यूपी गौ ग्राम योजना 2024 – आवारा गायों के लिए गौशाला, लाभ, उद्देश्य, कमाई

Gau Gram Yojana UP 2024 | आवारा गायों के लिए यूपी गौ ग्राम योजना | उत्तर प्रदेश में गौशाला कैसे खोले | Gaushala Subsidy Yojana In UP | गौशाला रजिस्ट्रेशन प्रोसीजर इन उत्तर प्रदेश

हमारे देश में गोमाता को बहुत पवित्र माना जाता है। गाय हिंदू धर्म की आस्था की प्रतीक है। प्रत्येक घर में सुबह पहली रोटी गाय के लिए निकाले जाने का चलन है। उत्तर प्रदेश सरकार भी गोवंश को लेकर बहुत संवेदनशील है। उसने गोवंश के संरक्षण, संवर्धन के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। ऐसी ही एक योजना यूपी गौ ग्राम योजना है। आज इस पोस्ट में हम आपको इसी योजना के संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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उत्तर प्रदेश गौ ग्राम योजना क्या है?

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य भर में गौ ग्राम योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत प्रदेश के विभिन्न जिलों में गायों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए गोशालाएं खोली जाएंगी। प्रत्येक किसान परिवार को स्वदेशी नस्ल की दो दुधारू गायें मिलेंगी। गायों को दान करने के क्रम में गांवों के सक्षम लोग भी सहायता करेंगे। सरकार ये गोशालाएं खोलने में वित्तीय सहायता (financial assistance) प्रदान करेगी।

साथ ही इन गोशालाओं में रखी गई गायों के दूध, मूत्र और गोबर की आपूर्ति के लिए भी प्रयास करेगी। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। योजना के प्रथम चरण में उतर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने वृंदावन के 108 गांवों को इस योजना के क्रियान्वयन के लिए चुना है। इन गौ ग्राम में गोवंश के गोबर-मूत्र से निर्मित दवाओं व खाद का इस्तेमाल करने के लिए ग्रामीणों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री द्वारा मथुरा में रखी गई महामना गो ग्राम की नींव

मित्रों, आपको बता दें कि फरवरी, 2018 में मथुरा के प्रेमनगर, धरोरा स्थित श्री मथुरा-वृंदावन हसानन्द गौचर भूमि ट्रस्ट समिति के सहयोग से चेतन्य विहार में प्रथम महामना गो ग्राम की नींव रखी गई। स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्यक्रम में शिरकत की। उन्होंने देश की रक्षा के लिए गांव, गौ और गंगा के संरक्षण को आवश्यक बताया। गौ तस्करी को रोकने के लिए उठाए गए प्रयासों के विषय में जानकारी दी। उन्होंने गोसंवर्धन के लिए समाज को उसकी जिम्मेदारी का अहसास कराया।

उन्होंने कहा कि गाय ऊर्जा देने का सशक्त माध्यम है। वह दूध, दही, खाद, गैस सब दे सकती है। वृंदावन भगवान के गौचारण की भूमि है। यह गोपालन की भूमि है। बृज गौचारण की अत्यंत समृद्ध भूमि रही है, पर हम नई नस्ल पैदा नहीं कर पाए। ऐसे में गो संरक्षण व संवर्धन अभियान बृज भूमि से शुरू होना चाहिए।

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स्वदेशी नस्ल की 10 हजार गायों का समायोजन होगा

श्री मथुरा-वृंदावन हसानन्द गौचर भूमि ट्रस्ट गोशालाएं खोलने को बढ़ावा देगा। साथ ही स्वदेशी नस्ल की 10 हजार गायों को समायोजित भी करेगा। आपको बता दें दोस्तों कि इस ट्रस्ट की स्थापना देश की आजादी से भी पहले सन् 1935 में भारत रत्न व काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय ने की थी। वे स्वदेशी उत्पादों पर आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिए जाने के पक्षधर थे।

गोवंश का संरक्षण व संवर्धन उनका भी लक्ष्य था। यह ट्रस्ट भी उनके द्वारा स्थापित किए गए लक्ष्यों को सामने रखकर कार्य कर रहा है। इसकी पहल पर पशु चिकित्सक गांवों का भ्रमण कर बीमार पशुओं की दवा-पट्टी भी करते हैं।

उत्तर प्रदेश गौ ग्राम योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?

साथियों, अब आपको बताते हैं कि उत्तर प्रदेश गौ ग्राम योजना का मुख्य लक्ष्य क्या है। मित्रों, सरकार गोमाता की सुरक्षा, सेवा व संरक्षण के मुख्य उद्देश्य से इस योजना को लेकर आई है। इसके अलावा योजना से जुड़े कुछ अन्य लाभ इस प्रकार से हैं-

  1. गायों के वध पर लगाम। उनके संरक्षण की राह प्रशस्त होगी।
  2. गायों के दूध, मूत्र और गोबर की बिक्री से किसानों को आय होगी। उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी।
  3. अच्छी क्वालिटी के दूध व दुग्ध पदार्थों की आपूर्ति।
  4. गाय मूत्र से किसानों को जैविक खाद मिलेगी। इसके प्रयोग से फसल उन्नत होगी।
  5. गायों की स्वदेशी नस्ल को बढ़ावा मिलेगा।
  6. उत्तर प्रदेश की आर्थिकी और बेहतर बनाने में सहायक।
  7. गाय आधारित अर्थव्यवस्था से एलपीजी पर निर्भरता कम होगी। विदेशी मुद्रा की बचत होगी।

गौ ग्राम योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कैसे करें?

साथियों, आपको बता दें कि अभी उत्तर प्रदेश गो ग्राम योजना के तहत आवेदन प्रक्रिया के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कोई जानकारी नहीं प्रदान की गई है। जैसे ही सरकार की ओर से इस संबंध में कोई अपडेट आता है, हम उससे तुरंत आपको अवगत कराएंगे। इसके लिए आप निरंतर हमारी वेबसाइट को चेक करते रहें। सरकार जल्द ही इस संबंध में घोषणा कर सकती है।

उत्तर प्रदेश पहला राज्य, जिसमें गोवंश की रक्षा के लिए सबसे बड़ा बजट

उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां गोवंश की रक्षा को सबसे अधिक बजट का प्रावधान किया गया। वर्ष 2019-20 बजट में गोवंश कल्याण के लिए विभिन्न मदों में करीब 631.60 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई थी। डीएम, ग्राम प्रधानों और निगम अधिकारियों की इस मामले में सीधी जिम्मेदारी तय कर दी गई थी। लापरवाही पर कार्रवाई तय की गई। दोस्तों, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गो प्रेम किसी से छिपा नहीं है।

आपको बता दें कि 2017 में जैसे ही योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाली, उन्होंने गो वंश की रक्षा के लिए 250 करोड़ रुपए की रकम आवंटित की। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी ने प्रदेश में काऊ सेस (cow cess) यानी टैक्स भी लगा दिया था। दोस्तों, आपको बता दें कि सेस को tax on tax की संज्ञा दी गई है। इसे अक्सर सरकार किसी जन हित की सेवा को बढ़ावा देने के लिए आरोपित करती है।

गोवंश संरक्षण के लिए योगी सरकार कई योजनाएं लाई है?

मित्रों, आपको शायद ज्ञात हो, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार गो वंश संरक्षण के लिए कई योजनाएं लेकर आई है। कुछ समय पूर्व उसने निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना का शुभारंभ किया है, जिसके तहत निराश्रित पशुओं की देखभाल व उनके पालन-पोषण के लिए 30 रुपये प्रतिदिन देने का ऐलान किया है।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार गोपालक योजना, निराश्रित गोवंश के संरक्षण व भरण-पोषण के लिए स्थायी-अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल, गो संरक्षण केंद्र, गोवंश वन्य विहार, पशु आश्रय गृह आदि संचालित कर रही है।

उत्तर प्रदेश में गोकशी से जुड़े अपराधों पर और सख्त सजा

साथियों, शायद आप इस बात से वाकिफ होंगे कि उत्तर प्रदेश में गोकशी अथवा गोवंश की तस्करी के अपराधों में अब और सख्त सजा होगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 9 जून, 2000 को हुई कैबिनेट की बैठक में यूपी गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश-2020 को स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके अंतर्गत गोवंश की तस्करी के दोषियों को अब 10 साल तक की जेल हो सकेगी। यदि संबंधित व्यक्ति दोबारा दोषी पाया गया तो इस अधिनियम के अंतर्गत उसे दोगुनी सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त

अभियुक्तों के पोस्टर भी लगेंगे। वहीं, गोवंश के अंगभंग करने पर भी कम से कम 1 साल की सजा और 1 लाख का न्यूनतम जुर्माना तय किया गया है। यदि तस्करी के लिए ले जाया जा रहा गोवंश जब्त किया जाता है तो एक साल तक उसके भरण-पोषण का खर्च भी अभियुक्त से ही वसूला जाएगा।

जब तक वाहन मालिक साबित नहीं कर देंगे कि उन्हें वाहन में प्रतिबंधित मांस की जानकारी नहीं थी, वे भी दोषी माने जाएंगे। वाहन सीज कर दिया जाएगा। खास बात यह है कि इस अधिनियम के तहत सभी अपराध गैरजमानती होंगे। गायों को इन तस्करों से बचाना उनके वध को रोकना जैसा कि हम बता चुके हैं, यूपी गौ ग्राम योजना का प्राथमिक उद्देश्य है।

139 लोगों के खिलाफ एनएसए, गो हत्या के 76 मामले

दोस्तों, आपको बता दें कि पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (National security act) यानी एनएसए (NSA) के तहत अगस्त तक कुल 139 लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई थी, जिनमें से आधे से ज़्यादा कुल 76 गोहत्या से जुड़े मामले थे। आपको जानकारी दे दें कि एनएसए की कार्रवाई और गोहत्या के सबसे ज़्यादा मामले बरेली परिक्षेत्र में सामने आए थे।

गोवंश की रक्षा के लिए गौ अभ्यारण्य

दोस्तों, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार प्रदेश में गोवंश की रक्षा के लिए जो कदम उठा रही है, उनमें से एक कदम गौ अभ्यारण्य भी है। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में हलिया ब्लाक में स्थित ग्राम पंचायत गजरिया (अदवा बैराज पर) में प्रदेश का पहला और देश का दूसरा गौ अभयारण्य बनाने की तैयारी चल रही है। यह 27 बीघे में फैला हुआ होगा।

यहां गोवंश स्वच्छंद विचरण कर सकेंगे इस गौ अभयारण्य में गोवंश की नस्लों का संरक्षण तो किया ही जाएगा, उन पर शोधार्थी रिसर्च भी कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त अभ्यारण्य को पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित किया जाएगा। गोवंश के माध्यम से आय कैसे अर्जित की जाए, इस पर भी फोकस होगा। अभयारण्य में आवारा, बीमार, दूध नहीं देने वाले पशु भी रखे जाएंगे। गोबर से बायोगैस, गोमूत्र से दवाएं बनाई जाएंगी।

साथ ही, वर्मी कम्पोस्ट यूनिट से केंचुआ खाद तैयार की जाएगी। दोस्तों, आपको बता दें कि देश का पहला गौ अभयारण्य में मध्यप्रदेश में है, जिसे आगर-मालवा जिले के सालरिया ग्राम में बनाया गया है। कामधेनु सेंचुरी नाम का यह गौ अभ्यारण्य कुल 472 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। सितंबर, 2017 में अस्तित्व में आए इस अभयारण्य में छह हजार गायों को रखने की व्यवस्था है।

उत्तर प्रदेश में 205.66 लाख गोवंश

मित्रों, आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश पशुधन संख्या मामले में सबसे बड़ा प्रदेश है। आज से करीब नौ साल पहले 2012 में हुई पशुगणना के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में 205.66 लाख गोवंश हैं। इसके अलावा प्रदेश में निराश्रित गोवंश की संख्या 10 से 12 लाख होने का अनुमान लगाया गया है। प्रदेश में 523 पंजीकृत गोशालाएं चल रही हैं। इसके अलावा हम आपको बता ही चुके हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इन निराश्रित गोवंश के संरक्षण एवं भरण पोषण के लिए स्थाई अथवा अस्थाई गोवंश आश्रम स्थल, वृहद गोसंरक्षण केंद्र खोले हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र में गोवंश वन्य विहार व पशु आश्रय गृह भी संचालित किया जा रहा है।

गौ ग्राम योजना से जुड़े सवाल –

यूपी गो ग्राम योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?

उत्तर प्रदेश गो ग्राम योजना का मुख्य उद्देश्य गायों की सुरक्षा, संरक्षण एवं उनका पालन पोषण है। इसके अतिरिक्त किसानों की आय वृद्धि भी इसका लक्ष्य है।

गौ ग्राम योजना के तहत कितने गांवों को शामिल किया गया है?

योजना के पहले चरण में वृंदावन के 108 गांवों को गोद ग्राम के रूप में विकसित करने की तैयारी है।

महामना गो ग्राम की नींव कब रखी गई?

महामना गो ग्राम की नींव आज से लगभग तीन वर्ष पूर्व सन् 2018 में रखी गई।

महामना गो ग्राम किसके सहयोग से विकसित किया जा रहा है?

महामना गो ग्राम श्री मथुरा-वृंदावन हसानंद गोचर भूमि ट्रस्ट समिति के सहयोग से किया जा रहा है।

इस ट्रस्ट की स्थापना कब व किसने की?

इस ट्रस्ट की स्थापना सन् 1935 में महामना मदन मोहन मालवीय ने की।

दोस्तों, यह थी यूपी गौ ग्राम योजना 2024 – आवारा गायों के लिए गौशाला, लाभ, उद्देश्य, कमाई के संबंध में जानकारी। यदि आप ऐसे ही किसी जनहित से संबंधित उपयोगी विषय पर हमसे जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं व सुझावों का हमें इंतजार है। ।।धन्यवाद।।

अनूप कुमार वैश्य
अनूप कुमार वैश्य
अनूप कुमार टेक यू हेल्प के संस्थापक हैं। वह मानव व्यवहार और समाज का अध्ययन करने के जुनून के साथ अत्यधिक प्रेरित व्यक्ति हैं। उन्होंने 2015 में कानपुर विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री प्राप्त की है। पढ़ाई के दौरान, अनूप कुमार ने सामाजिक संरचनाओं और व्यक्तिगत अनुभवों को आकार देने के तरीकों की गहरी समझ विकसित की।
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Comment (1)

  1. मैं ग्राम पंचायत सौथरा विकासखंड सहार जनपद औरैया का प्रधान का प्रधान प्रतिनिधि बताना चाहता हूं कि हमारी पंचायत में स्थाई गोवंश आश्रय स्थल है जिसकी चारागाह की भूमि पर प्रधान के द्वारा चारा बोया गया था जिसको क्षेत्रीय लेखपाल प्रमोद पाल के द्वारा नष्ट करवा दिया गया है जितवा दिया गया है

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