6जी क्या है? भारत में इसकी क्या तैयारी है? भारत में 5जी कब लांच होगा?
भारत में बेशक अभी 5जी का इस्तेमाल लोगों के लिए दूर की कौड़ी हो, लेकिन 6जी को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। लोग जानना चाह रहे हैं कि 6जी मोबाइल नेटवर्क से उनकी कनेक्टिविटी किस प्रकार एवं कितनी बेहतर हो जाएगी।
दरअसल, केंद्र सरकार ने मोबाइल नेटवर्क एवं इंटरनेट फैसिलिटी को और बेहतर बनाने के लिए 6जी नेटवर्क के ट्रायल की तैयारी शुरू कर दी है। आज इस पोस्ट में हम आपको 6जी के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
6जी क्या है? (What is 6G)?
दोस्तों, इससे पहले कि हम आगे बढ़ें, आइए सबसे पहले जान लेते हैं कि मोबाइल नेटवर्क के मामले में 6जी क्या है (what is 6G)? दोस्तों, यहां G का अर्थ जनरेशन (generation) से है। यह दरअसल, सेल्युलर नेटवर्क टेक्नोलाजी (cellular network technology) की 6 जेनरेशन है, इसलिए इसे 6G पुकारा जा रहा है।
यहां जेनरेशन एडवांसमेंट का मतलब तकनीकी के अपग्रेडेशन (technique upgradation) से लिया जा सकता है। जैसे-जैसे सेल्युलर मोबाइल नेटवर्क तकनीक (cellular network technique) आगे बढ़ती है डाटा स्पीड (data speed) में सुधार होता है। इसके अतिरिक्त सिक्योरिटी समेत दूसरे फीचर्स अपग्रेड (features upgrade) हो जाते हैं।
भारत में अभी कौन सा नेटवर्क चल रहा है? (which network is presently in the use in india?)
आपको बता दें दोस्तों कि भारत में अभी 4जी नेटवर्क ही चल रहा है। 5जी का अभी ट्रायल चल रहा है। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैश्णव ने उम्मीद जगाई है कि इस साल यानी 2024 में 5जी भारत में लांच हो सकता है। बताया जा रहा है कि 5जी नेटवर्क से करीब 20जीबीपीएस (mbps) की स्पीड से डाटा डाउनलोड (data download) किया जा सकता है।
अभी तक की टेस्टिंग में यह डाटा स्पीड 3.7 जीबीपीएस तक पहुंची है। आपको बता दें दोस्तों कि एयरटेल (Airtel), वीआई (vi) एवं जियो (jio) जैसी कंपनियां इस तकनीक के ट्रायल (trial) में जुटी हैं।
अलबत्ता, दक्षिण कोरिया (south korea) आदि देश इस तकनीक को आज से तीन वर्ष पूर्व 2019 में ही लांच कर चुके हैं। इस तकनीक में डाटा ट्रांसफर स्पीड (data transfer speed), एनर्जी सेविंग (energy saving), हायर कनेक्शन डेसिटी (higher connection density) जैसे-कई सुधार देखने को मिलेंगे।
भारत में 6जी को लेकर क्या तैयारी शुरू की गई है? (What is India’s preparation for 6G)
दोस्तों, अब बात करते हैं अपने देश भारत की। जानते हैं कि यहां 6जी नेटवर्क को लेकर किस तरह की तैयारी चल रही है। आपको बता दें कि दोस्तों टेलीकाॅम डिपार्टमेंट (telecom department) यानी दूरसंचार विभाग की ओर से इसका जिम्मा सरकारी टेलीकाॅम रिसर्च कंपनी (telecom research company) सी-डाॅट (C-DOT) को सौंपा गया है।
बताते हैं कि इस कंपनी को 6जी नेटवर्क से जुड़ी सभी तकनीकी संभावनाओं पर विचार करने के लिए कहा गया है। दोस्तों, आपको बता दें कि एलजी (LG), सैमसंग (Samsung) जैसी तमाम स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां (smartphone producer companies) पहले से ही इस दिशा में काम कर रही हैं। दुनिया की सुपर पावर में शुमार चीन (china) के साथ ही जापान (japan), दक्षिण कोरिया (south korea) आदि देश भी जल्द से जल्द 6जी नेटवर्क लांच करने की तैयारी कर रहे हैं।
यद्यपि भारत के दूरसंचार मंत्री (telecom minister) अश्विनी वैष्णव (ashwini Vaishnav) ने एक आनलाइन वेबिनार (online webinar) के दौरान भारत में इस नेटवर्क (network) के 2024 में लांच किए जाने की बात कही है, लेकिन जिस प्रकार की तैयारी है, उससे यह मानकर चला जा सकता है कि 2028 के बाद ही यह नेटवर्क लांच हो सकता है।
6जी से जुड़ीं खास खास बातें-
जिन वजहों को लेकर 6जी का नाम इन दिनों हर जुबां पर देखने को मिल रहा है, उनमें सबसे बड़ी वजह इसकी स्पीड है। आइए, इससे जुड़ी कुछ खास बातों पर गौर करें-
- माना जा रहा है कि 5जी तकनीक के मुकाबले 6जी तकनीक में इंटरनेट की स्पीड (internet speed) 50 गुना तक तेज होगी।
- अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी स्पीड 1000 मेगाबाइट पर सेकंड होगी। इसे इस तरह समझ सकते हैं कि 6जी में आप 6जीबी की मूवी महज 51 सेकंड में डाउनलोड कर सकेंगे।
- वैज्ञानिकों की कोशिश इंसानी मस्तिष्क एवं इस डिवाइस के मध्य सीधे संपर्क की है।
- यह तकनीक 2028 से लेकर 2030 तक मार्केट में आने की संभावना जताई जा रही है।
अभी तक हुए G अपडेशन को ऐसे समझिए
दोस्तों, यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि मोबाइल नेटवर्क में जी का अर्थ जेनरेशन से है। जैसे 2जी, 3जी, 4जी आदि। इसे आप यूं भी समझ सकते हैं कि जिस प्रकार इंसान का विकास पीढ़ी दर पीढ़ी होता आया है, इसी प्रकार मोबाइल नेटवर्क का भी विकास जेनरेशन के अनुक्रम में होता आया है।
आइए, अब आपको 1जी नेटवर्क से लेकर अब तक के विकास की जानकारी दे दें, जो कि इस प्रकार से है-
1जी नेटवर्क (1G network)-
दोस्तों, आपको बता दें कि 1जी नेटवर्क की शुरूआत आज से करीब 44 वर्ष पूर्व यानी 1979 में हुई। इसे फर्स्ट जेनरेशन वायरलेस टेक्नोलाजी (first generation wireless technology) भी पुकारा जाता है। उस समय इस नेटवर्क के जरिए केवल वाइस काॅल (voice call) की जा सकती थी। यह एनालाॅग सिग्नल (analogue signal) पर आधारित तकनीक थी।
हैंडसेट काफी भारी हुआ करते थे। वाइस क्वालिटी बेहद खराब थी एवं बैटरी बहुत खपत होती थी। सिक्योरिटी लैप्स (security laps) एवं काल ड्राप (call drop) इसके परमानेंट फीचर थे। यह FDMA आधारित तकनीक थी। इसकी अधिकतम स्पीड 2.4 केबीपीएस (kbps) थी।
2जी नेटवर्क (2G network)-
दोस्तों, तकनीक 1जी से अपग्रेड होकर मोबाइल नेटवर्क की दूसरी पीढ़ी यानी सेकंड जेनरेशन (second generation) 2जी तक पहुंची। इसका आरंभ 1991 में फिनलैंड (Finland) में हुआ। आपको बता दें दोस्तों कि पहली बार डिजिटल तकनीक digital (technique) का इस्तेमाल इसी तकनीक में हुआ।
इसमें काॅल के साथ ही पिक्चर मैसेज (picture msg), टेक्स्ट (text) एवं मल्टीमीडिया मैसेज (multimedia msg) भेजने की भी सुविधा थी। इसमें डाउनलोड (download) एवं अपलोड (upload) की अधिकतम स्पीड 64 केबीपीएस (kbps) थी। इसके पश्चात इसके एडवांस वर्जन 2.5जी एवं 2.7जी वर्जन (version) भी मार्केट (market) में आए।
इसमें ईमेल (email) के साथ ही वेब ब्राउजिंग (web browsing) की भी सुविधा उपलब्ध थी। इसकी अधिकतम स्पीड 64केबीपीएस (kbps) थी।
3जी नेटवर्क (3G network)-
सेल्युलर मोबाइल नेटवर्क की यह थर्ड जेनरेशन यानी 3जी नेटवर्क 1998 में सामने आया। इसमें डाटा की स्पीड बढ़ाकर 384 केबीपीएस से 2 एमबीपीएस हो गई। वायस काल (voice call) के साथ ही इसमें वीडियो काल (video call) की भी सुविधा मुहैया थी।
इसके अतिरिक्त फाइल ट्रांसफर (file transfer), इंटरनेट (internet), आनलाइन टीवी (online TV), वीडियो कांफ्रेंसिंग (video conferencing), 3डी (गेमिंग 3D gaming), ईमेल रिसीव एवं सेंड (email receive/send) जैसी सुविधाएं शामिल थीं। आपको बता दें दोस्तों कि मोबाइल ब्राड बैंड (broad band) टर्म का सबसे पहली बार 3जी सेल्युलर टेक्नोलाजी (cellular technology) के लिए इस्तेमाल किया गया।
इसमें अपलोड स्पीड 5.7 एमबीपीएस रही। मोबाइल फोन के लिए एप (app) बनाने का रास्ता भी इसी तकनीक ने खोला। 3जी के साथ ही 3.5जी एवं 3.75 जी भी सामने आए।
4जी नेटवर्क (4G network)-
दोस्तों, आपको बता दें कि यद्यपि इस तकनीक को 2000 में ही विकसित किया जा चुका था, लेकिन आज से 15 वर्ष पूर्व 2007 में इस चौथी जेनरेशन (4 generation) यानी 4जी का इस्तेमाल प्रारंभ हुआ। उस वक्त इसकी टेस्टिंग वाईमैक्स नेटवर्क (wimax network) पर किया गया। इसके अगले ही साल सन 2008 में इस नेटवर्क की एलटीई (LTE) तकनीक सामने आई।
आपको बता दें दोस्तों कि भारत में इस समय 4जी एलटीई सर्विस ही मौजूद है। इसकी स्पीड भी 3जी के मुकाबले बहुत तेज है। अपलोड स्पीड (upload speed) 1जीबीपीएस, जबकि डाउनलोड स्पीड (download speed) 100 एमबीपीएस।
ग्लोबल रोमिंग तकनीक (global roaming technique) को सपोर्ट (support) करने के साथ ही इस तकनीक में सिक्योरिटी फीचर (security features) भी बेहतर हैं। खराब नेटवर्क में भी इसकी स्पीड 54 एमबीपीएस रहती है।
जैसे जैसे तकनीक एडवांस होती है, नए फीचर देखने को मिलते हैं
मित्रों, आप यह तो समझ ही गए होंगे कि जैसे जैसे तकनीक एडवांस (advance) होती है नए-नए फीचर देखने को मिलते हैं। जैसे कभी वीडियो काॅलिंग (video calling) लोगों के लिए एक सपना भर थी, लेकिन तकनीक के एडवांसमेंट के साथ ही लोगों को अपने सेल्युलर मोबाइल नेटवर्क पर यह सुविधा इस्तेमाल करने को मिली।
अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (artificial intelligence) की मदद से इस क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए जाने की कवायद चल रही है।
वायरलेस टेक्नोलाजी की खोज किसने की? (who invented wireless technology?)
मित्रों, मोबाइल फोन वायरलेस टेक्नोलाजी पर चलता है। आप अपना सेट उठाकर छत पर जाकर बगैर तार के किसी से भी बात करते हैं, जो टेलीफोन के जमाने में एक सपने जैसी बात लगती थी। लेकिन इस तकनीक का अविष्कार आज से एक सदी से भी पहले हुआ था। यकीन नहीं होता न। लेकिन यह सच है।
आपको बता दें कि वायरलेस टेक्नोलाजी (wireless technology) की खोज गुगलियल्मो मार्कोनी (Guglielmo) एवं कार्ल फर्डिनांड ब्राउन (Carl Ferdinand brown) ने 1894 में की थी। वायरलेस टेलीग्राफी (wireless telegraphy) के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें 1909 में फिजिक्स (physics) के नोबल पुरस्कार (Nobel prize) से भी सम्मानित किया गया था।
भारत में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले सौ करोड़ से अधिक (india has more than 100 cr users)
भारत में मोबाइल फोन यूजर्स (mobile phone users) जिस गति से बढ़ रहे हैं, जल्द ही यह दुनिया भर की सेल्युलर कंपनियों (cellular companies) के लिए यह सबसे बड़ा मार्केट (market) होगा। टेलीकाम रेगुलेशन अथारिटी आफ इंडिया (telecom regulation authority of India) के दिए आंकड़ों पर भरोसा करें तो इस समय भारत में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या सौ करोड़ से भी अधिक है।
एक अच्छी खबर यह है कि इनमें से करीब 30 फीसदी लोग स्मार्टफोन धारक (smartphone holders) हैं। आपको बता दें दोस्तों कि जितने लोग हमारे देश में स्मार्टफोन यूज करते हैं, उनमें से 73 फीसदी एंड्रायड आपरेटिंग सिस्टम (android operating system) का इस्तेमाल करते हैं। मोबाइल फोन यूजर्स अधिक होने का एक असर यह भी है कि ग्राहकों के बीच अब टैबलेट (tablet) की डिमांड (demand) घट गई है।
केवल बिजनेस यूज (business use) के लिए ही लोग टैबलेट की खरीद को प्राथमिकता दे रहे हैं। दोस्तों, एक रिपोर्ट (report) के अनुसार इस साल यानी 2024 के आखिर तक दुनिया भर में करीब 550 करोड़ मोबाइल फोन डिवाइस (mobile phone device) होंगी एवं सबसे ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले लोग भारत में ही होंगे।
अब आपको विभिन्न राज्यों की जनसंख्या (population) की तुलना में वहां के मोबाइल यूजर्स (mobile users) की जानकारी देते हैं, जो कि इस प्रकार से है-
राज्य—–जनसंख्या—-मोबाइल यूजर्स
दिल्ली 1,67,87,941 5,44,34,596
महाराष्ट्र 11,23,74,333 13,18,65,450
तमिलनाडु 7,33,94,983 8,25,93,877
पंजाब 2,77,43,338 3,88,98,031
गुजरात 6,11,63,982 7,00,02,527
मोबाइल फोन ने लोगों को अपना गुलाम बना लिया है
दोस्तों, मोबाइल फोन में , वीडियो काॅल (video call), व्हाट्सएप (WhatsApp) जैसे फीचर्स देकर लोगों को जैसे अपना गुलाम सा बना लिया है। आपने देखा होगा कि यदि इन दिनों एक कमरे में चार लोग बैठे हैं तो वे बजाय एक दूसरे से बातचीत करने के, अपने अपने मोबाइल में अपने दोस्तों, यारों से चैटिंग (chatting) में बिजी रहते हैं।
इन दिनों कई तरह के एप हैं, जिनसे एक ही मोबाइल फोन में दो-तीन व्हाट्सएप चलाए जा सकते हैं। इसके बावजूद लोग बहुत से ऐसे लोग हैं, जो अपने पास एक से अधिक मोबाइल फोन रखते हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि वे अपनी कंपनी का अधिकांश काम अपने मोबाइल फोन पर निपटाते हैं।
ऐसे में वे पर्सनल बातचीत के लिए दूसरे फोन का इस्तेमाल करते हैं। कई लोग निजी कारणों की वजह से ऐसा करते हैं। स्मार्ट फोन हाथ में आ जाने से अधिकांश लोग स्वयं ही राइटर, वीडियोग्राफर, फोटोग्राफर बन गए हैं, यानी कि आल इन वन हो गए हैं। इस तकनीकी एडवांसमेंट (technological advancement) की वजह से कई संस्थानों में लोगों को छंटनी (retrenchment) का भी शिकार होना पड़ा है।
तकनीक जितनी रफ्तार से बदलती है, उतनी ही तेजी से वह लोगों का नुकसान भी करती है। यह विकसित देशों (developed countries) में आंख, पीठ, माइग्रेन जैसे विभिन्न गंभीर रोगों को झेल रहे लोगों की संख्या को देखते हुए समझा जा सकता है। जिसका शिकार अब अन्य देश भी हो रहे हैं।
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6जी से क्या तात्पर्य है?
6जी से मतलब तकनीक के मामले में सेल्युलर नेटवर्क की सिक्स्थ जेनरेशन से है।
भारत में अभी किस जेनरेशन का नेटवर्क चल रहा है?
भारत में अभी 4जी नेटवर्क चल रहा है।
भारत में 5जी की क्या स्थिति है?
भारत में 5जी अभी आखिरी ट्रायल के दौर में है। इस साल इसके लांच होने की उम्मीद जताई जा रही है।
भारत में 6जी की क्या संभावना है?
संभावना का पता लगाने के लिए भारत के दूरसंचार विभाग ने सरकारी कंपनी सी-डाॅट को जिम्मा सौंपा है।
क्या किसी अन्य देश में 5जी लांच हुआ है?
जी हां, दक्षिण कोरिया जैसे कई देशों में 2019 में ही 5जी नेटवर्क लांच किया जा चुका है।
सेल्युलर नेटवर्क टेक्नोलाजी में जी का क्या मतलब है?
सेल्युलर नेटवर्क टेक्नोलाजी में जी का अर्थ जेनरेशन से है।
दोस्तों, इस पोस्ट में हमने आपको 6जी नेटवर्क के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आप इसी प्रकार के किसी महत्वपूर्ण विषय पर हमसे जानकारी चाहते है तो उसके लिए नीचे दिए गए कमेंट (comment box) बाक्स में कमेंट (comment) करके अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं का हमेशा की भांति स्वागत है।।।धन्यवाद।।
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