दोस्तों, अर्थशास्त्र या कॉमर्स के छात्रों के लिए मुद्रा भंडार कोई नया शब्द नहीं। उन्हें इस बारे में पाठ्यक्रम के दौरान ही बेसिक जानकारी प्रदान की जाती है। विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट को लेकर अक्सर विपक्षी सरकार को घेरते हैं। आम लोगों को हालांकि इस शब्द से लेना देना ज्यादा नहीं होता, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय देनदारी के नजरिये से अर्थशास्त्री इस शब्द में खूब दिलचस्पी रखते हैं। वह इसके जरिये किसी देश के अंतर्राष्ट्रीय निवेश की स्थिति पर भी नजर रखते हैं। आज इस post के जरिये हम आपको बताएंगे विदेशी मुद्रा भंडार क्या है? और भारतीय मुद्रा भंडार कितना है आदि विषयों के बारे में। आपको पूरी जानकारी हासिल करने के लिए इस post को सिलसिलेवार पढ़ना होगा।
विदेशी मुद्रा भंडार क्या है? What is Foreign Exchange Reserves –
दोस्तों, यह किसी भी देश के केंद्रीय बैंक (हमारे देश भारत की बात करें तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें। इस तरह की मुद्राएं केंद्रीय बैंक जारी करता है। साथ ही साथ सरकार और अन्य वित्तीय संस्थानों की तरफ से केंद्रीय बैंक के पास जमा की गई राशि होती है। इसे फॉरेक्स रिजर्व या एफएक्स रिजर्व भी कहा जाता है।
विदेशी मुद्रा भंडार में क्या क्या शामिल होता है?
यह भंडार एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखे जाते हैं। ज्यादातर डॉलर और कुछ हद तक यूरो विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल होता है। विदेशी मुद्रा भंडार में यूं तोघ् केवल विदेशी बैंक नोट, विदेशी बैंक जमा, विदेशी ट्रेजरी बिल और अल्पकालिक और दीर्घकालिक विदेशी सरकारी प्रतिभूतियां शामिल होनी चाहिए। हालांकि सोने के भंडार, विशेष आहरण अधिकार और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास जमा राशि भी विदेशी मुद्रा कोष का हिस्सा होती है।
विदेशी मुद्रा भंडार की अहमियत क्या है?
साथियों, अब जब हम जान चुके हैं कि विदेशी मुद्रा भंडार क्या है। आइए अब आपको बताते हैं कि Videshi Mudra Bhandar की क्या अहमियत है। आपको बता दें कि दरअसल, विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के अंतर्राष्ट्रीय निवेश की स्थिति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। आम तौर पर जब किसी देश के मौद्रिक प्राधिकरण पर किसी प्रकार का दायित्व होता है तो उसे अन्य श्रेणियों जैसे निवेश आदि में शामिल किया जाएगा। केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट में घरेलू ऋण के साथ विदेशी मुद्रा भंडार संपत्ति है। आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय भंडार संपत्ति एक केंद्रीय बैंक को घरेलू मुद्रा खरीदने की अनुमति देती है।
कितना अहम है विदेशी मुद्रा भंडार, इस मिसाल से समझें –
दोस्तों, देश की अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा भंडार का योगदान कितना अहम होता है। इसके कई उदाहरण देखने को मिल सकते हैं। लेकिन अगर किसी एक मिसाल की बात करें तो इसकी अहमियत समझ सकते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर 1990 से जून 1991 तक सात महीनों के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे। जब चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने उस वक्त देश की आर्थिक स्थिति बेहद डांवाडोल थी। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हो चुकी थी।
राजनीतिक हालात भी अस्थिर थे। भारत की अर्थव्यवस्था उस वक्त भुगतान संकट में फंसी हुई थी। उसी समय रिजर्व बैंक ने 47 टन सोना गिरवी रखकर कर्ज लेने का फैसला किया। उस समय के गंभीर हालात का चिंता इस बात से लगाया जा सकता है कि उस वक्त देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.1 अरब डालर ही रह गया था। इतनी रकम तीन हफ्तों के आयात के लिए भी काफी नहीं थी।
Videshi Mudra Bhandar की स्थिति कैसे बदली?
साथियों, आपको बता दें कि विदेशी मुद्रा भंडार में इस भारी भरकम गिरावट के बाद आखिरकार स्थितियां बदलीं। इसके लिए कुछ ऐसे कदम उठाए गए, जिन्हें उस वक्त को देखते हुए बहुत बोल्ड समझा गया। 90 के दशक के शुरुआती सालों में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने खुली अर्थव्यवस्था का रास्ता अपनाया। देश को निजीकरण की राहें खुलीं। इस कदम का बड़ा विरोध भी हुआ। उनके विदेश मंत्री के रूप में काम करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जो खुद बड़े वित्त विशेषज्ञ थे और रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रहे, उन्होंने खुद इस कदम की बागडोर संभाली।
जिसके बाद देश में विदेशी निवेश की राह खुली। भारी संख्या में विदेशी मुद्रा का निवेश भारत में हुआ। इसके बाद ही देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी पल्लवित हुआ। और हमारा देश आर्थिक व्यवस्था के मोर्चे पर राह पर आ सका।
विदेशी मुद्रा भंडार का इतिहास क्या है?
दोस्तों, आइए अब आपको इससे जुड़े इतिहास की जानकारी दे दें। आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित निधियां जो आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय भुगतान का माध्यम है, पहले केवल सोने के रूप में ही शामिल थीं। कभी कभी ही चांदी के रूप में शामिल किया गया। लेकिन ब्रेटन वुड्स प्रणाली के तहत अमेरिकी डालर एक आरक्षित मुद्रा के रूप में प्रयोग में लाई गई। 1944से लेकर 1968 तक फेडरल रिजर्व सिस्टम के माध्यम से अमेरिकी डालर को सोने में बदला जा सकता था।
लेकिन 1968 के बाद केंद्रीय बैंक डालर को सरकारी सोने के आरक्षित भंडार में कन्वर्ट कर सका। 1973 के बाद कोई व्यक्ति या संस्था आरक्षित सरकारी सोने के भंडार से अमेरिकी डालर को सोने में नहीं बदल सका। 1973 के बाद से प्रमुख मुद्राएं सोने के आरक्षित भंडार से अब तक सोने में परिवर्तनीय नहीं हो सकी हैं।
डालर का पर्याप्त Videshi Mudra Bhandar क्यों होना चाहिए?
दरअसल, किसी भी देश का विदेशी मुद्रा भंडार सोना या डालर के रूप में होता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में करीब 60 प्रतिशत खरीद फरोख्त इसी मुद्रा में होती है। यही कारण है कि प्रत्येक देश के पास उसके खजाने में डालर का पर्यापत भंडार होना चाहिए। ताकि वह अपने कर्ज चुका सके और आयात का खर्च भी निकाल सके। आपको बता दें कि आयात, निर्यात अन्य देशों के साथ आपसी व्यापार, विदेशी निवेश आदि से होने वाली कमाई से इस संतुलन को बनाए रखा जाता है।
यदि Videshi Mudra Bhandar का संतुलन बिगड़ जाए तो क्या होगा?
अगर किसी तरह विदेशी मुद्रा भंडार का संतुलन बिगड़ जाए तो डालर खजाने से कम होने लगता है। और इसकी गिरावट को कम करने के लिए ही स्थानीय मुद्रा का अवमूल्यन किया जाता है। अब क्योंकि हर क्रिया की एक विपरीत प्रतिक्रिया होती है। लिहाजा डालर की कमी और स्थानीय मुद्रा के अवमूल्यन से मुद्रा स्फीति हो जाती है। यानी महंगाई बढ़ जाती है। आसान शब्दों में कहें तो मुद्रा (भारत के परिप्रेक्ष्य में रुपये) की क्रय शक्ति घट जाती है। आपको बता दें कि डालर की कीमत में बढ़ोत्तरी से तुरंत प्रभावित होने वाला तबका उच्च मध्यम वर्ग है। इसका मतलब यह है कि वे लोग जो आयातित वस्तुओं का उपयोग करते हैं, उनकी आयात लागत में बढ़ोत्तरी होगी।
लिहाजा उनकी कीमतें बढ़ेंगी। यह सब पेट्रोलियम उत्पादों के आयात को भी प्रभावित करता है। यह उत्पाद महंगे होते हैं। लिहाजा अन्य सभी उत्पाद भी। Videshi Mudra Bhandar की बात हम कर रहे हैं तो यह जानना भी उचित होगा कि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान की मुद्र ऐसी मुद्रा भंडार की स्थिति बेहद खराब है वहां डॉलर के रेट आसमान छू रहे हैं लिहाजा महंगाई अपने चरम पर है।
वहां टमाटर के भाव ₹200 किलो तक पहुंच गए थे जो कि इसी का असर माना जा रहा था आर्थिक स्थिति को लेकर किसी तरह के सुधारात्मक कदम लागू न किया जाना अर्थव्यवस्था के लिए बहुत भारी साबित होता है पाकिस्तान की स्थिति में यही बिल्कुल मुसीबत भरा गुजर रहा है चाइना की आर्थिक स्थिति इस वक्त सबसे बेहतर मानी जा रही है।
Videshi Mudra Bhandar किससे प्रभावित होता है?
विदेशी मुद्रा भंडार पर बहुत चीजों का असर पड़ता है। और सबसे ज्यादा असर होता है मुद्रा के भाव में उतार चढाव का। जैसे कि पाउंड, येन स्टर्लिंग, जैसी अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं के मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है। इन मुद्राओं के दाम बढ़ने से महंगाई और साथ ही देशों की आर्थिक स्थिति भी प्रभावित होती है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कितना है? India’s Foreign Exchange Reserves –
दोस्तों, आपको बता दें कि बीती छह दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.34 अरब डालर की बढ़ोत्तरी के साथ अपने सर्वोच्च स्तर 435.42 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। दुनिया में सबसे ज्यादा Videshi Mudra Bhandar वाले देशों की सूची में भारत आठवें स्थान पर है। इस सूची में चीन पहले स्थान पर है। एक नजर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस प्रकार है –
विदेशी मुद्रा संपत्ति (एफसीए) – 421.26 बिलियन डालर
गोल्ड रिजर्व – 27.08 बिलियन डालर
आईएमएफ के साथ एसडीआर – 1.44 बिलियन डालर
आईएमएफ के साथ रिजर्व की स्थिति – 3.64 बिलियन डालर
साथियों, आपको यह भी बता दें कि विदेशी मुद्रा भंडार में केवल उछाल ही नहीं आता। इसमें गिरावट भी दर्ज की जाती है। व्यापार घाटा यह स्थिति ला देता है। करीब ढाई महीने पहले के सितंबर माह की बात करें तो उस दौरान भारतीय मुद्रा भंडार में गिरावट दर्ज की गई थी। इसे किसी भी देश के लिए बेहतर नहीं माना जाता है। इससे जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि किसी भी देश की अंतर्राराष्ट्रीय निवेश की स्थिति का पता चलता है।
विदेशी मुद्रा भंडार से संबंधित प्रश्न उत्तर
विदेशी मुद्रा भंडार क्या हैं?
विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश की धरोहर होती है। जैसे कि भारत मे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा रखी गयी धनराशि, परिसंपत्तियां आदि को ही भंडार मुद्रा कहाँ जाता हैं।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कितना है?
रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया आंकड़ों के अनुसार 7 मई 2021 में विदेशी मुद्रा का भंडार 589.456 दर्ज किया गया है।
विदेशी मुद्रा भंडार में क्या क्या शामिल होता है
विदेशी मुद्रा भंडारण में डॉलर यूरो पाउंड और येन जैसी कई विदेशी मुद्राएं संपत्तियां शामिल होती हैं।
वर्तमान समय में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे ज्यादा हिस्सा किसका है?
अगर भारत में विदेशी मुद्रा भंडार की बात करें तो चीन का पहला स्थान और जापान दूसरे स्थान पर मौजूद है।
विदेशी मुद्रा भंडार में भारत का कौन सा स्थान है
अगर विदेशी मुद्रा भंडार में भारत के स्थान की बात करें तो यह चौथे स्थान पर मौजूद हैं।
Videshi Mudra Bhandar संक्षेप में –
दोस्तों, कई बार ऐसा भी होता है कि अर्थशास्त्र के बारे में अच्छी से अच्छी जानकारी रखने वाले विद्यार्थी भी विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में ज्यादा नहीं जानते और ना ही उन्हें इसकी अहमियत के बारे में पता होता है। जब यह लोग किसी प्रतियोगी परीक्षा में बैठते हैं और उसमें सफल होने के लिए जब बिंदुवार अर्थशास्त्र पढ़ते हैं तब इसके बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं। और उनकी विषय संबंधी समझ विकसित होती है। हमारा इस बारे में विस्तार से बताने का यही उद्देश्य है कि आप इस विशेष टर्म विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में विस्तारपूर्वक जान सके।
तो दोस्तों, यह थी विदेशी मुद्रा भंडार क्या है? और भारतीय मुद्रा भंडार से जुड़ी जानकारी। उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपके दिल ओ दिमाग में आ रहा है कोई सुझाव तो आपका स्वागत है। आप उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हम तक पहुंचा सकते हैं। हम इस सुझाव पर अमल करने की पूरी पूरी कोशिश करेंगे।
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Hum apne desh ki cheeze agar apne desh me yuj kare toh kya apne desh ki currency majboot ho sakti hai aur ayat se jayada niryaat per per jor dena chahiye iske liye.
आपकी बात बिल्कुल सही है । थोड़ा-थोड़ा ही सही लेकिन हमें अपने देश को मजबूत करने के लिए अपना सहयोग देना चाहिए ।