वेंटिलेटर क्या होता है? | वेंटिलेटर मशीन कैसे काम करती है? | Ventilator in Hindi

|| वेंटिलेटर क्या होता है? | Ventilator in Hindi | Ventilator kya hota hai | वेंटिलेटर की जरुरत कब पड़ती है? | Ventilator machine uses in Hindi | वेंटिलेटर मशीन में क्या काम होता है? | Ventilator machine work in Hindi | What is Ventilator machine in Hindi ||

Ventilator in Hindi:- वेंटिलेटर का नाम सुनते ही हम सभी घबरा जाते हैं क्योंकि यह चीज़ ही ऐसी है। जब व्यक्ति के जीवन में बहुत खतरा आ जाता है और उसके प्राण संकट में पड़ जाते हैं तब उसे अस्पताल में वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया जाता है ताकि (Ventilator meaning in Hindi) उसके प्राणों की रक्षा की जा सके। यदि किसी व्यक्ति को सही समय पर वेंटिलेटर पर शिफ्ट नहीं किया जाता है या इसमें थोड़ी सी भी देरी हो जाती है तो उस व्यक्ति की जान तक जा सकती है। इसी से ही आपको वेंटिलेटर का महत्व समझ में आ गया होगा।

किंतु एक प्रश्न जो हम सभी के दिमाग में दौड़ रहा होता (Ventilator kya hota hai) है वह यह होता है कि जिस व्यक्ति का जीवन संकट में आ गया है या वह मरने वाला है तो उसे वेंटिलेटर मशीन के माध्यम से कैसे रोका जा सकता है या उस व्यक्ति के जीवन की रक्षा कैसे (Ventilator kya hai in Hindi) की जाती है। ऐसे ही सभी रहस्यों से पर्दा उठाने हम यहाँ आये हैं। इस लेख के माध्यम से आपको वेंटिलेटर के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण जानकारी जानने को मिलेगी। आइए जाने वेंटिलेटर क्या होता है या यह क्या काम करता है।

वेंटिलेटर क्या होता है? (Ventilator in Hindi)

इस कड़ी में सबसे पहले बात की जाए इस वेंटिलेटर की परिभाषा के बारे में। तो वेंटिलेटर एक ऐसी मशीन होती है जो अस्पताल में इस्तेमाल में लायी जाती है। इसका इस्तेमाल रोगी की स्थिति बेहद गंभीर होने पर या उसके जीवन पर संकट आ जाने पर किया जाता है। एक वेंटिलेटर मशीन का मतलब (What is Ventilator in Hindi) होता है जब किसी रोगी को कृत्रिम तरीके से सांस लेने में सहायता की जाए। कहने का अर्थ यह हुआ कि उस रोगी को वेंटिलेटर मशीन की सहायता से सांस लेने में सहायता की जाती है।

वेंटिलेटर क्या होता है वेंटिलेटर मशीन कैसे काम करती है Ventilator in Hindi

अब यह तो आप और हम सभी जानते हैं कि व्यक्ति को जीवित रहने के लिए लगातार सांस लेने की जरुरत होती है और यदि वह सांस रुक जाती है तो फिर उसका जीवन भी समाप्त हो जाता है। हालाँकि इसमें सांस लेना और दिल का धडकना दोनों ही शामिल होते हैं। यदि यह दोनों ही बंद हो जाते हैं तो मान (What is Ventilator machine in Hindi) लीजिए वह व्यक्ति मृत हो चुका है। तो ऐसे कई कारण होते हैं जिस कारण व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है या वह प्राकृतिक तरीके से सांस नहीं ले पाता है तो उस स्थिति में उसे वेंटिलेटर मशीन की सहायता से सांस लेने में सहायता की जाती है।

तो वेंटिलेटर एक ऐसी डॉक्टरी मशीन होती है जिसके तहत व्यक्ति के फेफड़ों (Ventilator kya chij hoti hai) तक ऑक्सीजन की सप्लाई को सुनिश्चित करने का काम किया जाता है। इसमें उस व्यक्ति की श्वास नली में एक पाइप को पहुँचाया जाता है जिसके तहत वह सांस ले पाता है। हालाँकि इसमें वह व्यक्ति सांस को प्राकृतिक तरीके से नहीं ले रहा होता है बल्कि उसे पाइप के माध्यम से सांस को पहुँचाया जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि यह प्रक्रिया किस माध्यम से की जाती है? तो आइए उसके बारे में भी जान लेते हैं।

वेंटिलेटर मशीन कैसे काम करती है? (Ventilator kya kaam aata hai)

वेंटिलेटर मशीन को इस तरीके से बनाया जाता है कि उसमे एक ऑक्सीजन सिलेंडर को जोड़ा जाता है। इसे हम ऑक्सीजन टैंक भी कह सकते हैं। अब इस ऑक्सीजन टैंक को उस वेंटिलेटर मशीन से जोड़ दिया जाता है और उसमे से एक पाइप को निकाला जाता है। जिस भी व्यक्ति को प्राकृतिक तरीके से सांस नहीं आ रही है या उसमे रूकावट हो रही है तो उसे तुरंत वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया जाता है।

अब उस वेंटिलेटर मशीन के साथ जो ऑक्सीजन की पाइप जुड़ी हुई होती है उसे व्यक्ति के मुहं, नाक या गले के माध्यम से उसकी श्वास नली में जोड़ा जाता है। यह पाइप उस श्वास नली में सीधे तौर पर ऑक्सीजन की सप्लाई को सुनिश्चित करती है जिस वजह से वह ऑक्सीजन उसके फेफड़ों तक पहुँचती है। साथ ही इसमें एक दूसरी नली भी लगी होती है जो ऑक्सीजन के बाद बनने वाले कार्बन डाई ऑक्साइड को बाहर निकालने का काम करती है।

तो जो काम व्यक्ति की श्वास नली नेचुरल तरीके से करती है जिसमे एक नली ऑक्सीजन लेने के लिए होती है तो दूसरी कार्बन डाई ऑक्साइड निकालने के लिए होती है तो उस नली के बंद हो जाने पर वेंटिलेटर मशीन की दोनों पाइप के माध्यम से यही काम कृत्रिम तरीके से किया जाता है। तो इस तरह से एक वेंटिलेटर मशीन काम करती है और व्यक्ति को जीवित रखती है।

वेंटिलेटर मशीन की पाइप कहां लगायी जाती है?

आपका यह भी प्रश्न होगा कि इस वेंटिलेटर मशीन की सहायता से जो ऑक्सीजन की सप्लाई की पाइप को लगाया जाता है वह व्यक्ति की श्वास नली से किस माध्यम से जोड़ी जाती है। तो इसे मुख्य तौर पर मुहं के रास्ते व्यक्ति की श्वास नली से जोड़ा जाता है। इसमें व्यक्ति का मुहं खोल दिया जाता है और उसमे दो पाइप डाली जाती है जिसमे से एक ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए होती है तो दूसरी उसके शरीर से निकालने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड के लिए इस्तेमाल होती है।

हालाँकि कुछ स्थितियों में इसे नाक या गले के माध्यम से भी इस्तेमाल में लाया जाता है किंतु सामान्य तौर पर इसे मुहं के रास्ते से ही व्यक्ति की श्वास नली से जोड़ने का काम किया जाता है। इसकी वजह से ही उस व्यक्ति के फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुँचती है और वह जीवित रहता है।

वेंटिलेटर मशीन को और क्या कहते हैं? (Ventilator machine meaning in Hindi)

वेंटिलेटर मशीन को इसके इस्तेमाल में आने के कारण इसे कई अन्य नामो से भी जाना जाता है। आपने भी उनके नाम मेडिकल टर्म में सुने होंगे या उन्हें न्यूज़ इत्यादि में देखा होगा। तो वेंटिलेटर मशीन को एक अन्य मुख्य नाम लाइफ क्रिटिकल सिस्टम या लाइफ सपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। वह इसलिए क्योंकि जिस भी व्यक्ति के जीवन पर संकट आ जाता है तो उसे ही वेंटिलेटर मशीन पर शिफ्ट किया जाता है। ऐसे में उस व्यक्ति की लाइफ बहुत ही गंभीर स्थिति से गुजर रही होती है जिसे क्रिटिकल सिचुएशन या स्थिति कहा जाता है। इसी कारण वेंटिलेटर मशीन का नाम लाइफ क्रिटिकल सिस्टम या सपोर्ट भी रखा गया है।

वही वेंटिलेटर मशीन को एक अन्य नाम मैकेनिकल वेंटिलेशन भी रखा गया है। वह इसलिए क्योंकि इसमें मैकेनिक्स अर्थात मशीन की सहायत से व्यक्ति के श्वास तंत्र अर्थात वेंटिलेशन को चालू रखा जाता है। तो हम बहुत जगह वेंटिलेटर मशीन को मैकेनिकल वेंटिलेशन मशीन भी कह देते हैं।

वेंटिलेटर की जरुरत कब पड़ती है? (Ventilator machine uses in Hindi)

अब आपका अगला प्रश्न होगा कि किसी व्यक्ति को वेंटिलेटर मशीन की जरुरत कब पड़ती है या ऐसी क्या स्थिति आ जाती है जब व्यक्ति को इस लाइफ सपोर्ट सिस्टम या मशीन पर शिफ्ट करना पड़ता है। तो इसमें कई तरह के रोग या स्थितियां आती है जब किसी व्यक्ति को वेंटिलेटर पर शिफ्ट किये जाने की आवश्यकता होती है। इसमें कुछ प्रमुख स्थितियां व बीमारियाँ है:

  • यदि किसी व्यक्ति का क्रिटिकल ऑपरेशन हो रहा है और उसकी हालत बीच ऑपरेशन में ही बिगड़ने लग जाती है या फिर स्थिति गंभीर हो जाती है तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर ऐसी स्थिति के लिए पहले से ही अस्पताल के स्टाफ को उसके लिए एक वेंटिलेटर तैयार रखने का निर्देश दे देते हैं। जब ऐसी स्थिति आती है तो तुरंत उसे वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया जाता है।
  • ऐसा व्यक्ति जो अस्थमा की बीमारी से पीड़ित है और अचानक ही उसे सांस आने में दिक्कत होती है और इनहेलर के माध्यम से भी उसे सांस नहीं आती है तो फिर उसे वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया जाता है।
  • यदि व्यक्ति की सांस लेने की नली में रूकावट पैदा होती है या वह रुक जाती है तो उस स्थिति में भी उसे वेंटिलेटर मशीन पर शिफ्ट करना पड़ता है।
  • यदि कोई व्यक्ति निमोनिया से पीड़ित है तो भी उसे तत्काल राहत दिलाने के लिए उसे वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ता है।
  • यदि किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट या यूँ कहे कि हार्ट अटैक आ जाता है तो भी उसे वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया जाता है।
  • कोई व्यक्ति जिसने ड्रग लिया हुआ हो और वह उसकी ओवरडोज़ ले लेता है तो भी उसकी हृदय गति रुकने की संभावना बनी रहती है। इस स्थिति में भी उसे वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया जाता है।
  • यदि कोई व्यक्ति Sepsis नामक बीमारी से पीड़ित है जिसमे रक्त प्रवाह में संक्रमण हो जाता है या वह रुक जाता है या बीपी लो हो जाता है तो उसे भी वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया जाता है।
  • सिर पर गंभीर चोट लगने की वजह से भी व्यक्ति को वेंटिलेटर मशीन पर शिफ्ट करना पड़ता है क्योंकि दिमाग शरीर को दिशा निर्देश जारी करना बंद कर देता है।
  • फेफड़ों में संक्रमण फैल जाने पर भी या COPD होने पर व्यक्ति को वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया जाता है।

इनके अलावा भी कई अन्य कारण होते हैं जिस कारण रोगी को वेंटिलेटर मशीन पर शिफ्ट किये जाने की जरुरत पड़ सकती है। कुल मिलाकर किसी भी स्थिति या बीमारी के कारण यदि व्यक्ति प्राकृतिक तरीके से सांस ले पाने में असमर्थ हो जाता है तो उसे वेंटिलेटर मशीन पर शिफ्ट किया जाना आवश्यक हो जाता है।

वेंटिलेटर मशीन में क्या काम होता है? (Ventilator machine work in Hindi)

अब यदि कोई व्यक्ति गंभीर स्थिति में हैं और उसे वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया जाता है तो उस वेंटिलेटर मशीन का काम केवल उसे सांस लेने में ही सहायता करना नहीं होता (Ventilator machine kaise kaam karti hai) है। उसके अन्य काम भी इसी वेंटिलेटर मशीन की सहायता से किये जाते हैं। तो ऐसे में यह वेंटिलेटर मशीन क्या कुछ कार्य करती है, उसकी सूची इस प्रकार है:

  • वेंटिलेटर मशीन का सबसे पहला दायित्व तो उस व्यक्ति को ऑक्सीजन पाइप के जरिये उसके फेफड़ों तक ऑक्सीजन की निर्धारित रूप से सप्लाई किया जाना होता है।
  • अब इसका दूसरा काम उसके शरीर से दूसरी नली के माध्यम से कार्बन डाई ऑक्साइड को निकालना होता है।
  • वेंटिलेटर मशीन का तीसरा काम व्यक्ति को विभिन्न लिक्विड दवाइयों के माध्यम से बेहोश रखना या उसे नींद में रखना होता है ताकि वह घबराये नहीं या कोई मूवमेंट ना करे।
  • उस व्यक्ति के शरीर में आवश्यक तत्वों को पहुँचाना जिससे उसके शरीर की ऊर्जा बनी रहे, यह भी इसी वेंटिलेटर मशीन का ही काम होता है।
  • उस व्यक्ति के मल मूत्र की निकासी करना भी इसी वेंटिलेटर मशीन का ही काम होता है।

यही कारण है कि इस वेंटिलेटर मशीन को लाइफ सपोर्ट सिस्टम कहा जाता है क्योंकि उस व्यक्ति के जीवन का हर कार्य इस मशीन की सहायता से हो रहा होता है।

वेंटिलेटर के नुकसान (Ventilator ke nuksan)

आपने यह तो जान लिया है कि वेंटिलेटर मशीन का इस्तेमाल मुख्य तौर पर व्यक्ति के जीवन को बचाने और उसे कृत्रिम तरीके से सांस लेने में मदद करने में किया जाता है किंतु इसी के साथ साथ इसके कुछ नुकसान भी होते हैं जिसके बारे में भी आपका जानना जरुरी हो जाता है। तो ऐसे में आइए जाने इस वेंटिलेटर मशीन के क्या कुछ नुकसान देखने को मिल सकते हैं।

  • वेंटिलेटर मशीन आपको सांस लेने में तो मदद कर सकती है लेकिन यह आपके शरीर में फैल रहे संक्रमण को रोक पाने में असमर्थ होती है। ऐसे में यदि आप वेंटिलेटर मशीन पर है और आपके शरीर में संक्रमण फैल जाता है तो फिर कुछ नहीं हो सकता है।
  • वेंटिलेटर मशीन का एक और बड़ा नुकसान यह भी है कि इससे खून के थक्के बनने की संभावना भी बढ़ जाती है। वह इसलिए क्योंकि आपकी श्वास नली बंद हो चुकी होती है और उसमे ऑक्सीजन को कृत्रिम तरीके से पहुँचाया जा रहा होता है जिस कारण खून के थक्के बन सकते हैं।
  • इस स्थिति में आपके फेफड़े जितनी मात्रा में खुलने व बंद होने चाहिए, वह प्रक्रिया भी उसी तरह नहीं होती है और इस कारण भी खतरा बना रहता है।
  • आपके फेफड़ों में फ्लूइड भर सकता है जिस कारण भी उनमे गड़बड़ी आ सकती है। इस कारण भी व्यक्ति की वेंटिलेटर मशीन पर रहते हुए उसकी मृत्यु हो जाती है।
  • आपके गले में वेंटिलेटर मशीन की जो एक्स्ट्रा पाइप डाली जाती है वह आपके वोकल कोड को नुकसान पहुंचा सकती है। यह वोकल कोड वही होती है जो आपको बोलने में सहायता करती है।

इस कारण वेंटिलेटर मशीन की सहायता से आप जीवित तो रहते हैं लेकिन इसके कुछ नुकसान भी देखने को मिलते हैं। आशा है कि भविष्य में मेडिकल साइंस और उन्नति करेगा और इनका उपचार भी ढूँढ लेगा।

वेंटिलेटर मशीन पर भी व्यक्ति की मौत कैसे हो जाती है?

अब आप सोच रहे होंगे कि जब किसी व्यक्ति को वेंटिलेटर मशीन पर रख दिया गया है और उसे सांस पहुंचाई जा रही है तो भी उसकी मृत्यु कैसे हो जाती है। तो हम आपको यह पहले ही स्पष्ट कर दे कि मनुष्य कभी भी इतनी उन्नति नहीं कर सकता है कि वह मशीन की सहायता से किसी मनुष्य को पैदा कर सके या उनकी म्रत्यु को रोक सके। यदि वह ऐसा कर लेता है तो ईश्वर का औचित्य ही क्या रह जाएगा।

अब आपने ऊपर वेंटिलेटर मशीन के जो नुकसान पढ़े तो उनके कारण भी व्यक्ति की वेंटिलेटर मशीन पर पड़े पड़े ही मृत्यु हो जाती है। इस बात का ध्यान रखे कि वेंटिलेटर मशीन केवल आपको सांस लेने में सहायता कर सकती है, यह आपके दिल को धड़कने में सहायता नहीं करती है। अब यदि आपका दिल ही धडकना बंद कर देता है तो उस स्थिति में वेंटिलेटर मशीन पर रखे हुए व्यक्ति की भी मृत्यु हो चुकी होती है।

वेंटिलेटर मशीन क्या होती है – Related FAQs

प्रश्न: वेंटिलेशन शब्द की परिभाषा क्या है?

उत्तर: वेंटिलेशन शब्द की परिभाषा होती है किसी जगह पर हवा का प्रवाह बना रहे और वहां शुद्ध हवा आये।

प्रश्न: नवजात शिशु को वेंटिलेटर पर क्यों रखा जाता है?

उत्तर: कभी कभी यह देखा जाता है कि जब किसी शिशु का जन्म होता है तो उसे एकदम से सांस लेने में दिक्कत होती है तो उसे शुरूआती तौर पर वेंटिलेटर की मदद से इसकी सुविधा दी जाती है।

प्रश्न: क्या गर्भ में बच्चे अपनी नाक से सांस लेते हैं?

उत्तर: नहीं, गर्भ में बच्चे अपनी नाक से सांस नही लेते हैं बल्कि वे अपनी माँ से जुड़ी हुई गर्भनाल के माध्यम से सांस लेते हैं।

प्रश्न: 1 महीने का बच्चा 1 मिनट में कितनी बार सांस लेता है?

उत्तर: 1 महीने का बच्चा 1 मिनट में 30 से 40 बार सांस लेता है।

तो इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने वेंटिलेटर मशीन के बारे में समूची जानकारी ले ली है और इसका क्या कुछ इस्तेमाल होता है, इसके बारे में जान लिया है।

शेफाली बंसल
शेफाली बंसल
इनको लिखने में काफी रूचि है। इन्होने महिलाओं की सोशल मीडिया ऐप व वेबसाइट आधारित कंपनी शिरोस में कार्य किया। अभी वह स्वतंत्र रूप में लेखन कार्य कर रहीं हैं। इनके लेख कई दैनिक अख़बार और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
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