|| वेब कुकीज़ क्या है? | Web cookies kya hai | What is web cookies in Hindi | वेब कुकीज़ में क्या होता है? | वेब कुकीज़ कैसे काम करती है? | वेब कुकीज़ के फायदे (Web cookies ke fayde in Hindi | वेब कुकीज़ को कैसे डिलीट करें? | कुकीज का मतलब क्या होता है? ||
Web cookies kya hai :- हम सभी ही इंटरनेट का इस्तेमाल तरह तरह की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए करते हैं। एक तरह से कहा जाए तो आज के समय में बिना इंटरनेट के कोई भी काम नहीं हो सकता है और यदि हमें कुछ भी करना है तो उसके लिए इंटरनेट बहुत ही प्रभावी भूमिका निभाता है। ऐसे में आप दिनभर में पता नहीं कितनी ही वेबसाइट को विजिट करते होंगे, उस पर कोई ना कोई गतिविधि करते होंगे। अब आप दिनभर में जो भी काम इंटरनेट पर करते हैं वह आपके ब्राउज़र की हिस्ट्री में सेव होता जाता (What is web cookies in Hindi) है।
किन्तु यदि आप सोच रहे हैं कि आपकी हर गतिविधि हिस्ट्री में या ब्राउज़र के इतिहास में सेव हो रही है और उसके अलावा कुछ और सेव नहीं होता है तो आप गलत हैं। आज हम आपको वही समझाने जा रहे हैं। दरअसल आप इंटरनेट पर जो भी काम करते हैं या आपके पल पल के क्लिक की जानकारी उस वेब ब्राउज़र के इतिहास में सेव हो रही है लेकिन इसी के साथ ही आप जिन जिन वेबसाइट को खोल रहे हैं, वह आपकी कुकीज़ को भी उसमे सेव करती जा रही (What is cookies in Hindi) है।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार यह वेब कुकीज़ क्या होती है और इसका इंटरनेट से क्या कुछ संबंध है। तो आज के इस लेख में हम आपके साथ वेब कुकीज़ के बारे में ही बात करने वाले हैं। बहुत सारे लोगों को इसके बारे में थोड़ा बहुत पता होगा लेकिन आज आपको विस्तृत रूप से वेब कुकीज़ के बारे में जानकारी मिलने वाली है। तो आइये शुरू करते हैं वेब कुकीज़ के बारे में जानकारी (Cookies kya hota hai) बटोरना।
तो आज हम बात कर रहे हैं इंटरनेट के एक प्रमुख अंग की जो है वेब कुकीज। अब यदि हम आपको कहें कि चाहे आप वेब कुकीज़ के बारे में जानते हो या नहीं लेकिन इसने आपका पीछा करना तभी से ही शुरू कर दिया था जब से आपने इंटरनेट का इस्तेमाल करना शुरू किया है, तो यह सुनकर आपको कैसा लगेगा। जब से आपने इंटरनेट का इस्तेमाल करना शुरू किया है तब से ही आपके मोबाइल या लैपटॉप जो भी सिस्टम आपके पास है, उसमे यह वेब कुकीज़ एक डाटा बनकर स्टोर होती जा रही (Web cookies meaning in hindi) है।
तो यह वेब कुकीज़ आखिरकार है क्या और यह किस तरह से आपके जीवन को प्रभावित कर रही है, तो आइये सबसे पहले इसी वेब कुकीज़ की परिभाषा का ज्ञान ले लेते हैं। किसी भी व्यक्ति के द्वारा यदि इंटरनेट का इस्तेमाल किया जाता है और वह उसके लिए वेब ब्राउज़र का इस्तेमाल करता है तो उसके वेब ब्राउज़र की फाइल में एक टेक्स्ट फाइल सेव हो जाती है। अब वह टेक्स्ट फाइल हर वेबसाइट के लिए अलग से बनती है जिसमें उस वेबसाइट में आपके द्वारा की गयी गतिविधियाँ, उन्हें दी गयी जानकारी इत्यादि सब सबमिट होती है।
कहने का अर्थ यह हुआ कि मान लीजिये कि आप किसी शॉपिंग वेबसाइट पर पहली बार विजिट करते हैं। अब आप उस शॉपिंग वेबसाइट पर जाकर कई तरह के प्रोडक्ट्स को सर्च करते हैं, उनके बारे में जानकारी लेते हैं और उस पर तरह तरह की गतिविधियाँ करते हैं। आप उसमें अपनी जानकारी जैसे कि अपना मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, शॉपिंग वेबसाइट का यूजर नाम, घर का पता इत्यादि डालते (Web cookies in Hindi) हैं।
ऐसे में अगली बार फिर से आपको वह सब जानकारी पुनः उस वेबसाइट में ना डालनी पड़े, इसके लिए वह वेबसाइट आपके वेब ब्राउज़र में ही एक नयी टेक्स्ट फाइल बनाती है और उसमें आपके द्वारा डाली गयी हरेक जानकारी को लिख लेती है। अब अगली बार आप जब उस वेबसाइट पर विजिट करते हैं तो वह आपका अनुभव बेहतर बनाने के लिए उन वेब कुकीज़ की सहायता से आपकी जानकारी भर देती है और आपकी पसंद के अनुसार आपको प्रोडक्ट्स को दिखाने का काम करती है।
अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि जब भी किसी वेबसाइट के द्वारा वेब कुकीज़ बनायी जाती है और उसमे आपकी जानकारी को सेव किया जाता है तो उस टेक्स्ट फाइल में आपकी किस किस जानकारी को सेव करके रखा जाता है। अब यदि आप सोच रहे हैं कि इन वेब कुकीज़ की सहायता से वह वेबसाइट आपके पासवर्ड या ऐसी ही किसी संवेदनशील जानकारी को भी सेव कर लेती है तो आप गलत हैं। इसके लिए उस वेबसाइट के द्वारा पहले आपसे आपकी अनुमति मांगी जाएगी और वह वेब कुकीज़ में नहीं बल्कि सिस्टम में ही आपके सेव्ड पासवर्ड में दर्ज हो जाएगा।
ऐसे में इन वेब कुकीज़ में जो चीज़ें सेव की जाती है या जिन्हें सेव करने का काम किया जाता है वह पूर्ण रूप से आपके द्वारा उस वेबसाइट पर की गयी गतिविधियाँ और वहां डाला गया आपका विवरण होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि आप अपना नाम, आयु, लिंग, वैवाहिक स्थिति, पसंद ना पसंद, घर का पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी इत्यादि जो भी डाल रहे हैं, वह सब वेब कुकीज़ के माध्यम से उनमें सेव होता चला जाता है। यही कारण है कि पुनः जब आप उस वेबसाइट पर जाते हैं तो यह सब जानकारी पहले से ही भरी हुई होती है।
अब आपका अगला प्रश्न यह होगा कि आखिरकार किसी सिस्टम में वेब कुकीज़ कैसे काम करती है या इनका काम करने का क्या कुछ स्टाइल होता है। तो इसे भी हम एक उदाहरण से ही आपको समझाने का प्रयास करेंगे ताकि आप बेहतर तरीके से समझ पाएं। मान लीजिये कि आज आपने एक वेबसाइट को विजिट किया और उसमें आपने तरह तरह की गतिविधियाँ की। अब वह वेबसाइट शॉपिंग की ही थी और उसमें आपने शर्ट को ख़रीदा।
अब आप उस शर्ट को खरीदने के लिए तरह तरह के कीवर्ड डालेंगे और उसमें से अपनी पसंद के कुछ फिल्टर भी लगायेंगे। साथ ही जो भी शर्ट आपको पसंद आएगी आप उस पर क्लिक कर उसके बारे में ज्यादा जानकारी लेंगे। तो यह सब जानकारी उस वेबसाइट के द्वारा एकत्रित की जा रही वेब कुकीज में स्टोर होती चली जाएगी। एक तरह से वह वेबसाइट अगली बार के लिए आपके अनुभव को बेहतर बनाने के लिए इन गतिविधियों का अनुसरण करेगी।
अब चूँकि वह सिस्टम तो एक मशीन है और कोई मनुष्य तो है नहीं, जो उन्हें दिमाग में याद रख लेगी। तो उसका दिमाग तो वही सिस्टम है और आपकी गतिविधियों को याद रखने के लिए वह टेक्स्ट फाइल का सहारा लेगी। इसके बाद जैसे ही आप पुनः उस वेबसाइट पर विजिट करेंगे तो वह सिस्टम से अपनी टेक्स्ट फाइल को उठाकर वहां निहित हरेक जानकारी को विस्तार से पढेगी और यह देखेगी कि आप किस तरह की गतिविधियों को पिछली बार करके गए हैं और आपको क्या कुछ पसंद है।
इसी के अनुसार ही वह आपको चीज़ें दिखाने और आपके अनुभव को बेहतर करने का काम करेगी। इसी के साथ ही आपने पिछली बार जो भी ख़रीदा है या जिसे भी विजिट किया है, उसे भी दिखाएगी ताकि आपको फिर से वह सब ना ढूँढना पड़े। अब जब आप अपनी जानकारी को भरने वाले कॉलम में आयेंगे तो एक क्लिक में ही आपकी जानकारी भर जाएगी क्योंकि आपकी सभी जानकारी को उस वेबसाइट ने अपने द्वारा स्टोर की गयी वेब कुकीज़ में सेव किया होगा।
क्या वेब कुकीज़ अपने आप सेव होती है?
यह बहुत ही बड़ा प्रश्न है क्योंकि जब भी आप वेबसाइट को खोलते हैं तो उसमें किसी किसी में तो वेब कुकीज़ को स्टोर करने का विकल्प आता है अर्थात आपसे उसके लिए अनुमति मांगी गयी होती है जबकि किसी किसी में वह विकल्प नहीं आता है। तो पहले तो आप यह समझ लें कि जब आप किसी नयी वेबसाइट को खोलते हैं तो उनके द्वारा ही मुख्य तौर पर आपसे आपकी वेब कुकीज़ को स्टोर करने के लिए अनुमति मांगी जाती है क्योंकि पुरानी वेबसाइट को तो आप या तो अनुमति दे चुके होते हैं या उसे रिजेक्ट कर चुके होते हैं।
अब जिन वेबसाइट में आपने पहले ही अनुमति दे रखी है और वे आपकी वेब कुकीज़ को स्टोर कर रही है तो वह फिर से उसकी अनुमति नहीं मांगेगी। अब जिन वेबसाइट को आपने अपने सिस्टम पर पहली बार खोला है वे अवश्य ही आपसे आपकी वेब कुकीज़ को स्टोर करने के लिए अनुमति की मांग करेगी। हालाँकि ऐसा हर वेबसाइट के द्वारा नहीं किया जाएगा क्योंकि कुछ कुछ वेबसाइट इसके लिए केवल बाहरी और सामान्य जानकारी ही लेती है जबकि कुछ कुछ को अपने यूजर का अनुभव बेहतर बनाने के लिए ज्यादा जानकारी लेने की जरुरत होती है।
ऐसे में आपको भी यह ध्यान रखना होगा कि आप किस किस वेबसाइट को अपनी वेब कुकीज़ को स्टोर करने की अनुमति दे रहे हैं और किसे नहीं। यदि आप यह हर तरह की वेबसाइट को दे देते हैं तो आप गलत कर रहे हैं। आपको बहुत सोच समझ कर ही इसकी अनुमति देनी चाहिए क्योंकि इसका गलत इस्तेमाल भी हो सकता है।
अब हर वेबसाइट के द्वारा आपके लिए जो वेब कुकीज़ स्टोर की जा रही है और उसके लिए इतना सब किया जा रहा है तो उससे आपको क्या कुछ फायदे देखने को मिलते हैं, इसके बारे में भी तो आपको जानकारी होना जरुरी है। यदि आपको यही नहीं पता होगा कि आखिरकार क्यों आपकी वेब कुकीज़ को स्टोर किया जा रहा है या इससे आपको क्या फायदा मिल रहा है तो इसका क्या ही लाभ हुआ।
तो यहाँ हम आपको यह पहले ही बता दें कि किसी भी वेबसाइट के द्वारा यदि वेब कुकीज़ को स्टोर किया जा रहा है तो वह पूर्ण रूप से आपके अनुभव को अपनी वेबसाइट पर बेहतर बनाने के लिए ही किया जाता है। इसी के साथ ही आपका समय व्यर्थ होने से बच जाता है क्योंकि ना तो आपको अपनी जानकारी को बार बार भरना होता है और ना ही कुछ और करना होता (Benefits of cookies on a website in Hindi) है।
आपने पिछली बार जो जो गतिविधियाँ उस वेबसाइट पर की थी, वह आपके सिस्टम में वेब कुकीज़ बनकर स्टोर हो जाती है और आपको कुछ अलग से नहीं करना होता है। फिर जब आप उस वेबसाइट को किसी और दिन खोलते हैं तो वह आपके सिस्टम में स्टोर वेब कुकीज़ का एक्सेस कर आपका बेहतर अनुभव बनाने में सहायता करती है। यही वेब कुकीज़ का मुख्य लाभ होता है जो यूजर को देखने को मिलता है।
वेब कुकीज़ के नुकसान
अब वेब कुकीज़ के फायदे तो आपने जान ही लिए हैं लेकिन इन वेब कुकीज़ के नुकसान भी तो हो सकते हैं। तो इससे आपको या आपके सिस्टम को क्या कुछ नुकसान झेलने पड़ सकते हैं, आइये इस पर भी एक नज़र डाल लेते हैं। तो इसका सबसे बड़ा नुकसान तो यही होता है कि आपको अपनी प्राइवेसी अर्थात निजता से समझौता करना पड़ता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि किसी वेबसाइट को जब आप अपनी जानकारी को स्टोर करने की अनुमति देते हैं तो एक तरह से आप अपनी प्राइवेसी के साथ समझौता कर रहे होते हैं।
वह इसलिए क्योंकि अब उस वेबसाइट को यह अनुमति मिल चुकी है कि वह अपनी वेबसाइट पर आपकी गतिविधियों की जानकारी को सेव कर सकती है, आप जो भी जानकारी डाल रहे हैं, उसे भी सेव कर सकती है और उसे अपने पास समेट कर रख सकती है। अब वह चाहे तो उस जानकारी को किसी गलत काम के लिए या अपने निजी लाभ के लिए भी इस्तेमाल में ला सकती है। उदाहरण के तौर पर वह किसी तीसरे पक्ष को भी आपकी जानकारी बेच सकती है या ऐसा ही कुछ।
इसी के साथ ही आपके सिस्टम में जो टेक्स्ट फाइल सेव होती जाती है, उसके अनुसार आपके सिस्टम पर लोड भी बढ़ता चला जाता है। साथ ही वह अन्य किसी वेबसाइट की आप तक पहुँच बनाने से भी रोकती है। अब यदि आप 2 से 3 वेबसाइट के लेख पढ़ना पसंद करते हैं और जब आप गूगल पर जाकर उससे जुड़े टॉपिक सर्च करते हैं तो आपको टॉप पर अन्य वेबसाइट की बजाये उन 2 से 3 वेबसाइट के लिंक ही दिखाई देंगे। इसे आप वेब कुकीज़ का नुकसान भी कह सकते हैं और फायदा भी।
आपको यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि आप समय समय पर अपने वेब ब्राउजर में सेव हो रही कुकीज़ को डिलीट कर दें। हालाँकि यह आपको रोजाना या कुछ कुछ दिन में करने की जरुरत नहीं है। आप इसे वर्ष में एक बार या 2 से 4 बार कर सकते हैं। ऐसा इसलिए ताकि एक तो आपके सिस्टम पर ज्यादा लोड ना बढ़े, आप एक नया अनुभव ले सकें और आपकी प्राइवेसी भी खतरे में ना आये।
तो अपने सिस्टम से वेब कुकीज़ को डिलीट करने के लिए पहले तो आप वेब ब्राउज़र में ऊपरी दाए कोने में दिख रहे तीन बिन्दुओं पर क्लिक करें जिसमें कई तरह के विकल्प उभर कर सामने आयेंगे। फिर आप वहां लिखे हिस्ट्री बटन पर अपना माउस ले जाएं और वहां फिर से एक नया मेन्यु या विकल्पों की सूची खुल जाएगी। अब इसमें भी सबसे ऊपर हिस्ट्री दिया गया होगा जिस पर आपको क्लिक करना है। इसके बाद आपके सामने एक नया टैब खुल जाएगा जिसमें आपकी सब हिस्ट्री (Web cookies delte kaise kare) होगी।
इसी में ही बाए कोने में कुछ विकल्प दिए गए होंगे जिसमें से एक विकल्प हिस्ट्री को डिलीट करने वाला होगा। इस पर Clear Browsing Data करके लिखा हुआ होगा जिस पर आपको क्लिक करना है। इस पर क्लिक करते ही एक नया पेज खुल जाएगा और उस पर एक पॉप अप उभर कर आपके सामने आएगा। इसमें हिस्ट्री से लेकर वेब कुकीज़ तथा अन्य कुछ चीज़ों को डिलीट करने का विकल्प दिया गया होगा। तो आप वेब कुकीज़ के साथ साथ यदि कुछ अन्य चीज़ को भी डिलीट करना चाहते हैं तो उस पर राईट टिक मार्क कर दीजिये।
इसी के साथ ही टाइम रेंज में आपसे यह पूछा जाएगा आप कितने समय तक की वेब कुकीज़ को डिलीट करने को इच्छुक हैं। तो यदि आपने इससे पहले अपने सिस्टम से वेब कुकीज़ को कभी डिलीट नहीं किया तो आप उसके लिए ऑल टाइम का चुनाव कर लीजिये और वेब कुकीज़ को डिलीट करने वाले विकल्प पर क्लिक कर दीजिये। इसके बाद सिस्टम कुछ समय लेगा और धीरे धीरे करके आपके सिस्टम से वेब कुकीज़ पूरी तरह से डिलीट हो जाएगी।
वेब कुकीज़ क्या है – Related FAQs
प्रश्न: वेबसाइट में कुकीज़ क्या है?
उत्तर: जो जानकारी आपकी डाटा के रूप में वेबसाइट में सेव होती है उन्हे वेब कुकीज कहा जाता है।
प्रश्न: कुकीज का मतलब क्या होता है?
उत्तर: कुकीज का मतलब किसी मोबाइल या लैपटॉप में अपने आप सेव होने वाली फाइल्स है।
प्रश्न: वेब कुकीज कैसे डिलीट करें?
उत्तर: वेब कुकीज डिलीट करने का प्रोसेस हमने ऊपर के लेख में बताया है जो आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: कुकीज़ का उपयोग क्या है इसके फायदे और नुकसान लिखिए?
उत्तर: कुकीज के बारे में संपूर्ण जानकारी को हमने इस लेख के माध्यम से देने का प्रयास किया है जो आपको पढ़ना चाहिए।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने जान लिया है कि वेब कुकीज क्या है। साथ ही आपने वेब कुकीज के बारे में अन्य जानकारी भी इस लेख के माध्यम से जान ली है जैसे कि वेब कुकीज में क्या होता है यह काम कैसे करती है यह सेव कैसे होती है वेब कुकीज के फायदे और नुकसान क्या हैं और वेब कुकीज को डिलीट कैसे किया जाता है इत्यादि। अगर आपके मन में वेब कुकीज को लेकर और कोई प्रश्न है तो वह आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।