|| वॉटर टीडीएस क्या है? | Water TDS kya hota hai | शुद्ध पानी का वॉटर टीडीएस कितना होता हैं? | Adarsh water TDS kitna hota hai | शुद्ध पानी के क्या गुण हैं? | कम टीडीएस वाला पानी पीने से क्या होता है? | पानी में TDS का मतलब क्या है? ||
Water TDS kya hota hai :- अब जो लोग नौकरी करते हैं उन्होंने टीडीएस शब्द अच्छे सुन रखा होगा क्योंकि यह उनकी सैलरी में से काट लिया जाता है जो उन्हें बहुत ही ज्यादा चुभता है। हालाँकि सैलरी में से कटने वाले टीडीएस के अलावा भी एक टीडीएस होता है जो पानी से जुड़ा होता है और उसे हम वॉटर टीडीएस के नाम से जानते हैं। अब यह सुनकर आप आश्चार्य में पड़ गए होंगे और सोच रहे होंगे कि आखिरकार यह वॉटर टीडीएस क्या होता (What is water TDS in Hindi) है।
बहुत लोगों को लग रहा होगा कि यह भारत सरकार के द्वारा हमसे पानी पर लिया जाने वाला टैक्स होता होगा जो पानी को शुद्ध करने के लिए या हमें उच्च गुणवत्ता का पानी उपलब्ध करवाने के लिए लिया जाता होगा लेकिन आपका अनुमान एकदम गलत व निराधार है। वॉटर टीडीएस इससे बहुत अलग होता है और वह पानी की गुणवत्ता को मापने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता (Water TDS kya hai) है।
ऐसे में यह वॉटर टीडीएस क्या होता है, इससे किसी पानी की गुणवत्ता को कैसे मापा जा सकता है, शुद्ध पानी में कितना तक वॉटर टीडीएस आदर्श माना जाता है और इस वॉटर टीडीएस की फुल फॉर्म क्या होती है इत्यादि सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख के माध्यम से मिलने वाले हैं। आइये जाने यह वॉटर टीडीएस क्या होता है और किस तरह से यह पानी की शुद्धता से संबंधित होता (What is TDS in water in Hindi) है।
वॉटर टीडीएस क्या है? (Water TDS kya hota hai)
पानी को अंग्रेजी भाषा में Water के नाम से जाना जाता है और टीडीएस की फुल फॉर्म अलग हो जाती है जिसे हम आगे बताएँगे। तो वॉटर टीडीएस एक ऐसी चीज़ होती है जो पानी के अंदर मिले हुए कार्बनिक व अकार्बनिक रसायनों व अन्य तत्वों की मात्रा को बताने का कार्य करता है। अब आप यह तो जानते ही होंगे कि पानी के अंदर कई तरह के पोषक तत्व व रसायन मिले होते हैं जो हमारे शरीर की जरूरतों को पूरा करने का कार्य कर रहे होते (How to check TDS of water in Hindi) हैं।
इन्हें एक तरह से पानी में उपलब्ध खनिज पदार्थ भी कहा जा सकता है जो दिखते तो नहीं है लेकिन हमारे शरीर को अप्रत्यक्ष रूप से बहुत सारा लाभ प्रदान करते हैं। इन खनिज तत्वों में कैल्शियम, सोडियम, लोहा, सीसा, पोटैशियम, नाइट्रेट, सल्फेट इत्यादि तत्व शामिल होते हैं जो हमें तरह तरह के लाभ प्रदान करते हैं। यह शरीर की लगभग हर जरुरत को पूरा करते हैं और हमारा स्वास्थ्य ठीक रखते (TDS level in water in Hindi) हैं।
अब पानी के अंदर केवल खनिज तत्व ही नहीं बल्कि दूषित व अकार्बनिक रसायन भी मिले होते हैं जो हमारे शरीर को नुकसान पहुँचाने का कार्य करते हैं। इनमें धूल, मिट्टी, जीवाणु, विषाणु, कीटनाशक, एसिड, हाइड्रो कार्बन इत्यादि कई तत्व मिले होते हैं जो किसी के भी शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। यही कारण है कि हम अपने घर में तरह तरह के फिल्टर लगाते हैं ताकि पानी को शुद्ध किया जा सके और पीने लायक बनाया जा सके। भारत सरकार व राज्य सरकार से तो इसकी अपेक्षा की नहीं जा सकती है कि वे हमें शुद्ध पानी उपलब्ध (How much TDS water is safe for drinking in Hindi) करवाए।
तो आप बाजार से जो भी फिल्टर या पानी को शुद्ध करने वाले यंत्र खरीदते हैं तो उनमें यह अवश्य ही बताया गया होता है कि यह पानी को कितना और किस तरह से साफ करता है और इसे बताने के लिए वॉटर टीडीएस शब्द का उपयोग किया जाता है। तो एक वॉटर टीडीएस वह होता है जो पानी के अंदर इन सभी तत्वों की उपलब्धता की मात्रा को एक लीटर पानी की तुलना में बताता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि एक लीटर पानी में इन तत्वों की मात्रा कितनी है, यह वॉटर टीडीएस से ही पता चलती है।
वॉटर टीडीएस की फुल फॉर्म क्या है? (TDS full form and meaning in Hindi)
अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि इस वॉटर टीडीएस की फुल फॉर्म क्या होती है। तो वॉटर टीडीएस अंग्रेजी भाषा का एक शब्द है और इसका पूरा नाम Total Dissolved Solids होता है। अब इसका अर्थ होता है पानी से अलग ऐसे ठोस पदार्थ जो उस पानी में घुले हुए (Water TDS ki full form kya hai) हैं। अब वह पदार्थ अच्छे भी होते हैं और बुरे भी जो उस पानी में एक निश्चित मात्रा में मिले हुए होते हैं। ऐसे में हम वॉटर टीडीएस को Total Dissolved Solids के नाम से बोल सकते हैं।
आदर्श वॉटर टीडीएस कितना होना चाहिए? (Adarsh water TDS kitna hota hai)
अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि वैश्विक स्वास्थ्य संगठन सहित भारत सरकार के स्वास्थ्य संगठनों के द्वारा पानी के ऊपर जो भी शोध किये गए हैं और उसके साथ ही मनुष्य के शरीर पर उसके क्या क्या सकारात्मक या नकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं, इस पर जितने भी शोध किये गए हैं, उसके अनुसार प्रति लीटर पानी में वॉटर टीडीएस की मात्रा को 350 मिलीग्राम निर्धारित किया गया है। कहने का अर्थ यह हुआ कि हर एक लीटर पानी में वॉटर टीडीएस की मात्रा यदि 350 मिलीग्राम है तो वह पानी पीने के लिए सबसे शुद्ध माना गया (Best TDS level for drinking water in Hindi) है।
अब यह आवश्यक तो नहीं है कि हर जगह और हर तरह के पानी में इतनी ही वॉटर टीडीएस की मात्रा को पक्का किया जा सके तो यह तो केवल एक आदर्श माप है। ऐसे में आपको वॉटर टीडीएस की न्यूनतम व अधिकतम शुद्ध मात्रा का भी पता होना चाहिए जिसके तहत आप पानी को शुद्ध मानकर पी सकते हैं। तो एक आदर्श व शुद्ध पानी की प्रति लीटर की ईकाई में न्यूनतम 250 मिलीग्राम और अधिकतम 600 मिलीग्राम वॉटर टीडीएस का होना सही माना जाता है। पानी की शुद्धता के लिए वॉटर टीडीएस का 250 से 600 मिलीग्राम के बीच में होना जरुरी होता (TDS of drinking water in Hindi) है।
अब यदि वॉटर टीडीएस की मात्रा 250 मिलीग्राम से कम होती है या 600 मिलीग्राम से ज्यादा होती है तो उस स्थिति में हमारे शरीर में क्या प्रभाव देखने को मिलते हैं या इससे पिए जा रहे पानी पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसके बारे में भी जानकारी ले लेना जरुरी हो जाता है। आइये इसके बारे में भी जान लेते (Water TDS kitna hona chahiye) हैं।
वॉटर टीडीएस कम हो तो क्या होता है?
अब यदि किसी पानी में वॉटर टीडीएस कम होता है तो आपको लगता होगा कि उस पानी में हानिकारक तत्व उतने ही कम हैं और उसे पीने से आपको ज्यादा लाभ देखने को मिलेगा। बहुत सी कंपनियां जो पानी को साफ करने का दावा करती है वे उसे इतना साफ कर देती है कि उसका वॉटर टीडीएस का स्तर 250 मिलीग्राम से भी कम चला जाता है। तो वह पानी से हानिकारक तत्व तो समाप्त कर देती है लेकिन वह इसी के साथ साथ उस पानी की पोषकता को भी दूर कर देती है।
अब हम पानी क्यों पीते हैं? पानी को केवल प्यास बुझाने के लिए ही नहीं पिया जाता है बल्कि उससे हमारे शरीर को कई तरह के पोषक तत्व मिलते हैं, इसलिए पिया जाता है। ऐसे में पानी से मिलने वाले पोषक तत्व ही समाप्त हो जाएंगे तो उस पानी को पीने का क्या ही अर्थ हुआ। तो यदि किसी पानी की एक लीटर की मात्रा में 250 मिलीग्राम से कम वॉटर टीडीएस पाया जाता है तो समझ जाइये कि वह पानी पोषक तत्वों रहित है।
वहीं यदि पानी का वॉटर टीडीएस बहुत ही कम होता है जैसे कि यदि वह 100 मिलीग्राम से भी नीचे चला जाता है तो उसमे कोई भी चीज़ बहुत ही आसानी से घुल जाती है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई मिनरल वाटर जिसमें पानी के वॉटर टीडीएस का स्तर 100 मिलीग्राम से नीचे है तो उस पानी में उस प्लास्टिक के बोतल के कण भी मिल जाते हैं। ऐसे में यह बहुत ही ज्यादा घातक सिद्ध होता है।
वॉटर टीडीएस ज्यादा हो तो क्या होता है? (Water TDS jyada ho to kya hota hai)
अब आपने यह तो जान लिया है कि किसी पानी में वॉटर टीडीएस की मात्रा कम होती है तो वह पानी पोषक तत्वों रहित माना जाता है लेकिन तब क्या हो जब उस पानी में वॉटर टीडीएस की मात्रा 600 मिलीग्राम से ज्यादा पायी जाती है। इसका सीधा सा अर्थ होता है कि उस पानी में हानिकारक रसायन व तत्व की मात्रा भी अधिक है और इसी कारण वह पानी पीना हानिकारक माना जाता है। एक तरह से 900 मिलीग्राम तक के वॉटर टीडीएस वाले पानी को भी पिया जा सकता है लेकिन यदि उस पानी में इससे ऊपर भी वॉटर टीडीएस पाया जाता है तो आप उस पानी को बिल्कुल भी ना पिए।
ऐसे पानी में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो आपके शरीर में तरह तरह के रोग पैदा कर सकते हैं और आपके स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे आपको सामान्य बीमारियों सहित गंभीर बीमारियों तक को झेलना पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर बालों का झाड़ना, त्वचा का रूखा हो जाना, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी इत्यादि। इस तरह से पानी का वॉटर टीडीएस का स्तर ज्यादा होना भी उतना ही खतरनाक है जितना उसका कम होना।
वहीं यदि किसी पानी का वॉटर टीडीएस एक हज़ार से भी ऊपर चला जाता है तो वह पानी अत्यधिक दूषित माना जाता है और इसे पीने से आपको घातक बीमारियाँ हो सकती है या कुछ ही देर में आपका पेट ख़राब हो सकता है या कोई अन्य बीमारी हो सकती है।
शुद्ध पानी के क्या गुण हैं?
अब पानी ईश्वर के द्वारा मनुष्य जाति को इस पृथ्वी पर प्रदान किया गया एक अनमोल उपहार है जो जीवन जीने के लिए अति आवश्यक है। इसे पंच तत्वों में से भी एक माना गया है जो सृष्टि का आधार है। सनातन धर्म में जल को बहुत ही महत्व दिया गया है और उसके लिए अलग से एक देवता भी नियुक्त किये गए हैं जिन्हें हम जल देव के नाम से जानते हैं। अब इस पानी के मुख्य रूप से तीन गुण होते हैं जो इसकी शुद्धता को बताने का कार्य करते हैं।
- पानी की शुद्धता का जो पहला गुण होता है वह होता है इसका गंध रहित होना। अब हर किसी चीज़ की कोई ना कोई गंध होती है जिसे हम सुगंध या दुर्गन्ध के नाम से जानते हैं किन्तु पानी जो होता है वह गंध रहित होता है अर्थात उसकी खुद की कोई गंध नहीं होती है।
- पानी की शुद्धता को मापने का जो दूसरा गुण होता है वह है उसका रस रहित होना। हम जो भी चीज़ खाते हैं या पीते हैं, उनमें हर किसी का कुछ ना कुछ स्वाद होता है, जैसे कि नमकीन, मीठा, तीखा, खट्टा इत्यादि। किन्तु इन सभी में पानी एक ऐसी चीज़ है जिसका कोई भी रस नहीं होता है और यह शुद्ध पानी की पहचान है।
- शुद्ध पानी का तीसरा गुण जो है वह है इसका रंग रहित होना। जिस प्रकार वायु का कोई रंग नहीं होता है, ठीक उसी तरह पानी का भी कोई अपना रंग नहीं होता है वह वह रंग रहित होता है। आप पानी को जिसमें भी मिला देते हैं, वह वैसा ही रंग धारण कर लेता है किन्तु इसका खुद का कोई रंग नहीं होता है।
इस तरह से यदि आपको कोई पानी पीने को मिले और उसमें आपको किसी तरह की गंध आ रही हो, उसमें किसी भी तरह का रंग नज़र आ रहा हो या उसको पीने में किसी तरह का रस आ रहा हो तो समझ जाइये कि या तो उसका वॉटर टीडीएस का स्तर कम या ज्यादा है या फिर उसमें अलग से कुछ मिलाया गया है।
वॉटर टीडीएस क्या है – Related FAQs
प्रश्न: अच्छे पानी का TDS कितना होना चाहिए?
उत्तर: अच्छे पानी का TDS प्रति लीटर पानी में 300 से 350 मिलीग्राम होना चाहिए।
प्रश्न: पानी में TDS का मतलब क्या है?
उत्तर: पानी में TDS का मतलब Total Dissolved Solids है।
प्रश्न: अगर टीडीएस 50 से कम है तो क्या होगा?
उत्तर: अगर टीडीएस 50 से कम है तो आपके शरीर में मांसपेशियां कमजोर होनी शुरू हो जाएगी और लिवर और किडनी सम्बंधित बीमारी होगी।
प्रश्न: कम टीडीएस वाला पानी पीने से क्या होता है?
उत्तर: कम टीडीएस वाला पानी पीने से होने वाले नुकसान हमने ऊपर के लेख में बताए हैं जो आपको पढ़ना चाहिए।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने वाटर टीडीएस के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली है। आपने जाना कि वाटर टीडीएस क्या है वाटर टीडीएस की फुल फॉर्म क्या है आदर्श वाटर टीडीएस कितना होता है वाटर टीडीएस कम और ज्यादा हो तो क्या होता है और शुद्ध पानी के क्या गुण हैं इत्यादि। आशा है कि वाटर टीडीएस के बारे में जो जानकारी आप लेने के लिए इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। यदि कोई प्रश्न आपके मन में वाटर टीडीएस को लेकर शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।