उत्तराखंड लखपति दीदी योजना | योजना का क्या उद्देश्य है? | इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को कैसे लखपति बनाया जाएगा?

|| उत्तराखंड लखपति दीदी योजना क्या है? इस योजना का क्या उद्देश्य है? इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को कैसे लखपति बनाया जाएगा? (What is uttarakhand lakhpati didi scheme? What is the object of this scheme? How women will be made lakhpati under this scheme?)||

उत्तराखंड राज्य अपनी युवावस्था में प्रवेश कर चुका है। यह जल्द ही स्थापना की 23वीं वर्षगांठ मना रहा होगा। राज्य निर्माण का आधार यहां के युवाओं को रोजगार एवं पहाड़ को पलायन के दंश से बचाना था। इसी क्रम में राज्य की सरकार राज्य में बेरोजगारों को स्व उद्यम से जोड़ने एवं महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कई योजनाएं चला रही है। अब सरकार की ओर से उत्तराखंड लखपति दीदी योजना की घोषणा की गई है। उत्तराखंड लखपति योजना क्या है? इसका शुभारंभ कब होगा? इसके शुभारंभ का उद्देश्य क्या है? इससे महिलाओं को लखपति कैसे बनाया जाएगा? जैसे आपके मन में उठने वाले अनेक सवालों का जवाब हम आपको इस पोस्ट में देने की कोशिश करेंगे। आइए, शुरू करते हैं-

Contents show

उत्तराखंड लखपति दीदी योजना क्या है? (What is lakhpati didi scheme?)

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि उत्तराखंड सरकार (uttarakhand government) ने लखपति दीदी योजना शुरू करने की घोषणा की है। इस योजना का शुभारंभ 4 नवंबर, 2024 को किया जाएगा। विशेष बात यह है कि इस दिन राज्य में इगास पर्व मनाया जाएगा। इसे ग्यास अथवा देवोत्थान एकादशी भी पुकारा जाता है। उत्तराखंड सरकार ने इस दिन अवकाश घोषित किया है। राज्य के नौ नवंबर को होने वाले स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की भी शुरुआत इसके साथ हो जाएगी। योजना का शुभारंभ राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM pushkar singh dhami) करेंगे।

इसके अंतर्गत सन् 2025 तक कुल सवा लाख महिलाओं को लखपति बनाया जाएगा। खास बात यह है कि ये महिलाएं स्वयं सहायता समूहों (self help group) से जुड़ी होंगी। यह तो आप जानते ही होंगे दोस्तों कि राज्य में महिलाओं की आर्थिकी (economy) सुधारने के लिए सरकार स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। आपने चारों धाम यानी बदरीनाथ, केदारनाथ गंगोत्री एवं यमुनोत्री में देखा होगा कि वहां के लिए प्रसाद तैयार करने, फूल मालाएं आदि तैयार करने की जिम्मेदारी महिला स्वयं सहायता समूहों के पास है।

उत्तराखंड लखपति दीदी योजना

यह हकीकत है कि उत्तराखंड राज्य में पहाड़ों पर एक महिला के रोजगार से पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति को बल मिल रहा है। लेकिन यह सीजनल कारोबार होता है। इसी को देखते हुए उत्तराखंड सरकार उत्पादों में विविधता लाने की दिशा में कदम दर कदम आगे बढ़ रही है। इसके साथ ही राज्य की जीडीपी (GDP) यानी सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) को बढ़ाने के उद्देश्य से भी महिला आधारित आर्थिकी को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है।

योजना का नाम उत्तराखंड लखपति दीदी योजना
राज्य उत्तराखंड
साल 2024 – 23
कब शुरू हुई 4 नवंबर 2024
उद्देश्य लखपति बनाना
आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन
वेबसाइट

उत्तराखंड लखपति दीदी योजना शुरू करने के पीछे क्या उद्देश्य है? (What is the objective behind starting uttarakhand lakhpati didi scheme?)

दोस्तों, अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर उत्तराखंड लखपति दीदी योजना शुरू करने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है? तो आपको बता दें कि उत्तराखंड सरकार ग्रामीण महिलाओं की आजीविका में या यूं कह लीजिए कि उनका आर्थिक सुधार करने के लिए कृत संकल्प है। यह आप और हम सब जानते हैं कि महिलाएं ही पहाड़ के जीवन की धुरी हैं। घर के लिए ढोर-डंगर संभालना, खेती-बाड़ी जैसे समस्त काम महिलाओं के ही जिम्मे हैं। उनके घरों के अधिकांश पुरुष या तो भारतीय फौज में कार्यरत हैं अथवा अधिकांश ऐसे हैं, जो रोजी रोटी की तलाश में बड़े शहरों में गए हैं।

बहुत से रिटायरमेंट के बाद गांव में ही कोई छोटा सा स्व रोजगार खोलकर बैठ गए हैं। लेकिन इन दिनों बच्चों की पढ़ाई लिखाई के साथ ही बाकी चीजें इतनी महंगी हैं कि थोड़ी आय में गुजारा मुश्किल से हो पाता है। ऐसे में महिलाओं के आर्थिक रूप से सक्षम होने पर पहाड़ों पर रह रहे पूरे परिवार को उसका लाभ होगा। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि इस योजना के माध्यम से उत्तराखंड सरकार पहाड़ की महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाकर पूरे परिवार को सहारा देने का प्रयास कर रही है।

उत्तराखंड लखपति दीदी योजना के तहत महिलाओं को लखपति कैसे बनाया जाएगा? (How women will be made lakhpati under uttarakhand lakhpati didi scheme?)

मित्रों, अब आपके मस्तिष्क में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा आखिर वह कौन सी जादू की छड़ी घुमाई जाएगी, जिसके जरिए पहाड़ की महिलाओं को लखपति बनाया जाएगा? तो आपको बता दें कि इस योजना के तहत उनकी सालाना आय (annual income) को एक लाख रूपए के पार पहुंचाने की तैयारी है। इसके लिए उन्हें नए नए उत्पादों (products) के निर्माण से जोड़कर इनकी मार्केटिंग (marketing) पर फोकस (focus) किया जाएगा। ग्राम्य विकास विभाग (rural development department) के अधिकारी इसके लिए कार्ययोजना (work plan) तैयार करने में जुटे हैं।

उत्तराखंड लखपति दीदी योजना को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य क्यों रखा गया है? (Why a target has been set to complete uttarakhand lakhpati didi scheme till 2025?)

दोस्तों, आपको बता दें कि उत्तराखंड राज्य (uttarakhand state) नौ नवंबर, 2025 को राज्य गठन के 25 साल पूरे कर लेगा। इसी को देखते हुए राज्य सरकार 25वें स्थापना दिवस (foundation day) के उपलक्ष्य में प्रदेश में कई प्रकार की योजनाओं की शुरूआत राज्य के नागरिकों के लाभ के लिए करने जा रही है। यह उत्तराखंड लखपति दीदी योजना भी इसी प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं का एक हिस्सा है। सरकार की ओर से इस बार राज्य गठन की इस वर्षगांठ पर कई अन्य कार्यक्रम भी किए जाएंगे।

जैसे -इस दौरान प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (PMGAY) के लाभार्थियों (beneficiaries) को भी आवासों के आवंटन पत्र वितरित किए जाएंगे। इसी प्रकार स्किल इंडिया प्रोग्राम (skill india program) के तहत चुने गए लाभार्थियों को अपाइंटमेंट लेटर यानी नियुक्ति पत्र दिए जाएंगे। उत्तराखंड के ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी (Ganesh Joshi) के अनुसार इस योजना से राज्य की ग्रामीण महिलाओं की आजीविका (livelihood) में सुधार आएगा। आपको बता दें कि वर्तमान में प्रदेश की स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी मातृशक्ति को लेकर राज्य में एक सर्वे (survey) भी कराया जा रहा है।

स्वयं सहायता समूह क्या होते हैं? (What are self help groups?)

हम आपको उत्तराखंड में महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं के लिए सरकार की ओर से लाई जा रही उत्तराखंड लखपति दीदी योजना के बारे में बता रहे हैं। ऐसे में आपके दिमाग में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि स्वयं सहायता समूह क्या होते हैं? दोस्तों, यह तो आप जानते ही हैं कि कुछ व्यक्ति जब साथ आते हैं तो समूह बन जाता है। जब ये समूह एक दूसरे की सहायता से किसी विशेष उद्देश्य को पूरा करते हैं तो ये स्वयं सहायता समूह कहलाते हैं।

अन्य शब्दों में कहें तो ये आपस में अपनापन रखने वाले एक समान अतिसूक्ष्म व्यवसाय/उद्यम चलाने वाले लोगों का एक समूह है, जो अपनी आमदनी से कुछ बचत कर इन छोटी छोटी बचत को समूह के कंबाइंड फंड (combined fund) में शामिल करता रहता हैं बाद में इसे समूह के सदस्यों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप समूह की शर्तों, तय ब्याज एवं अवधि के आधार पर बतौर लोन दिया जाता है।

दोस्तों, महिला स्वयं सहायता समूहों में, जैसे कि नाम से ही स्पष्ट है, केवल महिलाएं ही सदस्य होती हैं। आपको जानकारी दे दें दोस्तों कि एक स्वयं सहायता समूह में 10 से लेकर 20 तक सदस्य होते हैं। ये सभी एक ही आय वर्ग से संबंधित होते हैं। समूह के खाते का संचालन समूह के पदाधिकारी करते हैं। आपको जानकारी दे दें कि समूह के किन्हीं भी तीन सदस्यों को समूह का पदाधिकारी चुना जाता है। ये पदाधिकारी ही किसी भी लेन देन का ब्योरा रखते हैं।

महिला स्वयं सहायता समूह के नियम व शर्तें क्या होती हैं? (What are the rules of self help groups?)

मित्रों, यह तो आप जानते ही हैं कि महिला स्वयं सहायता समूह (women self help groups) विभिन्न खाद्य पदार्थों जैसे-पापड़, अचार, बड़ी, आटा, दलिया, मुरब्बा आदि का निर्माण करते हैं। इसके जरिए वे बच्चों एवं महिलाओं के पोषण (nutrition) व विकास (development) में योगदान भी करते हैं। इसके साथ ही इनसे ग्रामीण क्षेत्रों (rural areas) से पलायन रोकने में भी मदद मिलती है। स्वैच्छिक बचत एवं वित्तीय समावेशन को तो प्रोत्साहन मिलता ही है। आइए दोस्तों, अब आपको जानकारी देते हैं कि महिला स्वयं सहायता समूह के नियम व शर्तें क्या होती हैं? ये इस प्रकार से हैं-

  • एक महिला स्वयं सहायता समूह में 10 से लेकर 20 सदस्य हों।
  • समूह में शामिल होने वाली महिलाओं की उम्र न्यूनतम 18 वर्ष से लेकर अधिकतम 65 वर्ष के बीच हो।
  • इन समूहों में अधिकांशतः बीपीएल वर्ग (BPL class) की महिलाओं को शामिल किया जाता है।
  • सभी सदस्य एक ही हित व पृष्ठभूमि (background) से संबंधित हों। मसलन यदि व्यवसाय दूध बेचने का हो तो सभी सदस्य उसी से संबंधित हों।
  • समूह का उद्देश्य एक दूसरे की सहायता एवं रोजगार हो।
  • समूह न्यूनतम छह माह से सक्रिय रूप से (actively) संचालित हो रहा हो।
  • खातों का पूरा लेखा जोखा रखा गया हो।

उत्तराखंड में कितनी महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं? (How many women are there in uttarakhand, who are connected with self help groups?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि उत्तराखंड में करीब 40 हजार स्वयं सहायता समूह हैं। इन स्वयं सहायता समूहों से लगभग 3 लाख, 67 हजार से भी अधिक महिलाएं जुड़ी हैं। लखपति दीदी योजना के लिए इन्हीं में से सवा लाख यानी 1.25 लाख महिला अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा।

दोस्तों, आपको साथ साथ यह जानकरी भी दे दें कि इस योजना का संचालन राष्ट्रीय आजीविका मिशन कार्यक्रम (National livelihood Mission program) यानी एनएलएमपी (NLMP) के तहत ग्राम्य विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है। विशेष बात यह है कि इस प्रोग्राम को चलते हुए सन् 2014 से लेकर अब तक करीब आठ साल हो चुके हैं। इस दौरान करीब 26 हजार से अधिक महिलाओं की आय को एक लाख से ऊपर तक पहुंचाया जा जा चुका है।

लखपति दीदी योजना किस सरकार की योजना है?

यह योजना उत्तराखंड सरकार शुरू करने जा रही है।

उत्तराखंड लखपति दीदी योजना का शुभारंभ किस दिन होगा?

इस योजना का शुभारंभ 4 नवंबर, 2024 को होगा।

उत्तराखंड लखपति दीदी योजना के तहत क्या किया जाएगा?

इस योजना के अंतर्गत उत्तराखंड के स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं कुल 1.25 लाख महिलाओं को लखपति बनाया जाएगा।

इस योजना को शुरू करने का क्या उद्देश्य है?

इस योजना को शुरू करने का उद्देश्य पहाड़ की धुरी कही जाने वाली महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुधारना है।

योजना के अंतर्गत महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य कब तक पूरा किया जाएगा?

महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य सन् 2025 तक पूरा किया जाएगा।

इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को लखपति किस प्रकार बनाया जाएगा?

इस योजना के अंतर्गत महिलाओं की सालाना आय को एक लाख रुपए से अधिक पहुंचाया जाएगा।

इस योजना का संचालन किसके जिम्मे है?

इस योजना का संचालन ग्राम्य विकास विभाग के जिम्मे है।

अभी उत्तराखंड के स्वयं सहायता समूहों से कितनी महिलाएं जुड़ी हैं?

अभी उत्तराखंड के स्वयं सहायता समूहों से लगभग 3 लाख, 67 हजार से भी अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं।

उत्तराखंड लखपति दीदी योजना को 2025 तक ही पूरा करने का लक्ष्य क्यों रखा गया है?

सन् 2025 में उत्तराखंड राज्य अपनी स्थापना के 25 साल पूरे कर लेगा। इसीलिए 2025 का लक्ष्य रखा गया है।

स्वयं सहायता समूह में कितने सदस्य होते हैं?

स्वयं सहायता समूह में 10 से लेकर 20 तक सदस्य होते हैं।

स्वयं सहायता समूह को सहायता की शर्त क्या है?

इस समूह को न्यूनतम छह माह से सक्रिय होना चहिए।

किस उम्र की महिलाएं स्वयं सहायता समूह की सदस्य हो सकती हैं?

न्यूनतम 18 वर्ष से लेकर अधिकतम 65 वर्ष की महिलाएं स्वयं सहायता समूह की सदस्य हो सकती हैं।

उत्तराखंड में कुल कितने महिला स्वयं सहायता समूह हैं?

उत्तराखंड में वर्तमान में कुल 40 हजार से भी अधिक स्वयं सहायता समूह संचालित हो रहे हैं।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में उत्तराखंड लखपति दीदी योजना के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आप इसी प्रकार की जानकारीपरक पोस्ट हमसे चाहते हैं कि तो उसके लिए नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमें बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
[fluentform id="3"]

Comments (4)

    • अभी इस योजना को सिर्फ उत्तराखंड राज्य में लागू किया गया है. अगर आगे किसी राज्य में इस योजना को लागू किया जायेगा, तो आपको उसकी जानकारी हमारे वेबसाइट पर मिल जाएगी।

      प्रतिक्रिया

Leave a Comment