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इन दिनों देश में आईपीएल से भी ज्यादा अगर किसी चीज की चर्चा है तो वह यूनिफार्म सिविल कोड (uniform civil code) है। बहुत से लोगों को इसका अर्थ भी नहीं पता। उत्तराखंड, जहां के मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर बाकायदा कमेटी गठित कर ड्राफ्ट बनाने को लेकर कवायद भी शुरू कर दी है, वहां भी लोग इसके अर्थ एवं इसके असर से अधिकांशतः अंजान हैं।
यदि आप भी इस मसले को समझना और गहराई से जानना चाहते हैं तो आप एकदम सही जगह पर हैं। आज इस पोस्ट में हम आपको यूनिफार्म सिविल कोड (uniform civil code) क्या है, इस बारे में विस्तार से बताएंगे। आइए, शुरू करते हैं-
यूनिफार्म सिविल कोड क्या होता है? (What is uniform civil code?)
दोस्तों, सबसे पहले इसके अर्थ को जान लेते हैं। इसका हिंदी में अर्थ होता है समान नागरिक संहिता। यानी देश के प्रत्येक नागरिक के लिए समान कानून, चाहे वह किसी भी धर्म अथवा संप्रदाय का हो।
यूनिफार्म सिविल कोड (uniform civil code) लागू होने पर सभी धर्मों के लोगों पर शादी-ब्याह, तलाक, गोद लेने, विरासत संपत्ति बंटवारे आदि को लेकर एक ही कानून लागू होगा।
देश में समान नागरिक संहिता की बात सबसे पहले कब उठी? (When did first time matter of uniform civil code rise?)
साथियों, यह सवाल आपके मन में भी जरूर आ रहा होगा कि जिस यूनिफार्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता पर आज बहस हो रही है, उसकी बात सबसे पहले कब उठी? तो आपको बता दें कि इसकी शुरूआत तब हुई थी जब भारत में ब्रिटिश राज (British empire) था।
ब्रिटिश सरकार (British government) ने सन् 1835 में अपनी रिपोर्ट में अपराधों, सुबूतों एवं अनुबंधों जैसे विषयों पर भारतीय कानून की संहिता (code of indian law) में एकरूपता लाने की बात कही थी। यद्यपि उस वक्त इस रिपोर्ट (report) में हिंदू एवं मुस्लिमों के व्यक्तिगत कानूनों को इससे बाहर रखने की सिफारिश की गई थी।
अभी देश में सिविल कोड की क्या स्थिति है? (What is the present condition of civil code in country?)
मित्रों, अब आते हैं सिविल कोड पर। यह तो आपको पता ही होगा कि अभी तक मुस्लिम, ईसाईयों एवं पारसियों पर मुस्लिम पर्सनल लाॅ (muslim personal law) के फैसले लागू होते हैं, जबकि हिंदू, सिख, जैन व बौद्ध हिंदू सिविल लाॅ (hindu civil law,) के तहत आते हैं।
यह आज से नहीं है। सन 1941 में हिंदू कानून को संहिताबद्ध करने के लिए बीएन राव समिति (BN Rao committee) बनी थी। उसी की सिफारिशों पर हिंदू, बौद्ध, सिखों एवं जैनियों के लिए उत्तराधिकार, तलाक एवं संपत्ति से जुडे कानून संशोधित करके वर्ष 1956 में हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम बनाया गया।
वहीं मुस्लिम, ईसाई, पारसियों के लिए अलग व्यक्तिगत कानून चलते रहे। लेकिन यूनिफार्म सिविल कोड (uniform civil code) लागू हुआ तो इसके बाद ये व्यक्तिगत कानून समाप्त हो जाएंगे। सभी धर्मों के लोगों पर एक ही कानून लागू होगा।
जैसा कि पहले ही बता चुके हैं कि इस कोड के लागू होने के बाद मामला चाहे शादी-ब्याह, तलाक अथवा जमीन जायदाद में हिस्से का हो, सब धर्मों के लोग एक ही कानून के दायरे में आएंगे। इससे यह होगा कि धर्म के आधार पर किसी संप्रदाय अथवा नागरिक को कोई विशेष लाभ नहीं प्राप्त होगा।
यूनिफार्म सिविल कोड इन दिनों क्यों बहुत चर्चा में है? (Why uniform civil code is the talk of town these days?)
संविधान में यूनिफार्म सिविल कोड लागू किया जाना अनुच्छेद 44 के अंतर्गत राज्य की जिम्मेदारी निर्धारित की गई है। राज्य चाहें तो अपने यहां यूनिफार्म सिविल कोड लागू कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए यह बिल राज्य की विधानसभा से दो तिहाई बहुमत से पास होना आवश्यक है।
इसके पश्चात इसे राज्यपाल (governer) के यहां भेजा जाता है। उनके हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाता है। यद्यपि राज्य के कुछ कानूनों को मंजूरी के लिए कई बार राष्ट्रपति के पास भी भेजा जाता है। यह बात दीगर है कि अभी तक देश में यह लागू नहीं हुआ है, इसे लेकर केवल बहस मुबाहिसे का दौर जारी है।
वर्तमान नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार देश में यूनिफार्म सिविल कोड को लागू करने को लेकर चर्चा में है। भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya janta party) ने 2019 में अपने चुनावी घोषणा पत्र (election manifesto) में इस मसले को शामिल किया था।
अन्य पार्टियां इस कोड को लेकर भाजपा पर बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देने और वोटों की सियासत करने का आरोप जड़ रही हैं। मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड (muslim personal law board) इसका विरोध कर रहा है। इसे लेकर यह यूनिफार्म सिविल कोड इन दिनों चर्चा में है।
भाजपा शासित राज्यों में सबसे पहले किस राज्य ने इस पर कदम उठाया? (Which BJP led state took first step on this?)
मित्रों, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भाजपा शासित राज्यों (BJP led states) में उत्तराखंड सरकार (uttarakhand government) ने एक कदम आगे बढ़ते हुए इस संबंध में ड्राफ्ट (draft) तैयार करने को कमेटी (committee) का गठन कर दिया है। इसे पहले ही कैबिनेट (cabinet) की मंजूरी मिल चुकी है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM pushkar Singh dhami) ने सत्ता में आने पर जिन वादों को पूरा करने की बात कही थी, उसमें यूनिफार्म सिविल कोड (uniform civil code) भी एक बड़ा वादा था। अब वे इसे पूरा करने में जुटे हैं। माना जा रहा है कि यहां बहुत यूनिफार्म सिविल कोड धरातल पर आकार ले लेगा।
यद्यपि उत्तराखंड (uttarakhand) के लोग इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं। उत्तराखंड के दूर दराज गांव अभी तक मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। वहां पहाड़ के दूरस्थ गांवों में स्वास्थ्य सुविधा (health facilities) न के बराबर है। प्रसूताओं को इलाज के लिए मुख्य मार्ग तक आने को ही दो-तीन किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ती है।
पीएचसी (PHC) पर इलाज के पर्याप्त संसाधन (adequate resources) नहीं। शिक्षा (education) का भी यही हाल है। ऐसे में बहुत से लोग चाहते हैं कि सरकार वहां स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं विकसित करने पर जोर दे। यह यूनिफार्म सिविल कोड (uniform civil code) की बात उसके बाद उठाई जानी चाहिए।
अभी तक किन देशों ने यूनिफार्म सिविल कोड को अपनाया है? (Till now which countries implemented uniform civil code?)
जहां अभी भारत में यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर केवल बहस मुबाहिसा चल रहा है, वहीं ऐसे बहुत से देश हैं, जो इसे लागू भी कर चुके हैं। इन देशों में मुस्लिम बहुत देश पाकिस्तान (pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh), तुर्की (Turkey), इंडोनेशिया (Indonesia), मलेशिया (Malayasia), सूडान (Sudan), यूनान (Egypt) जैसे देश शामिल हैं।
यहां सभी धर्मों के लोगों के लिए शादी, गोद लेने, संपत्ति के बंटवारे संबंधी एक ही नियम हैं, जो सब पर लागू होेते हैं। धर्म के आधार पर किसी प्रकार का विशेष लाभ नहीं प्रदान किया जाता।
अभी अपने देश भारत में यूनिफार्म सिविल कोड कहां लागू है? (Where uniform civil code is implemented in our country at present?)
मित्रों, आपको बता दें कि अभी तक केवल गोवा (Goa) ही देश का मात्र एक ऐसा राज्य है, जहां यूनिफार्म सिविल कोड (uniform civil code) लागू है। लेकिन यह आज से नहीं है। आपको बता दें कि आज से 61 वर्ष पूर्व 1961 में जब गोवा में सरकार बनी थी तो वहां उसका गठन यूनिफार्म सिविल कोड के साथ ही हुआ था।
दरअसल, गोवा में वहां की आजादी से पूर्व 1867 से ही पुर्तगाली सिविल कोड लागू था। गोवा के स्वतंत्र होने के बाद भी यह कोड वहां पूर्ववत जारी रहा। खास बात यह है कि यह सिविल कोड कुछ खास मामलों में गोवा में जन्में हिंदुओं को बहु-विवाह की इजाजत देता है।
जैसे-यदि 25 वर्ष की उम्र तक पत्नी से कोई संतान न हो तो पति दूसरे विवाह का अधिकारी होगा। यदि 30 वर्ष तक पत्नी पुत्र को जन्म न दे तो भी पति दूसरा विवाह कर सकता है।
यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने से क्या लाभ होंगे? (What advantages are there of implementing uniform civil code?)
साथियों, अब बात करते हैं यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने से देश के नागरिकों को होने वाले लाभ की। ये लाभ इस प्रकार से हैं-
- समान नागरिक संहिता देश के सभी लोगों को शादी, तलाक, गोद लेने, संपत्ति के बंटवारे के मामले में साथ ला देगी।
- यूनिफार्म सिविल कोड के आने के बाद विभिन्न धर्मों के व्यक्तिगत कानून खत्म हो जाएंगे। ऐसे में इनसे जुडे विवाद जो कोर्ट में सालों से लंबित हैं, उन पर जल्द फेसले होंगे।
- महिलाओं, विशेषकर अल्पसंख्यक महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा। कुछ धर्मों के पर्सनल लाॅ में महिलाओं के अधिकार सीमित हैं। उनके अधिकारों में इजाफा होगा।
- कानून में समानता से देश में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को बल मिलेगा। इसके साथ ही न्यायपालिका पर बोझ कम होगा।
- वोट बैंक की सियासत नहीं होगी। वोटों का ध्रुवीकरण नहीं हो सकेगा।
यूनिफार्म सिविल कोड का विरोध कौन कर रहा है और क्यों? (Who is opposing uniform civil code and why?)
दोस्तों, आपको बता दें कि मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड (muslim personal law board) खुले तौर पर यूनिफार्म सिविल कोड का विरोध कर रहा है। उसके प्रतिनिधि साफ कर चुके हैं कि उन्हें यूनिफार्म सिविल कोड मंजूर नहीं है। इससे उन्हें लगता है कि उनके ऊपर हिंदू सिविल लाॅ (Hindu civil law) के नियम थोप दिए जाएंगे।
इसके अतिरिक्त अन्य विपक्षी पार्टियां भाजपा पर संप्रदाय एवं वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगाते हुए इसका विरोध कर रही हैं। उस पर बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देने का भी आरोप लग रहा है।
उनका मानना है कि यह प्रस्ताव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, जो किसी भी धर्म को मानने एवं प्रचार की स्वतंत्रता का हक देता है, के खिलाफ है। इसे वे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में दी गई समानता की अवधारणा के भी खिलाफ बताते हैं।
देश में अभी किन मामलों में समान नागरिक संहिता लागू है? (In which matters uniform civil code is implemented in country?)
बेशक विवाह, तलाक, गोद लेने, विरासत आदि के मामलों में समान नागरिक संहिता को लेकर अभी चर्चाएं हैं, लेकिन कुछ मामले ऐसे में जहां हमारे देश में समान नागरिक संहिता लागू है। जैसे-भारतीय अनुबंध अधिनियम, माल बिक्री अधिनियम, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, भागीदारी, नागरिक प्रक्रिया संहिता आदि समान नागरिक संहिता के उदाहरण हैं।
यूनिफार्म सिविल कोड से महिलाओं की स्थिति में सुधार कैसे होगा? (How the condition of women will improve by uniform civil code?)
मित्रों, अब आपको इस बात से अवगत कराते हैं कि यूनिफार्म सिविल कोड से महिलाओं की स्थिति में कैसे सुधार आएगा। माना जाता है कि एमपीएल (MPL) यानी मुस्लिम पर्सनल लाॅ महिलाओं के साथ तीन तरीकों से भेदभाव करता है। यह एक मुस्लिम व्यक्ति को एक बार में चार पत्नियों से निकाह की इजाजत देता है।
तीन तलाक एवं पूर्व पत्नी को किसी प्रकार की वित्तीय सहायता न दिया जाना। माना जाता है कि यूनिफार्म सिविल कोड (uniform civil code) लागू होने के बाद यह व्यक्तिगत कानून (personal law) खत्म हो जाएगा।
उनके लिए भी शादी-ब्याह, तलाक, संपत्ति में अधिकार संबंधी वही कानून लागू होगा, जो देश में तमाम अन्य लोगों के लिए लागू है। इस प्रकार उनकी सामाजिक (social) के साथ ही आर्थिक स्थिति (economic condition) में भी सुधार आएगा।
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यूनिफार्म सिविल कोड का क्या अर्थ है?
यूनिफार्म सिविल कोड का अर्थ समान नागरिक संहिता है।
समान नागरिक संहिता से क्या तात्पर्य है?
इसका अर्थ यह है कि देश में प्रत्येक नागरिक के लिए, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, एक ही कानून लागू होगा।
अभी तक सिविल कोड को लेकर देश में क्या व्यवस्था है?
अभी तक हिंदू, सिख, जैन व बौद्ध हिंदू सिविल लाॅ के अंतर्गत आते हैं, जबकि मुस्लिम पर्सनल लाॅ के अंतर्गत मुस्लिम, ईसाई एवं पारसी समुदाय आता है।
क्या यूनिफार्म सिविल कोड के बाबत संविधान में भी व्यवस्था है?
संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता लागू करना राज्य की जिम्मेदारी मानी गई है।
भारत में ऐसा कौन सा राज्य है, जहां वर्तमान में यूनिफार्म सिविल कोड लागू है?
भारत देश में गोवा ऐसा राज्य है, जहां वर्तमान में यूनिफार्म सिविल कोड लागू है।
दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में यूनिफार्म सिविल कोड (uniform civil code) के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यदि आप इसी प्रकार के सम सामयिक विषय पर हमसे पोस्ट चाहते हैं तो नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं। यदि आपके मन में कोई सुझाव है तो आप इसी प्रकार उसे हमसे साझा भी कर सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें इंतजार है। ।।धन्यवाद।।
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