उत्तराखंड मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना – पहाड़ों पर रहने वाली महिलाओं का जीवन बेहद कठिन है। चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी जुटाने से लेकर खेतीबाड़ी, पशुपालन तक, इन तमाम कामों का ज्यादातर भार महिलाओं पर होता है। रसोई बनाने के लिए लकड़ी का इंतजाम हो या फिर पशुओं के चारे के लिए घास की व्यवस्था, दोनोें के लिए जंगल जाना पड़ता है। जहां जान का जोखिम भी कम नहीं होता।
महिलाओं के लिए जंगल जाने की मजबूरी समाप्त करने और उनकी सुरक्षा को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याणकारी योजना (chief minister ghassyari Kalyan jojana) की घोषणा की है। आज इस पोस्ट (post) के माध्यम से हम आपको इसी योजना के बारे में जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना क्या है?
दोस्तों, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश में जंगल में घास काटने के लिए जाने वाली महिलाओं की सुविधा के लिए मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना जल्द ही लांघ किए जाने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री 19 फरवरी, 2021 को हल्द्वानी स्थित उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (uttarakhand open University) में आयोजित लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस योजना के लिए अधिकारियों को तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं और अधिकारियों के स्तर पर तेजी से काम शुरू कर दिया गया है।
योजना का नाम | मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना |
राज्य | उत्तराखंड |
लाभार्थी | पशु पालने वाली महिलाएँ |
उद्देश्य | कम मूल्य पर पशुओं को चारा उपलब्ध कराना |
आवेदन प्रक्रिया | अभी उपलब्ध नही |
7771 सहकारी केंद्रों पर कम दरों पर होगी चारा बिक्री की व्यवस्था
इस मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना के जरिये पशुपालन करने वाली महिलाओं को सस्ते में पशु चारा उपलब्ध होगा। सस्ता खाद्यान्न योजना की तर्ज पर पशुओं का चारा उपलब्ध कराया जाएगा। इसके तहत 7771 सहकारी केंद्रों पर कम दरों पर चारा बिक्री की व्यवस्था की जाएगी। यह केंद्र तमाम गांवों के संपर्क क्षेत्र में स्थित हैं। ऐसे में महिलाओं को अपने घरों के नजदीक ही हरे चारे की उपलब्धता हो सकेगी। पशुओं के लिए लाभदायक चारा आसानी से उपलब्ध हो सकेगा।
घसियारी कल्याण योजना का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा है?
मित्रों, इस मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना को लाए जाने का मुख्य उद्देश्य पहाड़ की पशु पालने वाली महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस योजना के आने के बाद पहाड़ की महिलाओं को घास लेने के लिए जंगल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्हें अपने गांव-घर के पास पशुओं के लिए हरा चारा उपलब्ध होगा।
दोस्तों, आपको बता दें कि उत्तराखंड राज्य में जंगली जानवर बीते 10 सालों में 562 से ज्यादा इंसानी जानें ले चुके हैं। और यह बताने की आवश्यकता नहीं कि जिनकी जानें गईं, उनमें अधिकांश महिलाएं हैं। इनमें अधिकतर पशुओं के लिए चारा पत्ती लेने के लिए जंगल गई थीं। इसके अलावा कई की मौत चट्टान से गिरने, पेड़ से पैर फिसलने जैसी वजहों से हुई।
बहुत सी महिलाओं की मौत तो रिकार्ड में दर्ज ही नहीं हो पाती, क्योंकि दूरस्थ क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा मौजूद नहीं। अभी तक वाहन लेने के लिए मुख्य मार्ग तक पहुंचने को भी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए इस योजना को शुरू करने की घोषणा को पहाड़ की महिलाओं की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पशु चारे का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है?
सरकार की कोशिश सहकारिता में पशु चारे का उत्पादन बढ़ाने पर है। सहकारिता विभाग के अनुसार इस समय करीब 8 हजार मीट्रिक टन ट्रैक्टर पशु चारे का उत्पादन हो रहा है। इसे बढ़ाकर 50 हजार मीट्रिक टन किया जाना है। इसके लिए जल्दी ही प्लांट भी स्थापित किया जाएगा।
इस वक्त पशु चारे पर खर्च 15 रुपए प्रति किलो, जिसको तीन रुपए किया जाएगा
दोस्तों, आपको बता दें कि पशुओं के चारे पर उत्तराखंड प्रदेश सरकार अपनी तरफ से अनुदान भी देगी। इस वक्त पशु चारे पर प्रति किलोग्राम करीब ₹15 खर्च किए जा रहे हैं। सरकार की योजना है कि भविष्य में यह चारा लगभग ₹3 प्रति किलो की दर से लोगों को मिले। ये खर्च उस काम और जोखिम के बोझ की तुलना में बेहद कम होगा, जो महिलाओं को घास लाने के लिए उठाना पड़ता है।
आपको बता दें कि इस योजना में अनुदान का हिस्सा भी शामिल है। इसी को देखते हुए योजना का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा। आपको बता दें कि कैबिनेट की बैठक 25 फरवरी, 2021 को होने वाली है। दोस्तों आपको बता दें कि उत्तराखंड में 2024 चुनावी वर्ष है। ऐसे में सत्तासीन सरकार की ओर से लगातार विभिन्न उद्घाटन और शिलान्यास कार्यक्रमों को अंजाम दिया जा रहा है।
लगातार नई-नई घोषणाएं की जा रही हैं। ताकि चुनाव प्रचार के वक्त इन योजनाओं को सरकार की उपलब्धियों के तौर पर गिनाया जा सके। और चुनाव में मतदाताओं का वोट हासिल किया जा सके।
पशु चारे के 25 किलो बैग तैयार किए जाएंगे
आपको बता दें कि सहकारिता के माध्यम से चारे का उत्पादन बढ़ाने की योजना है। ऐसे में परिवहन लागत को देखते हुए पशु चारे के करीब 25 किलो के बैग तैयार किए जा रहे हैं। यह बैग आसानी से उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा इस मुख्यमंत्री घस्यारी योजना की सफलता इस बात पर भी निर्भर करेगी कि इस योजना के प्रति लोगों में कितनी जागरूकता है। इस दिशा में भी सरकार को प्रयास करना होगा।
उत्तराखंड में 25 लाख से अधिक परिवार पशुपालन से जुड़े हैं?
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि प्रदेश में 25 लाख से अधिक परिवार सीधे तौर पर पशुपालन से जुड़े हैं। डेयरी विभाग के मुताबिक, उत्तराखंड में करीब 10 लाख दुधारू गाय और 19 लाख भैंसें हैं। सिंचाई की उपलब्धता नहीं होने से पर्वतीय क्षेत्रों में चारा उत्पादन की संभावना कम रहती है। इसके अलावा सूखी घास से पशुओं को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता, लिहाजा इसका असर दुग्ध उत्पादन पर पड़ता है।
ऐसे में हरे चारे की नर्सरी तैयार करने का भी निर्णय हुआ है। ऊधमसिंह नगर जिले के सितारगंज और खटीमा क्षेत्र में चारा उगाया जाएगा। हरे चारे की अत्याधुनिक मशीनों से कटाई कर उसे पॉली बैग में पैक किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के सिर से चारे का बोझ हटाने और पोष्टिक व हरे चारे की उपलब्धता के उद्देश्य से राज्य सरकार ने साइलेज एवं पशु पोषण योजना भी शुरू की है। इस योजना के तहत 50 प्रतिशत अनुदान पर साइलेज (मक्के का हरा चारा) उपलब्ध कराया जा रहा है।
पहाड़ की महिलाओं की जिंदगी पहाड़ जैसी मुश्किल
दोस्तों, इस तथ्य से आप भी अंजान नहीं होंगे कि पहाड़ की औरतों की जिंदगी पहाड़ जैसी मुश्किल होती है। बच्चों को तैयार करना, गाय को जंगल भगाना, घास लाना, खाना बनाना, खेतों में जाना और फिर शाम को वापस आना। अधिकांश महिलाओं के पति या तो फौज में हैं या बाहरी राज्यों में नौकरी करते हैं। गांव में घर-गृहस्थी का सारा जिम्मा महिलाओं पर है। पति तीन-चार महीने बाद आते हैं। की गांवों में बाघ और गुलदार सक्रिय हैं। बाघ घर के बाहर तक आ जाते हैं। खेती को जंगली सुअर खा जाता है।
ढेरों महिलाएं काम की वजह से अपने बच्चों की देखभाल भी नहीं कर पातीं। कई मनरेगा में काम करती हैं, लेकिन बोझा ढोने से कमर में दर्द होता है। पहले मनरेगा में काम करती थी पर बच्चे के कारण छोड़ दिया। और दिक्कत यह है कि कभी काम मिलता है और कभी नहीं मिलता। कई का तो जंगल में गिरने से पैर भी फ्रैक्चर हो जाता है। पहाड़ पर हवा-पानी सही है, बस पैसा नहीं है।
गांवों में मेडिकल की कोई सुविधा नहीं है। डिलीवरी के लिए महिलाओं को बहुत तकलीफ उठानी पड़ती है। कभी कभी घरों में भी प्रसव हो जाता है। एंबुलेंस को आने में रास्ता खराब होने की वजह से देर हो जाती है। दवाखाना है तो दवा नहीं। यह योजना महिलाओं के प्रति मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की संवेदनशीलता की परिचायक भी है।
उत्तराखंड में बनने वाले म्यूजिक एल्बमों में भी दिखती है जिंदगी की लाचारी
उत्तराखंड राज्य में बनने वाले म्यूजिक एल्बमों में भी चारे के लिए जंगल का रुख करने वाली महिलाओं की पीड़ा साफ नजर आती है। लीला घस्यारी, स्वेता घस्यारी, घस्यारी बिम्मू जैसे गढ़वाली बोली में बने संगीत एल्बमों में उनकी पीड़ा को स्वर दिए गए हैं। वास्तविक स्थिति को शब्दों के माध्यम से चित्रित किया गया है। ये एल्बम बेहद लोकप्रिय भी रही हैं। इनमें स्थानीय कलाकारों ने स्थानीय गायक-गायिकाओं के बोलों को पर्दे पर जीवंत कर दिया है।
महिलाओं ने सालों की मेहनत से तैयार किए बांज के जंगल
पहाड़ों के कई गांवों में ग्रामीण महिलाओं ने सालों की मेहनत से बांज के जंगल तैयार किए हैं। ऐसा इसलिए, ताकि उन्हें पशु चारा अपने गांव के आस पास ही उपलब्ध हो सके और उन्हें दूर जंगलों की राह ना पकड़नी पड़े। और उनकी जान जोखिम में ना आएं। आपको बता दें कि प्रदेश में बाघों और गुलदारों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में वे बेहद आसानी से महिलाओं को अपना शिकार बना रहे हैं। जंगल में लकड़ियां और चारा लेने गई महिलाओं की जिंदगी दांव पर लगी रहती है। गुलदार, बाघ समेत जंगली जानवरों के हमले में महिलाओं की मौत की घटनाओं में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना प्रश्न उत्तर
उत्तराखंड मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना क्या हैं?
उत्तराखंड मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना प्रदेश की पशु पालने वाली महिलाओं के पशुओं को कम मूल्य पर चारा उपलब्ध कराने के लिए की गई सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हैं।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना शुरुआत किसने की हैं?
उत्तराखंड मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की शुरुआत उत्तराखंड मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी के द्वारा 19 फरवरी 2021 को की गई थीं।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना का लाभ किसे प्रदान किया जाएगा?
उत्तराखंड मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना का लाभ प्रदेश के उन नागरिको को प्रदान किया जाएगा जो पशुपालन करते है। और अपने पशुओं के लिए जंगल चारा लेने जाते हैं।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना का उद्देश्य क्या हैं?
उत्तराखंड मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना का मुख्य उन महिलाओं को लाभ पहुचांना है जो अपने पशुओं के लिए जंगल चारा लेने जाती हैं। इस योजना के अंतर्गत पशु पालन करने वाली महिलाओं के पशुओं के पालन पोषण के लिए सस्ती दर पर चारा प्रदान किया जाएगा।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना के अंतर्गत कितने रुपए किलो चारा प्रदान किया जाएगा?
प्रदेश के पशुपालन महिलाओं के लिए इस योजना के अंतर्गत ₹3 प्रति किलो चारा उपलब्ध कराया जाएगा।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना का लाभ कैसे मिलेगा?
इस योजना का लाभ लेने वाले लाभार्थियों को अपने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा लेकिन अभी इस योजना में रजिस्ट्रेशन करने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है इसलिए अभी आपको इसलिए इंतजार करना होगा
अंतिम शब्द
दोस्तों, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पति की संपत्ति में महिलाओं को खातेदार बनाए जाने का प्रावधान करने के साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहों को लोन प्रदान करने जैसी महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं। इसी कड़ी की एक योजना मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से लाने की घोषणा की गई मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना भी है। आपको बता दें कि चारा लेने के लिए जंगल गई महिलाओं के जान गंवाने जैसे कई मामले पूर्व में दर्ज ही नहीं होते थे।
पिछले कुछ सालों में सरकार और प्रशासन की सक्रियता के साथ ही साथ जन जागरण के चलते गुलदार और अन्य हमलों में हुई मौतों के रिकार्ड दर्ज होने शुरू हुए हैं। लेकिन चट्टान से गिरने, तेज बहाव में बहने या अन्य किसी वजह से जान जाने जैसे मामले सामान्य मौत में ही दर्ज किए जाते थे। जाहिर तौर पर महिलाओं की सुरक्षा को उनकी चारे के लिए जंगल जाने की बाध्यता को खत्म किए जाने की आवश्यकता थी। यह कार्य मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना के माध्यम से बखूबी हो सकेगा, यह मानकर चला जा सकता है।
मित्रों, यह थी मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना के बारे में जानकारी। यदि आप किसी अन्य योजना के बारे में हमसे जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट करके अवगत करा सकते हैं। यदि आपकी कोई प्रतिक्रिया या सुझाव है तो हमें लिख भेजिए। हमें इंतजार रहेगा। ।।धन्यवाद।।
Sir mujhe ess yojana ka laab nahi mil raha hai, mai bagashwar mai rahata hu
आप इस योजना में अप्लाई कर दीजिए। अगर आप इस योजना के पात्र होंगे तो निश्चित ही योजना का लाभ आपको दिया जाएगा।