मार्च 2024 में रुपए-पैसे से जुड़े कौन-कौन से बदलाव देखने को मिलेंगे?

मार्च प्रत्येक वित्तीय वर्ष (financial year) का अंतिम महीना होता है। ऐसे में इस महीने में आम आदमी को वित्त यानी रुपए – पैसे से जुड़े कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। मार्च 2024 में भी इसी प्रकार के कई बदलाव प्रस्तावित हैं, जो कि आम आदमी की जेब पर सीधे-सीधे असर डालेंगे। क्या आप इन बदलावों के बारे में जानते हैं? यदि नहीं तो चिंता न करें। आज इस पोस्ट में हम आपको इस संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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वित्त से संबंधित अधिकांश बदलाव मार्च में ही क्यों होते हैं? (Why there all changes happen in March related to finance?)

दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि वित्त से संबंधित अधिकांश बदलाव मार्च में ही क्यों होते हैं? तो आपका बता दें कि इसकी वजह वित्त वर्ष (financial year) होता है। दरअसल, भारत का वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होता है। यह तो आप जानते ही हैं कि वित्तीय वर्ष में नागरिकों के आय-व्यय (income – expenditure) का लेखा-जोखा (record) तैयार किया जाता है। इसी के चलते 31 मार्च तमाम तरह की योजनाओं (schemes), कर भुगतान tax (payment) आदि जैसे कामों को पूरा करने का भी अंतिम दिन होता है।

मार्च 2024 में रुपए-पैसे से जुड़े कौन-कौन से बदलाव देखने को मिलेंगे

भारत में एक अप्रैल से नए वित्तीय वर्ष की व्यवस्था कब से शुरू हुई? (From when financial year is assumed from 1st april in India?)

दोस्तों, यह हम सभी जानते हैं कि भारत में लंबे समय तक अंग्रेजों का राज रहा है। ऐसे में भारत का नया वित्तीय वर्ष (new financial year) भी एक अप्रैल से शुरू करने की व्यवस्था भी औपनिवेशिक काल में ही सन् 1867 में शुरू हुई। इससे पूर्व भारत में नया वित्तीय वर्ष एक मई से शुरू होकर 30 अप्रैल तक चलता था। दोस्तों, वित्तीय वर्ष को एक अप्रैल से शुरू करने के पीछे कई कारण माने जाते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार से हैं-

दोस्तों, यह तो हम सभी जानते हैं कि स्वतंत्रता से पूर्व (before independence) हमारे देश में ब्रिटिश सरकार (British government) का शासन रहा है। ऐसे में उसके द्वारा अपनी सुविधा व ब्रिटेन के चलन के अनुसार एक अप्रैल से नव वित्तीय वर्ष का चलन किया गया, जो स्वतंत्रता प्राप्त होने के पश्चात भी कायम रहा।

दोस्तों, एक कारण यह भी है कि भारत की दो-तिहाई आबादी (population) मुख्य रूप से कृषि (agriculture) पर निर्भर करती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फरवरी तथा मार्च के महीने में फसल (crop) की कटाई की जाती है तथा इससे होने वाले फायदे -नुकसान का खाता (profit and loss account) तैयार किया जाता है। इसी के आधार पर यह तय किया जाता है कि सरकार का राजस्व (revenue) उस साल के लिए कैसा रहने वाला है। इस कारण कटाई के साथ ही वित्तीय वर्ष को खत्म करना सही समझा गया।

दोस्तों, इसके अलावा एक कारण यह भी है कि हमारे देश में त्योहारी सीजन अक्टूबर व दिसम्बर के बीच होता है। दिवाली, नवरात्र और क्रिसमस जैसे त्योहार आते हैं। इनमें जनता द्वारा जहां जमकर खरीदारी की जाती है। वहीं, व्यापारियों के लिए यह लाभ वसूलने सबसे अच्छा मौका होता है। ऐसे में 31 दिसंबर को वित्तीय वर्ष समाप्त करने से उन्हें इसके एकाउंट तैयार करने को कम समय के मद्देनजर इसे मार्च तक रखा गया।

दोस्तों, नव वित्तीय वर्ष की शुरुआत अप्रैल से होने का एक बड़ा कारण हिंदू नव वर्ष (Hindu nav varsh) का इस माह से आरंभ होना भी है। यद्यपि दोस्तों, संविधान में वित्तीय वर्ष के प्रारंभ को लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

क्या भारत में कभी वित्तीय वर्ष में बदलाव की बात भी उठी है? (Has there any voice raised for changing the financial year?)

दोस्तों, यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि अंग्रेजों द्वारा सन् 1867 से देश का वित्त वर्ष बदलकर एक अप्रैल से 31 मार्च ​कर दिया गया था। लेकिन यह भी सच है कि वित्त वर्ष की नई व्यवस्था शुरू होने के तीन वर्ष पश्चात से ही इसकी मुखालफत होने लगी थी।

विरोध को देखते हुए इस मामले में सन् 1913 में चैंबर्लिन आयोग का गठन किया गया। उसके द्वारा अपनी रिपोर्ट में व्यवस्था (system) के अर्थव्यवस्था (economy) को सबसे अधिक प्रभावित करने वाले मानसून को ध्यान में न रखने का हवाला देते हुए इसे अप्रैल के स्थान पर जनवरी या नवंबर से शुरू किए जाने की वकालत की गई। सन् 1921 में चैंबर्लिन आयोग (chamberlin commission) इस सिफारिश को मान भी लिया गया, किंतु प्रांतीय सरकारों के विरोध को देखते हुए इन्हें लागू नहीं किया जा सका। इसके पश्चात

सन् 1968 में के हनुमंथैया की अगुवाई में प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग (administrative reform commission) द्वारा वित्त वर्ष को अक्टूबर से शुरू करने की सिफारिश की गई। बाद में लक्ष्मी पूजन के पर्व यानी दिवाली पर खातों की शुरुआत करने की भारतीय परंपरा (Indian tradition) को देखते उसने बाद में इसे नवंबर से शुरू करने की सिफारिश की। बाद में भी कई बार इसमें बदलाव की मांग उठी, लेकिन कोई मजबूत कदम नहीं उठाया जा सका।

मार्च, 2024 से कौन से बदलाव होंगे? (What changes will take place from March, 2024?)

दोस्तों, आइए अब मुख्य बात पर आते हैं और आपको बताते हैं कि मार्च, 2024 से वे कौन-कौन से बदलाव होंगे, जो कि आपको प्रभावित करेंगे। ये बदलाव इस प्रकार से हैं-

जीएसटी ई-वे बिल (GST e-way bill)

दोस्तों, यदि आप बिजनेस कर रहे हैं तो आपको मार्च में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। दरअसल, 1 मार्च, 2024 से GST (Goods and Services Tax) का एक नियम बदल गया है। इस बदलाव के अनुसार ऐसे बिजनेस जिनका सालाना टर्नओवर (annual turnover) 5 करोड़ से अधिक है, उन्हें अपने सभी बीटूबी (B2B) यानी बिजनेस-टू-बिजनेस ट्रांजेक्शन (business-to-business) के ई-इन्वॉइस (e-invoice) को शामिल करना होगा।

इसके बगैर ई-वे बिल (e-way bill) जेनरेट नहीं हो सकेंगे। दोस्तों, आपको बता दें कि वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था (Goods and Services Tax) के अंतर्गत 50 हजार रुपए से अधिक मूल्य के माल के अंतर राज्य परिवहन (interstate transport) के लिए ई-वे बिल (e-way bill) की आवश्यकता होती है.

एसबीआई क्रेडिट कार्ड (SBI credit card)

दोस्तों, यदि आपके पास एसबीआई का क्रेडिट कार्ड है तो ऐसे में मार्च में एक बदलाव का सामना आपको भी करना पड़ेगा। दरअसल, SBI यानी भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) द्वारा मार्च से अपने क्रेडिट कार्ड पर न्यूनतम देय राशि की गणना प्रक्रिया यानी मिनिमम ड्यू बिल कैलकुलेशन प्रोसेस (minimum due bill calculation process) में तब्दीली की जा रही है।

उसके द्वारा यह नया नियम 15 मार्च से लागू हो जाएगा। बैंक द्वारा एक ई-मेल के जरिए अपने सभी क्रेडिट कार्ड ग्राहकों को इस संबंध में सूचना भेजी जा रही है। दोस्तों, यहां आपको यह भी साफ कर दें कि क्रेडिट कार्ड (credit Card) की न्यूनतम देय राशि (minimum due amount) वह राशि है, जिसका कार्डधारक (card holder) को भुगतान देय तिथि (payment due date) पर अथवा उससे पहले भुगतान करना होता है।

आप जान लीजिए कि आमतौर पर, न्यूनतम देय राशि की गणना कुल बकाया राशि के 5% के रूप में की जाती है। क्रेडिट कार्ड की देय न्यूनतम भुगतान राशि में कार्ड होल्डर द्वारा चुना गया कोई ईएमआई भुगतान (EMI payment) भी शामिल है

पेटीएम पेमेंट्स बैंक (Paytm Payments Bank)

दोस्तों, आपको बता दें कि मार्च में होने वाला एक अहम बदलाव पेटीएम पेमेंट्स बैंक (Paytm Payments Bank) से भी संबंधित है। यह तो आप जानते ही होंगे कि फिनटेक पेटीएम (fintech Paytm) की कंपनी पेटीएम पेमेंट्स बैंक (Paytm payments bank) की बैंकिंग सुविधाएं बंद होंगी।

ऐसे में केंद्रीय रिजर्व बैंक (central reserve bank) द्वारा बैंक को 29 फरवरी से नए ग्राहकों को बोर्ड करने तथा डिपॉजिट एवं डेबिट/क्रेडिट (deposit and debit/credit) जैसी सारी सुविधाएं बंद (facilities close) करने के आदेश दिए गए थे। अब इसकी डेडलाइन (deadline) को बढ़ाकर 15 मार्च किया गया है।

यानी कि यह बदलाव अब 15 मार्च से लागू होगा। दोस्तों, यह भी जान लीजिए कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation) यानी ईपीएफओ (EFFO) द्वारा भी पेटीएम पेमेंट्स बैंक खाते से जुड़े EPF अकाउंट में लेन-देन यानी ट्रांजेक्शन (transaction) बंद करने का निर्णय लिया है। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि इस बैंक से जुड़े अकाउंट होल्डर्स अब इसके जरिए EPF खातों में डिपॉजिट या क्रेडिट (deposit or credit) नहीं कर पाएंगे।

बैंकों की छुट्टी (Bank Holidays)

दोस्तों, आपको बता दें कि फरवरी 2024 में कुल 14 दिन बैंकों में छुट्टी रहेगी। यानी बैंक बंद रहेंगे। हम सभी का बैंकों में अक्सर कोई न कोई काम पड़ता रहता है। ऐसे में मार्च महीने में यह काम खासा प्रभावित रहने वाला है।

दोस्तों, इस महीने जिन 14 दिन बैंक बंद रहेंगे, उनमें 1 मार्च के साथ ही 8 मार्च, 22 मार्च, 25 मार्च, 26 मार्च, 27 और 29 मार्च को अवकाश (holiday) रहेगा। इसके अतिरिक्त 3 मार्च,10 मार्च,17 मार्च, 24 मार्च और 31 मार्च को होने की वजह से काम नहीं होगा। वहीं, 9 मार्च और 23 मार्च को दूसरे और चौथे शनिवार को भी बैंक बंद (bank close) रहेंगे। इनमें काम नहीं होगा।

एलपीजी, सीएनजी मूल्य (LPG, CNG Price)

दोस्तों, यह तो आप जानते ही हैं कि महीने के पहले दिन एलपीजी, सीएनजी एवं पीएनजी (LPG, CNG and PNG) के दामों (prices) में भी रिवीजन (revision) यानी संशोधन होता है। ऐसे में तकरीबन हर घर परिवार वाले की निगाह इन कीमतों पर बनी रहती है। इस बार पहली मार्च को ऐसा न होने की वजह से मार्च, 2024 में पेट्रोलियम कंपनियों (petroleum companies) द्वारा गैस की कीमतों में रिवीजन की घोषणा संभव है।

विश्व के कितने देशों में नया वित्तीय वर्ष एक अप्रैल की जगह एक जनवरी से शुरू होता है? (In how many countries financial year begin in January and end in December?)

दोस्तों, आपको बता दे कि भारत एक ऐसा देश है, जो सामान्य रूप से जनवरी से दिसंबर तक का कैलेंडर फॉलो करता है और वित्त के संबंध में इसका वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है। लेकिन विश्व के कई देश ऐसे हैं, जहां वित्तीय वर्ष भी जनवरी से शुरू होकर दिसंबर तक चलता है। जी हां दोस्तों। और आपको यह भी बता दें कि ऐसे कोई एक-दो नहीं, बल्कि विश्व के 156 देश हैं जो इस व्यवस्था पर चलते हैं। यहां वित्तीय वर्ष (financial year) एक जनवरी को शुरू होकर 31 दिसंबर को खत्म होता है।

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भारत में वित्त से जुड़े अधिकांश बदलाव मार्च में ही क्यों होते हैं?

भारत में नया वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से शुरू हो जाता है। इसलिए वित्त से जुड़े अधिकांश बदलाव मार्च में ही होते हैं।

मार्च, 2024 में क्या बदलाव होने वाले हैं?

इनके संबंध में हमने आपको ऊपर पोस्ट में विस्तार से जानकारी दी है। आप वहां से देख सकते हैं।

भारत में 1 अप्रैल से वित्तीय वर्ष कब से माना जाने लगा है?

भारत में एक अप्रैल से वित्तीय वर्ष सन् 1867 से माना जाता है।

क्या कभी वित्तीय वर्ष में बदलाव की भी मांग उठी है?

जी हां, ऐसा कई बार हुआ है।

विश्व के कितने देशों में नया वित्तीय वर्ष एक अप्रैल की जगह एक जनवरी से शुरू होता है?

विश्व के 156 देशों में नया वित्तीय वर्ष एक अप्रैल की जगह एक जनवरी से शुरू होता है

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको बताया कि मार्च 2024 में आपको रुपए-पैसे से जुड़े कौन-कौन से बदलाव देखने को मिलेंगे? उम्मीद करते हैं कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। इसी प्रकार की और भी जानकारियों से भरी अन्य पोस्ट पाने के लिए आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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