यूपी प्रभु की रसोई योजना, आरंभ, उद्देश्य, महत्ता | UP Prabhu ki Rasoi Yojana in Hindi

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देश में लाखों ऐसे गरीब, मजदूर बेघर हैं, जिन्हें पूरे दिन मेहनत के बाद भी दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो पाती। कई ऐसे भी हैं, जो उम्र और जेब से लाचार हैं और दो समय का भोजन नहीं कर पाते। ऐसे निर्धनों, असहायों की मदद के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रभु की रसोई योजना शुरू की है। इस रसोई के जरिये उत्तर प्रदेश के कई शहरों में बड़ी संख्या में लाभार्थी लाभ उठा रहे हैं और दोपहर का भोजन प्राप्त कर रहे हैं।

इसमें सरकार के साथ ही प्रशासनिक अधिकारी और अन्य संगठन भी सहयोग कर रहे हैं। साथ ही सामाजिक संस्थाएं भी अपना रोल निभा रही हैं। आज इस यूपी प्रभु की रसोई योजना विषय के बारे में हम आपको विस्तार से जानकारी देंगे। जैसे यह योजना क्या है? इस योजना से जुड़ी खास बातें क्या हैं? आदि।

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यूपी प्रभु की रसोई योजना क्या है?

उत्तर प्रदेश सरकार ने नौ अगस्त, 2017 को इस योजना को लांच किया था। तमिलनाडु की अम्मा कैंटीन और उत्तराखंड में इंदिरा अम्मा भोजनालय की तर्ज पर सहारनपुर में इस तरह की पहली रसोई खोली गई थी। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा विभिन्न जिलों में निर्धन लोगों को मुफ्त में दो वक्त का भोजन उपलब्ध कराने की पहल की गई है।

यूपी प्रभु की रसोई योजना के अंतर्गत 300 लोगों को प्रतिदिन भोजन उपलब्ध कराए जाने की कवायद की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य यह है कि कोई भी व्यक्ति रात में भूखा न सोए। उसे दिन में कम से कम एक बार तो भरपूर पौष्टिक भोजन अवश्य मिले। इस भोजन में दाल, चावल, चपाती, सब्जी सब कुछ शामिल हो। ठीक वैसा भोजन है, जैसा कोई भी सामान्य व्यक्ति अपने घर में ग्रहण करता है।

यूपी प्रभु की रसोई योजना, आरंभ, उद्देश्य, महत्ता | UP Prabhu ki Rasoi Yojana in Hindi

यूपी प्रभु की रसोई योजना डिटेल्स –

योजना का नामयूपी प्रभु की रसोई योजना
किस ने लांच कीयूपी सीएम योगी आदित्य नाथ
लाभार्थीप्रदेश के गरीब नागरिक
आधिकारिक वेबसाइटयहां क्लिक करें
साल9 Aug.2017
आवेदन प्रक्रियाऑनलाइन/ ऑफलाइन

सभी जिलों में लागू की जाएगी यूपी प्रभु की रसोई योजना

दोस्तों, आपको बता दें कि यूपी प्रभु की रसोई योजना को धीरे धीरे प्रदेश के सभी जिलों में लागू करने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में 500 करोड़ से अधिक की नेटवर्थ और एक हजार करोड़ रूपये से धिक के टर्नओवर वाली कंपनियों से अपनी आय का दो फीसदी साक्षरता दर बढ़ाने, युवाओं में स्किल डेवलप करने, महिलाओं को सशक्त करने के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को दिन में एक बार सम्मानजनक भोजन उपलब्ध कराने के लिए सुनिश्चित करने का प्लान बनाया है।

इसमें प्रशासनिक अधिकारियों, सिविल सोसायटी और इंडस्ट्री का भी सहयोग लिया जाएगा। अभी तक जिस तरीके से योजना का संचालन किया गया है, वह बेहतर है। उम्मीद की जा रही है कि उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी यह योजना शुरू होगी तो वहां काम कर रहे निर्धनों, मजदूरों, असहाय वर्ग के लोगों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा।

अधिकारियों और नागरिकों की 30 सदस्यीय कमेटी करती है संचालन

साथियों, आपको बता दें कि प्रभु की रसोई योजना के सुचारू संचालन के लिए अधिकारियों और नागरिकों की एक 30 सदस्यीय कमेेटी बनाई जाने का प्रावधान किया गया है। इसके जरिए यह तय किया जाएगा कि भोजन पौष्टिक हो और भोजन की उपलब्धता समस्त जरूरतमंदों तक हो। सहारनपुर की प्रभु की रसोई को स्मार्ट सिटी योजना के तहत हाईटेक बनाया जा रहा है। यहां रोटी बनाने और आटा गूंथने की मशीन भी रखी गई है।

इस रसोई से भोजन पाने का समय दोपहर 12 बजे से दोपहर दो बजे तक कुल दो घंटे रखा गया है। इस योजना के प्रचार-प्रसार का भी खासा ध्यान रखा गया है। ऐसे में जिन लोगों के लिए रसोई शुरू की गई है, उन लोगों को प्रभु की रसोई का स्थान और यहां से भोजन उपलब्ध होने का समय अच्छी तरह मालूम है। इसलिए वह निर्धारित समय पर प्रभु की रसोई में पहुंचकर इसका लाभ उठाना नहीं भूलते।

यूपी प्रभु की रसोई योजना की खास बातें-

दोस्तों, आइए अब आपको बताते हैं कि इस यूपी प्रभु की रसोई योजना की खास खास बातें क्या हैं-

  • उत्तर प्रदेश के गरीब, मजदूर इस योजना के लाभार्थी होंगे।
  • रेलवे स्टेशन के नजदीक किसी स्थान पर प्रभु की रसोई योजना के तहत कैंटीन की स्थापना की जाती है।
  • स्थान के लिए नगर निगम या अन्य किसी सरकारी संस्था से मदद ली जाती है।
  • भोजन में दाल, चावल, चपाती और सब्जी शामिल होती है।
  • इसके लिए विभिन्न कंपनियों से कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानी सीएसआर के तहत अंशदान लिया जाता है।
  • प्रशासनिक अधिकारी भी अपनी ओर से सहयोग करते हैं, विभिन्न सामाजिक संस्थाएं भी इसमें मददगार हैं।
  • इस रसोई से दोपहर 12 बजे से दोपहर दो बजे तक भोजन उपलब्ध कराया जाता है।

लाॅकडाउन के दौरान बहुत कारगर साबित हुई प्रभु की रसोई

कोरोना संक्रमणकाल के दौरान वायरस के फैलाव को रोकने के लिए लगाए गए लाॅकडाउन के दौरान प्रभु की रसोई बेहद कारगर साबित हुई। उत्तर प्रदेश का शामली जिला हो या फिर सहारनपुर, पैदल ही अपने घर की ओर रवाना हुए लोगों के लिए यह प्रभु की रसोई एक वक्त के भोजन का सहारा बनीं। लोगों को जहां इस रसोई से भोजन के पैकेट वितरित किए गए, वहीं निर्धनों और असहायों ने भी एक वक्त का भोजन यहां भरपेट हासिल किया।

इस रसोई में कई गैर सरकारी संगठनों की ओर से भी सहयोग किया गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि कोरोना के वक्त बहुत से लोगों का रोजगार छिन गया। बहुत से लोगों को एक वक्त का खाना भी मयस्सर नहीं था। ऐसे में प्रभु की रसोई में इन सभी लोगों को भोजन का सहारा मिला। इसमें अन्य लोगों ने भी बढ़ चढ़कर यथाशक्ति राशन और खाद्य सामग्री मुहैया कराने में दिलचस्पी दिखाई। न केवल आन द स्पाट लोगों को खाना खिलाया, वरन उन्हें भोजन के पैकेट भी बांधकर दिए। कुल मिलाकर कोशिश यही रही कि विपत्ति के समय भी किसी व्यक्ति को भोजन से महरूम न होना पड़े। उसे भूखे पेट न सोना पड़े।

कोशिश यह भी की जाती है कि प्रभु की रसोई में खाना खाने वालों को भोजन अदल बदल कर दिया जाए, ताकि एक ही प्रकार का मेन्यू होने से भोजन में एकरसता न आए। चूंकि यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्त्वाकांक्षी योजना है, लिहाजा अधिकारियों की ओर से इस योजना के सही तरीके से क्रियान्वयन पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। प्रयास यही है कि इस योजना के क्रियान्वयन में किसी स्तर पर कोई कमी न रह जाए।

प्रभु की रसोई के लिए लोग भी जी भरकर देते हैं दान –

आपको बता दें कि लोग खुले हाथों से उत्तर प्रदेश प्रभु की रसोई को खाद्य सामग्री जैसे आटा, दाल, चावल, सब्जी, घी, मसाले, तेल आदि दान करते हैं। विभिन्न पर्वों पर श्रद्वालुओं की ओर से दिए जाने वाले दान की मात्रा बढ़ जाती है। बहुत से धर्मभीरू लोग अपने यहां से तमाम सामग्री प्रभु की रसोई में पहुंचाते हैं। विभिन्न लोग परिवार के जन्म दिन, विवाह वर्षगांठ के अवसर पर, पूर्वजों की पुण्यतिथि के अवसर पर खाद्य सामग्री का दान करते हैं और भूखों को भोजन कराते हैं।

भारतीय संस्कृति में दान की परंपरा को बहुत उच्च स्थान प्राप्त है। मकर संक्रांति जैसे अनेक पर्वों पर दान पुण्य का विशेष महत्व है। अधिकारी नजर रखते हैं ताकि किसी तरह की गड़बड़ी न हो। आपको बता दें कि कई स्थानों पर ट्र्स्ट बनाकर प्रभु की रसोई की जिम्मेदारी सौंपी गई है, ताकि ट्र्स्टी उसे चलाएं और प्रत्येक गतिविधि का हिसाब किताब रखें।

अधिकारी निरीक्षण के जरिये गड़बड़ी पर नजर रखते हैं

मंडल में कमिश्नर और जिले में डीएम जैसे अधिकारी भी समय समय पर प्रभु की रसोई का निरीक्षण करते हैं, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी न हो। जरूरतमंदों तक यह सामग्री आराम से पहुंचती रहे। एक बड़ा बोर्ड लगाया जाता है, जिसमें उपलब्ध सामग्री के साथ ही सभी के लिए मुफ्त भोजन लिखवाने के लिए भी निर्देश जारी दिए गए हैं। खाना खिलाने के लिए रसीद भी कटती है। कई शहरों में उद्योगपति इस संबंध में पहल करते हैं। आलम यह है कि ऐसे लोगों की लाइन लगी है। कई का नंबर कई महीनों बाद आएगा।

अन्य राज्यों को भी प्रभु की रसोई योजना से सीख लेने की जरूरत

मित्रों, यूपी प्रभु की रसोई योजना सफल योजना है। अन्य राज्यों को भी यूपी प्रभु की रसोई योजना से सीख लेने की जरूरत है। यहां बड़ी संख्या में निर्धनों के भूखे पेट तक भरपूर अन्न पहुंचाने का काम इस योजना के जरिए हो रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस योजना के लिए बहुत सराहा जा रहा है। योजनाओं को पूरा करने में सरकारी दिशा के साथ ही आम लोगों और स्वयंसेवी संस्थाओं की सहायता किस प्रकार से काम आती है, यह योजना उसका एक बेहतर नमूना पेश करती है।

उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य, दूसरे प्रदेशों से भी लोग काम की तलाश में पहुंचते हैं

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और यहां पर अन्य प्रदेशों से भी काम की तलाश में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। वह विहार, बंगाल समेत कई राज्यों से होते हैं। बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं होते और रिक्शा खींचने या मजदूरी करने जैसे श्रम से जुड़े कार्यों को अंजाम देते हैं। ऐसे में उनके पास अपने घर की जिम्मेदारी तो होती ही है, अपने लिए दो वक्त की रोटी भी उनके लिए बड़ी चिंता होती है। ऐसे लोगों के लिए यूपी प्रभु की रसोई योजना बहुत कारगर साबित हो रही है।

UP Prabhu ki Rasoi Yojana Related FAQ

यूपी प्रभु की रसोई योजना क्या हैं?

प्रभु की रसोई योजना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना के माध्यम से प्रदेश के जिले में एक रसोई खोलकर वहाँ के गरीब लोगों के लिए खाने की व्यवस्था कराई जाएगी।

क्या यूपी प्रभु की रसोई योजना के अंतर्गत खोली गई रसोई में खाना खाने के लिए कोई भुगतान करना होगा?

जी नही यूपी प्रभु की रसोई योजना उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा शुरू की गई हैं। जहां गरीब लोगों के लिए फ्री खाना उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए आपको किसी भी भुगतान राशि देने की जरूरत नही होगी।

यूपी प्रभु की रसोई योजना कहां शुरू हुई है?

यूपी प्रभु की रसोई योजना प्रदेश के हर जिले में शुरू की गई है लेकिन अभी इस योजना को चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जा रहा है। बाकी धीरे-धीरे इस योजना के अंतर्गत हर जिले में एक रसोई खोली जाएगी। जहां पर गरीब नागरिक मुफ्त में भोजन प्राप्त कर सकेंगे।

यूपी प्रभु की रसोई योजना अंतर्गत खोली गई रसोई में किस समय पर खाना मिलेगा?

इस योजना के अंतर्गत दिन के 12:00 बजे से दोपहर 2 बजे तक गरीबो को फ्री खाना वितरण किया जाएगा।

अंतिम शब्द –

भूखों को भोजन कराना सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। जहां सिख धर्म में गुरुद्वारों में लगातार लंगर चलते हैं तो वहीं, किसी भी धार्मिक कार्यक्रम के बाद मंदिरों में भी पंगत बिठाए जाने का चलन है। इसके अलावा किसी मुसीबत के समय भी लोगों को भोजन वितरण किया जाता है। चाहे कोई प्राकृतिक आपदा हो या कोई और संकट, लंगर खोल दिए जाते हैं। जिसमें कोई भी जरूरतमंद आकर भोजन कर सकता है। इसी प्रकार की सहभागिता पर यह प्रभु की रसोई योजना आधारित है। प्रभु की रसोई का मतलब है भगवान की रसोई और भगवान के दर से कोई भूखा नहीं जाता, बस यही इस योजना का आधार है।

साथियों, यह थी यूपी प्रभु की रसोई योजना की जानकारी। यदि आप हमसे किसी अन्य योजना के संबंध में जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए हमें लिखकर भेज सकते हैं। इसके लिए एक प्रक्रिया है। आपको नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करना होगा। आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें इंतजार है। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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