ट्रामा सेंटर क्या होता है? | ट्रामा सेंटर के प्रकार | ट्रामा सेंटर में किसका इलाज होता है? | Trauma centre kya hota hai

|| ट्रामा सेंटर क्या होता है? | Trauma centre kya hota hai | ट्रामा सेंटर में किसका ईलाज होता है? | Trauma treatment centre in Hindi | ट्रामा सेंटर कहां होता है? | Trauma centre ka kya matlab hai | ट्रामा सेंटर का मतलब क्या होता है? ||

Trauma centre kya hota hai :- आपका बहुत बार अस्पताल से वास्ता पड़ा होगा। कभी आप बीमार हो गए होंगे तो कभी घर के किसी सदस्य को दिखाने के लिए अस्पताल जाना पड़ा होगा। अब जैसे जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती चली जाती है वैसे वैसे ही उसके अस्पताल में लगने वाले चक्कर भी बढ़ते चले जाते (Trauma center ki Hindi) हैं। तो यदि आप कभी अस्पताल में गए हैं तो वहां कभी ना कभी आपकी नज़र वहां लिखे एक स्पेशल वार्ड पर पड़ी होगी जिस पर ट्रामा सेंटर लिखा हुआ होता है।

तो क्या कभी आपके दिमाग में यह नहीं आया कि यह ट्रामा सेंटर होता क्या है या फिर इसे अस्पताल में अलग से क्यों बनाया जाता है। अब इस (What is Trauma centre in Hindi) ट्रामा सेंटर को अलग से बनाने के बाद इसमें किया क्या जाता है इत्यादि। तो इस तरह के सभी प्रश्नों का उत्तर देने (Trauma centre ka matlab) ही तो हम यहाँ आये हैं। इस लेख के माध्यम से आपको ट्रामा सेंटर के बारे में सभी मूलभूत जानकारी जानने को मिलेगी। तो आइए जाने इस ट्रामा सेंटर के बारे में विस्तार से।

ट्रामा सेंटर क्या होता है? (Trauma centre kya hota hai)

अस्पताल में जाने पर सभी को आसानी से वहां एक अलग से वार्ड दिख जाता है जहाँ जाने की मनाही होती है। हालाँकि यह सभी अस्पताल में होना जरुरी होता है लेकिन बहुत से अस्पताल ऐसे भी मिल जाएंगे जहाँ यह ट्रामा सेंटर होते ही नही या होंगे भी तो वहां वैसी सुख सुविधाएँ नहीं होंगी जो होनी चाहिए। तो अब इन ट्रामा सेंटर का क्या मतलब होता है और यह क्यों हर अस्पताल में अलग से बनाए जाते हैं। आइए जाने इन सभी सवालों के जवाब।

ट्रामा सेंटर क्या होता है ट्रामा सेंटर के प्रकार ट्रामा सेंटर में किसका इलाज होता है

तो जब किसी अस्पताल में ट्रामा सेंटर को बनाया जाता है तो इसका सीधा सा मतलब होता है कि वहां गंभीर रूप से दुर्घटना ग्रसित व्यक्ति का उपचार किया जाता है। अब यदि हम या आप अस्पताल में जाते हैं तो वहां पर हम सामान्य बीमारी को दिखाने या पहले से ही हुई बीमारी (Trauma centre ka kya matlab hai) का नॉर्मल चेक अप करवाने जाते होंगे। लेकिन बहुत बार अस्पताल में इमरजेंसी केस भी आते हैं जिनका उपचार किया जाना उसी समय आवश्यक होता है।

अब इन मरीजो में सभी तरह के वे मरीज आ जाते हैं जो किसी दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। ऐसे व्यक्तियों का यदि समय रहते उपचार ना किया जाए तो उनकी मृत्यु तक हो सकती है या अन्य गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। तो अब ऐसे व्यक्तियों के उपचार के लिए ही ट्रामा सेंटर का निर्माण हर अस्पताल में किया जाना आवश्यक हो जाता है।

यदि कोई व्यक्ति किसी दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो जाता है या कोई व्यक्ति उस पर हमला कर उसे हानि पंहुचा देता है तो उस व्यक्ति का उसी समय उपचार किया जाना अति आवश्यक हो जाता है। तो उस अस्पताल में जो लोग पहले से ही अपना उपचार करवाने बैठे हुए हैं, उनकी बजाए उस व्यक्ति के उपचार को प्राथमिकता दी जाती है और उसे ट्रामा सेंटर में ले जाया जाता है। अब वहां के डॉक्टर उस व्यक्ति का ट्रामा सेंटर में उपचार करते हैं और जो कुछ हो सकता है वह करते हैं।

ट्रामा सेंटर के प्रकार (Trauma center classifications in Hindi)

अब यह अस्पताल की गुणवत्ता, उसकी शाखाओं, शहर, बजट इत्यादि के अनुसार निर्धारित किया जाता है। बड़े अस्पतालों में आपको कई तरह के ट्रामा सेंटर मिल जाएंगे जबकि छोटे अस्पताल में यह एक ही होगा या होगा ही नही। तो कहने का अर्थ यह हुआ (What are the Trauma center levels in Hindi) कि आपको कई तरह की सुख सुविधाओं वाले ट्रामा सेंटर मिल जाएंगे जहाँ इस तरह की दुर्घटनाओं का उपचार किया जाता है।

वैसे तो ट्रामा सेंटर के कोई स्पेसिफिक प्रकार नहीं होते हैं लेकिन यहाँ मिलने वाली सुविधाओं के अनुसार इन्हें लेवल 1, 2 या 3 में बांटा जा सकता है। यह हर देश, राज्य व स्थिति के अनुसार भिन्न भिन्न हो सकते हैं। तो किसी ट्रामा सेंटर में तो कम गंभीर केस का उपचार किया जाना संभव होता है तो कोई कोई अस्पताल इतने बड़े होते हैं कि वहां हर तरह के केस का उपचार किया जाना संभव होता है।

यहाँ मिलने वाले डॉक्टर भी ट्रामा सेंटर के प्रकार पर ही निर्भर करते हैं। बड़े अस्पताल में ट्रामा सेंटर के लिए अलग से डॉक्टर नियुक्त किये जाते हैं जबकि छोटे अस्पताल में वही डॉक्टर ही ट्रामा सेंटर में काम करते हैं। तो यह हमने पहले ही बता दिया कि ट्रामा सेंटर के प्रकार पूर्ण रूप से उस अस्पताल व वहां उपलब्ध सुविधाओं पर ही निर्भर करने वाले हैं।

ट्रामा सेंटर क्यों जरुरी होते हैं? (Trauma centre importance in Hindi)

आपका यह भी प्रश्न होगा कि जब अस्पताल है ही तो फिर इन ट्रामा सेंटर को अलग से क्यों बनाया जाता है। दरअसल इसके पीछे कई कारण होते हैं जिसकी वजह से इन ट्रामा सेंटर को अलग से बनाया जाना आवश्यक होता है। अब डॉक्टर सामान्य तौर पर रोगियों की जहाँ पर जांच करता है वहां पर हर तरह का व्यक्ति आता है। इसमें आप भी होंगे, बच्चे भी होंगे और वृद्ध भी। किसी को बुखार, खांसी जैसी छोटी बीमारी होती है तो कोई सामान्य चेक अप करवाने के लिए वहां आया होता है।

अब यदि डॉक्टर सभी के सामने ही उस गंभीर चोट लगे व्यक्ति को चेक करे या उसका उपचार करे तो यह अन्य लोगों के मन में भय पैदा कर सकता है। इसी के साथ साथ उस व्यक्ति में संक्रमण फैलने की संभावना भी बढ़ जाती है जिस कारण उसकी स्थिति बिगड़ सकती है। एक अन्य कारण यह भी है कि उस व्यक्ति को स्पेशल उपचार या ट्रीटमेंट की जरुरत होती है जो ट्रामा सेंटर में पहले से ही तैयार किया गया होता है।

अब इस बात का मतलब यह हुआ कि ट्रामा सेंटर को डिजाईन ही इस तरह से किया जाता है कि वहां इस तरह की चोट लगने वाले व्यक्ति का स्पेशल उपचार किया जा सके। वहां इस तरह के सभी उपकरण पहले से ही तैयार रहते हैं जिस कारण उस व्यक्ति का जल्द से जल्द और प्रभावी उपचार किया जाना संभव हो पाता है। कई बार तो वहां के डॉक्टर भी भिन्न होते हैं जो इस तरह का उपचार करते हैं और सर्जरी करने में माहिर होते हैं।

ट्रामा सेंटर में किसका ईलाज होता है? (Trauma treatment centre in Hindi)

ट्रामा सेंटर के बारे में इतनी जानकारी तो ले ली लेकिन इन ट्रामा सेंटर में किस किस व्यक्ति का ईलाज किया जा सकता है या होता है, यह जानना भी तो उतना ही आवश्यक हो जाता है। तो हर तरह की बीमारी वाला व्यक्ति या गंभीर लक्षण वाला इस ट्रामा सेंटर में नहीं आता है। अब यदि आप सोच रहे हैं कि किसी को कैंसर है और उसकी हालत बिगड़ती जा रही है तो उसे अस्पताल के द्वारा ट्रामा सेंटर में ले जाया जाएगा तो यह गलत है। ऐसे लोगों के लिए अस्पताल में इमरजेंसी या स्पेशल वार्ड होता है जहाँ उनका उपचार किया जाता है।

तो फिर ट्रामा सेंटर में किस तरह के व्यक्ति का उपचार किया जाता है, यह कैसे पता चलेगा। तो इसके लिए एक सिंपल नियम है और वह यह है की यदि किसी व्यक्ति को गंभीर शारीरिक क्षति हुई है और खून निकल रहा है तो फिर उसे ट्रामा सेंटर में ले जाया जाता है। उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति किसी बिल्डिंग से गिर जाता है या फिर उसकी वाहन चलाते समय दुर्घटना हो जाती है या फिर वह सीढियों से गिर जाता है या फिर उस पर कोई व्यक्ति चाकू या गोली से हमला कर देता है इत्यादि।

तो ऐसे व्यक्ति जिन्हें तत्काल प्रभाव से उपचार की आवश्यकता होती है और उनका रक्त निकल रहा होता है तो उस पर नियंत्रण पाने के लिए उसे ट्रामा सेंटर में ले जाया जाता है। वहां पर रक्त को रोकने, उसकी पट्टी करने तथा अन्य उपचार की पूरी व्यवस्था पहले से ही की गयी होती है।

ट्रामा सेंटर में क्या होता है? (Trauma centre me kya hota hai)

यदि आप किसी भी ट्रामा सेंटर में जाएंगे तो वहां आपको गंभीर रूप से चोटिल हुए लोगों का उपचार करते हुए डॉक्टर मिल जाएंगे या फिर ऐसे रोगी जिन्हें पहले गंभीर चोट लगी थी और अब वे वहां भर्ती है। तो इसकी प्रक्रिया जानने के लिए आइए इसे क्रमानुसार समझते हैं। तो मान लीजिए कोई व्यक्ति है जो सड़क पर चल रहा था और उसे पीछे से आकर किसी कार ने टक्कर मार दी। अब उस कार की टक्कर से वह व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो जाता है तो उसे आनन फानन में एक अस्पताल में ले जाया जाता है।

अस्पताल के डॉक्टर व नर्स उस व्यक्ति की स्थिति को देखते हुए उसे अपने अस्पताल में ट्रामा सेंटर में ले जाते हैं। अब उस व्यक्ति के ईलाज के लिए जो भी डॉक्टर जरुरी होता है वह उस ट्रामा सेंटर में पहुँच जाता है। अब उस डॉक्टर व अस्पताल के अन्य स्टाफ के द्वारा उस व्यक्ति का जितना उपचार हो सकता है, वह किया जाता है। इसके लिए ट्रामा सेंटर में पहले से ही सब व्यवस्था की गयी होती है ताकि इमरजेंसी स्थिति में किसी चीज़ की जरुरत ना आन पड़े।

साथ के साथ अस्पताल के स्टाफ के द्वारा इसके बारे में पुलिस व उस घायल व्यक्ति के घरवालों को भी जानकारी दे दी जाती है। वह इसलिए क्योंकि यदि दुर्घटना अपने आप ना होकर किसी और की वजह से हुई है तो इसके लिए पुलिस को बताया जाना आवश्यक होता है। तो इस तरह से ट्रामा सेंटर में सब काम किया जाता है और गंभीर रूप से चोटिल व्यक्तियों का जल्द से जल्द और उत्तम उपचार किया जाता है।

क्या ट्रामा सेंटर हर हॉस्पिटल में होता है?

अब यदि आप सोच रहे हैं कि आपको अपने शहर या जिले के हर अस्पताल में ट्रामा सेंटर मिल जाएगा तो आप गलत है। दरअसल यह उस हॉस्पिटल के प्रकार और वहां मिलने वाली सुविधा पर निर्भर करेगा। चूँकि यहाँ पर गंभीर बीमारी का ईलाज किया जाता है और कभी कभार तो इसमें सर्जरी तक की जरुरत पड़ती है तो यह सभी तरह के डॉक्टर के बस की बात नहीं होती है। जिस डॉक्टर ने सर्जन का कोर्स किया हुआ है केवल वही इसका उपचार कर सकता है।

तो यदि आप हर अस्पताल में ट्रामा सेंटर की सुविधा को लेकर जानना चाहते हैं तो आपको यह उच्च ही अस्पताल में मिलेगा। हालाँकि यदि अस्पताल बड़ा है तो फिर वहां पर ट्रामा सेंटर अवश्य ही होगा। वह इसलिए क्योंकि बड़े अस्पताल में तो सभी तरह की फैसिलिटी पहले से ही होती है। ऐसे में यदि वहां ट्रामा सेंटर ही नहीं होगा तो फिर कैसे काम चलेगा।

ट्रामा सेंटर क्या होता है – Related FAQs

प्रश्न: ट्रॉमा सेंटर का कार्य क्या है?

उत्तर: ट्रॉमा सेंटर का कार्य गंभीर रूप से चोटिल हुए लोगों का उपचार करना होता है।

प्रश्न: ट्रामा सेंटर का मतलब क्या होता है?

उत्तर: ट्रामा सेंटर का मतलब होता है अस्पताल में एक ऐसा वार्ड जहाँ दुर्घटना में चोटिल हुए लोगों का उपचार होता है।

प्रश्न: लेवल 1 और लेवल 2 ट्रॉमा में क्या अंतर है?

उत्तर: लेवल 1 और लेवल 2 ट्रॉमा में यही अंतर होता है कि लेवल 1 वाले में लेवल 2 वाले से ज्यादा सुख सुविधाएँ होती है।

प्रश्न: ट्रामा सेंटर कहां होता है?

उत्तर: ट्रामा सेंटर अस्पतालों में होते हैं।

इस तरह से आपने इस लेख के माध्यम से यह जान लिया कि ट्रामा सेंटर क्या होते हैं और इन्हें क्यों बनाया जाता है। अब व्यक्ति कहीं जा रहा है और उसकी दुर्घटना हो जाती है तो उसे किसी ऐसे अस्पताल में ही ले जाया जाता है जहाँ पर ट्रामा सेंटर की सुविधा होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहीं उसका उपचार उत्तम तरीके से किया जाना संभव हो पाता है।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
[fluentform id="3"]

Leave a Comment