रक्रिया के माध्यम से हमें अपनी संवेदनशील जानकारी किसी अन्य व्यक्ति के साथ सांझा नहीं करनी पड़ती है। अब यदि आपको इस टोकनाइजेशन के बारे में पता नहीं है तो आज हम आपके साथ उसी के बारे में ही बात करने वाले हैं। आइये जाने कार्ड टोकनाइजेशन क्या होता (Tokenization explained in Hindi) है।

टोकनाइजेशन क्या है? (Tokenization kya hai)

इस प्रक्रिया को शुरू हुए कई वर्ष हो चुके हैं लेकिन आज भी बहुत से लोगों को इस प्रक्रिया के बारे में पता ही नहीं होगा। वह इसलिए क्योंकि पेमेंट कंपनियां ना तो इसके बारे में प्रचार करती है और ना ही सीधे तौर पर इसके बारे में बताती है। हालाँकि यह ग्राहकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर भारत सरकार के द्वारा उठाया गया एक बहुत ही जरुरी कदम है। इसके माध्यम से सभी कंपनियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे किसी भी हालात में टोकनाइजेशन की प्रक्रिया को करने से मना नहीं कर सकती (Tokenization kya hai in Hindi) है।

Tokenization kya hai

तो अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार यह टोकनाइजेशन है क्या चीज़ और किस तरह से इसका उपयोग किया जा सकता है। तो यह आपके डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड का एक यूनिक कोड होता है जो अंग्रेजी के अक्षरों के साथ ही गणित के नंबर का मेल होता है जिसे हम अल्फानुमेरिक भी कह सकते हैं। अब जब आप किसी भी जगह फिर चाहे वह दुकान पर जाकर भुगतान करना हो या फिर ऑनलाइन वेबसाइट या ऐप पर भुगतान करना हो, वहां आप कार्ड का विकल्प चुनते हैं तो आपको अपने कार्ड की संवेदनशील जानकारी वहां डालनी होती है।

इस जानकारी में आपके कार्ड का नंबर सहित उसके सीवीवी, अंतिम तिथि इत्यादि कई तरह की संवेदनशील जानकारी होती है। यह जानकारी उस वेबसाइट या सिस्टम के सर्वर में सेव हो जाती है जो बहुत ही संवेदनशील होती है। ऐसे में भारत सरकार के वित्त विभाग के द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार अब कोई भी ग्राहक अपने कार्ड की जानकारी को सेव किये बगैर भी टोकनाइजेशन की प्रक्रिया के माध्यम से ऑनलाइन पेमेंट करने की सुविधा का लाभ उठा सकता (What is the purpose of tokenization in Hindi) है।

तो इसके तहत आपके कार्ड की जानकारी कंपनी के सर्वर में सेव नहीं होती है बल्कि इसके बजाये यूनिक तरीके से generate किया गया टोकन नंबर उनके सिस्टम में सेव हो जाता है। अब आपको जो भी भुगतान करना होता है, वह आप इसी टोकन नंबर की सहायता से कर सकते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को हम टोकनाइजेशन के नाम से जानते हैं जो आज के समय में बहुत ज्यादा चलन में है।

टोकन नंबर क्या होता है? (Token number kya hota hai)

ऊपर आपने जाना कि टोकनाइजेशन क्या होता है तो जब आप टोकनाइजेशन कर रहे होते हैं तो उसी में आपका एक नंबर generate किया जाता है जो आपके बैंक के सर्वर और उस वेबसाइट से जुड़ा होता है। यह नंबर 16 अंकों का एक कोड होता है जो सभी के लिए रैंडम तरीके से generate किया जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यह आपके कार्ड की डिटेल लेकर उस पर रैंडम तरीके से generate किया गया एक कोड होता है जिसमें अक्षर व नंबर दोनों ही होते (Token number kya hai) हैं।

ऐसे में टोकनाइजेशन की प्रक्रिया के माध्यम से एक ऐसा नंबर generate किया जाता है जिसके माध्यम से आप ऑनलाइन पेमेंट कर पाने में सक्षम हो जाते हैं। तो इस प्रक्रिया के द्वारा generate हुआ नंबर ही टोकन नंबर कहलाता है। इस टोकन नंबर के माध्यम से आप किसी को भी पेमेंट कर सकते हैं या उनसे पेमेंट ले सकते हैं। यह पैसों के लेनदेन के लिए बहुत ही सुरक्षित व प्रभावी उपाय है।

टोकनाइजेशन कैसे काम करता है? (Tokenization kaise kaam karta hai)

अब आपका अगला प्रश्न यह होगा कि आखिरकार यह टोकनाइजेशन की प्रक्रिया काम कैसे करती होगी। तो यह प्रक्रिया भी बहुत सरल है और इसे जानकर आपको यह भी पता चल जाएगा कि क्यों यह आपके लिए सुरक्षित व प्रभावी उपाय है जिस पर RBI के द्वारा इतना जोर दिया जा रहा है। तो जब भी आप ऑनलाइन भुगतान करने के लिए वेबसाइट पर अपने क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड की जानकारी को सबमिट करते हैं तो वह जानकारी उनकी वेबसाइट पर सेव होने से पहले आपसे पूछती है कि क्या आप उस भुगतान के लिए अपना टोकन नंबर बनाना चाहते हैं या नहीं।

यदि आप हां पर क्लिक करते हैं तो वह ऐप या वेबसाइट आपके बैंक से संपर्क करती है। बैंक को आपके कार्ड की पूरी जानकारी भेजी जाती है और फिर बैंक रैंडम नंबर generate करता है जिसे हम टोकन नंबर कहते हैं। यह टोकन नंबर आपके बैंक खाते से इंटरनल प्रोसेस से जुड़ा होता है जिसकी जानकारी केवल और केवल आपके बैंक में होती है। बैंक उस थर्ड पार्टी ऐप या वेबसाइट को केवल वह टोकन नंबर ही देता है और इसके अलावा सब जानकारी वहां से अपने आप हट जाती है।

इस तरह से वह वेबसाइट या ऐप उस टोकन नंबर की सहायता से ही उस पेमेंट को ले लेती है और आपका काम बन जाता है। बैंक के द्वारा जो टोकन नंबर Generate किया गया है, उससे उसे यह पता चल जाता है कि फलाना बैंक खाते से इतने रुपये काटे जाने हैं। तो वह अपने इंटरनल प्रोसेस के माध्यम से उन रुपयों को काट लेता है। इस तरह से भारत सरकार ने ग्राहक के बैंक खाते की जानकारी दुकानदार या थर्ड पार्टी ऐप पर सेव करने की बजाये उसका जिम्मा बैंकों पर ही रख दिया है। यही इसे सुरक्षित व प्रभावी बनाने का कार्य करता है।

टोकन नंबर कैसे बनाएं? (Token number kaise banaye)

अब आपको यह जानना होगा कि यदि आपको भी इस टोकनाइजेशन की प्रक्रिया का लाभ उठाना है तो उसके लिए आपको अपना भी टोकन नंबर बनाना होगा तो उसकी प्रक्रिया क्या है? दरअसल इसकी प्रक्रिया बहुत ही सरल है जो आज के समय में लाखों ऐसे लोगों के द्वारा इस्तेमाल में लायी जा रही है जो ऑनलाइन पेमेंट करते समय अपने कार्ड का उपयोग किया करते थे। हालाँकि यह अलग बात है कि आज के समय में अधिकतर लोगों के द्वारा UPI का ही इस्तेमाल किया जाता है लेकिन फिर भी आपको बहुत से ऐसे लोग दिख जाएंगे जो इसके लिए क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं।

वैसे भी यदि आपको क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना है तो उसके लिए आप UPI का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। ठीक उसी तरह यदि आप किसी इलेक्ट्रॉनिक की दुकान पर गए हैं और वहां आपने एसी या कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद ख़रीदा है और उस पर आपको क्रेडिट कार्ड में किसी तरह की छूट या EMI की सुविधा मिल रही है तो वहां आपको अवश्य ही अपना क्रेडिट कार्ड शेयर करना पड़ता है। तो आगे से आप अपने क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड की बजाये, टोकन नंबर की सहायता से या टोकनाइजेशन की प्रक्रिया के माध्यम से भी भुगतान की प्रक्रिया कर सकते हैं, आइये जाने कैसे।

  • आप जिस भी शॉपिंग वेबसाइट से ऑनलाइन खरीदारी करते हैं या जहाँ भी आपको ऑनलाइन पेमेंट करनी है, आपको वहां पहले जाना होगा।
  • फिर आप खरीदारी करने के लिए सामान को चुन लें या किसी टिकट या बिल का भुगतान करने के लिए आगे बढ़ना होगा तो आप भुगतान के विकल्पों में से कार्ड वाले विकल्प को चुने।
  • अब आपको पहले की तरह ही यहाँ पर अपने डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड की जानकारी को भरना होगा और आगे बढ़ना होगा।
  • इसके बाद यहाँ पर एक विकल्प दिखाई देगा जिस पर लिखा होगा कि क्या आप RBI के द्वारा बनायी गयी टोकनाइजेशन की प्रक्रिया पर आगे बढ़ना चाहते हैं या नहीं, तो आपको इसको चुनना होगा और आगे बढ़ना होगा।
  • इस पर आगे बढ़ने के बाद वह ऐप या वेबसाइट आपके बैंक से संपर्क साधेगी और उसके लिए आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी पर एक कोड आएगा।
  • आपको उस कोड को सामने दिख रही स्क्रीन पर प्रविष्ट करना होगा और प्रक्रिया आगे बढ़ जाएगी और टोकनाइजेशन होना शुरू हो जाएगा।
  • उसके बाद आपका बैंक उस ऐप या वेबसाइट को 16 अंकों का एक यूनिक कोड देगा जो टोकन नंबर होगा। यह कोड आपको भी दिखाई देगा और आपको उस पर क्लिक कर आगे बढ़ना होगा।
  • अब आप उस जगह पर भुगतान उस टोकन नंबर की सहायता से ही करेंगे। इस तरह से वह भुगतान सफल हो जाएगा और आपका टोकन नंबर भी generate हो जाएगा।

इस प्रक्रिया में आपको शुरुआत में तो अपने क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड की जानकारी वहां पर डालनी होती है लेकिन उसके बाद यदि आप टोकनाइजेशन को चुनते हैं तो वह ऐप या वेबसाइट आपके कार्ड की जानकारी को अपने यहाँ सेव नहीं कर पाता है। उसके सिस्टम में केवल आपका टोकन नंबर ही सेव होकर रह जाता है, इसके अलावा कुछ नहीं। इस तरह से आप एक सुरक्षित प्रणाली के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान कर पाने में सक्षम होते हैं।

टोकनाइजेशन के लाभ (Tokenization ke labh)

अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आखिरकार क्यों भारत सरकार के द्वारा इस टोकनाइजेशन की प्रक्रिया को शुरू किया गया था और इसमें किस तरह के लाभ को देखते हुए ग्राहकों के द्वारा इसे अपनाया जा रहा है। तो यहाँ पर सारा का सारा खेल कार्ड की जानकारी का किसी थर्ड पार्टी ऐप के पास सेव होने का है। तो बैंक के सर्वर को हैक करना तो बहुत मुश्किल होता है लेकिन आप तरह तरह की वेबसाइट और ऐप पर जो ऑनलाइन पेमेंट करते हैं और उस पर अपने कार्ड की डिटेल डालते हैं तो वह बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है।

वह इसलिए क्योंकि हैकर इसी की ताक में ही रहते है और वे इन वेबसाइट या ऐप का डाटा बहुत जल्दी से हैक कर लेते हैं या इनमें सेंधमारी कर लेते हैं। अब यदि आपने उन ऐप या वेबसाइट के माध्यम से अपने क्रेडिट कार्ड या डेबिट की जानकारी डालकर ऑनलाइन पेमेंट की है तो आपके कार्ड की कई तरह की गोपनीय जानकारी वहां सेव होती है। इस जानकारी में आपके कार्ड का नंबर सहित उसकी एक्सपायरी डेट, सीवीवी नंबर इत्यादि होते हैं जिनका अनुचित इस्तेमाल किया जा सकता है।

ऐसे में उस वेबसाइट या ऐप का डाटा हैक हो जाने की स्थिति में हैकर के हाथ में आपके कार्ड का यह सब डाटा चला जाता है जो आपके लिए बहुत ही संवेदनशील होता है। तो टोकनाइजेशन की प्रक्रिया के माध्यम से इस चीज को रोक दिया गया है। यहाँ पर उस वेबसाइट या ऐप के पास आपका केवल टोकन नंबर ही सेव रहता है। अब यदि वह हैकर उस वेबसाइट का डाटा चोरी भी कर लेता है तो वह उस टोकन नंबर की सहायता से कुछ भी नहीं कर पाता है। वह इसलिए क्योंकि उस टोकन नंबर से जुड़ी हुई सभी जानकारी आपके बैंक के सर्वर में होती है और बैंक के सर्वर को या डाटा को हैक करना लगभग असंभव सा होता है।

टोकनाइजेशन के नुकसान (Tokenization ke nuksan)

अंत में आपको टोकनाइजेशन की प्रक्रिया से होने वाले नुकसान के बारे में भी जान लेना चाहिए। दरअसल यह एक जटिल प्रक्रिया कही जा सकती है क्योंकि बहुत से लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं होता है या इसे सही से क्रिएट करना ही नहीं आता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि पहली बात तो लोगों को अलग अलग समय पर अलग अलग टोकन नंबर Generate करने होते हैं जो एक अलग ही तरह की दुविधा है और फिर इसकी प्रक्रिया भी हर वेबसाइट और ऐप के लिए अलग अलग है।

ऐसे में लोगों के द्वारा इस तरह की जटिल प्रक्रिया को देखते हुए इसका कम इस्तेमाल किया जाता है और वे सीधे अपने कार्ड से ही भुगतान कर देते हैं। इसी के साथ ही भारत सरकार ने इसके लिए कठोर नियम नहीं बनाये हुए हैं और इसी कारण दुकानदार या मर्चेंट इसका इस्तेमाल करने से हिचकिचाते हैं। ऐसे में इसे और सरल व प्रभावी बनाने के लिए अभी कई तरह के काम किये जाने बाकि हैं।

टोकनाइजेशन क्या है – Related FAQs 

प्रश्न: टोकनाइजेशन सिस्टम क्या है?

उत्तर: टोकनाइजेशन सिस्टम में जब आप कोई ऑनलाइन पेमेंट अपने क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से करते हैं तो आपकी जानकारी वहां सेव नही होती है और वह गोपनीय रहती है।

प्रश्न: टोकन नंबर कैसे बनाएं?

उत्तर: टोकन नंबर बनाने की पूरी प्रक्रिया को हमने ऊपर के लेख के माध्यम से बताने का प्रयास किया है जो आपको पढ़ना चाहिए।

प्रश्न: टोकनाइजेशन के क्या फायदे हैं?

उत्तर: टोकनाइजेशन का सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि जब आप कोई ऑनलाइन पेमेंट अपने क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से करते हैं तो आपकी जानकारी वहां सेव नही होती है और वह गोपनीय रहती है।

प्रश्न: पेमेंट टोकनाइजेशन कैसे काम करता है?

उत्तर: पेमेंट टोकनाइजेशन के काम करने के तरीके के बारे में हमने ऊपर के लेख में विस्तार से जानकारी दी है जो आपको पढ़ना चाहिए।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने टोकेनाइजेशन के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि टोकनाइजेशन क्या है टोकनाइजेशन कैसे काम करता है टोकनाइजेशन के लाभ और हानि क्या हैं इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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