उत्तराखंड पशु सखी योजना | योग्यता, कार्य व मानदेय

|| उत्तराखंड पशु सखी योजना क्या है? | What is Uttarakhand pashu sakhi Yojana? | उत्तराखंड पशु सखी का क्या कार्य होता है? | पशु सखी योजना का क्या उद्देश्य है? | पशु सखी का चयन कैसे होगा? | पशु सखी को कितना मानदेय मिलेगा? ||

हमारे देश में बहुत से किसानों का जीवन यापन छोटे पशुओं के सहारे होता है। ऐसे लाखों किसान हैं, बकरी, मुर्गी पालन आदि कर अपना व अपने परिवार का पेट पालते हैं। लेकिन कई बार उनके ये पशु उनकी अज्ञानता अथवा बीमारी का शिकार हो जाते हैं। हर जगह पशु चिकित्सक उपलब्ध नहीं होते। ऐसे में कई बार इन पशुपालकों को अपने पशुओं की जान से हाथ धोना पड़ता है। ऐसे ही छोटे पशुपालकों और किसानों की सहायता के लिए उत्तराखंड सरकार पशु सखी योजना लेकर आई है। आज इस पोस्ट में हम आपको इसी योजना के संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

Contents show

पशु सखी का क्या अर्थ है? (What is the meaning of pashu sakhi?)

दोस्तों, यदि पशु सखी के अर्थ की बात करें तो हमें इन दोनों शब्दों का अलग अलग अर्थ निकालना होगा। हम सभी जानते हैं कि पशु का मतलब जानवर होता है और सखी दोस्त को कहते हैं। इस प्रकार पशु सखी का अर्थ सीधे तौर पर जानवर की दोस्त कहा जा सकता है। वह मूल रूप से पशु देखभाल सेवा प्रदाता होती है।

उत्तराखंड पशु सखी योजना योग्यता कार्य व मानदेय

इसे अंग्रेजी में live stock care and service provider एवं संक्षेप में एलसीएसपी (LCSP) भी पुकारा जा सकता है। दोस्तों, आपको बता दें कि पशु सखी मूलतः गांव की ही एक महिला होती है, जिसे संबंधित गांव में गाय, भैंस, बैल, मुर्गी, बकरियों आदि जानवरों की नियमित चिकित्सा आवश्यकताओं की संभाल को प्रशिक्षित (trained) किया जाता है।

उत्तराखंड पशु सखी योजना क्या है? (What is pashu sakhi Yojana?)

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM pushkar singh dhami) द्वारा 12 अप्रैल, 2024 को पशु सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम (pashu sakhi training program) की शुरुआत की है। मुख्य कार्यक्रम उत्तराखंड (uttarakhand) की राजधानी देहरादून (dehradun) स्थित सर्वे ऑफ इण्डिया (survey of India) सभागार में हुआ।

यह कार्यक्रम केंद्र सरकार द्वारा वित पोषित (Central government financed) ए-हेल्प (A-help) यानी Accredited Agent For Health and Extension of Livestock Production योजना के तहत प्रारंभ किया गया है। आपको बता दें दोस्तों कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा 23 ए-हेल्प कार्यकत्रियों को ए हेल्प किट भी वितरित की गई हैं।

उत्तराखंड पशु सखी का क्या कार्य होता है?(What are the functions of a uttarakhand pashu sakhi?)

यदि बहुत विस्तार में ना जाकर एक नजर में पशु सखी के कार्यों पर गौर करें तो ये कार्य इस प्रकार से हैं-

  • पशु सखी पशुपालन विभाग एवं पशुपालकों के बीच कड़ी का काम करेगी।
  • पशु सखी पशुपालकों को सरकार की सभी योजनाओं की जानकारी मुहैया कराएगी।
  • पशु सखी क्षेत्र के समस्त पशुधन एवं कुक्कुट संख्या का रिकॉर्ड ब्लॉक स्तर के पशु चिकित्सकों के साथ साझा करेगी।
  • पशु सखी चारा उत्पादन के लिये पशुपालकों को प्रोत्साहित करेगी। किसानों को चारे की आपूर्ति के लिए आत्मनिर्भर बनाना।
  • फर्स्ट-एड किट के जरिए पशुपालकों की प्रारंभिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति करना।
  • छोटे/जुगाली करने वाले पशुओं में बीमारियों की पहचान करना।
  • पशुओं को दवा प्रदान करना।
  • पशुओं का नियमित टीकाकरण करना।
  • किसानों को उपचारात्मक अथवा निवारक कार्यों का सुझाव देना।
  • पशुधन आधारित आजीविका गतिविधियों पर समुदाय को जागरूक करना।
  • ग्रामीण पशुधन पालकों को बुनियादी तकनीकी सहायता/उपचार प्रदान करेगा।
  • पशुधन उत्पादों का एकत्रीकरण व विपणन (collection and marketing) की सुविधा प्रदान करना।
  • पशुपालकों, पशुपालन विभाग एवं पशु चिकित्सा विभाग के बीच एक कड़ी की तरह काम करना।

पशु सखी योजना का क्या उद्देश्य है? (What is the objective of pashu sakhi Yojana?)

मित्रों, पशु सखी योजना का सबसे बड़ा उद्देश्य महिलाओं का सशक्तिकरण एवं गरीब पशुपालकों की आजीविका में सहायता करना है। इसके अलावा पशुपालन के कार्य और ग्रामीण गरीबों के लिए पशुधन पर आधारित आजीविका (livelihood) को टिकाऊ बनाना है। पशु सखी के माध्यम से ऐसे अति गरीब परिवारों पर, जिनके पास भूमि या उत्पादन के अन्य कारकों तक सीमित या कोई पहुंच नहीं है, पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त पशुधन से संबंधित गतिविधियों को तेज कर ग्रामीण गरीबों की मौजूदा आजीविका को मजबूत करना है।

पशु सखी बनने के लिए क्या योग्यता निर्धारित की गई है? (What eligibility is required to be a pashu sakhi?)

मित्रों, यदि आपको यह लग रहा है कि कोई भी महिला पशु सखी बन सकती है तो आप की यह धारणा निर्मूल है। पशु सखी बनने के लिए भी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (national rural livelihood mission) यानी एनआरएलएम (NRLM) के तहत कुछ योग्यता निर्धारित की गई है, जो कि इस प्रकार से है-

  • पशु सखी संबंधित राज्य की मूल निवासी हो।
  • वह संबंधित राज्य में किसी स्वयं सहायता समूह (SHG) की सदस्य हो।
  • पशु सखी की आयु न्यूनतम 20 वर्ष से लेकर अधिकतम 45 वर्ष के मध्य हो।
  • पशु सखी न्यूनतम 8वीं कक्षा पास हो।
  • उच्च शैक्षिक योग्यता एवं अंग्रेजी भाषा लिखने-पढ़ने का ज्ञान रखने वाली महिला को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • पशु सखी को पशुपालन का बुनियादी ज्ञान हो।
  • पशु सखी को कम से कम 1-2 मवेशी अथवा 2-3 भेड़/बकरी या 2-3 सूअर एवं दस कुक्कुट पक्षियों के साथ अच्छा पशुधन (छोटे जुगाली करने वाले और कुक्कुट) पालने का अनुभव हो।
  • पशु सखी को स्थानीय भाषा लिखने व पढ़ने का कार्यात्मक ज्ञान हो।
  • पशु सखी के पास स्वच्छ पशुधन आवास व्यवस्था हो।
  • पशु सखी स्वस्थ एवं बीमार पशुओं में अंतर करने की स्थिति में हो।
  • पशु सखी को जुगाली करने वाले पशुओं के ताप निदान का ज्ञान हो।
  • पशु प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान रखने वाली महिला को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • पशु सखी बनने के लिए महिला में बेहतर संचार कौशल हो।
  • पशु सखी एनआरएलएम अथवा किसी अन्य संगठन द्वारा आयोजित ट्रेनिंग व एक्सपोजर प्रोग्राम के लिए तैयार हो। यह ट्रेनिंग राज्य के बाहर व भीतर कहीं भी हो सकती है।

पशु सखी का चयन कैसे होगा? (How the pashu sakhi will be selected?)

दोस्तों, अब हम आपको पशु सखी की चयन प्रक्रिया की जानकारी देंगे, जो कि इस प्रकार से है-

  • सबसे पहले ग्राम संगठन अपनी आजीविका उप-समिति (livelihood sub-committee) के सहयोग से ग्रामीणों को पशु सखी प्रोग्राम के बारे में जानकारी देंगे।
  • इसके पश्चात आजीविका उप-समिति द्वारा वीओ स्तर पर पशु सखी पहचान प्रक्रिया (identification process) को अंजाम दिया जाएगा।
  • वीओ पशु सखी की पहचान को लेकर एक बैठक आयोजित करेगा, जिसका संचालन वीओ के अध्यक्ष और सचिव करेंगे।
  • बैठक में स्थानीय पशु चिकित्सा सहायक, शल्य चिकित्सक (वीएएस)/विस्तार अधिकारी अथवा पशु चिकित्सा प्रतिनिधि को आमंत्रित किया जा सकता है। यह पैनल लिखित परीक्षा व इंटरव्यू के आधार पर संबंधित क्षेत्र के लिए पशु सखी का चयन करेंगे।
  • चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद वीओ चयनित पशु सखी का ब्योरा प्रोफाइल रिकॉर्ड करने एवं एमआईएस में डाटा अपलोड करने के लिए भेज देगा।

पशु सखी का चयन कितने किसानों पर किया जाएगा? (On how many farmers pashu sakhi will be selected?)

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि वर्तमान में प्रति 50 महिला किसानों पर एक पशु सखी का चयन किया जाएगा। पशु सखी को इन किसानों के पशुओं की देखभाल व चिकित्सीय सहायता के लिए लगातार क्षेत्र भ्रमण करना होगा। आपको बता दें दोस्तों कि पशु सखी को न्यूनतम 20 दिन भ्रमण करना होगा। इसके अतिरिक्त प्रति माह 50 परिवारों से संपर्क करना होगा।

पशु सखी को कितना मानदेय मिलेगा? (How much allowance will be given to pashu sakhi?)

दोस्तों, अब आप के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर एक पशु सखी को कितना वेतन या मानदेय मिलेगा? तो आपको बता दें कि एक पशु सखी को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों की ही भांति विभिन्न योजनाओं में भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानदेय (honorarium) प्रदान किया जाएगा।

पशु सखी कौन होती है?

पशु सखी मूलतः गांव की ही एक महिला होती है, जिसे संबंधित गांव में गाय, भैंस, बैल, मुर्गी, बकरियों आदि जानवरों की नियमित चिकित्सा आवश्यकताओं की संभाल को प्रशिक्षित (trained) किया जाता है।

उत्तराखंड में पशु सखी योजना की शुरुआत कब और किसने की है?

उत्तराखंड में पशु सखी योजना की शुरुआत राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 12 अप्रैल, 2024 को की है।

पशु सखी के क्या-क्या कार्य हैं?

पशु सखी के कार्यों की पूरी सूची हमने आपको ऊपर पोस्ट में बता दी है। आप वहां से देख सकते हैं।

पशु सखी योजना का क्या उद्देश्य है?

इसका उद्देश्य महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ ही ग्रामीण पशुपालकों के लिए आजीविका को आसान बनाना है।

क्या पशु सखी बनने के लिए कोई उम्र संबंधी बाध्यता भी निर्धारित की गई है?

जी हां, न्यूनतम 20 वर्ष से लेकर अधिकतम 45 वर्ष तक की महिलाएं ही पशु सखी बनने के योग्य हैं।

पशु सखी बनने के लिए कितनी शैक्षिक योग्यता आवश्यक है?

पशु सखी बनने के लिए महिला को न्यूनतम आठवीं पास होना आवश्यक है। यदि महिला उच्च शिक्षा प्राप्त है तो पशु सखी बनने में उसे प्राथमिकता दी जाएगी।

पशु सखी की चयन प्रक्रिया क्या है?

पशु सखी की चयन प्रक्रिया के बारे में हमने आपको ऊपर पोस्ट में विस्तार से बताया है। आप वहां से देख सकते हैं।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको उत्तराखंड पशु सखी योजना के बारे में जानकारी दी। उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि इस पोस्ट से जुड़े किसी भी बिंदु को लेकर आपका कोई सवाल अथवा सुझाव है तो आप उसे नीचे दिए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
[fluentform id="3"]

Leave a Comment